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  • परमेश्‍वर का वादा पूरा हुआ
  • यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 6 पेज 20-पेज 21 पैरा. 8
शिमोन नन्हे यीशु को अपनी बाहों में लिए हुए है। यूसुफ, मरियम और भविष्यवक्‍तिन हन्‍ना देख रहे हैं

अध्याय 6

परमेश्‍वर का वादा पूरा हुआ

लूका 2:21-39

  • यीशु का खतना किया जाता है और बाद में उसे मंदिर लाया जाता है

यूसुफ और मरियम नासरत लौटने के बजाय बेतलेहेम में ही रुक जाते हैं। जब यीशु आठ दिन का होता है, तो वे उसका खतना करवाते हैं, ठीक जैसे यहोवा ने इसराएलियों को आज्ञा दी थी। (लैव्यव्यवस्था 12:2, 3) दस्तूर के मुताबिक उसी दिन लड़के का नाम रखा जाता है। यूसुफ और मरियम अपने बेटे का नाम यीशु रखते हैं जैसे जिब्राईल ने उनसे कहा था।

यीशु अब 40 दिन का हो गया है। उसके माता-पिता अब उसे यरूशलेम के मंदिर ले जाते हैं जो बेतलेहेम से कुछ ही किलोमीटर दूर है। कानून के मुताबिक अगर एक औरत लड़के को जन्म दे, तो 40 दिन बाद उसे मंदिर में एक बलिदान चढ़ाना है। तब वह शुद्ध हो जाएगी।​—लैव्यव्यवस्था 12:4-8.

उसे बलिदान में एक मेढ़ा और एक चिड़िया चढ़ानी होती है। अगर वह मेढ़ा नहीं खरीद सकती, तो वह दो फाख्ते या दो कबूतर चढ़ा सकती है। मरियम बलिदान के लिए दो छोटी चिड़िया लाती है। इससे पता चलता है कि यूसुफ और मरियम गरीब थे।

“उन्हें शुद्ध करने का समय आया”

यूसुफ और मरियम शुद्ध होने के लिए मंदिर जा रहे हैं और नन्हे यीशु को साथ ले जा रहे हैं

जो इसराएली औरत बच्चे को जन्म देती, उसे कुछ दिन तक अशुद्ध माना जाता था। फिर अशुद्धता के दिन खत्म होने पर उसे होम-बलि चढ़ानी होती थी ताकि वह शुद्ध हो सके। इसराएलियों को यह कानून इसलिए दिया गया ताकि उन्हें एहसास रहे कि वे अपरिपूर्ण हैं और माँ ने बच्चे को विरासत में पाप दिया है। (लूका 1:35) यीशु परिपूर्ण और पवित्र था, फिर भी मरियम और यूसुफ कानून के मुताबिक शुद्ध होने के लिए मंदिर गए। और उन्होंने यीशु को “यहोवा के सामने पेश” किया।​—लूका 2:22.

मंदिर में शिमोन नाम का एक बुज़ुर्ग आदमी यूसुफ और मरियम के पास आता है। परमेश्‍वर ने उसे बताया था कि वह जीते-जी मसीहा को ज़रूर देखेगा। आज के दिन पवित्र शक्‍ति ने ही शिमोन को मंदिर आने के लिए उभारा है। जब वह यूसुफ और मरियम को उनके बच्चे के साथ देखता है, तो वह बच्चे को अपनी बाहों में ले लेता है।

यीशु को अपनी बाहों में लेकर शिमोन परमेश्‍वर का धन्यवाद करता है, “हे सारे जहान के मालिक, अब तेरा यह दास शांति से मर सकता है क्योंकि जैसा तूने वादा किया था, मेरी आँखों ने उसे देख लिया है जिसके ज़रिए तू उद्धार करेगा और जिसे तूने दिया है ताकि सब देशों के लोग उसे देखें। वह राष्ट्रों की आँखों से परदा हटाने के लिए एक रौशनी है और तेरी प्रजा इसराएल की महिमा है।”​—लूका 2:29-32.

यह बात सुनकर यूसुफ और मरियम हैरान रह जाते हैं। फिर शिमोन उन दोनों को आशीर्वाद देता है और मरियम से कहता है कि यीशु इसराएल में “बहुतों के गिरने और बहुतों के फिर से उठने का कारण होगा” और कुछ घटनाएँ मरियम को इतना दुख पहुँचाएँगी कि एक तलवार मानो उसके आर-पार हो जाएगी।​—लूका 2:34.

मंदिर में हन्‍ना नाम की एक भविष्यवक्‍तिन भी है जो 84 साल की है। वह रोज़ मंदिर आती है। जब वह यूसुफ, मरियम और नन्हे यीशु को देखती है, तो वह उनके पास आती है और परमेश्‍वर का धन्यवाद करती है। फिर वह सब लोगों को यीशु के बारे में बताने लगती है।

क्या आप यूसुफ और मरियम की खुशी का अंदाज़ा लगा सकते हैं? अभी-अभी मंदिर में जो हुआ, उससे पक्का हो जाता है कि उनका बेटा ही मसीहा है जिसके बारे में परमेश्‍वर ने वादा किया था।

  • इसराएली लड़के का नाम कब रखा जाता था?

  • जब एक इसराएली लड़का 40 दिन का हो जाता, तो माँ को क्या करना था? मरियम की आर्थिक हालत शायद कैसी थी?

  • मंदिर में कौन समझ जाते हैं कि यीशु ही मसीहा है? वे उसके बारे में क्या कहते हैं?

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