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  • यीशु 70 चेलों को प्रचार करने भेजता है
  • यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 72 पेज 170-पेज 171 पैरा. 1
70 प्रचारकों में से कुछ लोग यीशु को अपने प्रचार काम के बारे में खुशी-खुशी बता रहे हैं

अध्याय 72

यीशु 70 चेलों को प्रचार करने भेजता है

लूका 10:1-24

  • यीशु 70 चेलों को चुनकर प्रचार करने भेजता है

ईसवी सन्‌ 32 खत्म होनेवाला है। यीशु को बपतिस्मा लिए करीब तीन साल हो चुके हैं। कुछ समय पहले वह और उसके चेले छप्परों का त्योहार मनाने यरूशलेम गए थे। वे अभी-भी यरूशलेम के आस-पास ही हैं। (लूका 10:38; यूहन्‍ना 11:1) अब सेवा के जो छः महीने बचे हैं, उनमें से ज़्यादातर वक्‍त वह यहूदिया में प्रचार करेगा। वह यरदन के उस पार पेरिया ज़िले में भी प्रचार करेगा। इन इलाकों में प्रचार करने की बहुत ज़रूरत है।

ईसवी सन्‌ 30 के फसह के बाद यीशु ने कुछ महीने यहूदिया में प्रचार किया था। उसने सामरिया से होते हुए सफर भी किया था। फिर ईसवी सन्‌ 31 में फसह के लिए जब वह यरूशलेम आया, तो यहूदियों ने उसे मार डालने की कोशिश की। फिर करीब डेढ़ साल उसने गलील में ही प्रचार किया। उस दौरान बहुत लोग उसके चेले बने। गलील में यीशु ने प्रेषितों को प्रचार करना सिखाया और उन्हें यह कहकर भेजा, ‘यह प्रचार करना, स्वर्ग का राज पास आ गया है।’ (मत्ती 10:5-7) अब ईसवी सन्‌ 32 में वह चेलों को यहूदिया में प्रचार करने भेजता है।

यीशु 70 चेलों को दो-दो की जोड़ियों में भेजता है। वे ऐसे इलाके में प्रचार करने जाते हैं जहाँ “कटाई के लिए फसल बहुत है मगर मज़दूर थोड़े हैं।” (लूका 10:2) यीशु बाद में उन्हीं जगहों में जाएगा। उन्हें बीमारों को चंगा करना है और लोगों को वही संदेश सुनाना है जो यीशु सुना रहा है।

चेलों को सभा-घरों में नहीं, लोगों के घर जाना है। यीशु 70 चेलों को भेजने से पहले उन्हें भी वही बातें बताता है जो उसने एक साल पहले 12 प्रेषितों को बतायी थीं, “जब तुम किसी घर में जाओ तो पहले कहो, ‘इस घर में शांति हो।’ अगर वहाँ कोई शांति चाहनेवाला हो, तो तुम्हारी शांति उस पर बनी रहेगी।” उन्हें क्या संदेश सुनाना है? यही कि ‘परमेश्‍वर का राज तुम्हारे पास आ गया है।’​—लूका 10:5-9.

यीशु चेलों को यह भी बताता है कि कुछ लोग उनका संदेश नहीं सुनेंगे। लेकिन जो लोग सुनेंगे, वे बाद में यीशु से मिलकर उससे और भी ज़्यादा सीखना चाहेंगे। चेलों की मेहनत ज़रूर रंग लाएगी।

जब 70 चेले प्रचार करके लौट आते हैं, तो वे यीशु को खुशी-खुशी बताते हैं, “प्रभु, तेरा नाम लेने से दुष्ट स्वर्गदूत भी हमारे अधीन हो रहे हैं।” यीशु खुशी से फूला नहीं समाता और कहता है, ‘मैं देख सकता हूँ कि शैतान बिजली की तरह आकाश से गिर चुका है। देखो! मैंने तुम्हें साँपों और बिच्छुओं को पैरों तले रौंदने का अधिकार दिया है।’​—लूका 10:17-19.

ऐसा कहकर यीशु चेलों को यकीन दिलाता है कि वे बड़ी-बड़ी मुश्‍किलें भी पार कर लेंगे। साँपों और बिच्छुओं को मानो पैरों तले रौंद देंगे। वे इस बात का भी यकीन रख सकते हैं कि भविष्य में शैतान को स्वर्ग से नीचे गिरा दिया जाएगा। वह अपने 70 चेलों को यह भी बताता है कि उन्हें किस बात से ज़्यादा खुश होना चाहिए: “इस बात से खुश मत हो कि स्वर्गदूत तुम्हारे अधीन किए जा रहे हैं, मगर इस बात पर खुशी मनाओ कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे गए हैं।”​—लूका 10:20.

यीशु बहुत खुश है। वह अपने पिता की बड़ाई करता है, क्योंकि वह इन मामूली लोगों से कितने बड़े-बड़े काम करवा रहा है। फिर वह चेलों से कहता है, “सुखी हैं वे जिनकी आँखें वह सब देखती हैं जो तुम देख रहे हो। क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ, बहुत-से भविष्यवक्‍ताओं और राजाओं ने चाहा था कि वह सब देखें जो तुम देख रहे हो, मगर नहीं देख सके और वे बातें सुनें जो तुम सुन रहे हो, मगर नहीं सुन सके।”​—लूका 10:23, 24.

  • आखिरी छः महीने में यीशु कहाँ-कहाँ प्रचार करता है? वह क्यों वहाँ प्रचार करता है?

  • यीशु के 70 चेलों को लोगों से मिलने कहाँ जाना है?

  • चेलों को किस बात से ज़्यादा खुशी पानी है?

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