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    हमारी राज-सेवा—2006
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यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
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अध्याय 7

‘प्यार और भले कामों का बढ़ावा देनेवाली’ सभाएँ

सदियों से देखा गया है कि यहोवा के लोग एक संगठित तरीके से एक-साथ इकट्ठा होते हैं। प्राचीन समय में सभी इसराएली आदमी तीन बड़े त्योहारों के लिए यरूशलेम जाया करते थे। (व्यव. 16:16) पहली सदी में भी मसीही नियमित तौर पर इकट्ठा होते थे। वे अकसर किसी के घर पर मिलते थे। (फिले. 1, 2) आज हम भी सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों का आनंद उठाते हैं। परमेश्‍वर के सेवक क्यों एक-साथ इकट्ठा होते हैं? एक वजह यह है कि यह हमारी उपासना का एक अहम भाग है।​—भज. 95:6; कुलु. 3:16.

2 सभाओं में हाज़िर होने से हमें कई फायदे भी होते हैं। जब इसराएलियों को बताया गया था कि वे हर सातवें साल के छप्परों का त्योहार मनाया करें, तो उनसे कहा गया था, “आदमियों, औरतों, बच्चों और तुम्हारे शहरों में रहनेवाले परदेसियों, सबको इकट्ठा करना ताकि वे सब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के बारे में सुनें और सीखें और उसका डर मानें और इस कानून में लिखी सारी बातों को सख्ती से मानें।” (व्यव. 31:12) इससे पता चलता है कि सभाओं में जाने का एक मकसद है ‘यहोवा से सिखाए’ जाना। (यशा. 54:13) इसके अलावा, हम सभाओं में भाई-बहनों को जान पाते हैं और उनकी संगति से हमें काफी हौसला मिलता है।

मंडली की सभाएँ

3 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के बाद से जो चेले एक-साथ इकट्ठा होते थे, वे सब एक मन से प्रेषितों से सीखते थे। वे “एक ही मकसद के साथ हर दिन मंदिर में हाज़िर रहते” थे। (प्रेषि. 2:42, 46) आगे चलकर जब मसीही उपासना के लिए इकट्ठे होते थे, तो वे परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे लेख पढ़ते थे। इन लेखों में प्रेषितों और दूसरे मसीही चेलों की लिखी चिट्ठियाँ शामिल थीं। (1 कुरिं. 1:1, 2; कुलु. 4:16; 1 थिस्स. 1:1; याकू. 1:1) मंडली मिलकर प्रार्थना भी करती थी। (प्रेषि. 4:24-29; 20:36) कभी-कभी मिशनरियों के अनुभव बताए जाते थे। (प्रेषि. 11:5-18; 14:27, 28) बाइबल की शिक्षाओं पर और भविष्यवाणियों की पूर्ति पर चर्चा की जाती थी। मसीहियों को सही चालचलन और परमेश्‍वर की भक्‍ति के बारे में हिदायतें दी जाती थीं। सभी को जोश से प्रचार करने का बढ़ावा दिया जाता था।​—रोमि. 10:9, 10; 1 कुरिं. 11:23-26; 15:58; इफि. 5:1-33.

मुश्‍किलों से भरे इन आखिरी दिनों में हमें हौसले की ज़रूरत है जो लगातार सभाओं में जाने से मिलता है

4 हमारे समय में मसीही सभाएँ उसी तरीके से होती हैं जैसे प्रेषितों के ज़माने में हुआ करती थीं। हम इब्रानियों 10:24, 25 में दी गयी हिदायत मानते हैं, “आओ हम एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लें . . . एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसा कुछ लोगों का दस्तूर है बल्कि एक-दूसरे की हिम्मत बँधाएँ। और जैसे-जैसे तुम उस दिन को नज़दीक आता देखो, यह और भी ज़्यादा किया करो।” मुश्‍किलों से भरे इन आखिरी दिनों में हमें और ज़्यादा हौसले की ज़रूरत है जो लगातार सभाओं में जाने से मिलता है। तभी हमारा विश्‍वास मज़बूत रहेगा और हम वफादार रह पाएँगे। (रोमि. 1:11, 12) आज हम मसीही एक टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी के बीच जी रहे हैं। हमने ऐसा चालचलन त्याग दिया है जो परमेश्‍वर की मरज़ी के खिलाफ है। हमने दुनियावी ख्वाहिशें भी त्याग दी हैं। (फिलि. 2:15, 16; तीतु. 2:12-14) यही वजह है कि हमें यहोवा के लोगों के संग रहना है। (भज. 84:10) इसी में हमारी भलाई है। और परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने और उसकी चर्चा करने से हमें बहुत हौसला मिलेगा। गौर कीजिए कि हमारे फायदे के लिए कौन-कौन-सी सभाएँ रखी जाती हैं।

हफ्ते के आखिर में होनेवाली सभा

5 हफ्ते के आखिर में होनेवाली सभा में पहले जन भाषण दिया जाता है। यह भाषण बाइबल से होता है और खासकर आम जनता को ध्यान में रखकर दिया जाता है। कई नए लोगों के लिए यह पहली सभा होती है। जन भाषण से न सिर्फ नए लोगों को बल्कि मंडली के प्रचारकों को भी फायदा होता है। ​—प्रेषि. 18:4; 19:9, 10.

6 यीशु मसीह, उसके प्रेषितों और दूसरे चेलों ने भी आम जनता के लिए ऐसी सभाएँ रखी थीं जैसे आज हमारी मंडलियों में रखी जाती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि आज तक दुनिया में जितने भी वक्‍ता हुए हैं, उनमें यीशु सबसे महान था। उसके बारे में कहा गया है कि “आज तक किसी भी इंसान ने उसकी तरह बात नहीं की।” (यूह. 7:46) वह पूरे अधिकार के साथ सिखाता था और उसके सिखाने के तरीके से लोग दंग रह जाते थे। (मत्ती 7:28, 29) जिन्होंने उसका संदेश दिल से कबूल किया, उन्हें बहुत-से फायदे हुए। (मत्ती 13:16, 17) यीशु के प्रेषित भी उसी की तरह सिखाते थे। प्रेषितों 2:14-36 में हम पतरस का ज़बरदस्त भाषण पढ़ सकते हैं, जो उसने ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन दिया था। यह भाषण सुनने के बाद हज़ारों लोग मसीही बन गए। बाद में जब पौलुस ने एथेन्स में भाषण दिया, तो उसे सुनकर कई लोगों ने सच्चाई कबूल की और विश्‍वासी बन गए।​—प्रेषि. 17:22-34.

7 आज हर हफ्ते जब मंडली में जन भाषण दिया जाता है और सम्मेलनों और अधिवेशनों में जन भाषण दिया जाता है, तो लाखों लोगों को फायदा होता है। इन भाषणों से मसीही शिक्षाओं के मुताबिक चलने और राज के कामों में लगे रहने में मदद मिलती है। अगर हम दिलचस्पी दिखानेवालों को और दूसरे लोगों को सभाओं में आने का न्यौता दें, तो वे वहाँ आकर बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ काफी हद तक सीख पाएँगे।

8 जन भाषण तरह-तरह के विषयों पर दिए जाते हैं। जैसे बाइबल की शिक्षाएँ, भविष्यवाणियाँ, परिवार और शादीशुदा ज़िंदगी और नौजवानों की समस्याओं के बारे में बाइबल की सलाह, साथ ही चालचलन के बारे में मसीही स्तर। कुछ भाषण यहोवा की लाजवाब सृष्टि के बारे में होते हैं। दूसरे भाषण बाइबल में बताए कुछ लोगों के बारे में होते हैं जो विश्‍वास, हिम्मत और वफादारी की बढ़िया मिसाल थे। उन भाषणों में बताया जाता है कि उन लोगों से आज हम क्या सीखते हैं।

9 अगर हम जन भाषणों से पूरा फायदा पाना चाहते हैं, तो हमें सभा में ध्यान से सुनना चाहिए। और जब वक्‍ता बाइबल से आयतें खोलकर पढ़ता और समझाता है, तो हमें भी अपनी बाइबल में खोलकर देखना चाहिए। (लूका 8:18) वक्‍ता जो बताता है उसे जब हम अपनी बाइबल में देखेंगे, तो हमारा यकीन बढ़ेगा और हम उन बातों को ज़िंदगी में लागू कर पाएँगे।​—1 थिस्स. 5:21.

10 जिस मंडली में जन भाषण देने के लिए काफी भाई होते हैं, उसमें बेशक हर हफ्ते जन भाषण होगा। कभी-कभी पास की मंडलियों के वक्‍ताओं को भी बुलाया जाता है। लेकिन अगर किसी मंडली में जन भाषण देने के लिए भाइयों की कमी है, तो जब-जब मुमकिन हो जन भाषण ज़रूर दिया जाता है।

11 हफ्ते के आखिर में होनेवाली सभा का दूसरा भाग है प्रहरीदुर्ग  अध्ययन। प्रहरीदुर्ग  पत्रिका के ‘अध्ययन संस्करण’ के एक लेख पर सवाल-जवाब के ज़रिए चर्चा की जाती है। प्रहरीदुर्ग  के ज़रिए यहोवा हमें समय पर सच्चाई की खुराक देता है।

12 ज़्यादातर लेखों में समझाया जाता है कि हम रोज़मर्रा ज़िंदगी में बाइबल के सिद्धांतों को कैसे मान सकते हैं। इससे मसीहियों को हिम्मत मिलती है जिससे वे “दुनिया की फितरत” को ठुकरा पाते हैं और बुरे चालचलन में पड़ने से बचते हैं। (1 कुरिं. 2:12) प्रहरीदुर्ग  के लेखों से हमें बाइबल की शिक्षाओं और भविष्यवाणियों की गहरी समझ दी जाती है। इस वजह से सबको सच्चाई की ताज़ा-तरीन जानकारी मिलती है और वे नेक राह पर चल पाते हैं। (भज. 97:11; नीति. 4:18) प्रहरीदुर्ग  अध्ययन में हाज़िर होने और जवाब देने से हमारा विश्‍वास काफी मज़बूत होता है। नयी दुनिया की आशा और भी पक्की हो जाती है। (रोमि. 12:12; 2 पत. 3:13) मसीही भाई-बहनों की संगति करने से हम पवित्र शक्‍ति के गुण बढ़ाना सीखते हैं और यहोवा की सेवा के लिए हमारा जोश बना रहता है। (गला. 5:22, 23) हमें मुश्‍किलों को सहने की ताकत मिलती है और हम ‘भविष्य के लिए बढ़िया नींव’ डाल पाते हैं। इस तरह हम “असली ज़िंदगी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर” पाते हैं।​—1 तीमु. 6:19; 1 पत. 1:6, 7.

13 प्रहरीदुर्ग  अध्ययन से पूरा फायदा पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? हमें पहले से लेख की तैयारी करनी चाहिए। हम या तो अपने परिवार के साथ या अकेले में तैयारी कर सकते हैं। हमें लेख में दी गयी आयतें बाइबल से खोलकर देखना चाहिए और सभा में अपने शब्दों में जवाब देना चाहिए। यह सब करने से सच्चाई हमारे दिल में बैठ जाएगी। इसके अलावा, जब हम जवाब देकर अपने विश्‍वास का ऐलान करेंगे, तो दूसरों को फायदा होगा। और जब हम उनके जवाब ध्यान से सुनेंगे, तो हमें भी फायदा होगा।

हफ्ते के बीच होनेवाली सभा

14 हर हफ्ते मंडली एक और सभा के लिए राज-घर में इकट्ठा होती है। वह है हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा। इस सभा के तीन भाग होते हैं, जहाँ हमें परमेश्‍वर की सेवा के लिए “योग्य” बनना सिखाया जाता है। (2 कुरिं. 3:5, 6) हर महीने हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा​—सभा पुस्तिका  प्रकाशित की जाती है। इस पुस्तिका में सभा का शेड्‌यूल और वह जानकारी दी जाती है जिस पर सभा में चर्चा की जाती है। मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका  में गवाही देने के सुझाव भी दिए जाते हैं।

15 इस सभा का पहला भाग है, “पाएँ बाइबल का खज़ाना।” इस भाग में हमें बाइबल के वाकयों की अच्छी समझ दी जाती है। हम जान पाते हैं कि बाइबल में बतायी घटनाएँ कब और किन हालात में घटी थीं और उनसे हमें जो सीख मिलती है, उसे हम कैसे लागू कर सकते हैं। हर हफ्ते पढ़ने के लिए बाइबल के जो अध्याय दिए जाते हैं उनके बारे में एक भाषण दिया जाता है, कुछ आयतें पढ़ी जाती हैं और एक चर्चा होती है। मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका  में तसवीरें और वर्कशीट भी दी जाती हैं जिनकी मदद से हम बाइबल के वाकये अच्छी तरह समझ पाते हैं। इस तरह बाइबल का गहराई से अध्ययन करने से हमें अपनी ज़िंदगी में और प्रचार में फायदा होता है। हम ‘हर अच्छे काम के लिए पूरी तरह काबिल बनते हैं और हर तरह से तैयार हो पाते हैं।’​—2 तीमु. 3:16, 17.

16 सभा का दूसरा भाग है, “बढ़ाएँ प्रचार में हुनर।” इस भाग में हम गवाही देना सीखते हैं और प्रचार करने और सिखाने की कला में सुधार करना सीखते हैं। विद्यार्थी भाग के अलावा कुछ वीडियो भी दिखाए जाते हैं जिनसे हम गवाही देने के अलग-अलग तरीके सीखते हैं। इस भाग में हम सीखते हैं कि हम प्रचार में कैसे ‘थके-माँदों से सही बात कह सकते हैं।’​—यशा. 50:4.

17 इस सभा का तीसरा भाग है, “जीएँ मसीहियों की तरह।” इसमें हमें सिखाया जाता है कि हम बाइबल के सिद्धांतों को अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में किस तरह लागू करें। (भज. 119:105) इस भाग में मंडली का बाइबल अध्ययन भी होता है। प्रहरीदुर्ग  अध्ययन की तरह मंडली के बाइबल अध्ययन में भी सवाल-जवाब से चर्चा की जाती है।

18 हर महीने जब मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका  मिलती है, तो प्राचीनों के निकाय का संयोजक या उसकी मदद करनेवाला कोई प्राचीन पुस्तिका पर अच्छी तरह गौर करता है और एक शेड्‌यूल बनाता है। हर हफ्ते एक ऐसा प्राचीन सेवा सभा का चेयरमैन हो सकता है जो अच्छी तरह सिखाता हो और जिसे प्राचीनों के निकाय ने चुना हो। चेयरमैन इस बात का ध्यान रखता है कि सभा समय पर शुरू और खत्म हो। वह विद्यार्थी भाग पेश करनेवालों की सराहना करता है और उन्हें सलाह देता है।

19 जब हम हर हफ्ते ‘मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा’ की तैयारी करते हैं, उसमें हाज़िर होते हैं और हिस्सा लेते हैं तो हमें बाइबल का अच्छा ज्ञान मिलता है, बाइबल के सिद्धांतों की समझ मिलती है, प्रचार करने के लिए हमारी हिम्मत बढ़ती है और हम चेला बनाने के काम में कुशल बनते हैं। जिन लोगों का बपतिस्मा नहीं हुआ है वे भी जब इस सभा में आते हैं, तो भाई-बहनों की संगति से और सभा में दी जानेवाली बढ़िया जानकारी से फायदा पाते हैं। इस सभा और दूसरी सभाओं की तैयारी करने के लिए हम वॉचटावर लाइब्रेरी, JW लाइब्रेरी, वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी  (अगर आपकी भाषा में उपलब्ध हो तो) और राज-घर की लाइब्रेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। राज-घर की लाइब्रेरी में यह सब रखा जाता है: यहोवा के साक्षियों के वे सारे साहित्य जो अभी उपलब्ध हैं, वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स या यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड,  बाइबल के कई सारे अनुवाद, कनकॉर्डन्स, एक शब्दकोश और खोजबीन में इस्तेमाल होनेवाली दूसरी किताबें। इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल सभाओं से पहले या बाद में कोई भी कर सकता है।

प्रचार की सभाएँ

20 प्रचारकों का समूह हफ्ते के दौरान और शनिवार-रविवार को प्रचार की एक छोटी-सी सभा के लिए इकट्ठा होता है। यह सभा अलग-अलग समय पर किसी के घर में या सहूलियत के हिसाब से किसी दूसरी जगह पर रखी जाती है। यह राज-घर में भी रखी जा सकती है। अगर छोटे-छोटे समूह अलग-अलग जगह में इकट्ठा हों, तो प्रचारकों को सभा के लिए आना और प्रचार में जाना आसान हो जाएगा। प्रचारकों को कहाँ और किसके साथ प्रचार करना है, इसका इंतज़ाम करने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा और वे जल्द-से-जल्द इलाके में पहुँच सकते हैं। इससे समूह निगरान अपने समूह के सभी प्रचारकों पर अच्छी तरह ध्यान दे पाता है। हालाँकि हर समूह अलग से इकट्ठा हो तो फायदेमंद होता है, लेकिन कभी-कभी हालात को देखते हुए कई समूह एक-साथ भी इकट्ठा हो सकते हैं। जैसे, हफ्ते के किसी दिन जब कुछ ही प्रचारक सेवा में जाते हैं, तब सभी समूहों के लिए एक ही प्रचार की सभा रखी जा सकती है। वे सभी राज-घर में या कोई ऐसी जगह इकट्ठा हो सकते हैं जो सभा के लिए सही रहेगी। ऐसा करने से प्रचारकों को प्रचार के लिए कोई-न-कोई साथी ज़रूर मिलेगा। जब त्योहार वगैरह के दिन छुट्टी होती है तब मंडली प्रचार की सभा के लिए राज-घर में जमा हो सकती है। चाहे तो प्रहरीदुर्ग  अध्ययन के बाद भी सब लोगों के लिए एक-साथ प्रचार की सभा रखी जा सकती है।

21 अगर हर समूह अलग से मिलता है, तो समूह निगरान प्रचार की सभा चलाएगा। समय-समय पर समूह निगरान अपने सहायक को या किसी काबिल भाई को यह सभा चलाने के लिए कह सकता है। सभा चलानेवाले को अच्छी तैयारी करनी चाहिए और ऐसे सुझावों पर चर्चा करनी चाहिए जिन्हें भाई-बहन प्रचार में लागू कर सकते हैं। इसके बाद बताया जाना चाहिए कि कौन-सा प्रचारक किसके साथ और कहाँ प्रचार करेगा। फिर समूह में से किसी को सबकी तरफ से प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना के बाद सबको तुरंत प्रचार के लिए निकल जाना चाहिए। ये सभाएँ 5 से 7 मिनट के लिए होनी चाहिए। लेकिन अगर यह मंडली की किसी सभा के बाद रखी जाती है, तो यह और भी छोटी होनी चाहिए। इन सभाओं में सबका हौसला बढ़ाना चाहिए, हालात के हिसाब से निर्देश दिए जाने चाहिए। नए लोग या जिन्हें मदद की ज़रूरत है, वे अनुभवी प्रचारकों के साथ काम कर सकते हैं ताकि वे अपना हुनर बढ़ा सकें।

नयी या छोटी मंडलियों में सभाओं का इंतज़ाम

22 जैसे-जैसे प्रचारकों की गिनती बढ़ रही है, मंडलियों की गिनती भी बढ़ती जा रही है। जब कोई नयी मंडली बनानी होती है, तो आम तौर पर सर्किट निगरान इसकी अर्ज़ी भरता है। मगर कुछ छोटे समूहों के लिए पास की किसी मंडली की सभाओं में जाना बेहतर रहता है।

23 हो सकता है कुछ छोटी मंडलियों में सिर्फ बहनें हों। ऐसी मंडलियों में एक बहन को प्रार्थना करते वक्‍त या सभाएँ चलाते वक्‍त अपना सिर ढकना चाहिए, ठीक जैसे बाइबल में निर्देश दिया गया है। (1 कुरिं. 11:3-16) आम तौर पर बहन समूह के सामने खड़े होने के बजाय बैठकर प्रार्थना करती है या सभा चलाती है। बहनें, भाइयों की तरह समूह के सामने भाषण नहीं देतीं। इसके बजाय, वे संगठन के साहित्य से जानकारी पढ़ती हैं और उसे समझाती हैं। या कभी चाहें तो वे जानकारी को चर्चा या प्रदर्शन के रूप में पेश कर सकती हैं। शाखा दफ्तर किसी एक बहन को यह काम सौंपेगा कि वह शाखा दफ्तर से संपर्क करे और सभाओं का इंतज़ाम करे। कुछ समय बाद जब भाई काबिल बन जाएँगे, तो ये ज़िम्मेदारियाँ उन्हें सौंपी जाएँगी।

सर्किट सम्मेलन

24 हर साल एक सर्किट की सभी मंडलियों के लिए एक-एक दिन के दो सर्किट सम्मेलन रखे जाते हैं। खुशी के इन मौकों पर सबको “अपने दिलों को बड़ा” करने यानी ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई-बहनों की संगति करने का मौका मिलता है। (2 कुरिं. 6:11-13) यहोवा का संगठन लोगों की खास ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए इन कार्यक्रमों के लिए बाइबल पर आधारित विषय और अलग-अलग भाग तैयार करता है। सम्मेलन में जानकारी अलग-अलग तरीके से दी जाती है। जैसे भाषण, प्रदर्शन, अनुभवों के प्रदर्शन, इंटरव्यू और ऐसे प्रदर्शन जिनमें एक अकेला प्रचारक खुद से बात करता है। सही वक्‍त पर ऐसी हिदायतें पाकर सभी का हौसला मज़बूत होता है। इन सम्मेलनों में नए चेलों को बपतिस्मा लेने का मौका मिलता है ताकि वे ज़ाहिर कर सकें कि उन्होंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है।

क्षेत्रीय अधिवेशन

25 साल में एक बार बड़े-बड़े समारोह रखे जाते हैं। ये आम तौर पर तीन दिन के क्षेत्रीय अधिवेशन होते हैं, जिनमें कई सर्किट की मंडलियों के भाई-बहन आते हैं। जिन शाखा दफ्तरों की निगरानी में बहुत कम मंडलियाँ हैं, उन सभी के लिए शाखा दफ्तर शायद एक ही जगह अधिवेशन रखे। कुछ देशों में अधिवेशनों का इंतज़ाम शायद अलग तरीके से किया जाए, क्योंकि वहाँ के हालात अलग होते हैं या फिर संगठन किसी वजह से उन्हें ऐसा करने का निर्देश देता है। कुछ देशों में अंतर्राष्ट्रीय या खास अधिवेशन भी रखे जाते हैं जिनमें अलग-अलग देशों से हज़ारों साक्षी आते हैं। सालों से इन बड़े-बड़े अधिवेशनों के बारे में टीवी-अखबारों में काफी तारीफ की गयी है और इस वजह से कई लोगों को अच्छी गवाही मिली है।

26 यहोवा के समर्पित लोगों के लिए अधिवेशन खुशी के मौके होते हैं जिनमें वे एक-साथ मिलकर उपासना कर पाते हैं। इन अधिवेशनों में सच्चाई की और अच्छी समझ दी जाती है। कुछ अधिवेशनों में नए प्रकाशन रिलीज़ किए जाते हैं जिनका हम निजी तौर पर या मंडली के साथ अध्ययन करते हैं या प्रचार में इस्तेमाल करते हैं। इनमें बपतिस्मे का भी इंतज़ाम किया जाता है। अधिवेशनों में जाने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। ये अधिवेशन दिखाते हैं कि यहोवा के समर्पित लोगों की बिरादरी पूरी दुनिया में फैली है और इससे उनकी पहचान होती है कि वे यीशु मसीह के सच्चे चेले हैं।​—यूह. 13:35.

27 अपने इलाके की मंडली की सभाओं में, साथ ही सम्मेलनों और अधिवेशनों में हाज़िर होकर हम यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए मज़बूत होते हैं। इसके अलावा, हम दुनिया के बुरे असर से बचे रहते हैं जिससे हमारा मसीही विश्‍वास कमज़ोर हो सकता है। इस तरह की सभाओं से यहोवा की महिमा और तारीफ होती है। (भज. 35:18; नीति. 14:28) हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि उसने अंत के समय में सभाओं का इंतज़ाम किया है जो उसकी सेवा के लिए हममें नया जोश भर देती हैं।

प्रभु का संध्या भोज

28 यीशु मसीह की मौत की सालगिरह पर पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षी प्रभु का संध्या भोज मनाते हैं। (1 कुरिं. 11:20, 23, 24) यहोवा के साक्षियों के लिए पूरे साल की यह सबसे अहम सभा होती है। हमें स्मारक में हाज़िर होने की खास आज्ञा दी गयी है।​—लूका 22:19.

29 स्मारक समारोह बाइबल में बतायी फसह की तारीख पर मनाया जाता है। (निर्ग. 12:2, 6; मत्ती 26:17, 20, 26) फसह का त्योहार साल में एक बार मनाया जाता था। ईसा पूर्व 1513 में इसराएलियों को मिस्र से जो आज़ादी मिली थी, उसकी याद में यह त्योहार मनाया जाता था। उस वक्‍त यहोवा ने इसराएलियों को बताया था कि वे (यहूदी कैलेंडर के) पहले महीने के 14वें दिन फसह का मेम्ना खाएँ और मिस्र से निकल आएँ। (निर्ग. 12:1-51) आज यरूशलेम में वसंत विषुव (जब दिन और रात बराबर होते हैं) के बाद जब नया चाँद दिखता है, तो उस वक्‍त से 13 दिन गिनकर स्मारक की तारीख तय की जाती है। अकसर वसंत विषुव के बाद की पहली पूर्णिमा का दिन स्मारक का दिन होता है।

30 मत्ती 26:26-28 में यीशु ने खुद बताया कि स्मारक कैसे मनाया जाना चाहिए। स्मारक में जो रोटी और दाख-मदिरा रखी जाती हैं, वे यीशु के शरीर और खून में नहीं बदल जातीं। इसके बजाय रोटी उसके शरीर को और दाख-मदिरा उसके खून को दर्शाती हैं। इन्हें सिर्फ वे लोग खाते और पीते हैं जिन्हें यीशु मसीह के साथ स्वर्ग में राज करने के लिए चुना गया है। (लूका 22:28-30) लेकिन बाकी सभी समर्पित मसीहियों और सच्चाई में दिलचस्पी दिखानेवालों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे भी इस समारोह में हाज़िर हों। वहाँ आकर वे दिखाते हैं कि यहोवा ने अपने बेटे यीशु के ज़रिए इंसानों की भलाई के लिए जो इंतज़ाम किया है, उसकी वे कदर करते हैं। स्मारक से कुछ दिन पहले एक खास जन भाषण दिया जाता है। इस भाषण में स्मारक के लिए जोश बढ़ाया जाता है और बाइबल का अध्ययन करने के लिए लोगों में दिलचस्पी जगायी जाती है।

31 हम यहोवा के साक्षी सभाओं का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। वहाँ हम ‘एक-दूसरे में गहरी दिलचस्पी लेते हैं और एक-दूसरे को प्यार और भले काम करने का बढ़ावा’ देते हैं। (इब्रा. 10:24) विश्‍वासयोग्य दास हमेशा इस बात का ध्यान रखता है कि इन सभाओं के ज़रिए हमें वह सारी जानकारी मिलती रहे जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत बना रहे। यहोवा के सभी सेवकों और दिलचस्पी लेनेवालों से गुज़ारिश की जाती है कि वे इन सभाओं में लगातार आएँ और पूरा फायदा पाएँ। सभाओं में जाने से पूरी दुनिया में रहनेवाले भाई-बहनों के साथ हमारी एकता मज़बूत होती है। सबसे बढ़कर, इससे यहोवा की तारीफ और महिमा होती है।​—भज. 111:1.

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