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  • दृष्टान्त द्वारा शिक्षा देना
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w89 12/1 पेज 28-29

यीशु का जीवन और सेवकाई

दृष्टान्त द्वारा शिक्षा देना

स्पष्टतया यीशु कफ़रनहूम में है जब वो फरीसियों को डाँटते हैं। उसी दिन कुछ समय बाद वह घर से निकलकर पास ही गलील की झील तक पैदल जाते हैं जहाँ लोगों की भीड़ इकट्ठी है। वहाँ वह नाव पर चढ़कर, और कुछ दूर जाकर किनारे पर खड़े लोगों को स्वर्ग के राज्य के बारे में शिक्षा देने लगते हैं। वह ऐसे अनेक नीति-कथा अथवा दृष्टान्तों द्वारा शिक्षा देते हैं, जिनकी प्रत्येक भूमिका से सब लोग परिचित हैं।

पहले यीशु एक बोनेवाले के बारे में बताते हैं जो बीज बोता है। कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरते हैं और उन्हें चिड़ियाँ खा जाती हैं। दूसरे बीज ऐसी भूमि पर गिरते हैं जिसके नीचे चट्टानें हैं। चूँकि जड़े गहरी नहीं हैं वे नये पौधे तेज़ द्यूप के कारण जल जाते हैं। इसके बावजूद कुछ अन्य बीज काँटों के बीच गिरते हैं, जो पौधों के निकलने पर उन्हें दबा देते हैं। आख़िर में कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरते हैं और कुछ सौ गुणा, कुछ साठ गुणा और कुछ तीस गुणा फल लाते हैं।

एक दूसरे दृष्टान्त में यीशु कहते हैं कि परमेश्‍वर का राज्य ऐसा है जैसा कि कोई मनुष्य बीज बोता है। जैसे दिन बीतते जाते हैं, और वह मनुष्य सोता है और जागता है, वे बीज उगते हैं। मनुष्य नहीं जानता है कि कैसे। वे अपने आप उगते हैं और दाने आने लगते हैं। जब दाने पक जाते हैं तो मनुष्य उनकी फसल काठता है।

यीशु तीसरा दृष्टान्त एक मनुष्य के बारे में देते हैं जो ठीक तरह का बीज बोता है, परन्तु जब वह सो रहा है, तब एक बैरी आकर गेहुँ के बीच में जंगली बीज बो देता है। मनुष्य के नौकर आकर पूछते हैं कि क्या वे जंगली पौधों को निकाल दें, परन्तु वह जवाब देता है: ‘नहीं, अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम गेहुँ के पौधे भी उखाड़ दोगे। कटनी के समय तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो। फिर मैं काटनेवालों से कहूँगा कि वे जंगली पौधों को छाँटकर उनको जला दें और गेहुँ को खत्ते में इकट्ठा कर लें’।

किनारे पर खड़ी भीड़ को अपना भाषण जारी रखते हुए यीशु ने दो और दृष्टान्त दिए। वह समझाते हैं कि “स्वर्ग का राज्य” एक राई के दाने जैसा है, जिसे एक मनुष्य बोता है। चूँकि वह सब बीजों से छोटा है, वह कहते हैं, वो बढ़कर सब सब्ज़ियों से उँचा निकलता है। वह एक ऐसा पेड़ बन जाता है जिसके पास पक्षी आकर उसकी डालियों में शरण लेते हैं।

आज कुछेक लोग एतराज़ करते हैं कि राई के दाने से भी छोटे दाने होते हैं। परन्तु यीशु यहाँ वनस्पतिशास्त्र नहीं पढ़ा रहे हैं। उनके दिनों में गलील के लोग जिन दोनों से परिचित थे, राई का दाना वास्तव में सबसे छोटा होता था। अतः वे इस बात को समझते हैं कि यीशु चमत्कारिक वृद्धि का उदाहरण दे रहे हैं।

अंत में यीशु “स्वर्ग के राज्य” की तुलना ख़मीर से करता है जिसे किसी स्त्री ने लेकर आटे के तीन बड़े नाप में मिला दिया। कुछ समय बाद वह कहते हैं, वह पूरे गुंधे आटे में फैल जाता है।

ये पाँच दृष्टान्त देने के बाद यीशु भीड़ को बरख़ास्त करते हैं और जिस घर में वह ठहरे हुए हैं, वहाँ लौट जाते हैं। बहुत जल्द उनके १२ प्रेरित और दूसरे लोग वहाँ उनके पास आते हैं। मत्ती १३:१-९, २४-३६; मरकुस ४:१-९, २६-३२; लूका ८:१-८.

◆ यीशु ने भीड़ से दृष्टान्तों द्वारा कब और कहाँ वार्तालाप की?

◆ यीशु ने भीड़ को कौनसे पाँच दृष्टान्त सुनाए?

◆ यीशु ने क्यों कहा कि राई का दाना सब दानों में सब से छोटा है?

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