यीशु का जीवन और सेवकाई
आँसू अत्यानंद में बदल गए
जब याईर उस स्त्री को देखता है जिसका रक्तस्राव ठीक हुआ है, यीशु के चमत्कारिक शक्तियों में उसका भरोसा बेशक बढ़ जाता है। दिन के प्रारंभिक हिस्से में, याईर ने यीशु से बिनती की थी, कि आकर अपनी परमप्रिय १२-वर्षीया बेटी की मदद करे, जो कि मरणासन्न थी। लेकिन जब वे याईर के घर के मार्ग पर चल रहे होते हैं, जो कि कफ़रनहूम में या उसके आस-पास है, एक औरत जो यीशु के बाहरी वस्त्र के झब्बे को सिर्फ़ छूती भर है, स्वस्थ की जाती है।
बहरहाल, इसी बीच, वही होता है जो याईर सबसे ज़्यादा डरता था। जब यीशु उस औरत से बोल ही रहा है, कुछ आदमी आकर याईर को धीरे से बताते हैं: “तेरी बेटी तो मर गयी! अब गुरु को क्यों दुःख देता है?”
यह कैसी कलेजा फट देनेवाली ख़बर है! ज़रा सोचें: जो आदमी बिरादरी में बहुत सम्मानित है, वही अब जब उसे अपनी बिटिया के मरने की ख़बर मिलती है, पूरा-पूरा असहाय है। बहरहाल, यीशु इस बातचीत को सुन लेता है। तो, याईर की ओर मुड़कर, वह प्रोत्साहक रूप से कहता है: “मत डर, केवल विश्वास रख।”
यीशु उस शोकग्रस्त आदमी के साथ उसके घर जाता है। जब वे वहाँ पहुँचते हैं, तब वे रोने-धोने और शोक-विलाप करने का एक बड़ा होहल्ला मचा हुआ पाते हैं। लोगों की एक भीड़ जम गयी है, और वे शोक से अपनी छाती पीट रहे हैं। जब यीशु भीतर आता है, वह पूछता है: “तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है।”
यह सुनकर, लोग तिरस्कारपूर्वक यीशु पर हँसना शुरू करते हैं इसलिए कि वे जानते हैं कि लड़की दरअसल मर चुकी है। यद्यपि, यीशु कहता है कि वह सिर्फ़ सो रही है, यह दिखाने के लिए कि, उसकी ईश्वर-प्रदत्त शक्तियों से, लोगों को मृतावस्था से उतनी ही आसानी से वापस लाया जा सकता है जितना कि उन्हें एक गहरे नींद से जगाया जा सकता है।
पतरस, यूहन्ना, याकूब, और मृत लड़की के माता-पिता के अलावा, अब यीशु सभी को बाहर भिजवाता है। वह फिर इन पाँचों को उसके साथ अन्दर ले जाता है जहाँ छोटी लड़की लेटी है। उसका हाथ पकड़कर, यीशु कहता है: “तलʹई·ता कूʹमी,” जिसका अर्थ है: “हे लड़की, मैं तुझ से कहता हूँ, उठ!” और फ़ौरन लड़की उठकर चलने लगती है! इस नज़ारे से उसके माता-पिता अत्यानंद से लगभग विक्षिप्त होते हैं।
यह कहने के बाद कि बच्ची को कुछ खाने को दिया जाए, यीशु याईर और उसकी पत्नी को आदेश देता है कि वह किसी को न बताएँ कि क्या हुआ है। लेकिन यीशु के कहने के बावजूद, इसके बारे में बातचीत उस सारे इलाके में फैल जाती है। यह यीशु का किया दूसरा पुनरुत्थान है। मत्ती ९:१८-२६; मरकुस ५:३५-४३; लूका ८:४१-५६.
◆ याईर को कौनसी ख़बर मिलती है, और यीशु उसे कैसे प्रोत्साहित करता है?
◆ जब वे याईर के घर पहुँचते हैं, तो वहाँ की स्थिति कैसी होती है?
◆ यीशु ऐसा क्यों कहता है कि मरी हुई बच्ची सिर्फ़ सोयी हुई है?
◆ यीशु के साथ वे पाँच लोग कौन हैं जो उस पुनरुत्थान को प्रत्यक्ष देखते हैं?