यीशु के पदचिह्नों पर चल रहे लोग
“क्या हम एक ही आत्मा के चलाए न चले? क्या वही पदचिह्नों पर न चले?”—२ कुरिन्थियों १२:१८; न्यू.व.
१. अक़्सर यहोवा के किसी गवाह को पहचानना मुश्किल क्यों नहीं?
“एक समुदाय के तौर से, वे शिष्टतापूर्ण, ज़िम्मेवार और पाठशाला में उत्तम ढंग से काम करते हैं। यह अन्य समुदायों के बारे में कहा नहीं जा सकता।” यूनाइटेड स्टेट्स में एक प्राथमिक शाला के प्रिंसीपल ने यों कहा। वह किस के विषय बोल रहा था? यहोवा के गवाहों के बच्चों के विषय जो उसके पाठशाला के विद्यार्थी थे। सचमुच, अनेकों ने ग़ौर किया है कि यहोवा के गवाह, उनके बच्चें को समाविष्ट करके, अक़्सर अन्य गवाहों से कुछ निश्चित बातों में मिलते-जुलते हैं। कई वर्षों के दौरान, यह बराबर बढ़ते हुए प्रकट हुआ है कि वे विश्वासों और आचरण के संबंध में उल्लेखनीय रूप से एक हैं। तो गवाहों को पहचानना मुश्किल बात नहीं।
२. प्रारंभिक मसीही मण्डली का एक विशिष्ट गुण क्या था, और इस विषय पौलुस का क्या कहना था?
२ इस फूटे संसार में यहोवा के गवाहों की एकता एक असाधारण बात है। पर यह समझने में कठिन नहीं अगर हम याद रखें कि वे सभी यीशु के पदचिह्नों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। (१ पतरस २:२१) ऐसी एकता पहले-शतक के मसीहियों की भी विशिष्टता थी। एक प्रसंग पर, पौलुस ने कुरिन्थ की मण्डली को झिड़की दी: “हे भाइयों, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है, उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूँ, कि तुम सब एक ही बात कहो, और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो।” (१ कुरिन्थियों १:१०) पौलुस ने इस बात पर भी प्रेरित सलाह दी कि कैसे उन लोगों से निबटे जो मसीही एकता बनाए रखने के अनिच्छुक थे।—रोमियों १६:१७; २ थिस्सलुनीकियों ३:६ देखें.
३, ४. पौलुस ने अपने और तीतुस के बीच की एकता को किस तरह वर्णित किया, और इस एकता की बुनियाद क्या थी?
३ लगभग सामान्य युग सन् ५५ में, पौलुस ने तीतुस को यहूदिया में ज़रूरतमंद भाइयों के लिए चंदा जमाने के लिए मदद करने कुरिन्थ भेजा, और संभवतः यह देखने के लिए कि मण्डली पौलुस की सलाह पर कैसी प्रतिक्रिया दिखा रही थी। कुरिन्थियों को बाद में लिखते समय, पौलुस ने तीतुस के हाल की भेंट का ज़िक्र करते हुए पूछा: “क्या तीतुस ने छल करके तुम से कुछ लिया? क्या हम एक ही आत्मा के चलाए न चले? क्या वही पदचिह्नों पर न चले?” (२ कुरिन्थियों १२:१८; न्यू.व.) पौलुस का मतलब क्या था जब उसने उनका “एक ही आत्मा” और “वही पदचिह्नों” पर चलने का ज़िक्र किया?
४ वह उस एकता को व्यक्त कर रहा था, जो उसके और तीतुस के बीच विद्यमान थी। तीतुस पौलुस का अवसरिक सफ़री साथी था, और उसने निःसंदेह इस तरह पौलुस से बहुत कुछ सीख लिया। पर उनके बीच विद्यमान एकता उस से कहीं अधिक शक्तिशाली बात पर आधारित थी। यह यहोवा के साथ उनके बढ़िया संबंध, और यह तथ्य कि वे दोनों यीशु के पदचिह्न अनुगामी थे, इस पर आधारित थी। तीतुस ने पौलुस का अनुकरण किया, उसी तरह जैसे पौलुस ने मसीह का अनुकरण किया। (लूका ६:४०; १ कुरिन्थियों ११:१) तो वे यीशु की आत्मा के चलाए और उसके पदचिह्नों पर चल रहे थे।
५. आज उन लोगों से क्या अपेक्षा की जा सकती है जो, जैसे वे “एक ही आत्मा के चलाए” और “वही पदचिह्नों” पर चलते हुए, पौलुस और तीतुस का अनुकरण करते हैं?
५ तो फिर, यह विचित्र नहीं कि इस २० वीं सदी के मसीही, जो पौलुस और तीतुस के जैसे “एक ही आत्मा के चलाए” और “वही पदचिह्नों पर” चल रहे हैं, बेजोड़ एकता का आनन्द लेते हैं। वास्तव में, नाम-मात्र के मसीहियों का अनैक्य उनका नक़ली मसीही होना प्रकट करता है, जो उस अगुआ के पदचिह्नों पर नहीं चल रहे, जिसके पीछे-पीछे चलने का वे दावा करते हैं। (लूका ११:१७) सच्चे और नाम-मात्र के मसीहियों के बीच यह सुस्पष्ट अंतर विभिन्न रीतियों में सचित्रित किया जा सकता है। हम चार रीतियों का उल्लेख करें।
रक्त की पावनता
६, ७. (अ) यीशु के पदचिह्नों पर चलने में रक्त का कौनसा सही विचार सम्मिलित है? (ब) यहोवा के गवाह और आज रक्ताधान अस्वीकार करनेवाले अन्यों के बीच क्या फ़र्क है?
६ लगभग सा.यु. सन् ४९ में, पहले-शतकीय मण्डली के शासी वर्ग ने एक पत्र प्रेषित किया, जिस में इस प्रश्न का उत्तर था: क्या ग़ैर-यहूदी मसीहियों को मूसा के नियम का पालन करना चाहिए? पत्र में यह कहा गया: “पवित्र आत्मा को, और हम को ठीक जान पड़ा, कि इन आवश्यक बातों को छोड़, तुम पर और बोझ न डालें, कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लोहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से, परे रहो।” (प्रेरितों के काम १५:२८, २९) यह ग़ौर करें कि “आवश्यक बातों” में रक्त से परहेज़ समाविष्ट था। यीशु के पदचिह्नों पर चलने का मतलब यही होता कि या तो मुँह से या फिर किसी अन्य रीति से, शरीर में रक्त नहीं लेना था।
७ ईसाईजगत् में रक्ताधान देने के अभ्यास से इस सिद्धांत का बेशर्मी से उल्लंघन किया गया है। यह सही है कि अभी हाल के वर्षों में कई व्यक्ति रक्ताधान के स्वास्थ्य पर असर करनेवाले ख़तरों के विषय सतर्क हुए हैं, और उन्हें चिकित्सकीय कारणों से अस्वीकार किया है। यह विशेषकर इसलिए सत्य है कि अनेकों को चढ़ाए हुए रक्त से एडस् की बीमारी हुई है। पर कौन एक समुदाय के तौर से, परमेश्वर के नियम के लिए आदर की वजह से रक्त की पावनता का समर्थन करते हैं? जब कोई मरीज़ रक्ताधान दिए जाने का विरोध करता है, तब अपने-आप डॉक्टर उसे कौन समझ लेता है? क्या आम तौर से डॉक्टर नहीं कहता: ‘तुम ज़रूर यहोवा के एक गवाह होगे’?
८. इस संबंध में परमेश्वर के नियम का पालन करने में अपने दृढ़निश्चय के लिए इटली की एक गवाह किस तरह आशीर्वाद-प्राप्त हुई?
८ आन्टोन्येट्टा इटली में रहती है। क़रीब आठ साल पहले वह बहुत ही बीमार हुई, और उसके रक्त की कणों की संख्या इतनी कम हो गयी कि डॉक्टरों ने आग्रह किया कि उसकी जान बचाने के लिए रक्ताधान ज़रूरी थे। उसने साफ़ इनकार किया और दोनों डॉक्टरों तथा रिश्तेदारों द्वारा उसका विरोध हुआ। उसके दो छोटे-छोटे बेटों ने भी अनुनय-विनय किया: “माँ, अगर तुम सचमुच हम से प्यार करती हो, तो रक्त ले लो।” लेकिन आन्टोन्येट्टा विश्वस्त रहने के लिए दृढ़निश्चित थी, और खुशी की बात है कि वह मरी नहीं। फिर भी, उसकी हालत इतनी गंभीर थी कि एक डॉक्टर ने कहा कि: “हम इसका कारण नहीं बता सकते कि वह अब तक क्यों ज़िंदा है।” पर जब एक स्वीकार्य प्रकार का इलाज शुरु किया गया, उसने इतनी तेज़ उन्नति की कि एक और डॉक्टर ने कहा: “मुझे विश्वास ही नहीं होता—हमने तुम्हारे शरीर में पूरे दिन भी अगर रक्त पंप किया होता, तो भी तुम इतने कम समय में ठीक न हो पाती।” इन दिनों, वह एक नियमित पायनियर है, और उसके दो बेटे, जो अब १२ और १४ वर्ष के हैं, सच्चाई में बढ़िया प्रगति कर रहे हैं। आन्टोन्येट्टा ने साहसपूर्वक उस ‘आवश्यक बात,’ रक्त की पावनता, का अनुपालन किया। यहोवा के सभी गवाह वही विचार रखते हैं, जैसे वे यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं।
अच्छे नैतिक आचार
९. यीशु के पदचिह्नों पर चलने से संबद्ध एक और ‘आवश्यक बात’ क्या है, और इसका पालन करने में जो लोग असफल होते हैं, उनका क्या होता है?
९ शासी वर्ग से प्राप्त उस पत्र में एक और ‘आवश्यक बात’ जिसे विशिष्ट की गयी, वह थी “व्यभिचार से परे” रहना। कुरिन्थियों को अपनी पहली पत्री में, पौलुस ने इस पर विस्तार दिया, यह कहकर कि: “न वैश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी, . . . परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।” (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) मसीही उन लोगों को अपने से इन अस्वच्छ अभ्यासों को दूर करने की मदद करते हैं, जो यहोवा की सेवा करना चाहते हैं। मण्डली के सदस्य भी जो उन में उलझ जाते हैं, उन्हें अपने आप को पवित्र कराने की मदद की जाती है, अगर वे फिरकर पश्चाताप करें। (याकूब ५:१३-१५) पर अगर कोई मसीही ऐसे घिनौने अभ्यासों में फँसता है और पश्चाताप करना अस्वीकार करता है, तो इस स्थिति में एक सीधा बाइबल नियम लागू होता है। पौलुस यह कहने के लिए दैवी रूप से प्रेरित किया गया: “यदि कोई भाई कहलाकर व्यभिचारी . . . हो, तो उस की संगति मत करना। . . . उस कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो।”—१ कुरिन्थियों ५:११, १३.
१०, ११. (अ) ईसाईजगत् में निम्नकोटि के नैतिक स्तरों के लिए किसे ज़िम्मेदारी लेनी पड़ेगी, और क्यों? (ब) फिलिप्पीन्स के एक आदमी का अनुभव किस तरह प्रदर्शित करता है कि, एक समुदाय के तौर से, यहोवा के गवाह उच्च नैतिक स्तर बनाए रखते हैं?
१० इस स्पष्ट उपदेश के बावजूद, पूरे ईसाईजगत् अनैतिकता से व्याप्त है। जो पादरी दैवी स्तरों की प्रभाविता को कम करते हैं, इस स्थिति के लिए वे ही दोषी हैं, उसी तरह जैसे वे लोग दोषी हैं, जो बाइबल स्तरों से झूठी सहमति दिखाते हैं पर जो अपनी मण्डलियों में उन्हें लागू कराने में असफल होते हैं। फिर भी, इस बात में भी, यहोवा के गवाह एक जाति के तौर से यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं।
११ फिलिपीन्स से होज़े नाम के एक व्यक्ति पर ग़ौर करें। १७ वर्ष की आयु में ही, वह पहले से एक गड़बड़ करनेवाले और जुआरी के तौर से कुख्यात था। वह अक़्सर नशे में धुत हुआ करता था, एक अनैतिक ज़िंदगी बीता रहा था, और चोरी की वजह से वारंवार जेल की हवा काटता। फिर वह यहोवा के गवाहों से मिला। “बाइबल के अध्ययन से मेरी ज़िंदगी पूर्ण रूप से बदल गयी,” वह कहता है। “मैं अब और न शराब पीता हूँ और न धूम्रपान करता हूँ, और मैंने अपने गुस्से को क़ाबू में रखना सीखा है। मेरी एक ही पत्नी होने के कारण, मुझे अब एक शुद्ध विवेक है। मैंने अपने पड़ोसियों का आदर भी कमाया है, जो मुझे पहले ‘कुख्यात होज़े’ और ‘भूत होज़े’ कहकर बुलाते थे। अब वे मुझे ‘यहोवा का गवाह, होज़े’ कहकर बुलाते हैं। जिस मण्डली में मैं इन दिनों प्राचीन और एक नियमित पायनियर के तौर से सेवा कर रहा हूँ, उसी मण्डली में मेरा बेटा और भानजा सहायक सेवकों के तौर से सेवा कर रहे हैं।” नैतिक रूप से स्वच्छ मसीहियों के तौर से, होज़े और यहोवा के करोड़ों अन्य मसीही गवाह यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं।
तटस्थता
१२. यूहन्ना अध्याय १७ में लेखबद्ध यीशु ने अपनी प्रार्थना में असली मसीहियों की कौनसी अभिवृत्ति विशिष्ट की?
१२ अपने चेलों के साथ उस आख़री शाम पर यीशु के दिए लंबी प्रार्थना में, उसने एक और रीति का उल्लेख किया जिस से उसके अनुगामी ‘उसके पदचिह्नों पर चलते।’ अपने चेलों के विषय बोलते हुए, उसने कहा: “जैसा मैं संसार का कोई भाग नहीं, वैसे ही वे भी संसार का कोई भाग नहीं।” (यूहन्ना १७:१६; न्यू.व.) इसका मतलब है कि मसीही तटस्थ हैं। राजनीति या राष्ट्रीय संघर्षों में हिस्सा लेने के बजाय, वे दूसरों को परमेश्वर के राज्य, इस संसार के समस्याओं का एकमात्र उपाय, के बारे में बताते हैं।—मत्ती ६:९, १०; यूहन्ना १८:३६.
१३, १४. (अ) तटस्थता के मामले में ईसाईजगत् यहोवा के गवाहों से किस तरह भिन्न है? (ब) किस तरह जापान के एक गवाह की तरफ से राजनीतिक तटस्थता बनाए रखना सारे भाईचारे के लिए फ़ायदेमंद साबित हुआ?
१३ तटस्थता का यह सिद्धांत ईसाईजगत् के अधिकांश सदस्यों द्वारा भुलाया गया है, जिनके लिए राष्ट्रीय उद्गम आम तौर से धार्मिक संबद्धीकरण से ज़्यादा महत्त्व रखते हैं। प्रकाशन-संघ द्वारा प्राकाशित स्तंभ-लेखक माइक रॉयको बताता है कि “ईसाई दूसरे ईसाइयों पर युद्ध करने के विषय कभी आसानी से मतला नहीं गए,” और आगे कहा: “अगर वे मतला गए होते, तो यूरोप में के सबसे घटना-प्रधान युद्ध कभी न घटे होते।” यह एक सुप्रसिद्ध वास्तविकता है कि युद्ध के समय में यहोवा के गवाह कड़ी मसीही तटस्थता बनाए रखते हैं। लेकिन यीशु के पदचिह्न अनुगामी होने के नाते वे सामाजिक तथा राजनीतिक मसलों के विषय में भी तटस्थ हैं। इस तरह, कुछ भी उनकी संसार भर की विशिष्ट एकता को विक्षुब्ध नहीं करता।—१ पतरस २:१७.
१४ उनकी तटस्थता से कभी-कभी अनपेक्षित परिणाम आते हैं। उदाहरणार्थ, उत्तर जापान के त्सुगारु ज़िले में, चुनाव गंभीरता से लिए जाते हैं। लेकिन स्थानीय सरकारी कार्यालय के वित्त-विभाग के सहायक प्रबंधक, तोशिओ ने अंतःकरण के कारणों से महापौर के पुनर्निर्वाचन में संबद्ध होने से इन्कार कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि उसे मल-प्रवाह विभाग में एक निम्न पद पर पदावनत किया गया। परंतु, एक वर्ष बाद महापौर भ्रष्ट अभ्यासों की वजह से गिरफ़्तार हुआ और उसे पदत्याग करना पड़ा। एक नए महापौर को चुना गया। जब उसने तोशिओ की पदावनति की बात सुनी, तो उसने उसे एक उच्च प्रशासनिक पद पर पुनःस्थापित किया, और इस से तोशिओ के मसीही भाइयों को आशीर्वाद मिले। कैसे? तोशिओ बताता है कि खेल-कूद के अलावा अन्य सभाओं के लिए व्यायामशालाओं का उपयोग करने की अनुमति हासिल करना बहुत ही कठिन है। लेकिन उसके प्रस्तुत पद के कारण—खुद तोशिओ के शब्दों को उद्धृत करते हुए—“यहोवा मुझे तीन ज़िला सम्मेलनों और चार सर्किट सभाओं के लिए ऐसे व्यायामशालाओं का उपयोग हासिल करने के लिए इस्तेमाल कर सका है।” वह आख़िर कहता है: “बशर्ते कि हम विश्वस्त रहें, यहोवा हमें इस्तेमाल करने के लिए कल्पनातीत रास्ते खोलेगा।”
घर में
१५. पारिवारिक संबंधों के मामले में यीशु ने किस तरह अपने पदचिह्न अनुगामियों के लिए एक आदर्श छोड़ा?
१५ घर एक और क्षेत्र है जिस में मसीही ‘यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं।’ पारिवारिक रिश्तों के लिए एक आदर्श के तौर से बाइबल यीशु के उदाहरण को स्थापित करती है जब वह कहती है: “और मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो। हे पत्नियों, अपने अपने पति के ऐसे अधीन रहो, जैसे प्रभु के, क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है . . . पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने अपने पति के अधीन रहें। हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिए दे दिया।”—इफिसियों ५:२१-२५.
१६, १७. (अ) पारिवारिक संबंधों के विषय ईसाईजगत् में कौनसी बुरी स्थिति विद्यमान है? (ब) जैसे ब्राज़िल के एक विवाहित दम्पत्ति के अनुभव से दिखाया गया है, पारिवारिक रिश्तें सिर्फ किस तरह सुधारे जा सकते हैं?
१६ आज ईसाईजगत् अधिकांशतः इस सलाह की उपेक्षा करती है और इसलिए विघटित परिवारों से भरी हुई है। टूटे घर संसार सामान्य हैं, तथा माँ-बाप और बच्चे के बीच के संघर्ष अक़्सर बहुत ही गहरी जड़ोंवाले होते हैं। “परिवार के टुकड़े-टुकड़े हो रहे हैं,” मनोविज्ञान के एक प्राध्यापक ने कुछ वर्ष पहले कहा। बाल-मनोवैज्ञानिक, वैवाहिक सलाहकार, और मनोरोगचिकित्सकों को संकटग्रस्त परिवारों को एकत्र रखने में केवल सीमित सफलता मिली है। लेकिन यहोवा के गवाह बाइबल सिद्धांतों को अमल में लाने की खूब कोशिश करते हैं और सामान्य-से-बेहतर पारिवारिक रिश्तों के लिए प्रसिद्ध हैं।
१७ मिसाल के तौर पर, आल्डेमार, ब्राज़िल के सैन्य पुलिस में एक लेफ़्टिनेंट था और उसे पारिवारिक समस्याएँ थीं। उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया और उस से एक विधिक पृथक्करण चाहा। उसने अधिक पीना शुरु किया और खुदकुशी की कोशिश भी की। बाद में, उसके रिश्तेदारों ने, जो कि यहोवा के गवाह हैं, उस से बाइबल के बारे में बातें की। जो कुछ भी उसने सुना, वह उसे पसंद आया और उसने अध्ययन करना शुरु किया। अपना जीवन तटस्थता की स्थिति के अनुरूप बनाने के लिए, जिसके लिए यहोवा के गवाह प्रसिद्ध हैं, उसने सेना से सेवामुक्ति का निवेदन किया। आल्डेमार और उसकी पत्नी ने उन बाइबल सिद्धांतों को अमल में लाकर अपने वैवाहिक मत-भेदों का समाधान किया, जो आल्डेमार सीख रहा था। आज, वे नियमित पायनियरों के तौर से मिलकर यहोवा की सेवा करते हुए, यीशु के पदचिह्नों पर चल रहे हैं।
प्रेम के कारण आज्ञाकारी
१८. (अ) यहोवा के गवाह आज आत्मिक रूप से किस लिए आशीर्वाद-प्राप्त किए जा रह हैं? (ब) यशायाह २:२-४ अब किस तरह परिपूर्ण हो रही है?
१८ यह प्रकट है कि यहोवा के गवाह एक होकर आत्मा के चलाए और मसीह यीशु के पदचिह्नों पर चलते हैं। व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से, ऐसा करने की वजह से उन्हें आत्मिक रूप से आशीर्वाद-प्राप्त किया जा रहा है। (भजन १३३:१-३) उन पर दैवी आशीष के प्रकट सबूतों से, निष्कपट लोगों की भीड़ यशायाह २:२-४ पर दी गयी भविष्यवाणी के अनुकूल कार्य करने के लिए प्रवृत्त हुए हैं। पिछले पाँच सालों में ही, ९,८७,८२८ लोगों ने समर्पण के लिए ज़रूरी क़दम उठाए हैं, और फिर अपने आप को जल के बपतिस्मा के लिए प्रस्तुत किया है। प्रेममयता से यहोवा ने उन लोगों की संख्या पर कोई मनमानी मर्यादा नहीं रखी, जो ऐसा “भारी क्लेश” टूट पड़ने से पहले कर सकते हैं!—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४.
१९. (अ) यहोवा की सेवा करने के फलस्वरूप शायद कौनसे मूर्त फ़ायदे प्राप्त होंगे, और उनका कैसे विचार किया जाना चाहिए? (ब) यहोवा की आज्ञाओं का पालन करने का हमारा मूलभूत कारण क्या है?
१९ जैसा कि ऊपरोक्त अनुभव प्रदर्शित करते हैं, परमेश्वर के लोगों द्वारा मज़ा लिए गए आत्मिक आशीर्वाद अक़्सर मूर्त फ़ायदों के साथ आते हैं। उदारणार्थ, धूम्रपान से परहेज़ करने, नैतिक ज़िंदगी जीने, और रक्त की पावनता को मानने के द्वारा, वे कुछ निश्चित रोगों का शिकार होने से बचे रह सकते हैं। या सच्चाई के अनुसार जीने की वजह से, वे शायद एक आर्थिक, सामाजिक, या घरेलू ढंग से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे कोई भी मूर्त फ़ायदों का विचार यहोवा से आनेवाले एक आशीर्वाद के तौर से किया जाता है, और वे यहोवा के नियमों की व्यावहारिकता प्रमाणित करते हैं। लेकिन ऐसे व्यावहारिक फ़ायदे हासिल करने की संभावना स्वतः अपने में परमेश्वर के नियमों का आज्ञापालन करने का मुख्य कारण नहीं। सच्चे मसीही यहोवा का आज्ञापालन इसलिए करते हैं कि वे उस से प्रेम रखते हैं, कि वह उनकी उपासना के योग्य है, और इस कारण से कि उसकी इच्छानुसार करना ही एकमात्र सही बात है। (१ यूहन्ना ५:२, ३; प्रकाशितवाक्य ४:११) यह शैतान है जो दाव से कहता है कि लोग परमेश्वर की सेवा सिर्फ स्वार्थी लाभ के लिए करते हैं।—अय्यूब १:९-११; २:४, ५ देखें.
२०. किस तरह आज के यहोवा के गवाह प्राचीनकाल के तीन विश्वसनीय इब्रानी गवाहों के जैसे आत्मा के चलाए चल रहे हैं?
२० यहोवा के आधुनिक-काल के गवाह दानिय्येल के समय के तीन युवा विश्वसनीय इब्रानी गवाहों के समान वही आत्मा के चलाए चलते हैं। जब उन्हें एक धधकते भट्ठे की आग में फेंके जाने की धमकी दी गयी, तब इन्होंने कहा: “अगर ऐसा होना है, तो हमारा परमेश्वर जिसकी हम उपासना करते हैं, वह हमें बचाने की शक्ति रखता है। वरन हे राजा, वह हमें उस धधकते हुए भट्ठे की आग से और तेरे हाथ से भी छुड़ाएगा। परन्तु, यदि नहीं [यानी कहने का मतलब यह कि अगर वह हमें मरने भी दे], तो हे राजा, तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।” (दानिय्येल ३:१७, १८; न्यू.व.) तात्कालिक मूर्त फ़ायदे या परिणामों का विचार किए बिना, यहोवा के गवाह यीशु के पदचिह्नों पर पूरे ध्यान से चलते रहेंगे यह जानकर कि परमेश्वर की नयी दुनिया में अनन्त जीवन सुनिश्चित है! एक एकजुट जाति के तौर से, वे “एक ही आत्मा के चलाए” और “वही पदचिह्नों पर” चलते रहेंगे, चाहे जो हो!
क्या आप व्याख्या कर सकते हैं:
◻ यहोवा के गवाह एकजुट क्यों हैं?
◻ यहोवा के गवाह किन विषयों में नाम-मात्र के मसीहियों से अलग हैं?
◻ सच्चे मसीहियों का यहोवा की सेवा करने का मुख्य कारण क्या है?
◻ परमेश्वर के लोग यहोवा का आज्ञापालन करने के परिणामी फ़ायदों का किस तरह विचार करते हैं?
[पेज 10 पर तसवीरें]
जब कोई मरीज़ रक्ताधान दिए जाने का विरोध करता है, तब आम तौर से यह मान लिया जाता है कि वह यहोवा का एक गवाह है
[पेज 12 पर तसवीरें]
अपने पादरी-वर्ग के आशीर्वाद से—मसीही होने का दावा करनेवाले कई लोग एक दूसरे पर युद्ध करने के विषय आसानी से मतला नहीं गए हैं