अन्तर्दृष्टि जो यहोवा ने दी है
“उन लोगों के विषय में जिन्हें अन्तर्दृष्टि है, वे बहुतों को समझ प्रदान करेंगे।—दानिय्येल ११:३३, न्यू.व.
१, २. (अ) हालाँकि इस्राएलियों ने परमेश्वर की प्रेममय-दयालुता का अनुभव किया था, उन्होंने उद्धत रूप से व्यवहार क्यों किया? (ब) क्या करने से हमें लाभ होगा? (यिर्मयाह ५१:१०)
प्राचीन इस्राएल के लोग जानते थे कि यहोवा ही एकमात्र सच्चे परमेश्वर थे। उन्हें, उनके पूर्वजों के साथ यहोवा के व्यवहार के बारे में बतलाया गया था, और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी उनकी प्रेममय-दयालुता का अनुभव किया था। लेकिन कई अवसरों पर उन्होंने अन्तर्दृष्टि की एक भारी कमी प्रदर्शित की। उन्होंने यहोवा और उनके प्रतिनिधियों के ख़िलाफ़ “बलवा किया”। क्यों? इसलिए कि वे उन कामों को “भूल गए,” जो उन्होंने उनके लिए किए थे। (भजन १०६:७, १३) ऐसा न था कि उन्हें ये बातें मालूम नहीं थीं; बस, वे उन पर क़दरदानी से मनन करने से रह गए। इसके फलस्वरूप, वे “बुरी वस्तुओं का लालच” करनेवाले लोग साबित हुए।—१ कुरिन्थियों १०:६.
२ हमारे समय में, यहोवा ने अपने दृश्य संगठन के ज़रिए जो अन्तर्दृष्टि दी है, वह एक प्रधान तरीक़ा है जिस से उन्होंने अपने गवाहों को एक विशिट जाति के तौर से अलग रखा है। ऐसी अन्तर्दृष्टि के कुछेक मिसालों पर पुनर्विचार करने से, यहोवा अपने लोगों को किस तरह मार्गदर्शन दे रहे हैं, उस के लिए हमारी अपनी क़दरदानी सदृढ़ होगी। इन में से एक मिसाल हमारे विश्वास के बिल्कुल सारभाग ही से संबद्ध है—स्वयं परमेश्वर की पहचान।
क्या परमेश्वर एक त्रियेक हैं?
३. सौ से अधिक साल पहले, यहोवा के दास परमेश्वर की पहचान के बारे में सच्चाई कैसे जान सके? (१ कुरिन्थियों ८:५, ६)
३ ईसाईजगत् ने पक्का दावा किया है कि जो लोग त्रियेक में विश्वास करना स्वीकार नहीं करते, वे अपधर्मी हैं। लेकिन मनुष्यों द्वारा डराए जाने के बजाय, यहोवा के दासों ने जाना है कि अनुत्प्रेरित मनुष्यों की परंपराएँ और मत नहीं, बल्कि पवित्र शास्त्र ही सच्चाई को पहचान लेने के आदर्श देते हैं। इसके आधार पर, १८८२ में इन समर्पित बाइबल विद्यार्थियों ने वॉच टावर में स्पष्ट रूप से बताया: “हमारे पाठक इस बात से अवगत हैं कि जबकि हम यहोवा परमेश्वर और यीशु में और पवित्र आत्मा में विश्वास करते हैं, हम पूर्ण रूप से इस शिक्षा को बाइबल विरुद्ध होने के नाते अस्वीकार करते हैं, कि ये एक व्यक्ति में तीन परमेश्वर हैं, या जैसा कि कुछ लोग कहते हैं, तीन व्यक्तियों में एक परमेश्वर हैं।”—यूहन्ना ५:१९; १४:२८; २०:१७.
४. (अ) सतह के नीचे जाँच करके, यहोवा के लोगों ने त्रियेक के सिद्धान्त की बुनियाद और ऐसी शिक्षा से होनेवाले असर के बारे में क्या समझ लिया? (ब) यहोवा ने अपने दासों को ऐसी अन्तर्दृष्टि क्यों दी?
४ बाइबल की सच्चाई के इन प्रेमियों ने सतह के नीचे जाँच की थी और उन्होंने त्रित्ववादी विश्वास की जडें ग़ैर-मसीही धर्मों में जमी देखी थीं। धर्मशास्त्र के ध्यानयुक्त अभ्यास से, वे यह भी समझने लगे थे कि जब कुछेक बाइबल शास्त्रपद त्रित्ववादी कल्पानाओं का समर्थन करते प्रतीत होते थे, यह दरअसल अनुवादकों के पूर्वाग्रह-भरे विचारों की वजह से था, न कि इसलिए कि यह पुरानी मूल-भाषा की हस्तलिपियों में था। उन्होंने पहचाना कि यह शिक्षा, जो प्रकट रूप से यीशु को सम्मानित करती है, दरअसल उसकी शिक्षाओं का खण्डन और यहोवा का अपमान करती थी। इस प्रकार, उक्त वॉच टावर अंक में बतलाया गया: “सच्चाई खोजनेवालों के नाते, हम से यह आवश्यक होता है कि हम अपने आप से और अपने पिता के वचन से ईमानदारी के साथ व्यवहार करें, जो कि हमें सचमुच बुद्धिमान बना सकता है। इसलिए, अनुत्प्रेरित मनुष्यों और भ्रष्ट व्यवस्थाओं की परंपराओं और मतों पर ध्यान न देकर, हम अपने प्रभु और प्रेरितों से पायी विश्वस्त बातों के सांचे को दृढ़ता से थामे रहें।” चूँकि उन्होंने सचमुच सच्चाई से प्रेम रखा और, न केवल कुछ ही मनपसन्द बाइबल आयतों की ओर, बल्कि परमेश्वर के संपूर्ण वचन की ओर ध्यान दिया, यहोवा ने उन्हें ऐसी अन्तर्दृष्टि दी जिस से वे सुस्पष्ट रूप से ईसाईजगत् से अलग रखे गए।—२ तीमुथियुस ३:१६, १७; न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन रेफ़रेंस बाइबल, पृष्ठ १५८०, भाग ६ब देखें।
परमेश्वर के नाम की सही जगह
५. बाइबल अनुवादों में से परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम को छोड़ देने की इस प्रवृत्ति के पीछे कौनसी बात रही है? (प्रकाशितवाक्य २२:१८, १९)
५ दूसरे उदाहरण पर ग़ौर करें: जब बढ़ती संख्याओं में बाइबल अनुवादों ने परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम को गुप्त रखा या संपूर्ण रूप से छोड़ दिया, तब वॉचटावर संस्था ने उस नाम के महत्त्व पर और भी ज़्यादा ज़ोर दिया। ईसाईजगत् ने तर्क किया कि यहोवा, इस नाम का निष्कासन सुसमाचार को एक अधिक व्यापक आकर्षण प्रदान करता, लेकिन यहोवा के अभिषिक्त दासों ने पहचान लिया कि पवित्र शास्त्रों के सबसे महत्त्वपूर्ण नाम को निकालने की इस योजना के पीछे कौन था। (यिर्मयाह २३:२७ से तुलना करें।) परमेश्वर के लोगों ने समझा कि यह सच्चे परमेश्वर के नाम को मनुष्यों की याददाश्त से मिटाने के लिए इब्लीस द्वारा उकसाया गया था।
६. ईसाईजगत् के मार्ग से विपरीत, परमेश्वर के सच्चे दासों ने उनका नाम बढ़ाने के लिए क्या किया? (प्रेरितों के काम १५:१४)
६ ईसाईजगत् द्वारा अपनाए गए मार्ग से विपरीत, वॉच टावर के प्रकाशित होने के बिल्कुल पहले ही साल से (१८७९), इस ने ईश्वरीय नाम, यहोवा, को विशिष्टता दी। १९२६ में इस पत्रिका ने यह लेख प्रस्तुत किया, “यहोवा को कौन सम्मान देगा?” (भजन १३५:२१) १९३१ में वॉच टावर संस्थे से संबद्ध बाइबल विद्यार्थियों ने यहोवा के गवाह, यह नाम अपनाया। (यशायाह ४३:१०-१२) वे यहोवा के नाम के पवित्रीकरण के बड़े महत्त्व की और भी ज़्यादा क़दर करने लगे। (यशायाह १२:४, ५) १९४४ में वे अमेरिकन् स्टैंडर्ड वर्शन का बाइबल अनुवाद प्रकाशित करने लगे, जिस में यहोवा का नाम ६,८०० से अधिक बार शामिल है। फिर भी, बाइबल के प्रकाशन के संबंध में, १९५० से लेकर, न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का प्रकाशन सबसे अधिक विशिष्ट रहा है। यह दोनों, इब्रानी और यूनानी शास्त्रों में ईश्वरीय नाम को उसकी सही जगह देता है।
७. परमेश्वर के नाम और उस से संबद्ध सभी बातों पर डाले गये ज़ोर से अनेक लोगों पर हितकारी रूप से किस तरह असर हुआ है?
७ इस प्रकार परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम पर डाला गया ज़ोर, दुनिया भर में धार्मिकता के लाखों प्रेमियों के लिए आनंदित बात रही है। इस से उन्हें सच्चे परमेश्वर की एक व्यक्ति के तौर से क़दर करने की मदद हुई है। और जैसे-जैसे वे उनके मार्गों को जान गए हैं, वे बुद्धिमानी से, या अन्तर्दृष्टि से आचरण कर सके हैं।—मीका ४:२, ५.
क्या मानव प्राण अमर है?
८. उनके आधुनिक इतिहास के आरंभिक समय में, यहोवा के गवाहों ने प्राण और मृतकों की अवस्था के बारे में क्या सीखा?
८ अब, एक तीसरा उदाहरण: यहोवा के दासों के आधुनिक इतिहास के आरंभिक समय में, परमेश्वर के वचन के लिए प्रेम ने उनकी आँखें अन्य महत्त्वपूर्ण सच्चाइयों के विषय में खोल दीं। एक शताब्दी से ज़्यादा समय पहले, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को सही रूप से समझ में आया कि प्राण कोई बुद्धिमान और वियोज्य आत्मा नहीं जो मानवों के भीतर रहता है, बल्कि यह स्वयं व्यक्ति ही है। (मत्ती २४:४५-४७) १८८० में वॉच टावर ने उन मूल-भाषा शब्दों का विश्लेषण किया, जिसका लिप्यन्तरण बाइबल में शीओल और हेडीज़ के तौर से किया गया है, और इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि ये क़ब्र का उल्लेख करते हैं। इस ने यह भी दिखाया कि गेहेन्ना में डाले जानेवाले लोग, संत्रस्त नहीं, नष्ट होते थे।—न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन रेफ़रेंस बाइबल, पृष्ठ १५७३-५ भी देखें।
९. १८९४ में, वॉच टावर ने, मानव प्राण सहज रूप से अमर हैं, इस शिक्षा के प्रारंभ के बारे में क्या कहा?
९ १८९४ में वॉच टावर ने यह सवाल किया, “तो फिर यह लोकप्रिय धारणा कहाँ से आयी, कि सभी मानवों में स्वाभाविक और सहज रूप से अमरता है?” अन्तर्दृष्टि से, इस ने जवाब दिया: “इतिहास के पन्नों की जाँच बारीक़ी से करते हुए, हम पाते हैं कि, हालाँकि मानव अमरता का धर्मसिद्धान्त परमेश्वर के उत्प्रेरित गवाहों द्वारा नहीं सिखाया गया है, यह सारे मूर्तिपूजक धर्मों का बिल्कुल सारभाग है। . . . इसलिए, यह सच नहीं कि सॉक्रेटीज़ और प्लेटो यह धर्मसिद्धान्त सिखानेवाले पहले व्यक्ति थे: इसका एक ऐसा शिक्षक था जो उन दोनों से भी पुराना था, और फिर भी उन से और भी ज़्यादा क़ाबिल। बहरहाल, उन्होंने इस धर्मसिद्धान्त का परिष्कार किया . . . और इस से एक तत्त्वज्ञान बनाया, और इस प्रकार उसे अपने समय के और तब से अब तक के सुसंस्कृत वर्ग के लिए और भी ज़्यादा सम्मोहक और स्वीकार्य बना दिया। इस झूठी शिक्षा का पहला विवरण मानवों के सबसे पुराने इतिहास में पाया गया है—बाइबल। वह झूठा शिक्षक शैतान था।”a
१०. प्राण और मृतकों की अवस्था के बारे में धार्मिक झूठ के परिणाम स्वरूप कौनसे बुरे प्रभाव उत्पन्न हुए हैं, लेकिन समझदार लोगों की मदद के लिए क्या किया गया?
१० इस झूठ को फैलाकर, कि सभी मानवों को एक अमर प्राण है और कि दुष्ट लोग हमेशा के लिए नरकाग्नि में संत्रस्त किए जाएँगे, शैतान ने परमेश्वर के नाम का अयथार्थ रूप प्रस्तुत किया है और उसकी ईश-निन्दा की है। वॉच टावर के पहले सम्पादक, सी. टी. रस्सेल को यह समझ में आया। उसने बुद्धिमान लोगों को अनन्त संत्रास की कल्पना अस्वीकार करते देखा लेकिन, दुःखद रूप से, बाइबल को भी ठुकराते हुए देखा, इसलिए कि उन्होंने सोचा कि यही उस तर्कहीन धर्मसिद्धान्त का मूल है। जैसा कि उसने व्यक्त किया, समझदार लोगों के मन से अन्धकार युग का धूआँ हटाने के उद्देश्य से, भाई रस्सेल ने वह आश्चर्यजनक आम भाषण दिया, “नरक को और वापस! वहाँ कौन हैं।”
११. (अ) जब भूतविद्या बढ़ती जा रही थी, तब ‘विश्वासयोग्य दास’ वर्ग ने कौनसी चेतावनी सुनायी? (ब) इस चेतावनी से किसने लाभ प्राप्त किया है, और कैसे?
११ वह एक ऐसा युग था जब भूतविद्या बढ़ती जा रही थी। लेकिन अपने वचन के ज़रिए यहोवा परमेश्वर ने जो अन्तर्दृष्टि संभव की, उस से ‘विश्वासयोग्य दास’ वर्ग ने यह पहचान लिया कि मृतकों की तथाकथित आत्माएँ, जिनके साथ लोग संपर्क कर रहे थे, वे वास्तव में दुष्टात्माएँ थीं। आम भाषणों में और लिखित रूप से प्रभावशाली धर्मशास्त्रीय तर्क पेश किए गए, जिन में ईमानदार लोगों को भूतविद्या में शामिल होने के ख़तरों के बारे में चौकस किया गया। (व्यवस्थाविवरण १८:१०-१२; यशायाह ८:१९) यहोवा द्वारा अपने दासों को दी अन्तर्दृष्टि के फलस्वरूप, सारी दुनिया में कई हज़ार व्यक्ति मृतकों के भय से, भूतविद्या के प्रयोग से और उस से संबंधित दूषित करनेवाली प्रथाओं से मुक्त किए गए हैं।
एक विक्षुब्ध दुनिया में मसीही आचरण
१२, १३. (अ) दानिय्येल ११:३२, ३३ की व्याख्या दें। (ब) “जिन लोगों के पास अन्तर्दृष्टि” है, उनके द्वारा दी गयी समझ के लिए आधार प्रदान करनेवाली कुछेक मूलभूत बाइबल सच्चाइयाँ क्या हैं?
१२ भविष्यद्वक्ता दानिय्येल ने संकेत किया कि परमेश्वर के दास एक और, चौथे मामले, एक अत्यावश्यक वाद-विषय के संबंध में अन्तर्दृष्टि प्रकट करते—तटस्थता। इस दुनिया के प्रमुख राजनीतिक गुटों के बीच के संघर्ष का वर्णन करने के बाद, दानिय्येल ११:३२, ३३ बतलाता है: “और जो लोग दुष्ट होकर उस वाचा को तोड़ेंगे, उनको वह चिकनी-चुपड़ी बातें कह कहकर भक्तिहीन कर देगा।” यानी, सर्वसत्तात्मक उत्तर का राजा उन लोगों को धर्मत्याग करने तक बहकाएगा, जो मसीही होने का दावा करते हैं पर जो इस दुनिया से प्रीति रखते हैं, उसकी स्वीकृति चाहते हैं, और इसलिए एक राज्य के लिए यहोवा की वाचा का तिरस्कार करते हैं, जिस राज्य में यीशु मसीह सारी पृथ्वी पर राज्य करेगा। “परन्तु,” दानिय्येल आगे कहता है, “जो लोग अपने परमेश्वर का ज्ञान रखेंगे, वे हियाव बान्धकर बड़े काम करेंगे। और उन लोगों के विषय में जिन्हें अन्तर्दृष्टि है, वे बहुतों को समझ प्रदान करेंगे।”
१३ हमारे इर्द-गिर्द की अकसर विक्षुब्ध परिस्थितियों से बुद्धिमानी से निपटने के लिए आवश्यक अन्तर्दृष्टि मूलभूत बाइबल सच्चाइयों की क़दर पर आधारित है। यहोवा के निर्देशन से, ‘विश्वासयोग्य दास’ वर्ग ने इन सच्चाइयों को जाना है। जैसा कि यीशु ने दिखाया, उन में से एक वास्तविकता यह है कि शैतान इब्लीस इस संसार का शासक है। (लूका ४:५-८; यूहन्ना १२:३१) इस सच्चाई के अनुरूप, १ यूहन्ना ५:१९ कहता है कि सिर्फ़ एक या दूसरा गुट ही नहीं, बल्कि “सारा संसार [सच्ची मसीही मण्डली के बाहर सारी मनुष्यजाति] उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (प्रकाशितवाक्य १२:९) चूँकि यीशु ने कहा कि उसके अनुयायी “इस संसार का कोई भाग नहीं” होते, इस से उनकी ओर से मसीही तटस्थता आवश्यक होती है।—यूहन्ना १७:१६.
१४. (अ) १९३९ और १९४१ यहोवा के दासों का ध्यान किन समयोचित मामलों की ओर आकृष्ट किया गया? (ब) ऐसी अन्तर्दृष्टि से यहोवा के गवाहों को बुद्धिमानी से कार्य करने की मदद कैसे हुई है?
१४ इसलिए, यह समयोचित था कि जैसे ही दूसरे विश्व युद्ध के काले बादल यूरोप पर छाने लगे, नवम्बर १, १९३९, के वॉचटावर में मसीही तटस्थता के विषय पर विशिष्ट ध्यान दिया गया। इस मामले से एक और मूलभूत सच्चाई संबद्ध है—विश्व प्रभुसत्ता के वाद-विषय और इस वाद-विषय को तय करने में मसीही राज्य का महत्त्व। उचित रूप से, १९४१ में मिस्सूरी, यू.एस.ए., के सेंट लूइस शहर में चल रहे यहोवा के गवाहों के एक सम्मेलन के एक भाषण में, और अगले साल द न्यू वर्ल्ड, नामक किताब में इस वाद-विषय को प्रधानता दी गयी। इस विभक्त और युद्ध करनेवाली दुनिया में यहोवा के दासों को ऐसी ईश्वरीय अन्तर्दृष्टि द्वारा क्या खूब रक्षा मिली है! हालाँकि ईसाईजगत् की धार्मिक व्यवस्थाएँ इसलिए टुकड़े-टुकड़े हो गयी हैं कि उन्होंने अपने आप को अंतर्राष्ट्रिय संघर्षों और सरकारों को गिरा देने के लिए गुरिल्ला आन्दोलनों में उलझने दिया है, फिर भी सभी देशों में यहोवा के गवाह एकता से परमेश्वर का राज्य, मनुष्यजाति की एकमात्र आशा के तौर से प्रचार करने के लिए अपने आप को समर्पित करते रहे हैं। वे उस प्राणरक्षक कार्य में व्यस्त रहे हैं, जो यीशु ने पूर्वबतलाया, जब उसने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१४.
बाइबल भविष्यवाणियों की पूर्ति
१५. यहोवा के दासों के पास अन्तर्दृष्टि क्यों है?
१५ यहोवा के दासों के पास ऐसी अन्तर्दृष्टि क्यों है? इसलिए कि उन्हें परमेश्वर के लिखित वचन में पूरा भरोसा है, वे उसका पालन करते हैं, और यहोवा की आत्मा उन पर है। इस से वे महत्त्वपूर्ण बाइबल भविष्यवाणियाँ समझ सके हैं, और यह पाँचवी बात है जिस पर हम ग़ौर करने वाले हैं।
१६, १७. (अ) यहोवा के गवाहों द्वारा उपयोग की गयी तारीख़ें कभी-कभी धर्मनिर्पेक्ष इतिहासकारों द्वारा दी तारीख़ों से भिन्न क्यों हैं? (ब) यहोवा के गवाहों को अर्टाज़र्कसीज़ के बीसवें साल के तिथि-निर्धारण और बाबेलियों द्वारा यरूशलेम के विनाश के समय के संबंध में, बाइबल पर अपने विश्वास से किस तरह लाभ हुआ है?
१६ धर्मनिर्पेक्ष इतिहासकार, पुरातत्त्वज्ञों द्वारा खोद निकाले गए तख़्तियों के विषय में, जो कि कुछ स्थितियों में सिर्फ़ टुकड़े ही हैं, अपने ही अर्थनिर्णय पर विश्वास करके, इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि सामान्य युग पूर्व ४६४ आर्टाज़र्कसीज़ लॉन्जीमॅनस के राजत्व का पहला साल था और कि सा.यु.पू. ६०४ नबूकदनेस्सर II के राजत्व का पहला साल था। अगर यह सही था, तो अर्टाज़र्कसीज़ का बीसवाँ साल सा.यु.पू. ४४५ में शुरू होता, और बाबेलियों द्वारा यरूशलेम के उजाड़ दिए जाने की तारीख़ (नबूकदनेस्सर के १८वें शासकीय वर्ष में) सा.यू.पू. ५८७ होती। लेकिन अगर कोई बाइबल विद्यार्थी भविष्यवाणी की पूर्ति का परिकलन करने में उन तारीख़ों का उपयोग करे, तो वह बस चकराया जाएगा।
१७ यहोवा के गवाह पुरातत्त्वज्ञों के उन जाँच-परिणामों में दिलचस्पी रखते हैं जो बाइबल से संबंधित हैं। बहरहाल, जहाँ कहीं इन जाँच-परिणामों के अर्थनिर्णय बाइबल के स्पष्ट विवरण के प्रतिकूल हैं, हम यक़ीन से उन बातों को स्वीकार करते हैं, जो पवित्र शास्त्र में लिखी गयी हैं, चाहे यह कालक्रम या अन्य कोई भी विषय पर क्यों न हो। इसके फलस्वरूप, यहोवा के दासों ने बहुत पहले से समझा है कि अर्टाज़र्कसीज़ के बीसवें साल में शुरू होनेवाली भविष्यसूचक कालावधि को सा.यु.पू. ४५५ से गिनना था और इस प्रकार कि दानिय्येल ९:२४-२७ विश्वस्त रूप से सा. यु. २९ के पतझड़ की ओर वह समय होने के तौर से संकेत करता था, जब यीशु को मसीहा के रूप में अभिषिक्त होना था।b उसी कारण से, उन्होंने समझा है कि “सात काल” के बारे में दानिय्येल अध्याय ४ में दी भविष्यवाणी की गणना सा.यु.पू. ६०७-६०६ से शुरू हुई, और कि इस ने सा.यु. १९१४ के पतझड़ की ओर वह समय होने के तौर से ठीक संकेत किया, जब मसीह को स्वर्ग में शासन करनेवाले राजा के रूप में राज्याभिषिक्त किया गया।c लेकिन अगर पवित्र शास्त्र की उत्प्रेरणा में उनका विश्वास विचलित हुआ होता, तो वे भविष्यवाणी की ये उत्तेजक पूर्तियाँ नहीं समझ पाते। इस तरह, जो अन्तर्दृष्टि उन्होंने दिखायी है, वह सीधे रूप से परमेश्वर के वचन पर उनके विश्वास करने से संबद्ध है।
१८. यशायाह ६५:१३, १४ यहोवा के वफ़ादार दासों की आत्मिक अवस्था के बारे में कौनसा वचन देता है?
१८ अपने वफ़ादार दासों की आत्मिक अवस्था की तुलना उन व्यक्तियों और गुटों से करते हुए, जो सहज ही, जो भी सामान्यतः लोकप्रिय है, उन बातों के पक्ष में शास्त्रों को एक तरफ़ धकेल देते हैं, यहोवा कहते हैं: “देखो, मेरे दास तो खाएँगे, पर तुम भूखे रहोगे; मेरे दास पीएँगे, पर तुम प्यासे रहोगे; मेरे दास आनन्द करेंगे, पर तुम लज्जित होगे; देखो, मेरे दास हर्ष के मारे जयजयकार करेंगे, परन्तु तुम शोक से चिल्लाओगे और खेद के मारे हाय हाय, करोगे।”—यशायाह ६५:१३, १४.
१९. (अ) “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” शास्त्रों की व्याख्या प्रमुख रूप से कौनसे साधन के ज़रिए देता है? (ब) हमें किस तरह का अध्ययन कार्यक्रम आध्यात्मिक भोजन से पूरा फ़ायदा उठाने देगा?
१९ जैसे इस संक्षिप्त ऐतिहासिक समीक्षा ने दिखाया है, वॉचटावर के कालमों के ज़रिए ही यहोवा के “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने हमें महत्त्वपूर्ण धर्मशास्त्रीय सच्चाइयों की व्याख्याएँ दी हैं। द वॉचटावर आध्यात्मिक भोजन देने के लिए “दास” वर्ग द्वारा इस्तेमाल किया गया प्रमुख साधन है। क्या आप उस से पूरा फ़ायदा उठा रहे हैं? क्या आप प्रत्येक अंक पढ़ते हैं, और क्या आप अपने अध्ययन कार्यक्रम में उन शास्त्रों को पढ़ते हैं, जो उद्धृत नहीं, सिर्फ़ उल्लेखित हैं? क्या आप ऐसी आदत भी डालते हैं कि आप जो कुछ पढ़ते हैं, उस पर मनन करते, उसके लिए क़दरदानी बढ़ाते, और यह ग़ौर करते हैं कि इस से आपकी मनोवृत्ति पर, आपके हर रोज़ के कार्यों पर, और ज़िन्दगी में आपके लक्ष्यों पर कैसा असर होना चाहिए? आपका इस तरह करना, आपका उस असली अन्तर्दृष्टि पर आधारित निर्णय करने में एक बड़ा तत्त्व हो सकता है, जो सिर्फ़ यहोवा ने दी है।
[फुटनोट]
a शैतान ने हव्वा को यह सोचने तक बहकाया कि वह शरीर में कभी नहीं मरती। (उत्पत्ति ३:१५) तो उसने बाद में ही इस झूठी शिक्षा का प्रारंभ किया कि मानवों को एक अमर प्राण है जो शरीर के मरने के बाद भी ज़िन्दा रहता है।—द वॉचटावर, सितम्बर १५, १९५७, पृष्ठ ५७५ देखें।
b इन्साइट ऑन द स्क्रिप्चर्स, खण्ड २, पृष्ठ ६१४-१६, ८९९-९०१.
c “तेरा राज्य आए,” पृष्ठ १८६-९.
आपको क्या याद है?
◻ क्या परमेश्वर एक त्रियेक है, और आप ऐसा जवाब क्यों देते हैं?
◻ परमेश्वर का नाम सही सही कहाँ होना चाहिए?
◻ क्या मानव प्राण अमर है?
◻ एक विक्षुब्ध दुनिया में मसीही आचरण के बारे में यहोवा ने कौनसी अन्तर्दृष्टि दी है?
◻ बाइबल भविष्यवाणियों की पूर्ति के संबंध में यहोवा के गवाहों को कौनसी अन्तर्दृष्टि मिली है?
[पेज 8 पर तसवीरें]
प्रहरीदुर्ग के जरिए, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” शास्त्रों का अर्थ और हमारे दिनों को उसका विनियोग के बारे में अन्तर्दृष्टि देता है