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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
w89 7/1 पेज 3-7

बड़ी बाबेलोन उसका प्राणदण्ड

“उसके माथे पर यह नाम लिखा था, एक भेद: ‘बड़ी बाबेलोन पृथ्वी की वेश्‍याओं और घृणित वस्तुओं की माता।’” “एक ही दिन में उस पर विपत्तियां आ पडेंगी, अर्थात्‌ मृत्यु और शोक, और अकाल; और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी यहोवा परमेश्‍वर शक्‍तिमान है।”​—प्रकाशितवाक्य १७:५; १८:८, न्यू.व.

हमारे सामान्य युग की पहली सदी में प्रेरित यूहन्‍ना द्वारा लिखे गए उन शब्दों के बारे में जानने की चाह रखने का अधिकार हमें है। यह ‘वेश्‍याओं की माता’ कौन है? उसने परमेश्‍वर को कैसे इतना अप्रसन्‍न किया, कि वह उसका इतनी सख्ती से न्याय करें? इस में कोई शक नहीं कि इस रहस्यमय वेश्‍या बड़ी बाबेलोन के विरुद्ध निश्‍चित परमेश्‍वर के न्याय विध्वंसक है। यह अवश्‍य हमें, यह वेश्‍या कौन है और उसकी नियति हमें कैसे प्रभावित करेगी यह निर्धारित करने के लिए कारण देते हैं।​—प्रकाशितवाक्य १८:२१.

बड़ी बाबेलोन क्या या किसका प्रतीक है? बाइबल कहती है कि विश्‍व शासकों ने उसके साथ व्यभिचार किया है और व्यापारियों ने उसके साथ व्यापार किया है। (प्रकाशितवाक्य १८:३) अतः, वह राजनीति या बड़े व्यापार का प्रतीक नहीं हो सकती। लेकिन फिर, ‘वेश्‍याओं की माता’ इस उपाधि के लिए एक मात्र उम्मेदवार के रूप में इस संसार का तीसरा शक्‍तिशाली तत्व रह जाता है। वह और कोई नहीं बल्कि शैतान का झूठे धर्मों का विश्‍व साम्राज्य है!a

अब ये प्रश्‍न रह जाते हैं: क्यों, कैसे, और कब बड़ी बाबेलोन को प्राणदण्डित किया जाएगा? या विषय को अक्षरशः व्यक्‍त करने पर: क्यों, कैसे और कब झूठे धर्म इस पृथ्वी पर से मिट जाएंगे?

मसीहीजगत का गैर-मसीही इतिहास

जब हम झूठे धर्म के इतिहास पर विचार करते हैं, तब हमें उस प्राचीन भविष्यसूचक अभिव्यक्‍ति के बारे में स्मरण दिलाया जाता है: “वे वायु बोते हैं और वे बवण्डर लवेंगे।” (होशे ८:७) यह मसीही प्रेरित पौलुस के द्वारा अभिव्यक्‍त सिद्धान्त के साथ सहमत होती है: “धोखा न खाओ, परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।” (गलतियों ६:७) तो, झूठे धर्म ने एक विश्‍वव्यापी पैमाने में क्या बोया है? और वह क्या बटोरेगा?

यीशु मसीह ने सिखाया कि उसके शिष्यों को न केवल उनके पड़ोसियों से बल्कि उनके शत्रुओं से भी प्रेम करना चाहिए। (मत्ती ५:४३, ४४) इब्रानी शास्त्रों से उद्धृत करते हुए, पौलुस ने सूचित किया कि कैसे मसीहियों को उनके शत्रुओं के साथ बरताव करना है। उन्होंने कहा: “‘यदि तेरा बैरी भूखा हो, तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।’ बुराई से न हारो, परन्तु भलाई से बुराई को जीत लों।”​—रोमियों १२:२०, २१.

फिर भी, मसीहीजगत्‌ के धर्मों का इतिहास, बैर और रक्‍तपात का इतिहास है। प्राचीन और आधुनिक दिनों के धर्मयुद्ध, जिस में, लूटपाट, अपहरण और मृत्यु संबद्ध थी, अभिमन्त्रित थे और माफ किए गए। उदाहरणार्थ, फासीवादी इटली द्वारा ॲबिसिनिया का अपहरण (१९३५) और स्पेन के गृहयुद्ध में फ्रॅन्को का ‘धर्मयुद्ध’ (१९३६-३९) कैथॉलिक चर्च के प्रतिष्ठित व्यक्‍तियों द्वारा अभिमन्त्रित थे।

धर्मवैज्ञानिक मतभेद लोगों को खूँटों पर जलाने के द्वारा समाप्त किए गए। अँग्रेजी में “नया करार” का उसका अनुवाद प्रकाशित करने के बाद, १५३६ में विलियम टिन्डेल को खूँटे पर गला घोंटकर, जलाया गया। इससे पहले, पोप मार्टिन V के आदेशानुसार धार्मिक अधिकारियों ने, एक बदले की आत्मा से प्रेरित होकर, बाइबल अनुवादक वायक्लिफ की हड्डियाँ उसकी मृत्यु के ४४ वर्ष पश्‍चात, निकाली, ताकि उन्हें जलाने का आनन्द मिलें। कैथॉलिक धर्माधिकरण के दौरान, हज़ारों यहूदियों और अपधर्मियों को, उनकी सम्पत्ति से वंचित किए गए, उत्पीड़ित किए गए और खूँटों पर जलाए गए​—सब कुछ मसीह के नाम पर मानते हुए! स्पेन के धर्मवैज्ञानिक मायकल सरवीटस, जो रोमन कैथॉलिक और प्रोटेस्टैन्ट व्यक्‍तियों द्वारा समान रूप से सताया गया, प्रोटेस्टैन्ट जॉन कॅल्विन के आदेशानुसार खूँटे पर जलाया गया था। इस सदी के दो विश्‍व युद्ध में, सेनाओं को “मसीही” पादरियों द्वारा अभिमन्त्रित किया गया था और सैनिकों को हत्या करने के लिए, उनके राष्ट्रवादी पुरोहितों द्वारा प्रेरित किया गया था।

सच्ची ख्रीस्तीयता की तुलना में यह कैसा वैषम्य! प्रेरित पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। और यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे यहोवा ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो।”​—कुलुस्सियों ३:१२-१४.

रोम के मसीहियों को पौलुस ने लिखा: “बुराई के बदले किसी से बुराई न करो, जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उनकी चिन्ता किया करो। जहाँ तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। हे प्रियो अपना पलटा न लेना, परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है: ‘पलटा लेना मेरा काम है; यहोवा कहता है मैं ही बदला दूँगा।’” (रोमियों १२:१७-१९) मसीही सिद्धान्तों के अनुसार, मसीहीजगत्‌ असफल हुआ है। उसने बैर और पाखण्ड बोया और विनाश बटोरेगा।

गैर-मसीहीधर्म​—उनका इतिहास

लेकिन बड़ी बाबेलोन में मसीहीजग़त के धर्मों से अधिक धर्म हैं। इस विश्‍व के सभी मुख्य धर्म उस कुख्यात वेश्‍या का रक्‍त बहाने का दोष में भागी हैं। उदाहरणार्थ, जापान का शिन्तो धर्म दूसरे विश्‍व युद्ध में जापानी सेना द्वारा प्रदर्शित धर्मान्ध और परपीड़क मनोवृत्ति के लिए कुछ अंश तक उत्तरदायी ठहरता है। इतिहासकार पॉल जॉन्सन समझता है कि आचरण के यूरोपियन स्तर द्वारा शासित “एक सख्त, प्रतियोगी दुनिया में अपने आप को पुष्ट करने के लिए” “एक राज-धर्म और एक प्रभावी नीतिशास्त्र जो शिन्तो या बुशिदो [“योद्धा का मार्ग”] के नाम से ज्ञात था,” का आविष्कार करने की आवश्‍यकता उन्होंने महसूस की। . . . नियमित सम्राट-उपासना स्थापित की गयी, विशेष रूप से सेनाओं में, और १९२० के दशक से लेकर एक राष्ट्रीय नीति-संहिता, कोकुमिन डोतोकु, सभी स्कूलों में सिखाया गया।” इसका परिणाम क्या था? १९४१ में जब जापान ने पर्ल हार्बर पर बम गिराया और इस तरह दूसरा विश्‍व युद्ध में प्रवेश किया, “शिन्तो . . . अपरिष्कृत, पुराना और अल्पसंख्यक पंथ से एक आधुनिक, सर्वसत्तात्मक राज्य का समर्थन में बदल गया, और इसलिए एक विशेष रूप से घृणास्पद व्यंग्य से, धर्म को जिसे इस युग के धर्मनिरपेक्ष डरावने कार्यों का विरोध करना था, उन्हें दोषमुक्‍त करने के लिए उपयोग किया गया।”

१९४७ में भारत के विभाजन के बारे में, जिस में धार्मिक मतभेद एक कारण था, इतिहासकार जॉन्सन कहते हैं: “कुछ ५० से ६० लाख तक लोग अपने प्राणों को लेकर हर दिशा में भाग निकले . . . मृतकों की अनुमानित संख्या उस समय १० से २० लाख के बीच में थी। और अधिक आधुनिक गणना २००,००० से ६००,००० की श्रेणी में थी।” आज भी, धार्मिक रूप से प्रेरित हत्या और अवमानना हिन्दू समाज में घटित हो रही है। बहुधा हरिजन, या बहिष्कृत लोग जिन्हें पहले अछूत कहा जाता था, अमीर जमीनदारों द्वारा आयोजित समूह हत्या के शिकार हैं।

हिन्दू धर्म भूतविद्या रिवाजों से बँधा हुआ है। (प्रकाशितवाक्य १८:२३) भारतीय लेखक सुधीर कक्कर “गूह्‍यविद्या और उसके कर्ताओं की ओर एक सामान्य हिन्दू का आकर्षण और सम्मान” के बारे में कहते हैं और आगे बताते हैं: “ज्योतिषी, निमित्तज्ञ, अतीन्द्रियदर्शी, साधु [तपस्वी “पुन्य लोग”] फकीर [भिक्षार्थियाँ जो जादूगरी के कार्य करते हैं] और अन्य ईश-मानव, गहरे रूप से सम्मानित हैं क्योंकि उनके बारे में ऐसा विचार किया गया है कि वे उच्चतर सच्चाई के साथ आन्तरिक सम्पर्क रखते हैं।”​—इन्डिया टुडे, अप्रैल ३०, १९८८.

इसके अतिरिक्‍त, हिन्दू, सिक्ख और अन्य पूर्वी धर्मों के बीच में लगातार युद्ध होते रहते हैं। इन संघर्षों के साथ, प्रत्येक धर्म बैर, कलह और हत्या का उसका अंश देता है। यह बड़ी बाबेलोन के फलन का केवल एक और पहलू है।

इसके सिवाय, युद्ध, हत्याएं और दमन का आधुनिक इतिहास यहूदी धर्म की सिफरिश में कुछ नहीं कहता। अन्य यहूदी पंथ और गैर-यहूदी धर्मों की ओर यहूदी धर्म का हसदी पंथ के सदस्यों द्वारा कभी कभी व्यक्‍त हिंसा परमेश्‍वर की दृष्टि में एक अनुशंसा बिल्कुल नहीं।

जब हम धर्म का विश्‍वव्यापी साम्राज्य के इतिहास का अध्ययन करते हैं, हम यह आसानी से देख सकते हैं कि उस सर्वोच्च न्यायी के पास बड़ी बाबेलोन के प्राणदण्ड का आधार क्यों है। “भविष्यद्वक्‍ताओं और पवित्र लोगों, और पृथ्वी पर सब घात किए हुओं का लोहू उसी में पाया गया।” (प्रकाशितवाक्य १८:२४) प्रादेशिक और विश्‍व युद्धों में झूठे धर्म का साँठ-गाँठ ने उसे परमेश्‍वर की नज़र में “पृथ्वी पर सब घात किए हुओं” के लोहू के लिए दोषी ठहराया।

बाइबल के अभ्यारोपण के अनुसार बड़ी बाबेलोन का, उसके विश्‍व शासकों के साथ का आध्यात्मिक व्यभिचार का ऐतिहासिक वृत्त, युद्धों में खून बहाने का उसका दोष, और उसका भूतविद्या रिवाजों के कारण, नाश के योग्य न्याय किया गया। इसलिए, यहोवा परमेश्‍वर ने न्यायिक रूप से निश्‍चय किया कि शैतान का झूठे धर्म का विश्‍व साम्राज्य को समाप्त करना ही है।​—प्रकाशितवाक्य १८:३, २३, २४.

झूठा धर्म का नाश कैसे होगा

एक अत्यन्त प्रतीकात्मक भाषा में प्रकाशितवाक्य की पुस्तक बड़ी बाबेलोन के विनाश का वर्णन करती है। प्रकाशितवाक्य १७:१६ में हम पढ़ते हैं: “जो दस सींग तू ने देखे, वे और पशु उस वेश्‍यों से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे, और उसका मांस दखा जाएंगे, और उसे आग में जला देंगे।” ये “दस सींग” इस विश्‍व मंच पर स्थित सभी राजनैतिक शक्‍तियों का प्रतीक है और जो संयुक्‍त राष्ट्र, “किरमिजी रंग के पशु” का समर्थन करते हैं, जो खुद शैतान की रक्‍तरंजित राजनैतिक व्यवस्था का सजीव चित्रण है।​—प्रकाशितवाक्य १६:२; १७:३।b

बाइबल भविष्यवाणी के अनुसार, संयुक्‍त राष्ट्र से संबन्धित राजनैतिक शक्‍तियाँ झूठे धर्म के विश्‍व साम्राज्य के विरुद्ध मुड़ेंगे और उसका सर्वनाश कर देंगे। सभी झूठे धर्मों पर असर होगा। कुछ राजनैतिक व्यवस्थाओं ने राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्रों में झूठे धर्म का हस्तक्षेप पर उनकी अधीरता प्रकट कर चुके हैं। कुछ समाजवादी देशों ने नास्तिकता के पक्ष में उनका स्थान लिया है और धर्म को एक वास्तविक अनस्तित्व में बदल दिया है, जैसे अल्बेनिया में, या एक आज्ञाकारी दास के रूप में, जैसे रूस और चीन में। कहीं और, राजनैतिक शासक, गरीब देशों के कुछ कैथॉलिक पुरोहितों का विमोचन धर्मविज्ञान के विरुद्ध सुस्पष्ट अप्रसन्‍नता व्यक्‍त कर रहे हैं। और दूसरे उन धर्मों का निरोध करते हैं जो जातीय मामलों में सम्बद्ध हो जाते हैं। तथाकथित उदार देशों में भी कुछ राजनीतिज्ञ, राजनीति और सामाजिक विषयों में पुरोहिती हस्तक्षेत्र से अप्रसन्‍नता हैं।

यह देखना अब बाकी है, कि कौन से और विषय राजनैतिक तत्वों को झूठे धर्म के विरुद्ध विश्‍वव्यापी रूप से कार्य करने के लिए उत्तेजित करेगा। लेकिन एक बात निश्‍चित है​—इन तत्वों द्वारा बड़ी बाबेलोन का प्राणदण्ड न केवल उनकी इच्छा होगी बल्कि परमेश्‍वर की इच्छा भी होगी। प्रकाशितवाक्य १७:१७ बताती है: “परमेश्‍वर उन के मन में यह डालेगा, कि वे उसकी मनसा पूरी करें, और जब तक परमेश्‍वर के वचन पूरे न हो लें, तब तक एक मन होकर अपना अपना राज्य पशु को दे दें।”​—यिर्मयाह ५१:१२, १३ से तुलना करें।

कोई सन्देह न कीजिए। बड़ी बाबेलोन का प्राणदण्ड केवल धार्मिक अहंकार और हस्तक्षेप की ओर राजनैतिक शत्रुता का एक अभिव्यंजन नहीं होगा। ये राजनैतिक शासक विश्‍वव्यापी झूठी उपासना के नाश के लिए परमेश्‍वर के अनभिप्रेत साधन ठहरेंगे

। जी हाँ, “उसके पाप स्वर्ग तक पहुँच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्‍वर को स्मरण आए हैं।”​—प्रकाशितवाक्य १८:५.

यहोवा ने निर्णय लिया है कि अहंकारी झूठे धर्म का घमण्ड को समाप्त करना ही है। वह भविष्यवाणी कहती है: “जितनी उसने अपनी बड़ाई की और सुख-विलास किया, उतनी उसको पीड़ा, और शोक दो, क्योंकि वह अपने मन में कहती है, ‘मैं रानी हो बैठी हूँ, विधवा नहीं, और शोक में कभी न पडूँगी।’ इस कारण एक ही दिन में उस पर विपत्तियाँ आ पड़ेंगी, अर्थात्‌, मृत्यु, और शोक, और अकाल और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी यहोवा परमेश्‍वर शक्‍तिमान है।”​—प्रकाशितवाक्य १८:७, ८; न्यू.व.

प्राणदण्ड कब?

वह “एक दिन” या शीघ्रकारी प्राणदण्ड का अल्पकालीन समय अब नज़दीक है। वास्तव में, बड़ी बाबेलोन का विनाश “परमेश्‍वर के पलटा लेने के दिन” को उद्‌घाटित करता है। (यशायाह ६१:२) इसके बाद, परमेश्‍वर का हरमगिदोन का न्यायपूर्ण यूद्ध हम पर आ जाएगा। १९१४ से लेकर विश्‍व घटनाओं का सभी प्रमाण बताते हैं कि शैतान की व्यवस्था के लिए समय समाप्त हो रहा है। इसलिए, परमेश्‍वर के राज्य का शासन पास है।​—लूका २१:३२-३६; प्रकाशितवाक्य १६:१४-१६.

बड़ी बाबेलोन के विनाश की ओर सच्चे उपासक कैसी प्रतिक्रिया दिखाएंगी? प्रकाशितवाक्य कहती है: “हे स्वर्ग, और हे पवित्र लोगो, और प्रेरितो, और भविष्यद्वक्‍ताओ, उन पर आनन्द करो क्योंकि परमेश्‍वर ने न्याय करके उससे तुम्हारा पलटा लिया है!” (प्रकाशितवाक्य १८:२०) जब यहोवा का उद्देश्‍य कार्यान्वित किया जाएगा और उसका नाम पवित्र किया जाएगा तब सार्वभौम आनन्द होगा। भविष्यवाणी कहती है: “इस के बाद मैंने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि हल्लिलूय्याह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्‍वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं, इसलिए कि उस ने उस बड़ी वेश्‍या का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उससे अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।​—प्रकाशितवाक्य १९:१, २.

बड़ी बाबेलोन के विनाश के बाद परमेश्‍वर द्वारा शैतान की व्यवस्था के बचे हुए तत्वों का प्राणदण्ड होगा, जो परमेश्‍वर के सच्चे उपासकों के लिए अनन्त आशीष सूचित करेंगे, जिन में इस पृथ्वी पर पुनरुत्थान पाकर आनेवाले कई भी होंगे। जैसे यीशु ने सभों को ऐसा वचन दिया: “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”​—यूहन्‍ना ८:३१, ३२; प्रकाशितवाक्य १९:११-२१.

सच्चे उपासक उन झूठे धार्मिक उपदेशों से मुक्‍त हो चुके हैं जो सदियों से परमेश्‍वर की निन्दा की है। प्रतिज्ञात धार्मिकता की नयी दुनिया में, वे मृत्यु के भय से स्वतंत्र होकर जिएंगे, क्योंकि, “परमेश्‍वर उनके साथ रहेगा। और वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा, और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक न विलाप न पीड़ा रहेगी, पहिली बातें जाती रहीं।” (प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) उन पहली बातों में जो गुज़र जाएंगी, बड़ी बाबेलोन, शैतान का झूठे धर्म का विश्‍व साम्राज्य, भी शामिल होगी।

[फुटनोट]

a बड़ी बाबेलोन की पहचान पर अधिक विस्तृत प्रमाण के लिए अप्रैल १, १९८९ का प्रहरीदुर्ग देखिए।

b ये और प्रकाशितवाक्य के अन्य प्रतीकों के विवरण के लिए रेवलेशन​—इट्‌स ग्रॅन्ड क्लायमॅक्स अट हॅन्ड! यह पुस्तक देखिए जो वॉच टावर बाइबल और ट्रॅक्ट सोसायटी द्वारा प्रकाशित है।

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

एक विशेष रूप से, घृणास्पद व्यंग्य से, धर्म को, जिसे इस युग के धर्म निरपेक्ष डरावने कार्यों का विरोध करना था, उन्हें दोषमुक्‍त करने के लिए उपयोग किया गया।

[पेज 4 पर तसवीरें]

वायक्लिफ और टिन्डेल बाइबल का अनुवाद करने के कारण उत्पीड़ित किए गए

[चित्र का श्रेय]

From an old engraving in the Bibliothèque Nationale

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