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  • “महिमा से पहले नम्रता होती है”

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  • “महिमा से पहले नम्रता होती है”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
w91 4/1 पेज 30-32

“महिमा से पहले नम्रता होती है”

एक नौजवान किसी मिस्री क़ैदखाने में एक झूठे आरोप पर क़ैद था। उसने बहुत अपमान सहा था, और ऐसा लगा कि क़ैद से छूटने की कोई उम्मीद न थी। फिर उसे फ़िरौन के सामने पेश होने का आदेश मिला। क़ैदखाने के रक्षक उसे जल्द से बाहर ले आए। उसने अपनी दाढ़ी की, कपड़े बदले और फिर वह राजा के सामने पेश हुआ।

एक अप्रत्याशित बात यूसुफ के लिए तैयार थी। यहोवा की मदद से यूसुफ ने फ़िरौन के दो सपनों का अर्थ सही-सही बता दिया। फ़िरौन ने कहा: “सुन, मैं तुझ को मिस्र के सारे देश के ऊपर अधिकारी ठहरा देता हूँ।” (उत्पत्ति ४१:४१) यह क्या ही अद्‌भुत अनुभव था—एक ही दिन में क़ैदखाने से राजमहल तक! यूसुफ का अनुभव इस बात का दृष्टान्त दे सकता है जिसे लिखने के लिए राजा सुलैमान बाद में प्रेरित हुआ: “वह . . . बन्दीगृह से निकलकर राजा हुआ।” उचित रूप से, सुलैमान ने दो बार लिखा: “महिमा से पहले नम्रता होती है।”—सभोपदेशक ४:१४; नीतिवचन १५:३३; १८:१२.

ताकि आप उस दैवी सत्य से लाभ प्राप्त कर सकें, अपने आप से पूछिए: अपने अपमानजनक अनुभव के दौरान यूसुफ को किस बात से ढाढ़स मिली? यहोवा के इस विश्‍वसनीय सेवक ने उस झूठे आरोप का, जिसकी वजह से उसे क़ैद हुई, किस तरह से सामना किया? यहोवा ने अपने मन में यूसुफ को किस तरह की महिमा देने का निश्‍चय किया था? इन सदियों में जिन लोगों ने विश्‍वसनीयता और साहस से उत्पीड़न और अपमान भुगता है, उनके लिए भविष्य में किस प्रकार की महिमा निश्‍चित है? सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि जब हम अपमान सह रहे होते हैं, तब किस बात से हमें एक संतुलित मनोवृत्ति बनाए रखने की मदद मिलती है?

यूसुफ ने अक़सर उन दो भविष्यसूचक सपनों पर मनन किया होगा, जिन में सूचित हुआ कि उसके भाई और उसके माता-पिता भी उसके सामने “दण्डवत” करेंगे। दरअसल, उस पहले सपने के बारे में सुनने के बाद उसके भाइयों ने कहा: “क्या सचमुच तू हमारे ऊपर राज्य करेगा?”—उत्पत्ति ३७:८-१०.

यूसुफ के ईर्ष्यालु भाई उसका खून करते करते रुक गए! लेकिन यहोवा के निर्देशन से, उस १७-वर्षीय लड़के को सफ़र करनेवाले व्यापारियों के हाथ बेच दिया गया, जिन्होंने, पारी से, उसे फ़िरौन के अंगरक्षक दल के प्रधान, पोतीपर, को बेच दिया।

आख़िर में, यूसुफ पोतीपर के घराने का अधिकारी बन गया। पोतीपर की पत्नी ने इस सुन्दर नौजवान का शील भंग करने की कोशिश की। फिर भी यूसुफ यहोवा के प्रति वफ़ादार रहा और वह वहाँ से भाग निकल गया। उस चालाक पत्नी ने झूठ बोलकर यूसुफ पर उसे बलात्कार करने का आरोप लगाया, और पोतीपर ने उसी पर विश्‍वास किया, इसलिए यूसुफ को क़ैदखाने में डाल दिया गया।

परन्तु, वह यहोवा के प्रति वफ़ादार ही रहा, जिन्होंने, जैसा कि पहले ही बताया गया है, यह प्रबंध किया कि वह सपनों का अर्थ बताने के लिए फ़िरौन के सामने पेश हो। उसके बाद फ़िरौन ने यूसुफ को इस शानदार ख़ास अनुग्रह के लिए नियुक्‍त किया कि मिस्र के खाद्य सप्लाई को सुव्यवस्थित करें। जब अकाल कनान देश तक फैल गया, तब परिवार के लिए खाना लाने के हेतु यूसुफ के भाइयों ने सचमुच ही उसे “दण्डवत” किया।

अन्य जिन्हें ‘नम्रता से महिमा’ प्राप्ति का अनुभव हुआ

यहोवा का एक और विश्‍वसनीय सेवक, जिसके जीवन का प्रतिमान इस दैवी सत्य को साबित करता है कि “महिमा से पहले नम्रता होती है,” मूसा था। चूँकि फ़िरौन के शानदार राज-दरबार में पाला गया था, मूसा के सामने एक अत्युत्तम भविष्य था। फिर ऐसा लगा परिस्थितियों ने बुराई की ओर करवट ले ली। मूसा ने यहोवा में विश्‍वास रखकर और अपने लोगों के प्रति प्रेमपूर्ण चिन्ता महसूस करके इस क़दर कार्य किया, जिस से उसे एक नाराज़ फ़िरौन से अपनी जान बचाकर भाग जाना पड़ा। वह मिद्यान देश को बिल्कुल अकेले गया। ४० साल तक उसने अपने ससुर यित्रो की सेवा करके और एक साधारण चरवाहे की ज़िन्दगी बिताकर अपनी दीनता दिखायी। मूसा के व्यक्‍तित्व-गढ़न के ४० सालों में यहोवा के उसे विनम्र बनाने के तरीक़े पर मनन करना तथा उसके लिए अभी तक भविष्य में क्या था, इस पर विचार करना, मूसा के लिए कितना प्रोत्साहक रहा होगा!

फिर महिमा मिली। यहोवा ने मूसा को फ़िरौन के लिए एक दूत ठहराया और उसे अपने लोगों को मिस्र से बाहर ले आने के लिए नियुक्‍त किया। मूसा को क्या ही ख़ास अनुग्रह प्राप्त हुए जब वह दस महाविपत्तियों के सिलसिले में सीधे रूप से संबद्ध था और जब वह इस्राएल को लाल सागर के बीच में से ले गया! बाद में, मूसा को सीनाई पर्वत पर यहोवा से व्यवस्था मिली। जब वह नीचे आ गया, तब लोग “मूसा के मुँह पर के तेज के कारण . . . उसके मुँह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे।”—२ कुरिन्थियों ३:७.

अय्यूब पर भी ग़ौर करें, जो कि पूरबियों में सब से बड़ा था। वह “खरा और सीधा और परमेश्‍वर का भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य” था। (अय्यूब १:२, ३, ८) फिर, अचानक, उसके दस बच्चे मर गए, और उसके हज़ारों भेड़-बक़रियाँ, ऊँट, गाय-बैल और गदहियाँ या तो चुरा ली गयीं या मार दी गयीं।

यही नहीं। अय्यूब का शरीर विषालु फोड़ों से पूरी तरह से भर गया, जिसकी वजह से वह शारीरिक रूप से घृणास्पद लगता था। खुद उसकी पत्नी ने उसका उपहास किया: “क्या तुम अब भी अपनी ख़राई पर बना है? परमेश्‍वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा!” (अय्यूब २:९) अय्यूब की कड़ी परीक्षा हो रही थी और उसे अपमानित किया जा रहा था, पर वह यहोवा और परमविद्रोही शैतान के बीच हुए स्वर्गीय मुक़ाबले के विषय में पूरी तरह से अनभिज्ञ था। अय्यूब के तीन “मित्रों” के साथ हुए विचार-विमर्श से स्थिति में कोई सुधार नहीं हुई। बहरहाल, अय्यूब अपनी ख़राई पर बना रहा। उसने एलीहू से मिले बुद्धिमान सलाह को विनम्रता से स्वीकार भी किया—जो कि उम्र में उससे बहुत ही छोटा था।—अय्यूब ३२:४.

क्या अय्यूब को प्रतिफलित किया गया? हाँ। यहोवा ने अय्यूब को पुनःस्थापित किया, उसके झुण्डों की संख्या दुगुनी की और उसे सात बेटे तथा तीन बेटियाँ दीं—जो कि उस देश में सबसे सुन्दर थीं! अय्यूब की विनम्रता का यह क्या ही शानदार अन्जाम था! और यह बात कितनी सच साबित हुई कि “महिमा से पहले नम्रता होती है।”—अय्यूब ४२:१२-१५.

अलग-अलग क़िस्म की महिमा

ज़ाहिर है कि अलग-अलग क़िस्म की महिमा है—एक औरत के बालों की शान से लेकर मूसा के चेहरे के तेज तक, जब वह सीनाई पर्वत से नीचे उतर आया। (१ कुरिन्थियों ११:१५; २ कुरिन्थियों ३:७) शानदार सूर्यास्तों की वैभवशाली शान होती है, और तारों का एक अलग ही तेज होता है।—१ कुरिन्थियों १५:४१.

बाइबल में “महिमा” शब्द के अलग प्रकारों का उपयोग सैंकड़ों बार किया गया है। इन प्रसंगों तथा उनके सन्दर्भ की जाँच करने पर, यह स्पष्ट है कि यहोवा सारी महिमा के स्रोत हैं। उनके विश्‍वसनीय सेवक और सृष्टि की श्रेष्ठृकति इस महिमा को विभिन्‍न रीतियों से तथा अलग-अलग हद तक बस प्रतिबिम्बित ही तो कर सकती हैं।

हमारी २०वीं सदी में, हमारे पास स्वर्गीय जीवन की शानदार आशा रखनेवालों द्वारा सहे अपमानों का बहुत सारा प्रमाण है। पहले विश्‍व युद्ध में, ब्रुक्लिन, न्यू यॉर्क, में वॉच टावर सोसाइटी के प्रमुख सदस्यों को झूठे आरोप पर २० साल क़ैद की सज़ा सुनायी गयी। लगभग उसी समय, अनेक जगहों में उत्पीड़न का विस्फोट हुआ। मिसाल के तौर पर, जे. बी. ज़ीबेनलीस्ट को बिना वारंट के और, सड़ी मक्के की रोटी के तीन टुकड़ों को छोड़, बिना खाने के भी तीन दिन तक जेल में रखा गया। उत्तेजित भीड़ ने उसे जेल से ले जाकर, उसके कपड़े उतारे और उस पर गरम डामर लगाया, तथा एक घोड़े की चाबुक से, जिसके एक सिरे पर तार थी, उसे मारा। एक मुक़दमे में अभियोगपक्ष के अभिवक्‍ता ने कहा: “भाड़ में जाए तेरा बाइबल; तेरी तो पीठ को तोड़कर, तुम्हें नरक में फेंक देना चाहिए; तुम्हें सूली पर लटकाया जाना चाहिए।”

दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान, यहोवा के कुछेक सेवकों ने नाट्‌ज़ी नज़रबंदी शिबिरों में अत्यन्त कष्ट उठाए। एक थे मार्टिन पोएट्‌ज़िंगर, एक अभिषिक्‍त गवाह, जो कि बच गए और बाद में यहोवा के गवाहों के शासी निकाय का एक सदस्य बन गए। उसने डाख़ाउ (एक कुख़्यात नज़रबंदी शिबिर) का वर्णन “राक्षसों का पागलख़ाना,” इस तरह किया। माउटहाउसेन नज़रबंदी शिबिर में, “गेस्टापो (नाट्‌ज़ियों की गुप्त पुलिस) ने यहोवा में हमारे विश्‍वास को तुड़वाने के लिए हर तरह की कोशिश की। भूख़ा मारना, धोख़ेबाज़ दोस्ती करवाना, क्रूरता, दिन पर दिन एक चौखट में खड़ा किया जाना, एक दस-फुट लंबे खम्भे पर कलाइयों से लटकाया जाकर पीछे से मरोड़ा जाना, कोड़ों से मारा जाना—इन सभी और अन्य तरीक़ों . . . को प्रयोग में लाया गया।”

किस बात से इन विश्‍वसनीय मसीहियों को ढाढ़स मिला?

ऐसी खेदजनक और अपमानजनक परिस्थितियों में, उन्हें अन्तिम परिणाम पर रखे अपने विश्‍वास के द्वारा, जिस में ख़राई बनाए रखनेवालों के लिए एक शानदार भविष्य की प्रत्याशा शामिल है, सहन करने की मदद हुई। अभिषिक्‍त गवाहों के “छोटे झुण्ड” के लिए, यह एक स्वर्गीय आशा है। (लूका १२:३२) पृथ्वी पर एक ख़ास क़िस्म की महिमा अन्य विश्‍वसनीय मानवों के लिए निश्‍चित है। यूसुफ और मूसा के जैसे, उन में से कुछेकों का ज़िक्र इब्रानियों, अध्याय ११ में किया गया है। कृपया आयत ३२-४० पढ़ें और इन में से कुछेक विश्‍वसनीय लोगों के द्वारा सहे अपमानों पर मनन करें। इसके अतिरिक्‍त, “एक बड़ी भीड़” आज पृथ्वी पर यहोवा की सेवा कर रही है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १५) उनका भविष्य क्या है?

उनके सामने एक शानदान भविष्य है। यीशु मसीह के नियंत्रण में स्वर्गीय राज्य के पार्थिव प्रतिनिधि होंगे जो उन खर्रों में लिखे निर्देशों पर अमल करेंगे, जिनका ज़िक्र प्रकाशितवाक्य २०:१२ में किया गया है। ऐसों को शानदार विशेषाधिकार प्राप्त होंगे, राजाओं की हैसियत से नहीं, बल्कि “सारी पृथ्वी पर राजकुमारों” की हैसियत से, और उनके साथ, अनगिनत विमम्र, विश्‍वसनीय मानव और साथ ही पुनरुत्थित लोग भी, एक शानदार परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन पाएँगे।—भजन ४५:१६.

आज ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने झूठे धर्म को त्यागकर और यहोवा के गवाहों के घर-घर के प्रचार कार्य में हिस्सा लेकर अपनी विनम्रता दर्शायी है। इन में से अनेकों ने अपने परिवार सदस्यों और दोस्तों द्वारा किए उपहास को सहन किया है, लेकिन वे सच्ची उपासना पर अटल रहे हैं। उन्होंने विनम्र रूप से सुधार और अनुशासन स्वीकार किया है ताकि वे सच्चे परमेश्‍वर, यहोवा, की सेवा कर सकें। उनकी आशा एक पुनःस्थापित परादीस में जीने की है, जब “पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी, जैसे समुद्र जल से भर जाएगा।”—हबक्कुक २:१४.

ये दिन यहोवा के लोगों के परीक्षण के दिन हैं। यह तक़रीबन ऐसे हैं मानो हम किसी पराए देश में जी रहे हैं। सच्ची और झूठी उपासने के बीच का फ़ासला अधिक गहरा और बढ़ता जा रहा है। कुछ हद तक हम सभी अपमान सह लेते हैं। लेकिन जिस तरह यीशु ने अपने आगे धरे आनन्द के कारण सान्त्वना पायी और उसका बल बढ़ गया, उसी तरह हम भी आख़री अन्जाम को याद करके परीक्षाओं का सामना कर सकते हैं।

बाइबल हमें सलाह देती है: “यहोवा के सामने दीन बनो, तो वह तुम्हें उँचा करेगा।” (याकूब ४:१०, न्यू.व.) जब कभी आपको किसी कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ता है, इन शब्दों को याद करें: “महिमा से पहले विनम्रता होती है।” और यह भी याद करें कि यहोवा कभी असफल नहीं हो सकते!

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