“अधर्म के पुरुष” का परदा फ़ाश करना
“हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ, कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।”—प्रकाशितवाक्य १८:४.
१, २. (अ) अधर्म के पुरुष की पहचान किस तरह की जा सकती है? (ब) परमेश्वर उन सब का कैसे विचार करता है, जो उसकी सेवा करने का दावा तो करते हैं, पर जो हत्यारे हैं? (मत्ती ७:२१-२३)
परमेश्वर के वचन में एक “अधर्म के पुरुष” का आना पूर्वबतलाया गया। इस में यह भी पूर्वबतलाया गया कि परमेश्वर का स्वर्गीय वधिक, यीशु मसीह, अधर्मी तत्त्व को ‘मार डालता और भस्म कर देता।’ (२ थिस्सलुनीकियों २:३-८) जैसा कि पूर्ववर्ती लेखों में दिखाया गया है, वह अधर्म का पुरुष ईसाईजगत् का पादरी-वर्ग है। उन्होंने बहुत पहले ही परमेश्वर के वचन की सच्चाइयों को छोड़कर त्रियेक, नरकाग्नि, और जीव की अमरता जैसी मूर्तिपूजक शिक्षाओं को अपनाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने परमेश्वर के नियमों से विपरीत कार्य उत्पन्न किए। उन लोगों की तरह जिनके विषय में पौलुस ने तीतुस को चेतावनी दी थी, “वे सरेआम कहते हैं, कि हम परमेश्वर को जानते हैं: पर अपने कामों से उसका इनकार करते हैं, क्योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं; और किसी अच्छे काम के योग्य नहीं।”—तीतुस १:१६, न्यू.व.
२ यीशु ने कहा: “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्दर फाड़नेवाले भेड़िए हैं। उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।” झूठे भविष्यद्वक्ता “बुरा फल” उत्पन्न करते। (मत्ती ७:१५-१७, न्यू.व.) पादरी-वर्ग के बुरे फल का एक सबूत उनका घोर हत्यारापन है। सदियों से उन्होंने क्रूस युद्ध, धर्माधिकरण और युद्धों का समर्थन किया है जिन में करोड़ों का खून बहा है। उन्होंने ऐसे युद्धों में दोनों पक्षों के लिए प्रार्थना की है और उन्हें आशिष दी है, जिन में उनके अपने धर्म के सदस्यों ने एक दूसरे को जान से मार डाला है। इनसे विपरीत, प्रेरित पौलुस कह सका: “मैं सब के लोहू से निर्दोष हूँ।” (प्रेरितों के काम २०:२६) पादरी-वर्ग निर्दोष नहीं है। ऐसों को परमेश्वर घोषित करता है: “तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तौभी मैं नहीं सुनता; क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं।”—यशायाह १:१५, न्यू.व.
३. सार्वभौम महत्त्व रखनेवाली कौनसी घटनाएँ जल्द ही निकट आ रही हैं?
३ परमेश्वर को अधर्म के पुरुष पर अपना न्यायदण्ड लाने का समय जल्द निकट आ रहा है। जल्द ही, जैसा कि यीशु ने पूर्वबतलाया, “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरंभ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) वह अभूतपूर्व संकट का समय बड़ी बाबेलोन, झूठे धर्म का विश्व साम्राज्य, जिस में ईसाईजगत् के धर्म भी सम्मिलित हैं, के नाश से शुरू होगा। राजनीतिक तत्त्व “उसे लाचार और नंगी कर देंगे; और उसका माँस खा जाएँगे, और उसे आग में जला देंगे।” (प्रकाशितवाक्य १७:१६) भारी क्लेश, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई,” आरमागेडोन में शैतान की दुनिया के बाक़ी हिस्से के नाश से समाप्त होगा।—प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६; १९:११-२१.
दूसरों से प्रेम रखने के लिए बाध्य
४. “आत्मा और सच्चाई से” पिता की उपासना करनेवालों को क्या याद रखना चाहिए?
४ चूँकि ये दुनिया-हिला देनेवाली घटनाएँ इस पृथ्वी पर जल्द ही आनेवाली हैं, “पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से” करनेवालों पर कौनसी बाध्यताएँ हैं? (यूहन्ना ४:२३) पहली बात, उन्हें याद रखना चाहिए कि यीशु ने कहा: “यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ। . . . मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे। जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।”—यूहन्ना १५:१०-१४; १ यूहन्ना ५:३.
५, ६. (अ) यीशु ने अपने शिष्यों को क्या करने का आदेश दिया, जिससे उनकी पहचान होती? (ब) यह किस अर्थ से एक नयी आज्ञा थी?
५ इस प्रकार सच्चे मसीही दूसरों से प्रेम रखने के लिए बाध्य हैं, खास तौर से सभी देशों में अपने मसीही भाई-बहनों से। (प्रेरितों के काम १०:३४; गलतियों ६:१०; १ यूहन्ना ४:२०, २१) सचमुच, संगी मसीहियों को “एक दूसरे से तीव्रता से” प्रेम रखना चाहिए। (१ पतरस ४:८, न्यू.व.) एक विश्व पैमाने पर उस तरह के प्रेम से उनकी पहचान सच्चे उपासकों के तौर से होती है, इसलिए कि यीशु ने कहा: “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो, जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।”—यूहन्ना १३:३४, ३५, न्यू.व.
६ उस आज्ञा के विषय में नयी बात क्या थी? क्या मूसा के नियम में यहूदियों को यह आदेश न दिया गया कि “एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखना”? (लैव्यव्यवस्था १९:१८) हाँ, लेकिन यीशु ने कुछ और सूचित किया जब उसने कहा, “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है।” उसके प्रेम में दूसरों के लिए अपनी जान त्याग देना सम्मिलित था, और उसके शिष्यों को वैसा ही करने के लिए तैयार होना चाहिए। (यूहन्ना १५:१३) यह प्रेम का एक उच्चतर स्तर था, चूँकि ऐसा त्याग मूसा के नियम में आवश्यक न था।
७. इस सदी में कौनसे धर्म ने प्रेम की आज्ञा का पालन किया है?
७ हमारी सदी में, कौनसे धर्म ने प्रेम के इस नियम का पालन किया है? ईसाईजगत् के धर्मों ने तो ऐसा अवश्य ही नहीं किया, इसलिए कि उन्होंने दो विश्व युद्धों और अन्य लड़ाइयों में एक दूसरे को करोड़ों की संख्या में वध किया है। यह यहोवा के गवाह हैं जिन्होंने दुनिया भर में इस नियम का पालन किया है। उन्होंने राष्ट्र के युद्धों में पक्की तटस्थता बनाए रखी है, इसलिए कि यीशु ने कहा कि उसके अनुयायियों को “संसार का कोई भाग नहीं” होना चाहिए। (यूहन्ना १७:१६, न्यू.व.) इस प्रकार, वे पौलुस के जैसे कह सकते हैं, कि वे “सब के लोहू से निर्दोष” हैं। मिसाल के तौर पर, नवम्बर २७, १९२१, के रोज़, वॉशिंग्टन, डी.सी., के सम्मेलन में यहोवा के दासों द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के शुरू के हिस्सा पर ग़ौर करें:
“अपने प्रभु मसीह यीशु और उसके प्रेरितों की शिक्षाओं का मन लगाकर अनुसरण करनेवाले मसीही होने के नाते, हम मानते हैं: कि युद्ध बर्बरता का अवशेष है, सदाचार नाशक है और मसीही लोगों पर एक कलंक है; और कि प्रभु यीशु मसीह द्वारा सिखाए गए सिद्धांत समर्पित मसीहियों का युद्ध, रक्तपात या किसी भी रूप में हिंसा में भाग लेना असंभव कर देते हैं।”
८. दूसरे विश्व युद्ध में यहोवा के गवाहों के बारे में ऐतिहासिक विवरण क्या बताता है?
८ दूसरे विश्व युद्ध में उस दृष्टिकोण पर किस तरह अमल किया गया? संपूर्ण मानव इतिहास में उस सबसे भयंकर युद्ध में, लगभग ५ करोड़ लोग मारे गए। लेकिन उन में से एक भी व्यक्ति यहोवा के गवाहों के हाथों नहीं मारा गया! मसलन, लगभग संपूर्ण जर्मन पादरी-वर्ग ने नाट्ज़ीवाद का सक्रिय या अक्रिय रूप से समर्थन किया। उनके विपरीत, नाट्ज़ी शासन के अधीन यहोवा के गवाहों ने पक्की तटस्थता बनाए रखी और हिट्लर का अभिवादन करना या उसकी सेना दल का भाग होना अस्वीकार किया। इसलिए, उन्होंने दूसरे देशों में अपने आत्मिक भाइयों की, और वैसे देखा जाए तो अन्य किसी की भी, हत्या नहीं की। और बाक़ी सभी देशों में भी यहोवा के गवाह तटस्थ रहे।
९. नाट्ज़ी शासन के अधीन जर्मनी और ऑस्ट्रिया में यहोवा के गवाहों को क्या हुआ?
९ प्रेम के नियम का पालन करने में यहोवा के अनेक गवाहों ने अपने मित्रों के लिए अपनी जान क़ुर्बान की है। फ्रीडरीख़ ज़िप्फ़ेल द्वारा लिखी कर्केन्काम्फ़ इन डॉइचलैंड, (जर्मनी में चर्चों की लड़ीई) नामक किताब की एक समालोचना, गवाहों के बारे में कहती है: “इस छोटे से समूह के सत्तानबे प्रतिशत सदस्य राष्ट्रीय समाजवादी (नाट्ज़ी) उत्पीड़न के शिकार बन गए। उनका एक तिहाई हिस्सा या तो प्राणदण्ड, अन्य हिंसक कृत्य, भूख या ग़ुलाम-मज़दूरी से मारा गया। इस तरह का दमन बिना पूर्वोदाहरण था और यह उस अटल विश्वास का नतीजा था जिसे राष्ट्रीय समाजवादी विचारधारा से संगत नहीं किया जा सकता था।” ऑस्ट्रिया में, यहोवा के गवाहों के २५ प्रतिशत लोग प्राणदण्डित किए गए, उन्हें पीट-पीटकर मार दिया गया, या वे नाट्ज़ी कैंपों में रोग या अत्यंत थकावट से मर गए।
१०. प्रेम के नियम का पालन करने की वजह से मरनेवाले लोगों को किस बात का यक़ीन था?
१० जो लोग प्रेम के नियम का पालन करने की वजह से शहीद हुए, उन्हें पूरा यक़ीन था कि “परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि [उनके] काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो [उन्होंने] उसके नाम के लिए . . . दिखाया।” (इब्रानियों ६:१०) वे जानते थे कि “संसार और उस की अभिलाषाएँ दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (१ यूहन्ना २:१७) उनको पक्की आशा थी कि उन्हें पुनरुत्थित किया जाता ताकि वे अनन्त जीवन पा सके।—यूहन्ना ५:२८, २९; प्रेरितों के काम २४:१५.
११. यहोवा के दास किस रीति से बेजोड़ हैं, और उन में कौनसी भविष्यद्वाणी पूरी हो रही है?
११ यहोवा के दास इस नियम का पालन करने में बेजोड़ हैं, जो पतरस और अन्य प्रेरितों ने एक उच्च न्यायालय को बताया: “हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर, परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही है।” (प्रेरितों के काम ५:२९, न्यू.व.) चूँकि यहोवा के गवाह ऐसा करते हैं, उन्हें “पवित्र आत्मा” का समर्थन मिलता है, “जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उसकी आज्ञा मानते हैं।” (प्रेरितों के काम ५:३२) यह वही शक्ति है जिस से वे यशायाह २:२-४ पूरा कर सकते हैं। इस में पूर्वबतलाया गया कि हमारे समय में सच्ची उपासना पुनःस्थापित होगी और कि सभी देशों और धर्मों से लोग उसकी ओर प्रचुर मात्रा में आने लगेंगे। उसका एक नतीजा यह होगा: “उन्हें अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाने पड़ेंगे। तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” (न्यू.व.) चूँकि यहोवा के दास एक शांतिमय नयी दुनिया में जीवन के लिए तैयारी कर रहे हैं, वे अब और युद्ध की विद्या नहीं सीखेंगे। वे प्रेम का नियम सीखते हैं।—यूहन्ना १३:३४, ३५.
१२. प्रेम के नियम का पालन करनेवालों को दूसरों के लिए क्या करना चाहिए?
१२ चूँकि मसीही प्रेम में ‘अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना’ सम्मिलित है, परमेश्वर के दास उस ज्ञान के बारे में स्वार्थी नहीं हो सकते, जो उनके पास है। (मत्ती २२:३९) ऐसे और भी कई लोग हैं जो परमेश्वर की सेवा करना और उसकी नयी दुनिया में जीना चाहेंगे। अब जबकि समय बाक़ी है, इन्हें भी प्रेम के नियम और विश्व सम्राट्, यहोवा परमेश्वर, से संबंधित कई और सच्चाइयाँ सीखना ज़रूरी है। उन्हें सिखाया जाना चाहिए कि सिर्फ़ यहोवा ही हमारी उपासना के क़ाबिल है और कि वह उपासना किस तरह की जानी चाहिए। (मत्ती ४:१०; प्रकाशितवाक्य ४:११) जिन लोगों ने पहले ही ये सब बातें सीखी हैं, उन पर बाध्यता है कि वे उनके बारे में दूसरों को बताएँ ताकि वे भी यहोवा की कृपा के पात्र बनें।—यहेजकेल ३३:७-९, १४-१६.
अधर्म के पुरुष का परदा फ़ाश करना
१३. गवाही देने के हमारे सार्वभौम कार्य के एक भाग के तौर से, हमें क्या अवश्य सुनाना चाहिए, और क्यों?
१३ यीशु ने कहा कि “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) गवाही देने के इस सार्वभौम कार्य के एक भाग के तौर से, परमेश्वर के दास झूठे धर्म, खास तौर से ईसाईजगत् के पादरी-वर्ग, के विरुद्ध उसके न्यायदण्ड सुनाने के लिए बाध्य हैं। ये परमेश्वर की दृष्टि में अधिक निन्द्य हैं क्योंकि वे मसीही होने का दावा करते हैं। उनका परदा फ़ाश अवश्य होना चाहिए ताकि जो लोग परमेश्वर की सेवा करना चाहते हैं, वे उनके प्रभाव से छुड़ाए जा सकते हैं और बचाव के लिए उचित क़दम उठा सकते हैं। जैसा कि यीशु ने कहा: “सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”—यूहन्ना ८:३२.
१४. झूठे धर्म के बारे में कौनसा स्पष्ट संदेश अवश्य घोषित होना चाहिए?
१४ इस प्रकार, यहोवा के गवाहों को झूठे धर्म के बारे में यह प्रेरित संदेश अवश्य सुनाना चाहिए: “हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े। क्योंकि उसके पाप स्वर्ग तक पहुँच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्वर को स्मरण आए है। . . . एक ही दिन में उस पर विपत्तियाँ आ पड़ेंगी, अर्थात् मृत्यु, और शोक, और अकाल; और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी यहोवा परमेश्वर शक्तिमान है।”—प्रकाशितवाक्य १८:४-८, न्यू.व.
१५. यहोवा की समय-सारिणी में सन् १९१४ का क्या हिस्सा था, और पहले विश्व युद्ध के बाद क्या घटित हुआ?
१५ बाइबल भविष्यद्वाणियाँ दिखाती हैं कि १९१४ के निर्णायक वर्ष में इस रीति-व्यवस्था के ‘अन्तिम दिन’ शुरू हुए। (२ तीमुथियुस ३:१-५, १३; मत्ती २४:३-१३) उस वर्ष से हम “अन्त समय” में जी रहे हैं। (दानिय्येल १२:४) यहोवा की समय-सारिणी के अनुसार, पहले विश्व युद्ध के फ़ौरन बाद उसके दास परमेश्वर के राज्य की उनकी घोषणा उत्साह से बढ़ाने लगे, जैसा कि मत्ती २४:१४ में पूर्वबतलाया गया था। वे झूठे धर्म, विशेष रूप से धर्मत्यागी ईसाईजगत् के अधर्मी पादरी-वर्ग, का भी अधिक प्रभावशाली रूप से परदा फ़ाश करने लगे।
१६. ७० से ज़्यादा वर्षों से अधर्म के पुरुष को परदा फ़ाश करने का कार्य और भी प्रभावशाली कैसे हुआ है?
१६ अब ७० से ज़्यादा वर्षों से, परमेश्वर के दासों ने और भी अधिक प्रभावकारिता से अधर्म के पुरुष की भ्रामक क्रियाकलाप के बारे में लागों को सचेत किया है। पहले विश्व युद्ध के बाद सिर्फ़ कुछ ही हज़ार गवाह यह कार्य कर रहे थे। लेकिन अब वे ३५ लाख से ज़्यादा सक्रिय सेवकों की “एक सामर्थी जाति” बन गए हैं जो पूरी दुनिया में ६०,००० से ज़्यादा मण्डलियों में संघटित किए गए हैं। (यशायाह ६०:२२) एक बढ़ते हुए पैमाने पर, परमेश्वर के दास उत्साह से परमेश्वर के राज्य की घोषणा कर रहे हैं कि यह मानवजाति के लिए एकमात्र आशा है और, उसी समय, वे पादरी-वर्ग का परदा फ़ाश कर रहे हैं कि उनका असली रूप क्या है—एक कपटपूर्ण अधर्म का पुरुष।
इतना प्रभावशाली क्यों?
१७. यहोवा के दासों ने अधर्म के पुरुष का क्यों इतने प्रभावशाली रीति से परदा फ़ाश किया है?
१७ यहोवा के दासों ने इतने वर्षों से अधर्म के पुरुष का परदा फ़ाश इतने प्रभावशाली रूप से क्यों किया है? इसलिए कि शैतान की दुनिया और उसके झूठे धर्म से, उद्धार के मार्ग पर पहले ही चलनेवाली यहोवा की भेड़ों की बड़ी भीड़ के लाखों लोगों को सुरक्षित रखना है। (यूहन्ना १०:१६; प्रकाशितवाक्य ७:९-१४) इसके अतिरिक्त, जब तक कि पादरी-वर्ग का परदा फ़ाश नहीं किया जाता, तब तक जो सच्चे दिलवाले अभी तक परमेश्वर के झुण्ड का भाग नहीं, वे नहीं जानेंगे कि किस तरह ग़लत मार्ग से दूर रहें। इसलिए उन्हें अवश्य अवगत कराना है, उसी तरह जैसे यीशु ने लोगों को अवगत किया, जब उसने अपने समय के पाखण्डी धार्मिक अगुओं के बारे में चेतावनी दी: “वे अन्धे मार्ग दिखानेवाले हैं: और अन्धा यदि अन्धे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड़हे में गिर पड़ेंगे।”—मत्ती १५:१४; २ कुरिन्थियों ४:४; ११:१३-१५ भी देखें।
१८. सच्चाई ढूँढ़नेवालों को क्या पता लगना चाहिए?
१८ पादरी-वर्ग शैतान की दुनिया का एक हिस्सा है। (यूहन्ना ८:४४) पर यह एक ऐसी दुनिया है जिसका परमेश्वर जल्द ही नाश करेगा। (२ पतरस ३:११-१३; १ यूहन्ना २:१५-१७) इसलिए परमेश्वर का वचन चेतावनी देता है: “सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।” (याकूब ४:४) पादरी-वर्ग उस चेतावनी की उपेक्षा करते हैं और राजनीतिक मामलों में दख़लन्दाज़ी करते रहते हैं। वे अपने अनुयायियों को बताते हैं कि नेताओं की कोशिशों के ज़रिए एक बेहतर दुनिया उत्पन्न होगी। लेकिन वह एक झूठी आशा है, चूँकि शैतान के अधिकार में यह दुनिया खत्म होनेवाली है। तो जो लोग कोई आशा के लिए इस दुनिया पर निर्भर रहते हैं, उन्हें धोखा हो रहा है। उन्हें सच्चाई बता देना ज़रूरी है कि यह दुनिया किस ओर बढ़ रही है और क्या घटित होनेवाला है।—नीतिवचन १४:१२; १९:२१; मत्ती ६:९, १०; प्रकाशितवाक्य २१:४, ५.
१९. हाल में कुछेक पादरियों की सांसारिकता जनसंचार माध्यम में किस तरह परदा फ़ाश हुई है?
१९ हाल में कुछ पादरियों की सांसारिकता जनसंचार माध्यम में भी परदा फ़ाश हुई है, जैसा कि कुछेक टी.वी. पादरियों की विषयी और सुख-विलासी जीवन-शैलियाँ। एक आधुनिक गीतकार ने एक गीत लिखा, जिसका शीर्षक है: “क्या यीशु अपने टी.वी. कार्यक्रम में एक [$१०,००० की] रोलेक्स [घड़ी] पहनकर आता?” उस गीत में आगे लिखा है: “यदि यीशु वापस पृथ्वी पर आता, तो क्या उसकी राजनीतिक प्रवृत्तियाँ होती, क्या उसका दूसरा घर [ठाठदार] पाम स्प्रिंग्स [कॅलिफोर्निया के एक इलाका] में होता और क्या वह अपनी संपत्ति छिपाने की कोशिश करता?” इसके अतिरिक्त, अधिकाधिक पादरी समलिंगकामुकता का अभ्यास या उसकी अनदेखी करते हैं। आज भी, अमरीका का कैथोलिक चर्च हरजाने के रूप में लाखों डॉलर उन पादरियों की वजह से दे रहा है जो बच्चों के साथ लैंगिक दुराचार करने के दोषी हैं।—रोमियों १:२४-२७; १ कुरिन्थियों ६:९, १०.
२०. परमेश्वर के दासों को अधर्म के पुरुष का परदा फ़ाश क्यों करते रहना चाहिए?
२० ऐसे पापाचार की अनदेखी परमेश्वर के दास नहीं कर सकते, परन्तु दूसरों के फ़ायदे के लिए इसका परदा फ़ाश अवश्य होना चाहिए। अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ को उन लोगों से सुरक्षित रखना ही है जो उनसे परमेश्वर के नियम तुड़वाने की कोशिश करते हैं। और जो लोग ‘उस में किए जानेवाले सब घृणित कामों के कारण आह भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं,’ उन्हें खोज निकालकर महान् चरवाहा, यहोवा परमेश्वर, तथा “उत्तम चरवाहा,” यीशु मसीह, की संरक्षणात्मक अगुआई में एकत्रित करना ज़रूरी है।—यहेजकेल ९:४, न्यू.व.; यूहन्ना १०:११, न्यू.व.; नीतिवचन १८:१०.
२१. यहोवा के गवाह क्या घोषित करते रहेंगे?
२१ इसलिए, परमेश्वर के लोग शैतान की संपूर्ण दुनिया के विरुद्ध, जिस में उसका अधर्म का पुरुष, ईसाईजगत् का पादरी-वर्ग सम्मिलित है, परमेश्वर के बदले की घोषणा करने से नहीं हिचकिचाएँगे। वे प्रकाशितवाक्य १४:७ में स्वर्गदूत का संदेश पूरे बल से घोषित करेंगे: “परमेश्वर से डरो; और उसकी महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है।” और वे इस घोषणा में झूठे धर्म से संबंधित प्रकाशितवाक्य १८:४ की अत्यावश्यक चेतावनी सम्मिलित करेंगे: “हे मेरे लोगों, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।”
समीक्षा के लिए प्रश्न:
◻ अधर्म के पुरुष का भाग्य क्या होनेवाला है, और क्यों?
◻ दूसरों के संबंध में यहोवा के दासों पर कौनसी बाध्यता है?
◻ यहोवा के लोग सब मनुष्यों के लहू से किस तरह निर्दोष रहे हैं?
◻ बड़ी बाबेलोन के संबंध में हमें क्या करना चाहिए?
◻ अधर्म के पुरुष के संबंध में हम अपना प्रभावशाली संदेश क्यों जारी रखेंगे?
[पेज 25 पर तसवीरें]
प्रेरितों ने एक उच्च न्यायालय को बताया: “हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर, परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही है”
[पेज 26 पर तसवीरें]
सच्चे दिलवालों को यह जानना ज़रूरी है कि यह दुनिया और उसके धर्म किस ओर बढ़ रहे हैं