मसीह ने अधर्म से बैर रखा —क्या आप रखते हैं?
“तू ने धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; इस कारण परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्षरूपी तेल से तुझे अभिषेक किया।”—इब्रानियों १:९.
१. धर्म से प्रेम रखने के अलावा, यहोवा परमेश्वर के सभी सच्चे सेवकों से और किस चीज़ की माँग है?
यहोवा के सच्चे सेवक उसे अपने सारे मन, प्राण, बुद्धि, और शक्ति से प्रेम करते हैं। (मरकुस १२:३०) वे खराई रखने के द्वारा यहोवा का मन आनन्दित करना चाहते हैं। (नीतिवचन २७:११) वैसा करने के लिये उन्हें केवल धर्म से ही प्रेम नहीं बल्कि अधर्म से बैर भी रखना है। उनके आदर्श, यीशु मसीह, ने निश्चित ही रखा। उसके विषय में कहा गया था: “तू ने धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा।”—इब्रानियों १:९.
२. अधर्म में क्या सम्मिलित है?
२ अधर्म क्या है? यह पाप है, जैसा कि प्रेरित यूहन्ना ने दिखाया जब उसने लिखा: “जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; और पाप तो व्यवस्था का विरोध है।” (१ यूहन्ना ३:४) एक अधर्मी व्यक्ति “क़ानून के रोक या नियंत्रण में नहीं रहता है।” (वेबस्टरस् नाइन्थ न्यू कॉलेजिएट डिक्शॅनरि, Webster’s Ninth New Collegiate Dictionary) अधर्म में वह सब कुछ जो बुरा, दुष्ट, अनैतिक, भ्रष्ट, और कपट है, सम्मिलित है। संसार पर एक नज़र यह दिखाती है कि आज अधर्म चारों ओर इतना फैला हुआ है जितना पहले कभी नहीं था। इसमें कोई शक नहीं कि हम प्रेरित पौलुस द्वारा २ तीमुथियुस ३:१-५ में पूर्वबताये “कठिन समय” में जी रहे हैं। इस सब अधर्म को देखते हुए, यह कितना उत्तम है कि हमें सब बुराई से घृणा करने का निर्देश है। उदाहरण के लिये, हमें कहा गया है: “हे यहोवा के प्रेमियो, बुराई से घृणा करो।” (भजन ९७:१०) इसी प्रकार, हम पढ़ते हैं: “बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखो।”—आमोस ५:१५.
तीन प्रकार के बैर
३-५. परमेश्वर के वचन में किन तीन प्रकार से “बैर” शब्द का प्रयोग हुआ है?
३ बैर रखने का क्या अर्थ है? परमेश्वर के वचन में, “बैर” तीन अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल होता है। एक ऐसा बैर है जो दुर्भावना से प्रेरित होता है और अपने पात्र को नुकसान पहुँचाना चाहता है। मसीहियों को इस प्रकार के बैर से दूर रहना चाहिये। यह उस प्रकार का बैर है जिसने कैन को अपने धर्मी भाई हाबिल का खून करने को उकसाया। (१ यूहन्ना ३:१२) यह उस प्रकार का बैर भी है जो धार्मिक नेताओं को यीशु मसीह के प्रति था।—मत्ती २६:३, ४.
४ इसके अतिरिक्त, शास्त्रवचन में “बैर” शब्द का इस्तेमाल कम प्रेम करने के अर्थ में किया गया है। उदाहरण के लिये, यीशु ने कहा: “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़केबालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।” (लूका १४:२६) स्पष्टतया, यीशु का सिर्फ़ यह अर्थ था कि हम इन्हें उससे कम प्रेम करें। याकूब को “लिआः अप्रिय हुई,” लेकिन वास्तव में वह उसे राहेल से कम प्रेम करता था।—उत्पत्ति २९:३०, ३१.
५ फिर “बैर” शब्द का वह अर्थ है जिस से हमें यहाँ ख़ास तौर पर दिलचस्पी है। इसमें किसी इन्सान या किसी चीज़ के प्रति नापसंदगी की इतनी तेज़ भावना या सख़्त नफ़रत का विचार है कि हम उस इन्सान या चीज़ से कोई भी सम्बन्ध रखना नहीं चाहते। भजन १३९ में इसे “पूर्ण बैर” कहा गया है। वहाँ दाऊद ने कहा: “हे यहोवा, क्या मैं तेरे बैरियों से बैर न रखूं, और तेरे विरोधियों से रूठ न जाऊं? हां, मैं उन से पूर्ण बैर रखता हूं; मैं उनको अपना शत्रु समझता हूं।”—भजन १३९:२१, २२.
हमें अधर्म से बैर क्यों रखना चाहिये
६, ७. (क) सिद्धान्त के आधार पर, क्यों हमें अधर्म से बैर रखना है? (ख) अधर्म से बैर रखने का दूसरा प्रभावशाली कारण क्या है?
६ हम अधर्म से बैर क्यों रखें? एक कारण यह है कि हमारे पास आत्मसम्मान और अच्छा विवेक रहे। केवल इसी तरह हम अपने धर्मी, प्रेममय स्वर्गीय पिता, यहोवा के साथ अच्छा सम्बन्ध रख सकते हैं। भजन २६ पढ़कर देखा जा सकता है कि दाऊद ने इस सम्बन्ध में उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिये, उसने कहा: “मैं कुकर्मियों की संगति से घृणा रखता हूं, और दुष्टों के संग न बैठूंगा।” (भजन २६:५) परमेश्वर और धार्मिकता के प्रति हमारे प्रेम को हमें उस सब कुछ से जो उसके दृष्टिकोण से अधर्म है, जिसमें यहोवा की आज्ञा न मानने वालों और उससे घृणा करने वालों के अधर्मी काम सम्मिलित हैं, धर्मी क्रोध—हाँ, घृणा करने के लिये प्रेरित करना चाहिये। इसके अलावा, हमें अधर्म से बैर रखना चाहिये क्योंकि इससे परमेश्वर के नाम पर कलंक लगता है।
७ दूसरा कारण जिसकी वजह से यहोवा के लोगों को अधर्म से बैर रखना चाहिये यह है कि यह बहुत ख़तरनाक और हानिकर है। शरीर के लिये बोने का, जिसका अर्थ अधर्म बोना है, क्या परिणाम होगा? पौलुस ने चेतावनी दी: “धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।” (गलतियों ६:७, ८) इसलिये हमें अधर्म के साथ कोई भी नाता रखने की चाहत नहीं होनी चाहिये। सचमुच, हमें स्वयं अपने कल्याण और मन की शांति के लिये सारे अधर्म से बैर रखने की ज़रूरत है।
जो अधर्म से बैर रखते हैं
८. अधर्म से बैर रखने में सबसे बेहतरीन उदाहरण किसने प्रस्तुत किया, ऐसा कौन से शास्त्रवचन दिखाते हैं?
८ अधर्म से बैर रखने में, परमेश्वर सब बुद्धिमान प्राणियों के लिये सबसे बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। वह अधर्म पर धर्मी क्रोध करता है, और उसका वचन कहता है: “छः वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है: अर्थात् घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहानेवाले हाथ, अनर्थ कल्पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पांव, झूठ बोलनेवाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करनेवाला मनुष्य।” हम यह भी पढ़ते हैं: “यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अहंकार और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं।” (नीतिवचन ६:१६-१९; ८:१३) इसके अलावा, हमें कहा गया है: “मैं यहोवा न्याय से प्रीति रखता हूं, मैं अन्याय और डकैती से घृणा करता हूं।”—यशायाह ६१:८.
९, १०. यीशु ने किस प्रकार दिखाया कि वह अधर्म से बैर रखता था?
९ यीशु मसीह ने अधर्म से बैर रखने में अपने पिता की नक़ल की। इसलिए, हम पढ़ते हैं: “तू ने धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; इस कारण परमेश्वर तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्षरूपी तेल से तुझे अभिषेक किया।” (इब्रानियों १:९) यीशु ने हमारे लिये इस प्रकार के बैर का उदाहरण प्रस्तुत किया। उसने अधर्म के प्रति अपने बैर को झूठे धार्मिक नेताओं का पर्दाफ़ाश करने के द्वारा दिखाया, जो जानबूझकर इसके अनुसार चलते थे। बार-बार उसने उन्हें कपटी कहकर उनकी निन्दा की। (मत्ती, अध्याय २३) एक दूसरे अवसर पर यीशु ने उन से कहा: “तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो।” (यूहन्ना ८:४४) यीशु ने अधर्म के प्रति अपने बैर को इस हद तक भी दिखाया कि दो अवसरों पर शारीरिक बल का प्रयोग करके मंदिर को लालची धार्मिक कपटियों से साफ़ किया।—मत्ती २१:१२, १३; यूहन्ना २:१३-१७.
१० यीशु ने अधर्म और पाप के प्रति अपने बैर को अधर्म और पाप से बिलकुल दूर रहकर भी दिखाया। इसलिये, वह अपने विरोधियों से भली-भांति पूछ सकता था: “तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है?” (यूहन्ना ८:४६) यीशु “पवित्र, और निष्कपट और निर्मल, और पापियों से अलग” था। (इब्रानियों ७:२६) इस बात की पुष्टि करते हुए, पतरस ने यीशु के विषय में लिखा: “न तो उस ने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली।”—१ पतरस २:२२.
११. अधर्म से बैर रखने वाले अपरिपूर्ण मनुष्यों के हमारे पास कौनसे धर्मशास्त्रीय उदाहरण हैं?
११ लेकिन, यीशु परिपूर्ण आदमी था। क्या हमारे पास अपरिपूर्ण मनुष्यों के धर्मशास्त्रीय उदाहरण हैं जिन्होंने वास्तव में अधर्म से बैर रखा? अवश्य ही हमारे पास हैं! उदाहरण के लिये, मूसा और उसके संगी लेवियों ने यहोवा के निर्देश पर लगभग ३,००० मूर्तिपूजकों का घात करके मूर्तिपूजा के प्रति बड़ा बैर दिखाया। (निर्गमन ३२:२७, २८) पीनहास ने अधर्म के प्रति बड़ा बैर दिखाया जब उसने दो व्यभिचारियों की बरछी से हत्या कर दी।—गिनती २५:७, ८.
अधर्म के प्रति बैर अभिव्यक्त करना
१२. (क) अधर्म के प्रति अपने बैर को हम किस प्रकार दिखा सकते हैं? (ख) अधर्मी विचारों से दूर रहने के कुछ व्यावहारिक तरीक़े क्या हैं?
१२ हमारे समय में, हम अधर्म के प्रति अपने बैर को किस प्रकार दिखा सकते हैं? अपने विचारों, शब्दों, और कामों पर नियन्त्रण रखने के द्वारा। जब हमारा मन किसी निश्चित काम में न लगा हो तो उस समय ऐसी चीजों के बारे में सोचने की आदत डालनी चाहिये जो हमारी उन्नति के लिये हैं। यदि किसी रात हमें नींद नहीं आती है, तो शिकायतों पर विचार करते रहने या यौन-स्वप्नचित्र में मग्न होने जैसे नकारात्मक विचारों के विषय में सोचने की प्रवृति हो सकती है। ऐसी चीज़ों को कभी जगह न दीजिये, बल्कि फ़ायदेमंद विचारों में व्यस्त होने की आदत डालिये। उदाहरण के लिये, शास्त्रवचनों, आनन्द के नौ कारणों, और आत्मा के नौ फलों को याद करने की कोशिश कीजिये। (मत्ती ५:३-१२; गलतियों ५:२२, २३) क्या आप १२ प्रेरितों के नाम बता सकते हैं? क्या आप दस हुक़्म जानते हैं? प्रकाशितवाक्य में सम्बोधित सात कलीसियाएँ कौनसी हैं? राज्य गीतों को याद करना भी हमें सच्ची, आदरणीय, उचित, पवित्र, सुहावनी, मनभावनी, सद्गुण और प्रशंसा की बातों के विषय में सोचते रहने में मदद करता है।—फिलिप्पियों ४:८.
१३. अधर्म से बैर रखना हमें किस प्रकार की बोली से बैर रखने के लिये प्रेरित करेगा?
१३ इसके अलावा, हम गंदी बोली से दूर रहकर यह दिखाते हैं कि हम अधर्म से बैर रखते हैं। बहुत से दुनियावी लोग गंदे चुटकुले सुनाने और सुनने मे मज़ा लेते हैं, लेकिन मसीहियों का रुझान इन्हें सुनने तक के लिये भी नहीं होना चाहिये। इसके बजाय, हमें वहाँ से चले जाना चाहिये और ऐसी बातचीत में कोई हिस्सा नहीं लेना चाहिये जो इस स्तर तक गिर जाती है। यदि वहाँ से चले जाने में असमर्थ हैं, तो कम से कम अपने चेहरे के भावों से हम दिखा सकते हैं कि हम ऐसी बातों से नफ़रत करते हैं। हमें इस उत्तम सलाह को मानने की ज़रूरत है: “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुननेवालों पर अनुग्रह हो।” (इफिसियों ४:२९) जो बातें गंदी हैं उसे बोलने या सुनने के द्वारा हमें अपने आपको दूषित नहीं करना चाहिये।
१४. अधर्म से बैर व्यापारिक धंधों और नौकरी के सम्बन्ध में क्या बचाव प्रदान करेगा?
१४ अधर्म के प्रति हमारा बैर सभी पापमय अभ्यासों के विरुद्ध भी निर्दिष्ट होना चाहिये। अधर्म से बैर रखने से, हमें इस सम्बन्ध में समझौता करने के फंदे से बचे रहने में मदद मिलेगी। सच्चे मसीही पाप का अभ्यास नहीं करते। (१ यूहन्ना ५:१८ से तुलना करें.) उदाहरण के लिये, हमें सभी बेईमान व्यापारिक धंधों से बैर रखना चाहिये। आज, बहुत से यहोवा के गवाहों पर यह दबाव डाला गया है कि वे अपने मालिकों के लिये बेईमान काम करें, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया है। ऐसा कोई काम करने के बजाय जो उनके बाइबल-प्रशिक्षित विवेक को भंग करता है, मसीही अपनी नौकरियों तक को छोड़ने के लिये राज़ी रहे हैं। इसके अलावा, यातायात के नियमों को न तोड़ने के द्वारा, और जब हमें कर या सीमाशुल्क देना ज़रूरी है तब बेईमानी न करने के द्वारा भी हम अधर्म के प्रति अपना बैर दिखाना चाहते हैं।—प्रेरितों २३:१; इब्रानियों १३:१८.
लैंगिक अस्वच्छता से बैर रखना
१५. मनुष्यों को संभोग की प्रबल कामना के साथ सृष्ट करने से क्या बढ़िया मक़सद पूरे हुए?
१५ मसीही होने के नाते, हमें ख़ासकर लैंगिक बातों से सम्बन्धित सारी अस्वच्छता से बैर रखना है। मानवजाति को संभोग की प्रबल कामना के साथ सृष्ट करके परमेश्वर ने दो बढ़िया मक़सद पूरे किये। उसने यह निश्चित कर दिया कि मानवजाति समाप्त नहीं हो जाएगी, और उसने आनन्द के लिये सबसे प्रेममय प्रबन्ध भी किया। वे लोग भी जो ग़रीब, अनपढ़, या किसी और तरीक़े से नुकसान में हैं, वैवाहिक सम्बन्ध में बहुत आनन्द पा सकते हैं। फिर भी, यहोवा ने कुछ सीमा निश्चित की है जिसके अन्दर इस सम्बन्ध का आनन्द लिया जा सकता है। ईश्वर द्वारा दी गयी इन सीमाओं का आदर किया जाना चाहिये।—उत्पत्ति २:२४; इब्रानियों १३:४.
१६. लैंगिक रूप से अस्वच्छ मनोरंजन और अभ्यासों के प्रति हमारा रवैया कैसा होना चाहिये?
१६ यदि हम अधर्म से बैर रखते हैं, तो हम अध्यवसायी रूप से सभी गंदे लैंगिक अभ्यासों और अनैतिक मनोरंजन से दूर रहेंगे। इसलिये हम नैतिक रूप से संदिग्ध सभी पुस्तकों, पत्रिकाओं, और समाचार पत्रों से दूर रहेंगे। इसी प्रकार यदि हम अधर्म से बैर रखते हैं तो हम किसी भी अस्वच्छ दृष्य प्रस्तुतियों को नहीं देखेंगे, चाहे वे टेलिविजन पर, सिनेमा में, या फिर रंगमंच पर हों। यदि हम किसी कार्यक्रम को अनैतिक पाते हैं तो हमें तुरन्त टेलिविजन बन्द करने के लिये प्रेरित होना चाहिये या हम में सिनेमा घर छोड़ देने की हिम्मत होनी चाहिये। वैसे ही, अधर्म से बैर रखना हमें सारे ऐसे संगीत के विरुद्ध चौकस रखेगा जो अपने बोल या अपने ताल से कामवासना जगानेवाला है। हम अनैतिक बातों के बारे में ज्ञान लेने की कोशिश नहीं करेंगे वरन् ‘बुराई में तो बालक रहेंगे, परन्तु समझ में सियाने बनेंगे।’—१ कुरिन्थियों १४:२०.
१७. कुलुस्सियों ३:५ क्या सलाह देता है जो हमें नैतिक रूप से स्वच्छ रहने में मदद कर सकती है?
१७ बहुत उपयुक्त रूप से, हमें सलाह दी गयी है: “इसलिये अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना।” (कुलुस्सियों ३:५) यदि हमने नैतिक रूप से स्वच्छ रहने का ही संकल्प किया है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारी ओर से प्रभावशाली उपायों की ज़रूरत है। कुलुस्सियों ३:५ में यूनानी क्रिया के अनुवाद “मार डालो” के सम्बन्ध में, दी एक्सपॉज़िटर्स् बाइबल कॉमॅन्टरि (The Expositor’s Bible Commentary) कहती है: “यह सूचित करती है कि हमें बुरे कामों और मनोवृतियों को सिर्फ़ दबाना या नियंत्रण में ही नहीं रखना है। हमें उन्हें मिटा देना है, जीवन के पुराने तौर-तरीक़ों को पूरी तरह जड़ से उखाड़ना है। ‘पूरी तरह मार डालना’ इसकी प्रबलता को व्यक्त कर सकता है। . . . दोनों क्रिया का अर्थ और काल की प्रबलता निजी संकल्प के ज़बरदस्त, दुःखदायी कार्य को सूचित करते हैं।” इसलिये, हमें अश्लील साहित्य या चित्र से दूर रहना चाहिये जैसे कि यह कोई ख़तरनाक, संक्रामक, जान-लेवा बीमारी हो, क्योंकि यह नैतिक और आध्यात्मिक रूप से वही है। मसीह ने ऐसा ही विचार व्यक्त किया जब उसने कहा कि यदि हमारा एक हाथ, एक पैर, या एक आँख तक हमें ठोकर खिला रही है तो उससे मुक्त हो जाएं।—मरकुस ९:४३-४८.
झूठे धर्म और धर्मत्याग से बैर रखना
१८. धार्मिक अधर्म के प्रति हम अपना बैर किस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं?
१८ फिर, जैसे यीशु ने अधर्म के प्रति अपने बैर को कपटी धर्मान्धों का पर्दाफ़ाश करके भी दिखाया, वैसे ही आज यहोवा के गवाह कपटी धार्मिक अधर्म के प्रति अपना बैर दिखा रहे हैं। कैसे? बाइबल साहित्यों का वितरण करने के द्वारा, जो बड़े बाबुल का असली रूप दिखाते हैं, यानि एक धार्मिक वेश्या, जो वह वास्तव में है। यदि हम वास्तव में अधर्मी धार्मिक कपट से बैर रखते हैं, तो हम बड़े बाबुल, झूठे धर्मों के विश्व साम्राज्य का बेझिझक पर्दाफ़ाश करेंगे। ऐसा हम सरल हृदय वाले लोगों के लिये करेंगे जिन्हें उसने अंधा किया हुआ है और आध्यात्मिक बंधुआई में रखा है। जिस हद तक हम बड़े बाबुल के अधर्म से वास्तव में बैर रखते हैं, उस हद तक हम राज्य सेवा के सभी पहलुओं में उत्साहपूर्ण हिस्सा लेंगे।—मत्ती १५:१-३, ७-९; तीतुस २:१३, १४; प्रकाशितवाक्य १८:१-५.
१९. हमें धर्मत्यागियों को किस नज़रिये से देखना चाहिये, और क्यों?
१९ अधर्म से बैर रखने की बाध्यता धर्मत्यागियों की सभी गतिविधियों पर भी लागू होती है। धर्मत्यागियों के प्रति हमारा रवैया दाऊद के समान होना चाहिये, जिसने घोषित किया: “हे यहोवा, क्या मैं तेरे बैरियों से बैर न रखूं, और तेरे विरोधियों से रूठ न जाऊं? हां, मैं उन से पूर्ण बैर रखता हूं; मैं उनको अपना शत्रु समझता हूं।” (भजन १३९:२१, २२) आधुनिक-दिनों के धर्मत्यागी “पाप का पुरुष,” मसीही जगत के पादरीवर्ग के साथ मिल गये हैं। (२ थिस्सलुनीकियों २:३) यहोवा के वफ़ादार गवाह होने के नाते, हमारे और उनके दरमियान बिलकुल कोई साझेदारी नहीं है। अपरिपूर्ण होने की वजह से, अपने भाइयों के प्रति आलोचनात्मक होने की प्रवृति हमारे हृदयों में आसानी से आ सकती है। व्यक्तिगत रूप से, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के लोग अपरिपूर्ण इन्सान हैं। (मत्ती २४:४५-४७) लेकिन यह वर्ग विश्वासयोग्य और बुद्धिमान है। अपनी बात को आगे बढ़ाने के लिये धर्मत्यागी, उन भाइयों की भूलों और प्रत्यक्ष ग़लतियों पर ज़ोर देते हैं, जो अगुआई करते हैं। हमारी सुरक्षा इसी में है कि हम धर्मत्यागी प्रचार से दूर रहें, मानो यह ज़हर है, जो कि यह सचमुच है।—रोमियों १६:१७, १८.
२०, २१. अधर्म से बैर रखने के कारणों का संक्षिप्त विवरण किस प्रकार किया जा सकता है?
२० हमने देखा कि संसार अधर्म से भरा हुआ है, जो पाप का समानार्थक है। हमारे लिये यह काफ़ी नहीं कि धार्मिकता से प्रेम करें; हमें अधर्म से भी बैर रखना है। उन में से कुछ व्यक्तियों ने जो मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किये गये हैं, यह सोचा होगा कि वे धार्मिकता से प्रेम रखते थे, लेकिन उन्होंने अधर्म से पर्याप्त बैर नहीं रखा। हमने यह भी देखा कि हमें अधर्म से बैर क्यों रखना चाहिये। जब तक हम ऐसा नहीं करते, हम अच्छा विवेक और आत्मसम्मान नहीं पा सकते। इसके अलावा, अधर्म का मतलब यहोवा परमेश्वर के साथ बेवफ़ाई है। और अधर्म से हमें बहुत ही कड़ुए फल काटने पड़ते हैं—दुःख, दूषण, और मृत्यु।
२१ हमने यह भी ग़ौर किया कि हम किस प्रकार दिखाते हैं कि हम अधर्म से बैर रखते हैं। हम ऐसा किसी भी प्रकार की बेईमानी, लैंगिक अनैतिकता, या धर्मत्याग से बिलकुल कोई वास्ता न रखने के द्वारा दिखाते हैं। क्योंकि हम यहोवा के दोषनिवारण में हिस्सा लेना चाहते हैं और उसके मन को आनन्दित करने की इच्छा रखते हैं, हमें केवल धार्मिकता से प्रेम और उसकी सेवा में व्यस्त ही नहीं रहना चाहिये, बल्कि अधर्म से बैर भी रखना चाहिये, जैसा हमारे अगुआ और नायक, यीशु मसीह ने रखा।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ शास्त्रवचन “बैर” शब्द का प्रयोग कैसे करते हैं?
▫ हमारे पास अधर्म से बैर रखने के कुछ अच्छे कारण क्या हैं?
▫ अधर्म से बैर रखनेवालों के कौनसे बढ़िया उदाहरण हमारे पास हैं?
▫ अधर्म के प्रति अपने बैर को हम किस प्रकार दिखा सकते हैं?
[पेज 20, 21 पर तसवीर]
यीशु ने मंदिर को साफ़ किया क्योंकि वह अधर्म से बैर रखता था
[पेज 22 पर तसवीरें]
यदि हम अधर्म से बैर रखते हैं, तो हम लैंगिक रूप से अनैतिक मनोरंजन से दूर रहेंगे