“भलाई करने में हियाव न छोड़ो”
दूसरा थिस्सलुनीकियों से मुख्य अंश
मकिदुनियाके शहर थिस्सलुनीके के मसीहियों के लिए प्रेरित पौलुस की चिन्ता ने उसे उसकाया कि करीब ५१ सा.यु. में उन्हें अपनी दूसरी पत्री लिखे। मंडली में कुछ लोग गलत कह रहे थे कि यीशु मसीह की उपस्थिति निकट थी। शायद एक पत्र की भी जिसे गलती से पौलुस का समझा गया यह सूचित करने की व्याख्या की गई कि “यहोवा का दिन” आ गया था।—२ थिस्सलुनीकियों २:१, २.
इसलिए, कुछ थिस्सलुनीकियों के विचार को ठीक करने की जरूरत थी। अपनी दूसरी पत्री में, पौलुस ने उनके बढ़ते हुए विश्वास, बढ़ते प्रेम, और विश्वस्त धीरज के लिए उनकी प्रशंसा की। लेकिन उसने यह भी दिखाया कि यीशु की उपस्थिति से पहले धर्म-त्याग आएगा। अतः आगे कठिन समय था, और प्रेरित की पत्री उनकी सहायता करता कि उनकी चेतावनी पर ध्यान दें: “भलाई करने में हियाव न छोड़ो।” (२ थिस्सलुनीकियों ३:१३) इसी तरीके से पौलुस के शब्द हमारी सहायता कर सकते हैं।
मसीह का प्रगट होना और उपस्थिति
पौलुस ने पहले, क्लेश से छुटकारे के बारे में बताया। (१:१-१२) यह तब होता जब “प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, . . . स्वर्ग से प्रकट होगा।” तब अनन्त विनाश उनपर लाया जाएगा जो सुसमाचार को नहीं मानते हैं। जब हम सतानेवालों के हाथ क्लेश उठाते हैं तब इसे याद करना सांत्वना देता है।
आगे पौलुस ने दिखाया कि मसीह के उपस्थिति से पहले “अधर्म का पुरुष” प्रगट होगा। (२:१-१७) थिस्सलुनीकियों को किसी भी ऐसे संदेश से उत्तेजित नहीं होना था जो यह प्रस्ताव करता कि “यहोवा का दिन” आ गया था। पहले, धर्म-त्याग आता और अधर्म का पुरुष प्रगट होता। इसके बाद, यीशु उसे अपनी उपस्थिति के प्रगट होने के समय खत्म करता। इसी समय, पौलुस ने प्रार्थना की कि परमेश्वर और मसीह थिस्सलनीकियों के हृदयों को सांत्वना दें और उन्हें “हर एक अच्छे काम, और वचन में दृढ़ करे।”
अनुचित चाल वालों के साथ बरताव
पौलुस के आगे के शब्दों में अनुचित चालवाले व्यक्तियों के साथ बरताव के बारे निर्देश थे। (३:१-१८) उसने आत्म-विश्वास प्रगट किया कि प्रभु थिस्सलुनीकियों को सामर्थ देगें और उन्हें दुष्ट जन, शैतान इबलीस से सुरक्षित रखेगें। परन्तु उन्हें अपने आत्मिक लाभ के लिए कदम उठाने की जरूरत थी। उन्हें अनुचित चाल वाले लोगों से, जो औरों के काम में हाथ डाला करते हैं और काम नहीं करना चाहते दूर रहना था। “यदि कोइ काम करना न चाहे,” पौलुस ने कहा, “तो खाने भी न पाए।” ऐसे लोगों को चिन्हित कर लेना था, और उनके साथ कोई भाईचारा नहीं रखना था, यद्यपि उन्हें भाई के रूप में चिताना था। वफादार थिस्सलुनीके के मसीहियों को अच्छे काम करने से हियाव नहीं छोड़ना था, और पौलुस ने इच्छा जाहिर करी कि प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह उन सब पर होता रहे।
थिस्सलुनीकियों के नाम पौलुस की दूसरी पत्री यहोवा के गवाहों को यह आश्वासन देती है कि उनका क्लेश से छुटाकरा तब होगा जब मसीह और उसके स्वर्गदूत जो सुसमाचार को नहीं मानते हैं उनसे पलटा लेगें। यह जानना भी विश्वास को मजबूत बनाता है कि “अधर्म का पुरुष” (मसीही जगत का पादरी वर्ग) और सभी झूठे धर्म को जल्द ही खत्म किया जाएगा। इस बीच, आइये हम पौलुस की चेतावनी पर ध्यान दें कि भलाई करने में हियाव न छोड़ें।
[पेज 32 पर बक्स/तसवीरें]
यहोवा का वचन तीव्रता से आगे बढ़ता है: पौलुस ने लिखा, “हमारे लिये प्रार्थना किया करो, कि यहोवा का वचन ऐसा शीघ्र फैले [या, “दौड़े”] और महिमा पाए, जैसा वास्तव में तुम में हुआ।” (२ थिस्सलुनीकियों ३:१; किंगडम इन्टरलिनियर) कुछ विद्वानों ने सुझाव दिया है कि प्रेरित दौड़ने वालों का जिक्र करते हुए उन्हें दौड़ में तेजी से बढ़ने को कह रहा था। जबकि यह निश्चित नहीं है, पौलुस ने थिस्सलुनीके के मसीहियों से प्रार्थना के लिए विनन्ती करी कि वह और उसके संगी काम करनेवाले सत्य के वचन को शीघ्रता से बिना बाधा के फैला सकें। क्योंकि परमेश्वर ऐसी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं, उसका वचन “ऐसा शीघ्र फैले” जा रहा है जैसे जैसे इन अन्तिम दिनों में सुसमाचार का प्रचार अत्यावश्यक्ता से किया जा रहा है। यहोवा का वचन “महिमा” भी पा रहा है, विश्वासियों के द्वारा “उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ” के रूप में इसे अत्याधिक सम्मान दिया जा रहा है, जैसा यह थिस्सलुनीकियों के बीच था जिन्होंने इसे ग्रहण किया था। (रोमियों १:१६; १ थिस्सलुनीकियों २:१३) हम कितने खुश हैं कि परमेश्वर राज्य के उद्घोषकों पर आशीष दे रहे हैं और अपने उपासकों की श्रेणी को तेजी से बढ़ा रहे हैं!—यशायाह ६०:२२.