घोषणा शासी निकाय समितियों के लिए सहायता
यहोवा के गवाहों की शासी निकाय के सदस्य, जिनकी वर्तमान संख्या १२ है, अपने नियत कार्यों में वफादारी से सेवा जारी रखे हुए हैं। वे बढ़ती हुई “बड़ी भीड़” के वफादार सदस्यों के जोशीले सहयोग के लिए सदा शुक्रग़ुज़ार हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १५) दुनिया भर में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा को देखते हुए, इस समय पर यह उपयुक्त प्रतीत होता है कि शासी निकाय को कुछ अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाए। इसीलिए यह निर्णय किया गया है कि अनेक सहायकों को, जो मुख्यत: बड़ी भीड़ में से हैं, प्रत्येक शासी निकाय समितियों की सभाओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाए, अर्थात, कर्मचारीगण, प्रकाशन करनेवाली, सेवा, शिक्षण देनेवाली, और लेखन समितियाँ। इस प्रकार, प्रत्येक समितियों की सभाओं में उपस्थित होने वालों की संख्या बढकर सात या आठ हो जाएगी। शासी निकाय समिति सदस्यों के निर्देशन के अधीन, ये सहायक विचार-विमर्श में भाग लेंगे और समिति के द्वारा दिए गए विभिन्न नियत कार्यों को पूरा करेगें। यह नया इंतज़ाम मई १, १९९२ से कार्यशील होगा।
अब कई वर्षों से, अभिषिक्त गवाहों की संख्या कम हो रही है, जबकि बड़ी भीड़ की संख्या हमारी भव्य प्रत्याशाओं से अधिक बढ़ गई है। (यशायाह ६०:२२) इस अद्भुत विस्तार के लिए हम यहोवा के कितने शुक्रग़ुज़ार हैं। सन् १९३१ में जब नया नाम, यहोवा के गवाह, कृतज्ञता से स्वीकार किया गया, राज्य प्रचारकों की शिखर संख्या ३९,३७२ थी, जिन में से अधिकांश जन मसीह के अभिषिक्त भाई होने का दावा करते थे। (यशायाह ४३:१०-१२; इब्रानियों २:११) साठ साल बाद, १९९१ में, प्रचारकों का विश्वव्यापी शिखर ४२,७८,८२० था जिन में अभिषिक्त अवशेष होने का दावा करनेवाले केवल ८,८५० थे। जैसे शास्त्रों की रोशनी में पूर्वानुमान किया गया, “बड़ी भीड़” अब “छोटे झुण्ड” के अवशेष से १ के अनुपात में ४८० से अधिक है। (लूका १२:३२; प्रकाशितवाक्य ७:४-९) विस्तृत राज्य हितों की देखभाल करने में, अवशेष जन को बड़ी भीड़ का सहयोग और समर्थन की निश्चय ही आवश्यकता है और इसकी क़दर करते हैं।
जैसे प्रहरीदुर्ग के इस अंक में समझाया गया है, आज आत्मिक इस्राएल के साथ सेवा करने वाला एक समूह है जिस की तुलना नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान से की गई है जो यहूदी के अवशेष जनों के साथ बाबुल में निर्वासन से लौटे थे; उन ग़ैर-इस्राएलियों की संख्या लौटनेवाले लेवियों से भी अधिक थी। (एज्रा २:४०-५८; ८:१५-२०) आज की बड़ी भीड़ में से “अर्पण किए हुए” व्यक्ति परिपक्व मसीही पुरुष हैं जिन को शाखाओं में निरीक्षण करने का, यात्रा कार्य में, और दुनिया भर में अब स्थापित ६६,००० कलीसियाओं में देखभाल करने के परिणामस्वरूप पर्याप्त अनुभव है।
हाल ही में, संसार भर में अध्यक्षों और उनको सहायता देनेवाले सहायक सेवकों को शिक्षण देने के लिए राज्य सेवकाई स्कूल संचालित किए गए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में ही, ५९,४२० अध्यक्ष उपस्थित हुए। इस तरह से, ये “प्राचीन” अपनी जिम्मेदारियों को अधिक प्रभावशाली रूप से पूरा करने के लिए सज्जित किए गए थे।—१ पतरस ५:१-३; इफिसियों ४:८, ११ से तुलना करें.
यहोवा के गवाहों के ब्रुकलिन मुख्यालय में, कुछ “अर्पण किए हुओं” ने बहुत अधिक वर्षों से सेवा की है। इन में बड़ी भीड़ में से परिपक्व अध्यक्ष भी शामिल हैं जिन्होंने प्रचुर मात्रा में योग्यता और अनुभव प्राप्त किया है। इस तरह, शासी निकाय ने ऐसे कुछ अध्यक्षों को शासी निकाय की समितियों की सभाओं में सहयोग देने के लिए चुना है। यह ज़रूरी नहीं कि इन पुरुषों का सेवा में बहुत लम्बी रिकार्ड है। बल्कि, वे परिपक्व, अनुभवी पुरुष हैं, जिनके पास वे योग्यताएँ हैं जो उन्हें खास क्षेत्रों मे सहायता देने के लिए उपयुक्त ठहराती हैं। उनको एक समिति के साथ कार्य करने के वास्ते नियत करना विशेष पदवी नहीं देता है। जैसे यीशु ने अपने शिष्यों के विषय में कहा था, “तुम सब भाई हो।” (मत्ती २३:८) तो भी, इन पुरुषों को अधिक सौंपा जाएगा और परिणामस्वरूप इन से “अधिक माँगा जाएगा।”—लूका १२:४८.
आज हम यहोवा के संगठन के प्रगतिशील बढ़ाव से खुश होते हैं। पिछले दस वर्षों के दौरान, क्षेत्र में सेवकों की संख्या में लगभग १०० प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो महान दाऊद, यीशु मसीह के सम्बन्ध में भविष्यवाणी के अनुसार है; “उसकी शासन की बढ़ती और शान्ति का अन्त नहीं।” (यशायाह ९:७, King James Version) जिस तरह नतीन ने याजकों के साथ मिलकर यरूशलेम की शहरपनाह की मरम्मत किया, उसी तरह आज भी यहोवा के संगठन के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पूरी हो रही है: “परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को बनाएँगे।” (यशायाह ६०:१०, NW; नहेमायाह ३:२२, २६) आधुनिक समय के नतीन को उस उत्साह के लिए सराहना की जानी चाहिए जिसे वे सच्ची उपासना के निर्माण में दिखाते हैं, और “यहोवा के याजकों” को यहोवा की विश्वव्यापी संगठन में किसी भी नियत कार्य या सेवा करने में वे सहयोग देते हैं।—यशायाह ६१:५, ६.