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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
w92 9/1 पेज 14-19

मनुष्य के मछुए की तरह सेवा करना

“यीशु ने शमौन से कहा, ‘मत डर। अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।’”—लूका ५:१०.

१, २. (क) मनुष्यजाति के इतिहास में मछुवाही की क्या भूमिका रही है? (ख) तक़रीबन २,००० साल पहले किस तरह की नयी क़िस्म की मछुवाही का आरंभ किया गया?

हज़ारों साल से, दुनिया के सागरों, झीलों, और नदियों में मनुष्यजाति भोजन के लिए मछली पकड़ती आयी है। प्राचीन मिस्र में नील नदी से मछलियाँ ख़ुराक का एक अहम हिस्सा थीं। मूसा के दिनों में जब नील नदी का जल ख़ून में बदल गया, मिस्रियों को क्षति पहुँची न सिर्फ़ इसलिए कि इसका अंजाम पानी की कमी थी मगर इसलिए भी कि मछलियाँ मर गयीं, जिससे उनके भोजन संभार पर प्रभाव पड़ा। बाद में, सीनै पर्वत पर, जब यहोवा ने इस्राएल को व्यवस्था दी, उसने उन से कहा कि कुछ मछलियाँ खाई जा सकती हैं मगर अन्य मछलियाँ अशुद्ध होने के कारण खाई नहीं जा सकतीं। इस से सूचित हुआ कि इस्राएली लोग प्रतिज्ञात देश में आने पर मछली खाते, सो उन में कुछ पुरुष मछुए होते।—निर्गमन ७:२०, २१; लैव्यव्यवस्था ११:९-१२.

२ बहरहाल, तक़रीबन २,००० साल पहले, एक अलग क़िस्म की मछुवाही का परिचय मनुष्यजाति को दिया गया। यह एक आध्यात्मिक क़िस्म की मछुवाही थी जो दोनों मछुओं और मछलियों को हितकारी होती! इस क़िस्म की मछुवाही आज भी की जा रही है, जिससे दुनिया भर के करोड़ों लोगों को असीम लाभ प्राप्त होते हैं।

‘मनुष्यों को जीवता पकड़ना’

३, ४. किन दो मछुओं ने यीशु मसीह में बहुत दिलचस्पी दिखायी?

३ सा.यु. वर्ष २९ में, यीशु को, जो इस नयी क़िस्म की मछुवाही का आरंभ करता, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने यरदन नदी में बपतिस्मा दिया। कुछ हफ़्तों बाद, यूहन्‍ना ने अपने दो शिष्यों का ध्यान यीशु की तरफ़ आकर्षित करके कहा: “देखो, यह परमेश्‍वर का मेम्ना है।” इन में से एक शिष्य ने, जिसका नाम अन्द्रियास था, फ़ौरन अपने भाई शमौन पतरस से कहा: “हम को . . . मसीह मिल गया”! दिलचस्पी की बात यह है कि दोनों अन्द्रियास और शमौन का पेशा मछुवाही था।—यूहन्‍ना १:३५, ३६, ४०, ४१; मत्ती ४:१८.

४ काफ़ी समय बाद, यीशु गलील सागर के किनारे पतरस और अन्द्रियास के निवासस्थान के क़रीब, भीड़ को प्रचार कर रहा था। वह लोगों से कह रहा था: “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।” (मत्ती ४:१३, १७) हम कल्पना कर सकते हैं कि पतरस और अन्द्रियास उसके संदेश को सुनने के लिए आतुर थे। संभवतः, उन्होंने यह नहीं समझा कि यीशु उन्हें कुछ ऐसी बात कहनेवाला था जो सदा के लिए उनके जीवन को बदल देता। इसके अतिरिक्‍त, उनकी उपस्थिति में यीशु क्या कहने और करने वाला था, वह हम सब के लिए आज महत्त्वपूर्ण अर्थ रखता है।

५. कैसे मछुआ पतरस यीशु के काम आ सका?

५ हम पढ़ते हैं: “जब भीड़ उस पर गिरी पड़ती थी, और परमेश्‍वर का वचन सुनती थी, और वह गन्‍नेसरत की झील के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ कि उस ने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछुवे उन पर से उतरकर जाल धो रहे थे।” (लूका ५:१, २) तब, पेशेवर मछुए अक़सर रात के समय काम करते थे, और ये पुरुष रातभर की मछुवाही के बाद अपने जाल धो रहे थे। भीड़ को ज़्यादा प्रभावकारिता से प्रचार करने के लिए यीशु ने इन में से एक नाव को इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। “उन नावों में से एक पर जो शमौन की थी, चढ़कर, उस ने उस से बिनती की, कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले, तब वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा।”—लूका ५:३.

६, ७. यीशु ने मछुवाही से संबंधित कौनसा चमत्कार किया, जिस से मछुवाही के बारे में कौनसा कथन प्रेरित हुआ?

६ ग़ौर करें कि यीशु के मन में भीड़ को सिखाने के अलावा और कुछ था: “जब वह बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, गहिरे में ले चल, और मछलियां पकड़ने के लिये अपने जाल डालो।” याद रखें, ये मछुए सारी रात काम कर चुके थे। यह कोई आश्‍चर्य की बात नहीं कि पतरस कहता है: “हे स्वामी, हम ने सारी रात मिहनत की और कुछ न पकड़ा; तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा।” जब उन्होंने ऐसा किया तो क्या हुआ? वे “बहुत मछलियां घेर लाए, और उन के जाल फटने लगे। इस पर उन्हों ने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करो; और उन्हों ने आकर, दोनों नाव यहां तक भर लीं कि वे डूबने लगीं।”—लूका ५:४-७.

७ यीशु ने एक चमत्कार किया था। सागर के उस हिस्से से उन्हें सारी रात कुछ नहीं मिला; अब यह मछलियों से भरा हुआ था। इस चमत्कार का पतरस पर एक ज़ोरदार असर हुआ। “शमौन पतरस यीशु के पांवों पर गिरा, और कहा: ‘हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूं।’ क्योंकि इतनी मछलियों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ। और वैसे ही जब्‌दी के पुत्र याकूब और यूहन्‍ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ।” यीशु ने पतरस को शांत किया और फिर उन शब्दों को कहा जो पतरस के जीवन को बदल देते। “मत डर। अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।”—लूका ५:८-१०.

मनुष्य के मछुए

८. ‘मनुष्यों को जीवता पकड़ने’ के न्योते के प्रति चार पेशेवर मछुओं ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी?

८ इस प्रकार यीशु ने मनुष्यों की तुलना मछलियों से की, और उसने इस साधारण मछुए को अपना सांसारिक पेशा एक ज़्यादा महत्त्वपूर्ण क़िस्म की मछुवाही के लिए छोड़ने का न्योता दिया—यानी मनुष्यों को जीवता पकड़ने का न्योता। पतरस, और उसके भाई अन्द्रियास ने न्योते को स्वीकार किया। “वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।” (मत्ती ४:१८-२०) फिर यीशु ने याकूब और यूहन्‍ना को बुलाया, जो अपनी नाव में अपने जालों की मरम्मत कर रहे थे। उसने इनको भी मनुष्य के मछुए होने का न्योता दिया। उन्होंने किस तरह प्रतिक्रिया दिखायी? “वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।” (मत्ती ४:२१, २२) मनुष्यों के मछुए के तौर से अपनी कुशलता यीशु ने दिखायी। इस अवसर पर उन्होंने चार पुरुषों को जीवता पकड़ा।

९, १०. पतरस और उसके साथियों ने कैसा विश्‍वास दिखाया, और आध्यात्मिक मछुवाही में वे किस तरह प्रशिक्षित किए गए?

९ एक पेशेवर मछुआ अपनी पकड़ बेचकर गुज़ारा करता है, पर एक आध्यात्मिक मछुआ ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए, इन शिष्यों ने सब कुछ त्यागकर यीशु का अनुगमन करके बड़ी आस्था दिखायी। उनकी आध्यात्मिक मछुवाही सफ़ल होगी, इस बात पर उन्हें कोई संदेह नहीं था। यीशु अनुत्पादक पानी को आक्षरिक मछलियों से भर सका। इसी तरह, जब शिष्य अपने जालों को इस्राएली राष्ट्र के पानी में उतार देते, तब वे यक़ीन कर सकते थे कि परमेश्‍वर की मदद से वे मनुष्यों को जीवता पकड़ते। तब शुरू हुई आध्यात्मिक मछुवाही जारी है, और अब तक यहोवा समृद्ध फसल दे रहा है।

१० दो से ज़्यादा सालों तक, मनुष्यों के लिए मछुवाही कार्य में शिष्य यीशु द्वारा प्रशिक्षित किए गए। एक अवसर पर उसने उन्हें आदेश दिया और उन्हें आगे जाकर प्रचार करने के लिए भेज दिया। (मत्ती १०:१-७; लूका १०:१-११) जब यीशु को विश्‍वासघात करके मार डाला गया, शिष्यों को सदमा पहुँचा। पर क्या यीशु की मृत्यु का अर्थ मनुष्यों के लिए मछुवाही का अंत था? जल्द ही घटनाओं ने जवाब दिया।

मनुष्यजाति के सागर में मछुवाही करना

११, १२. अपने पुनरुत्थान के बाद, यीशु ने मछुवाही कार्य से संबंधित कौनसा चमत्कार किया?

११ यीशु की मृत्यु, जो यरूशलेम के बाहर हुई, और उसके पुनरुत्थान के फ़ौरन बाद, शिष्य फिर से गलील चले गए। एक अवसर पर उन में से सात जन गलील सागर के पास इकट्ठे हुए थे। पतरस ने कहा कि वह मछलियाँ पकड़ने जा रहा है, और अन्य जनों ने उसका साथ दिया। हमेशा के जैसे, उन्होंने रात के समय मछुवाही की। दरअसल, उन्होंने फिर से अपना जाल सागर में फेंका लेकिन रात भर कुछ न पकड़ा। फिर पौ फटने पर, किनारे पर खड़ा दिखायी देनेवाली एक आकृति ने पानी पर से उन्हें बुलाया: “हे बालको, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है?” चेलों ने उत्तर दिया: “नहीं।” सो किनारे पर खड़े व्यक्‍ति ने उनसे कहा: “नाव की दहिनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्हों ने जाल डाला, और अब मछलियों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके।”—यूहन्‍ना २१:५, ६.

१२ क्या ही विस्मयकारक अनुभव! शायद शिष्यों ने मछुवाही से संबंधित पहले चमत्कार को याद किया होगा, और उन में से एक शिष्य ने किनारे पर खड़ी आकृति को पहचान लिया। “उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है। शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा। परन्तु और चेले डोंगी पर मछलियों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे।”—यूहन्‍ना २१:७, ८.

१३. यीशु के स्वर्गारोहण के बाद, कौनसा अंतरराष्ट्रीय मछुवाही कार्यक्रम शुरू किया गया था?

१३ इस चमत्कार से क्या सूचित हुआ? यही कि मनुष्यों के लिए मछुवाही ख़त्म नहीं हुई थी। इस तथ्य पर तब ज़ोर दिया गया जब यीशु ने तीन बार पतरस से—और उसके ज़रिये सब शिष्यों को—यीशु की भेड़ें चराने के लिए कहा। (यूहन्‍ना २१:१५-१७) हाँ, एक आध्यात्मिक भोजन कार्यक्रम भविष्य में होनेवाला था। अपनी मृत्यु से पहले, उसने पूर्वबतलाया था: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो।” (मत्ती २४:१४) उस भविष्यवाणी की पहली-सदी की पूर्णता आरंभ होने के लिए समय अब था। उसके शिष्य मनुष्यजाति का सागर में अपने जालों को उतारने वाले थे, और जाल ऊपर खाली नहीं आते।—मत्ती २८:१९, २०.

१४. किस तरह यरूशलेम के विनाश से पहले के सालों में यीशु के अनुयायियों के मछुवाही कार्य पर आशीर्वाद दिया गया?

१४ स्वर्ग में अपने पिता के तख़्त की तरफ़ बढ़ने से पहले, यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे।” (प्रेरितों १:८) सा.यु. वर्ष ३३ के पिन्तेकुस्त पर जब पवित्र आत्मा शिष्यों पर उँडेला गया, तब आध्यात्मिक मछुवाही का महान कार्य अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर आरंभ हुआ। पिन्तेकुस्त के दिन पर ही, तीन हज़ार मनुष्य ज़िंदा पकड़े गए, और इसके तुरन्त बाद “उन की गिनती पांच हजार पुरुषों के लगभग हो गई।” (प्रेरितों २:४१; ४:४) इज़ाफ़ा जारी रहा। लिखित प्रमाण हमें बताता है: “विश्‍वास करनेवाले बहुतेरे पुरुष और स्त्रियां प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।” (प्रेरितों ५:१४) जल्द ही, सामरियों ने और इसके तुरन्त बाद ख़तनारहित अन्यजातियों ने सुसमाचार के प्रति प्रतिक्रिया दिखायी। (प्रेरितों ८:४-८; १०:२४, ४४-४८) पिन्तेकुस्त के २७ साल बाद, प्रेरित पौलुस ने कुलुस्सिया के मसीहियों को लिखा कि सुसमाचार “का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में किया गया” है। (कुलुस्सियों १:२३) स्पष्ट रूप से, यीशु के शिष्यों ने गलील के पानी से काफ़ी दूर मछुवाही की थी। रोमी साम्राज्य की चारों ओर तितर-बितर हुए यहूदियों में, और साथ ही ग़ैर-यहूदी लोगों के स्पष्ट रूप से आशाजनक न लगनेवाले सागरों में उन्होंने अपने जालों को उतारा था। और उनके जाल ऊपर खाली नहीं आए। पहली सदी के मसीहियों की आवश्‍यकताओं के लिए, मत्ती २४:१४ में दी गयी यीशु की भविष्यवाणी की पूर्णता सा.यु. वर्ष ७० में यरूशलेम का नाश से पहले हुई।

“प्रभु के दिन” में मनुष्यों के लिए मछुवाही करना

१५. प्रकाशितवाक्य के पुस्तक में, कौनसे अतिरिक्‍त मछुवाही कार्य की भविष्यवाणी की गयी, और इसे कब पूरा किया जाना था?

१५ तथापि, भविष्य में और भी कुछ होनेवाला है। पहली सदी के अंत के क़रीब, यहोवा ने एकमात्र जीवित प्रेरित, यूहन्‍ना, को “प्रभु के दिन” में घटित होनेवाली बातों का प्रकटीकरण प्रदान किया। (प्रकाशितवाक्य १:१, १०) एक बढ़िया लक्षण दुनिया भर में सुसमाचार का प्रचार होना था। हम पढ़ते हैं: “मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।” (प्रकाशितवाक्य १४:६) देवदूतों के निर्देशन में परमेश्‍वर के सेवक न सिर्फ़ रोमी साम्राज्य की चारों ओर बल्कि अक्षरशः सारी बसी हुई पृथ्वी में सुसचमाचार का प्रचार करेंगे। मनुष्यों के लिए विश्‍वव्यापी मछुवाही कार्य प्रारंभ किया जानेवाला था, और उस दर्शन की पूर्णता हमारे दिनों में हुई है।

१६, १७. मौजूदा आध्यात्मिक मछुवाही कार्य की शुरुआत कब हुई, और कैसे यहोवा ने इस पर आशीर्वाद दी है?

१६ इस २०वीं सदी में मछुवाही कैसे हो रही है? पहले तो मछुए सापेक्षिक रूप से कम थे। प्रथम विश्‍व युद्ध की समाप्ति के बाद, सुसमाचार के सिर्फ़ तक़रीबन चार हज़ार सक्रिय प्रचारक थे, उत्साही पुरुष और स्त्री जो ज़्यादातर अभिषिक्‍त वर्ग के थे। जहाँ कहीं यहोवा ने मार्ग खोला, वहाँ उन्होंने अपने जालों को फेंका और अनेक मनुष्य जीवित पकड़े गए। द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद, यहोवा ने मछुवाही के लिए नए पानी खोल दिए। वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड में उपस्थित मिशनरियों ने अनेक देशों में कार्य की अगुवाई की। जापान, इटली, और स्पेन, जैसे देशों से, जो पहले काफ़ी निष्फल लगे होंगे, आख़िरकार मनुष्यों की प्रचुर फ़सल पैदा हुई। हम ने हाल में भी जान लिया कि कैसे पूर्वी यूरोप में मछुवाही कार्य सफ़ल रहा है।

१७ आज, अनेक देशों में जाल फटने पर हैं। मनुष्यों की महान फ़सल से नई कलीसियाएँ और सर्किटों का आयोजन ज़रूरी हुआ है। इनके वास्ते जगह बनाने के लिए, हर समय नए किंग्डम हॉल और असेम्बली हॉल बाँधे जा रहे हैं। वृद्धि को सँभालने के लिए और भी ज़्यादा प्राचीनों और सहायक सेवकों की ज़रूरत है। १९१९ में उन विश्‍वासी व्यक्‍तियों द्वारा एक शक्‍तिमान कार्य शुरू किया गया था। एक आक्षरिक रूप में, यशायाह ६०:२२ पूरा हुआ है। ‘छोटे से छोटा एक हजार हुआ है,’ उसी तरह जैसे वे चार हज़ार मछुए आज चालीस लाख से भी ज़्यादा हुए हैं। और अंत अब तक हुआ नहीं है।

१८. पहली सदी के मनुष्यों के आध्यात्मिक मछुओं की बढ़िया मिसाल का अनुकरण हम किस तरह कर सकते हैं?

१८ वैयक्‍तिक रूप से यह सब हमारे लिए क्या अर्थ रखता है? शास्त्रवचन कहता है कि जब पतरस, अन्द्रियास, याकूब, और यूहन्‍ना मनुष्य के मछुए बनने के लिए आमंत्रित किए गए, “वे . . . सब कुछ छोड़कर [यीशु] के पीछे हो लिए।” (लूका ५:११) विश्‍वास और समर्पण की क्या ही बढ़िया मिसाल! क्या हम भी, चाहे क़ीमत जो भी हो, यहोवा की सेवा करने के लिए आत्म-त्याग की वही मनोवृत्ति, वही तैयारी विकसित कर सकते हैं? करोड़ों ने जवाब दिया है कि वे ऐसा कर सकते हैं। पहली शताब्दी में, जहाँ कहीं यहोवा ने अनुमति दी, वहाँ शिष्यों ने मनुष्यों के लिए मछुवाही की। चाहे यहूदियों में या अन्यजातियों में, उन्होंने निस्संकोच मछुवाही की। आइए हम भी स्वतंत्रता से और बिना किसी पूर्वधारणा के सब को प्रचार करें।

१९. यदि मछुवाही किए जानेवाले पानी अनुत्पादक प्रतीत हों, तो हमें क्या करना चाहिए?

१९ अगर आपका क्षेत्र इस समय अनुत्पादक प्रतीत होता है, तो क्या? निराश न हो जाएँ। याद रखें, शिष्यों के सारी रात बिना मछली पकड़ने के बाद यीशु ने उनके जालों को भर दिया। वैसा आध्यात्मिक तरह से भी हो सकता है। मिसाल के तौर पर, आयरलैंड में, विश्‍वासी गवाहों को सालों मेहनत करने के बाद भी सीमित परिणाम प्राप्त हुए। फिर भी, हाल ही में यह बदल गया है। 1991 Yearbook of Jehovah’s Witnesses नामक किताब रिपोर्ट करती है कि १९९० सेवा वर्ष के अंत तक, आयरलैंड ने लगातार २९ शिखर प्राप्त किए हैं! शायद किसी दिन आपका क्षेत्र ऐसे ही उत्पन्‍न करेगा। जब तक यहोवा अनुमति देते हैं, तब तक मछुवाही करते रहें!

२०. मनुष्यों के मछुवाही कार्य में हमें कब भाग लेना चाहिए?

२० इस्राएल में, मछुए रात के समय मछली पकड़ने के लिए जाते थे, जब बाक़ी सब लोग अपने बिस्तर पर सुख-चैन से सो रहे थे। वे अपनी सुविधा के अनुसार नहीं, बल्कि उस समय बाहर जाते थे जब उन्हें ज़्यादा-से-ज़्यादा मछलियाँ मिल सकती थीं। हमें भी अपने क्षेत्र पर गौर करना चाहिए ताकि हम, मानो, मछुवाही के लिए तब जाएँगे जब अधिकांश लोग अपने घर में हैं और ग्रहणशील हैं। यह शाम को, सप्ताहांतों पर, या अन्य समय हो सकता है। यह जब भी हो, हम सच्चे दिलवालों को ढूँढ़ निकालने में भरसक कोशिश करते रहें।

२१. अगर हमारे क्षेत्र में प्रचार कार्य अक़सर किया जाता हो, तो हमें क्या याद रखना चाहिए?

२१ अगर हमारे क्षेत्र में अक़सर कार्य किया जाता हो, तो क्या? दुनिया के पेशेवर मछुए अक़सर शिक़ायत करते हैं कि उनके मछुवाही के इलाकों में ज़्यादा मछुवाही की गयी है। पर क्या हमारी आध्यात्मिक मछुवाही के इलाकों में ज़्यादा मछुवाही की जा सकती है? वास्तव में नहीं! अनेक क्षेत्रों में इज़ाफ़ा तब भी होता है जब इस में अक़सर कार्य किया जाता है। अच्छी तरह कार्य किए जाने की वजह से कई क्षेत्र अधिक उत्पन्‍न करते हैं। फिर भी, जब घरों में अक़सर भेंट दिए जाते हैं, इस बात के बारे में अधिक निश्‍चित रहें कि घर पर नहीं रहनेवालों का पता लेकर उन से बाद में संपर्क किया जाएगा। वार्तालाप के लिए विभिन्‍न विषय सीखें। याद रखें कि कोई न कोई जल्द ही भेंट करेगा, इसलिए ज़्यादा देर तक न रहें या अनजाने में गृहस्थ को गुस्सा न दिलाएँ। और सड़क पर किया जानेवाला प्रचार कार्य तथा अनौपचारिक गवाही कार्य करने में अपनी निपुणताओं को विकसित करें। हर समय पर और हर मुमकिन ढंग से अपने आध्यात्मिक जालों को फेंकें।

२२. इस समय हम कौनसे शानदार ख़ास अनुग्रह का आनंद लेते हैं?

२२ याद रहे, इस मछुवाही कार्य से दोनों मछुए और मछलियों को लाभ प्राप्त होता है। यदि हमारे द्वारा पकड़े गए लोग लगे रहें, वे सर्वदा जीवित रह सकते हैं। पौलुस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया: “इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।” (१ तीमुथियुस ४:१६) आध्यात्मिक मछुवाही में सबसे पहले यीशु ने अपने शिष्यों को प्रशिक्षित किया, और उनके निदेशन में यह कार्य अभी भी किया जा रहा है। (प्रकाशितवाक्य १४:१४-१६ से तुलना करें.) इसे पूरा करने में उनके अधीन कार्य करने के लिए हमें क्या ही शानदार ख़ास अनुग्रह है! जब तक यहोवा अनुमति दें आइए हम हमारे जालों को उतारते रहें। मनुष्यों को जीवता पकड़ने के कार्य से और ज़्यादा श्रेष्ठ कार्य क्या हो सकता है?

क्या आप याद कर सकते हैं?

▫ यीशु ने अपने अनुयायियों को क्या कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया?

▫ यीशु ने किस तरह दिखाया कि उसकी मृत्यु आध्यात्मिक मछुवाही कार्य को ख़त्म नहीं करेगी?

▫ पहली सदी में यहोवा ने आध्यात्मिक मछुवाही कार्य पर किस तरह आशीर्वाद दिया?

▫ “प्रभु के दिन” में मछलियों की कौनसी प्रचुर पकड़ जाल में पकड़ी गयी?

▫ हम वैयक्‍तिक रूप से मनुष्य के ज़्यादा सफ़ल मछुए कैसे बन सकते हैं?

[पेज 17 पर तसवीरें]

यीशु के पुनरुत्थान के बाद, उसके प्रेरितों ने मनुष्यों के लिए मछुवाही करने का दैवी कार्य बढ़ाया

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