महाजाल और मछली आप के लिए क्या अर्थ रखती हैं?
“तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है।”—मत्ती १३:११.
१, २. हमें यीशु के दृष्टान्तों में दिलचस्पी क्यों होगी?
क्या आपको एक भेद जानने या एक पहेली का हल ढूंढ़ने में मज़ा आता है? क्या होता अगर ऐसा करने से आपको परमेश्वर के उद्देश्य में अपनी भूमिका ज़्यादा स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिलती? ख़ुशी की बात है कि यीशु द्वारा दिए एक दृष्टान्त के ज़रिए आप ऐसी ख़ास अन्तर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। तब से इसे सुननेवाले अनेक जन इस से हैरान हुए हैं और बेहिसाब और लोग उलझन में पड़ गए हैं, पर आप इसे समझ सकते हैं।
२ ग़ौर करें कि अपने दृष्टान्तों के उपयोग के बारे में यीशु ने मत्ती अध्याय १३ में क्या कहा। उसके शिष्यों ने पूछा: “तू उन से दृष्टान्तों में क्यों बातें करता है?” (मत्ती १३:१०) हाँ, यीशु ने दृष्टान्तों का इस्तेमाल क्यों किया जिसे अधिकांश लोग समझ ही नहीं सकेंगे? उसने आयत ११ से १३ में जवाब दिया: “तुम को स्वर्ग के राज्य के भेदों की समझ दी गई है, पर उन को नहीं। . . . मैं उन से दृष्टान्तों में इसलिये बातें करता हूं, कि वे देखते हुए नहीं देखते; ओर सुनते हुए नहीं सुनते, और नहीं समझते।”
३. कैसे यीशु के दृष्टान्तों को समझने से हमें लाभ प्राप्त होंगे?
३ फिर यीशु ने यशायाह ६:९, १० को लागू किया, जहाँ आध्यात्मिक रूप से बहरे और अंधे लोगों का वर्णन किया गया है। हमें इस तरह होने की ज़रूरत नहीं है। अगर हम उसके दृष्टान्तों को समझें और उनके अनुसार चलें, हम, अब और अनन्त भविष्य में, बहुत ही ख़ुश हो सकते हैं। यीशु हमें यह उत्साही आश्वासन देते हैं: “धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं।” (मत्ती १३:१६) वह आश्वासन यीशु के सभी दृष्टान्तों को सम्मिलित करता है, पर आइए हम मत्ती १३:४७-५० में अभिलिखित महाजाल की संक्षिप्त नीतिकथा पर ध्यान केंद्रित करें।
एक दृष्टान्त जिसका अर्थ गहरा है
४. जैसे मत्ती १३:४७-५० में अभिलिखित किया गया है, यीशु ने एक दृष्टान्त के ज़रिए क्या बतलाया?
४ “स्वर्ग का राज्य उस महाजाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया। और जब जाल भर गया, तो उसे किनारे पर खींच लाए, और बैठकर उन्होंने अच्छी मछलियों को तो बरतनों में इकट्ठा किया पर बुरी को फेंक दिया। इस युग के अन्त में ऐसा ही होगा: स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, और उन्हें आग के भट्ठे में डाल देंगे जहाँ उनका रोना और दांत पीसना होगा।”—NW.
५. महाजाल की नीतिकथा के अर्थ के बारे में किस तरह के सवाल उठते हैं?
५ संभव है कि आपने, कम से कम फिल्मों में या टेलीविजन पर, मछुओं को जाल के साथ मछली पकड़ते हुए देखा होगा, सो यीशु के दृष्टान्त की कल्पना करना कठिन नहीं है। परन्तु तफ़सील और अर्थ के बारे में क्या? मिसाल के तौर पर, यीशु ने कहा कि यह दृष्टान्त ‘स्वर्ग के राज्य’ के बारे में है। फिर भी, यक़ीनन उसका मतलब यह नहीं था कि “हर प्रकार” के व्यक्ति, अच्छे और बुरे, या दुष्ट, राज्य में होंगे। इसके अलावा, मछुवाही कौन करते हैं? क्या यह मछुवाही और विभाजन कार्य यीशु के दिनों में घटित हुआ, या क्या यह “युग के अन्त” में, हमारे समय तक सीमित है? क्या आप ख़ुद को इस नीतिकथा में देखते हैं? कैसे आप रोनेवाले और दांत पीसनेवालों के बीच होने से बच सकते हैं?
६. (क) महाजाल की नीतिकथा को समझने में हमें क्यों उत्सुकता से दिलचस्पी लेनी चाहिए? (ख) इसे समझने की कुँजी क्या है?
६ ऐसे सवाल दिखाते हैं कि आख़िर यह दृष्टान्त आसान नहीं है। फिर भी, यह न भूलें: “धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं।” आइए देखें कि क्या हम इसके अर्थ की गहराई तक जा सकते हैं या नहीं ताकि इसके महत्त्व के प्रति हमारे कान अप्रतिक्रियाशील और हमारी आंखें बंद नहीं हों। दरअसल, इसका अर्थ जान लेने में हमारे पास पहले ही एक महत्त्वपूर्ण कुंजी है। पूर्व लेख में यीशु द्वारा गलीली मछुओं को अपना पेशा छोड़कर “मनुष्यों के मछुए” के तौर से आध्यात्मिक कार्य करने के आमंत्रण के बारे में कहा गया। (मरकुस १:१७) उसने उन से कहा: “अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा।”—लूका ५:१०.
७. जब यीशु मछलियों के बारे में बोल रहा था, वह क्या चित्रित कर रहा था?
७ उससे मेल खाते हुए, इस नीतिकथा में बतायी गई मछलियाँ इंसानों के प्रतीक हैं। इसलिए, जब आयत ४९ दुष्टों से धर्मी को अलग करने के बारे में कहती है, यह धर्मी या दुष्ट समुद्रीय जीव का ज़िक्र नहीं करती, पर धर्मी या दुष्ट लोगों का ज़िक्र करती है। इसी समान, आयत ५० समुद्रीय जीवों के बारे में नहीं कहती जो रोते हैं या अपने दांत पीसते हैं। नहीं। यह नीतिकथा इंसानों के एकत्रीकरण और बाद में होनेवाले उनके विभाजन के बारे में है जो, जैसे नतीजा बताता है, एक गंभीर बात है।
८. (क) बुरी मछलियों के नतीजे के संबंध में हम क्या सीख सकते हैं? (ख) बुरी मछलियों के बारे में कही गयी बातों को देखते हुए, हम राज्य के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
८ ग़ौर करें कि बुरी मछलियाँ, अर्थात्, दुष्ट लोग, आग के भट्ठे में डाले जाएँगे, जहाँ उनका रोना और दांत पीसना होगा। और कहीं यीशु ऐसे रोने और दांत पीसने को राज्य के बाहर रहने से जोड़ता है। (मत्ती ८:१२; १३:४१, ४२) मत्ती ५:२२ और १८:९ (NW) में, उसने “गेहेन्ना की आग” का भी उल्लेख किया, जो स्थायी विनाश की ओर संकेत करता है। क्या यह नहीं दिखाता कि इस दृष्टान्त का अर्थ जानना और उसके अनुसार चलना महत्त्वपूर्ण है? हम सब जानते हैं कि परमेश्वर के राज्य में दुष्ट व्यक्ति न तो हैं और न कभी रहेंगे। इसलिए, जब यीशु ने कहा कि “स्वर्ग का राज्य महाजाल के समान है,” शायद उसके कहने का अर्थ था कि परमेश्वर के राज्य के संबंध में एक जाल-जैसी विशेषता है जिसे विभिन्न क़िस्म की मछलियाँ इकट्ठा करने के लिए उतारा जाता है।
९. महाजाल के दृष्टान्त में स्वर्गदूत किस तरह सम्मिलित हैं?
९ महाजाल के उतारने और मछलियों को इकट्ठा किए जाने के पश्चात्, एक विभाजन कार्य होता। यीशु के अनुसार कौन सम्मिलित होंगे? मत्ती १३:४९ में इन मछुए-विभाजकों की पहचान स्वर्गदूतों के तौर से की जाती है। पृथ्वी पर के एक साधन पर स्वर्गदूतों के निरीक्षण के बारे में यीशु हमें बता रहा था जिसे मनुष्यों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है—कुछ अच्छे और उचित व्यक्ति जो स्वर्ग के राज्य के लिए हैं और कुछ अन्य जन जो उस बुलावे के लिए अनुचित सिद्ध होते हैं।
मछुवाही—कब?
१०. किस तर्कणा से हम निर्धारित कर सकते हैं कि मछुवाही लम्बे समय तक जारी रही?
१० यह कब लागू होता है यह जानने में संदर्भ हमें मदद करता है। इस दृष्टान्त से पहले, यीशु ने अच्छे बीज की बोआई के बारे में एक दृष्टान्त दिया, पर फिर खेत में, जो संसार को चित्रित करता है, जंगली बीज बोए गए। उसने मत्ती १३:३८ में व्याख्या की कि अच्छे बीज “राज्य के सन्तान” का प्रतीक हैं; पर “जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं।” ये युग के अंत में कटनी तक कई सदियों के लिए पास-पास बढ़े। फिर जंगली बीज अलग किए गए और बाद में जलाए गए। महाजाल के दृष्टान्त से इसकी तुलना करते हुए, हम जान लेते हैं कि जाल में जीवों को खींच लेने का काम लम्बे समय तक जारी रहना था।—मत्ती १३:३६-४३.
११. पहली सदी में एक अंतरराष्ट्रीय मछुवाही कार्य किस तरह शुरू हुआ?
११ यीशु के दृष्टान्त के अनुसार, मछलियों को बिना किसी भेद के एकत्रित किया जाता, अर्थात्, महाजाल दोनों अच्छी और बुरी मछलियों को समेट लेता। जब प्रेरित ज़िंदा थे, मछुवाही कार्य को मार्गदर्शन कर रहे स्वर्गदूतों ने परमेश्वर के मसीही संगठन का उपयोग “मछलियाँ” पकड़ने के लिए किया, जो कि अभिषिक्त मसीही बन गए। आप शायद कहेंगे कि सा.यु. वर्ष ३३ के पिन्तेकुस्त से पहले, मनुष्यों के लिए यीशु की मछुवाही ने १२० शिष्यों को पकड़ा। (प्रेरितों १:१५) पर जब अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया की स्थापना हुई, तब महाजाल साधन के साथ मछुवाही शुरू हुई, और हज़ारों की तादाद में अच्छी मछलियाँ पकड़ी गईं। सा.यु. वर्ष ३६ से, जैसे-जैसे अन्यजाति के लोग मसीहियत की तरफ़ आकर्षित होकर मसीह की अभिषिक्त कलीसिया के सदस्य बनने लगे, मछुवाही अंतरराष्ट्रीय पानी में व्यापक रूप से फैलने लगी।—प्रेरितों १०:१, २, २३-४८.
१२. प्रेरितों की मौत के पश्चात् क्या विकसित हुआ?
१२ प्रेरितों की मौत के बाद की शताब्दियों में, दैवी सत्य पाने और इसे पकड़ में रखने के लिए संघर्ष करते हुए कुछ मसीही हमेशा रहे। इन में से कुछ जनों को तो परमेश्वर की स्वीकृति थी, और उसने उन्हें पवित्र आत्मा से अभिषिक्त किया। फिर भी, प्रेरितों की मौत से नियंत्रित करनेवाला प्रभाव हट गया, जिससे धर्मत्याग को व्यापक रूप में विकसित होने का मौक़ा मिला। (२ थिस्सलुनीकियों २:७, ८) एक ऐसा संगठन बढ़ा जो अयोग्य रूप से परमेश्वर की कलीसिया होने का दावा करने लगा। इसने वह पवित्र राष्ट्र होने का दावा किया जो यीशु के साथ राज्य करने के लिए परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्त किया गया था।
१३. क्यों यह कहा जा सकता है कि मसीही जगत का महाजाल कार्य में एक भूमिका थी?
१३ क्या आपको लगता है कि मसीहियत के विश्वासघाती दावेदारों का महाजाल के दृष्टान्त में कोई भाग था? हाँ, उनका भाग था, यह जवाब देने में कारण हैं। प्रतीकात्मक महाजाल में मसीही जगत शामिल था। यह सच है कि सदियों से कैथोलिक चर्च ने आम लोगों के हाथ बाइबल न पड़ने देने की कोशिश की थी। फिर भी, इन सदियों के दौरान मसीही जगत के सदस्यों ने परमेश्वर के वचन का अनुवाद करने, प्रतिलिपि बनाने, और वितरण करने में अहम भूमिका अदा की है। गिरजाओं ने बाद में बाइबल संस्थाओं को या तो स्थापित किया या फिर इनका समर्थन किया, जिन्होंने बाइबल को दूर देशों की भाषाओं में अनुवाद किया। उन्होंने औषधीय मिशनरियों और शिक्षकों को भी भेजा, जिन्होंने धान्य ख्रिस्ती बनाए। इसने बड़ी संख्या में बुरी मछलियों को इकट्ठा किया, जिन्हें परमेश्वर की स्वीकृति नहीं थी। पर कम से कम इसने करोड़ों ग़ैर-मसीहियों को बाइबल और एक प्रकार की मसीहियत सहज पाने का मौक़ा दिया हालाँकि यह भ्रष्ट था।
१४. किस तरह अच्छी मछलियों के लिए मछुवाही को मसीही जगत के गिरजाओं द्वारा किए गए कार्य से मदद मिली?
१४ इस दौरान, परमेश्वर के वचन का समर्थन करनेवाले तित्तर-बित्तर विश्वासी जन जितना हो सके उतना परिश्रम करते रहे। इतिहास में किसी भी समय में, वे पृथ्वी पर परमेश्वर की सच्ची अभिषिक्त कलीसिया संगठन बनते थे। और हम यक़ीन कर सकते हैं कि वे भी मछलियाँ, या मनुष्य, पकड़ रहे थे, जिन में से अनेकों को परमेश्वर अच्छी समझकर अपनी आत्मा से अभिषिक्त करते। (रोमियों ८:१४-१७) मसीहियत के ये अच्छे दावेदार धान्य ख्रिस्ती बने हुए अनेकों को या मसीही जगत की बाइबल संस्थाओं द्वारा अपनी भाषा में अनुवाद किए गए शास्त्रवचन से सीमित बाइबल ज्ञान पानेवाले व्यक्तियों को बाइबल की सच्चाई लाने में समर्थ रहे। यह सच है कि अच्छी मछलियों को एकत्रित करने का कार्य चल रहा था, हालाँकि मसीही जगत द्वारा इकट्ठा किए गए अनेक जन परमेश्वर के दृष्टिकोण से अनुचित थे।
१५. स्पष्टतः, नीतिकथा का महाजाल किस का प्रतीक है?
१५ इस प्रकार महाजाल एक पार्थिव साधन का प्रतीक है जो परमेश्वर की कलीसिया होने का दावा करता है और मछलियों को एकत्रित करता है। इस में दोनों मसीही जगत और अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया शामिल रही है, और इस अवरोक्त समूह ने, मत्ती १३:४९ के अनुसार स्वर्गदूतों के अदृश्य मार्गदर्शन से अच्छी मछलियाँ पकड़ना जारी रखा है।
हमारा समय ख़ास है
१६, १७. क्यों यीशु के महाजाल के दृष्टान्त की पूर्णता में यह वर्तमान समय इतना महत्त्वपूर्ण है?
१६ आइए अब हम समय पर ग़ौर करें। सदियों के लिए महाजाल साधन ने अच्छी मछलियाँ और साथ ही अनेक बुरी, या दुष्ट, मछलियों को इकट्ठा किया। फिर एक निर्णायक विभाजन कार्य में स्वर्गदूतों का शामिल होने का समय आ गया। कब? ख़ैर, आयत ४९ स्पष्टतः कहती है कि यह “युग के अंत” के दौरान है। यह यीशु द्वारा भेड़ और बकरियों के दृष्टान्त से मिलता है: “जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्गदूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।”—मत्ती २५:३१, ३२.
१७ इसलिए, मत्ती १३:४७-५० के अनुरूप, १९१४ में “युग के अंत” की शुरुआत से स्वर्गदूतों के मार्गदर्शन से एक निर्णायक विभाजन कार्य जारी रहा है। यह १९१९ के बाद से ख़ास तौर पर स्पष्ट हुआ है, जब शेष अभिषिक्त जनों को अस्थायी आध्यात्मिक ग़ुलामी, या बंदी स्थिति, से छुड़ाया गया, और वे मछुवाही कार्य को पूरा करने में एक ज़्यादा प्रभावकारी साधन बन गए।
१८. किस तरह अच्छी मछलियाँ बरतनों में एकत्रित की गयी हैं?
१८ अलग की गयी अच्छी मछलियों का क्या होनेवाला था? आयत ४८ कहती है कि स्वर्गदूतीय मछुए-विभाजकों ने “अच्छी [मछलियों] को तो बरतनों में इकट्ठा किया पर बुरी को फेंक दिया।” बरतन संरक्षक पात्र हैं जिन में अच्छी मछलियाँ डाली जाती हैं। क्या हमारे दिनों में यह घटित हुआ है? बेशक। जैसे-जैसे प्रतीकात्मक अच्छी मछलियाँ ज़िंदा पकड़ी गयीं हैं, उन्हें सच्चे मसीहियों की कलीसियाओं में एकत्रित किया गया है। क्या आप सहमत नहीं कि इन बरतन-जैसी कलीसियाओं ने दैवी सेवा के लिए उनकी रक्षा करने और उन्हें सुरक्षित रखने में मदद की है? फिर भी, कोई सोच सकता है, ‘यह तो सब ठीक है, पर मेरी मौजूदा ज़िंदगी और मेरे भविष्य से इसका क्या वास्ता?’
१९, २०. (क) आज इस नीतिकथा का तात्पर्य जानना क्यों महत्त्वपूर्ण है? (ख) १९१९ से कौनसा महत्त्वपूर्ण मछुवाही कार्य किया गया है?
१९ यहाँ चित्रित किए गए दृष्टान्त की पूर्णता प्रेरितों के समय और १९१४ के दरमियान की सदियों तक ही सीमित नहीं था। उस अवधि में, महाजाल साधन ने मसीहियत के दोनों झूठे और सच्चे दावेदारों को एकत्रित किया। हाँ, वह दोनों बुरी और अच्छी मछलियों को एकत्रित कर रहा था। इसके अतिरिक्त, स्वर्गदूतों द्वारा किया जानेवाला विभाजन कार्य लगभग १९१९ में ख़त्म नहीं हुआ। हरगिज़ नहीं। कुछ पहलुओं में महाजाल का यह दृष्टान्त हमारे समय तक लागू होता है। हम और हमारा निकटकालीन भविष्य सम्मिलित है। यह कैसे और क्यों है यह समझना हमारे लिए अत्यावश्यक है अगर हम चाहते हैं कि ये शब्द हमारा वर्णन करें: “धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे” समझ के साथ “सुनते हैं।”—मत्ती १३:१६.
२० आप शायद जानते हैं कि १९१९ के बाद अच्छी मछलियों को बुरी मछलियों से अलग करने के लिए शेष अभिषिक्त जन स्वर्गदूतों के साथ सहयोग करके प्रचार कार्य में व्यस्त हो गए, जो किनारे से मछलियों को खींच लाने में प्रतीकात्मक महाजाल का उपयोग करते रहे। उस अवधि से आंकड़े दिखाते हैं कि पवित्र आत्मा से अभिषिक्त करने के लिए अच्छी मछलियों का पकड़े जाना जारी रहा जैसे-जैसे १,४४,००० के आख़री जन महाजाल द्वारा एकत्रित किए जा रहे थे। (प्रकाशितवाक्य ७:१-४) पर १९३० के दशक के मध्य तक, पवित्र आत्मा से अभिषिक्त करने के लिए अच्छी मछलियों का इकट्ठा किया जाना मूल रूप से समाप्त हुआ। क्या शेष अभिषिक्त वर्ग की कलीसिया वह जाल, मानो, एक तरफ़ रखकर अपने स्वर्गीय इनाम के लिए बेकार बैठनेवाले थे? हरगिज़ नहीं!
मछुवाही में आपका हिस्सा
२१. हमारे समय में कौनसी अन्य मछुवाही हुई है? (लूका २३:४३)
२१ यीशु के महाजाल का दृष्टान्त अच्छी मछलियों पर केंद्रित था जिन्हें स्वर्ग के राज्य में जगह देकर सम्मानित किया जाता। फिर भी, उस दृष्टान्त के अलावा, एक विशाल पैमाने पर और एक प्रतीकात्मक मछुवाही घटित हो रही है, जैसे पिछले लेख में चित्रित किया गया था। यह मछुवाही, यीशु के दृष्टान्त में उल्लेख की गयी अच्छी अभिषिक्त मछलियों के लिए नहीं है, बल्कि प्रतीकात्मक मछलियों के लिए है जिन्हें जीवता पकड़कर परादीस पृथ्वी पर जीवन पाने की एक अद्भुत आशा दी जाएगी।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०; मत्ती २५:३१-४६ से तुलना करें.
२२. हम कौनसे सुखद परिणाम का अनुभव कर सकते हैं, और इसका विकल्प क्या है?
२२ यदि आपके मन में वह आशा है, तब आप आनंदित हो सकते हैं कि यहोवा ने अब तक एक प्राणरक्षक मछुवाही कार्य को जारी रहने की इजाज़त दी है। इस से आपके लिए एक बढ़िया प्रत्याशा पाना मुमकिन हुआ है। प्रत्याशा? हाँ, यह उचित शब्द है, चूँकि नतीजा लगातार चलते हुए मछुवाही कार्य को निदेशित करनेवाले के प्रति हमारी सतत वफ़ादारी के अनुरूप होगा। (सपन्याह २:३) दृष्टान्त से याद करें कि उस महाजाल से निकाली गयी सभी मछलियाँ एक अनुकूल परिणाम का अनुभव नहीं करेंगी। यीशु ने कहा कि बुरों को, या दुष्टों को, धर्मियों से अलग किया जाएगा। किस परिणाम के लिए? मत्ती १३:५० में, यीशु ने बुरी, या दुष्ट, मछलियों के लिए गंभीर अंजाम का वर्णन किया। इन्हें आग के भट्ठे, अर्थात् अनन्त विनाश में फेंका जाएगा।—प्रकाशितवाक्य २१:८.
२३. क्या बात मछुवाही कार्य को इतना महत्त्वपूर्ण बनाती है?
२३ अच्छी अभिषिक्त मछलियों के लिए, और साथ ही प्रतीकात्मक मछलियों के लिए जो सर्वदा पृथ्वी पर जीवित रहेंगी, एक शानदार भविष्य है। फिर, सकारण, स्वर्गदूत देख रहे हैं कि अब एक सफ़ल मछुवाही कार्य दुनिया भर में किया जा रहा है। और कितनी ही मछलियाँ पकड़ी जा रही हैं! आप यह कहकर सही होंगे कि एक दृष्टि से प्रतीकात्मक मछलियों का इस तरह पकड़ा जाना उतना ही चमत्कारिक है जितना आक्षरिक मछलियों का पकड़ा जाना जो प्रेरितों ने तब पकड़ीं जब उन्होंने यीशु के निर्देशन के अनुसार अपने जालों को उतारा था।
२४. आध्यात्मिक मछुवाही के विषय में हम में क्या करने की चाह होना चाहिए?
२४ आध्यात्मिक मछुवाही के इस प्राणरक्षक कार्य में क्या आप जितना आप के लिए मुमकिन हो उतना सक्रिय हिस्सा ले रहे हैं? इस समय तक हमारा वैयक्तिक हिस्सा चाहे कितना ही विस्तृत क्यों ना रहा हो, अब विश्वव्यापक रूप से चल रहे शानदार मछुवाही और प्राणरक्षक कार्य में पूरा की जानेवाली बातों को देखकर लाभ हम में से हर एक प्राप्त कर सकता है। ऐसा करने से हमें आनेवाले दिनों में ज़्यादा जोश से अपने जालों को मछलियाँ पकड़ने हेतु नीचे उतारने के लिए प्रेरित होना चाहिए!—मत्ती १३:२३ से तुलना करें; १ थिस्सलुनीकियों ४:१.
क्या आपको ये मुद्दें याद हैं?
▫ यीशु के महाजाल के दृष्टान्त में दो प्रकार की मछलियाँ किसका प्रतीक हैं?
▫ किस अर्थ में मसीही जगत की गिरजाएँ महाजाल के कार्य में सम्मिलित रही हैं?
▫ हमारे दिनों में घटित होनेवाली मछुवाही इतना निर्णायक क्यों है?
▫ महाजाल के दृष्टान्त के कारण हम में से प्रत्येक को किस तरह का आत्म-परीक्षण करना चाहिए?
[पेज 20 पर तसवीरें]
गलील सागर पर मछुवाही कार्य सदियों से किया जा रहा है
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.