“ज्योति वाहक” ज़िला सम्मेलनों में प्रचुर आशिषें
आज से लगभग २,७०० वर्ष पहले, यशायाह भविष्यवक्ता ने लिखा: “देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है।” (यशायाह ६०:२) वे शब्द कितने सच प्रमाणित हुए हैं! फिर भी आशा है, क्योंकि यहोवा ने ज्योति चमकाया है। पिछले साल, वे जो परमेश्वर की ज्योति से प्रेम करते हैं, उन्हें “ज्योति वाहक” ज़िला सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए स्नेहपूर्ण निमंत्रण दिया गया।
सम्मेलन कार्यक्रम पहला उत्तर अमेरिका में जून महीने में प्रस्तुत किया गया। आगामी महीनों के दौरान, यह पूर्वी तथा पश्चिमी यूरोप, केंद्रिय तथा दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, तथा समुद्रों के टापुओं में प्रस्तुत किया गया है। लाखों की संख्या में लोग उपस्थित हुए हैं। और उन्होंने क्या ही प्रचुर आध्यात्मिक दावत का आनन्द लिया है!
“हे ज्योति के धारको, आप सब का स्वागत है!”
अधिकतर जगहों में सम्मेलन शुक्रवार को आरम्भ हुआ और रविवार दोपहर को समाप्त हुआ। शुक्रवार की सुबह जैसे ही सम्मेलन में उपस्थित होनेवाले लोग अपनी-अपनी सीटों में बैठ गए, तो उन्हें एक संक्षिप्त विवरण सुनने का आनन्द मिला कि किस रीति से इन अंतिम दिनों के दौरान यहोवा की ज्योति और भी तेज़ रीति से चमकी है। उसके बाद सम्मेलन अध्यक्ष मंच पर आया। उसने ज़ोर दिया कि सच्चे मसीहियों को ज्योति वाहक होना चाहिए और स्नेहपूर्वक कहा: “हे ज्योति के धारको, आप सब का स्वागत है!” उस सम्मेलन कार्यक्रम से प्रतिनिधियों को सहायता मिलती कि वे यहोवा की ज्योति को प्रतिबिम्बित करते रहें।
मूल-विचार भाषण ने पूरे सम्मेलन की सामान्य विशेषता को स्थापित किया। इस वक्ता ने सम्मेलन में उपस्थित होनेवालों को याद दिलाया कि मानवजाति के लिए ज्योति तो अदन के बाग में ही बुझ गई थी। तब से, शैतान ने सत्य की ज्योति के प्रति मनुष्यों को अन्धा कर रखा है। (२ कुरिन्थियों ४:४) तो भी, यीशु “जातियों के लिये प्रकाश” के रूप में आया। (यशायाह ४२:१-६) उसने धार्मिक झूठ का परदाफ़ाश किया, अन्धकार के ग़लत कार्यों की पहचान कराई, यहोवा की सर्वसत्ता का समर्थन किया, और राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया। यीशु के अनुयायियों ने भी ऐसा ही किया—और वे अभी भी करते हैं! (मत्ती २८:१९, २०) वक्ता ने भावोत्तेजक तरीक़े से कहा: ‘हम, यीशु की तरह, ज्योति वाहक हो सकते हैं। हमारे दिनों में इससे बढ़कर और कोई कार्य इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है। और इससे बड़ा कोई विशेषाधिकार भी नहीं है।’
जैसे ही वह पहला सम्मेलन अधिवेशन समाप्त होने को आया, तो एक अप्रत्याशित बात हुई। सम्मेलन अध्यक्ष ने मंच पर वापस आकर चार नए ट्रैक्टों की श्रृंखला के रिलीज़ की घोषणा की। उत्साहपूर्ण तालियों ने इस बात का स्वागत किया, और प्रत्येक ट्रैक्ट की एक प्रति हर उपस्थित प्रतिनिधि के लिए उपलब्ध की गयी।
शुक्रवार दोपहर के समय, सम्मेलन कार्यक्रम ने ज्योति वाहक मसीहियों के लिए बुनियादी सलाह दी। पहले दो भाषणों ने अच्छी सलाह दी कि कैसे संसार के अन्धकार से दूषित होने से बच सकते हैं। क्योंकि शैतान ज्योतिमय स्वर्गदूत का रूप धारण कर सकता है, एक आध्यात्मिक नज़रिया कायम रखना अत्यावश्यक है ताकि संसार की अशुद्ध बातें हमें बहकाने न पाएं। (२ कुरिन्थियों ११:१४) पौलुस ने सलाह दी: “इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।” (रोमियों १२:२) सम्मेलन के प्रतिनिधियों ने सुना कि एक मसीही का परिवर्तन एक लगातार प्रक्रिया है। जैसे-जैसे हम परमेश्वर के वचन का अध्ययन करके सीखीं हुई बातों पर अमल करते हैं, तो हमारे मन निरंतर शुद्ध होकर परिवर्तित होते जाते हैं। इस प्रकार, हम अधिक से अधिक यीशु की तरह बनते हैं, जो कि “अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण” था।—यूहन्ना १:१४.
युवा ज्योति वाहक
शुक्रवार दोपहर के दूसरे अर्ध-भाग में युवकों को सम्बोधित किया गया। पहले भाषण (“युवाओं—आप किस चीज़ का अनुसरण कर रहे हैं?”) ने युवा मसीहियों की सराहना की, जो वफ़ादारी के इतने उत्तम उदाहरण हैं। परन्तु इस भाषण ने उन्हें याद दिलाया कि वे शैतान का ख़ास निशाना हैं। एक सुप्रशिक्षित व्यायामी को भी एक शिक्षक की आवश्यकता होती है। उसी रीति से, युवा लोगों को अपने माता-पिता तथा कलीसिया की सहायता की आवश्यकता है ताकि वे ज्योति में चलते रहें।
उस बढ़िया नाटक जो यहोवा की दृष्ट में सही है वही करना, के द्वारा इसी बात पर महत्त्व दिया गया, जिसके साथ ही शुक्रवार का कार्यक्रम समाप्त हुआ। राजा योशिय्याह के उदाहरण को विशिष्ट किया गया था। एक युवक के तौर पर भी, वह यहोवा की सेवा करने के लिए दृढ़ था। उसके इर्द-गिर्द बुरे प्रभाव थे, परन्तु महा याजक हिलकिय्याह के निर्देशन के साथ और परमेश्वर की व्यवस्था के प्रति उसके अपने प्रेम के कारण, योशिय्याह ने वही किया जो यहोवा की दृष्टि में सही था। ऐसा ही हो कि युवा मसीही आज इसी रीति से कार्य करें।
ज्योति को चमकने दीजिए
रात के विश्राम के बाद, प्रतिनिधि अतिरिक्त प्रोत्साहक शास्त्रीय सलाह के लिए तैयार होकर शनिवार सुबह सम्मेलन में आए। वे निराश नहीं हुए। उस दिन के पाठ पर चर्चा करने के बाद, कार्यक्रम एक परिचर्चा के साथ जारी रहा जिस में विभिन्न तरीक़े बताए गए कि एक मसीही कैसे अपनी ज्योति को चमका सकता है। (मत्ती ५: १४-१६) प्रचार करना एक अत्यावश्यक तरीक़ा है, और अच्छा आचरण भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जैसे कि वक्ता ने कहा, “प्रचार दूसरों को बताता है कि हम क्या विश्वास करते हैं, परन्तु प्रेम का अभ्यास इसे प्रदर्शित करता है।”
फिर, प्रचार के एक अत्यावश्यक सहायक को सम्मेलन में उपस्थित लोगों के ध्यान में लाया गया—ट्रैक्ट। पूर्ववर्ती दिन की घोषणा अभी मन में ताज़ा थी कि प्रतिनिधियों ने उन अनुभवों को सुना जो साबित करते हैं कि ये छोटे-छोटे साधन कितने प्रभावशाली हैं। प्रतिनिधियों को हर समय अपने साथ ट्रैक्टों की सप्लाई रखने के लिए प्रोत्साहन दिया गया, ताकि हर अवसर के लिए तत्पर हों।
इसके पश्चात् पायनियरों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया, वे पूर्ण-समय राज्य उद्घोषक जो ज्योति के वहन में परिश्रम करते हैं। अपने मेहनती पायनियरों की हम कितनी क़दर करते हैं! और उनकी संख्या बढ़ रही है। उन देशों में भी जहाँ उपासना की स्वतंत्रता हाल में ही प्रदान की गई है, पायनियरों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। पायनियरों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपने विशेषाधिकार को मूल्यवान समझें। वे जो अभी पायनियर कार्य नहीं कर रहे हैं उन्हें अपनी परिस्थिति को जाँचने के लिए आग्रह किया गया। शायद वे भी अपने मामलों को ऐसे व्यवस्थित कर सकें कि अपनी ज्योति को पूर्ण-समय की सेवा में चमकाएँ।
एक ज्योति वाहक होने में अक़सर आत्म-त्याग सम्मिलित होता है, और यह अनुवर्ती भाषण, “आत्म-त्याग की भावना के साथ यहोवा की सेवा करना” में विशिष्ट किया गया। पौलुस ने निवेदन किया: “अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ।” (रोमियों १२:१) वे जो सताहट को सहते हैं, आत्म-त्याग की भावना प्रदर्शित करते हैं। पायनियर लोग पूर्ण-समय की सेवा में रहने के लिए प्रतिदिन आत्म-त्याग करते हैं। सचमुच, सभी सच्चे मसीही आत्म-त्याग करते हैं, इस संसार की भौतिक चीज़ों की खोज में लगने के बजाए अपने आपको यहोवा की सेवा में व्यस्त रखते हैं। ऐसा करने के कारण यहोवा से प्रचुर आशिषें मिलती हैं।
उस भाषण ने अगले विषय, बपतिस्मा भाषण, के लिए एक उचित प्रस्तावना का काम किया। जिन्होंने “ज्योति वाहक” ज़िला सम्मेलन में बपतिस्मा प्राप्त किया, निश्चय ही इस भाषण को नहीं भूलेंगे। उनका बपतिस्मा हमेशा उनके जीवन की एक विशेष बात रहेगी। उन्हें याद दिलाया गया था कि वे यीशु मसीह के उदाहरण का अनुसरण कर रहे हैं, जिसने ३० साल की उम्र में बपतिस्मा प्राप्त किया था। इसके अतिरिक्त, बपतिस्मा उम्मीदवारों को यह याद करके ख़ुशी हुई कि उन्होंने “अन्धकार के कामों को तज” दिया है और “प्रभु की सेवा” करने का निर्णय किया है। (रोमियों १२:११; १३:१२) हर्षित होकर वे सम्मेलन की भीड़ के सामने खड़े हुए और बपतिस्मे के लिए जाने से पहले खुले आम एक श्रव्य घोषणा की। (रोमियों १०:१०) हम उन सब पर यहोवा की आशीष होने की प्रार्थना करते हैं जिन्होंने “ज्योति वाहक” ज़िला सम्मेलनों के दौरान पानी का बपतिस्मा लेने के द्वारा यहोवा के प्रति अपने समर्पण को चिह्नित किया है।
शनिवार दोपहर कुछ स्पष्ट चेतावनियाँ देने का समय था। ये उन भाषणों के रूप में मिलीं जिनके शीर्षक थे “लोभ के फन्दों से बचे रहें,” “क्या कोई आपकी अच्छी आदतों को बिगाड़ रहे हैं?” और “हर प्रकार की मूर्ति पूजा से बचे रहें।” इन तीन भाषणों ने शैतान द्वारा इस्तेमाल किए कुछ तरीक़ों की पहचान करवाई जिनसे वह एक मसीही को कमज़ोर बनाता है। यहूदा इस्करियोती एक प्रेरित था, परन्तु उसने पैसों के लिए यीशु के साथ विश्वासघात किया। युवा शमूएल ठीक यहोवा की उपासना के राष्ट्रीय केंद्र में बड़ा हुआ था, परन्तु उसे अपरिहार्य रूप से कुछ अति बुरी संगति के प्रभाव का सामना करना पड़ा था। (१ शमूएल २:१२, १८-२०) मूर्तिपूजा में लैंगिक अनैतिकता और लोभ जैसी चीज़ें सम्मिलित हो सकती हैं। (इफिसियों ५:५; कुलुस्सियों ३:५) जी हाँ, लोभ, बुरी संगति, और मूर्तिपूजा ख़तरनाक हैं और उन से बचना चाहिए।
फिर सम्मेलन कार्यक्रम ने मानो, गियर बदल लिया। अगले भाषण ने कई दिलचस्प बाइबल प्रश्न उठाए और उनका उत्तर दिया। उदाहरण के लिए, क्या आप समझा सकते हैं कि क्या उन लोगों का पुनरुत्थान होगा जो सच्चाई को स्वीकार नहीं करते हैं और भारी क्लेश से पहले ही मर जाते हैं? एक मसीही क्या कर सकता है जब वह एक योग्य पति या पत्नी ढूँढ़ने में असमर्थ हो? अपने बाइबल ज्ञान को बढ़ाने के लिए, प्रतिनिधियों को वॉच टावर पब्लिकेशनस् इन्डेक्स् (Watch Tower Publications Index) का पूरा लाभ उठाने का प्रोत्साहन दिया गया, खासकर “पाठकों से प्रश्न” शीर्षक के अंतर्गत।
मसीह की उपस्थिति और प्रकटीकरण
शनिवार कार्यक्रम के अंतिम भाग में एक परिचर्चा ने भविष्यवाणी के विषय पर बात की, जिसका शीर्षक था “मसीह की उपस्थिति एवं प्रकटीकरण पर प्रकाश डालना।” यीशु मसीह की उपस्थिति को प्रमाणित करनेवाले “चिन्ह” की विशेषताओं को दोहराया गया। (मत्ती २४:३) दूसरे भाग में, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की आधुनिक-दिन की क्रियाओं पर चर्चा की गई। (मत्ती २४:४५-४७) यह बताया गया कि १९१९ से दास वर्ग ने विश्वासयोग्य ढंग से राज्य के सुसमाचार को प्रचार करने के कार्य को आगे बढ़ाया है। फिर सब राष्ट्रों में से एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई ताकि अभिषिक्त मसीहियों के साथ मिलकर यहोवा की ज्योति को प्रतिबिम्बित करने में भाग ले सकें। वक्ता ने समाप्ति में कहा: “ऐसा हो कि सब के सब उत्साह के साथ विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास को सहयोग देते रहें। केवल ऐसा करने से ही शीघ्र किसी दिन सब भेड़-समान जन इन सुखप्रद शब्दों को सुन सकेंगे: “हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।”—मत्ती २५:३४.
अंतिम वक्ता ने यीशु मसीह के प्रकटीकरण के अर्थ और निहितार्थ पर चर्चा की। (१ कुरिन्थियों १:७) क्या ही अनुभव होगा वह प्रकटीकरण! बड़ी बाबुल नाश की जाएगी। शैतान की दुनिया और यीशु तथा उसके स्वर्गदूतों के बीच महा युद्ध का परिणाम इस व्यवस्था का विनाश होगा। अन्त में, ख़ुद शैतान को भी अथाह कुंड में बंद करके निष्क्रिय किया जाएगा। परन्तु स्वर्ग में मेमने का विवाह होने से और नई पृथ्वी के बनने से परमेश्वर के लोगों को राहत मिलेगी। वक्ता ने नया ब्रोशर डज़ गॉड रिअलि केअर अबाउट अस (Does God Really Care About Us?) पेश करके अप श्रोतागण को बहुत ख़ुश किया। उन विनम्र व्यक्तियों के लिए यह क्या ही बढ़िया सहायता होगी, जिन्हें हमारे स्नेही सृष्टिकर्ता के बारे में और हमारे लिए उसके उद्देश्यों के बारे में जानने की आवश्यकता है!
मसीही गृहस्थियाँ
सम्मेलन का अंतिम दिन, रविवार अब आ गया था। परन्तु, बहुत कुछ प्रस्तुत करना अभी बाक़ी था। उस दिन के पाठ पर चर्चा करने के बाद, “मसीही घराने में एक दूसरे की देखभाल करना” परिचर्चा के द्वारा मसीही परिवार पर ध्यान दिया गया। पहले भाग के द्वारा सम्मेलन में उपस्थित लोगों को यह समझने में सहायता मिली कि एक सफ़ल मसीही परिवार बनाने की कुंजी है: आध्यात्मिक बातों को प्रथम स्थान देना। दूसरे भाग द्वारा परिवारों को एक-साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, चाहे उस में सभा उपस्थिति, क्षेत्र सेवा, पारिवारिक अध्ययन, या मनोरंजन ही क्यों न सम्मिलित हों। और परिचर्चा के तीसरे भाग ने प्रतिनिधियों को याद दिलाया कि वृद्ध लोगों की देख-भाल करना उनका विशेषाधिकार और ज़िम्मेवारी है। “हमारे वृद्ध भाई-बहन कलीसिया के लिए एक संपत्ति हैं,” वक्ता ने कहा। आइए हम उनके अनुभव को मूल्यवान समझें और उनकी ख़राई का अनुकरण करें।
इसके बाद, “मन में स्वस्थ” अभिव्यक्ति के अर्थ को जाँचा गया। (१ पतरस ४:७, NW) जो व्यक्ति मन में स्वस्थ है, वह संतुलित, समझदार, तर्क-संगत, विनम्र, तथा बुद्धिसंगत होता है। वह सही-ग़लत, सच-झूठ में भेद कर सकता है। इसके अतिरिक्त, वह अच्छा आध्यात्मिक स्वास्थ्य बनाए रखने का यत्न करता है।
रविवार सुबह के कार्यक्रम के अंतिम भाषण ने परमेश्वर तथा मसीह के प्रति हमारी अधीनता पर चर्चा की। “यहोवा परमेश्वर और उसके पुत्र, यीशु मसीह, के प्रति निष्ठा से अधीन रहने की बात पर जितना भी ज़ोर दें, वह कम है,” वक्ता ने कहा। उसने फिर आगे दिखाया कि यह कैसे हमारे जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालता है। अधीनता बनाए रखने में कौन-सी चीज़ हमारी सहायता करेगी? चार गुण: प्रेम, ईश्वरीय भय, विश्वास, और नम्रता।
रविवार दोपहर
अचानक ही, रविवार दोपहर हो गया और सम्मेलन के अंतिम सभा का समय आ पहुँचा। बहुतों को ऐसा लगा कि सम्मेलन अभी आरम्भ ही हुआ था कि यह समाप्त होने को आया है।
जन भाषण का शीर्षक था “जगत की ज्योति का अनुसरण करना।” वे सब जो उपस्थित थे, उन्होंने एक सम्मोहक व्याख्या का आनन्द लिया कि जीवन को कायम रखने में प्राकृतिक ज्योति की भूमिका क्या है। तब वक्ता ने आध्यात्मिक ज्योति के अधिक महत्त्व को दिखाया। प्राकृतिक ज्योति हमें कुछ दशकों के लिए जीवित रखती है, परन्तु आध्यात्मिक ज्योति हमें सर्वदा के लिए जीवित रख सकती है। भाषण की एक विशेषता थी कि यूहन्ना १:१-१६ की आयत-ब-आयत चर्चा की गई, जहाँ यीशु को जगत की ज्योति बताया गया है। आज, इस दुष्ट व्यवस्था के अंतिम वर्षों में, इस भूमिका में यीशु का अनुसरण करना पहले से कहीं अधिक अत्यावश्यक हो गया है।
उस सप्ताह के लिए नियत प्रहरीदुर्ग अध्ययन लेख के सारांश के पश्चात्, समाप्ति भाषण का समय हो गया। वक्ता ने ख़ुशी के साथ बताया कि आगे के दिनों में उत्सुकता से प्रत्याशा करने के लिए बहुत-सी चीज़ें हैं। उदाहरण के लिए, उसने जोश के साथ परमेश्वर की इच्छा करना नाटक के एक नए श्रव्य-कैसेट की घोषणा की। और सिर्फ़ यही नहीं। विडियो-कैसेट की एक नयी श्रृंखला भी होगी जिसका शीर्षक होगा बाइबल—तथ्य और भविष्यवाणी की एक पुस्तक (The Bible—A Book of Fact and Prophecy), इसका पहला भाग इस विषय पर होगा बाइबल—यथार्थ इतिहास, विश्वसनीय भविष्यवाणी (The Bible—Accurate History, Reliable Prophecy).
आख़िर में, वक्ता ने घोषित किया कि १९९३ में चार-दिन के ज़िला सम्मेलन होंगे, और अफ्रीका, एशिया, यूरोप, तथा दक्षिण अमेरिका में ख़ास अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होंगे। हालाँकि “ज्योति वाहक” ज़िला सम्मेलन समाप्त हो रहा था, प्रतिनिधि अगले साल के लिए योजना बनाना आरम्भ कर सकते थे।
तब समय हुआ कि प्रतिनिधि अपने घर जाएँ। निश्चित ही, वे पहले से भी अधिक दृढ़ थे कि इस अन्धकारपूर्ण संसार में ज्योति को प्रतिबिम्बित करते रहेंगे। आध्यात्मिक अच्छी चीज़ों से भरे तीन दिन के बाद, अंतिम भाषण में उद्धत आख़री शास्त्रवचन के शब्दों का अति माने था: “यहोवा ईश्वर है, और उस ने हम को प्रकाश दिया है। . . . यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा बनी रहेगी!”—भजन ११८:२७, २९.