“विवाह सब में आदर की बात समझी जाए”
“विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे।” —इब्रानियों १३:४.
१. सफल विवाह के विषय में कई लोगों ने क्या सीखा है?
आसान तलाक़ के इस युग में भी, लाखों लोग चिरस्थायी विवाह का आनन्द लेते हैं। व्यक्तित्व और पृष्ठभूमि में भिन्नता होने के बावजूद, उन्होंने सफलता पाने का तरीक़ा पा लिया है। ऐसे विवाह यहोवा के गवाहों के बीच पाए जाते हैं। ज़्यादातर मामलों में ये दंपत्तियाँ स्वीकार करेंगे कि उन्होंने उतार-चढ़ाव का, यहाँ तक कि एक दूसरे के विरुद्ध शिकायतों के कुछ कारणों का भी अनुभव किया है। फिर भी, उन्होंने छोटे तूफ़ानों को पार करना और अपने जहाज़ रूपी विवाह को सही मार्ग पर रखना सीख लिया है। वे कुछ तत्त्व क्या हैं जिन्होंने उन्हें बढ़ते जाने में समर्थ किया है?—कुलुस्सियों ३:१३.
२. (क) विवाह को बनाए रखने के कुछ सकारात्मक तत्त्व क्या हैं? (ख) कुछ तत्त्व क्या हैं, जो विवाह को नष्ट कर सकते हैं? (पृष्ठ २० पर दी गई पेटी को देखिए.)
२ कुछ लोगों की टिप्पणियाँ, जिनके मसीही विवाह सुखी और स्थायी रहे हैं, काफ़ी हद तक समझ प्रकट करती हैं। सोलह साल से विवाहित एक पति ने कहा: “जब कभी भी कोई समस्या आयी है, तब हम ने एक दूसरे के दृष्टिकोण को सुनने की सचमुच कोशिश की है।” यह अनेक विवाहों में मज़बूत बनानेवाले तत्त्वों में से एक को विशिष्ट करती है—खुला, स्पष्ट संचार। इकत्तीस साल से विवाहित एक पत्नी ने कहा: “हमारे बीच रोमांस बनाए रखने के लिए हाथ पकड़ना और मनोरंजक क्रियाकलापों में भाग लेना हमेशा एक प्राथमिकता रही है।” और यह संचार का एक अतिरिक्त पहलू है। लगभग ४० साल से विवाहित, एक और दंपति ने विनोद-वृत्ति को बनाए रखने, अपने आप पर और एक दूसरे पर हँसने के योग्य होने के महत्त्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि एक दूसरे की अच्छाइयों और बुराइयों को देखते हुए भी निष्ठ प्रेम दिखाने से उन्हें मदद मिली है। पति ने ग़लती स्वीकार करने और फिर क्षमा माँगने की तत्परता का ज़िक्र किया। जहाँ एक सुनम्य भावना हो, विवाह टूटने के बजाय नम्य होने के लिए झुक जाएगा।—फिलिप्पियों २:१-४; ४:५, किंगडम इंटरलीनियर, (Kingdom Interlinear).
एक बदलता हुआ माहौल
३, ४. विवाह में वफ़ादारी के सम्बन्ध में मनोवृत्तियों में कौनसे परिवर्तन आए हैं? क्या आप उदाहरण दे सकते हैं?
३ पिछले कुछ दशकों में, विवाह में वफ़ादारी के सम्बन्ध में संसार भर में समझ बदल गई है। कुछ विवाहित लोग विश्वास करते हैं कि एक प्रेम-सम्बन्ध में कोई बुराई नहीं है, जो परगमन के लिए एक आधुनिक कोमल शब्द है, ख़ासकर जब दूसरा साथी इस सम्बन्ध के विषय में जानता और इसे स्वीकार करता है।
४ एक मसीही ओवरसियर ने स्थिति के विषय में टिप्पणी की: “संसार ने नैतिक नियम के अनुसार जीने की वास्तव में सभी सच्ची कोशिश छोड़ दी है। शुद्ध आचरण को दक़ियानूसी समझा जाने लगा है।” राजनीति, खेल, और मनोरंजन की हस्तियाँ नैतिक आचरण के विषय में बाइबल के स्तरों को खुलेआम भंग करती हैं, और ऐसे लोगों को अत्यधिक महत्त्व दिया जा रहा है। वस्तुतः किसी भी प्रकार की नैतिक बुराई या विकृति के साथ कोई कलंक नहीं जुड़ा हुआ है। तथाकथित ऊँचे समाज में शुद्धता और खराई को कभी-कभार ही महत्त्व दिया गया है। फिर, ‘जो बात एक के लिए ठीक है वह दूसरे के लिए भी ठीक है,’ इस सिद्धान्त के अनुसार जनता उसी उदाहरण पर चलती है और जिस चीज़ की निन्दा परमेश्वर करता है उसे अनदेखा करती है। यह वैसा ही है जैसा पौलुस ने अभिव्यक्त किया: “वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।”—इफिसियों ४:१९; नीतिवचन १७:१५; रोमियों १:२४-२८; १ कुरिन्थियों ५:११.
५. (क) परगमन के विषय में परमेश्वर का क्या दृष्टिकोण है? (ख) “व्यभिचार” शब्द के बाइबल प्रयोग में क्या सम्मिलित है?
५ परमेश्वर के स्तर बदले नहीं हैं। विवाह के लाभ के बिना एक साथ रहना उसके दृष्टिकोण के अनुसार व्यभिचार में रहना है। विवाह में विश्वासघात फिर भी परगमन ही है।a प्रेरित पौलुस ने स्पष्ट बताया: “क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी . . . परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे। और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।”—१ कुरिन्थियों ६:९-११.
६. पहला कुरिन्थियों ६:९-११ में पौलुस के शब्दों से हमें क्या प्रोत्साहन मिल सकता है?
६ उस मूलपाठ में एक प्रोत्साहक बात पौलुस की अभिव्यक्ति है, “तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम . . . धोए गए।” जी हाँ, बहुत से लोग जो बीते समय में संसार के “भारी लुचपन” में चलते थे अपने होश में आ गए हैं, मसीह और उसके बलिदान को स्वीकार किए हैं, और साफ़ धोए गए हैं। उन्होंने नैतिक जीवन जीने के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करना चुना है और इसके कारण ज़्यादा ख़ुश हैं।—१ पतरस ४:३, ४.
७. “अनैतिकता” की समझ में कौनसा प्रतिवाद मौजूद है, और बाइबल का क्या दृष्टिकोण है?
७ दूसरी ओर, अनैतिकता की आधुनिक परिभाषा इतनी हल्की है कि यह परमेश्वर की दृष्टि से मेल नहीं खाती। एक कोश “अनैतिक” की परिभाषा “स्थापित नैतिकता के विपरीत” के तौर पर देता है। आज की “स्थापित नैतिकता,” जो विवाहपूर्व और विवाहेतर लैंगिकता और साथ ही समलिंगरति को अनदेखा करती है, को ही बाइबल अनैतिकता के रूप में निन्दा करती है। जी हाँ, बाइबल के दृष्टिकोण से, अनैतिकता परमेश्वर के नैतिक नियम का घोर अतिलंघन है।—निर्गमन २०:१४, १७; १ कुरिन्थियों ६:१८.
मसीही कलीसिया प्रभावित
८. मसीही कलीसिया के सदस्यों पर अनैतिकता कैसे प्रभाव डाल सकती है?
८ अनैतिकता आज इतनी प्रचलित है कि यह उन पर भी दबाव डाल सकती है जो मसीही कलीसिया में हैं। यह उन्हें व्यापक, भ्रष्ट टी.वी. कार्यक्रमों, विडियो, और अश्लील साहित्यों के द्वारा प्रभावित कर सकती है। हालाँकि मसीहियों का मात्र एक छोटा अंश प्रभावित हुआ है, यह मानना पड़ेगा कि एक मसीही के लिए अनुचित पश्चाताप रहित व्यवहार के कारण यहोवा के गवाहों के वर्ग में से बहिष्कार के अधिकांश मामले किसी प्रकार की लैंगिक अनैतिकता से सम्बन्धित हैं। इसका सकारात्मक पहलू यह है कि इन बहिष्कृत व्यक्तियों में से एक बड़ा अंश अंत में अपनी भूल मान लेते हैं, शुद्ध जीवन-शैली पुनःआरंभ करते हैं, और समय आने पर कलीसिया में बहाल किए जाते हैं।—लूका १५:११-३२ से तुलना कीजिए.
९. शैतान असावधान व्यक्तियों को कैसे चालाकी से नियंत्रित करता है?
९ निःसन्देह, शैतान असावधान व्यक्तियों को फाड़ खाने के लिए तत्पर, एक गर्जनेवाले सिंह की नाईं घूम रहा है। प्रति वर्ष उसकी युक्तियाँ, या “धूर्त कार्य,” असावधान मसीहियों को बहका रही हैं। उसके संसार की सदा-मौजूद आत्मा स्वार्थी, सुखवादी, और कामुक है। यह शारीरिक अभिलाषा को संतुष्ट करती है। यह आत्मसंयम को ठुकराती है।—इफिसियों २:१, २; ६:११, १२, फुटनोट, NW; १ पतरस ५:८.
१०. कौन प्रलोभन में पड़ सकते हैं, और क्यों?
१० कलीसिया में कौन अनैतिकता के प्रलोभन के प्रभाव में आ सकते हैं? अधिकांश मसीही, चाहे वे स्थानीय कलीसिया में प्राचीन, सफरी ओवरसियर, बेथेल सदस्य, हर महीने काफी घंटे प्रचार करनेवाले पायनियर, परिवार का पालन-पोषण करनेवाले व्यस्त माता-पिता, या समकक्षी दबाव का सामना करनेवाले युवजन ही क्यों न हों। शारीरिक प्रलोभन सब के लिए सामान्य है। लैंगिक आकर्षण तब उत्पन्न हो सकता है जब उसकी ज़रा भी अपेक्षा न हो। इसलिए पौलुस लिख सकता था: “जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े। तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य [पुरुष और स्त्री] के सहने से बाहर है।” यह खेदजनक है, पर ज़िम्मेदारी के पद रखनेवाले कई मसीही अनैतिकता के इस प्रलोभन के शिकार हो गए हैं।—१ कुरिन्थियों १०:१२, १३.
खिंचकर और फंसकर
११-१३. वे कुछ स्थितियाँ कौनसी हैं, जो अनैतिकता की ओर ले गयी हैं?
११ कई व्यक्तियों को परगमन और व्यभिचार के मूर्ख मार्ग पर ले जानेवाली कौनसे प्रलोभन और स्थितियाँ हैं? वे बहुत हैं और पेचीदा हैं और एक देश या संस्कृति से दूसरे देश या संस्कृति में भिन्न हो सकती हैं। फिर भी, कई मूल स्थितियाँ हैं जो बहुत से देशों में प्रकट होती हैं। उदाहरण के लिए, यह रिपोर्ट किया गया है कि कई लोगों ने ऐसी पार्टियाँ आयोजित की हैं जहाँ शराब बिना रोक-टोक के उपलब्ध हो रही थी। दूसरों ने सांसारिक अश्लील संगीत और उद्दीपक नाच पसन्द किया है। अफ्रीका के कई क्षेत्रों में, धनवानों—अविश्वासियों—की रखैल होती हैं; कई स्त्रियाँ ऐसी स्थिति में आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करने के लिए प्रलोभित हुई हैं, चाहे इसमें अनैतिकता अन्तर्ग्रस्त है। दूसरे क्षेत्रों में, मसीही पतियों ने खानों में या किसी और जगह जीविका कमाने के लिए अपने-अपने परिवारों को छोड़ा है। फिर उनकी निष्ठा और वफ़ादारी एक हद तक या ऐसे तरीक़ों से परखी जाती है, जो वे घर पर अनुभव न करते।
१२ विकसित देशों में कई लोग शैतान के फंदे में पड़ गए हैं जब वे तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति के बग़ैर, प्रतिजाति के व्यक्ति के साथ अकसर समय बिताते हैं—जैसे कि नियमित रूप से चालन पाठ के लिए कार में एक दूसरे के काफ़ी नज़दीक बैठना।b रखवाली भेंट करनेवाले प्राचीनों को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है ताकि एक बहन को सलाह देते समय वह उसके साथ अकेले न हों। वार्तालाप भावोत्तेजक होकर दोनों व्यक्तियों के लिए एक आकुल स्थिति में परिणित हो सकता है।—मरकुस ६:७; प्ररितों १५:४० से तुलना कीजिए.
१३ पूर्वोक्त परिस्थितियों के कारण कई मसीही असावधान होकर अनैतिक कार्य कर बैठे हैं। जैसे पहली सदी में घटित हुई, उन्होंने अपने आपको ‘अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर परीक्षा में पड़ने’ दिया है, जो उन्हें पाप की ओर ले गई।—याकूब १:१४, १५; १ कुरिन्थियों ५:१; गलतियों ५:१९-२१.
१४. परगमन के मामलों में स्वार्थ क्यों एक अन्तर्निहित तत्त्व है?
१४ बहिष्कारों की ध्यानयुक्त जाँच करने से पता चलता है कि अनैतिक कार्यों में कुछ अन्तर्निहित तत्त्व सामान्य हैं। ऐसे मामलों में कुछ प्रकार का स्वार्थ होता है। हम ऐसा क्यों कहते हैं? क्योंकि परगमन के मामलों में, किसी निर्दोष व्यक्ति या व्यक्तियों को चोट पहुँचेगी। शायद क़ानूनी साथी को। निःसन्देह उनके बच्चों को, यदि बच्चे हैं, क्योंकि यदि परगमन तलाक़ में परिणित होता है, तो बच्चों को सबसे ज़्यादा कष्ट पहुँच सकता है, जो एक संयुक्त परिवार की सुरक्षा चाहते हैं। परगामी मुख्यतः अपने ही सुख और लाभ के बारे में सोच रहा या रही होती है। यह स्वार्थ है।—फिलिप्पियों २:१-४.
१५. परगमन की ओर ले जानेवाले कुछ कारण क्या हुए होंगे?
१५ अकसर परगमन कमज़ोरी का एक आकस्मिक कार्य नहीं होता है। स्वयं विवाह में ही क्रमिक, यहाँ तक कि अगोचर, गिरावट हुई होती है। हो सकता है संचार आदतन या निष्फल बन चुका है। शायद आपसी प्रोत्साहन की कमी रही हो। शायद दोनों एक दूसरे के लिए मूल्यांकन करने में असफल रहे हों। शायद पति-पत्नी काफ़ी समय से एक दूसरे को लैंगिक रूप से संतुष्ट नहीं कर रहे हों। निश्चित ही जब परगमन होता है, तब परमेश्वर के साथ भी ह्रासमान सम्बन्ध रहा होता है। तब स्पष्ट रूप से यह महसूस नहीं किया जाता कि यहोवा एक जीवित परमेश्वर है जो हमारे सब विचारों और कर्मों के प्रति अवगत है। ऐसा भी हो सकता है कि परगामी के मन में “परमेश्वर” केवल एक शब्द, एक अव्यावहारिक हस्ती बन जाए, जो दैनिक जीवन का कोई भाग नहीं है। तब परमेश्वर के विरुद्ध पाप करना और आसान हो जाता है।—भजन ५१:३, ४; १ कुरिन्थियों ७:३-५; इब्रानियों ४:१३; ११:२७.
प्रतिरोध की कुंजी
१६. कैसे एक मसीही विश्वासघात करने के प्रलोभन का प्रतिरोध कर सकता है?
१६ यदि कोई मसीही अपने आपको विश्वासघात के मार्ग की ओर प्रलोभित होते हुए पाता है, तो कौनसे तत्त्वों पर ध्यान देना चाहिए? सबसे पहले, बाइबल सिद्धांतों पर दृढ़ रूप से आधारित मसीही प्रेम के अर्थ पर विचार करना चाहिए। कभी भी शारीरिक या कामुक प्रेम को हमारी भावनाओं पर प्रबल होकर स्वार्थ में पड़ने के लिए प्रेरित करने नहीं देना चाहिए, जिससे दूसरों को दुःख पहुँचे। बल्कि, स्थिति को यहोवा के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। इसे कलीसिया के विस्तृत संदर्भ से देखा जाना चाहिए, कि बुरे आचरण से कलीसिया और यहोवा के नाम पर क्या अनादर लाया जाएगा। (भजन १०१:३) उस विषय पर मसीह के विचार को जानने और फिर तदनुसार कार्य करने से विपत्ति से बचे रह सकते हैं। याद रखिए, निस्स्वार्थ मसीह-समान प्रेम कभी टलता नहीं।—नीतिवचन ६:३२, ३३; मत्ती २२:३७-४०; १ कुरिन्थियों १३:५, ८.
१७. हमारे पास वफ़ादारी के कौनसे प्रोत्साहक उदाहरण हैं?
१७ अपने विश्वास और भविष्य की आशा के दृश्य को मज़बूत करना, प्रतिरोध की एक कुंजी है। इसका यह मतलब है कि खराई के उन उल्लेखनीय उदाहरणों को हृदय में सबसे ऊँचा रखना जो अतीत काल के वफ़ादार पुरुष और स्त्रियाँ, और स्वयं यीशु, छोड़ गए थे। पौलुस ने लिखा: “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दहिने जा बैठा। इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया, कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।” (इब्रानियों १२:१-३) विवाह के जहाज़ को डुबाने के बजाय, बुद्धिमान व्यक्ति इसे बचाने के लिए किसी भी नुक़सान को ठीक करने के लिए तरीक़े सोचेगा, और इस प्रकार विश्वासघात और धोखेबाज़ी के ख़तरों से बचा रहेगा।—अय्यूब २४:१५.
१८. (क) परगमन का वर्णन करने के लिए क्यों विश्वासघात एक बहुत ही कटु शब्द नहीं है? (ख) शपथ पूरी करने को परमेश्वर किस दृष्टि से देखता है?
१८ क्या विश्वासघात, जो बेईमानी है, अनैतिकता के लिए बहुत ही कटु शब्द है? एक भरोसे या विश्वास को तोड़ना बेईमानी है। निःसन्देह विवाह-शपथ में भरोसा और सुख-दुःख में, अच्छे-बुरे समयों में प्रेम और देखभाल करने की प्रतिज्ञा भी सम्मिलित होती है। इसमें वह चीज़ सम्मिलित है जिसे कई लोग हमारे वर्तमान समय के लिए दक़ियानूसी समझते हैं—विवाह-शपथ में एक व्यक्ति का अभिव्यक्त किया गया वचन। उस भरोसे को तोड़ना, अपने साथी के साथ एक प्रकार की बेईमानी करना होगा। शपथ के विषय में परमेश्वर का दृष्टिकोण बाइबल में स्मष्ट रूप से बताया गया है: “जब तू परमेश्वर के लिये मन्नत माने, तब उसके पूरा करने में विलम्ब न करना; क्योंकि वह मूर्खों से प्रसन्न नहीं होता। जो मन्नत तू ने मानी हो उसे पूरी करना।”—सभोपदेशक ५:४.
१९. जब एक गवाह असफल होता है, तो किस बात के मुकाबले में शैतान आनन्द मनाता है?
१९ इस विषय में कोई शंका न रहे। जैसे एक पापी के उद्धार से स्वर्ग में बड़ा आनन्द होता है, वैसे ही पृथ्वी पर शैतान के दृश्य और अदृश्य गिरोहों में बड़ा आनन्द होता है, जब यहोवा का एक गवाह अपनी खराई बनाए रखने में असफल होता है।—लूका १५:७; प्रकाशितवाक्य १२:१२.
प्रलोभन जो सब के लिए सामान्य हैं
२०. हम लोग प्रलोभन का प्रतिरोध कैसे कर सकते हैं? (२ पतरस २:९, १०)
२० क्या अनैतिकता कई मामलों में अनिवार्य है? क्या शरीर और शैतान इतने शक्तिशाली हैं कि मसीही इनका प्रतिरोध करके अपनी खराई नहीं बनाए रख सकते? पौलुस इन शब्दों में प्रोत्साहन देता है: “परमेश्वर विश्वासयोग्य है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, बरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।” आज के संसार में शायद हम सम्पूर्ण रूप से प्रलोभन से न बच सकें, लेकिन प्रार्थना द्वारा परमेश्वर की ओर फिरने से, हम किसी भी प्रलोभन को निश्चय ही सहकर पराजित कर सकते हैं।—१ कुरिन्थियों १०:१३, फुटनोट.
२१. हमारे अगले अध्ययन में कौनसे सवालों का जवाब दिया जाएगा?
२१ परमेश्वर हमें प्रलोभन को सहने और विजयी होने में मदद करने के लिए क्या प्रदान करता है? अपने विवाह, अपने परिवार, और साथ ही यहोवा के नाम की और कलीसिया की नेकनामी को सुरक्षित रखने के लिए हमें व्यक्तिगत रूप से कौनसी चीज़ की आवश्यकता है? हमारा अगला लेख इन सवालों पर विचार-विमर्श करेगा।
[फुटनोट]
a “‘व्यभिचार’ विस्तृत अर्थ में, और जैसे मत्ती ५:३२ और १९:९ में प्रयोग किया गया है, स्पष्टतया विवाह के बाहर ग़ैरक़ानूनी या अनुचित लैंगिक सम्बन्धों के विस्तृत क्षेत्र को सूचित करता है। पोरनिया, (Porneia) [उन आयतों में प्रयोग किया गया यूनानी शब्द] कम से कम एक मनुष्य के (चाहे स्वाभाविक या विकृत ढंग से) जननेंद्रिय(यों) के घोर अनैतिक प्रयोग को सम्मिलित करता है; साथ ही, अनैतिकता में एक और साथी भी हुआ होगा—स्त्री या पुरुष, या एक पशु।” (द वॉचटावर, मार्च १५, १९८३, पृष्ठ ३०) परगमन: “क़ानूनी पति या पत्नी के अलावा एक विवाहित व्यक्ति का अन्य साथी के साथ स्वैच्छिक मैथुन।”—दि अमेरिकन हेरिटेज डिक्शनरी ऑफ़ दि इंगलिश लैंग्वेज, (The American Heritage Dictionary of the English Language).
b स्पष्टतः, उचित अवसर होंगे जब एक भाई एक बहन के लिए वाहन प्रबन्ध करे, और ऐसी स्थितियों का अशुद्ध मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए।
क्या आपको याद है?
▫ एक विवाह को मज़बूत बनाने में मदद करने के लिए कुछ तत्त्व क्या हैं?
▫ नैतिकता के विषय में संसार के दृष्टिकोण से हमें क्यों बचे रहना चाहिए?
▫ कई प्रलोभन और स्थितियाँ कौनसी हैं, जो अनैतिकता की ओर ले जा सकती हैं?
▫ पाप का प्रतिरोध करने के लिए मुख्य कुँजी कौनसी है?
▫ परमेश्वर प्रलोभन के समय हमारी कैसी मदद करता है?
[पेज 20 पर बक्स]
स्थायी विवाहों में सामान्य तत्त्व
▫ बाइबल सिद्धांतों का दृढ़ पालन
▫ यहोवा के साथ दोनों साथियों का एक पक्का सम्बन्ध
▫ पति अपनी पत्नी का, उसकी भावनाओं और राय का आदर करता है
▫ प्रतिदिन अच्छा संचार
▫ एक दूसरे को प्रसन्न करने की कोशिश करना
▫ विनोद-वृत्ति; अपने आप पर हँसने के योग्य होना
▫ मुक्त भाव से ग़लतियों को स्वीकार करना; मुक्त भाव से क्षमा करना
▫ रोमांस को सक्रिय रखना
▫ बच्चों का पालन-पोषण और अनुशासन करने में संयुक्त रहना
▫ नियमित रूप से यहोवा से प्रार्थना करने में संयुक्त होना
नकारात्मक तत्त्व जो विवाह को क्षति पहुँचाते हैं
▫ स्वार्थ और हठ
▫ एक साथ काम न करना
▫ कमज़ोर संचार
▫ पति-पत्नी के बीच पर्याप्त विचार-विमर्श में कमी
▫ पैसों का अनुचित संचालन
▫ बच्चों और/या सौतेले बच्चों के साथ व्यवहार करने के मापदण्डों में भिन्नता
▫ पति का देर तक काम करना या अन्य कर्त्तव्यों के लिए परिवार की उपेक्षा करना
▫ परिवार की आध्यात्मिक आवश्यकताओं की देख-रेख न करना
[पेज 21 पर तसवीरें]
विवाह को आदर की बात समझने से स्थायी ख़ुशी मिलती है