अनुकरण करने के लिए नम्रता के उदाहरण
“तेरी अपनी नम्रता मुझे महान बनाएगी।”—भजन १८:३५, NW.
१. वॉच टावर सोसाइटी के एक भूतपूर्व अध्यक्ष में नम्रता का क्या प्रमाण देखा जा सकता था?
जोसफ़ एफ. रदरफर्ड का एक प्रभावशाली व्यक्तित्व था, वह छः फुट से ज़्यादा लम्बा और ९० किलोग्राम से भी ज़्यादा वजन का था। उसकी आवाज़ भी प्रभावशाली थी, जिसके प्रयोग से उसने न सिर्फ़ यहोवा के नाम को उतने बड़े पैमाने पर फैलाया जितना पहले कभी नहीं फैलाया गया था बल्कि मसीहीजगत के धार्मिक नेताओं के छल-कपट का भी पर्दाफ़ाश किया और उनके धर्म को “एक फन्दा और एक ठग व्यापार” बताया। लेकिन जबकि उसके भाषण प्रभावशाली थे, जब वह मुख्यालय के बेथेल परिवार के साथ प्रार्थना करता था, तो ऐसा लगता था मानो एक छोटा लड़का अपने पापा से बात कर रहा हो, और इस प्रकार वह अपने बनानेवाले के साथ अपने अंतरंग सम्बन्ध और अपनी नम्रता दोनों का प्रमाण देता था। जी हाँ, वह एक छोटे बच्चे के समान नम्र था।—मत्ती १८:३, ४.
२. किस ख़ास बात में यहोवा के सेवक संसार के लोगों से बिलकुल विपरीत हैं?
२ निःसंदेह, यहोवा परमेश्वर के सभी सच्चे सेवक नम्र हैं। इस सम्बन्ध में वे संसार के लोगों से बिलकुल विपरीत हैं। आज, पहले से कहीं ज़्यादा, यह घमंडी लोगों से भरा हुआ है। उच्च पदवाले और शक्तिशाली लोग, अमीर और पढ़े-लिखे लोग, और बहुत से ग़रीब लोग भी और जो किसी दूसरे प्रकार से नुक़सान की स्थिति में हैं, घमंडी हैं।
३. घमंड के फलों के बारे में क्या कहा जा सकता है?
३ घमंड बहुत ज़्यादा झगड़े और दुःख उत्पन्न करता है। सचमुच, विश्व में सारी मुसीबत इसी से शुरू हुई क्योंकि एक स्वर्गदूत घमंडी बन गया, और चाहने लगा कि उसकी उपासना उस अद्वितीय तरीक़े से हो जो सिर्फ़ सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर को जानी चाहिए। (मत्ती ४:९, १०) इसके अतिरिक्त, जिसने अपने आपको इब्लीस और शैतान बनाया, पहली स्त्री, हव्वा के घमंड को आकर्षित करके उसे बहकाने में सफल हुआ। उसने उसे प्रतिज्ञा की कि वर्जित फल खाने से वह भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो सकती थी। यदि वह नम्र होती, तो वह कहती, ‘मैं परमेश्वर के तुल्य क्यों होना चाहूँ?’ (उत्पत्ति ३:४, ५) जब हम मानवजाति की शारीरिक, मानसिक, और नैतिक रूप से दुःखद स्थिति पर विचार करते हैं, तो मनुष्यों का घमंड करना कितना अनुचित लगता है! इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हम पढ़ते हैं कि यहोवा “घमण्ड, अहंकार” से घृणा करता है! (नीतिवचन ८:१३) सभी घमंडी लोगों के बिलकुल विपरीत नम्रता के उदाहरण हैं जो परमेश्वर के वचन, बाइबल में पाए जाते हैं।
यहोवा परमेश्वर नम्र है
४. कौनसे शास्त्रवचन दिखाते हैं कि यहोवा नम्र है?
४ यहोवा परमेश्वर—परमप्रधान, विश्व सर्वसत्ताधारी, सनातनकाल का राजा—नम्र है। (उत्पत्ति १४:२२) क्या यह संभव हो सकता है? जी हाँ, सचमुच! राजा दाऊद ने कहा, जैसा कि भजन १८:३५ (NW) में लेखबद्ध है: “तू मुझे अपने बचाव की ढाल देगा, और तेरा अपना दहिना हाथ मुझे सम्भालेगा, और तेरी अपनी नम्रता मुझे महान बनाएगी।” स्पष्ट रूप से, राजा दाऊद ने उसे, अर्थात् दाऊद को महान बनाने का श्रेय यहोवा की नम्रता को दिया। फिर दोबारा, हम भजन ११३:६ में पढ़ते हैं कि यहोवा “आकाश और पृथ्वी पर भी, दृष्टि करने के लिये झुकता है।” अन्य अनुवाद इस तरह कहते हैं, “दृष्टि करने के लिए स्वयं को झुकाता है,” (न्यू इंटरनैशनल वर्शन) “इतने नीचे देखने के लिए अपने आपको दीन करता है।”—द न्यू इंग्लिश बाइबल.
५. कौनसी घटनाएँ यहोवा की नम्रता को प्रमाणित करती हैं?
५ सदोम और अमोरा के दुष्ट शहरों को नाश करने का उद्देश्य रखने में जब यहोवा ने इब्राहीम को उसकी धार्मिकता पर प्रश्न उठाने दिया, तब यहोवा ने जिस तरीक़े से इब्राहीम के साथ व्यवहार किया उसमें यहोवा परमेश्वर निश्चित रूप से झुका।a (उत्पत्ति १८:२३-३२) और जब यहोवा ने इस्राएल जाति को मिटाने की अपनी इच्छा व्यक्त की—एक बार मूर्तिपूजा के लिए, दूसरी बार विद्रोह के लिए—तो मूसा ने हर अवसर पर यहोवा के साथ ऐसे तर्क किया मानो वह किसी मनुष्य के साथ बात कर रहा हो। हर बार यहोवा ने अनुग्रहपूर्वक प्रतिक्रिया दिखाई। उसके लोग, इस्राएल के सम्बन्ध में मूसा के निवेदनों को स्वीकार करना यहोवा की ओर से नम्रता दिखाता है। (निर्गमन ३२:९-१४; गिनती १४:११-२०) मनुष्यों के साथ मानो व्यक्तिगत तौर पर यहोवा के नम्रतापूर्वक व्यवहार करने के अन्य उदाहरण गिदोन और योना के साथ उसके सम्बन्धों में देखे जा सकते हैं, जैसा कि न्यायियों ६:३६-४० और योना ४:९-११ में लेखबद्ध है।
६. यहोवा की कौनसी विशेषता उसकी नम्रता को और अधिक प्रकट करती है?
६ असल में, कम से कम नौ बार कहा गया है कि यहोवा “कोप करने में धीरजवन्त” है।b अपरिपूर्ण मनुष्यों के साथ हज़ारों साल से व्यवहार करने में यहोवा का धीरज रखना, कोप करने में धीरजवन्त होना, उसके नम्र होने का अतिरिक्त प्रमाण है। घमंडी व्यक्ति अधीर, क्रोध व्यक्त करने में जल्दबाज़ होते हैं, धीरज से कितने भिन्न। यहोवा की नम्रता के सामने अपरिपूर्ण मनुष्यों का घमंड कितना बेतुका लगता है! क्योंकि हमें कहा गया है कि “बालको की नाईं परमेश्वर के सदृश्य बनो,” हमें भी नम्र होना चाहिए जैसे कि वह भी नम्र है।—इफिसियों ५:१.
मसीह का नम्रता का उदाहरण
७, ८. यीशु मसीह की नम्रता के बारे में शास्त्रवचन क्या कहते हैं?
७ हमारे अनुकरण करने के लिए नम्रता का दूसरा सबसे प्रभावशाली उदाहरण १ पतरस २:२१ में बताया गया है: “और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो।” उसके पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में आने से बहुत समय पहले, जकर्याह ९:९ में उसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी: “हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगा; वह धर्मी और उद्धार पाया हुआ है, वह दीन है, और गदहे पर वरन गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा।” यदि यीशु मसीह घमंडी होता तो शायद उसने शैतान का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता कि उसकी एक बार उपासना करे और बदले में संसार के सारे राज्यों को प्राप्त कर ले। (मत्ती ४:९, १०) उसने अपने शिक्षण के लिए यहोवा को सारा श्रेय देने के द्वारा भी नम्रता दिखाई, उसने कहा: “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाओगे, तो जानोगे कि मैं वही हूं, और अपने आप से कुछ नहीं करता, परन्तु जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया, वैसे ही ये बातें कहता हूं।”—यूहन्ना ८:२८.
८ वह अपने सुननेवालों को उचित रीति से कह सकता था: “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।” (मत्ती ११:२९) और उसने नम्रता का क्या ही उत्तम उदाहरण रखा जब एक मनुष्य के रूप में अपने प्रेरितों के साथ आख़िरी शाम को उसने उनके पैर धोए! (यूहन्ना १३:३-१५) अति उपयुक्त रूप से, फिलिप्पियों २:३-८ में, प्रेरित पौलुस मसीहियों को “दीनता” रखने की सलाह देता है, और उदाहरण के रूप में यीशु मसीह का उल्लेख करता है: “जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। बरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस [यातना स्तम्भ, NW] की मृत्यु भी सह ली।” अपने जीवन के सबसे बड़े संकट का सामना करते समय उसने नम्रतापूर्वक अपने पिता से प्रार्थना की: “जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।” (मत्ती २६:३९) निश्चित ही, यीशु मसीह का अनुकरण करनेवाले होने के लिए, उसके पदचिह्नों पर चलने के लिए, हमें नम्र होने की ज़रूरत है।
प्रेरित पौलुस, नम्रता का एक उत्तम उदाहरण
९-१२. प्रेरित पौलुस ने किन तरीक़ों से नम्रता का एक उत्तम उदाहरण रखा?
९ प्रेरित पौलुस ने लिखा: “तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।” (१ कुरिन्थियों ११:१) क्या प्रेरित पौलुस ने मन में दीन होने के द्वारा यीशु मसीह का अनुकरण किया, और इस प्रकार अनुकरण करने के लिए हमें नम्रता का एक और उदाहरण दिया? निश्चय ही उसने दिया। सबसे पहले, उसने यह स्वीकार किया कि वह यीशु मसीह का एक दास था। (फिलिप्पियों १:१) उसने इफिसुस के प्राचीनों को कहा कि वह ‘बड़ी दीनता से, और आंसू बहा बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षड़यन्त्र के कारण उस पर आ पड़ी; वह प्रभु की सेवा करता ही रहा।’ (प्रेरितों २०:१७-१९) यदि वह नम्र नहीं होता, तो वह उन शब्दों को कभी न लिखता जो रोमियों ७:१८, १९ में पाए जाते हैं: “मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात् मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु बास नहीं करती, . . . क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता, वही किया करता हूं।”
१० जो पौलुस ने कुरिन्थ के मसीहियों को लिखा, वह भी उसकी नम्रता का संकेत करता है, जैसा कि १ कुरिन्थियों २:३ में लेखबद्ध है: “मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।” एक मसीही बनने से पहले अपने पिछले कामों का नम्रतापूर्वक ज़िक्र करते हुए, उसने लिखा: “मैं तो पहिले निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और अन्धेर करनेवाला था; . . . मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।”—१ तीमुथियुस १:१३, १५.
११ उसने अपने प्रयत्नों में सारी सफलता का श्रेय यहोवा परमेश्वर को दिया जो कि उसकी नम्रता को और अधिक दिखाता है। उसने अपनी सेवकाई के सम्बन्ध में लिखा: “मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया। इसलिये न तो लगानेवाला कुछ है, और न सींचनेवाला, परन्तु परमेश्वर जो बढ़ानेवाला है।” (१ कुरिन्थियों ३:६, ७) उसने अपने भाइयों से भी उसके लिए प्रार्थना करने को कहा कि वह अच्छी गवाही दे सके, जैसा कि हम इफिसियों ६:१८-२० में पढ़ते हैं: ‘मेरे लिये प्रार्थना किया करो . . . कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, . . . कि मैं [सुसमाचार के भेद] के विषय में जैसा मुझे चाहिए हियाव से बोलूं।’
१२ जिस तरह दूसरे प्रेरितों के साथ पौलुस ने सहयोग दिया उसमें भी उसने अपनी नम्रता दिखाई: “याकूब, और कैफा, और यूहन्ना ने . . . मुझ को और बरनबास को दहिना हाथ देकर संग कर लिया, कि हम अन्यजातियों के पास जाएं, और वे खतना किए हुओं के पास।” (गलतियों २:९) जब चार युवकों ने मन्दिर जाकर अपनी मन्नत पूरी की तो उनके साथ जाने के द्वारा और उनका ख़र्चा उठाने के द्वारा उसने यरूशलेम कलीसिया के प्राचीनों के साथ सहयोग देने के लिए अपनी तत्परता को और अधिक दिखाया।—प्रेरितों २१:२३-२६.
१३. किस बात ने पौलुस की नम्रता को इतना उल्लेखनीय बनाया?
१३ पौलुस की नम्रता और भी अधिक उल्लेखनीय है जब हम इस बात पर ग़ौर करते हैं कि यहोवा परमेश्वर द्वारा वह कितने शक्तिशाली रूप से प्रयोग किया गया। उदाहरण के लिए, हम पढ़ते हैं कि “परमेश्वर पौलुस के हाथों से सामर्थ के अनोखे काम दिखाता था।” (प्रेरितों १९:११, १२) उससे भी ज़्यादा, उसे अलौकिक दर्शन और प्रकटीकरण दिए गए। (२ कुरिन्थियों १२:१-७) हमें इस बात की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि उसे मसीही यूनानी शास्त्रों की २७ पुस्तकों (असल में पत्रियाँ) में से १४ को लिखने के लिए उत्प्रेरित किया गया। इन सब बातों ने उसे अभिमानी नहीं बना दिया। वह नम्र बना रहा।
आधुनिक-दिन के उदाहरण
१४-१६. (क) वॉच टावर संस्था का पहला अध्यक्ष किस प्रकार नम्रता का एक उत्तम उदाहरण था? (ख) उसका उदाहरण किसके उदाहरण से बिलकुल विपरीत है?
१४ इब्रानियों १३:७ में हम प्रेरित पौलुस की सलाह पढ़ते हैं: “जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।” इस सिद्धान्त के सामंजस्य में, हम आधुनिक-दिन के उदाहरण के तौर पर वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के पहले अध्यक्ष, चार्ल्स टेज़ रस्सल को ले सकते हैं, जिसके विश्वास का हम अनुकरण कर सकते हैं। क्या वह एक नम्र व्यक्ति था? सचमुच वह नम्र था! जैसा कि ठीक देखा जा चुका है, अपने शास्त्रवचनों में अध्ययन (अंग्रेज़ी में) के मूलपाठ में, जो ३,००० पन्नों के छः खंडों में है, उसने एक बार भी अपना ज़िक्र नहीं किया। आज वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के प्रकाशन लेखों के लेखकों की पहचान न देने के द्वारा मनुष्य की ओर ध्यान आकर्षित न करवाने के इस सिद्धान्त का अनुसरण करते हैं।
१५ वॉच टावर में रस्सल ने एक बार लिखा था कि वह “रस्सलवाद” और “रस्सलवादी” जैसी किसी चीज़ को नहीं जानता था, वे नाम जिनका प्रयोग उसके विरोधियों ने किया लेकिन उसने इन्हें सुनिश्चित रूप से अस्वीकार किया। उसने लिखा: “हमारा काम . . . काफ़ी समय से सच्चाई के बिखरे हुए टुकड़ों को एक साथ लाना और उन्हें प्रभु के लोगों को पेश करना रहा है—नई सच्चाई के तौर पर नहीं, हमारी अपनी सच्चाई के तौर पर नहीं, बल्कि प्रभु की सच्चाई के तौर पर। . . . वह काम जिसमें प्रभु हमारे नम्र कौशल को प्रयोग करने में प्रसन्न हुआ है वह आरंभन का काम कम, पुनर्निमाण, समंजन, और समन्वयता का काम ज़्यादा रहा है।” सच में, उसने प्रेरित पौलुस की भावनाओं को स्वरित किया, जो कि १ कुरिन्थियों ३:५-७ में मिलती हैं।
१६ उसकी मनोवृत्ति चार्ल्स डार्विन की मनोवृत्ति से बिलकुल विपरीत थी। वर्ष १८५९ में डार्विन ने अपने जातियों का उद्गम (अंग्रेज़ी में) के पहले संस्करण में बारंबार “मेरे” सिद्धान्त का ज़िक्र किया, और विकासवाद के बारे में उससे पहले अन्य लोगों द्वारा कही बातों को नज़रअंदाज़ किया। उस शताब्दी के एक नामी लेखक, सैमुएल बटलर ने यह दिखाते हुए डार्विन को फटकारा, कि उससे पहले अनेक अन्य लोगों ने विकासवाद परिकल्पना को आगे बढ़ाया था; किसी भी हालत में यह कार्य डार्विन ने शुरू नहीं किया था।
१७. भाई रदरफर्ड की नम्रता के अतिरिक्त उदाहरण क्या हैं?
१७ आधुनिक समय में एक और वफ़ादार सेवक जिसे यहोवा परमेश्वर ने प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया वह था जोसफ़ एफ. रदरफर्ड, जिसका ज़िक्र शुरू में किया गया है। वह बाइबल सच्चाई का और ख़ासकर यहोवा के नाम का निर्भीक समर्थक था। जबकि वह जज रदरफर्ड के नाम से सुप्रसिद्ध था, वह हृदय से एक नम्र व्यक्ति था। उदाहरण के लिए, एक बार उसने कुछ मताग्रही कथन किए कि १९२५ में मसीही लोग क्या अपेक्षा कर सकते हैं। जब घटनाओं ने उसकी अपेक्षाओं का समर्थन नहीं किया, तो उसने नम्रतापूर्वक ब्रुकलिन बेथेल परिवार को कहा कि उसने अपने आपको बुद्धू बना लिया। एक अभिषिक्त मसीही ने, जिसकी उसके साथ नज़दीकी संगति थी, गवाही दी कि उसने भाई रदरफर्ड को बहुत बार एक संगी मसीही को किसी अविवेचित अभिव्यक्ति द्वारा चोट पहुँचाने के कारण मत्ती ५:२३, २४ की आत्मा में, लोगों के सामने और अकेले में भी, क्षमा माँगते हुए सुना। एक व्यक्ति जो अधिकार के पद पर है उसके लिए उनसे क्षमा माँगने में नम्रता की ज़रूरत होती है जो उसके अधीन हैं। भाई रदरफर्ड ने सभी ओवरसियरों के लिए एक अच्छा उदाहरण रखा, चाहे वे एक कलीसिया में हों, सफ़री कार्य में हों, या संस्था की किसी शाखा में क्यों न हों।
१८. संस्था के तीसरे अध्यक्ष ने क्या अभिव्यक्ति की जो उस के मन की नम्र स्थिति प्रकट करती है?
१८ वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के तीसरे अध्यक्ष, नेथन एच. नॉर ने भी दिखाया कि, जबकि वह यहोवा के लोगों के बीच प्रमुख था, उसने अपने पद के कारण अपने को ऊँचा नहीं समझा। जबकि वह संगठित करने की क्षमता में और सार्वजनिक तौर पर बोलने में अति कुशल था, उसे दूसरों द्वारा किए कार्यों के प्रति आदर था। अतः, एक बार वह लेखन विभाग (राइटिंग कमिटी) के एक सदस्य से उसके दफ़्तर में मिलने गया और कहा: “यहाँ पर सबसे महत्त्वपूर्ण और सबसे मुश्किल कार्य होता है। इसीलिए मैं इस काम को बहुत कम करता हूँ।” जी हाँ, वह फिलिप्पियों २:३ की सलाह को नम्रतापूर्वक लागू कर रहा था, कि ‘एक व्यक्ति को दीनता से दूसरों को अपने से अच्छा समझना चाहिए।’ उसने इस बात का महत्त्व समझा कि जबकि संस्था के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना महत्त्वपूर्ण था, दूसरे कार्य भी महत्त्वपूर्ण थे। इस तरह महसूस करने और इसे इतनी स्पष्ट रीति से व्यक्त करने के लिए उसकी ओर से नम्रता की ज़रूरत थी। सभी के अनुकरण करने के लिए, ख़ासकर उनके लिए जिनके पास शायद निगरानी का प्रमुख पद हो, वह एक और उत्तम उदाहरण था।
१९, २०. (क) संस्था के चौथे अध्यक्ष ने नम्रता का क्या उदाहरण रखा? (ख) अगला लेख हमारे नम्रता दिखाने के लिए क्या मदद देगा?
१९ संस्था का चौथा अध्यक्ष, फ्रेड डब्ल्यू. फ्रान्ज़ भी नम्रता का एक उत्तम उदाहरण था। कुछ ३२ सालों तक संस्था के उप-अध्यक्ष के रूप में उसने पत्रिकाओं और अधिवेशन कार्यक्रमों के लिए काफ़ी लिखाई का कार्य किया; लेकिन इस सम्बन्ध में वह हमेशा पीछे रहा, कभी ध्यान का केंद्र नहीं बनना चाहा। एक तुलनीय प्राचीन उदाहरण का हवाला दिया जा सकता है। जब योआब ने अम्मोनियों को रब्बा में पराजित कर दिया, तो उसने यह निश्चित किया कि जीत के लिए राजा दाऊद को श्रेय मिले।—२ शमूएल १२:२६-२८.
२० सचमुच, पहले के और आज के, अनेक उत्तम उदाहरण हैं जो हमें नम्र होने के लिए प्रभावशाली कारण देते हैं। लेकिन, हमारे नम्र होने के लिए और भी अनेक कारण हैं, अगले लेख में इन कारणों की और साथ ही हमारे नम्र होने के लिए सहायकों की चर्चा की जाएगी।
[फुटनोट]
a “झुकना” अकसर “श्रेष्ठता की भावना रखना” के अर्थ में प्रयोग होता है। लेकिन इसका मुख्य अर्थ—और न्यू वर्ल्ड ट्रान्सलेशन में इसका अर्थ है—“नरम पड़ जाना,” “पद के विशेषाधिकार छोड़ देना।”—वेबस्टरस् नाइन्थ न्यू कॉलिजिएट डिक्शनरि देखिए।
क्या आपको याद है?
▫ घमंड के फल क्या हुए हैं?
▫ नम्रता में किसने सर्वोत्तम उदाहरण रखा है?
▫ क्या बात दिखाती है कि नम्रता का दूसरा सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कौन था?
▫ प्रेरित पौलुस ने नम्रता का क्या उत्तम उदाहरण रखा?
▫ हमारे पास नम्रता के कौनसे प्रमुख आधुनिक-दिन के उदाहरण हैं?
[पेज 7 पर तसवीरें]
यीशु ने नम्रता का एक उत्तम प्रदर्शन किया
[पेज 8 पर तसवीरें]
पौलुस ने नम्रता का एक उत्तम उदाहरण रखा
[पेज 9 पर तसवीरें]
भाई रस्सल ने जो बातें लिखीं उनका श्रेय ख़ुद नहीं लिया