क्या आपको सही धर्म मिल गया है?
“हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है।”—याकूब १:२७.
१, २. (क) अनेक लोगों के विचार में, क्या बात निर्धारित करती है कि उनका धर्म सही धर्म है या नहीं? (ख) धर्म का निर्णय करने में किस बात पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए?
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जब अनेक लोग धर्म को अपने जीवन का एक अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा देने में संतुष्ट हैं। वे शायद कुछ धर्मक्रियाओं में उपस्थित होते हों, लेकिन थोड़े ही लोग नियमित रूप से ऐसा करते हैं। अधिकांश लोग यह विश्वास नहीं करते कि केवल उनका धर्म सही है और अन्य सभी धर्म ग़लत हैं। वे शायद सिर्फ़ यह महसूस करते हों कि उनका धर्म उनके लिए सही है।
२ इसको ध्यान में रखते हुए, इस प्रश्न, क्या आपको सही धर्म मिल गया है? का अर्थ क्या सिर्फ़ यह है कि, क्या आपको एक धर्म मिल गया है जो आपको पसन्द है? क्या बात आपकी पसन्द निर्धारित करती है? आपका परिवार? आपके साथी? स्वयं आपकी भावनाएँ? इस विषय पर परमेश्वर के दृष्टिकोण पर आपने कितनी गंभीरता से विचार किया है?
हम परमेश्वर का दृष्टिकोण कैसे जान सकते हैं?
३. (क) यदि हमें परमेश्वर का दृष्टिकोण जानना है, तो हमारे लिए क्या उपलब्ध होना चाहिए? (ख) हम व्यक्तिगत रूप से क्यों विश्वास करते हैं कि बाइबल परमेश्वर की ओर से है इस बारे में हमें कौन से प्रश्न पूछने चाहिए?
३ यदि हमें जानना है कि स्वयं परमेश्वर क्या सोचता है, तो उसकी ओर से कुछ प्रकटीकरण होना चाहिए। बाइबल सबसे पुरानी पुस्तक है जो परमेश्वर की प्रेरणा से रची जाने का दावा करती है। (२ तीमुथियुस ३:१६, १७) लेकिन क्या यह सत्यता से कहा जा सकता है कि अन्य सभी पुस्तकों की विषमता में, इस पुस्तक में सारी मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर का संदेश है? आप इस प्रश्न का उत्तर कैसे देंगे, और क्यों? वह आपके माता-पिता का दृष्टिकोण था क्या इस कारण? क्या आपके साथियों की मनोवृत्ति के कारण? क्या आपने स्वयं प्रमाण की जाँच की है? निम्नलिखित चार क़िस्म के प्रमाणों का प्रयोग करते हुए क्यों न अब जाँच करें?
४. उपलब्धता के बारे में, क्या बात सूचित करती है कि बाइबल परमेश्वर की ओर से है, न कि कोई अन्य पुस्तक?
४ उपलब्धता: एक संदेश जो सचमुच परमेश्वर की ओर से है और जो संपूर्ण मानव परिवार के लिए है उनको उपलब्ध होना चाहिए। क्या यह बाइबल के बारे में सच है? इस पर विचार कीजिए: पूरी बाइबल या उसका कुछ भाग अब २,००० से अधिक भाषाओं में प्रकाशित है। अमेरिकन बाइबल सोसाइटी के अनुसार, लगभग एक दशक पहले जिन भाषाओं में बाइबल छपी थी उससे वह संसार की कुछ ९८ प्रतिशत जनसंख्या को उपलब्ध थी। जैसा गिनिस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्डस् ने दिखाया है, बाइबल स्पष्ट रूप से “संसार की सबसे व्यापक रूप से वितरित पुस्तक है।” सभी जातियों, राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों के लिए परमेश्वर की ओर से एक संदेश से हम यही अपेक्षा करेंगे। (प्रकाशितवाक्य १४:६ से तुलना कीजिए।) संसार में दूसरी कोई पुस्तक नहीं जिसका रिकार्ड इसके समान है।
५. बाइबल की ऐतिहासिक बुनियाद क्यों महत्त्वपूर्ण है?
५ ऐतिहासिकता: बाइबलीय अभिलेखों की ध्यानपूर्वक जाँच एक और तरीक़ा प्रकट करती है जिसमें बाइबल पवित्र होने का दावा करनेवाली अन्य पुस्तकों से भिन्न है। बाइबल में ऐतिहासिक तथ्य हैं, अप्रमाण्य कल्प-कथाएँ नहीं। अरवन लिन्टन, जो एक वकील होने के कारण न्यायालय में प्रमाण के रूप में आवश्यक चीज़ों का विश्लेषण करने में अभ्यस्त था, ने लिखा: “जबकि कल्पित कहानियाँ, पौराणिक कथाएँ और झूठे कथन घटनाओं का वर्णन करते समय ध्यानपूर्वक बताते हैं कि वे किसी दूर स्थान और किसी अनिश्चित समय में घटीं, . . . बाइबल अभिलेख हमें वर्णित घटनाओं की तिथि और स्थान चरम यथार्थता के साथ बताते हैं।” (उदाहरणों के लिए, १ राजा १४:२५; यशायाह ३६:१; लूका ३:१, २ देखिए।) उन लोगों के लिए जो वास्तविकता से बचने के लिए नहीं बल्कि सत्य के लिए धर्म की ओर मुड़ते हैं, यह एक महत्त्वपूर्ण सोच-विचार है।
६. (क) जीवन की समस्याओं में बाइबल वास्तव में एक व्यक्ति की मदद कैसे करती है? (ख) किन तीन तरीक़ों से बाइबल एक व्यक्ति को कठोर वास्तविकताओं का सामना करने में सहायता देती है?
६ व्यावहारिकता: जो लोग गंभीरता से बाइबल की जाँच करते हैं जल्द महसूस करते हैं कि इसकी आज्ञाएँ और सिद्धान्त उनका शोषण करने के लिए नहीं बनाए गए हैं। बल्कि, ये एक जीवन-शैली की रूपरेखा देते हैं, और इस पर ध्यानपूर्वक चलनेवाले लोगों को यह लाभ पहुँचाती है। (यशायाह ४८:१७, १८) जो सांत्वना यह विपत्ति में पड़े लोगों को देती है वह खाली तत्त्वज्ञान पर आधारित, खोखली नहीं है। इसके बजाय, यह जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करने के लिए लोगों की मदद करती है। कैसे? तीन तरीक़ों से: (१) कठिनाइयों से निपटने के लिए ठोस सलाह देने के द्वारा, (२) यह समझाने के द्वारा कि उस प्रेममय सहारे को कैसे प्राप्त करें जो परमेश्वर अपने सेवकों को अभी देता है, और (३) वह शानदार भविष्य प्रकट करने के द्वारा जो परमेश्वर ने उनके लिए रखा है जो उसकी सेवा करते हैं, और यह उन्हें परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में विश्वास के लिए ठोस कारण देता है।
७. (क) फुटनोट में उल्लिखित शास्त्रवचनों का प्रयोग करते हुए, एक प्रमुख समस्या पर बाइबल के उत्तर की व्याख्या कीजिए जो आज लोगों को चिन्तित करती है। (ख) दिखाइए कि कैसे बाइबल की सलाह हमारा बचाव करती है या एक तनावपूर्ण स्थिति का सामना करने में हमारी मदद करती है।
७ जबकि बाइबल की सलाह प्रायः उन लोगों के बीच प्रचलित नहीं है जो अधिकार को ठुकराते हैं और असंयमी जीवन का अनुसरण करते हैं, फिर भी अनेक लोगों को यह एहसास हुआ है कि ऐसा जीवन उनके लिए सच्ची ख़ुशी नहीं लाया है। (गलतियों ६:७, ८) बाइबल गर्भपात, तलाक़, और समलिंगकामुकता के बारे में प्रश्नों के सीधे उत्तर देती है। इसकी सलाह नशीले पदार्थों एवं शराब के दुष्प्रयोग के विरुद्ध और संदूषित लहू या लैंगिक स्वच्छंदता के द्वारा एडस् लगने के विरुद्ध बचाव है। यह हमें दिखाती है कि किस प्रकार सुखी परिवार बनाएँ। यह ऐसे उत्तर प्रदान करती है जो व्यक्ति को जीवन में अति तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ करते हैं, जिसमें निकट परिवार सदस्यों द्वारा ठुकराया जाना, भयंकर बीमारी, और एक प्रिय जन की मृत्यु सम्मिलित है। यह अपनी प्राथमिकताओं को पहचानने में हमारी मदद करती है ताकि हमारे जीवन खेद के बजाय अर्थ से भर जाएँ।a
८, ९. (क) बाइबल की उत्प्रेरणा के प्रमाण के रूप में कौन सी भविष्यवाणी आपको व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करती है? (ख) बाइबल में दी गई भविष्यवाणियाँ उनके उद्गम के बारे में क्या प्रमाणित करती हैं?
८ भविष्यवाणी: भविष्यवाणी की एक पुस्तक के रूप में बाइबल अनोखी है, एक ऐसी पुस्तक जो बताती है कि भविष्य में क्या होगा और उसे विस्तार से बताती है। इसने प्राचीन सोर के विनाश, बाबुल के पतन, यरूशलेम के पुनःनिर्माण, मादी-फारस और यूनान के राजाओं के उत्थान और पतन, और यीशु मसीह के जीवन में बहुत सी घटनाओं को पूर्वबताया। इसने संसार की परिस्थितियों को भी विस्तार से पूर्वबताया जो इस शताब्दी में विकसित हुई हैं, और यह उनके महत्त्व को समझाती है। यह दिखाती है कि उन समस्याओं का कैसे समाधान होगा जो मानव शासकों को अभिभूत करती हैं, और यह उस शासक की पहचान कराती है जो मनुष्यजाति के लिए स्थायी शान्ति और सच्ची सुरक्षा लाएगा।b—यशायाह ९:६, ७; ११:१-५, ९; ५३:४-६.
९ उल्लेखनीय रूप से, बाइबल यथार्थता से भविष्य को पूर्वबतलाने की क्षमता को परमेश्वरत्व की एक परख के रूप में प्रस्तुत करती है। (यशायाह ४१:१-४६:१३) जो ऐसा कर सकता है या जो ऐसा करने के लिए दूसरों को उत्प्रेरित कर सकता है वह मात्र एक निर्जीव मूर्ति नहीं है। वह सिर्फ़ एक पवित्र मनुष्य नहीं है। वह सच्चा परमेश्वर है, और जिस पुस्तक में ऐसी भविष्यवाणी है वह उसका वचन है।—१ थिस्सलुनीकियों २:१३.
क्या वे सभी जो बाइबल का प्रयोग करते हैं सही हैं?
१०, ११. जैसा यीशु ने दिखाया, हालाँकि एक पादरी शायद बाइबल का प्रयोग करे, लेकिन जिस धर्म का वह समर्थन करता है क्या बात उसे अयोग्य बना सकती है?
१० तो फिर, क्या यह निष्कर्ष निकालना तर्कसंगत है—उससे भी महत्त्वपूर्ण, क्या यह शास्त्रीय है—कि सभी धार्मिक समूह जो बाइबल को प्रयोग करने का दावा करते हैं सच्चा धर्म सिखाते हैं? क्या हर कोई जो बाइबल रखता है या उससे उद्धरण देता है सही धर्म का अभ्यास कर रहा है?
११ हालाँकि उनके पास बाइबल है, अनेक पादरी स्वयं को महिमावान् करने के एक साधन के रूप में धर्म का प्रयोग करते हैं। वे शुद्ध सच्चाइयों में परंपराओं और मानव तत्त्वज्ञान को मिलाकर उनकी शक्ति घटा देते हैं। क्या उनकी उपासना परमेश्वर को स्वीकार्य है? प्रथम-शताब्दी यरूशलेम में धार्मिक अगुए ठीक यही कर रहे थे। यीशु मसीह ने उपयुक्त रूप से उन पर भविष्यवक्ता यशायाह के द्वारा परमेश्वर की घोषणा लागू की, उसने कहा: “ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है। और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।” (मत्ती १५:८, ९; २३:५-१०) स्पष्ट रूप से, उस क़िस्म का धर्म सच्चा धर्म नहीं है।
१२, १३. (क) किस प्रकार गिरजा सदस्यों का आचरण यह निर्धारित करने में एक व्यक्ति की मदद कर सकता है कि उनका धर्म सही धर्म है या नहीं? (ख) परमेश्वर हमारी उपासना को कैसे देखेगा यदि हम उन लोगों को साथियों के रूप में चुनते हैं जिनको वह अस्वीकार करता है? (२ इतिहास १९:२)
१२ यदि कुछ धर्मों की शिक्षाओं द्वारा उत्पन्न फल सड़ा है, जो कि उनके उन सदस्यों के जीवन में प्रकट है जिनका एक अच्छा नाम है, तब क्या? अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने चेतावनी दी: “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो . . . उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे . . . हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।” (मत्ती ७:१५-१७) यह सच है कि व्यक्ति ग़लत काम कर सकते हैं और उन्हें सुधार की ज़रूरत होती है। लेकिन स्थिति भिन्न है जब गिरजा सदस्य, यहाँ तक कि पादरी भी व्यभिचार और परस्त्रीगमन, लड़ाइयों, मतवालेपन, लोभ, झूठ, प्रेतात्मवाद, मूर्तिपूजा—इन में से किसी या सभी चीज़ों—में आसक्त हो जाते हैं और फिर भी कोई अनुशासन नहीं दिया जाता, और जो इस मार्ग पर चलना जारी रखते हैं उन्हें कलीसिया से नहीं निकाला जाता है। बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि जो लोग ऐसी चीज़ों का अभ्यास करते हैं उन्हें कलीसिया से निष्कासित किया जाना चाहिए; परमेश्वर के राज्य में उनके लिए कोई जगह नहीं होगी। (गलतियों ५:१९-२१) उनकी उपासना परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करती, न ही हमारी उपासना परमेश्वर को प्रसन्न करेगी यदि हम उन लोगों को अपने साथियों के रूप में चुनते हैं जिनको वह अस्वीकार करता है।—१ कुरिन्थियों ५:११-१३; ६:९, १०; प्रकाशितवाक्य २१:८.
१३ यह स्पष्ट है कि वे सभी समूह जो बाइबल को प्रयोग करने का दावा करते हैं, बाइबल द्वारा वर्णित सच्चे धर्म का अभ्यास नहीं करते। तो फिर, बाइबल किन बातों को सच्चे धर्म के पहचान चिह्नों के रूप में बताती है?
सच्चे धर्म के पहचान चिह्न
१४. (क) सच्चे धर्म की सभी शिक्षाएँ किस चीज़ पर आधारित हैं? (ख) परमेश्वर और आत्मा के सम्बन्ध में मसीहीजगत की शिक्षाएँ इस परीक्षा में कितनी सफल होती हैं?
१४ उसकी शिक्षाएँ उत्प्रेरित शास्त्रों पर दृढ़ता से आधारित हैं। “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने . . . के लिये लाभदायक है।” (२ तीमुथियुस ३:१६) लेकिन पवित्र बाइबल मसीहीजगत के त्रियेक के बारे में कहाँ बोलती है? और जैसा पादरी सिखाते हैं, बाइबल कहाँ सिखाती है कि मनुष्यों के पास एक आत्मा (सोल) है जो भौतिक देह की मृत्यु के बाद जीवित बचती है? क्या आपने कभी एक पादरी से पूछा है कि आपको इन शिक्षाओं को आपकी बाइबल में दिखाए? द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका कहती है: “नए नियम में न तो शब्द त्रियेक और न ही यह सुस्पष्ट सिद्धान्त आता है।” (१९९२, माइक्रोपीडिया, खण्ड ११, पृष्ठ ९२८) और न्यू कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया स्वीकार करती है: “प्रेरितिक पिताओं के मध्य, ऐसी कोई बात नहीं थी जो ज़रा सा भी ऐसी मनोवृत्ति या मानसिक दृष्टि के पास पहुँच रही हो।” (१९६७, खण्ड १४, पृष्ठ २९९) जहाँ तक मसीहीजगत की इस धारणा का सम्बन्ध है, कि एक आत्मा होती है जो मृत्यु होने पर देह से अलग हो जाती है, गिरजा विद्वान स्वीकार करते हैं कि उन्होंने यह विचार यूनानी तत्त्वज्ञान से लिया है। लेकिन, सच्चा धर्म मानव तत्त्वज्ञान के लिए बाइबल सत्य की उपेक्षा नहीं करता।—उत्पत्ति २:७; व्यवस्थाविवरण ६:४; यहेजकेल १८:४; यूहन्ना १४:२८.
१५. (क) जिस एकमात्र व्यक्ति की उपासना की जानी चाहिए बाइबल उसकी पहचान कैसे कराती है? (ख) यहोवा के निकट आने के बारे में सच्चे उपासक कैसा महसूस करते हैं?
१५ सच्चा धर्म केवल एकमात्र सच्चे परमेश्वर, यहोवा की उपासना का समर्थन करता है। (व्यवस्थाविवरण ४:३५; यूहन्ना १७:३) व्यवस्थाविवरण ५:९ और ६:१३ का भावानुवाद करते हुए, यीशु मसीह ने दृढ़ता से कहा: “तू प्रभु अपने परमेश्वर [यहोवा, NW] को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।” (मत्ती ४:१०) उसी के साथ सुसंगत, यीशु ने अपने पिता का नाम अपने शिष्यों को बताया। (यूहन्ना १७:२६) क्या आपके धर्म ने आपको यहोवा की उपासना करना सिखाया है? क्या आप उस नाम से पहचाने जानेवाले व्यक्ति—उसके उद्देश्यों, उसके कार्यों, उसके गुणों—को जान गए हैं ताकि आप महसूस करें कि आप विश्वस्त होकर उसके निकट आ सकते हैं? यदि आपका धर्म सच्चा है, तो उत्तर है हाँ।—लूका १०:२२; १ यूहन्ना ५:१४.
१६. उन लोगों के लिए मसीह में विश्वास का क्या अर्थ है जो सच्चे धर्म का अभ्यास करते हैं?
१६ परमेश्वर को प्रसन्न करनेवाली उपासना का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है उसके पुत्र, यीशु मसीह में विश्वास। (यूहन्ना ३:३६; प्रेरितों ४:१२) इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल इस पर विश्वास करना कि वह जीवित रहा था या यह कि वह एक उल्लेखनीय व्यक्ति था। इसमें सम्मिलित है यीशु के परिपूर्ण मानव जीवन के बलिदान के मूल्य के सम्बन्ध में बाइबल जो सिखाती है उसका मूल्यांकन करना और स्वर्गीय राजा के रूप में आज उसके पद को स्वीकार करना। (भजन २:६-८; यूहन्ना ३:१६; प्रकाशितवाक्य १२:१०) यदि आप उन लोगों के साथ संगति रखते हैं जो सच्चे धर्म का अभ्यास करते हैं, तो आप जानते हैं कि वे दैनिक जीवन में यीशु की आज्ञा मानने, उसके उदाहरण का अनुकरण करने, और उस कार्य में जो उसने अपने शिष्यों को नियुक्त किया था व्यक्तिगत और उत्साही रूप से हिस्सा लेने के लिए कर्तव्यनिष्ठ प्रयास करते हैं। (मत्ती २८:१९, २०; यूहन्ना १५:१४; १ पतरस २:२१) जिन लोगों के साथ आप उपासना करते हैं यदि उनके बारे में यह सच नहीं है तो आप को कहीं और देखने की ज़रूरत है।
१७. सच्चे उपासक संसार द्वारा निष्कलंक रहने के प्रति क्यों सावधान रहते हैं, और उसमें क्या सम्मिलित है?
१७ सच्ची उपासना राजनीति और सांसारिक संघर्षों में उलझने के द्वारा दूषित नहीं है। (याकूब १:२७) क्यों नहीं? क्योंकि यीशु ने अपने अनुयायियों के सम्बन्ध में कहा: “जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” (यूहन्ना १७:१६) यीशु ने राजनीति में हस्तक्षेप नहीं किया, और उसने अपने अनुयायियों को भौतिक शस्त्रों का सहारा लेने से रोका। (मत्ती २६:५२) जो लोग परमेश्वर के वचन में कही बातों को गंभीरता से लेते हैं वे फिर ‘युद्ध की विद्या नहीं सीखते।’ (यशायाह २:२-४) यदि आपका किसी ऐसे धर्म के साथ नाममात्र का भी सम्बन्ध है जो इस वर्णन पर ठीक नहीं बैठता, तो यह उससे सम्बन्ध तोड़ने का समय है।—याकूब ४:४; प्रकाशितवाक्य १८:४, ५.
१८. (क) सच्चे धर्म की एक उल्लेखनीय विशेषता के रूप में यूहन्ना १३:३५ किस बात की पहचान कराता है? (ख) आप किसी व्यक्ति को यह निर्धारित करने में कैसे मदद कर सकते हैं कि कौन सा समूह यूहन्ना १३:३५ के अनुसार चलता है?
१८ सच्चा धर्म निःस्वार्थ प्रेम सिखाता और उसका अभ्यास करता है। (यूहन्ना १३:३५; १ यूहन्ना ३:१०-१२) ऐसे प्रेम के बारे में सिर्फ़ उपदेशों में ही नहीं बोला जाता है। यह वास्तव में सभी जातियों, सभी आर्थिक समूहों, सभी भाषाओं, सभी राष्ट्रों के लोगों को असली भाईचारे में एकसाथ लाता है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १०) यह सच्चे मसीहियों को उनके चारों ओर के संसार से अलग दिखाता है। यदि आप ने अब तक ऐसा नहीं किया है, तो यहोवा के गवाहों के राज्यगृह की सभाओं में, साथ ही उनके बड़े अधिवेशनों में उपस्थित होइए। उन्हें अपना एक राज्यगृह बनाते समय एकसाथ काम करते हुए देखिए। देखिए कि वे बुज़ुर्गों (जिनमें विधवाएँ भी सम्मिलित हैं) और युवा लोगों (जिनके पास केवल एक जनक है या दोनों ही नहीं हैं वे भी सम्मिलित हैं) दोनों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। (याकूब १:२७) जो आप देखते हैं उसकी तुलना उससे कीजिए जो आपने किसी अन्य धर्म में देखा है। फिर अपने आप से पूछिए, ‘कौन सच्चे धर्म का अभ्यास करता है?’
१९. (क) सच्चा धर्म मनुष्यजाति की समस्याओं के किस समाधान का समर्थन करता है? (ख) सच्चे धर्म को माननेवाले समूह के सदस्यों को क्या करना चाहिए?
१९ सच्चा धर्म मनुष्यजाति की समस्याओं के स्थायी समाधान के रूप में परमेश्वर के राज्य का समर्थन करता है। (दानिय्येल २:४४; ७:१३, १४; २ पतरस ३:१३; प्रकाशितवाक्य २१:४, ५) क्या मसीहीजगत का कोई भी गिरजा ऐसा करता है? परमेश्वर के राज्य और वह राज्य जो निष्पन्न करेगा उसके बारे में शास्त्रवचन क्या दिखाते हैं इस बारे में आपने आख़िरी बार कब एक पादरी को समझाते हुए सुना? आप जिस संगठन का भाग हैं क्या वह आपको परमेश्वर के राज्य के बारे में दूसरों से बात करने के लिए प्रोत्साहित करता है, और यदि हाँ, तो क्या समस्त सदस्यता ऐसा करने में भाग लेती है? यीशु ने ऐसा गवाही कार्य किया; उसके आरंभिक शिष्यों ने किया। इस कार्य में भाग लेने का विशेषाधिकार आपको भी मिल सकता है। आज पूरी पृथ्वी पर होनेवाला यह सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है।—मत्ती २४:१४.
२०. सही धर्म की पहचान करने के अतिरिक्त, हमें क्या करना चाहिए?
२० जबकि हज़ारों धर्म हैं, उलझन दूर करने के लिए बाइबल जल्दी से हमारी मदद करती है ताकि सच्चे धर्म की पहचान कर सकें। लेकिन हमें इसकी पहचान करने के अतिरिक्त भी कुछ करने की ज़रूरत है। यह अत्यावश्यक है कि हम उसका अभ्यास करें। इसमें क्या सम्मिलित है उस पर हमारे अगले लेख में ज़्यादा विस्तार से विचार किया जाएगा।
[फुटनोट]
a गर्भपात: प्रेरितों १७:२८; भजन १३९:१, १६; निर्गमन २१:२२, २३. तलाक़: मत्ती १९:८, ९; रोमियों ७:२, ३. समलिंगकामुकता: रोमियों १:२४-२७; १ कुरिन्थियों ६:९-११. नशीले पदार्थों एवं शराब का दुष्प्रयोग: २ कुरिन्थियों ७:१; लूका १०:२५-२७; नीतिवचन २३:२०, २१; गलतियों ५:१९-२१. लहू और स्वच्छंदता: प्रेरितों १५:२८, २९; नीतिवचन ५:१५-२३; यिर्मयाह ५:७-९. परिवार: इफिसियों ५:२२–६:४; कुलुस्सियों ३:१८-२१. ठुकराया जाना: भजन २७:१०; मलाकी २:१३-१६; रोमियों ८:३५-३९. बीमारी: प्रकाशितवाक्य २१:४, ५; २२:१, २; तीतुस १:२; भजन २३:१-४. मृत्यु: यशायाह २५:८; प्रेरितों २४:१५. प्राथमिकताएँ: मत्ती ६:१९-३४; लूका १२:१६-२१; १ तीमुथियुस ६:६-१२.
b ऐसी भविष्यवाणियों और उनकी पूर्ति के नमूनों के लिए, पुस्तकें बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का? (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ११७-६१; और शास्त्रवचनों से तर्क (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ६०-२, २२५-३२, २३४-४० देखिए। दोनों पुस्तकें वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित की गयी हैं।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ सही धर्म की पहचान करने में किसका दृष्टिकोण सबसे महत्त्वपूर्ण है?
▫ कौन से चार क़िस्म के प्रमाण दिखाते हैं कि बाइबल परमेश्वर का वचन है?
▫ क्यों वे सभी धर्म जो बाइबल का प्रयोग करते हैं परमेश्वर को स्वीकार्य नहीं हैं?
▫ एकमात्र सही धर्म के कौन से छः पहचान चिह्न हैं?
[पेज 10 पर बक्स]
यहोवा के गवाह . . .
◆ अपनी सभी शिक्षाओं को बाइबल पर आधारित करते हैं।
◆ एकमात्र सच्चे परमेश्वर, यहोवा की उपासना करते हैं।
◆ यीशु मसीह में अपने विश्वास के सामंजस्य में जीते हैं।
◆ राजनीति और सांसारिक संघर्षों में नहीं उलझते हैं।
◆ दैनिक जीवन में निःस्वार्थ प्रेम प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं।
◆ मानवजाति की समस्याओं के स्थायी समाधान के रूप में परमेश्वर के राज्य का समर्थन करते हैं।
[पेज 9 पर तसवीर]
बाइबल—क्या बात सूचित करती है कि इसमें सारी मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर का संदेश है?