सही धर्म के लिए उनकी खोज
जीवन के बारे में अपने प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर पाने के लिए कुछ लोगों ने बचपन से ही खोज की है। जब वे छोटे थे तो शायद धर्मक्रियाओं में उपस्थित हुए हों। लेकिन उनमें से अनेक लोगों ने पाया कि न तो दिए गए उत्तरों ने और न ही गिरजा अनुष्ठान ने जीवन की समस्याओं का सामना करने के लिए वास्तव में उनकी मदद की है।
वे शायद कहें कि वे अभी-भी अपने माता-पिता के धर्म को मानते हैं, हालाँकि वे विरले ही धर्मक्रियाओं में उपस्थित होते हैं। चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के बिशप के अनुसार, उनके पास जो थोड़ा विश्वास बचा है उसका भी उनके जीवन पर बहुत कम प्रभाव है। उन्होंने धर्म को पीछे रख छोड़ा है। धार्मिक क्षेत्र में जो पाखण्ड वे देखते हैं उससे चिढ़कर अन्य लोगों ने धर्म को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया है। फिर भी, जीवन के बारे में उनके प्रश्न बने रहते हैं।
कुछ लोगों को गंभीर संदेह क्यों हैं
अधिकांश लोग जानते हैं कि अनेक गिरजों के पास बेघर लोगों की मदद करने के लिए, ज़रूरतमंदों को भोजन वितरित करने के लिए, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रायोजन करने के लिए एजेन्सियाँ हैं। लेकिन लगभग हर दिन वे केवल ग़ैर-मसीहियों के बीच ही नहीं बल्कि मसीही होने का दावा करनेवालों के बीच भी ऐसी हिंसा और ख़ूनख़राबे की समाचार रिपोर्टें सुनते हैं जिनका स्रोत धर्म है। क्या हमें इससे चकित होना चाहिए यदि वे संदेह करते हैं कि ऐसी हिंसा में शामिल गुट सही धर्म का अभ्यास कर रहे हैं?
अनेक लोग जिनका पालन-पोषण धार्मिक रूप से हुआ है सोचा करते थे कि गिरजों द्वारा चलाए गए अनाथालय एक अच्छी चीज़ है। लेकिन, हाल ही के वर्षों में वे विस्मित हुए हैं क्योंकि एक के बाद एक जगह में पादरियों पर उन बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार करने के आरोप लगाए गए हैं जो उनकी देख-रेख में सुपुर्द किए गए थे। शुरू में लोगों ने सोचा कि केवल कुछ ही पादरी दोषी थे। अब कुछ लोग सोच रहे हैं कि क्या मूल रूप से स्वयं गिरजे के साथ ही कुछ गड़बड़ है।
कुछ लोग, जैसे कि एयुकेन्या, एक समय पर अपने धर्म में गहराई से अंतर्ग्रस्त थे। अर्जेन्टाइना में एक युवती के रूप में वह उन लोगों में से थी जो ‘ईटाटी की कुवाँरी’ की उपासना करने के लिए तीर्थयात्रा करते थे। एक नन के रूप में वह १४ वर्ष तक एक कॉन्वेंट में रही। फिर एक अंतरराष्ट्रीय धर्म-राजनीतिक दल का भाग बनने के लिए उसने कॉन्वेंट छोड़ दिया। यह दल क्रांतिकारी तरीक़ों से समाज के सामाजिक और आर्थिक ढाँचों के तात्कालिक तथा आत्यन्तिक परिवर्तन का समर्थन करता था। जो कुछ उसने देखा और अनुभव किया उसके फलस्वरूप परमेश्वर पर से उसका भरोसा और विश्वास उठ गया। वह वास्तव में एक ऐसे धर्म की खोज नहीं कर रही थी जिस पर वह विश्वास कर सके। वह ग़रीबों के लिए न्याय लाने का एक तरीक़ा चाहती थी—हाँ, और एक मित्र जिस पर वह भरोसा कर सकती थी।
अन्य लोग देखते हैं कि गिरजों में क्या हो रहा है और उनसे दूर रहे हैं। एक नास्तिक, जिसके विचार १९९१ में पत्रिका स्पटनिक (अंग्रेज़ी) में प्रकाशित हुए, ने साफ़-साफ़ कहा: “मुझे अन्यजातीय और ईसाई पुराण-विद्या के गुणधर्मों में कोई मुख्य भिन्नता नहीं दिखती।” उदाहरण के रूप में, उसने एक जलूस का वर्णन किया जिसमें सोने की कढ़ाईवाले वस्त्र पहने पादरी शवपेटिका में एक ममी को रखकर मॉस्को की सड़कों पर धीरे-धीरे चल रहे थे। वह “एक प्राच्य ईसाई सन्त” का शव था जिसे एक संग्रहालय से एक गिरजे ले जाया जा रहा था, और इसने लेखक को प्राचीन मिस्र के पुरोहितों और ममियों की याद दिलायी। उसने यह भी याद किया कि, जैसे वे लोग जो जलूस में हिस्सा ले रहे थे “ईसाई त्रियेक” में विश्वास करते थे, वैसे ही मिस्रियों ने भी ईश्वरों के एक त्रय की उपासना की थी—ओसिरिस, आइसिस, और होरस।
उसी लेखक ने प्रेम की मसीही धारणा का उल्लेख किया—“परमेश्वर प्रेम है,” और “अपने पड़ोसी से प्रेम रखना”—जिसका मूर्तिपूजक मिस्र में कोई समान्तर नहीं। लेकिन उसने कहा: “भाईचारे का प्रेम संसार में विजयी नहीं हुआ है, संसार के उस भाग में भी नहीं जो अपने आपको ईसाई जगत कहता है।” और उसके बाद उसने सरकार के मामलों में अन्तर्ग्रस्त होने के बारे में गिरजे के हठ से उत्पन्न सड़े फल के बारे में टिप्पणी की। जो कुछ उसने देखा उससे वह यह महसूस करने के लिए प्रेरित नहीं हुआ कि मसीहीजगत के गिरजे वह पेश कर रहे थे जिसकी उसे खोज थी।
इसकी विषमता में, अन्य लोगों को संतोषजनक उत्तर मिले हैं लेकिन मसीहीजगत के गिरजों में नहीं।
उसने मृत जनों के बारे में सत्य सीखा
मागदालेना, जो अब ३७ वर्ष की है, बल्गारिया में रहती है। वर्ष १९९१ में उसके ससुर की मृत्यु के बाद वह बहुत निराश हो गई। बार-बार उसने अपने आप से पूछा, ‘मृत जन कहाँ जाते हैं? मेरा ससुर कहाँ है?’ वह गिरजा गयी और घर में उसने एक मूर्ति के सामने प्रार्थना की, फिर भी उसे कोई उत्तर नहीं मिला।
फिर एक दिन एक पड़ोसी ने उसे अपने घर निमंत्रण देने के लिए फ़ोन किया। एक युवक जो यहोवा के गवाहों के साथ अध्ययन कर रहा था उस पड़ोसी के घर भेंट कर रहा था। मागदालेना ने उस युवक की बातों को सुना। वह परमेश्वर के राज्य और पृथ्वी को एक ऐसे परादीस बनाने के परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में बोल रहा था जहाँ लोग सुख में सर्वदा जीवित रह सकते हैं। मेज़ पर आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं पुस्तक रखी थी। उस पुस्तक का प्रयोग करते हुए, उस युवक ने मागदालेना का ध्यान बाइबल पाठ सभोपदेशक ९:५ की ओर आकर्षित किया, जहाँ लिखा है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” उस शाम उसने और पढ़ा। उसने सीखा कि मृत जन स्वर्ग में या नरक में किसी दूसरे जीवन में नहीं गए हैं; वे कुछ नहीं जानते, मानो गहरी नींद में सो रहे हों। ख़ुशी-ख़ुशी उसने यहोवा के गवाहों की स्थानीय कलीसिया की एक सभा में उपस्थित होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। सभा के बाद वह बाइबल के एक नियमित अध्ययन के लिए राज़ी हो गयी। सभा में यहोवा से प्रार्थना करने का तरीक़ा देखकर, उसने भी एक गहरी जड़ पकड़ी कमज़ोरी पर विजय पाने में मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना करनी शुरू कर दी। जब उसकी प्रार्थना का उत्तर मिला, तो वह जान गयी कि उसे सही धर्म मिल गया था।
उन्हें ऐसा जीवन मिला जिसका अर्थ है
आन्ड्रे बेलजियम में एक कट्टर कैथोलिक घर में बड़ा हुआ था और उसने स्थानीय पादरी के सहायक के रूप में सेवा की थी। लेकिन, उस दौरान, उसने ऐसी चीज़ें देखीं जिन्होंने गिरजे के लिए उसकी श्रद्धा कम कर दी। फलस्वरूप, वह एक नाममात्र कैथोलिक था।
पंद्रह वर्ष तक उसने व्यावसायिक फुटबॉल खेला था। एक अवसर पर जब उसकी टीम ने इटली में एक टूर्नामेंट खेला, तो उन्हें पोप के साथ एक औपचारिक बैठक का निमंत्रण मिला। उस भेंट में कुछ भी आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहक नहीं था, और जिस सांसारिक धन-दौलत से पोप घिरा हुआ था उसने आन्ड्रे को परेशान कर दिया। गिरजे के बारे में उसके संदेह ज़्यादा बढ़ गए। दो विवाह टूटने के कारण स्वयं उसका जीवन दुःखी था। संसार की स्थिति से वह कुंठित था। वर्ष १९८९ में उसने अपनी डायरी में लिखा: ‘हमारे चारों ओर हो रही सभी बेकार बातों का क्या अर्थ है?’ उसे अपने धर्म से कोई उत्तर नहीं मिला।
वर्ष १९९० में, जब आन्ड्रे आइसलैंड में एक फुटबॉल प्रशिक्षक के रूप में कार्य कर रहा था, यहोवा के गवाहों की एक मिशनरी, ईरस ने उससे संपर्क किया। उसने साहित्य स्वीकार किया और मिशनरी को लौटकर आने के लिए आमंत्रित किया। वह अपने पति, चेल के साथ लौटी। जब अन्त में वे आन्ड्रे के साथ बैठकर बात करने में समर्थ हुए, तो यह स्पष्ट था कि उसे बाइबल समझने में गहरी दिलचस्पी थी। उसकी पत्नी, आस्टा को भी इसमें दिलचस्पी थी। दिन में उसके प्रशिक्षण सत्रों के बीच उसके पास तीन घंटे खाली होते थे, और उन्होंने उस समय को बाइबल अध्ययन के लिए प्रयोग करने का निर्णय लिया। “मात्र आराम करने के बनिस्बत मैं बाइबल का अध्ययन करने के द्वारा ज़्यादा ताज़गी महसूस करता हूँ,” उसने कहा। क्रमशः बाइबल ने उनके प्रश्नों के उत्तर दे दिए। धीरे-धीरे उनका विश्वास यहोवा और उसके राज्य में बढ़ गया। “हो रही सभी बेकार बातों” से मुक्त संसार, एक शान्तिपूर्ण नए संसार के बारे में बाइबल की शानदार प्रतिज्ञाएँ उनके लिए एक वास्तविकता बन गयी। आन्ड्रे और आस्टा दोनों अब अपना नया-प्राप्त विश्वास दूसरों के साथ बाँट रहे हैं।
मागदालेना, आन्ड्रे, और आस्टा विश्वस्त महसूस करते हैं कि उन्हें अन्त में सही धर्म मिल गया। राजनीतिक साधनों के द्वारा संसार की समस्याओं का समाधान करने की कोशिशों के बाद, एयुकेन्या को भी आख़िरकार यहोवा के गवाहों के मध्य वह धर्म मिला जो उसे सही धर्म लगा। लेकिन क्या बात वास्तव में यह निर्धारित करती है कि एक धर्म सही धर्म है या नहीं? कृपया आगे दी गयी जानकारी देखिए।
[पेज 7 पर तसवीरें]
यहोवा के गवाहों के साथ बाइबल का एक नियमित अध्ययन पचास लाख से अधिक लोगों को संतोषजनक उत्तर पाने की उनकी खोज में मदद दे रहा है