यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा कीजिए
“हम . . . स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।”—इब्रानियों १३:१५, NW.
१. भविष्यवक्ता होशे ने संगी इस्राएलियों से क्या करने का आग्रह किया?
यहोवा के भविष्यवक्ता होशे के पास अपने संगी इस्राएलियों के लिए एक अत्यावश्यक संदेश था। सामान्य युग पूर्व आठवीं शताब्दी में, उसने अपने भटके हुए समकालीन लोगों को पश्चाताप करने के लिए प्रबोधित किया। उसने आग्रह किया: ‘यहोवा के पास लौट आ और उस से बातें कर। उस से कह, “सब अधर्म दूर कर और अनुग्रह से हमें ग्रहण कर कि हम अपने होंठों की स्तुति अर्पित करें।”’ (होशे १४:२, NHT) यहोवा को “अपने होंठों की स्तुति” अर्पित करने का आग्रह करने के द्वारा होशे की भविष्यवाणी इस्राएलियों को पश्चाताप करने और परमेश्वर को निष्कपट स्तुति के बलिदान चढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।
२. प्रेरित पौलुस ने मसीहियों को किस प्रकार का बलिदान चढ़ाने का प्रोत्साहन दिया?
२ यहोवा के गवाह आज “अपने होंठों की स्तुति” अर्पित करते हैं। वे प्रेरित पौलुस के प्रबोधन को भी मानते हैं जिसने होशे की भविष्यवाणी के उन शब्दों का उल्लेख किया जब उसने लिखा: “हम [मसीह यीशु] के द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करते हैं, परमेश्वर के लिए सर्वदा चढ़ाया करें।” (इब्रानियों १३:१५, NW) अतः, परमेश्वर के सेवक आनन्दपूर्वक यहोवा की स्तुति करते हैं, जैसे कि अपने राज्य-प्रचार कार्य में।—मत्ती २४:१४.
३. यहोवा को हम “स्तुतिरूपी बलिदान” कैसे चढ़ा सकते हैं, और अब हम किन लोगों के कार्यों को जाँचेंगे?
३ यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा करना अपरिपूर्ण मनुष्यों के लिए एक अपात्र विशेषाधिकार है। दूसरों को हमारे परमेश्वर के बारे में बताने में हम कितने ख़ुश हैं! इस प्रकार हम यहोवा को “स्तुतिरूपी बलिदान,” “अपने होंठों की स्तुति” अर्पित करते हैं। आज राज्य के सुसमाचार का सार्वजनिक रूप से प्रचार करने में हमारे प्रोत्साहन के लिए, आइए हम जाँच करें कि बाइबल परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं तथा यहोवा के अन्य सेवकों के बारे में हमें क्या बताती है। उनकी जीवन रीति से, हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जो हमें अपने प्रचार कार्य का आनन्द लेने में मदद करेगा।—रोमियों १५:४.
भविष्यवक्ताओं की भूमिका
४, ५. (क) बाइबल की मूल भाषाओं में “भविष्यवक्ता” अनुवादित शब्दों का मौलिक अर्थ क्या है? (ख) क्या बात सूचित करती है कि परमेश्वर के प्रबन्ध में भविष्यवक्ताओं ने एक प्रभावशाली भूमिका निभायी?
४ यहोवा के भविष्यवक्ताओं को उसके संदेश का सार्वजनिक रूप से प्रचार करने का विशेषाधिकार प्राप्त था। “भविष्यवक्ता” (न-वी’) के इब्रानी शब्द की व्युत्पत्ति अनिश्चित है, परन्तु बाइबल में इसका प्रयोग यह सूचित करता है कि सच्चे भविष्यवक्ता यहोवा के लिए प्रवक्ता, और प्रेरित संदेशों सहित परमेश्वर के जन थे। भविष्यवक्ता (प्रो-फी-टस्) के यूनानी शब्द का आक्षरिक अर्थ है “एक वक्ता,” किसी के “सामने” या “आगे” कुछ कहना। भविष्यवक्ता वह है जो ऐसे संदेश घोषित करता है जिनका श्रेय किसी ईश्वरीय स्रोत को जाता है। हमेशा नहीं, लेकिन अकसर परमेश्वर के सच्चे भविष्यवक्ताओं ने भावी घटनाओं को पूर्वबतलाया।
५ परमेश्वर के प्रबन्ध में भविष्यवक्ताओं की प्रभावशाली भूमिका के सम्बन्ध में मैक्लिनटॉक एण्ड स्ट्राँगस् साइक्लोपीडिया (अंग्रेज़ी) कहती है: “कभी-कभी उनकी सलाह माँगी जाती थी . . . परन्तु ज़्यादातर समय उनकी सलाह न माँगे जाने पर भी वे लोगों को संबोधित करने के लिए आंतरिक तौर पर प्रेरित महसूस करते थे। और वे उन जगहों में आगे बढ़कर बोलने से नहीं डरते थे जहाँ उनका दिखायी देना शायद, क्रोध या आतंक उत्पन्न करता।” (खण्ड VIII, पृष्ठ ६४०) कुछ उदाहरणों पर विचार कीजिए कि ऐसी साहसी स्थिति अपनाने के लिए किस चीज़ ने इन भविष्यवक्ताओं को प्रेरित किया।
भावनाएँ और अभिप्रेरणा
६, ७. यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता यहेजकेल को क्या खिलाया, और इसका क्या प्रभाव हुआ?
६ सामान्य युग पूर्व ६०७ में हुए यरूशलेम के विनाश से पहले, यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता यहेजकेल द्वारा बाबुल में बंदी यहूदियों से बात की। यहोवा ने उससे कहा: “हे मनुष्य के सन्तान, जो तुझे मिला है उसे खा ले; अर्थात् इस पुस्तक को खा, तब जाकर इस्राएल के घराने से बातें कर।” यहेजकेल ने आज्ञा मानी। उसने कहा: “सो मैं ने मुंह खोला और उस ने वह पुस्तक मुझे खिला दी। तब उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, यह पुस्तक जो मैं तुझे देता हूं उसे पचा ले, और अपनी अन्तड़ियां इस से भर ले। सो मैं ने उसे खा लिया; और मेरे मुंह में वह मधु के तुल्य मीठी लगी।”—यहेजकेल ३:१-३.
७ जो भोजन हम खाते हैं उससे हमारा शरीर पौष्टिक तत्त्व प्राप्त करता है, और एक तरह से ये तत्त्व हमारा भाग बन जाते हैं। उसी प्रकार, यहेजकेल द्वारा खायी गयी उस “पुस्तक”—यहोवा का संदेश जिसे भविष्यवक्ता को घोषित करना था—को उसकी भावनाओं को प्रभावित करते हुए उसका भाग बनना था। परमेश्वर के शब्दों ने यहेजकेल की अंतरतम भावनाओं को इतना उत्तेजित कर दिया कि लोगों के बीच उनकी घोषणा करना उसके लिए आनन्दप्रद था। यदि आप यहोवा के एक गवाह हैं तो क्या आप परमेश्वर के संदेश की सार्वजनिक घोषणा करने में आनन्द लेते हैं?
८, ९. किस बात ने आमोस को भविष्यवाणी करने के लिए प्रेरित किया?
८ भविष्यवक्ता आमोस पर भी विचार कीजिए। सामान्य युग पूर्व नौवीं शताब्दी में रहते हुए, वह उन प्रथम इब्रानी भविष्यवक्ताओं में से एक था जिसने अपने नाम पर बाइबल की एक पुस्तक लिखी। यहेजकेल की तरह, आमोस भी यहोवा के वचन का खरा उद्घोषक था। यह अभिव्यक्ति “यहोवा यों कहता है” उसके नाम की पुस्तक में शुरू से अन्त तक ११ बार दोहरायी गयी है! (आमोस १:३, ६, ९, ११, १३; २:१, ४, ६; ३:१२; ५:४; ७:१७) आमोस ने परमेश्वर के वचनों की सार्वजनिक रूप से घोषणा करने की ज़रूरत महसूस की।
९ परमेश्वर के भविष्यवक्ता के तौर पर, तुरंत कार्य करने के द्वारा आमोस ने ईश्वरीय घोषणाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखाई। आमोस के ज़रिए परमेश्वर ने कहा: “सिंह गरजा; कौन न डरेगा? परमेश्वर यहोवा बोला; कौन भविष्यद्वाणी न करेगा?” (आमोस ३:८) वह भविष्यवक्ता यहोवा का संदेश घोषित करने से अपने आप को रोक न सका।
१०. जब उनके प्रचार कार्य का विरोध किया जाता है तो यहोवा के आधुनिक-दिन सेवक कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?
१० सिंह की तरह यहोवा वर्तमान दुष्ट विश्व व्यवस्था पर न्याय के संदेशों की गर्जना करता है। आमोस की तरह, यहोवा के आधुनिक-दिन सेवक परमेश्वर के वचनों को सार्वजनिक रूप से घोषित करने को प्रेरित महसूस करते हैं। विरोधियों द्वारा धमकाए जाने पर भी, वे प्रेरित पतरस और यूहन्ना के उदाहरण का अनुकरण करते हैं, जिन्होंने दृढ़तापूर्वक घोषणा की: “यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।” प्रेरितों ने भी इसकी पुष्टि की: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।” (प्रेरितों ४:२०; ५:२९) तब, हमारे बारे में क्या? यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा करने के बारे में हमारी भावनाओं को जाँचना अच्छा है।
“जो मन में भरा है”
११. यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा करने में लगे रहने के लिए किस बात को हमें प्रेरित करना चाहिए?
११ इस बात में कोई शक नहीं हो सकता कि यहोवा के भविष्यवक्ता अपने विशेषाधिकारों के लिए आभारी थे। यहोवा के प्रति वैसा ही आभार हमें उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करने को प्रेरित करना चाहिए। भजन १४५:१, २ कहता है: “हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूंगा। प्रति दिन मैं तुझ को धन्य कहा करूंगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा।” क्या ये शब्द आपकी मनोवृत्ति प्रतिबिम्बित करते हैं? यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ किया है, जो कर रहा है, और जो आगे करेगा, उसके लिए मूल्यांकन बढ़ाने में नियमित बाइबल अध्ययन, हमारी मदद करता है। और जब हम परिवार के तौर पर एक साथ बाइबल का अध्ययन करते हैं, तो क्या हम यह नहीं पाते हैं कि परमेश्वर का वचन प्रबल है, और हमें परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के बारे में बात करने के लिए प्रेरित करता है? (इब्रानियों ४:१२) यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा करने में प्रभावकारी होने के लिए हमें मसीही प्रकाशनों का पूरा प्रयोग करने की भी ज़रूरत है, जो यहोवा हमें अभिषिक्त “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा प्रदान करता है।—मत्ती २४:४५-४७.
१२. मसीही सभाएँ और मनन दोनों हमें सार्वजनिक घोषणा करने में कैसे मदद करेंगे?
१२ यदि हमें आभारी हृदयों से यहोवा की स्तुति करनी है तो यह ज़रूरी है कि हम नियमित तौर पर मसीही सभाओं में उपस्थित हों। यहोवा के सभी लोगों को प्रेरित पौलुस की सलाह माननी चाहिए: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।” (इब्रानियों १०:२४, २५) क्या आप नियमित तौर पर मसीही सभाओं में उपस्थित होते हैं? क्या आप अकसर शास्त्रीय सच्चाइयों, अच्छे अनुभवों, और ईश्वरशासित बढ़ोतरी के उत्तेजक समाचारों के बारे में बात करते हैं, जो आप परमेश्वर के लोगों की सभाओं में सुनते हैं? यदि आप यहोवा और उसके उद्देश्यों के बारे में अपने आपको व्यक्त करने से हिचकिचाते हैं, तो उसके वचन पर मनन करने के लिए समय निकालिए ताकि उसके विचार आपके हृदय में गहराई तक समा सकें। (भजन ७७:१२; १४३:५) जी हाँ, मसीही सभाओं और परमेश्वर के वचन पर नियमित मनन को, परमेश्वर के नाम की सार्वजनिक घोषणा करने के बड़े विशेषाधिकार का मूल्यांकन करने में आपकी मदद करनी चाहिए।
१३. अपने हृदय से हम कैसे ‘भली बातें निकालते’ हैं?
१३ यहोवा के प्रति आभार भरे हृदयों से हम भली बातें निकालते हैं। “भला मनुष्य अपने मन के भले भण्डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है।” (लूका ६:४५) यहोवा के नाम की सार्वजनिक घोषणा करने और उसके उद्देश्यों के बारे में अपने पड़ोसियों के साथ, रिश्तेदारों के साथ—जी हाँ, जिनसे भी हम मिलते हैं उन सभी से—बात करने से बेहतर तरीक़ा और कौन-सा है जिससे हम ‘भली बातें निकाल’ सकते हैं?
सार्वजनिक घोषणा के परिणाम
१४. (क) राज्य संदेश के उद्घोषक और श्रोता क्या अनुभव कर सकते हैं? (ख) राज्य-प्रचार कार्य के द्वारा क्या निष्पन्न किया जा रहा है?
१४ परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं ने अपनी सेवा में आनन्द पाया, और जो उन्होंने कहा उससे ग्रहणशील श्रोताओं को फ़ायदा पहुँचा। तुलनात्मक रूप से, राज्य संदेश की सार्वजनिक घोषणा उसके उद्घोषकों को बहुत आनन्द प्रदान करती है। (प्रेरितों २०:३५) और मूल्यांकन दिखानेवाले श्रोताओं को वह कितना फ़ायदा पहुँचाती है! सुसमाचार स्वीकार करना लोगों को उदासीनता पर विजय प्राप्त करने या उसका सामना करने में मदद करता है। शोकार्त्त लोग पुनरुत्थान की प्रत्याशाओं पर हर्षित होते हैं। व्यसनी निकोटीन, हेरोइन, और अन्य व्यसनकारी पदार्थों के दासत्व से बच निकलते हैं। अनेक लोग नैतिक रूप से उन्नत किए जाते हैं, और वे सभी जो बाइबल सच्चाइयों को स्वीकार करते हैं, आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं। (यूहन्ना ५:२८, २९; ८:३२) मानवजाति की एकमात्र आशा के रूप में राज्य की घोषणा करना सत्हृदयी लोगों में सुखद प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के साथ-साथ दुष्टों को चेतावनी देने का भी काम करता है। अतः जब परमेश्वरीय न्याय इस दुष्ट संसार पर कार्यान्वित किया जाएगा उस समय “अनन्त विनाश” के लिए या “अनन्त जीवन” के लिए लोग विभाजित किए जा रहे हैं। (मत्ती २४:१४; २५:३१-४६, NW; यहेजकेल ३३:१-९; १ तीमुथियुस २:३, ४) हमारा प्रचार कार्य एक अभूतपूर्व बचाव कार्य है, इस पृथ्वी पर अब तक सबसे विस्तृत और व्यापक रूप से प्रचार की गयी घोषणा!
१५. हमारे गवाही क्षेत्र में भावी योग्य लोगों की मदद करने के लिए क्या किया जा सकता है?
१५ यहोवा के आधुनिक-दिन गवाहों के तौर पर, हम आनन्दपूर्वक और आज्ञाकारिता से हमारे स्वर्गीय पिता की दासवत् सेवा करते हैं। (रोमियों १२:११) इसलिए, सार्वजनिक रूप से और घर-घर सुसमाचार का प्रचार करने में भाग लेने के लिए नियमित रूप से समय अलग रखने में हम ख़ुश हैं। (प्रेरितों ५:४२; २०:२०) संसारभर की रिपोर्टें प्रदर्शित करती हैं कि हमारे क्षेत्रों में अब भी कुछ योग्य जन हैं। जैसे-जैसे संसार के हालात बदलते हैं, लोग विभिन्न तरीक़ों से प्रभावित होते हैं। अनेक जन आकस्मिक रूप से शरणार्थी बन गए हैं, एक पराए देश में विदेशी। शायद इनमें से कुछ हमारे गवाही क्षेत्र में हों। यदि ऐसा है, तो आइए “सुसमाचार की पवित्र सेवा” में जब हम लगे रहते हैं तब आध्यात्मिक रूप से उनकी जो मदद कर सकते हैं वह करें। (रोमियों १५:१६) कुछ मसीहियों ने दूसरी भाषा भी सीखी है ताकि ऐसे लोगों को राज्य का सुसमाचार सुना सकें।
१६. यहोवा के नाम की घोषणा करने में लगे रहने के लिए क्या बात हमारी मदद कर सकती है?
१६ परमेश्वर के अनेक भविष्यवक्ताओं की कार्य-नियुक्तियाँ बहुत कठिन थीं। परमेश्वरीय संदेश अग्रहणशील लोगों को सुनाना उनके लिए आसान नहीं था। उसी प्रकार, यहोवा को समर्पित हरेक व्यक्ति को उसके नाम की घोषणा करना आसान नहीं लगता, ख़ासकर उन क्षत्रों में जो मुख्यतः अप्रतिक्रियाशील हैं। फिर भी, परमेश्वर के वचन के प्रार्थनापूर्वक अध्ययन से परिणित विश्वास रखने के द्वारा, और यहोवा द्वारा प्रदत्त शक्ति के साथ हम राज्य संदेश की घोषणा करने में लगे रह सकते हैं। (फिलिप्पियों ४:१३; प्रकाशितवाक्य १४:६) इस सम्बन्ध में हम यहोवा के भविष्यवक्ताओं तथा प्राचीनकाल के उसके अन्य सेवकों से और क्या सीख सकते हैं?
क्षेत्र सेवकाई में सहचारिता
१७. परमेश्वर की सेवकाई में फ़ायदेमंद सहचारिता के कुछ शास्त्रीय उदाहरण कौन-से हैं?
१७ अपनी कार्य-नियुक्ति को सम्भालने में, परमेश्वर के भविष्यवक्ता मूसा को शुरू में अपने बड़े भाई, हारून की मदद प्राप्त थी। यहोवा ने मूसा से कहा: “[हारून] तेरी ओर से लोगों से बातें किया करेगा; वह तेरे लिये मुंह . . . ठहरेगा।” (निर्गमन ४:१६) भविष्यवक्ता एलिय्याह और एलीशा के दिनों के बारे में भी सोचिए, जब “भविष्यद्वक्ताओं के चेले” समृद्ध हो रहे थे। ये परमेश्वर के सेवकों के समूह प्रतीत होते हैं जो निःसंदेह एक दूसरे के साथ सुखद सहचारिता का आनन्द लेते हुए, एक साथ कार्य करते थे। (२ राजा २:३-५; ४:३८; साथ ही १ शमूएल १०:५, १० से तुलना कीजिए।) हाँ, मूसा और हारून और “भविष्यद्वक्ताओं के चेले” राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने में नहीं लगे थे। फिर भी, उनकी संगति उन सब के लिए फ़ायदेमंद थी। शताब्दियों बाद यीशु ने ७० चेलों को “दो दो करके” सेवकाई में भेजा, और निःसंदेह इस प्रकार प्राप्त सहचारिता से उन्हें फ़ायदा हुआ।—लूका १०:१-१६; साथ ही प्रेरितों १७:१०, ११; २०:२० से तुलना कीजिए।
१८. सेवकाई में सहचारिता ने आज कैसे एक उपयोगी उद्देश्य पूरा किया है?
१८ वर्ष १९५३ में, यहोवा के गवाहों ने एक ऐसा कार्यक्रम आरंभ किया जिसमें राज्य उद्घोषक एक साथ क्षेत्र सेवकाई में कार्य करते। निश्चित ही, यह केवल सहचारिता के लिए ही नहीं किया गया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम परमेश्वर के सेवकों को सुसमाचार के ज़्यादा प्रभावकारी शिक्षक और प्रचारक बनाने के लिए तैयार किया गया था। उस उद्देश्य को मन में रखते हुए, अधिक अनुभवी राज्य प्रचारकों ने नए लोगों के साथ सेवकाई में कार्य किया। यह घर-घर प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत ही फ़ायदेमंद रहा है। और इसने यहोवा के लोगों की मदद की है कि वे उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करने में अधिक निपुण हो सकें। (१ तीमुथियुस ४:१६) आज, सुरक्षा एक और कारण है जो मसीहियों के लिए “दो दो करके” सेवकाई में भाग लेना उपयुक्त बनाता है, ख़ासकर कुछ क्षेत्रों में।
१९. सेवकाई में व्यक्तिगत लक्ष्यों के बारे में क्या ध्यान में रखना चाहिए?
१९ चाहे आप सेवकाई में एक संगी विश्वासी के साथ कार्य कर रहे हैं या अकेले ही किसी दरवाज़े पर जा रहे हैं, किसी व्यक्तिगत लक्ष्य या उद्देश्य को प्राप्त करने की कोशिश कीजिए। यह यथार्थवादी और प्राप्य होना चाहिए। क्या आपको मदद चाहिए ताकि आप अपनी प्रस्तावना को आपके क्षेत्र के लोगों की रुचि जगाने के लिए अनुकूल बना सकें? यदि हाँ, तो शायद आप एक पायनियर, जो पूरे समय का राज्य उद्घोषक है, या एक प्रकाशक के साथ कार्य कर सकते हैं जो शायद अच्छी प्रस्तावनाओं का प्रयोग करने में ख़ासकर प्रभावकारी हो। आपका साथी हमारी राज्य सेवकाई में या किस तरह बाइबल चर्चाओं को आरंभ करें और जारी रखें पुस्तिका में दी गई प्रस्तावनाओं को तैयार करने और प्रयोग करने में शायद आपकी मदद करने में समर्थ हो। जिन अवसरों पर आप एक साथ घर-घर गवाही देते हैं, अपने साथी की प्रस्तुतियों को ध्यान से सुनिए। फिर आप ख़ुद भी वैसी ही एक प्रस्तुति प्रयोग करने की कोशिश कीजिए जब तक कि आप सेवकाई के इस पहलू में निपुण नहीं हो जाते।
२०, २१. कौन-सी बात क्षेत्र सेवकाई में सहचारिता को ख़ासकर सहायक बना सकती है?
२० यदि आपको गृह बाइबल अध्ययन शुरू करने के उद्देश्य से प्रभावकारी पुनःभेंट करने में मदद चाहिए तब क्या? शायद आपके कलीसिया पुस्तक अध्ययन संचालक द्वारा प्रबंध किया जा सकता है ताकि आप क्षेत्र सेवा में एक ऐसे राज्य प्रकाशक के साथ कार्य कर सकें जो बाइबल अध्ययन आरंभ करने में काफ़ी प्रभावकारी रहा है। जब आप एक साथ पुनःभेंट करते हैं तो एक निष्क्रिय साथी न बनें। बल्कि, जब आपके साथी ने एक भेंट में दिखा दिया है कि वह भेंट के दौरान बातों को कैसे सम्भालता है, तो अगली पुनःभेंट करते वक़्त वैसी ही एक प्रस्तुति करना आप शायद फ़ायदेमंद पाएँ। बाद में मदद करने और सलाह देने के लिए आपका साथी मौजूद होगा।—गलतियों ६:६ से तुलना कीजिए।
२१ क्षेत्र-सेवा साथी से ऐसी प्रेममय मदद सेवकाई में अपने लक्ष्यों तक पहुँचने में आपकी मदद कर सकती है। यह मदद और इस विशेषाधिकृत कार्य आप को करने की अनुमति देने में यहोवा की प्रेममय-कृपा के लिए आपका गहरा मूल्यांकन, आपको अपने राज्य-प्रचार कार्यों में और ज़्यादा प्रभावकारी होने में समर्थ करेगा। ऐसा हो कि हमेशा उस का गुणगान करने के द्वारा, और नियमित रूप से उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करने के द्वारा यहोवा को स्तुति देने के अपने विशेषाधिकार को हमेशा प्रिय समझें।—भजन १४५:१, २, ९-१३.
२२. हमारा अगला अध्ययन हमें किन सवालों के जवाब देने में मदद करेगा?
२२ यहोवा के गवाहों के नाते, अपनी घर-घर की सेवकाई में हम बार-बार लोगों से भेंट करते हैं। अनेक जन गहरे मूल्यांकन से सुसमाचार को सुन रहे हैं। परन्तु, शायद कुछ जन राज्य संदेश को सुनने के लिए अनिच्छुक हों। ऐसी परिस्थितियों में हमें क्या करना चाहिए? यहोवा ने जो कार्य अपने लोगों को नियुक्त किया है उसमें हम कैसे लगे रह सकते हैं? कौन-से शास्त्रीय उदाहरण हमारी मदद या मार्गदर्शन कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।
क्या आपको ये मुद्दे समझ आए?
▫ परमेश्वर के लिए बलिदान के बारे में होशे और प्रेरित पौलुस दोनों ने क्या कहा?
▫ किस बात ने यहेजकेल और आमोस को भविष्यवाणी करने के लिए प्रेरणा दी?
▫ हमें अपने राज्य-प्रचार कार्य को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
▫ क्षेत्र सेवकाई में सहचारिता से क्या लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं?
[पेज 22 पर तसवीरें]
उद्देश्यपूर्ण सहचारिता हमें सेवकाई में निपुण होने में मदद कर सकती है