परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं को एक आदर्श समझो
“हे भाइयो, जिन भविष्यद्वक्ताओं ने प्रभु के नाम से बातें कीं, उन्हें दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो।”—याकूब ५:१०.
१. सताए जाने पर भी यहोवा के सेवकों को आनन्दित रहने में क्या बात मदद करती है?
इन अंतिम दिनों में संसार में व्याप्त निराशा के बावजूद यहोवा के सेवक आनन्द विकिर्णित करते हैं। यह इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि वे परमेश्वर को प्रसन्न कर रहे हैं। यहोवा के गवाह अपनी सार्वजनिक सेवकाई के प्रति सताहट और विरोध को भी सहते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि वे धार्मिकता के लिए यह झेल रहे हैं। यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों से कहा: “धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्हों ने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।” (मत्ती ५:१०-१२) वास्तव में, जब भी परमेश्वर के सेवक विश्वास की परीक्षाओं का सामना करते हैं, वे इन्हें आनन्द की बात मानते हैं।—याकूब १:२, ३.
२. याकूब ५:१० के अनुसार, धीरज धरने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?
२ शिष्य याकूब ने लिखा: “हे भाइयो, जिन भविष्यद्वक्ताओं ने प्रभु के नाम से बातें कीं, उन्हें दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो।” (याकूब ५:१०) डब्ल्यू. एफ. ऑर्न्ट् और एफ. डब्ल्यू. गिंगरिच “आदर्श” अनुवादित यूनानी शब्द (हाइपोडेइग्मा) को इस प्रकार परिभाषित करते हैं: “एक अच्छे अर्थ में उदाहरण, नमूना, आदर्श, ऐसा कुछ जो व्यक्ति को उसका अनुकरण करने को उकसाता है या उकसाना चाहिए।” जैसे यूहन्ना १३:३५ में दिखाया गया है, “यह एक उदाहरण से बढ़कर है। यह एक निश्चित आदर्श है।” [थियोलॉजिकल डिक्शनरी ऑफ द न्यू टेस्टामेन्ट (अंग्रेज़ी)] सो, फिर, यहोवा के आधुनिक-दिन सेवक “दुख उठाने” और “धीरज धरने” के विषय में उसके वफ़ादार भविष्यवक्ताओं को आदर्श के तौर पर ले सकते हैं। उनके जीवन का अध्ययन करने पर हम और क्या समझ सकते हैं? और हमारे प्रचार कार्य में यह कैसे हमारी मदद कर सकता है?
उन्होंने दुःख उठाया
३, ४. अमस्याह के तरफ से आए विरोध के प्रति भविष्यवक्ता आमोस की क्या प्रतिक्रिया थी?
३ यहोवा के भविष्यवक्ताओं ने अकसर दुःख उठाया या दुर्व्यवहार सहन किया। उदाहरण के लिए, सा.यु.पू. नौवीं शताब्दी में, बछड़े की उपासना करनेवाले याजक अमस्याह ने भविष्यवक्ता आमोस का दुष्टता से विरोध किया। अमस्याह ने झूठा दावा किया कि आमोस ने यह भविष्यवाणी करने के द्वारा कि राजा तलवार से मरेगा और कि इस्राएल बन्धुआई में जाएगा यारोबाम II के विरुद्ध षड्यंत्र रचा है। तिरस्कारपूर्ण रूप से, अमस्याह ने आमोस से कहा: “हे दर्शी, यहां से निकलकर यहूदा देश में भाग जा, और वहीं रोटी खाया कर, और वहीं भविष्यद्वाणी किया कर; परन्तु बेतेल में फिर कभी भविष्यद्वाणी न करना, क्योंकि यह राजा का पवित्रस्थान और राज-नगर है।” इस मौखिक आक्रमण से विचलित न होते हुए, आमोस ने जवाब दिया: “मैं न तो भविष्यद्वक्ता था, और न भविष्यद्वक्ता का बेटा; मैं तो गाय-बैल का चरवाहा, और गूलर के वृक्षों का छांटनेहारा था, और यहोवा ने मुझे भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से बुलाकर कहा, जा, मेरी प्रजा इस्राएल से भविष्यद्वाणी कर।”—आमोस ७:१०-१५.
४ यहोवा की आत्मा ने आमोस को साहसपूर्वक भविष्यवाणी करने के लिए शक्ति प्रदान की। अमस्याह की प्रतिक्रिया की कल्पना कीजिए जब आमोस ने कहा: “यहोवा का वचन सुन, तू कहता है कि इस्राएल के विरुद्ध भविष्यद्वाणी मत कर; और इसहाक के घराने के विरुद्ध बार बार वचन मत सुना। इस कारण यहोवा यों कहता है, तेरी स्त्री नगर में वेश्या हो जाएगी, और तेरे बेटे-बेटियां तलवार से मारी जाएंगीं, और तेरी भूमि डोरी डालकर बांट ली जाएगी; और तू आप अशुद्ध देश में मरेगा, और इस्राएल अपनी भूमि पर से निश्चय बंधुआई में जाएगा।” यह भविष्यवाणी पूरी हुई। (आमोस ७:१६, १७) धर्मत्यागी अमस्याह कितना स्तब्ध हुआ होगा!
५. यहोवा के आधुनिक-दिन सेवकों और भविष्यवक्ता आमोस की स्थिति के बीच क्या समान्तर देखा जा सकता है?
५ यह आज यहोवा के लोगों की स्थिति के समान है। परमेश्वर के संदेश की घोषणा करनेवालों के तौर पर हम बुराई सहते हैं, और बहुत लोग हमारे प्रचार कार्य के बारे में तिरस्कारपूर्ण रूप से बोलते हैं। यह सच है कि प्रचार करने का हमारा प्राधिकरण किसी धर्मवैज्ञानिक गुरूकुल से नहीं आता है। बल्कि, यहोवा की पवित्र आत्मा हमें राज्य के सुसमाचार की घोषणा करने को प्रेरित करती है। हम परमेश्वर के संदेश को न तो बदलते हैं और न ही उसके प्रभावकारिता को घटाते हैं। इसके बजाय, आमोस की तरह, हम आज्ञाकारिता से इसकी घोषणा करते हैं चाहे श्रोताओं की प्रतिक्रिया जो भी हो।—२ कुरिन्थियों २:१५-१७.
उन्होंने धीरज धरा
६, ७. (क) यशायाह की भविष्यवाणी की क्या विशेषता थी? (ख) यहोवा के वर्तमान-दिन सेवक यशायाह की तरह कैसे कार्य करते हैं?
६ परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं ने धीरज धरा। उदाहरण के लिए, यशायाह ने, जिसने सा.यु.पू. आठवीं शताब्दी में यहोवा के भविष्यवक्ता के रूप में सेवा की, धीरज प्रदर्शित किया। परमेश्वर ने उससे कहा: “जा, और इन लोगों से कह, सुनते ही रहो, परन्तु न समझो; देखते ही रहो, परन्तु न बूझो। तू इन लोगों के मन को मोटे और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आंखों को बन्द कर; ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से बूझें, और मन फिरावें और चंगे हो जाएं।” (यशायाह ६:९, १०) लोगों ने वास्तव में वैसी ही प्रतिक्रिया दिखायी। लेकिन क्या इस वजह से यशायाह ने अपना कार्य छोड़ दिया? नहीं। बल्कि उसने धीरज और जोश से यहोवा के चेतावनी संदेशों को घोषित किया। यहाँ उद्धृत परमेश्वर के शब्दों की इब्रानी संरचना भविष्यवक्ता की घोषणाओं, जिन्हें लोगों ने “बार-बार” सुना, के “लम्बे समय तक निरन्तरता” के विचार का समर्थन करती है।—गेज़ेनिउस हीब्रू ग्रामर (अंग्रेज़ी).
७ आज अनेक लोग सुसमाचार के प्रति वैसी ही प्रतिक्रिया दिखाते हैं जैसे लोगों ने यशायाह द्वारा बताए गए यहोवा के शब्दों के प्रति दिखायी थी। लेकिन, उस वफ़ादार भविष्यवक्ता की तरह हम राज्य संदेश को “बार-बार” दोहराते हैं। हम जोश और धीरज के साथ इसमें लगे रहते हैं क्योंकि यह यहोवा की इच्छा है।
“उन्होंने वैसा ही किया”
८, ९. किन तरीक़ों से यहोवा का भविष्यवक्ता मूसा एक उत्तम उदाहरण है?
८ भविष्यवक्ता मूसा धीरज और आज्ञाकारिता में अनुकरणीय था। उसने दासत्व में पड़े इस्राएलियों का पक्ष लेने का चुनाव किया, परन्तु उसे उनके छुटकारे के समय के लिए धीरज से इंतज़ार करना पड़ा। वह ४० साल तक मिद्यान में रहा, जब तक कि परमेश्वर ने उसे इस्राएलियों को दासत्व से छुड़ाने के लिए प्रयोग नहीं किया। जब मूसा और उसका भाई हारून मिस्र के शासक के सामने थे, तब उन्होंने आज्ञाकारिता से जैसे परमेश्वर ने आज्ञा दी वैसा ही कहा और किया। वास्तव में, “उन्होंने वैसा ही किया।”—निर्गमन ७:१-६, (NW); इब्रानियों ११:२४-२९.
९ मूसा ने धीरज से वीराने में इस्राएल के ४० कष्टदायी वर्ष सहन किए। इस्राएल के उपासना तम्बू के निर्माण में तथा यहोवा की उपासना में उपयोग की जानेवाली अन्य वस्तुओं के बनाने में भी उसने आज्ञाकारिता से परमेश्वरीय निर्देशनों का पालन किया। इस भविष्यवक्ता ने परमेश्वर के निर्देशनों का इतना नज़दीकी से पालन किया कि हम पढ़ते हैं: “जो जो आज्ञा यहोवा ने उसको दी थी मूसा ने उसी के अनुसार किया। उसने वैसा ही किया।” (निर्गमन ४०:१६, NW) यहोवा के संगठन के साथ मिलकर अपनी सेवकाई को पूरा करते वक़्त, आइए हम मूसा की आज्ञाकारिता को याद रखें और प्रेरित पौलुस की सलाह, “अपने अगुवों की मानो” लागू करें।—इब्रानियों १३:१७.
उनकी मनोवृत्ति सकारात्मक थी
१०, ११. (क) क्या बात सूचित करती है कि भविष्यवक्ता होशे की सकारात्मक मनोवृत्ति थी? (ख) अपने क्षेत्रों में लोगों से संपर्क करते समय हम कैसे सकारात्मक मनोवृत्ति बनाए रख सकते हैं?
१० भविष्यवक्ताओं को सकारात्मक मनोवृत्ति रखने की ज़रूरत थी क्योंकि वे न्याय संदेश और साथ ही इस्राएल में फैले हुए वफ़ादार लोगों के लिए परमेश्वर की प्रेममय परवाह को प्रकट करनेवाली भविष्यवाणियों को लोगों तक पहुँचाते थे। यह होशे के बारे में सच था जो ५९ सालों तक एक भविष्यवक्ता था। सकारात्मक रीति से, वह यहोवा के संदेशों को पहुँचाता रहा और अपनी भविष्यसूचक पुस्तक की समाप्ति इन शब्दों से की: “जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।” (होशे १४:९) जब तक यहोवा हमें गवाही देने की अनुमति देता है, आइए हम सकारात्मक मनोवृत्ति रखें और उन लोगों की खोज करते रहें जो बुद्धिमानी से परमेश्वर के अपात्र अनुग्रह को स्वीकार करेंगे।
११ ‘योग्य लोगों को ढूँढने’ के लिए, हमें लगे रहने की और बातों को सकारात्मक दृष्टि से देखने की ज़रूरत है। (मत्ती १०:११, NW) उदाहरण के लिए, यदि हम अपनी चाबियाँ खो देते हैं, तो हम शायद वापस जाकर उन विभिन्न जगहों पर ढूँढेंगे जहाँ हम गए थे। हम शायद ऐसा कई बार करने पर ही उन्हें पाएँ। आइए भेड़ समान लोगों को ढूँढने में हम उसी रीति से लगे रहें। अकसर कार्य किए गए क्षेत्र में जब लोग सुसमाचार के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाते हैं तो हमें कितना आनन्द होता है! और हम कितने आनन्दित हैं कि परमेश्वर हमारे कार्यों को उन देशों में आशिष दे रहा है जहाँ पाबंदियाँ हमारी सार्वजनिक सेवकाई को पहले सीमित करती थीं!—गलतियों ६:१०.
प्रोत्साहन के स्रोत
१२. योएल की किस भविष्यवाणी की २०वीं-शताब्दी पूर्ति हो रही है, और कैसे?
१२ यहोवा के भविष्यवक्ताओं के शब्द हमारी सेवकाई में हमारे लिए बहुत प्रोत्साहक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, योएल की भविष्यवाणी पर ध्यान दीजिए। इसमें सा.यु.पू. नौवीं शताब्दी में धर्मत्यागी इस्राएलियों और अन्य लोगों को सम्बोधित न्याय संदेश हैं। फिर भी, योएल भी भविष्यवाणी करने के लिए उत्प्रेरित हुआ: “मैं [यहोवा] सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे। तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा।” (योएल २:२८, २९) यह पिन्तेकुस्त सा.यु. ३३ से यीशु के अनुयायियों के बारे में सही साबित हुआ। और इस २०वीं शताब्दी में हम इस भविष्यवाणी की क्या ही महान पूर्ति देख रहे हैं! आज लाखों हैं जो “भविष्यद्वाणी करते हैं,” या यहोवा के संदेश की घोषणा करते हैं—उनमें से ६,००,००० से भी अधिक पूरे-समय की पायनियर सेवा में हैं।
१३, १४. क्षेत्र सेवकाई में आनन्द पाने के लिए जवान मसीहियों को क्या बात मदद कर सकती है?
१३ अनेक राज्य उद्घोषक जवान लोग हैं। अपने से बड़े लोगों से बाइबल के बारे में बात करना उनके लिए हमेशा आसान नहीं होता है। कभी-कभी यहोवा के जवान सेवकों से कहा जाता है: ‘तुम प्रचार करते हुए अपना समय बरबाद कर रहे हो,’ और ‘तुम्हें कुछ और काम करना चाहिए।’ व्यवहार-कुशलता से यहोवा के जवान गवाह जवाब दे सकते हैं कि उन्हें खेद है कि वह व्यक्ति ऐसा महसूस करता है। सुसमाचार का एक जवान प्रचारक यह जोड़ना सहायक पाता है: “मुझे लगता है कि मुझे आप जैसे बड़े लोगों से बातें करने से सचमुच फ़ायदा होता है, और मैं इसका आनन्द लेता हूँ।” जी हाँ, सुसमाचार का प्रचार करना निश्चित ही समय की बरबादी नहीं है। जीवन दाँव पर हैं। योएल के द्वारा परमेश्वर ने आगे घोषित किया: “उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा।”—योएल २:३२.
१४ बच्चे जो अपने माता-पिता के साथ राज्य-प्रचार कार्य के लिए जाते हैं व्यक्तिगत लक्ष्य रखने में अपने माता-पिता की मदद का स्वागत करते हैं। कदम-ब-कदम ऐसे युवा दिलचस्पी दिखानेवाले लोगों को एक शास्त्रवचन पढ़कर बताने से लेकर अपनी बाइबल-आधारित आशा समझाने और उपयुक्त साहित्य पेश करने तक प्रगति करते हैं। जैसे-जैसे वे अपनी प्रगति और यहोवा की आशिषें देखते हैं, युवा राज्य प्रकाशक सुसमाचार का प्रचार करने में बहुत आनन्द पाते हैं।—भजन ११०:३; १४८:१२, १३.
जोश और बाट जोहने की मनोवृत्ति
१५. यहेजकेल का उदाहरण राज्य-प्रचार कार्य के लिए हमारे जोश को पुनः उत्तेजित करने में कैसे हमारी मदद कर सकता है?
१५ परमेश्वर के भविष्यवक्ता जोश और बाट जोहने की मनोवृत्ति दोनों को प्रदर्शित करने में भी अनुकरणीय थे—वे गुण जिनकी हमें अपनी सेवकाई में आज ज़रूरत है। जब हम ने परमेश्वर के वचन से पहले-पहल सच्चाई सीखी थी, संभवतः हम जोश से उत्तेजित हुए थे जिसने हमें निडरता से बात करने को प्रेरित किया। परन्तु शायद तब से साल बीत चुके हैं, और हम ने शायद अपना गवाही क्षेत्र कई बार पूरा किया है। अब शायद कम लोग राज्य-संदेश स्वीकार कर रहे हों। क्या इसने हमारे जोश को घटाया है? यदि हाँ, तो भविष्यवक्ता यहेजकेल पर ध्यान दीजिए, जिसके नाम का अर्थ है “परमेश्वर बलवंत करता है।” प्राचीन इस्राएल में कठोर मन के लोगों का सामना करने के लिए परमेश्वर ने यहेजकेल को बलवंत किया और लाक्षणिक रूप से उसका माथा चकमक पत्थर से भी कड़ा किया। अतः, यहेजकेल अपनी सेवकाई बहुत सालों तक कर सका चाहे लोग सुनते थे या नहीं। उसका उदाहरण दिखाता है कि हम भी वैसे ही कर सकते हैं। यह प्रचार कार्य के लिए हमारे जोश को पुनः उत्तेजित करने में हमारी मदद कर सकता है।—यहेजकेल ३:८, ९; २ तीमुथियुस ४:५.
१६. हमें मीका की कौन-सी मनोवृत्ति विकसित करनी चाहिए?
१६ मीका अपने धीरज के लिए ध्यान देने योग्य है, जिसने सा.यु.पू. आठवीं शताब्दी में भविष्यवाणी की। उसने लिखा: “परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।” (मीका ७:७) मीका का भरोसा उसके दृढ़ विश्वास पर आधारित था। भविष्यवक्ता यशायाह की तरह मीका जानता था कि यहोवा ने जो ठाना है उसे वह ज़रूर पूरा करेगा। हम भी यह जानते हैं। (यशायाह ५५:११) इसलिए आइए हम भी परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति के लिए बाट जोहने की मनोवृत्ति विकसित करें। और आइए हम सुसमाचार का प्रचार जोश से करें, उन क्षेत्रों में भी जहाँ लोग राज्य संदेश में कम दिलचस्पी दिखाते हैं।—तीतुस २:१४; याकूब ५:७-१०.
आज धीरज धरना
१७, १८. कौन-से प्राचीन और आधुनिक उदाहरण धीरज धरने में हमारी मदद कर सकते हैं?
१७ यहोवा के कुछ भविष्यवक्ता अपनी नियुक्तियों में सालों लगे रहे, परन्तु अपनी भविष्यवाणियों की पूर्ति न देख पाए। फिर भी, अकसर दुर्व्यवहार सहते हुए, उनका धीरज के साथ लगे रहना यह समझने में हमारी मदद करता है कि हम अपनी सेवकाई पूरी कर सकते हैं। बीसवीं शताब्दी के आदि दशकों के वफ़ादार अभिषिक्त जनों के उदाहरण से भी हमें फ़ायदा मिल सकता है। उनकी स्वर्गीय आशाएँ उतनी ज़ल्दी नहीं पूरी हुईं जितनी उन्होंने अपेक्षा की थी। फिर भी इस प्रतीयमान देरी के कारण हुई निराशा को उन्होंने परमेश्वर की इच्छा, जिसे वह उन्हें प्रकट करता रहा, पूरी करने के अपने जोश को कम न करने दिया।
१८ सालों तक, इनमें से अनेक मसीहियों ने द वॉचटावर और उसकी साथी पत्रिका, अवेक! (पहले इसका नाम द गोल्डन एज और बाद में कॉनसोलेशन था) को नियमित तौर पर वितरित किया। उन्होंने जोश के साथ ये मूल्यवान् पत्रिकाएँ लोगों को सड़कों पर और उनके घरों में, जिसे हम आज पत्रिका मार्ग कहते हैं उसके द्वारा उपलब्ध करायी। सड़क पर उसे गवाही देते हुए देखने के आदी राहगीरों ने एक बुज़ुर्ग बहन की घटी जल्द ही महसूस की, जिसने अपना पार्थिव जीवन समाप्त कर लिया था। अपने अनेक सालों की वफ़ादार सेवा के दौरान उसने क्या ही गवाही दी, जो उसकी सार्वजनिक सेवकाई के प्रेक्षकों द्वारा की गई मूल्यांकन की टिप्पणियों से दिखता है! एक राज्य उद्घोषक के तौर पर, क्या आप नियमित रूप से द वॉचटावर और अवेक! उन लोगों तक पहुँचा रहे हैं जिन्हें आप अपनी सेवकाई में मिलते हैं?
१९. इब्रानियों ६:१०-१२ हमें क्या प्रोत्साहन प्रस्तुत करता है?
१९ यहोवा के गवाहों के शासी निकाय के सदस्यों के तौर पर सेवा करनेवाले भाइयों की धीरजवन्त और वफ़ादार सेवा के बारे में भी विचार कीजिए। उनमें से अनेक अपने जीवन के आठवें या नौवें दशक में हैं, परन्तु वे फिर भी राज्य उद्घोषक हैं जो अपनी नियुक्त ज़िम्मेदारियों की जोश के साथ देखभाल करते हैं। (इब्रानियों १३:७) और स्वर्गीय आशा के दूसरे बुज़ुर्ग तथा “अन्य भेड़” में से भी कुछ जन जो बुज़ुर्ग हो रहे हैं उनके बारे में क्या? (यूहन्ना १०:१६, NW) वे निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर इतना अन्यायी नहीं है कि उनके कार्यों को और उस प्रेम को जो वे उसके नाम के प्रति दिखाते हैं भुला दे। ऐसा हो कि जवान संगी विश्वासियों के साथ यहोवा के बुज़ुर्ग गवाह भी विश्वास रखते हुए और परमेश्वर की सेवा में धीरज दिखाते हुए, जो वे कर सकते हैं उसे करने में लगे रहें। (इब्रानियों ६:१०-१२) तब, चाहे परमेश्वर के प्राचीन भविष्यवक्ताओं के जैसे पुनरुत्थान के द्वारा, या आने वाले “भारी क्लेश” को पार करके बच निकलने के द्वारा, वे अनंत जीवन के बड़े प्रतिफल की कटनी काटेंगे।—मत्ती २४:२१.
२०. (क) भविष्यवक्ताओं के “आदर्श” से आपने क्या सीखा है? (ख) भविष्यवक्ता-समान धीरज हमारी मदद कैसे कर सकता है?
२० परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं ने हमारे लिए क्या ही उत्तम नमूना छोड़ा है! क्योंकि उन्होंने दुःख सहन किया, धीरज धरा, और अन्य ईश्वरीय गुणों को प्रदर्शित किया, उन्हें यहोवा के नाम से बोलने का विशेषाधिकार हासिल हुआ। उसके आधुनिक-दिन गवाहों के तौर पर, आइए हम भी उनकी तरह हों, और भविष्यवक्ता हबक्कूक की तरह दृढ़ हों, जिसने घोषित किया: “मैं अपने पहरे पर खड़ा रहूंगा, और गुम्मट पर चढ़कर ठहरा रहूंगा, और ताकता रहूंगा कि मुझ से [परमेश्वर] क्या कहेगा?” (हबक्कूक २:१) हमारा भी वैसा ही दृढ़ संकल्प हो जैसे-जैसे हम धीरज धरते और आनन्दपूर्वक अपने महान सृष्टिकर्ता, यहोवा के उत्कृष्ठ नाम की सार्वजनिक घोषणा करना जारी रखते हैं!—नहेमायाह ८:१०; रोमियों १०:१०.
क्या आपको ये मुद्दे समझ आए?
▫ भविष्यवक्ता आमोस ने कौन-सा साहसी उदाहरण रखा?
▫ भविष्यवक्ता मूसा किन तरीक़ों से अनुकरणीय था?
▫ यहोवा के आधुनिक-दिन गवाह कैसे आमोस और यशायाह की तरह कार्य कर सकते हैं?
▫ होशे और योएल के चाल-चलन से मसीही सेवक क्या सीख सकते हैं?
▫ यहेजकेल और मीका के उदाहरणों से हम कैसे फ़ायदा उठा सकते हैं?
[पेज 25 पर तसवीर]
अमस्याह के क्रोधोन्मत्त विरोध के बावजूद यहोवा की आत्मा ने आमोस को साहसपूर्वक भविष्यवाणी करने की शक्ति प्रदान की
[पेज 27 पर तसवीर]
यहोवा की सेवा में धीरज धरने के द्वारा वफ़ादार अभिषिक्त जनों ने एक उत्तम उदाहरण रखा है