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  • क्या आप यहोवा की तरह क्षमा करते हैं?

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  • क्या आप यहोवा की तरह क्षमा करते हैं?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
w94 10/1 पेज 24-29

क्या आप यहोवा की तरह क्षमा करते हैं?

“यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।”—मत्ती ६:१४, १५.

१, २. हमें किस प्रकार के परमेश्‍वर की ज़रूरत है, और क्यों?

“यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है। वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। उस ने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करुणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी हैं।”—भजन १०३:८-१४.

२ पाप के साथ गर्भ में पड़े और अधर्म के साथ जन्मे, और जन्मजात अपरिपूर्णताओं सहित होने के कारण जो हमेशा हमें पाप की व्यवस्था की बन्धुवाई में ले जाने की कोशिश करती हैं, हमें एक ऐसे परमेश्‍वर की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है जिसे ‘स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी के बने हैं।’ दाऊद द्वारा भजन १०३ में इतनी सुन्दरता से यहोवा का वर्णन करने के ३०० साल बाद, एक और बाइबल लेखक, मीका ने इसी परमेश्‍वर का लगभग समान रीति से गुणगान किया कि वह दया दिखाकर पापों को क्षमा करता है: “तेरे तुल्य ईश्‍वर कौन है: जो अधर्म दूर करता, अपराध क्षमा करता, और अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रखता परन्तु करुणा दिखाने में प्रसन्‍न होता है? फिर से हम पर दया कर, हमारे अधर्म के कामों को दूर हटा, हमारे सब पापों को समुद्र की गहराई में डाल दे।”—मीका ७:१८, १९, द जरूसलेम बाइबल।

३. क्षमा करने का क्या अर्थ है?

३ यूनानी शास्त्र में, “क्षमा” के लिए शब्द का अर्थ है “जाने देना।” नोट कीजिए कि ऊपर उद्धृत दाऊद और मीका आकर्षक, वर्णनात्मक शब्दों में यही अर्थ व्यक्‍त करते हैं। यहोवा की क्षमा की आश्‍चर्यजनक सीमा का पूरी तरह मूल्यांकन करने के लिए, आइए हम उन अनेक उदाहरणों में से कुछ पर पुनर्विचार करें जब उसकी क्षमा कार्यशील थी। पहला उदाहरण दिखाता है कि विनाश के बजाय क्षमा के लिए यहोवा का मन बदला जा सकता है।

मूसा मध्यस्थता करता है—यहोवा सुनता है

४. यहोवा की शक्‍ति के किन प्रदर्शनों के बाद भी इस्राएली प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने से डर रहे थे?

४ यहोवा इस्राएल की जाति को मिस्र से बाहर और उस देश के निकट सुरक्षित ले आया जिसे स्वदेश के रूप में देने की प्रतिज्ञा उसने उनसे की थी, लेकिन उन्होंने कनान के मात्र लोगों से डरकर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया। यह देखने के बाद कि यहोवा ने दस विनाशक विपत्तियों के द्वारा मिस्र से उन्हें छुड़ाया, लाल समुद्र के बीच एक बचाव मार्ग निकाला, मिस्री सेना का नाश किया जिसने उनका पीछा करने की कोशिश की, सीनै पर्वत पर उनके साथ व्यवस्था वाचा बान्धी जिसने उन्हें यहोवा की चुनी हुई जाति बनाया, और उनका भरण-पोषण करने के लिए चमत्कारिक रूप से हर दिन स्वर्ग से मन्‍ना प्रदान किया, वे कुछ दानव-समान कनानियों के कारण प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने से डर रहे थे!—गिनती १४:१-४.

५. दो वफ़ादार भेदियों ने किस प्रकार इस्राएल को उत्तेजित करने की कोशिश की?

५ मूसा और हारून हैरान होकर अपने मुँह के बल गिर गए। दो वफ़ादार भेदियों, यहोशू और कालिब ने इस्राएलियों को उत्तेजित करने की कोशिश की: ‘वह देश अत्यन्त उत्तम देश है। उस देश में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं। लोगों से न डरो; यहोवा हमारे संग है!’ ऐसे शब्दों से प्रोत्साहित होने के बजाय, इन भयभीत, विद्रोही लोगों ने यहोशू और कालिब पर पत्थरवाह करने की कोशिश की।—गिनती १४:५-१०.

६, ७. (क) जब इस्राएल ने प्रतिज्ञात देश में जाने का विरोध किया तो यहोवा ने क्या करने का निर्णय लिया? (ख) मूसा ने इस्राएल पर यहोवा के न्याय पर आपत्ति क्यों उठायी, और इसका परिणाम क्या था?

६ यहोवा क्रोधित हुआ! “तब यहोवा ने मूसा से कहा, वे लोग कब तक मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? और मेरे सब आश्‍चर्यकर्म देखने पर भी कब तक मुझ पर विश्‍वास न करेंगे? मैं उन्हें मरी से मारूंगा, और उनके निज भाग से उन्हें निकाल दूंगा, और तुझ से एक जाति उपजाऊंगा जो उन से बड़ी और बलवन्त होगी। मूसा ने यहोवा से कहा, तब तो मिस्री जिनके मध्य में से तू अपनी सामर्थ्य दिखाकर उन लोगों को निकाल ले आया है यह सुनेंगे, और इस देश के निवासियों से कहेंगे। . . . इसलिये यदि तू इन लोगों को एक ही बार में मार डाले, तो जिन जातियों ने तेरी कीर्त्ति सुनी है वे कहेंगी, कि यहोवा उन लोगों को उस देश में जिसे उस ने उन्हें देने की शपथ खाई थी पहुंचा न सका, इस कारण उस ने उन्हें जंगल में घात कर डाला है।”—गिनती १४:११-१६.

७ यहोवा के नाम के कारण मूसा ने क्षमा की बिनती की: “इन लोगों के अधर्म को अपनी बड़ी करुणा के अनुसार, और जैसे तू मिस्र से लेकर यहां तक क्षमा करता रहा है वैसे ही अब भी क्षमा कर दे। यहोवा ने कहा, तेरी विनती के अनुसार मैं क्षमा करता हूं।”—गिनती १४:१९, २०.

मनश्‍शे की मूर्तिपूजा और दाऊद का परस्त्रीगमन

८. यहूदा के राजा मनश्‍शे ने किस क़िस्म का रिकार्ड बनाया?

८ यहोवा की क्षमा का एक उल्लेखनीय उदाहरण है अच्छे राजा हिजकिय्याह के पुत्र, मनश्‍शे का किस्सा। मनश्‍शे १२ साल का था जब उसने यरूशलेम में राज्य करना शुरू किया। उसने ऊँचे स्थानों को बनाया, बाल देवताओं के लिए वेदियाँ बनायीं, अशेरा नाम मूरतें बनाईं, आकाश के तारों को दण्डवत किया, टोना और तंत्र-मंत्र किया, ओझों और भूतसिद्धिवालों से व्यवहार किया, एक खुदवाई हुई मूर्ति यहोवा के भवन में रखी, और हिन्‍नोम की तराई में अपने लड़केबालों को होम करके चढ़ाया। “उस ने ऐसे बहुत से काम किए, जो यहोवा की दृष्टि में बुरे हैं” और “यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को यहां तक भटका दिया कि उन्होंने उन जातियों से भी बढ़कर बुराई की, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से विनाश किया था।”—२ इतिहास ३३:१-९.

९. मनश्‍शे के प्रति यहोवा का क्रोध किस प्रकार शांत हुआ, और इसका परिणाम क्या था?

९ अन्त में, यहोवा ने यहूदा पर अश्‍शूरियों से चढ़ाई करवायी, और वे मनश्‍शे को बंदी बनाकर बाबुल ले गए। “तब संकट में पड़कर वह अपने परमेश्‍वर यहोवा को मानने लगा, और अपने पूर्वजों के परमेश्‍वर के साम्हने बहुत दीन हुआ, और उस से प्रार्थना की। तब उस ने प्रसन्‍न होकर उसकी बिनती सुनी, और उसको यरूशलेम में पहुंचाकर उसका राज्य लौटा दिया।” (२ इतिहास ३३:११-१३) तब मनश्‍शे ने पराए देवताओं, मूर्तियों, और वेदियों को दूर करके नगर से बाहर फेंकवा दिया। उसने यहोवा की वेदी पर बलि चढ़ाना शुरू कर दिया और सच्चे परमेश्‍वर की सेवा करने की ओर यहूदा की शुरूआत करवायी। जब नम्रता, प्रार्थना, और सुधारक कार्यवाही पश्‍चाताप के योग्य फल उत्पन्‍न करते हैं तब क्षमा करने की यहोवा की तत्परता का यह एक आश्‍चर्यजनक प्रदर्शन था!—२ इतिहास ३३:१५, १६.

१०. ऊरिय्याह की पत्नी के साथ अपने पाप को दाऊद ने कैसे गुप्त रखने की कोशिश की?

१० हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी के साथ राजा दाऊद का व्यभिचारी पाप जाना-माना है। दाऊद ने न सिर्फ़ उसके साथ परस्त्रीगमन किया बल्कि जब वह गर्भवती हो गई तो उस बात को गुप्त रखने के लिए एक विस्तृत जाल बुना। राजा ने यह अपेक्षा करते हुए कि ऊरिय्याह अपने घर जाएगा और अपनी पत्नी के साथ संभोग करेगा उसको युद्ध से छुट्टी दे दी। लेकिन, रणभूमि में अपने संगी सैनिकों के लिए आदर के कारण ऊरिय्याह ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। तब दाऊद ने उसे भोजन का नेवता दिया और उसे मतवाला कर दिया, लेकिन ऊरिय्याह फिर भी अपनी पत्नी के पास नहीं गया। तब दाऊद ने अपने सेनापति को एक संदेश भेजा कि ऊरिय्याह को सबसे घोर लड़ाईवाले क्षेत्र में रखे जिससे कि ऊरिय्याह मारा जाए, और वैसा ही हुआ।—२ शमूएल ११:२-२५.

११. अपने पाप का पश्‍चाताप करने के लिए किस प्रकार दाऊद की मदद की गयी, फिर भी उसे क्या सहना पड़ा?

११ यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता नातान को दाऊद के पास राजा के पाप का परदाफ़ाश करने के लिए भेजा। “तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है; तू न मरेगा।” (२ शमूएल १२:१३) दाऊद ने अपने पाप के कारण बहुत दोषी महसूस किया और अपना पश्‍चाताप यहोवा को एक हार्दिक प्रार्थना में व्यक्‍त किया: “क्योंकि तू मेलबलि में प्रसन्‍न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्‍न नहीं होता। टूटा मन परमेश्‍वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्‍वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।” (भजन ५१:१६, १७) यहोवा ने टूटे हुए मन से की दाऊद की प्रार्थना को तुच्छ नहीं जाना। फिर भी, निर्गमन ३४:६, ७ में क्षमा के बारे में यहोवा के कथन के सामंजस्य में दाऊद को भारी दण्ड मिला: “दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष [दण्डमुक्‍त, NW] न ठहराएगा।”

सुलैमान द्वारा मंदिर का समर्पण

१२. मंदिर के समर्पण के समय सुलैमान ने क्या बिनती की, और यहोवा का क्या उत्तर था?

१२ जब सुलैमान ने यहोवा के मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया, तो उसने अपनी समर्पण प्रार्थना में कहा: “अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुंह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवासस्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना।” यहोवा ने उत्तर दिया: “यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूं, कि वर्षा न हो, वा टिडियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूं, वा अपनी प्रजा में मरी फैलाऊं, तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा।”—२ इतिहास ६:२१; ७:१३, १४.

१३. एक व्यक्‍ति के बारे में यहोवा के दृष्टिकोण के सम्बन्ध में यहेजकेल ३३:१३-१६ क्या दिखाता है?

१३ जब यहोवा आपको देखता है, तो वह आपको उस रूप में स्वीकार करता है, जो आप अभी हैं, न कि जो आप थे। यह ऐसे होगा जैसे यहेजकेल ३३:१३-१६ कहता है: “यदि मैं धर्मी से कहूं कि तू निश्‍चय जीवित रहेगा, और वह अपने धर्म पर भरोसा करके कुटिल काम करने लगे, तब उसके धर्म के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उस ने किए हों वह उन्हीं में फंसा हुआ मरेगा। फिर जब मैं दुष्ट से कहूं, तू निश्‍चय मरेगा, और वह अपने पाप से फिरकर न्याय और धर्म के काम करने लगे, अर्थात्‌ यदि दुष्ट जन बन्धक फेर दे, अपनी लूटी हुई वस्तुएं भर दे, और बिना कुटिल काम किए जीवनदायक विधियों पर चलने लगे, तो वह न मरेगा; वह निश्‍चय जीवित रहेगा। जितने पाप उस ने किए हों, उन में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; उस ने न्याय और धर्म के काम किए और वह निश्‍चय जीवित रहेगा।”

१४. यहोवा की क्षमा के बारे में क्या अनोखा है?

१४ जो क्षमा यहोवा हमें प्रदान करता है उसका एक अनोखा गुण है, ऐसा गुण जो मनुष्यों द्वारा एक दूसरे को दी गयी क्षमा में सम्मिलित करना उनके लिए कठिन है—वह क्षमा करता है और भूल भी जाता है। कुछ लोग कहते हैं, ‘जो आपने किया है मैं उसे क्षमा कर सकता हूँ, लेकिन मैं उसे भूल नहीं सकता (या भूलूँगा नहीं)।’ इसकी विषमता में, नोट कीजिए कि जो यहोवा करेगा उसके बारे में वह क्या कहता है: “मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।”—यिर्मयाह ३१:३४.

१५. क्षमा के बारे में यहोवा का क्या रिकार्ड है?

१५ यहोवा पृथ्वी पर अपने उपासकों को हज़ारों साल से क्षमा करता आ रहा है। वह उनके उन पापों को क्षमा करता आया है जिन्हें करने के बारे में वे अवगत हैं, साथ ही उसने अनेकों ऐसे पाप क्षमा किए हैं जिनके बारे में वे अवगत नहीं हैं। दया, धीरज, और क्षमा का उसका प्रबन्ध अन्तहीन रहा है। यशायाह ५५:७ कहता है: “दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्‍वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”

मसीही यूनानी शास्त्र में क्षमा

१६. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु का क्षमा करना यहोवा के क्षमा करने के सामंजस्य में है?

१६ मसीही यूनानी शास्त्र परमेश्‍वर की क्षमा के वृत्तांतों से भरे हुए हैं। यीशु उसके बारे में अकसर बोलता है, जो दिखाता है कि इस विषय पर वह यहोवा के विचार से सहमत है। यीशु का सोच-विचार यहोवा की ओर से आता है, वह यहोवा को प्रतिबिम्बित करता है, वह यहोवा के तत्व की छाप है; उसे देखना यहोवा को देखने के बराबर है।—यूहन्‍ना १२:४५-५०; १४:९; इब्रानियों १:३.

१७. यीशु ने किस प्रकार सचित्रित किया कि यहोवा “पूरी रीति से” क्षमा करता है?

१७ यहोवा पूरी रीति से क्षमा करता है यह बात यीशु के एक दृष्टांत से सूचित होती है। वह दृष्टांत जिसमें एक राजा ने एक दास का १०,००० तोड़े (लगभग $३,३०,००,०००, यू.एस.) का कर्ज़ क्षमा कर दिया। लेकिन जब उस दास ने एक संगी दास का सौ दीनार (कुछ $६०, यू.एस.) का कर्ज़ क्षमा नहीं किया, तो राजा क्रोधित हुआ। “हे दुष्ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था? और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देनेवालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे।” तब यीशु ने इसका अनुप्रयोग किया: “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।”—मत्ती १८:२३-३५.

१८. क्षमा के बारे में पतरस का दृष्टिकोण यीशु के दृष्टिकोण की तुलना में कैसा था?

१८ यीशु द्वारा उपरोक्‍त दृष्टांत दिए जाने से कुछ ही समय पहले, पतरस ने यीशु के पास आकर पूछा: “हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करू, क्या सात बार तक?” पतरस ने सोचा वह बड़ी उदारता दिखा रहा था। जबकि शास्त्रियों और फरीसियों ने क्षमा पर सीमा लगा रखी थी, यीशु ने पतरस से कहा: “मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, बरन सात बार के सत्तर गुने तक।” (मत्ती १८:२१, २२) सात बार मुश्‍किल से एक दिन के लिए काफ़ी होगा, जैसा यीशु ने कहा: “सचेत रहो; यदि तेरा भाई अपराध करे तो उसे समझा, और यदि पछताए तो उसे क्षमा कर। यदि दिन भर में वह सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, कि मैं पछताता हूं, तो उसे क्षमा कर।” (लूका १७:३, ४) जब यहोवा क्षमा करता है, तब वह लेखा नहीं रखता—यह हमारे लिए ख़ुशी की बात है।

१९. यहोवा की क्षमा प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

१९ यदि हमारे पास पश्‍चाताप करने और अपने पापों को स्वीकार करने की नम्रता है, तो यहोवा हमें अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाने के लिए तत्पर है: “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्‍वासयोग्य और धर्मी है।”—१ यूहन्‍ना १:९.

२०. स्तिफनुस ने पाप क्षमा करने की कैसी तत्परता दिखायी?

२० जब एक क्रुद्ध भीड़ उस पर पत्थरवाह कर रही थी तब क्षमा की एक उल्लेखनीय भावना में यीशु के अनुयायी स्तिफनुस ने पुकारकर यह बिनती की: “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर। फिर घुटने टेककर ऊंचे शब्द से पुकारा, हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा, और यह कहकर सो गया।”—प्रेरितों ७:५९, ६०.

२१. रोमी सैनिकों को क्षमा करने की यीशु की तत्परता इतनी विस्मयकारी क्यों थी?

२१ यीशु ने क्षमा करने की तत्परता का एक और भी अधिक विस्मयकारी उदाहरण रखा। उसके बैरियों ने उसे गिरफ़्तार किया, ग़ैरक़ानूनन मुक़दमा चलाया, दोषी ठहराया, ठट्ठा किया, उस पर थूका, अनेक पट्टोंवाले कोड़े से मारा जिन पर संभवतः हड्डियों और धातुओं के टुकड़े जड़े हुए थे, और अन्त में उसे घंटों तक एक स्तम्भ पर कीलों से ठोक कर छोड़ दिया। रोमी इसमें काफ़ी हद तक सम्मिलित थे। फिर भी, जब यीशु उस यातना स्तम्भ पर मर रहा था, उसने अपने स्वर्गीय पिता को उन सैनिकों के बारे में जिन्होंने उसे स्तम्भ पर चढ़ाया था, कहा: “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।”—लूका २३:३४.

२२. पहाड़ी उपदेश के कौन-से शब्दों को हमें व्यवहार में लाने की कोशिश करनी चाहिए?

२२ अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने कहा था: “अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिये प्रार्थना करो।” अपनी पार्थिव सेवकाई के अन्त तक, उसने स्वयं उस सिद्धान्त का पालन किया। क्या यह हम से, जो अपने पतित शरीर की कमज़ोरियों से जूझ रहे हैं, बहुत ज़्यादा की माँग करता है? कम से कम हमें उन शब्दों को व्यवहार में लाने की कोशिश करनी चाहिए जो यीशु ने अपने अनुयायियों को उन्हें आदर्श प्रार्थना देने के बाद सिखाए थे: “यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।” (मत्ती ५:४४; ६:१४, १५) यदि हम यहोवा की तरह क्षमा करते हैं, तो हम क्षमा करेंगे और भूल जाएँगे।

क्या आपको याद है?

◻ यहोवा हमारे पापों के साथ कैसे कार्यवाही करता है, और क्यों?

◻ मनश्‍शे को उसका राज्य क्यों लौटा दिया गया?

◻ यहोवा की क्षमा के कौन-से अनोखे गुण की नक़ल करना मनुष्यों के लिए एक चुनौती है?

◻ क्षमा करने की यीशु की तत्परता इतनी विस्मयकारी क्यों थी?

[पेज 27 पर तसवीर]

नातान ने दाऊद को परमेश्‍वर की क्षमा की ज़रूरत देखने में मदद की

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