“इसलिये . . . कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते”
रॉनल्ड टेलर द्वारा बताया गया
वर्ष १९६३ की गर्मियों में मैं अपनी जान के लिए लड़ रहा था। जब मैं समुद्र-किनारे चल रहा था, मेरा पैर एक खोखले दल-दल में गिरा और अचानक मैंने ख़ुद को बहुत गहरे पानी में पाया। मैं तैराक नहीं था इस कारण किनारे से सिर्फ़ कुछेक मीटर की दूरी पर ही डूबने की अवस्था में था। मैं पहले ही तीन बार डुबकी ले चुका था और काफ़ी समुद्र-जल निगल चुका था जब एक मित्र ने मेरी दुर्दशा देखी और मुझे किनारे पर घसीट लाया। तत्काल कृत्रिम श्वसन की मदद से मैं बच गया।
यह पहली बार नहीं था जब मैं ने हियाव कभी न छोड़ने के महत्त्व की क़दर की—हालाँकि परिस्थिति आशाहीन दिखे। छोटी उम्र से ही मुझे अपने आध्यात्मिक जीवन के लिए लड़ना पड़ा।
दूसरे विश्व युद्ध के निराशाजनक दिनों के दौरान ही मैं पहली बार मसीही सच्चाई के संपर्क में आया। मैं उन हज़ारों बच्चों में से एक था जिन्हें गोलाबारी के ख़तरों से बचने के लिए लंदन से निकाला गया था। क्योंकि मैं सिर्फ़ १२ साल का था, युद्ध का मेरे लिए कोई ख़ास मतलब नहीं था; वह लगभग एक साहसी अनुभव ही था।
दक्षिण-पश्चिमी इंग्लैंड के वेस्टन-सुपर-मेर के एक बुज़ुर्ग दम्पति ने मेरी देखभाल की। उस दम्पति के घर मेरे आने के थोड़े ही समय बाद कुछ पायनियर सेवकों ने हमसे भेंट करनी शुरू की। वह हॉरग्रीव्ज़ परिवार था; वे चारों—रेज, मैब्स्, पामेले और वलेरि—ख़ास पायनियर थे। मेरे दत्तकी माता-पिता ने सच्चाई को स्वीकार किया और किताब परमेश्वर की वीणा (अंग्रेज़ी) का अध्ययन करने के बाद, मैंने भी यहोवा की सेवा करने का फ़ैसला किया। सिर्फ़ छः हफ़्तों के बाद मुझे प्रचार कार्य में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
क्षेत्र सेवा का वह पहला दिन मुझे अब भी याद है। बग़ैर किसी तैयारी के मुझे कुछ पुस्तिकाएँ दी गईं और कहा गया: “तुम सड़क के उस किनारे से काम करो।” और इस तरह मैंने प्रचार के अपने पहले दिन का अनुभव लिया। उस समय, हम अकसर फ़ोनोग्राफ़ रेकॉर्डों का इस्तेमाल करते हुए प्रचार करते थे, जिनमें शक्तिशाली उपदेश होता था। मेरे सबसे ख़ुशी के पल वे होते थे जब मैं फ़ोनोग्राफ़ घर-घर ले जाकर रेकॉर्ड किए हुए भाषणों को बजा सकता था। इस तरह इस्तेमाल किए जाने को मैं सचमुच एक विशेषाधिकार मानता था।
मैंने स्कूल में काफ़ी गवाही कार्य किया और प्रधानाध्यापक को बाइबल विषयों पर आधारित किताबों का एक सेट देना मुझे याद है। तेरह वर्ष की उम्र में, बाथ में हुए एक नज़दीकी सम्मेलन में मेरा बपतिस्मा हुआ। और एक युद्धकाल का अधिवेशन, जिसे मैं कभी नहीं भूलूँगा, १९४१ में लेस्टर के डा मॉन्टफोर्ट हॉल में हुआ था। किताब बच्चे (अंग्रेज़ी) की अपनी प्रति लेने के लिए मैं प्लैटफ़ार्म पर गया। इस किताब में भाई रदरफर्ड की ओर से एक व्यक्तिगत संदेश था, जो उस समय वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष थे। उपस्थित सारे युवाओं को दिए गए उत्तेजक भाषण ने यहोवा की सेवा सदा तक करने की मेरी अभिलाषा को प्रबल किया।
इस तरह अपने दत्तकी माता-पिता के साथ सच्चाई में उन्नति करते हुए मैंने दो आनन्दमय साल बिताए। लेकिन १४ साल की उम्र में मुझे लंदन लौटना पड़ा और अपनी रोज़ी-रोटी के लिए काम शुरू करना पड़ा। हालाँकि मैं अपने परिवार के साथ फिर मिल गया था, आध्यात्मिक रूप से मुझे अब अपने पैरों पर खड़ा होना था, क्योंकि घर पर कोई भी मेरे विश्वास को नहीं मानता था। यहोवा ने जल्द ही वह मदद प्रदान की जिसकी मुझे ज़रूरत थी। लंदन में मेरे आने के केवल तीन हफ़्तों बाद, एक भाई मेरे घर पर आया ताकि मुझे स्थानीय राज्यगृह में ले जाने के लिए मेरे पिताजी की अनुमति ले। वह भाई जॉन बार था, जो अब यहोवा के गवाहों के शासी निकाय का एक सदस्य है। किशोरावस्था के उन कठिन सालों के दौरान वह मेरा एक आध्यात्मिक “पिता” बना।—मत्ती १९:२९.
मैं पैडिंगटन कलीसिया में उपस्थित होने लगा जो लंदन बेथेल घर के क़रीब क्रेवन टेरेस में मिलती थी। क्योंकि मैं एक आध्यात्मिक अनाथ था, एक बुज़ुर्ग अभिषिक्त भाई, “पापा” हंफ्रेज़ को मुझ में ख़ास दिलचस्पी लेने के लिए नियुक्त किया गया। उस कलीसिया में सेवा करनेवाले अनेक अभिषिक्त भाइयों और बहनों के साथ संगति कर सकना निश्चित ही एक बड़ी आशिष थी। पार्थिव आशा रखनेवाले हम—जिन्हें यहोनादाब कहा जाता था—अल्पसंख्या में थे। दरअसल, जिस कलीसिया पुस्तक अध्ययन में मैं उपस्थित होता था उसमें मैं एकमात्र “यहोनादाब” था। हालाँकि मुझे हम-उम्र लोगों की ज़्यादा संगति नहीं मिली, प्रौढ़ भाइयों के साथ उस बहुमूल्य सहभागिता ने मुझे अनेक उपयोगी सबक़ सिखाए। शायद एक सबसे महत्त्वपूर्ण सबक़ था, यहोवा की सेवा कभी न त्यागना।
उन दिनों, हम प्रचार कार्य के लिए सारा सप्ताहांत इस्तेमाल करते थे। मुझे “साऊण्ड कार” की देखभाल करने के लिए नियुक्त किया गया, जो असल में एक ट्राइसाइकल थी जिसे ध्वनि उपकरण और एक कार बैटरी रखने के लिए रूपान्तरित किया गया था। हर शनिवार को मैं ट्राइसाइकल से सफ़र करता और अलग-अलग सड़कों के नुक्कड़ पर जाता जहाँ हम फ़ोनोग्राफ़ पर कुछ संगीत बजाते और फिर भाई रदरफर्ड का एक भाषण लगाते। अपनी पत्रिका बैग के साथ सड़क कार्य करने के लिए भी शनिवारों का इस्तेमाल किया जाता था। पुस्तिका और सजिल्द पुस्तकों को पेश करते हुए रविवार का हम घर-घर कार्य करने के लिए इस्तेमाल करते थे।
जोशीले वृद्ध भाइयों के साथ मेरी संगति ने मुझ में पायनियर सेवा करने की एक अभिलाषा जगायी। जब मैंने ज़िला अधिवेशनों में पायनियर भाषण सुना तो यह अभिलाषा और प्रबल हुई। वर्ष १९४७ में अर्लस् कोर्ट, लंदन में हुए अधिवेशन का मुझ पर गहरा प्रभाव हुआ। दो महीने बाद, मैं पायनियर सेवा में दाख़िल हुआ, और तब से अब तक मैंने पायनियर भावना को क़ायम रखने की कोशिश की है। प्रगतिशील बाइबल अध्ययनों को संचालित करने से मैंने जो हर्ष पाया, उसने इस बात की फिर से पुष्टि करने में मदद की कि यह सही फ़ैसला था।
एक स्पैनिश दुलहन और एक स्पैनिश नियुक्ति
वर्ष १९५७ में, पैडिंगटन कलीसिया के साथ अब भी पायनियर कार्य करते वक़्त, मैं राफेला नामक एक खूबसूरत स्पैनिश बहन से मिला। कुछ महीनों बाद, हमारी शादी हुई। हमारा लक्ष्य था एकसाथ पायनियर सेवा करना, लेकिन पहले हम मैड्रिड गए ताकि मैं राफेला के माता-पिता से मिल सकूँ। यह एक ऐसी भेंट थी जिसने मेरा जीवन बदल दिया। जब हम मैड्रिड में थे, स्पेन के शाखा ओवरसियर भाई रे डूज़िनबेरी ने मुझसे पूछा कि क्या हम स्पेन में सेवा करने के बारे में सोचेंगे, जहाँ अनुभवी भाइयों की बहुत ज़रूरत थी।
एक ऐसे आमंत्रण को हम कैसे अस्वीकार कर सकते थे? इसलिए, १९५८ में हमने स्पेन में अपनी पूर्ण-समय की सेवा एकसाथ शुरू की। उस समय देश फ्रैंको के शासन के अधीन था, और हमारा काम क़ानूनी रूप से मान्य नहीं था, जिसने प्रचार कार्य को बहुत मुश्किल बनाया। इसके अतिरिक्त, पहले दो सालों तक स्पैनिश भाषा सीखने की कोशिश करने में मुझे कठिनाई हुई। फिर एक बार, यह हियाव न छोड़ने का मामला था, हालाँकि कलीसिया के भाइयों के साथ संचार न कर पाने के नैराश्य की वज़ह से मैंने कई बार आँसू बहाए।
ओवरसियरों की ज़रूरत इतनी ज़्यादा थी कि हालाँकि मैं स्पैनिश भाषा मुश्किल से ही बोल सकता था, एक महीने के अन्दर ही मैं एक छोटे समूह की देखभाल कर रहा था। हमारा काम गुप्त प्रकार का होने के कारण, हम १५ से २० प्रकाशकों के छोटे समूहों में संगठित थे जो लगभग छोटी कलीसियाओं के रूप में कार्य करते थे। पहले-पहल सभा संचालित करना तकलीफ़देह था क्योंकि मैं श्रोताओं के जवाब हमेशा नहीं समझ पाता था। बहरहाल, मेरी पत्नी पीछे बैठती थी और अगर वह देखती कि मैं उलझन में हूँ, तो वह समझदारी से सर हिलाती, यह पुष्टि करने के लिए कि जवाब सही है।
मुझ में भाषा सीखने की क्षमता नहीं है, और कई बार मुझे लगा कि इंग्लैंड लौट जाऊँ, जहाँ मैं सब कुछ और ज़्यादा आसानी से कर सकता था। फिर भी, शुरूआत से हमारे प्रिय स्पैनिश भाइयों और बहनों के प्यार और दोस्ती ने भाषा के साथ हुए मेरे नैराश्य की क्षतिपूर्ति की। और यहोवा ने मुझे उन ख़ास विशेषाधिकारों की आशिष दी जिससे यह सब कुछ सार्थक साबित हुआ। वर्ष १९५८ में, मुझे न्यू यॉर्क में हुए अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए स्पेन से एक प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया। फिर १९६२ में, मैंने टैन्जियर, मोरॉक्को में हमारे लिए आयोजित किए गए राज्य सेवकाई स्कूल में बहुमूल्य प्रशिक्षण प्राप्त किया।
भाषा के अलावा, पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की निरन्तर चिन्ता एक और समस्या थी जिसका मैंने सामना किया। एक विदेशी के तौर पर, मैं यह जानता था कि पकड़े जाने का मतलब होगा सीधा निकाला जाना। जोख़िम को कम करने के लिए हम जोड़े में काम करते थे। जब एक गवाही देता, तब दूसरा ख़तरे की किसी निशानी की ओर कान लगाता। अकसर अपार्टमेंट बिल्डिंग में सबसे ऊपर एक या दो घरों में भेंट देने के बाद, हम दो या तीन ब्लॉक छोड़कर आगे जाते और फिर अन्य दो या तीन घर करते। हम ने बाइबल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया, और हम सिर्फ़ कुछ ही पुस्तिकाएँ साथ ले जाते थे जिन्हें हम दिलचस्पी दिखानेवालों को पेश करने के लिए अपने ओवरकोट के अन्दर रखते थे।
मैड्रिड में एक साल के बाद हमें स्पेन के उत्तर-पश्चिम में एक बड़े शहर, वीगो में नियुक्त किया गया जहाँ कोई भी गवाह नहीं था। पहले एक-आध महीने तक, संस्था ने सिफ़ारिश की कि मेरी पत्नी ही ज़्यादा गवाही कार्य करे—यह प्रभाव डालने के लिए कि हम पर्यटकों के तौर पर भेंट कर रहे हैं। ध्यान आकर्षित न करनेवाले इस तरीक़े के बावजूद, हमारे प्रचार ने ध्यान आकर्षित किया। एक महीने के अन्दर ही रेडियो पर कैथोलिक पादरी हमारी निन्दा करने लगे। उन्होंने अपने पैरिशवासियों को आगाह किया कि एक शादी-शुदा दम्पति घर-घर जाकर बाइबल के बारे में बातें कर रहे थे। बाइबल उस समय क़रीब-क़रीब एक विधि-बहिष्कृत किताब थी। “फ़रार दम्पति” में एक विदेशी और उसकी स्पैनिश पत्नी शामिल है, जो लगभग सारी बातचीत करती थी।
पादरियों ने आदेश दिया कि इस ख़तरनाक दम्पति से सिर्फ़ बात करना ही एक पाप है जो एक पादरी के पास जाकर फ़ौरन पाप-स्वीकरण करने पर ही माफ़ किया जाएगा। और जैसे कि कोई अपेक्षा करेगा, एक स्त्री के साथ एक आनन्दमय वार्तालाप के ख़त्म होने पर उसने हमें ख़ेद से बताया कि उसे जाकर पाप-स्वीकरण करना होगा। जब हम उसके घर से निकले, हमने उसे गिरजे की ओर दौड़ते देखा।
निष्कासन
वीगो में हमारे आने के सिर्फ़ दो महीनों के बाद ही पुलिस हम पर झपटी। जिस पुलिसवाले ने हमें गिरफ़्तार किया वह सहानुभूतिशील था और पुलिस थाने तक के सफ़र में उसने हमें हथकड़ियाँ नहीं लगायी। थाने में, हमने एक जानी-पहचानी शक्ल देखी, एक टाइपिस्ट की जिसे हमने हाल ही में गवाही दी थी। हमारे साथ मुजरिमों की तरह सलूक होते हुए देखकर वह परेशान हुई और जल्दी से हमें यह आश्वासन दिलाया कि हमें उसने नहीं फँसाया था। फिर भी, हम पर “स्पेन की आध्यात्मिक एकता” को ख़तरे में डालने का इल्ज़ाम लगाया गया और छः हफ़्तों बाद हमें देश से निकाल दिया गया।
यह एक रुकावट थी, लेकिन हियाव छोड़ने का हमारा कोई इरादा नहीं था। आईबेरियन पेनिनसुला में और काफ़ी काम करना बाक़ी था। टैन्जियर में तीन महीने काम करने के बाद हमें जिब्रॉल्टर में नियुक्त किया गया—और एक क्षेत्र जहाँ कार्य नहीं किया गया था। जैसे प्रेरित पौलुस कहता है, अगर हम अपनी सेवकाई को बहुमूल्य समझें, तो हम काम करते रहेंगे और हमें प्रतिफल मिलेगा। (२ कुरिन्थियों ४:१, ७, ८) यह हमारे मामले में सच साबित हुआ। जिब्रॉल्टर में जिस पहले घर में हमने भेंट की वहाँ हमने पूरे परिवार के साथ बाइबल अध्ययन आरंभ किया। जल्द ही हम दोनों में से प्रत्येक जन १७ बाइबल अध्ययन संचालित कर रहे थे। अनेक व्यक्ति जिनके साथ हमने अध्ययन किया, गवाह बने और दो साल में वहाँ २५ प्रकाशकों की एक कलीसिया बन गयी।
लेकिन, वीगो की तरह पादरी हमारे विरुद्ध अभियान चलाने लगे। जिब्रॉल्टर के ऐंग्लीकन बिशप ने पुलिस के मुख्य को आगाह किया कि हम “अस्वीकार्य व्यक्ति” थे और उसके प्रभावन ने आख़िरकार रंग लाया। जनवरी १९६२ में हमें जिब्रॉल्टर से निष्कासित किया गया। अब हम कहाँ जाते? स्पेन में अब भी ज़्यादा ज़रूरत थी, सो हम यह आशा करते हुए स्पेन लौट गए कि हमारी पिछली पुलिस फ़ाइल अब तक बंद हो गयी होगी।
सेविल का उष्ण शहर हमारा नया घर था। वहाँ हमें एक और पायनियर दम्पति, रे और पैट कर्कप के साथ काम करने की ख़ुशी मिली। हालाँकि सेविल पाँच लाख निवासियों का एक शहर था, वहाँ सिर्फ़ २१ प्रकाशक थे, सो और काफ़ी काम करना बाक़ी था। अब वहाँ १५ कलीसियाएँ हैं जिनमें १,५०० प्रकाशक हैं। एक साल बाद हमें एक सुखद आश्चर्य हुआ; हमें बारसिलोना क्षेत्र में सफ़री कार्य में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया।
एक ऐसे देश में सर्किट काम करना जहाँ हमारा काम क़ानूनी रूप से मान्य नहीं था, कुछ अलग था। हर हफ़्ते हम छोटे समूहों को भेंट देते जिनमें से ज़्यादातर समूहों में योग्य भाई बहुत ही कम थे। इन परिश्रमी भाइयों को उस सभी प्रशिक्षण और सहारे की ज़रूरत थी जो हम उन्हें दे सकते थे। यह नियुक्ति हमें पसंद थी! अगर हों भी तो थोड़े ही गवाहों के क्षेत्र में कई साल बिताने के बाद हम इतने सारे भिन्न भाइयों और बहनों से भेंट करने में आनन्दित थे। इसके अतिरिक्त, बारसिलोना में प्रचार कार्य ज़्यादा आसान था और अनेक लोग बाइबल का अध्ययन करना चाहते थे।
हताशा से संघर्ष करना
बहरहाल, केवल छः महीने बाद मेरा जीवन नाटकीय रूप से बदल गया। समुद्र किनारे पर हमारी पहली छुट्टी क़रीब-क़रीब एक त्रासदी बन गयी जब मेरे साथ शुरूआत में वर्णित हादसा हुआ। क़रीब-क़रीब डूबने के सदमे से तो मैं जल्द ही ठीक हो गया, फिर भी वह घटना मेरे स्नायु-तंत्र (nervous system) पर एक अमिट निशान छोड़ गयी।
कुछेक महीनों तक मैंने सर्किट काम में लगे रहने के लिए संघर्ष किया, लेकिन चिकित्सीय उपचार पाने के लिए मुझे आख़िरकार इंग्लैंड लौटना पड़ा। दो साल बाद मैं पर्याप्त रूप से ठीक हो गया जिसकी वज़ह से हम स्पेन लौट सके जहाँ हम ने सर्किट काम फिर से शुरू किया। फिर भी, यह केवल थोड़े ही समय के लिए था। मेरी पत्नी के माता-पिता गंभीर रूप से बीमार हो गए और उनकी देखभाल करने के लिए हम ने पूर्ण-समय की सेवा छोड़ दी।
वर्ष १९६८ में ज़िन्दगी और भी मुश्किल हो गयी जब मैंने पूरा नर्वस ब्रेकडाउन सहा। ऐसे भी समय थे जब राफेला और मैं, दोनों ने सोचा कि मैं फिर ठीक नहीं हो सकूँगा। यह ऐसा था मानो मैं अब फिर डूब रहा था, लेकिन एक दूसरी तरह से! मुझे नकारात्मक भावनाओं से अभिभूत करने के अलावा हताशा ने मेरी सारी ताक़त छीन ली। मुझे अत्यधिक थकान के दौरे होते थे जिसने मुझे लगभग हमेशा आराम करने पर मज़बूर किया। उस समय सभी भाई इस तरह की समस्या को समझ न सके; बेशक, मैं जानता था कि यहोवा समझता है। प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! में ऐसे अद्भुत लेख पढ़ना मेरे लिए बहुत ही संतोषप्रद रहा है जो हताश लोगों के लिए बहुत ही सहानुभूतिशील और मददगार हैं।
इस मुश्किल समय के दौरान, मेरी पत्नी प्रोत्साहन का एक निरंतर स्रोत थी। एकसाथ समस्याओं का सामना करना, शादी के बंधन को सचमुच मज़बूत करता है। राफेला के माता-पिता गुज़र गए, और १२ साल बाद मेरा स्वास्थ्य उस हद तक ठीक हुआ कि हमें लगा कि हम पूर्ण-समय सेवा में लौट सकते हैं। वर्ष १९८१ में, हमारे लिए यह आश्चर्य और ख़ुशी की बात थी कि हमें फिर एक बार सर्किट काम में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया।
सफ़री सेवकाई के हमारे पिछले अनुभव के बाद से स्पेन में बहुत बड़े-बड़े ईश्वरशासित परिवर्तन हुए थे। प्रचार करना अब स्वतंत्र था, सो मुझे ख़ुद को नई परिस्थितियों से परिचित कराना था। फिर भी, फिर एक बार सर्किट ओवरसियर के तौर पर काम करना एक बड़ा विशेषाधिकार था। क्योंकि हमने मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद पायनियर कार्य किया था, इस वज़ह से हम उन पायनियरों को प्रोत्साहित करने में समर्थ हुए जिन्हें समस्याएँ थीं। और बारंबार हम दूसरों को पायनियर वर्ग में शामिल होने के लिए मदद कर सके।
मैड्रिड और बारसिलोना में ११ साल सफ़री काम करने के बाद, फिर एक बार हमारी ढलती सेहत ने हम लोगों को नियुक्ति को बदलना ज़रूरी बनाया। हमें सालामान्का शहर में ख़ास पायनियरों के तौर पर नियुक्त किया गया, जहाँ मैं एक प्राचीन के तौर पर उपयोगी हो सकता था। सालामान्का के भाइयों ने फ़ौरन हमारा स्वागत किया। एक साल बाद एक और समस्या हमारे धीरज की परीक्षा लेती।
राफेला में ख़ून की बहुत कमी हो गयी, और जाँच ने प्रकट किया कि उसे बृहदंत्र का कैंसर था। अब मुझे मज़बूत व्यक्ति बनना था और मेरी पत्नी को जितना हो सके उतना सहारा देना था। हमारी पहली प्रतिक्रिया थी अविश्वास और फिर हम डर गए। क्या राफेला ठीक हो पाएगी? इस तरह के लमहों में यहोवा पर भरोसा ही हमें बने रहने के लिए मदद करता है। मुझे यह कहने में ख़ुशी है कि राफेला का ऑपरेशन क़ामयाब था और हम उम्मीद करते हैं कि कैंसर फिर नहीं होगा।
हालाँकि स्पेन में हम लोगों द्वारा बिताए गए उन ३६ सालों में हमें उतार चढ़ाव आएँ हैं, लेकिन इस आध्यात्मिक वृद्धि के समय के दौरान जीना हृदय-स्पर्शी रहा है। हमने १९५८ में कुछ ८०० प्रकाशकों के छोटे समूह को आज १,००,००० से भी ज़्यादा प्रकाशकों की एक सेना में बढ़ते देखा है। हमारी अनेक ख़ुशियों के आगे हमारी कठिनाइयाँ कुछ भी नहीं थीं—दूसरों को सच्चाई स्वीकार करने और आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ बनने में मदद करना, पति और पत्नी के तौर पर एकसाथ काम करना, और यह महसूस करना कि हम ने अपना जीवन सबसे बेहतरीन तरीक़े से इस्तेमाल किया है।
पौलुस कुरिन्थियों को लिखी अपनी दूसरी पत्री में कहता है: “इसलिये जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते।” (२ कुरिन्थियों ४:१) अपने जीवन में पीछे देखते हुए मुझे विश्वास है कि मेरे जीवन में ऐसे कई कारण थे जिन्होंने मुझे हियाव छोड़ने से रोक कर रखा। मेरे बढ़ते सालों में मुझ में दिलचस्पी लेनेवाले वफ़ादार अभिषिक्त भाइयों के उदाहरण ने एक अच्छी नींव प्रदान की। समान आध्यात्मिक लक्ष्य रखनेवाले एक साथी का होना एक बहुत बढ़िया मदद है; जब मैं हताश था, राफेला मुझे प्रोत्साहित करती, और मैंने भी उसके लिए यही किया है। विनोद-वृत्ति एक बढ़िया गुण है। भाइयों के साथ हँस सकना—और ख़ुद पर हँसना—किसी तरह समस्याओं को कम अभिभूत करनेवाले प्रतीत कराता है।
लेकिन सबसे बढ़कर, परीक्षाओं में धीरज धरने के लिए यहोवा की शक्ति की ज़रूरत है। पौलुस के शब्दों को मैं हमेशा याद रखता हूँ: “जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूँ।” जब यहोवा हमारी ओर है, तो कभी भी हियाव छोड़ने की कोई ज़रूरत नहीं। —फिलिप्पियों ४:१३.
[पेज 23 पर तसवीरें]
१९५८ में रॉनल्ड और राफेला टेलर
[पेज 24, 25 पर तसवीरें]
स्पेन में प्रतिबंध के समय मिलना (१९६९)