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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 4/15 पेज 30

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल के प्रहरीदुर्ग अंकों को पढ़ने का मूल्यांकन किया है? खैर, देखिए कि क्या आप निम्नलिखित सवालों का जवाब दे सकते हैं:

▫ आरंभिक मसीहियों ने यीशु का जन्मदिन क्यों नहीं मनाया?

द वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, “आरंभिक मसीहियों ने [यीशु के] जन्म को नहीं मनाया क्योंकि वे किसी का भी जन्मदिन मनाना एक विधर्मी रिवाज़ समझते थे।”—१२/१५E, पृष्ठ ४.

▫ क्या प्रार्थनाएँ यीशु को निर्दिष्ट होनी चाहिए?

नहीं, क्योंकि प्रार्थनाएँ उपासना का एक तरीक़ा है जो अनन्य रूप से सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर को की जानी चाहिए। हमारी सभी प्रार्थनाएँ यहोवा परमेश्‍वर को निर्दिष्ट करने से हम दिखाते हैं कि हम ने प्रार्थना करने के बारे में यीशु के निर्देशन को गंभीरता से लिया हैं: “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है।” (मत्ती ६:९)—१२/१५E, पृष्ठ २५.

▫ राजा दाऊद के गंभीर पाप के लिए हनन्याह और सफीरा के पापों की तुलना में अलग न्याय क्यों किया गया था? (२ शमूएल ११:२-२४; १२:१-१४; प्रेरितों ५:१-११)

राजा दाऊद का पाप शारीरिक कमज़ोरी के कारण था। जब उसकी करनी उसके सामने लायी गयी, तो उसने पश्‍चाताप किया, और यहोवा ने उसे क्षमा किया—हालाँकि उसे पाप के परिणामों को भुगतते हुए जीना पड़ा। हनन्याह और सफीरा ने पाप किया कि उन्होंने ढोंग करके झूठ बोला, और मसीही कलीसिया को धोखा देने और इस प्रकार ‘पवित्र आत्मा और परमेश्‍वर से झूठ बोलने’ की कोशिश की। (प्रेरितों ५:३, ४) वह दुष्ट हृदय का प्रमाण साबित हुआ, अतः उनका ज़्यादा सख़्ती से न्याय किया गया।—१/१, पृष्ठ २७, २८.

▫ कौन-सी बात हमें हृदय के आनन्द सहित यहोवा की सेवा करने में मदद कर सकती है?

हमें अपनी आशीषों और सेवा के परमेश्‍वर-प्रदत्त विशेषाधिकारों का एक सकारात्मक और क़दरदान दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए, और हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि परमेश्‍वर के वचन का पालन करने के द्वारा हम उसे प्रसन्‍न कर रहे हैं।—१/१५, पृष्ठ १६.

▫ यदि हमें प्रभावकारी प्रोत्साहन देना है तो कौन-सी दो बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए?

पहला, सोचिए कि क्या कहें, ताकि प्रोत्साहन सुस्पष्ट हो। दूसरा, एक ऐसे व्यक्‍ति से बात करने का अवसर ढूँढिए जो सराहना के योग्य है अथवा जिसे प्रोत्साहन की ज़रूरत है।—१/१५, पृष्ठ २३.

▫ “बड़ी भीड़” के “हाथों में खजूर की डालियां” क्यों हैं?

(प्रकाशितवाक्य ७:९) खजूर की डालियों का हिलाना सूचित करता है कि “बड़ी भीड़” आनन्दपूर्वक यहोवा के राज्य और उसके अभिषिक्‍त राजा, यीशु मसीह का स्वागत करती है। (लैव्यव्यवस्था २३:३९, ४० देखिए।)—२/१, पृष्ठ १७.

▫ अय्यूब की किताब में कौन-से मूल्यवान सबक़ मिलते हैं?

अय्यूब की किताब हमें दिखाती है कि समस्याओं से कैसे निपटें। परीक्षाओं का सामना करनेवाले व्यक्‍ति को कैसी सलाह दी जानी चाहिए—और कैसी नहीं—इसका प्रभावशाली उदाहरण यह प्रदान करती है। इसके अतिरिक्‍त, अय्यूब का अपना अनुभव हमें संतुलित रूप से प्रतिक्रिया दिखाने में मदद कर सकता है जब हम ख़ुद को कठिन परिस्थितियों के थपेड़े खाते हुए पाते हैं।—२/१५, पृष्ठ २७.

▫ यीशु के चमत्कार हमें क्या सिखाते हैं?

यीशु के चमत्कार परमेश्‍वर की बड़ाई करते हैं और इस प्रकार परमेश्‍वर की बड़ाई करने का मसीहियों के लिए एक नमूना छोड़ते हैं। (रोमियों १५:६) वे अच्छे कार्य को करने, उदारता दिखाने, और करुणा प्रदर्शित करने का प्रोत्साहन देते हैं।—३/१, पृष्ठ ८.

▫ प्राचीन किस उद्देश्‍य से नए-नए समर्पित व्यक्‍तियों के साथ तैयार प्रश्‍नों पर पुनर्विचार करते हैं?

इससे इस बात की पुष्टि होती है कि हर उम्मीदवार बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं को पूरी तरह समझता है और यह जानता है कि यहोवा का एक साक्षी होने में क्या अंतर्ग्रस्त है।—३/१, पृष्ठ १३.

▫ बाइबल की प्रार्थनाएँ हमें कैसे लाभ पहुँचा सकती हैं?

शास्त्रीय प्रार्थनाओं को ध्यानपूर्वक जाँचने पर, हम उन प्रार्थनाओं को पहचान सकते हैं जो ऐसी ही परिस्थितियों में की गयीं जैसी हमारी परिस्थिति है। ऐसी प्रार्थनाओं को ढूँढना, पढ़ना और उन पर मनन करना यहोवा के साथ हमारे अपने संचार को अर्थपूर्ण बनाने में हमारी मदद कर सकता है।—३/१५, पृष्ठ ३, ४.

▫ ईश्‍वरीय भय क्या है?

ईश्‍वरीय भय यहोवा के प्रति विस्मय, उसे अप्रसन्‍न करने के हितकर डर सहित उसके लिए गहरी श्रद्धा है। (भजन ८९:७)—३/१५, पृष्ठ १०.

▫ कौन-से तीन तरीक़े हैं जिनमें बाइबल दिखाती है कि हम परमेश्‍वर की नज़रों में बहुमूल्य हैं?

बाइबल सिखाती है कि परमेश्‍वर की नज़रों में हम में से प्रत्येक व्यक्‍ति का मूल्य है (लूका १२:६, ७); यह स्पष्ट करती है कि हममें ऐसा क्या है जिसे यहोवा मूल्यवान समझता है (मलाकी ३:१६); और वह बताती है कि हमारे प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए यहोवा ने क्या किया है। (यूहन्‍ना ३:१६)—४/१, पृष्ठ ११, १२, १४.

▫ इब्रानियों १०:२४, २५ मसीहियों को एक साथ मिलने के लिए सिर्फ़ एक आज्ञा से बढ़कर क्यों है?

पौलुस के ये शब्द सभी मसीही सभाओं के लिए एक ईश्‍वरीय रूप से उत्प्रेरित स्तर प्रदान करते हैं—और सचमुच, किसी भी अवसर के लिए जब मसीही एक साथ संगति करते हैं।—४/१, पृष्ठ १६.

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