वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w95 9/1 पेज 22-26
  • “प्रेम कभी टलता नहीं”

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • “प्रेम कभी टलता नहीं”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • एक बाइबल अध्ययन समूह बनता है
  • पादरीवर्ग का विरोध
  • हमारी प्रचार गतिविधि
  • युद्ध के साल
  • विवाह के बारे में यहोवा का स्तर स्पष्ट किया गया
  • सेवा के विशेषाधिकार
  • सच्चा प्रेम कभी नहीं टलता
  • ईश्‍वरीय संतोष मुझे संभाले रहा
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2004
  • माता-पिता से मिली अनमोल विरासत से मैं खूब फला-फूला
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2019
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 9/1 पेज 22-26

“प्रेम कभी टलता नहीं”

सैमवॆल डी. लडॆसूयी द्वारा बताया गया

जब मैं बीते हुए सालों पर नज़र डालता हूँ और देखता हूँ कि क्या कुछ निष्पन्‍न किया गया है तो मैं आश्‍चर्यचकित हो जाता हूँ। यहोवा सारी पृथ्वी में अद्‌भुत कार्य करता रहा है। इलॆशा, नाइजीरिया में, हम चन्द व्यक्‍ति जिन्होंने १९३१ में प्रचार करना शुरू किया ३६ कलीसियाएँ बन गए हैं। नाइजीरिया में १९४७ में गिलियड नामक प्रहरीदुर्ग बाइबल स्कूल के पहले स्नातकों के आगमन के समय पर क़रीब ४,००० प्रकाशक आज बढ़कर १,८०,००० से अधिक हो गए हैं। आरंभिक दिनों में, जो वृद्धि होती उसकी हमने न तो अपेक्षा की थी, ना ही कल्पना की थी। मैं कितना शुक्रगुज़ार हूँ कि इस अद्‌भुत कार्य में मेरा भाग रहा है! मुझे इसके बारे में बताने दीजिए।

मेरे पिता एक क़स्बे से दूसरे क़स्बे में बंदूकों और बारूद का व्यापार करते थे; वे विरले ही घर पर होते थे। मेरी जानकारी के अनुसार उनकी सात पत्नियाँ थीं, लेकिन सभी उनके साथ नहीं रहती थीं। मेरे पिता ने मेरी माँ को अपने भाई से उत्तराधिकार में पाया, जो मर चुके थे। माँ उनकी दूसरी पत्नी बनीं, और मैं माँ के साथ रहता था।

एक दिन पिताजी अपनी पहली पत्नी से मिलकर, जो पड़ोसी गाँव में रहती थी, घर आए। जब वो वहाँ थे, उन्हें पता चला कि मेरा सौतेला भाई स्कूल जा रहा था। मेरा सौतेला भाई दस साल का था, मेरी उम्र भी इतनी ही थी। सो पिताजी ने निर्णय किया कि मुझे भी स्कूल जाना चाहिए। उन्होंने मुझे नौ आने दिए—तीन आने पुस्तक के लिए और छः आने स्लेट के लिए। यह १९२४ की बात है।

एक बाइबल अध्ययन समूह बनता है

बचपन से, मुझे परमेश्‍वर के वचन, बाइबल के लिए प्रेम था। स्कूल में मैं बाइबल क्लास का आनन्द लेता था और मेरे सन्डे-स्कूल के शिक्षकों से मुझे हमेशा शाबाशी मिलती। सो १९३० में, मैं ने एक भाषण में उपस्थित होने के अवसर का लाभ उठाया जो एक अतिथि बाइबल विद्यार्थी द्वारा दिया गया, वह इलॆशा में सबसे पहले प्रचार करनेवालों में से एक था। भाषण के बाद, उसने योरूबा भाषा में परमेश्‍वर की वीणा पुस्तक की एक प्रति मुझे दी।

मैं नियमित रूप से सन्डे स्कूल में उपस्थित रहा था। अब मैं अपने साथ परमेश्‍वर की वीणा लेकर जाने लगा और वहाँ सिखाए जा रहे कुछ धर्म-सिद्धान्तों का खण्डन करने के लिए इसका प्रयोग करने लगा। वाद-विवाद परिणित हुए, और मुझे गिरजे के अगुओं द्वारा इस ‘नयी शिक्षा’ को मानने के विरुद्ध बारंबार चेतावनी दी गयी।

इसके अगले साल, सड़क पर घूमते हुए, मैं लोगों के एक समूह के क़रीब आया जो एक व्यक्‍ति की सुन रहे थे, और वह उन्हें भाषण दे रहा था। वह भाषणकर्ता जे. आइ. ओवनपा था, जो एक बाइबल विद्यार्थी था। उसे वहाँ विलियम आर. ब्राउन (अकसर जिसे बाइबल ब्राउन कहा जाता है) द्वारा भेजा गया था, जो लेगॉस से राज्य प्रचार कार्य का निरीक्षण कर रहा था।a मुझे पता चला कि इलॆशा में परमेश्‍वर की वीणा का अध्ययन करने के लिए एक छोटा बाइबल अध्ययन समूह बनाया गया था, सो मैं उनके साथ हो लिया।

मैं समूह में सबसे छोटा था—महज़ एक स्कूल जानेवाला लड़का, क़रीब १६ साल का। सामान्यतः मुझे ३० और उससे ज़्यादा उम्र के पुरुषों से इतने निकट रूप से संगति करने में संकोच होना चाहिए था, यहाँ तक कि डर लगना चाहिए था। लेकिन वे ख़ुश थे कि मैं उनके बीच था, और उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया। वे लोग मेरे लिए पिता-समान थे।

पादरीवर्ग का विरोध

जल्द ही हम पादरीवर्ग से तीव्र विरोध का सामना करने लगे। कैथोलिक, एंग्लीकन और अन्य, जो पहले एक दूसरे से लड़ते थे अब हमारे विरोध में एक हो गए। उन्होंने स्थानीय सरदारों से मिलकर षड्यंत्र रचा कि हमें रोकने के लिए कार्यवाही करें। उन्होंने हमारी पुस्तकों को ज़ब्त करने के लिए पुलिस को भेजा, और यह दावा किया कि वे लोगों के लिए हानिकारक थीं। लेकिन, ज़िला अधिकारी ने उन्हें चिताया कि उनके पास पुस्तकें लेने का कोई अधिकार नहीं था और दो सप्ताह बाद पुस्तकें लौटा दी गयीं।

इसके बाद हमें एक सभा के लिए बुलाया गया जहाँ हम क़स्बे के अन्य प्रमुख लोगों सहित ओबा, या सर्वोच्च सरदार से मिले। उस समय हमारी संख्या क़रीब ३० थी। उनका उद्देश्‍य था कि हमें “ख़तरनाक” पुस्तकों को पढ़ने से रोकें। उन्होंने पूछा कि क्या हम पराए व्यक्‍ति हैं, लेकिन जब उन्होंने हमारे चेहरों को ध्यान से देखा, उन्होंने कहा, “ये हमारे ही बच्चे हैं, लेकिन इनके बीच कुछ पराए लोग हैं।” उन्होंने हम से कहा कि वे नहीं चाहते कि हम ऐसे धर्म की पुस्तकों का अध्ययन करना जारी रखें जिससे हमारी हानि होगी।

हम बिना कुछ कहे घर चले गए, क्योंकि हमने निर्णय कर लिया था कि इन प्रमुख लोगों पर कोई ध्यान नहीं देना है। हम में से अधिकांश जन हम जो सीखते रहे थे उससे बहुत ख़ुश थे और अध्ययन जारी रखने के लिए दृढ़संकल्पी थे। सो, यद्यपि कुछ व्यक्‍ति डर गए और हमारे समूह को छोड़ दिया, हम में से अधिकांश व्यक्‍तियों ने एक बढ़ई के वर्कशाप में अपना अध्ययन जारी रखा। हमारा कोई संचालक नहीं था। हम प्रार्थना से शुरू करते और फिर बारी-बारी पुस्तक के अनुच्छेद पढ़ते। क़रीब एक घंटे के बाद, हम फिर प्रार्थना करते और घर चले जाते। लेकिन हम पर नज़र रखी जा रही थी, और सरदारों और धार्मिक अगुओं ने हमें हर दो सप्ताह बुलाना और बाइबल विद्यार्थियों के साहित्य का अध्ययन करने के विरुद्ध चेतावनी देना जारी रखा।

इस दौरान, हमारे पास जो थोड़ा ज्ञान था उसे हम लोगों की मदद करने के लिए प्रयोग करने की कोशिश कर रहे थे, और अनेक लोग हम से सहमत हो रहे थे। एक के बाद एक, व्यक्‍ति हमारे साथ मिल रहे थे। हम बहुत ख़ुश थे, लेकिन हम अब भी उस धर्म के बारे में ज़्यादा नहीं जानते थे जिसके साथ हम सम्बद्ध थे।

१९३२ के आरंभ में एक भाई हमें संगठित होने में मदद देने के लिए लेगॉस से आया, और अप्रैल में “बाइबल” ब्राउन भी आया। यह देखकर कि क़रीब ३० लोगों का समूह था, भाई ब्राउन ने हमारे पठन में हम जो प्रगति कर रहे थे उसके बारे में पूछताछ की। हम जितना कुछ जानते थे हमने उसे बताया। उसने कहा कि हम बपतिस्मा लेने के लिए तैयार थे।

क्योंकि वह बरसात का मौसम नहीं था, हमें इलॆशा से १४ किलोमीटर दूर एक नदी तक जाना पड़ा, और हम में से क़रीब ३० लोगों का बपतिस्मा हुआ। तब से हमने राज्य के प्रचारकों के तौर पर ख़ुद को योग्य समझा और घर-घर जाना शुरू किया। हमने ऐसा करने की अपेक्षा नहीं की थी, लेकिन अब जो हम जानते थे उसे दूसरों के साथ बाँटने के लिए हम उत्सुक थे। हमें अच्छी तैयारी करनी पड़ती थी ताकि जिन झूठे धर्म-सिद्धान्तों का हम सामना करते उनका खण्डन करने के लिए हमारे पास बाइबल का समर्थन हो। सो अपनी सभाओं में, हम धर्म-सिद्धान्तों पर चर्चा किया करते थे, जो हम जानते थे उससे एक दूसरे की मदद किया करते थे।

हमारी प्रचार गतिविधि

हमने पूरे क़स्बे में प्रचार किया। लोगों ने हमारा मज़ाक उड़ाया और हम पर चिल्लाए, लेकिन हमने इसका बुरा नहीं माना। हमारा आनन्द बहुत था क्योंकि हमारे पास सत्य था, हालाँकि हमें अब भी बहुत कुछ सीखना था।

हम हर रविवार घर-घर जाते। लोग हम से प्रश्‍न पूछते और हम उनका उत्तर देने की कोशिश करते। रविवार की शाम हम जन भाषण देते। हमारे पास राज्यगृह नहीं था, इसलिए हम खुली हवा में अपनी सभाएँ आयोजित करते। हम लोगों को इकट्ठा करते, एक भाषण देते, और उन्हें प्रश्‍न पूछने का आमंत्रण देते। कभी-कभी हम गिरजों में प्रचार करते।

हम उन क्षेत्रों में भी गए जहाँ लोगों ने यहोवा के साक्षियों के बारे में कभी नहीं सुना था। ज़्यादातर हम साइकलों पर जाते, लेकिन कभी-कभी हम एक बस किराए पर ले लेते। जब हम एक गाँव पहुँचते, हम ज़ोर से भोंपू बजाते। सारा गाँव हमारी सुन लेता! यह पता लगाने के लिए कि क्या हो रहा है लोग भागे-भागे आते। उसके बाद हम अपना संदेश देते। जब हम बोलकर समाप्त करते, लोग हमारे साहित्य की प्रतियाँ प्राप्त करने के लिए धक्का-मुक्की करते। हमने बहुत ज़्यादा साहित्य वितरित किया।

हम परमेश्‍वर के राज्य के आने की उत्सुकता से प्रत्याशा करते थे। मुझे याद है कि जब हमें वार्षिकी १९३५ प्राप्त हुई, तो एक भाई ने, साल-भर के लिए पाठ की चर्चाओं की पूरी तालिका को देखकर पूछा: “क्या इसका अर्थ है कि हम अरमगिदोन के आने से पहले एक और पूरा साल ख़त्म करनेवाले हैं?”

उत्तर में संचालक ने पूछा: “क्या आपको ऐसा लगता है भाई, कि अगर अरमगिदोन कल आ जाए, तो हम वार्षिकी पढ़ना छोड़ देंगे?” जब भाई ने कहा नहीं, तो संचालक ने कहा: “तो फिर आप क्यों चिन्ता कर रहे हैं?” हम तब भी, और अब भी, यहोवा के दिन के लिए उत्सुक हैं।

युद्ध के साल

दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान, हमारी पुस्तकों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इलॆशा में एक भाई ने अनजाने ही एक पुलिसवाले को धन (अंग्रेज़ी) पुस्तक पेश की। पुलिसवाले ने पूछा: “यह पुस्तक किसकी है?” भाई ने कहा कि यह उसकी थी। पुलिसवाले ने कहा कि वह एक निषिद्ध पुस्तक थी, उसे थाने ले गया, और बन्द कर दिया।

मैं पुलिस थाने गया और पूछताछ करने के बाद, उस भाई को ज़मानत पर छुड़ा लिया। उसके बाद मैं ने लेगॉस में भाई ब्राउन को जो हुआ था उसके बारे में सूचित करने के लिए फ़ोन किया। मैं ने यह भी पूछा कि क्या कोई ऐसा क़ानून था जो हमारी पुस्तकों के वितरण को निषिद्ध करता है। भाई ब्राउन ने मुझे बताया कि हमारी पुस्तकों के सिर्फ़ आयात पर, ना कि वितरण पर प्रतिबंध था। तीन दिन बाद, भाई ब्राउन ने यह देखने के लिए कि क्या हो रहा था, लेगॉस से एक भाई को भेजा। इस भाई ने निर्णय लिया कि हम सभी को दूसरे दिन प्रचार कार्य में पत्रिकाओं और पुस्तकों के साथ बाहर निकलना चाहिए।

हम भिन्‍न-भिन्‍न दिशाओं में फैल गए। क़रीब एक घंटे बाद, मुझे ख़बर मिली कि हमारे अधिकांश भाइयों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। सो अतिथि भाई और मैं पुलिस थाने गए। पुलिस ने हमारे स्पष्टीकरण को कि वे पुस्तकें निषिद्ध नहीं हैं सुनने से इनकार कर दिया।

जिन ३३ भाइयों को गिरफ़्तार किया गया था उन्हें ईफे में उच्च दंडाधिकारी के न्यायालय भेज दिया गया, और मैं उनके साथ गया। क़स्बे के जिन लोगों ने देखा कि हमें ले जाया जा रहा है, उन्होंने चिल्लाकर कहा, “अब इन लोगों का काम तमाम हुआ। ये यहाँ फिर नहीं आएँगे।”

उच्च दंडाधिकारी, जो एक नाइजीरियाई था, के सामने इल्ज़ाम पेश किया गया। सभी पुस्तकों और पत्रिकाओं को प्रदर्शित किया गया। उसने पूछा कि इन लोगों को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस अधिकारी को किसने अधिकार दिया था। पुलिस अधिकारी ने जवाब दिया कि उसने ज़िला अधिकारी के आदेशों का पालन किया था। उच्च दंडाधिकारी ने पुलिस अधिकारी और हमारे चार प्रतिनिधियों को, जिनमें मैं भी था, अपने कार्यालय में बुलाया।

उसने पूछा कि श्री. ब्राउन कौन है। हमने उसे बताया वह लेगॉस में वॉच टावर संस्था का प्रतिनिधि है। फिर उसने हमसे कहा कि उसे श्री. ब्राउन से हमारे सम्बन्ध में एक टेलीग्राम प्राप्त हुआ था। उसने उस दिन मुक़द्दमे को स्थगित कर दिया और भाइयों की ज़मानत स्वीकार की। दूसरे दिन उसने भाइयों को बाइज़्ज़त बरी किया, उन्हें रिहा किया, और उसने पुलिस को आज्ञा दी कि उन पुस्तकों को लौटा दें।

हम गीत गाते इलॆशा लौटे। फिर से लोग चिल्लाने लगे, लेकिन इस बार वे कह रहे थे, “ये फिर आ गए!”

विवाह के बारे में यहोवा का स्तर स्पष्ट किया गया

१९४७ में पहले तीन गिलियड स्नातक नाइजीरिया में आए। इनमें से एक भाई, टोनी ऑटवुड, अब भी यहाँ है, और नाइजीरिया बेथेल में सेवा कर रहा है। उस समय से, हमने नाइजीरिया में यहोवा के संगठन में बड़े परिवर्तन देखे। एक बड़ा परिवर्तन था बहुविवाह के बारे में हमारा दृष्टिकोण।

मैं ने फरवरी १९४१ में ओलाबिसी फासूबा से विवाह किया और मुझे इतना तो पता था कि और पत्नियाँ न रखूँ। लेकिन १९४७ तक जब मिशनरी आए, बहुविवाह कलीसियाओं में सामान्य बात थी। बहुविवाही भाइयों से कहा गया कि उन्होंने अनजाने में एक से ज़्यादा पत्नियों से विवाह किया था। सो यदि उनके पास दो या तीन अथवा चार या पाँच पत्नियाँ थीं, तो वे उन्हें रख सकते थे, लेकिन उन्हें और ज़्यादा विवाह नहीं करने थे। यह हमारी नीति हुआ करती थी।

अनेक लोग हम से मिल जाने के लिए उत्सुक थे, विशेषकर इलॆशा में चेरुबिम और सॆराफिम सोसायटी। वे कहते थे कि सिर्फ़ यहोवा के साक्षी ही ऐसे लोग थे जो सत्य सिखाते थे। वे हमारी शिक्षाओं से सहमत थे और चाहते थे कि अपने गिरजों को राज्यगृहों में परिवर्तित करें। हम इस मिलन को निष्पन्‍न करने के लिए परिश्रम कर रहे थे। हमारे पास उनके प्राचीनों को प्रशिक्षण देने के लिए केन्द्र भी थे।

उसके बाद बहुविवाह के बारे में एक नया निर्देशन आया। १९४७ में एक सर्किट सम्मेलन में एक मिशनरी ने भाषण दिया। उसने अच्छे आचरण और आदतों के बारे में बात की। उसके बाद उसने १ कुरिन्थियों ६:९, १० उद्धृत किया, जो कहता है कि अधर्मी परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे। उसके बाद उसने कहा: “और बहुविवाही परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे!” श्रोतागण में से लोग चिल्लाए: “ओह, बहुविवाही परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे!” परिणामस्वरूप विभाजन हुआ। यह एक युद्ध की तरह था। अनेक नयी-नयी संगति रखनेवालों ने यह कहते हुए संगति रखना बन्द कर दिया: “शुक्र है, हम इस संगठन के साथ बहुत ज़्यादा नहीं उलझे।”

लेकिन, अधिकांश भाइयों ने अपनी अतिरिक्‍त पत्नियों को मुक्‍त करने के द्वारा अपनी वैवाहिक स्थिति को सुधारना शुरू किया। उन्होंने उन्हें पैसे दिए और कहा, ‘अगर तुम युवा हो, तो जाओ और दूसरा पति ढूँढो। मैं ने तुम से शादी करके ग़लती की। अब मुझे एक पत्नी का पति होना है।’

जल्द ही एक और समस्या उठी। कुछ व्यक्‍तियों ने एक पत्नी रखने और दूसरी पत्नियों को मुक्‍त करने का निर्णय लेने के बाद, अपना विचार बदल दिया और निर्णय लिया कि वे दूसरी पत्नियों में से एक को वापस लेना और जिसे उन्होंने पहले रखा उसे मुक्‍त कर देना चाहते थे! सो फिर से मुश्‍किल शुरू हुई।

ब्रुकलिन में मुख्यालय से ज़्यादा निर्देशन आया, जो मलाकी २:१४ पर आधारित था जो “जवानी की संगिनी” का ज़िक्र करता है। निर्देशन था कि पतियों को अपनी पहली पत्नी रखनी चाहिए जिससे उन्होंने विवाह किया था। इस तरह आख़िरकार इस समस्या का हल हुआ।

सेवा के विशेषाधिकार

१९४७ में संस्था कलीसियाओं को दृढ़ करने और उन्हें सर्किटों में संगठित करने लगी। ‘भाइयों के सेवकों’ के तौर पर वे उन प्रौढ़ भाइयों को नियुक्‍त करना चाहते थे जिनको अधिक ज्ञान था, इन्हें अब सर्किट ओवरसियर कहा जाता है। भाई ब्राउन ने मुझसे पूछा कि क्या मैं ऐसी एक कार्यनियुक्‍ति स्वीकार करूँगा। मैं ने कहा कि जिस कारण मैं ने बपतिस्मा लिया था वह है यहोवा की इच्छा करना, और आगे कहा: “आपने तो मुझे बपतिस्मा भी दिया। अब जब यहोवा की सेवा ज़्यादा पूर्ण रूप से करने का मौका है, तो क्या आपको लगता है कि मैं इनकार करूँगा?”

उस साल अक्‍तूबर में, हम में से सात व्यक्‍तियों को लेगॉस बुलाया गया और हमें सर्किट कार्य में भेजे जाने से पहले हमें प्रशिक्षण दिया गया। उन दिनों बड़े-बड़े सर्किट हुआ करते थे। पूरा देश सिर्फ़ सात सर्किटों में बाँटा गया था। कलीसियाएँ कम थीं।

भाइयों के सेवकों के तौर पर हमारा काम कठिन था। हम हर दिन कई किलोमीटर चलते, अकसर उष्णकटिबन्धी जंगलों से। हर सप्ताह हमें एक गाँव से दूसरे गाँव जाना पड़ता था। कभी-कभी मुझे लगता था कि मेरी टाँगें टूट जाएँगी। कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं मर रहा हूँ! लेकिन बहुत सारा आनन्द भी था, विशेषकर उन लोगों की बढ़ती हुई संख्या देखकर जो सत्य को अपना रहे थे। सिर्फ़ सात सालों में, देश में प्रकाशकों की संख्या चौगुनी हो गयी!

मैं ने १९५५ तक सर्किट कार्य में भाग लिया, जब ख़राब स्वास्थ्य ने मुझे इलॆशा में वापस आने पर मजबूर किया, जहाँ मुझे सिटी ओवरसियर नियुक्‍त किया गया। घर पर रहकर मैं अपने परिवार को आध्यात्मिक रीति से मदद करने में ज़्यादा ध्यान देने के लिए समर्थ हुआ। आज मेरे छः के छः बच्चे वफ़ादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

सच्चा प्रेम कभी नहीं टलता

जब मैं बीते हुए सालों पर नज़र डालता हूँ, मेरे पास कितना कुछ है जिसके लिए मैं शुक्रगुज़ार हो सकता हूँ। निराशाएँ, चिन्ताएँ और बीमारी रही थीं, लेकिन अनेक आनन्द भी थे। यद्यपि सालों के गुज़रते हमारा ज्ञान और समझ विकसित हुई है, मैं ने अनुभव से १ कुरिन्थियों १३:८ का अर्थ समझा है, जो कहता है: “प्रेम कभी टलता नहीं।” अगर आप यहोवा से प्रेम करते हैं और उसकी सेवा में दृढ़तापूर्वक बने रहते हैं, तो वह आपकी कठिनाइयों से निकलने में आपकी मदद करेगा और आपको भरपूर आशीष देगा।

सत्य का प्रकाश और तेज़ होता जा रहा है। जिन दिनों में हमने पहले-पहल शुरू किया था, हम सोचते थे कि अरमगिदोन जल्द ही आएगा; इसलिए हम जितना कर सकते थे हम जल्दी-जल्दी कर रहे थे। लेकिन यह सब हमारे ही लाभ के लिए था। इसीलिए मैं भजनहार के शब्दों से सहमत हूँ: “मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्‍वर का भजन गाता रहूंगा।”—भजन १४६:२.

[फुटनोट]

a बाइबल को निर्णायक अधिकार के तौर पर बताने के भाई ब्राउन के रिवाज़ के कारण उसे बाइबल ब्राउन कहा जाता था।—सितम्बर १, १९९२ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ३२ पर “सच्चे सुसमाचारक की कटनी” देखिए।

[पेज 23 पर तसवीरें]

१९५५ में मिल्टन हॆन्सशॆल के साथ सैमवॆल

[पेज 24 पर तसवीरें]

सैमवॆल अपनी पत्नी ओलाबिसी के साथ

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें