कैथारस जाति क्या वे मसीही शहीद थे?
“सब को मार डालो; परमेश्वर अपनों को पहचान लेगा।” वर्ष १२०९ की गर्मियों के उस दिन, दक्षिणी फ्रांस में, बीज़ाएर्स् के लोगों का क़त्ल कर दिया गया। कैथोलिक धर्म-योद्धाओं की अध्यक्षता के लिए पोप-प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त, मठवासी आर्नल्ड आमाल्रीक ने कोई दया नहीं दिखायी। जब उसके लोगों ने पूछा कि वे कैथोलिकों और विधर्मियों के बीच फ़र्क कैसे करें, तो कहा जाता है कि उसने ऊपर उद्धृत कुख्यात जवाब दिया। कैथोलिक इतिहासकार इसमें हेर-फेर करके कहते हैं: “चिन्ता मत करो। मुझे विश्वास है कि बहुत कम लोग धर्म-परिवर्तन करेंगे।” उसका असल उत्तर जो भी हो, परिणाम था लगभग ३,००,००० धर्म-योद्धाओं के हाथों कम-से-कम २०,००० पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों का क़त्ल, जिसका नेतृत्व कैथोलिक चर्च के पादरियों ने किया।
इस क़त्लेआम का कारण क्या था? पोप इनोसॆंट lll ने दक्षिण-केंद्रीय फ्रांस के लैंगाडॉक राज्य में, तथाकथित विधर्मियों के विरुद्ध ऐल्बीजॆनसियन धर्म-युद्ध शुरू ही किया था। कुछ २० साल बाद उसके समाप्त होने से पहले, संभवतः दस लाख लोगों ने—कैथारस जाति, वॉलडॆन्स जाति, और अनेक कैथोलिकों ने भी—अपनी जान गवाँ दी थी।
मध्ययुगीन यूरोप में धार्मिक विरोध
सामान्य युग ११वीं शताब्दी में व्यापार में हुई तेज़ वृद्धि से मध्ययुगीन यूरोप के सामाजिक और आर्थिक ढाँचों में बड़े परिवर्तन आए। बढ़ती संख्या में शिल्पकारों और व्यापारियों के आवास के लिए नए नगर बने। इसने नए विचारों के लिए अवसर प्रदान किया। धार्मिक विरोध ने लैंगाडॉक में जड़ पकड़ी, जहाँ यूरोप में सबसे उल्लेखनीय रूप से उदार और विकसित सभ्यता फल-फूल रही थी। लैंगाडॉक में टुलूज़ शहर यूरोप में तीसरा सबसे समृद्ध महानगर था। यह वह संसार था जिसमें चारण फल-फूल रहे थे, जिनके कुछ गीतों ने राजनैतिक और धार्मिक विषयों को छुआ।
ग्यारहवीं और १२वीं शताब्दी में धार्मिक स्थिति का वर्णन करते हुए इतिहास और धार्मिक तत्वज्ञानों का पुनर्विचार (फ्रांसीसी) कहती है: “जैसे पिछली शताब्दी में भी था, १२वीं शताब्दी में भी पादरी-वर्ग के नैतिक-मूल्यों, उनकी धनसंपदा, उनकी धनलोलुपता, और उनकी अनैतिकता पर प्रश्न उठाया जाना जारी रहा, लेकिन मुख्यतः उनके धन और शक्ति, लौकिक अधिकारियों के साथ उनकी साँठ-गाँठ, और उनकी चापलूसी की आलोचना की गयी।”
भ्रमणकारी प्रचारक
पोप इनोसॆंट lll ने भी स्वीकार किया कि गिरजे में व्याप्त भ्रष्टाचार यूरोप में, ख़ासकर दक्षिणी फ्रांस और उत्तरी इटली में विरोधी, भ्रमणकारी प्रचारकों की बढ़ती संख्या का कारण था। इनमें से अधिकांश या तो कैथारस जाति के थे अथवा वॉलडॆन्स जाति के थे। उसने यह कहते हुए लोगों को नहीं सिखाने के लिए पादरियों की निन्दा की: “बच्चों को रोटी की ज़रूरत है जो तुम उनके साथ नहीं बाँटना चाहते।” फिर भी, लोगों के लिए बाइबल शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय, इनोसॆन्ट ने दावा किया कि “ईश्वरीय शास्त्र की गहराई इतनी है कि न सिर्फ़ साधारण और अनपढ़, बल्कि प्रज्ञावान और शिक्षित भी इसे समझने की कोशिश करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम नहीं हैं।” पादरियों को छोड़ बाइबल पठन का सभी पर प्रतिबन्ध था, और फिर केवल लातीनी भाषा में ऐसा करने की अनुमति दी गयी।
विरोधियों के भ्रमणकारी प्रचार का प्रतिरोध करने के लिए, पोप ने फ्रायर प्रचारक वर्ग, या डॉमिनिकनस् की स्थापना की स्वीकृति दी। धनी कैथोलिक पादरियों की विषमता में, इन फ्रायरों को सफ़री प्रचारक होना था जिन्हें दक्षिणी फ्रांस में “विधर्मियों” के विरुद्ध कैथोलिक रूढ़िवाद की रक्षा करने की कार्य-नियुक्ति दी गयी थी। पोप ने अपने प्रतिनिधियों को भी कैथारस लोगों के साथ तर्क करने और उन्हें फिर से कैथोलिक झुंड में लाने की कोशिश करने के लिए भेजा। चूँकि ये प्रयास असफल हो गए, और माना जाता है कि किसी विधर्मी के हाथों उसका एक प्रतिनिधि मारा गया, इनोसॆंट lll ने १२०९ में ऐल्बीजॆनसियन धर्म-युद्ध की आज्ञा दी। ऐल्बी उन नगरों में से एक था जहाँ कैथारस लोगों की आबादी ख़ासकर ज़्यादा थी, सो गिरजा इतिहासकारों ने कैथारस जाति को ऐल्बीजॆन्सीस् (फ्रांसीसी, ऐल्बीजीऑस) कहा और इस नाम को उस क्षेत्र के सभी “विधर्मियों” को सूचित करने के लिए प्रयोग किया, जिसमें वॉलडॆन्स जाति भी शामिल थी। (नीचे दिया गया बक्स देखिए।)
कैथारस लोग कौन थे?
शब्द “कैथार” यूनानी शब्द कैथारॉस से आता है जिसका अर्थ है “शुद्ध।” ग्यारहवीं से १४वीं शताब्दी तक, कैथारसवाद ख़ासकर लोमबार्डी, उत्तरी इटली, और लैंगाडॉक में फैला। कैथार विश्वास पूर्वी द्वैतवाद और गूढ़ज्ञानवाद का मिश्रण थे, जो कि संभवतः विदेशी व्यापारियों और मिशनरियों के प्रभाव से आए थे। दी एनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ रिलिजन (अंग्रेज़ी) कैथार द्वैतवाद को इस प्रकार परिभाषित करती है, “दो सिद्धान्तों [में विश्वास]: एक अच्छा, जो सभी आत्मिक चीज़ों को नियंत्रित करता है, दूसरा बुरा, जो भौतिक संसार के लिए ज़िम्मेदार है, जिसमें मनुष्य की देह भी शामिल है।” कैथारस लोगों का विश्वास था कि शैतान ने भौतिक संसार की सृष्टि की, जिसका विनाश अनिवार्य है। उनकी आशा थी बुरे, भौतिक संसार से बच निकलना।
कैथारस जाति दो वर्गों में विभाजित थी, परिपूर्ण और विश्वासी। परिपूर्ण कॉनसोलामॆनटम नामक आत्मिक बपतिस्मा के एक अनुष्ठान द्वारा बनाए जाते थे। यह एक साल की परख-अवधि के बाद, उन पर हाथ रखने के द्वारा किया जाता था। यह माना जाता था कि वह अनुष्ठान प्रार्थी को शैतान के शासन से मुक्त करेगा, उसे सभी पाप से शुद्ध करेगा, और पवित्र आत्मा देगा। इसने “परिपूर्ण” पद को जन्म दिया, जो अपेक्षाकृत अल्पसंख्यक कुलीन लोगों के लिए प्रयोग होता था जो विश्वासियों के प्रति सेवकों के रूप में कार्य करते थे। परिपूर्ण त्याग, शुद्धता, और निर्धनता का व्रत लेते थे। विवाहित हो तो एक परिपूर्ण को अपने पति या पत्नी को छोड़ना पड़ता था, क्योंकि कैथारस लोग मानते थे कि मैथुन ही मूल पाप था।
विश्वासी ऐसे व्यक्ति थे जो वैरागी जीवन-शैली तो नहीं अपनाते थे, लेकिन कैथार शिक्षाओं को स्वीकार करते थे। मॆलिओरामॆनटम नामक अनुष्ठान में परिपूर्ण के सम्मान में घुटने टेकने के द्वारा विश्वासी क्षमा और आशिष की बिनती करता था। सामान्य जीवन व्यतीत करने में स्वयं को समर्थ करने के लिए विश्वासी परिपूर्ण के साथ एक कॉनविनिनज़ा या समझौता करते थे, कि मृत्यु शय्या पर उन्हें आत्मिक बपतिस्मा, या कॉनसोलामॆनटम दिया जाए।
बाइबल के प्रति मनोवृत्ति
हालाँकि कैथारस लोगों ने बाइबल को व्यापक रूप से प्रयोग किया, वे इसे मुख्यतः रूपक-कथाओं और कल्प-कथाओं का स्रोत समझते थे। वे मानते थे कि इब्रानी शास्त्र का अधिकांश भाग इब्लीस की ओर से आया है। वे अपने द्वैतवादी तत्त्वज्ञान का समर्थन करने के लिए यूनानी शास्त्र के कुछ भाग प्रयोग करते थे, जैसे वे शास्त्रपाठ जो शरीर और आत्मा की विषमता दिखाते हैं। प्रभु की प्रार्थना में वे “हमारी दिन भर की रोटी” के बजाय “हमारी लोकोत्तर रोटी” (अर्थात् “आत्मिक रोटी”) के लिए प्रार्थना करते थे, क्योंकि भौतिक रोटी उनकी दृष्टि से अनिष्टकर अपरिहार्य-वस्तु थी।
अनेक कैथार शिक्षाएँ बाइबल के पूर्ण विरोध में थीं। उदाहरण के लिए, वे प्राण के अमरत्व और पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। (सभोपदेशक ९:५, १०; यहेजकेल १८:४, २० से तुलना कीजिए।) उनके विश्वास अप्रमाणित शास्त्रपाठों पर भी आधारित थे। फिर भी, इस हद तक कैथारस लोगों ने प्रांतीय भाषा में शास्त्र के भाग अनुवाद किए कि कुछ हद तक उन्होंने मध्य युग में बाइबल को एक सुख्यात पुस्तक बनाया।
मसीही नहीं
परिपूर्ण अपने आपको प्रेरितों के न्यायसंगत उत्तराधिकारी समझते थे और इसके फलस्वरूप, अपने आपको “मसीही” कहते थे, तथा “सच्चे” या “अच्छे” जोड़ने के द्वारा इस पर ज़ोर देते थे। लेकिन असल में, अनेक कैथार विश्वास मसीहियत से असंगत थे। जबकि कैथारस लोग यीशु को परमेश्वर का पुत्र मानते थे, उन्होंने उसके शरीर में आने और उसके मुक्तिदायी बलिदान को स्वीकार नहीं किया। बाइबल द्वारा शरीर और संसार की निन्दा का ग़लत अर्थ निकालकर उन्होंने समझा कि सभी भौतिक तत्व दुष्टता से उपजते हैं। इसलिए उनका विश्वास था कि यीशु के पास केवल आत्मिक देह ही हो सकती थी और पृथ्वी पर उसके रहते समय यह मात्र प्रतीत हुआ कि उसके पास एक शारीरिक देह है। प्रथम-शताब्दी धर्मत्यागियों के समान, कैथारस ऐसे लोग थे जो “नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया।”—२ यूहन्ना ७.
अपनी पुस्तक मध्ययुगीन विधर्म (अंग्रेज़ी) में एम. डी. लैम्बर्ट लिखता है कि कैथारसवाद ने “मसीही नैतिकता को एक अनिवार्य वैराग्य से बदल दिया, . . . [मसीह की मृत्यु] की उद्धारक शक्ति को स्वीकार करने से इनकार करने के द्वारा छुटकारे को नहीं माना।” वह सोचता है कि “परिपूर्ण के असली सम्बन्ध पूरब के वैरागी गुरुओं, चीन या भारत के बौद्ध भिक्षुओं और फ़कीरों, ओरफ़ियस-सम्बन्धी रहस्यों के विशेषज्ञों, या गूढ़ज्ञानवाद के गुरुओं के साथ थे।” कैथार विश्वास में, उद्धार यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर नहीं, बल्कि उसके बजाय कॉनसोलामॆनटम, या पवित्र आत्मा में बपतिस्मा पर निर्भर था। जो इस प्रकार शुद्ध किए गए थे उनके लिए मृत्यु भौतिक तत्व से मुक्ति लाती।
एक अपवित्र धर्म-युद्ध
पादरीवर्ग की अतिशय माँगों और व्यापक पतन से परेशान, जन-साधारण कैथारस लोगों की जीवन-शैली द्वारा आकर्षित हो गए। परिपूर्ण ने कैथोलिक चर्च और उसके पुरोहित-तंत्र की पहचान प्रकाशितवाक्य ३:९ (NHT) और १७:५ के “शैतान की सभा” और ‘वेश्याओं की माता’ के साथ की। कैथारसवाद दक्षिणी फ्रांस में पनप रहा था और गिरजे के पैर उखाड़ रहा था। पोप इनोसॆन्ट lll की प्रतिक्रिया थी तथाकथित ऐल्बीजॆनसियन धर्म-युद्ध छेड़ना और उसका अर्थ-प्रबन्ध करना, वह पहला धर्म-युद्ध जो मसीहीजगत में उन लोगों के विरुद्ध संगठित किया गया जो मसीही होने का दावा करते थे।
पत्रों और प्रतिनिधियों के द्वारा, पोप ने यूरोप के कैथोलिक राजाओं, सामंतों, मुखियों, और शूरवीरों के नाक में दम कर दिया। वे सभी जो “किसी भी तरह” इस विधर्म को जड़ से उखाड़ने के लिए लड़ते उन्हें उसने पापमोचन और लैंगाडॉक के धन की प्रतिज्ञा की। उसके आह्वान को सुना-अनसुना नहीं किया गया। कैथोलिक पादरियों और मठवासियों के नेतृत्व में धर्म-योद्धाओं की एक मिली-जुली सेना फ्रांस के उत्तर, फ्लैंडर्स्, और जर्मनी से रोन घाटी को पार करती हुई दक्षिण की ओर बढ़ी।
बीज़ाएर्स् के विनाश ने विजय के उस युद्ध की शुरूआत को चिन्हित किया जिसने लैंगाडॉक को आग और खून की नदी में तबाह कर दिया। ऐल्बी, कार्कासॉन, कास्ट्रॆ, फ्वॉ, नारबॉन, टरमॆ, और टुलूज़ सभी खून के प्यासे धर्म-योद्धाओं से पराजित हो गए। कासे, मीनर्वा, लावॉर जैसे कैथार मुख्य-नगरों में सैकड़ों परिपूर्ण सूली पर जला दिए गए। मठवासी-इतिहासकार पाइअर डी वो-ड-सर्ने के अनुसार, धर्म-योद्धाओं ने ‘हृदय में आनन्दित होकर परिपूर्ण को ज़िन्दा जला दिया।’ वर्ष १२२९ में, २० साल के संघर्ष और विध्वंस के बाद, लैंगाडॉक फ्रांसीसी सरकार के अधीन आ गया। लेकिन मार-काट अभी समाप्त नहीं हुई थी।
धर्माधिकरण प्राणघातक प्रहार करता है
वर्ष १२३१ में, पोप ग्रॆगरी lX ने पोप-धर्माधिकरण शुरू किया कि सशस्त्र संघर्ष को समर्थन दे।a धर्माधिकरण-व्यवस्था शुरू में दोषारोपण और दबाव पर आधारित थी, और बाद में योजनाबद्ध यातना पर। उसका लक्ष्य था उसे मिटाना जिसे तलवार नहीं नष्ट कर पायी थी। धर्माधिकरण न्यायी—अधिकांशतः डॉमिनिकन और फ्रांसिसकन फ्रायर्स—केवल पोप को ही जवाबदेह थे। विधर्म का राजकीय दण्ड था जलाकर मार डालना। धर्मपरीक्षकों का कट्टरपन और क्रूरता इतनी थी कि ऐल्बी और टुलूज़ सहित अनेक स्थानों पर विद्रोह फूट पड़ा। एविन्यॉने में, धर्माधिकरण अदालत के सभी सदस्यों का क़त्ल कर दिया गया।
वर्ष १२४४ में बहुतेरे परिपूर्ण के शरणस्थान, पर्वतीय क़िले मॉन्टसेगुर का आत्मसमर्पण कैथारसवाद के लिए प्राणघातक प्रहार था। सूली पर एकसाथ आग से जलाकर मारने से लगभग २०० पुरुषों और स्त्रियों की मृत्यु हो गयी। सालों के दौरान, धर्माधिकरण ने बाक़ी बचे कैथारस लोगों को ढूँढ निकाला। कहा जाता है कि अन्तिम कैथारस १३३० में लैंगाडॉक में सूली पर जला दिया गया था। पुस्तक मध्ययुगीन विधर्म कहती है: “कैथारसवाद का पतन धर्माधिकरण की अति विशेष उपलब्धि थी।”
कैथारस लोग निश्चित ही सच्चे मसीही नहीं थे। लेकिन क्या तथाकथित मसीहियों द्वारा उनका क्रूर उन्मूलन न्यायसंगत था इसलिए कि उन्होंने कैथोलिक चर्च की आलोचना की? उनके कैथोलिक उत्पीड़कों और हत्यारों ने परमेश्वर और मसीह का अनादर किया और सच्ची मसीहियत का ग़लत रूप प्रस्तुत किया जब उन्होंने उन हज़ारों विरोधियों को यातना दी और उनकी हत्या की।
[फुटनोट]
a मध्ययुगीन धर्माधिकरण पर अतिरिक्त विवरण के लिए वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित, अप्रैल २२, १९८६ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) में पृष्ठ २०-३ पर “भयभीत करनेवाला धर्माधिकरण” देखिए।
[पेज 29 पर बक्स]
वॉलडॆन्स जाति
सामान्य युग १२वीं शताब्दी की समाप्ति में, लीओन के एक धनी सौदागर, पीअर वॉल्डॆस्, या पीटर वॉलडो ने प्रोवॆन्साल की विभिन्न स्थानीय बोलियों में बाइबल के कुछ भागों के प्रथम अनुवाद करने का अर्थ-प्रबन्ध किया। प्रोवॆन्सल दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी फ्रांस में बोली जानेवाली प्रान्तीय भाषा है। वह एक निष्कपट कैथोलिक था जिसने अपना व्यापार छोड़ दिया और अपने आपको सुसमाचार का प्रचार करने के लिए समर्पित कर दिया। भ्रष्ट पादरीवर्ग से तंग आकर अन्य अनेक कैथोलिक उसके पीछे हो लिए और भ्रमणकारी प्रचारक बन गए।
वॉलडो को जल्द ही स्थानीय पादरियों से विरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने पोप को उसकी सार्वजनिक गवाही पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए राज़ी कर लिया। कहा जाता है कि उसका जवाब था: “हमें मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए।” (प्रेरितों ५:२९ से तुलना कीजिए।) उसके आग्रह के कारण, वॉलडो को बहिष्कृत कर दिया गया। उसके अनुयायियों ने, जिन्हें वॉल्डॆन्स लोग, या लीओन के ग़रीब लोग कहा जाता था, जोश के साथ उसके उदाहरण का अनुकरण करने की कोशिश की, और दो-दो करके लोगों के घरों में प्रचार किया। इसके परिणामस्वरूप उनकी शिक्षाएँ फ्रांस के पूरे दक्षिणी, पूर्वी, और कुछ उत्तरी भागों, साथ ही उत्तरी इटली में तेज़ी से फैल गयीं।
अधिकांशतः, उन्होंने आरंभिक मसीहियत के विश्वासों और प्रथाओं की ओर वापसी को प्रोत्साहित किया। उन्होंने अन्य शिक्षाओं के साथ-साथ शोधन-स्थान, मृतजनों के लिए प्रार्थनाएँ, मरियम की उपासना, “सन्तों” को प्रार्थनाएँ, क्रूस-मूर्ति की आराधना, पापमोचन, अंतिम भोजसंस्कार और शिशु बपतिस्मा की शिक्षाओं का विरोध किया।b
वॉल्डॆन्स लोगों की शिक्षाएँ कैथारस लोगों की द्वैतवादी ग़ैर-मसीही शिक्षाओं से बड़ी विषमता में थीं। वॉल्डॆन्स लोगों को अकसर भूल से कैथारस समझा जाता है। यह गड़बड़ी मुख्यतः कैथोलिक विवादियों के कारण है जिन्होंने जानबूझकर वॉल्डेन्सियन प्रचार को ऐल्बीजेन्सीस्, या कैथारस जाति की शिक्षाओं के समान दिखाने की कोशिश की।
[फुटनोट]
b वॉल्डॆन्स जाति पर अतिरिक्त जानकारी के लिए अगस्त १, १९८१ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १२-१५ पर लेख “वॉल्डॆन्स जाति—विधर्मी या सत्य-खोजी?” देखिए।
[पेज 29 पर तसवीरें]
सात हज़ार लोग सेंट मेरी मैगडलीन चर्च, बीज़ाएर्स् में मरे, जहाँ धर्म-योद्धाओं ने २०,००० पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों का क़त्ल किया