राज्य समाचार के साथ एक सफल अभियान
“जीवन इतनी समस्याओं से क्यों भरा हुआ है?—क्या एक कष्ट-रहित परादीस संभव है?” यह चार पृष्ठ के ट्रैक्ट, राज्य समाचार क्र. ३४ का शीर्षक था जिसे पिछले वर्ष के अप्रैल और मई में संसार-भर में १३९ भाषाओं में वितरित किया गया था। “इस वर्ष की विशेषताओं में से एक” इस तरह जमैका के साक्षियों ने इस सेवा अभियान का वर्णन किया। बॆलजियम में साक्षियों ने इसे “भाइयों के लिए आनन्द का बड़ा कारण” कहा। चेक गणराज्य में यह पहली बार था जब यहोवा के साक्षियों को राज्य समाचार वितरण में हिस्सा लेने का अवसर मिला था। शाखा रिपोर्ट करती है: “यह अभियान जोश और उत्साह की आत्मा ले आया।” अन्य कई देशों से समान विचार सुने गए।
राज्य समाचार क्र. ३४ में उन लोगों के लिए ख़ास संदेश था जो धर्म के नाम पर किए जा रहे घृणित कामों के कारण आहें भरते और कराहते हैं। (यहेजकेल ९:४) इसमें उन लोगों के लिए सांत्वना थी जिनके जीवन इन ‘कठिन समयों’ के कारण दुःखित हैं जिन पर उनका कोई बस नहीं चलता। (२ तीमुथियुस ३:१) बाइबल की ओर ध्यान खींचते हुए, इस ट्रैक्ट ने दिखाया कि जीवन की समस्याओं का समाधान जल्द ही होगा। एक कष्ट-रहित परादीस निश्चित है। (लूका २३:४३) राज्य समाचार पढ़नेवाले अनेक लोग उसके संदेश से क़ायल हुए। टोगो में एक व्यक्ति ने एक साक्षी से कहा: “आपने जो कहा वह अविवाद्य है।”
सुस्पष्ट रूप से, इस राज्य समाचार के वितरण ने असामान्य ध्यान आकर्षित किया। डॆनमार्क में एक गृहस्वामी ने इस ट्रैक्ट को पेश करनेवाले एक साक्षी को कहा: “मैं अभी-अभी अमरीका से लौटा हूँ। वहाँ से निकलने से ठीक पहले, किसी ने आपका ट्रैक्ट मुझे पेश किया। अब मैं यहाँ अभी-अभी पहुँचा हूँ, और तुरन्त वही ट्रैक्ट मुझे डेनिश में दिया जा रहा है!”
इस अभियान के लिए उत्साहपूर्ण समर्थन
संसार-भर में यहोवा के साक्षियों ने इस ट्रैक्ट को वितरित करने के कार्य में उत्साहपूर्ण रीति से भाग लिया। ऑस्ट्रिया, इटली, एल सैल्वाडोर, न्यू कैलेडोनिया, हंगरी, हेटी, उन अनेक देशों में से केवल कुछ थे जिन्होंने राज्य समाचार के वितरण के महीनों में प्रकाशकों के सबसे बड़े शिखर की रिपोर्ट दी।
ज़ाम्बिया में एक सर्किट ओवरसियर ने अपनी तीन-वर्षीय बेटी, डेबरा को घर-घर साहित्य पेश करने के लिए प्रशिक्षित किया है। राज्य समाचार क्र. ३४ के अभियान के दौरान, डेबरा ने इस ट्रैक्ट की ४५ से ज़्यादा प्रतियाँ वितरित कीं। उसकी माँ ने ऐसे कुछ लोगों के साथ बाइबल अध्ययन आरम्भ किए जिन्होंने डेबरा से राज्य समाचार स्वीकार किया था।
दक्षिण अफ्रीका में एक किशोरी ने काशया नामक अपनी सहपाठिन को यह ट्रैक्ट पेश किया। काशया ने ट्रैक्ट पढ़ा और कहा: “यह तो बहुत ही बढ़िया है—परादीस पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहना! इसके बारे में मुझे पहले क्यों नहीं बताया गया था?” एक बाइबल अध्ययन आरम्भ किया गया। एक सप्ताह के भीतर काशया ने एक और ट्रैक्ट प्राप्त किया। यह दूसरा उसकी एक रोमन कैथोलिक पत्रमित्र से आया, जो साइप्रस में रहती है। उस पत्रमित्र ने काशया को समझाया कि रोमन कैथोलिक चर्च की शिक्षाएँ क्यों ग़लत हैं और उसे बताया कि वह यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने का इरादा रखती है। निःसंदेह, इससे अपना अध्ययन जारी रखने के काशया के संकल्प को बहुत ही बल मिला।
स्विट्ज़रलैंड में एक दस-वर्षीय लड़के ने अपनी माँ के साथ ट्रैक्ट वितरण में भाग लिया। उसने एक युवती को एक प्रति दी और उस ट्रैक्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए उसे प्रोत्साहित किया। उस युवती ने इस लड़के से पूछा कि उसके मुख-पृष्ठ के चित्र में जो दर्शाया गया है—पृथ्वी पर अंतहीन जीवन—क्या वह सचमुच उस पर यक़ीन करता है। उस लड़के का जवाब? “जी हाँ, मैं पूरी तरह निश्चित हूँ।” उस स्त्री ने तब खुलासा किया कि वह सच्चा धर्म खोज रही थी क्योंकि उसके अपने धर्म में बहुत अंतर्विरोध थे। एक पुनःभेंट में, बाइबल अध्ययन आरम्भ किया गया।
तात्कालिक प्रतिक्रियाएँ
कभी-कभी जिन लोगों ने राज्य समाचार पढ़ा उन्होंने तत्काल ही प्रतिक्रिया दिखायी। इस ट्रैक्ट को पढ़ने के बाद, बॆलजियम में एक ११-वर्षीय लड़की ने एक यहोवा के साक्षी के सामने स्वीकार किया कि वह दुकानों में उठाईगिरी करती रही थी। लड़की की माँ इस बात को दबाना चाहती थी, लेकिन इस युवा लड़की का अंतःकरण, उसने जो पढ़ा था उससे प्रेरित हुआ और उसने उस दुकान के प्रबंधक से जाकर मिलने का हठ किया। आख़िरकार माँ इस बात पर सहमत हुई कि अपनी बेटी को उस साक्षी के साथ दुबारा दुकान जाने दे। प्रबंधक उसकी स्वीकृति पर चकित हुआ। जब उसे पता चला कि यह राज्य समाचार था जिसने उसे इस तरह कार्य करने के लिए प्रेरित किया, तो उसने ख़ुद अपने लिए एक प्रति ली, यह देखने के लिए कि उसमें ऐसा क्या था जो इतना शक्तिशाली था। वह लड़की अब एक प्रगतिशील बाइबल अध्ययन कर रही है।
कैमरून में एक साक्षी ने एक व्यक्ति के पास राज्य समाचार की एक प्रति छोड़ी और वह कहती है: “जब हम लौटे, हमने पाया कि वह पहले ही उसे रेखांकित कर चुका था और उसके पास अनेकों सवाल थे। संतोषजनक जवाब पाने के बाद, उसने कहा: ‘यह बिलकुल सच है कि धर्म ने मानवजाति के दुःख में योगदान दिया है। आपके ट्रैक्ट ने मुझे काफ़ी कुछ समझने में मदद की है, लेकिन मैं ज़्यादा जानना चाहूँगा।’” अब वह एक नियमित बाइबल अध्ययन कर रहा है।
युरुग्वे में घर-घर भेंट करनेवाले एक साक्षी ने एक व्यक्ति को एक ट्रैक्ट दिया। उस साक्षी ने अपना घर-घर का प्रचार कार्य जारी रखा और उस ब्लॉक को करते-करते उस व्यक्ति के घर के पीछे के दरवाज़े तक पहुँच गया। वह उस व्यक्ति को ट्रैक्ट हाथ में लिए, उसका इंतज़ार करता हुआ पाकर चकित हुआ। वह उसे पढ़ चुका था और ज़्यादा जानकारी चाहता था। उसी घड़ी एक अध्ययन शुरू किया गया।
जन-साधारण वितरण में सहायता करते हैं
जापान में एक युवा साक्षी एक व्यक्ति के पास गया जो अपने जीवन के पाँचवे दशक में था और उसे ट्रैक्ट पेश किया। उस व्यक्ति ने पूछा: “जब आप ऐसे लोगों से मिलते हैं जो देख नहीं सकते तब आप इस चौपन्ने का क्या करते हैं?” उस साक्षी ने स्वीकार किया कि वह नहीं जानता। उस व्यक्ति ने उससे थोड़ी देर रुकने के लिए कहा और अपने मकान में वापस चला गया। वह राज्य समाचार की एक प्रति के साथ लौटा और उसने कहा: “मैं इस चौपन्ने को प्राप्त कर चुका हूँ। मुझे लगा कि इसमें बहुत ही दिलचस्प और महत्त्वपूर्ण जानकारी है, सो मैं ने इसका ब्रेल भाषा में लिप्यन्तरण किया। कृपया इसे ऐसे लोगों के लिए प्रयोग कीजिए जो नेत्रहीन हैं।” इस व्यक्ति ने राज्य समाचार का ब्रेल भाषा में लिप्यन्तरण करने में घंटों बिताए थे ताकि जो नेत्रहीन हैं वे उसकी जानकारी से चूक न जाएँ।
स्लोवाकिया में एक व्यक्ति ने ट्रैक्ट को इतना पसन्द किया कि उसने २० प्रतियाँ बनवायीं, और उसने इन प्रतियों को स्वयं वितरित किया। स्विट्ज़रलैंड में एक प्रकाशक ने एक राज्य समाचार एक परिवार के पास छोड़ा और जिस इमारत में वह परिवार रहता था उस की ऊपरी मंज़िलों में कार्य करना जारी रखा। दुबारा नीचे आने पर, उसे उस परिवार का एक युवा लड़का मिला, जिसने ट्रैक्ट की और १९ प्रतियाँ माँगीं। उस लड़के के स्कूल में, विद्यार्थियों को समस्याओं और समाधानों की खोज के बारे में लिखने के लिए नियुक्त किया गया था। वह अपने हर सहपाठी के लिए राज्य समाचार की एक प्रति चाहता था।
कोई चूका न गया
जिन्होंने इस अभियान में हिस्सा लिया उन्होंने पूरी कोशिश की कि कोई भी व्यक्ति चूक न जाए। न्यू कैलॆडोनिया में दो साक्षी राज्य समाचार वितरित करने के लिए एक दूरस्थ क़बीले के क्षेत्र की ओर जा रहे थे। रास्ते में, उन्होंने एक पथ देखा जो ऐसा लग रहा था कि प्रयोग न किया गया हो, लेकिन उन्होंने फिर भी यह देखने का निर्णय किया कि कोई इसके दूसरे छोर पर रहता है या नहीं। गाड़ी को छोड़, वे उस पथ पर पैदल चलने लगे, झरनों को चलकर पार किया और आख़िरकार उन्होंने एक मकान पाया। एक दम्पति जिन्होंने यहोवा के साक्षियों के बारे में कभी नहीं सुना था वहाँ रहता था, और उन्होंने राज्य समाचार की एक प्रति स्वीकार की। बाद में उन प्रकाशकों ने पुनःभेंट की और यह पाकर चकित हुए कि उस दम्पति ने सड़क की और अनेक छोटे पुलों की मरम्मत की थी ताकि वे साक्षी अपनी गाड़ी को मकान तक ले आ सकें। एक नियमित बाइबल अध्ययन आरम्भ किया गया।
पोलैंड में एक साक्षी को किसी गृहस्वामी को राज्य समाचार की एक प्रति पेश करने के लिए एक निर्माण स्थल से गुज़रकर निकलना था। वे कामगार देख रहे थे जब वह निर्माण स्थल से वापस गुज़र रहा था। आख़िरकार, उनमें से एक कामगार ने उसे पुकारा, और कहा कि वह उन्हें न भूले। जब वह उनके पास गया, वे रुके और उन्होंने ध्यानपूर्वक ट्रैक्ट की प्रस्तुति को सुना। उन्होंने राज्य समाचार की प्रतियाँ साथ ही पत्रिकाएँ और बाद में एक पुनःभेंट पर किताबें स्वीकार कीं।
करोड़ों राज्य समाचार क्र. ३४ अनेकों भाषाओं में वितरित किए गए। उसके संदेश का शक्तिशाली प्रभाव हो चुका है। अनेकों ने सीखा है कि एक कष्ट-रहित परादीस संभव है। हम प्रार्थना करते हैं कि सत्हृदयी जन प्रतिक्रिया दिखाना जारी रखेंगे और आख़िरकार उन ‘नम्र लोगों’ में से एक होंगे जो “पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन ३७:११.
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पत्रिकाओं को वितरित करते रहिए!
अप्रैल और मई १९९५ में राज्य समाचार क्र. ३४ को वितरित करने का अभियान बहुत ही सफल हुआ। इन दो महीनों के दौरान, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं का भी उल्लेखनीय वितरण हुआ। उदाहरण के लिए, चेक गणराज्य में एक भाई रिपोर्ट करता है कि अप्रैल में उसने राज्य समाचार की २५० प्रतियाँ और ७५० पत्रिकाएँ वितरित कीं। ग्वाडलूप में, शनिवार, अप्रैल १५ को ख़ास पत्रिका दिन के तौर पर चुना गया। उस देश में लगभग हर प्रकाशक ने उस दिन सेवकाई में हिस्सा लिया! स्लोवाकिया का अप्रैल में पत्रिका वितरण में एक नया शिखर था। समान रिपोर्टें अन्य अनेक देशों से आयीं।
सो क्यों न अप्रैल और मई १९९६ को पत्रिका वितरण के लिए विशिष्ट महीनें बनाएँ? कलीसियाएँ ख़ास पत्रिका दिन आयोजित कर सकती हैं। व्यक्ति सहायक पायनियर कार्य में हिस्सा ले सकते हैं। इन और अन्य तरीक़ों से, पत्रिका वितरण को प्रोत्साहित किया जा सकता है, और राज्य समाचार क्र. ३४ में घोषित अत्यावश्यक संदेश का फैलाया जाना जारी रहेगा। तब, जैसे पिछले वर्ष हुआ, यहोवा हमारे द्वारा दिखायी गयी जोशपूर्ण आत्मा पर निश्चय ही आशीष देगा।—२ तीमुथियुस ४:२२.