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  • सांसारिक धर्म का अन्त क्यों होगा

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  • सांसारिक धर्म का अन्त क्यों होगा
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
w96 4/15 पेज 11-15

सांसारिक धर्म का अन्त क्यों होगा

“हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।”—प्रकाशितवाक्य १८:४.

१. (क) किस प्रकार से बड़ा बाबुल गिर गया है? (ख) इस घटना ने यहोवा के साक्षियों को कैसे प्रभावित किया है?

“बड़ा बाबुल गिर गया है!” जी हाँ, यहोवा के दृष्टिकोण से झूठे धर्म का विश्‍व साम्राज्य गिर गया है। १९१९ से, जब मसीह के भाइयों का शेषवर्ग, रहस्यमयी बाबुल का मुख्य भाग, मसीहीजगत के प्रभाव से बाहर निकल आया तब से यह सच रहा है। इसके परिणामस्वरूप, वे झूठे धर्म की भर्त्सना करने और मसीहाई राज्य के माध्यम से परमेश्‍वर के धर्मी शासन की घोषणा करने के लिए स्वतंत्र रहे हैं। इस पूरी शताब्दी में यहोवा के निष्ठावान साक्षियों ने शैतान के कठपुतली जैसे धर्मों के समूहों का पर्दाफ़ाश किया है, जिनका उसने “सारे संसार” को भरमाने के लिए चालाकी से प्रयोग किया है।—प्रकाशितवाक्य १२:९; १४:८; १८:२.

बड़ा बाबुल कैसे गिर गया है?

२. संसार के धर्मों की वर्तमान स्थिति क्या है?

२ लेकिन, शायद कोई पूछे, ‘आप कैसे कह सकते हैं कि बाबुल गिर गया है, जबकि लगता है कि अनेक देशों में धर्म फल-फूल रहा है?’ कैथोलिकवाद और इस्लाम एक अरब से ज़्यादा अनुयायी होने का दावा करते हैं। प्रोटॆस्टॆंट धर्म अब भी उत्तर और दक्षिण अमरीका में पनप रहा है, जहाँ नए गिरजे और चेपल लगातार अस्तित्त्व में आ रहे हैं। करोड़ों लोग बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म की धर्मविधियों का पालन करते हैं। फिर भी, किस हद तक ये सभी धर्म इन अरबों लोगों के चालचलन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं? क्या इसने उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक और प्रोटॆस्टॆंट लोगों को एक दूसरे की हत्या करने से रोका है? क्या इससे मध्य पूर्व में यहूदियों और मुस्लिमों के बीच वास्तविक शान्ति आयी है? क्या यह भारत में हिन्दू और मुस्लिमों को मेल-मिलाप की ओर ले गया है? और हाल ही में, क्या इसने सरबिया के ऑर्थोडॉक्स लोगों, क्रोएशिया के कैथोलिकों, और बॉसनीया के मुस्लिमों को “नृजातीय सफ़ाई” करने, लूटपाट, बलात्कार, और एक दूसरे की हत्या करने से रोका है? धर्म प्रायः मात्र एक ठप्पा रहा है, एक अण्डे के छिलके जैसा पतला मुलम्मा जो कि ज़रा-से भी दबाव से टूट जाता है।—गलतियों ५:१९-२१. याकूब २:१०, ११ से तुलना कीजिए।

३. क्यों धर्म परमेश्‍वर के सामने न्याय के लिए खड़ा है?

३ परमेश्‍वर के दृष्टिकोण से, बड़ी संख्या में लोगों का धार्मिक समर्थन एक अटल सच्चाई को नहीं बदल सकता—सभी धर्म परमेश्‍वर के सामने न्याय के लिए खड़े हैं। जैसा कि उसके इतिहास से प्रमाणित है, बड़ा बाबुल कठोर न्यायदण्ड पाने के लायक है, क्योंकि “उसके पाप स्वर्ग तक पहुंच गए हैं, और उसके अधर्म परमेश्‍वर को स्मरण आए हैं।” (प्रकाशितवाक्य १८:५) भविष्यसूचक भाषा में होशे ने लिखा: “वे वायु बोते हैं, और वे बवण्डर लवेंगे।” संसार-भर के शैतान के सभी झूठे धर्मों को परमेश्‍वर, उसके प्रेम, उसके नाम और उसके पुत्र से विश्‍वासघात की बड़ी से बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।—होशे ८:७; गलतियों ६:७; १ यूहन्‍ना २:२२, २३.

आपको चुनना ज़रूरी है

४, ५. (क) हम आज कौन-सी स्थिति में जी रहे हैं? (ख) हमारे लिए कौन-से सवालों का जवाब देना ज़रूरी है?

४ हम “अन्तिम दिनों” के आख़िरी भाग में जी रहे हैं और सच्चे मसीहियों के तौर पर इस “कठिन समय” से जीवित बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) सच्चे मसीही शैतान के इस संसार में परदेशी हैं, जो कि वास्तव में एक हत्यारे, एक झूठे, और एक निन्दक के रूप में उसके भ्रष्ट व्यक्‍तित्व को प्रतिबिम्बित करता है। (यूहन्‍ना ८:४४; १ पतरस २:११, १२; प्रकाशितवाक्य १२:१०) हम हिंसा, धोखे, छल-कपट, भ्रष्टाचार, और घोर अनैतिकता से घिरे हुए हैं। सिद्धान्तों की अवहेलना की जा रही है। सुखवाद और स्वार्थसिद्धि इस स्थिति का दूसरा नाम हैं। और अनेक मामलों में पादरीवर्ग ने समलैंगिकता, व्यभिचार, और परस्त्रीगमन की बाइबल की स्पष्ट भर्त्सना को हलका करने के द्वारा नैतिक भ्रष्टता को अनदेखा किया है। अतः सवाल उठता है कि क्या आप झूठी उपासना का समर्थन करते और उसे अनदेखा करते हैं, अथवा क्या आप सक्रिय रूप से सच्ची उपासना में भाग लेते हैं?—लैव्यव्यवस्था १८:२२; २०:१३; रोमियों १:२६, २७; १ कुरिन्थियों ६:९-११.

५ अब छँटाई का एक समय है। इसलिए झूठी उपासना और सच्ची उपासना में फ़र्क़ करने के पहले से कहीं ज़्यादा कारण हैं। मसीहीजगत के धर्मों ने और क्या किया है जो उन्हें इतना निन्दनीय बनाता है?—मलाकी ३:१८; यूहन्‍ना ४:२३, २४.

झूठा धर्म अभ्यारोपित

६. मसीहीजगत ने परमेश्‍वर के राज्य के साथ कैसे विश्‍वासघात किया है?

६ हालाँकि मसीहीजगत में करोड़ों लोग नियमित रूप से प्रभु की प्रार्थना का प्रयोग करते हैं, जिसमें वे परमेश्‍वर का राज्य आने के लिए प्रार्थना करते हैं, फिर भी उन्होंने उस ईश्‍वरशासित राज्य को छोड़ हर क़िस्म की राजनैतिक अभिव्यक्‍ति का पुरज़ोर समर्थन किया है। शताब्दियों पहले कैथोलिक चर्च के “राजकुमारों” जैसे कार्डिनल रिशेल्यू, माज़राँ, और वुल्ज़ी ने लौकिक राजनेताओं, अर्थात्‌ सरकार के नेताओं की हैसियत से भी काम किया।

७. पचास से अधिक साल पहले यहोवा के साक्षियों ने मसीहीजगत के पादरीवर्ग का परदाफ़ाश कैसे किया था?

७ पचास से अधिक साल पहले, धर्म बवण्डर लवता है (अंग्रेज़ी) शीर्षकवाली पुस्तिका में, यहोवा के साक्षियों ने मसीहीजगत के राजनीति में शामिल होने का परदाफ़ाश किया।a जो तब कहा गया था वह आज भी उतने ही बल के साथ लागू होता है: “सभी सम्प्रदायों के धार्मिक पादरीवर्ग के चालचलन की सच्ची जाँच यह प्रकट करेगी कि ‘मसीहीजगत’ के सभी धार्मिक अगुवे बड़ी दिलचस्पी के साथ ‘इस वर्तमान दुष्ट संसार’ की राजनीति में भाग ले रहे हैं और इसके सांसारिक मामलों में दख़लंदाज़ी कर रहे हैं।” उस समय साक्षियों ने पोप पायस बारहवें की नात्ज़ी हिटलर (१९३३) और फ़ासिस्ट फ्रैंको (१९४१) से उसकी धर्मसन्धि के लिए, साथ ही कुख्यात पर्ल हार्बर हमले के कुछ महीने बाद ही, पोप द्वारा आक्रामक देश जापान के साथ मार्च १९४२ में राजनयिक प्रतिनिधियों की अदल-बदल के लिए भी कड़ी आलोचना की। याकूब की चेतावनी पर ध्यान देने में पोप असफल हो गया: “हे व्यभिचारिणियो, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्‍वर से बैर करना है? सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्‍वर का बैरी बनाता है।”—याकूब ४:४.

८. आज रोमन कैथोलिक चर्च राजनीति में कैसे अन्तर्ग्रस्त है?

८ आज स्थिति कैसी है? पोपतंत्र अब तक अपने पादरीवर्ग और अपने अयाजकीय प्रतिनिधियों, दोनों के माध्यम से राजनीति में उलझा हुआ है। हाल के पोप संयुक्‍त राष्ट्र पर, उस मानव-निर्मित नक़ल को विश्‍व शान्ति के लिए सम्बोधित करने के द्वारा, अपनी स्वीकृति की मोहर लगा चुके हैं। अधिकारिक वैटिकन समाचार-पत्र लॉस्सेरवॉतोरे रोमॉनो के हाल के एक अंक ने यह घोषित किया कि सात नए राजनयिकों अर्थात्‌, “परम धर्मपीठ के राजदूतों ने,” अपने प्रत्यय-पत्र “पवित्र पिता” को प्रस्तुत किए। क्या हम यीशु और पतरस से इस प्रकार के राजनयिक आदान-प्रदान में अंतर्ग्रस्त होने की कल्पना कर सकते हैं? यीशु ने यहूदियों द्वारा राजा बनाए जाने से इनकार किया और कहा कि उसका राज्य इस संसार का नहीं था।—यूहन्‍ना ६:१५; १८:३६.

९. हम यह क्यों कह सकते हैं कि प्रोटॆस्टॆंट धर्म अपने कैथोलिक प्रतिपक्षों से बेहतर नहीं हैं?

९ क्या प्रोटॆस्टॆंट अगुवे अपने कैथोलिक प्रतिपक्षों से किसी तरह बेहतर हैं? अमरीका में, अनेक रूढ़िवादी प्रोटॆस्टॆंट धर्मों और साथ ही मोरमन लोगों को भी किसी अमुक राजनैतिक गठजोड़ के साथ पहचाना जाता है। क्रिस्चियन कोलिशन अमरीकी राजनीति में गहराई से अंतर्ग्रस्त है। अन्य प्रोटॆस्टॆंट पादरीवर्ग स्पष्ट रुप से एक भिन्‍न राजनैतिक पक्ष के साथ पहचाना जाता है। यह कभी-कभी भुला दिया जाता है कि अमरीका में, राजनैतिक वक्‍ता जैसे कि पैट रॉबर्टसन और जॆसी जैकसन भी “रॆवरॆन्ड,” हैं अथवा थे जैसे कि उत्तरी आयरलैंड का ब्रिटिश संसद सदस्य ईअन पेज़ली है। वे अपनी स्थिति को कैसे उचित ठहराते हैं?—प्रेरितों १०:३४, ३५; गलतियों २:६.

१०. कौन-सा स्पष्ट कथन १९४४ में किया गया था?

१० जैसा कि १९४४ में धर्म बवण्डर लवता है ने पूछा था, वैसे ही हम अब पूछते हैं: “क्या कोई भी संगठन जो सांसारिक शक्‍तियों के साथ संधि करता है और इस संसार के राजनैतिक मामलों में ख़ुद को सक्रिय रूप से अंतर्ग्रस्त करता है, इस संसार में फ़ायदे और उससे सुरक्षा की खोज में रहता है . . . परमेश्‍वर की कलीसिया अथवा मसीह यीशु का इस पृथ्वी पर प्रतिनिधित्व कर सकता है? . . . प्रकट रूप से, सभी धर्मोत्साही जो संसार के राज्यों के साथ एक ही लक्ष्य रखते हैं, मसीह यीशु द्वारा परमेश्‍वर के राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते।”

झूठे धर्म की कैन की आत्मा

११. झूठा धर्म कैन के उदाहरण पर कैसे चला है?

११ पूरे इतिहास में, झूठे धर्म ने भ्रातृहत्यारे कैन की आत्मा को दिखाया है, जिसने अपने भाई हाबिल की हत्या की। “इसी से परमेश्‍वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्‍वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। क्योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें। और कैन के समान न बनें, जो उस दुष्ट से था, और जिस ने अपने भाई को घात किया: और उसे किस कारण घात किया? इस कारण कि उसके काम बुरे थे, और उसके भाई के काम धर्म के थे।” अपने भाई की शुद्ध और परमेश्‍वर को स्वीकार्य उपासना को बर्दाश्‍त न करते हुए, कैन हिंसा पर उतर आया—उन लोगों का आख़िरी सहारा जिनके पास एक तर्कसंगत जवाब नहीं होता।—१ यूहन्‍ना ३:१०-१२.

१२. युद्ध और संघर्षों में धर्म की सहापराधिता का कौन-सा प्रमाण है?

१२ क्या तथ्य झूठे धर्म के इस अभ्यारोपण का समर्थन करते हैं? पुस्तक प्रचारक शस्त्र प्रस्तुत करते हैं (अंग्रेज़ी) में, लेखक ने कहा: “सभ्यताओं के इतिहास में, . . . दो ताक़तें हमेशा एक दोहरी संधि में साथ जोड़ी गई हैं। वे हैं युद्ध और धर्म। और संसार के सभी बड़े धर्मों में से, . . . कोई भी [युद्ध] के प्रति इतना समर्पित नहीं रहा है जितना कि [मसीहीजगत] रहा है।” कुछ सालों पहले, वेनकूवर, कनाडा के अख़बार द सन ने कहा: “सभी संगठित धर्मों की शायद यह एक कमज़ोरी है कि गिरजा ध्वज के पीछे चलता है . . . कौन-सी ऐसी लड़ाई लड़ी गई है जिसमें दोनों पक्षों ने परमेश्‍वर का अपनी ओर होने का दावा न किया हो?” आपने शायद इसका प्रमाण कुछ स्थानीय गिरजे में देखा हो। कई बार, राष्ट्रीय ध्वज वेदी पर सजता है। आप क्या सोचते हैं कि किस ध्वज के नीचे यीशु चलता? उसके शब्द शताब्दियों से गूँजते रहे हैं: “मेरा राज्य इस जगत का नहीं”!—यूहन्‍ना १८:३६.

१३. (क) झूठा धर्म अफ्रीका में किस प्रकार असफल हुआ है? (ख) यीशु ने मसीहियत का कौन-सा पहचान चिन्ह दिया था?

१३ मसीहीजगत के धर्मों ने अपने झुण्डों को सच्चे भाईचारे के प्रेम की सच्चाई नहीं सिखाई है। इसके बजाय, राष्ट्रीय, जनजातीय, और नृजातीय मतभेदों को उनके सदस्यों को विभाजित करने देते हैं। रिपोर्टें सूचित करती हैं कि कैथोलिक और एंग्लीकन पादरियों ने उन विभाजनों में भाग लिया और प्रभाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप रुवाण्डा में जनजातीय संहार हुआ। द न्यू यॉर्क टाइम्स्‌ ने रिपोर्ट किया: “रुवाण्डा के सामूहिक जनसंहार की वजह से वहाँ अनेक रोमन कैथोलिकों ने महसूस किया कि उनके साथ गिरजा धर्मतंत्र ने विश्‍वासघात किया है। गिरजा प्रायः नृजातीय रूप से, अर्थात्‌ हूटू और टूटसी में बँटा हुआ था।” उसी अख़बार ने एक मेरीनॉल पादरी को उद्धृत किया जिसने कहा: “१९९४ में गिरजा रुवाण्डा में बहुत बुरी तरह से असफल रहा है। अनेक रुवाण्डावासियों ने गिरजे से एक तरह से मुँह मोड़ लिया है। अब इसकी कोई विश्‍वसनीयता नहीं रही।” यीशु के इन शब्दों के कितने विपरीत: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।”—यूहन्‍ना १३:३५.

१४. बड़े ग़ैर-मसीही धर्म चालचलन का कैसा रिकार्ड प्रस्तुत करते हैं?

१४ बड़े बाबुल के अन्य बड़े धर्मों ने बेहतर उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया है। १९४७ का भयंकर जनसंहार, जब भारत का विभाजन हुआ था, दिखाता है कि वहाँ के बड़े धर्मों ने सहनशीलता उत्पन्‍न नहीं की है। भारत में जारी साम्प्रदायिक हिंसा इस बात की पुष्टि करती है कि अधिकतर लोग नहीं बदले। इसमें ताज्जुब की बात नहीं कि पत्रिका इंडिया टुडे ने निष्कर्ष निकाला कि: “धर्म वह ध्वज रहा है जिसके तले सबसे भयंकर अपराध किए गए हैं। . . . यह ज़बरदस्त हिंसा प्रवर्तित करता है और एक बहुत विनाशकारी शक्‍ति है।”

“आश्‍चर्यजनक विरोधाभास”

१५. पश्‍चिमी संसार में धर्म की स्थिति क्या है?

१५ यहाँ तक कि लौकिक टीकाकारों ने भी विश्‍वास दिलाने, सच्चे मूल्यों को मन में बिठाने, और धर्मनिरपेक्षवाद के अतिक्रमण में धर्म की असफलता को देखा है। अपनी पुस्तक नियंत्रण से बाहर (अंग्रेज़ी) में, अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ज़ूभीगनॉफ़ ब्रेज़िंस्की ने लिखा: “यह एक आश्‍चर्यजनक विरोधाभास है कि ‘परमेश्‍वर मर गया है’ इस प्रतिज्ञप्ति के लिए सबसे बड़ी विजय मार्क्सवादी-शासित राज्यों में नहीं हुई . . . बल्कि पश्‍चिमी उदारतावादी लोकतांत्रिक समाजों में मिली है, जिन्होंने सांस्कृतिक तौर पर नैतिक उदासीनता को पोषित किया है। पहले में, सच्चाई यह है कि धर्म एक प्रमुख सामाजिक शक्‍ति नहीं रहा है।” उसने आगे कहा: “यूरोपीय संस्कृति पर धर्म की पकड़ बहुत ज़्यादा ढीली हो गई है, और आज यूरोप—अमरीका से भी कहीं ज़्यादा—मूलभूत रूप से एक धर्मनिरपेक्ष समाज है।”

१६, १७. (क) अपने समय के पादरीवर्ग के बारे में यीशु ने कौन-सी सलाह दी थी? (ख) फल के बारे में यीशु ने कौन-सा उत्तम सिद्धान्त व्यक्‍त किया था?

१६ यीशु ने अपने समय के यहूदी पादरीवर्ग के बारे में क्या कहा था? “शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर [तोरह, अर्थात्‌ व्यवस्था सिखाने के लिए] बैठे हैं। इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्तु उन के से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।” जी हाँ, धार्मिक पाखण्ड कोई नई बात नहीं है।—मत्ती २३:२, ३.

१७ झूठे धर्म के फल उसको निकम्मा ठहराते हैं। यीशु द्वारा दिया गया नियम कितना उपयुक्‍त है: “हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।”—मत्ती ७:१७-२०.

१८. मसीहीजगत को अपने सदस्यों को कैसे शुद्ध रखना चाहिए था?

१८ यदि मसीहीजगत के धर्म, जो उसके सदस्य होने का दावा करते हैं, उनके द्वारा सभी अधर्मी कामों के लिए बहिष्करण, अथवा निष्कासन के मसीही अनुशासन को ईमानदारी से उन पर लागू करें, तो क्या होता? उन सभी अपश्‍चातापी झूठों, व्यभिचारियों, परस्त्रीगामियों, समलिंगियों, धोखेबाज़ों, अपराधियों, नशीली दवाओं के विक्रेताओं और नशेबाज़ों, और अपराधी गुटों के सदस्यों का क्या होता? निश्‍चित रूप से, मसीहीजगत के सड़े हुए फल उसे परमेश्‍वर द्वारा केवल नाश के योग्य बनाते हैं।—१ कुरिन्थियों ५:९-१३; २ यूहन्‍ना १०, ११.

१९. धार्मिक अगुवों के बारे में कौन-सी स्वीकृतियाँ की गई हैं?

१९ अमरीका के प्रॆसबिटेरियन चर्च की आम सभा ने स्वीकार किया: “हम एक ऐसे संकट का सामना कर रहे हैं जिसके परिमाण और अभिप्राय भयंकर हैं। . . . पूरे राष्ट्र में १० और २३ प्रतिशत के बीच पादरीवर्ग, गिरजा सदस्यों, अनुयायियों, कर्मचारियों इत्यादि के साथ अश्‍लील व्यवहार अथवा लैंगिक सम्पर्क में अंतर्ग्रस्त हुआ है।” एक अमरीकी उद्योगपति ने बख़ूबी इस बात का निचोड़ निकाला: “धार्मिक संस्थान अपने पुराने मूल्यों को आगे बढ़ाने में असफल हो गए हैं, और अनेक मामलों में समस्या का हिस्सा बन गए हैं।”

२०, २१. (क) यीशु और पौलुस ने पाखण्ड की भर्त्सना कैसे की? (ख) कौन-से सवालों का जवाब दिया जाना बाक़ी है?

२० यीशु की धार्मिक पाखण्ड की भर्त्सना आज भी उतनी ही सही बैठती है जितनी उसके समय में सही बैठती थी: “हे कपटियो, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की। कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है। और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।” (मत्ती १५:७-९) तीतुस को लिखे पौलुस के शब्द हमारी आधुनिक स्थिति की भी व्याख्या करते हैं: “वे कहते हैं, कि हम परमेश्‍वर को जानते हैं: पर अपने कामों से उसका इन्कार करते हैं, क्योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं; और किसी अच्छे काम के योग्य नहीं।”—तीतुस १:१६.

२१ यीशु ने कहा कि यदि एक अंधा दूसरे अंधे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड्ढे में गिर पड़ेंगे। (मत्ती १५:१४) क्या आप बड़े बाबुल के साथ अपना अन्त चाहते हैं? अथवा क्या आप सीधे मार्गों पर अपनी आँखें खोलकर चलना और यहोवा की आशीषों का आनन्द उठाना चाहते हैं? जो सवाल हमारे सामने आते हैं वे ये हैं: यदि कोई है, तो कौन-सा धर्म ईश्‍वरीय फल उत्पन्‍न करता है? हम कैसे परमेश्‍वर को स्वीकृत सच्ची उपासना की पहचान कर सकते हैं?—भजन ११९:१०५.

[फुटनोट]

a १९४४ में वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित; अब नहीं छपती।

क्या आपको याद है?

◻ परमेश्‍वर के सामने बड़े बाबुल की वर्तमान स्थिति क्या है?

◻ किस आधार पर झूठा धर्म अभ्यारोपित किया गया है?

◻ झूठे धर्म ने कैन की आत्मा कैसे दिखाई है?

◻ किसी भी धर्म का न्याय करने के लिए यीशु ने कौन-सा सिद्धान्त व्यक्‍त किया?

[पेज 13 पर तसवीरें]

पूरे इतिहास के दौरान धार्मिक अगुवों ने राजनीति में दख़लंदाज़ी की है

[पेज 15 पर तसवीरें]

ये पादरी शक्‍तिशाली राजनेता भी थे

कार्डिनल माज़राँ

कार्डिनल रिशेल्यू

कार्डिनल वुल्ज़ी

[चित्र का श्रेय]

Cardinal Mazarin and Cardinal Richelieu: From the book Ridpath’s History of the World (Vol. VI and Vol. V respectively). Cardinal Wolsey: From the book The History of Protestantism (Vol. I).

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