सच्ची उपासना परमेश्वर की आशीष क्यों पाती है
“हल्लिलूय्याह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं।”—प्रकाशितवाक्य १९:१, २.
१. बड़ा बाबुल अपने नाश की ओर कैसे जाएगा?
“बड़ा बाबुल” परमेश्वर की दृष्टि में गिर गया है और अब विनाश के सामने खड़ा है। बाइबल की भविष्यवाणी सूचित करती है कि इस संसार-व्याप्त धार्मिक वेश्या का उसके राजनैतिक प्रेमियों के हाथों जल्द ही नाश किया जाएगा; उसका अन्त अचानक और शीघ्रता से होगा। यूहन्ना को दिए यीशु के प्रकाशितवाक्य में ये भविष्यसूचक शब्द थे: “एक बलवन्त स्वर्गदूत ने बड़ी चक्की के पाट के समान एक पत्थर उठाया, और यह कहकर समुद्र में फेंक दिया, कि बड़ा नगर बाबुल ऐसे ही बड़े बल से गिराया जाएगा, और फिर कभी उसका पता न मिलेगा।”—प्रकाशितवाक्य १८:२, २१.
२. बाबुल के नाश पर यहोवा के सेवक कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे?
२ बड़े बाबुल के नाश पर शैतान के संसार के कुछ तत्वों द्वारा विलाप तो किया जाएगा लेकिन निश्चित ही परमेश्वर के स्वर्गीय अथवा पार्थिव सेवकों द्वारा नहीं। परमेश्वर के प्रति उनकी आनन्दपूर्ण पुकार होगी: “हल्लिलूय्याह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं, इसलिये कि उस ने उस बड़ी वेश्या का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।”—प्रकाशितवाक्य १८:९, १०; १९:१, २.
सच्चे धर्म को कौन-से फल उत्पन्न करने ज़रूरी हैं?
३. कौन-से सवाल जवाबों की माँग करते हैं?
३ चूँकि पृथ्वी पर से झूठे धर्म को मिटाकर साफ़ किया जाना है, किस प्रकार की उपासना क़ायम रहेगी? आज हम यह कैसे निश्चित कर सकते हैं कि कौन-सा धार्मिक समूह शैतान के झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य के नाश से बचेगा? कौन-से धर्मी फल इस समूह को उत्पन्न करने चाहिए? यहोवा की सच्ची उपासना को विशिष्ट करने के लिए कम-से-कम दस पहचान-चिन्ह हैं।—मलाकी ३:१८; मत्ती १३:४३.
४. सच्ची उपासना के लिए पहली माँग कौन-सी है, और इस सम्बन्ध में यीशु ने किस प्रकार उदाहरण पेश किया?
४ पहला और सबसे प्रमुख है, सच्चे मसीहियों को सर्वसत्ता का समर्थन करना ज़रूरी है जिसके लिए यीशु मरा—उसके पिता की सर्वसत्ता। यीशु ने अपना जीवन किसी राजनैतिक, जनजातीय, नृजातीय, अथवा सामाजिक हेतु के लिए नहीं दिया। उसने अपने पिता के राज्य को सभी यहूदी राजनैतिक अथवा क्रान्तिकारी आकांशा से आगे रखा। उसने शैतान के सांसारिक शक्ति के प्रस्ताव रखने का इन शब्दों में जवाब दिया: “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।” वह इब्रानी शास्त्र से जानता था कि यहोवा सारी पृथ्वी के ऊपर सच्चा सर्वसत्ताधारी है। कौन-सा धार्मिक समूह इस संसार की राजनैतिक व्यवस्थाओं के बजाय सुस्पष्ट रीति से यहोवा के शासन को समर्थन करता है?—मत्ती ४:१०; भजन ८३:१८.
५. (क) सच्चे उपासकों को परमेश्वर के नाम को किस दृष्टि से देखना चाहिए? (ख) क्या दिखाता है कि यहोवा के साक्षी उस नाम का सम्मान करते हैं?
५ दूसरी माँग यह है कि सच्ची उपासना को परमेश्वर के नाम को ऊँचा उठाना और पवित्र करना ज़रूरी है। सर्वशक्तिमान ने अपने लोग इस्राएल पर अपना नाम, यहोवा (जो कुछ बाइबल अनुवादों में याहवे अनुवादित है), प्रकट किया था, और यह हज़ारों बार इब्रानी शास्त्र में इस्तेमाल किया गया है। इससे भी पहले, आदम, हव्वा, और अन्य लोग इस नाम को जानते थे, हालाँकि उन्होंने हमेशा इसका आदर नहीं किया। (उत्पत्ति ४:१; ९:२६; २२:१४; निर्गमन ६:२) जबकि मसीहीजगत और यहूदियाई अनुवादकों ने इस परमेश्वरीय नाम को अपनी बाइबलों से सामान्यतः निकाल दिया है, यहोवा के साक्षियों ने उस नाम को उसका उचित स्थान और आदर पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद में दिया है। वे उस नाम का आदर करते हैं, जैसे कि प्रारंभिक मसीही करते थे। याकूब ने प्रमाण दिया: “शमौन ने बताया, कि परमेश्वर ने पहिले पहिल अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की, कि उन में से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले। और इस से भविष्यद्वक्ताओं की बातें मिलती हैं, . . . इसलिये कि शेष मनुष्य, अर्थात् सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूंढ़ें।” (तिरछे टाइप हमारे।)—प्रेरितों १५:१४-१७; आमोस ९:११, १२.
६. (क) सच्ची उपासना की तीसरी माँग क्या है? (ख) यीशु और दानिय्येल ने राज्य शासन पर ज़ोर कैसे दिया? (लूका १७:२०, २१)
६ सच्ची उपासना की तीसरी माँग यह है कि मानवजाति की शासन-सम्बन्धी समस्याओं के एकमात्र न्यायसंगत और कारगर समाधान के तौर पर इसे परमेश्वर के राज्य को ऊपर उठाना चाहिए। यीशु ने स्पष्ट रूप से अपने अनुयायियों को उस राज्य के आने के लिए, परमेश्वर के शासन द्वारा पृथ्वी का नियंत्रण हाथ में लेने के लिए प्रार्थना करना सिखाया। अन्तिम दिनों के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए दानिय्येल उत्प्रेरित हुआ: “स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, . . . वह उन सब [सांसारिक, राजनैतिक] राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” इस २०वीं शताब्दी में किसने अपने कामों के द्वारा यह दर्शाया है कि वे उस राज्य को अटूट समर्थन देते हैं—बड़े बाबुल के धर्म अथवा यहोवा के साक्षी?—दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:१०; २४:१४.
७. सच्चे उपासक बाइबल को किस दृष्टि से देखते हैं?
७ परमेश्वर के अनुमोदन के लिए चौथी माँग यह है कि परमेश्वर के सच्चे सेवकों को परमेश्वर के उत्प्रेरित वचन के तौर पर बाइबल को ऊँचा उठाना चाहिए। वे इसलिए उच्च आलोचना के शिकार नहीं होते, जो कि बाइबल को मात्र मनुष्यों की एक साहित्य की रचना समझते हैं जिसके साथ इसकी सभी त्रुटियों की अपेक्षा की जाती है। यहोवा के साक्षी विश्वास करते हैं कि बाइबल परमेश्वर का उत्प्रेरित वचन है, जैसा पौलुस ने भी तीमुथियुस को लिखा: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए।”a इसलिए, यहोवा के साक्षी बाइबल को अपने मार्गदर्शक, रोज़ाना जीवन के लिए अपनी निर्देश-पुस्तिका, और भविष्य के लिए उनकी आशा के स्रोत के तौर पर लेते हैं।—२ तीमुथियुस ३:१६, १७.
घृणा का नहीं, प्रेम का धर्म
८. सच्ची उपासना की पाँचवीं माँग क्या है?
८ यीशु कैसे अपने सच्चे अनुयायियों की पहचान देता है? उसका जवाब हमें सच्ची उपासना के एक अतिमहत्त्वपूर्ण पाँचवे पहचान चिन्ह पर लाता है। यीशु ने कहा: “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” (तिरछे टाइप हमारे।) (यूहन्ना १३:३४, ३५) यीशु ने अपना प्रेम कैसे दिखाया? अपने जीवन को एक छुड़ौती बलिदान के रूप में देने के द्वारा। (मत्ती २०:२८; यूहन्ना ३:१६) सच्चा प्रेम क्यों सच्चे मसीहियों का अनिवार्य गुण होना चाहिए? यूहन्ना समझाता है: “हे प्रियो, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है . . . जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।”—१ यूहन्ना ४:७, ८.
९. किसने सच्चा प्रेम दिखाया है और कैसे?
९ किस ने हमारे समय में, जातीय, राष्ट्रीय, अथवा नृजातीय घृणा का सामना करते हुए भी इस प्रकार का प्रेम प्रदर्शित किया है? किस ने सर्वोच्च परीक्षा को पार किया है, यहाँ तक कि मृत्यु भी, ताकि उनका प्रेम प्रबल बना रहे? क्या हम कह सकते हैं कि ये कैथोलिक पादरी और नन हैं जिन्होंने १९९४ में रुवाण्डा में घटित हुए उस जनसंहार के लिए ज़िम्मेदारी में कुछ हद तक शामिल होना स्वीकार किया? क्या वह सरबिया के ऑर्थोडॉक्स अथवा क्रोएशिया के कैथोलिक थे जिन्होंने उस “नृजातीय सफ़ाई” में और अन्य अमसीही कामों में भाग लिया था जो कि बाल्कन क्षेत्र का गृह युद्ध था? या क्या वे कैथोलिक या प्रोटॆस्टॆंट पादरी हैं जिन्होंने पिछले कुछ दशकों के दौरान उत्तरी आयरलैंड में पूर्वधारणा और घृणा की आग को हवा दी है? निश्चित ही यहोवा के साक्षियों को ऐसे किसी भी झगड़ों में भाग लेने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने अपने मसीही प्रेम से विश्वासघात करने के बजाय, जेलख़ानों और यातना शिविरों में, यहाँ तक कि मृत्यु को भी सहा है।—यूहन्ना १५:१७.
१०. सच्चे मसीही तटस्थ क्यों रहते हैं?
१० परमेश्वर को स्वीकृत उपासना के लिए छठी माँग है इस संसार के राजनैतिक मामलों के सम्बन्ध में तटस्थता। क्यों मसीहियों को राजनीति में तटस्थ रहना चाहिए? पौलुस, याकूब, और यूहन्ना हमें उस स्थिति के लिए ठोस कारण देते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि शैतान ‘इस संसार का ईश्वर’ है, जो हर संभव माध्यम से, जिसमें विभाजक राजनीति शामिल है, अविश्वासियों की बुद्धि को अन्धा कर रहा है। शिष्य याकूब ने कहा कि “संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है,” और प्रेरित यूहन्ना ने कहा कि “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” इसलिए, एक सच्चा मसीही शैतान के राजनीति और शक्ति के भ्रष्ट संसार में उलझने के द्वारा परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति का समझौता नहीं कर सकता।—२ कुरिन्थियों ४:४; याकूब ४:४; १ यूहन्ना ५:१९.
११. (क) मसीही युद्ध को किस दृष्टि से देखते हैं? (ख) इस स्थिति के लिए कौन-सा शास्त्रीय आधार है? (२ कुरिन्थियों १०:३-५)
११ पिछली दो माँगों को देखते हुए, सातवीं स्पष्ट हो जाती है अर्थात् सच्चे मसीही उपासकों को युद्ध में भाग नहीं लेना चाहिए। चूँकि सच्चा धर्म प्रेम पर आधारित विश्वव्यापी भाईचारा है, तो कोई भी बात इन “भाइयों के सम्पूर्ण संघ” (NW) को विभाजित अथवा नष्ट नहीं कर सकती। यीशु ने प्रेम सिखाया, न कि घृणा; शान्ति सिखाई, न कि युद्ध। (१ पतरस ५:९; मत्ती २६:५१, ५२) वही “दुष्ट” शैतान, जिसने कैन को हाबिल की हत्या करने के लिए भड़काया था, वह राजनैतिक, धार्मिक, और नृजातीय विभाजनों के आधार पर मानवजाति के बीच घृणा बोना, संघर्षों और रक्तपात को भड़काना जारी रखे हुए है। सच्चे मसीही ‘युद्ध-विद्या नहीं सीखते,’ चाहे इसकी कोई भी क़ीमत क्यों न चुकानी पड़े। लाक्षणिक रूप से, उन्होंने पहले ही “अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया” बना लिया है। वे परमेश्वर की आत्मा के शान्तिदायक फल उत्पन्न करते हैं।—१ यूहन्ना ३:१०-१२; यशायाह २:२-४; गलतियों ५:२२, २३.
परमेश्वर चालचलन और शिक्षाओं की शुद्धता पर आशीष देता है
१२. (क) आठवीं माँग क्या है, लेकिन कौन-से धार्मिक विभाजनों का आप हवाला दे सकते हैं? (ख) पौलुस इस आठवीं माँग को कैसे विशिष्ट करता है?
१२ मसीही एकता सच्ची उपासना की आठवीं माँग है। फिर भी, मसीहीजगत के विभाजक धर्मों ने इसके लिए मदद नहीं दी है। अनेक तथाकथित मुख्य-धारा पंथ विभिन्न प्रकार के संप्रदायों में बिखर गए हैं, और उसका नतीजा हुआ है गड़बड़ी। उदाहरण के लिए, अमरीका में बैपटिस्ट धर्म को लीजिए, जो कि उत्तरी बैपटिस्ट (यू.एस.ए. में अमरीकी बैपटिस्ट चर्च) और दक्षिणी बैपटिस्ट (दक्षिणी बैपटिस्ट सभा) में बँटा है, साथ ही साथ दर्जनों अन्य बैपटिस्ट समूहों में बँटा है, जिसका परिणाम है गड़बड़ी। (वर्ल्ड क्रिस्चियन एनसाइक्लोपीडिया, पृष्ठ ७१४) (अंग्रेज़ी), अनेक विभाजनों का उद्गम धर्मसिद्धान्तों अथवा चर्च प्रशासन (उदाहरण के लिए प्रेसबिटेरियन, एपिस्कोपेलियन, कॉन्ग्रीगेश्नल) की भिन्नता से हुआ है। मसीहीजगत के विभाजन उससे बाहर के धर्मों के विभाजनों के समान हैं—चाहे बौद्ध धर्म, इस्लाम, अथवा हिन्दू धर्म हो। प्रेरित पौलुस ने प्रारंभिक मसीहियों को कौन-सी सलाह दी थी? “हे भाइयो, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं, कि तुम सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो।”—१ कुरिन्थियों १:१०; २ कुरिन्थियों १३:११.
१३, १४. (क) ‘पवित्र होने’ का क्या अभिप्राय है? (ख) सच्ची उपासना कैसे शुद्ध रखी जाती है?
१३ परमेश्वर द्वारा स्वीकृत धर्म की नौवीं माँग क्या है? एक बाइबल सिद्धान्त लैव्यव्यवस्था ११:४५ में व्यक्त किया गया है: “तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” प्रेरित पतरस ने इस माँग को दोहराया जब उसने लिखा: “जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो।” (तिरछे टाइप हमारे।)—१ पतरस १:१५.
१४ पवित्र बनने की इस ज़रूरत में क्या समाविष्ट है? यह कि यहोवा के उपासकों को आध्यात्मिक और नैतिक रूप से शुद्ध होना चाहिए। (२ पतरस ३:१४) इसमें पश्चातापहीन, ढीठ पापियों के लिए कोई जगह नहीं है, जो अपने चालचलन से मसीह के छुड़ौती बलिदान के लिए तिरस्कार दिखाते हैं। (इब्रानियों ६:४-६) यहोवा माँग करता है कि मसीही कलीसिया को शुद्ध और पवित्र रखा जाए। यह कैसे किया जाता है? आंशिक तौर पर जो लोग कलीसिया को दूषित करते हैं उन लोगों पर बहिष्करण की न्यायिक कार्यवाही करने के द्वारा ऐसा किया जाता है।—१ कुरिन्थियों ५:९-१३.
१५, १६. अनेक मसीहियों ने अपने जीवन में कौन-से परिवर्तन किए हैं?
१५ मसीही सच्चाई जानने से पहले, अनेक लोग स्वच्छंद, सुखवादी, आत्म-केंद्रित जीवन बिताते थे। लेकिन मसीह के बारे में समाचार ने उन्हें बदल दिया, और उन्होंने अपने पापों के लिए क्षमा प्राप्त की है। पौलुस ने ज़ोरदार रीति से इसे व्यक्त किया जब उसने लिखा: “क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी। न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देनेवाले, न अन्धेर करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे। और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम . . . धोए गए।” (तिरछे टाइप हमारे।)—१ कुरिन्थियों ६:९-११.
१६ यह प्रत्यक्ष है कि यहोवा उनको स्वीकार करता है जो अपने अशास्त्रीय चालचलन से पश्चाताप करते, उससे फिर जाते, और मसीह और उसकी शिक्षाओं के सच्चे अनुयायी बन जाते हैं। वे सचमुच अपने पड़ोसियों से अपने समान प्रेम करते हैं और इसे अनेक तरीक़ों से प्रकट करते हैं, जैसे उस सेवकाई में लगे रहने के द्वारा जो उन सभी को जो सुनते हैं जीवन का संदेश प्रस्तुत करती है।—२ तीमुथियुस ४:५.
“सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा”
१७. सच्ची उपासना की दसवीं माँग क्या है? उदाहरण दीजिए।
१७ उन लोगों के लिए जो आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करते हैं यहोवा की एक दसवीं माँग है—शुद्ध शिक्षा। (यूहन्ना ४:२३, २४) यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “[तुम] सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना ८:३२) बाइबल की सच्चाई हमें परमेश्वर को अपमानित करनेवाले धर्मसिद्धान्तों से, जैसे कि अमर प्राण, नरकाग्नि, और शोधन-स्थान से स्वतंत्र करती है। (सभोपदेशक ९:५, ६, १०; यहेजकेल १८:४, २०) यह हमें मसीहीजगत के “परमपवित्र त्रियेक” बाबुलीय रहस्य से स्वतंत्र करती है। (व्यवस्थाविवरण ४:३५; ६:४; १ कुरिन्थियों १५:२७, २८) बाइबल सच्चाई के प्रति आज्ञाकारिता का नतीजा है, प्रेममय, परवाह करनेवाले, कृपालु, दयालु लोग। सच्ची मसीहियत ने कभी-भी प्रतिशोधी, असहनशील धर्मापरीक्षकों जैसे तोमॉस दे तोरकेमादा, अथवा घृणापूर्ण युद्धोत्तेजकों, जैसे धर्मयुद्ध के पोपतंत्रीय प्रवर्तकों को पनाह नहीं दी है। फिर भी, बड़े बाबुल ने इतिहास के दौरान, कम-से-कम निम्रोद के समय से लेकर आज तक, इस प्रकार के फल उत्पन्न किए हैं।—उत्पत्ति १०:८, ९.
एक नाम जो विशिष्ट है
१८. (क) सच्ची उपासना की दस माँगों को कौन लोग पूरा करते हैं और कैसे? (ख) जो आशिषें हमारे सामने रखी हैं उनको प्राप्त करने के लिए हमें व्यक्तिगत रूप से क्या करना चाहिए?
१८ आज कौन सचमुच सच्ची उपासना की इन दस माँगों को पूरा करते हैं? कौन दूसरे लोगों द्वारा अपनी खराई और शान्तिप्रियता के रिकार्ड के लिए जाने और सराहे जाते हैं? पूरी पृथ्वी में यहोवा के साक्षी मशहूर हैं कि वे “संसार के नहीं” हैं। (यूहन्ना १५:१९; १७:१४, १६; १८:३६) यहोवा के लोग उसके नाम को धारण करने और उसके साक्षी होने से, जैसे यीशु मसीह अपने पिता का एक वफ़ादार साक्षी था, सम्मानित हुए हैं। हम उस पवित्र नाम को धारण करते हैं और वह नाम जो सूचित करता है उसके अनुरूप जीने की अपनी ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत हैं। और उसके साक्षी होने के नाते, क्या ही शानदार प्रत्याशा हमारे सामने है! वह है विश्व सर्वसत्ताधारी की इस पृथ्वी पर पुनःस्थापित परादीस में उपासना करनेवाले एक आज्ञाकारी, संयुक्त मानव परिवार का भाग होना। ऐसी आशीष पाने के लिए, आइए हम सच्चे उपासक के तौर पर ख़ुद की पहचान देना जारी रखें और यहोवा के साक्षी नाम को गर्व के साथ धारण करें “क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं”!—प्रकाशितवाक्य १९:२; यशायाह ४३:१०-१२; यहेजकेल ३:११.
[फुटनोट]
a बाइबल अनुवाद स्वयं परमेश्वर द्वारा उत्प्रेरित नहीं हैं। अनुवाद, स्वभाव से ही, उन मूल भाषाओं की समझ में शायद विभिन्नता को प्रतिबिम्बित करें जिनमें बाइबल लिखी गई थी।
आप कैसे उत्तर देंगे?
◻ यहोवा के सेवक बड़े बाबुल के विनाश को किस दृष्टि से देखते हैं?
◻ सच्ची उपासना की मुख्य माँगें कौन-सी हैं?
◻ सत्य आपको कैसे स्वतंत्र करता है?
◻ यहोवा के साक्षी होने के नाते कौन-सा ख़ास सम्मान हमारे पास है?
[पेज 17 पर तसवीरें]
यहोवा के साक्षी परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को प्रचार कर रहे हैं और सिखा रहे हैं
[पेज 18 पर तसवीरें]
सांसारिक राजनीति और युद्धों के सम्बन्ध में सच्चे मसीही हमेशा तटस्थ रहे हैं
[चित्र का श्रेय]
Airplane: Courtesy of the Ministry of Defense, London