मद्य पेय क्या आपके पास इनका ईश्वरीय दृष्टिकोण है?
लगभग २० वर्ष पहले, पुरातत्वविद्वानों ने उरमीआ, ईरान के शहर के पास एक पुरानी मिट्टी-ईंट की इमारत को खोद निकाला। उसमें उन्होंने एक चीनी मिट्टी का मर्तबान पाया जो, वैज्ञानिकों के अनुसार, हज़ारों वर्ष पुराना है, उस तिथि का है जब कुछ बहुत प्राचीन मानव बस्तियाँ स्थापित हुईं थीं। हाल ही में, मर्तबान की जाँच करने के लिए नवीनतम टैक्नॉलॉजी का प्रयोग किया गया। वैज्ञानिक उसके भीतर मदिरा बनाने के प्राचीन रासायनिक प्रमाण पाकर अचंभित हो गए।
बाइबल भी स्पष्ट रूप से प्रमाणित करती है कि प्राचीन समय से दाखमधु, बियर, और अन्य मद्य पेयों का सेवन किया गया है। (उत्पत्ति २७:२५; सभोपदेशक ९:७; नहूम १:१०) जैसे अन्य भोजन के साथ है, यहोवा व्यक्तियों के तौर पर हमारे सामने एक चुनाव रखता है—कि मद्य पेय पिएँ अथवा न पिएँ। यीशु ने अपने भोजन के साथ अकसर दाखरस पिया। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मद्य से दूर रहा।—मत्ती ११:१८, १९.
बाइबल पीने में अतिसेवन की मनाही करती है। पियक्कड़पन परमेश्वर के विरुद्ध एक पाप है। (१ कुरिन्थियों ६:९-११) इसके सामंजस्य में, यहोवा के साक्षी ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो अपश्चातापी पियक्कड़ बनता है मसीही कलीसिया में रहने की अनुमति नहीं देते। कलीसिया में जो मद्य पेय पीने का चुनाव करते हैं उन्हें ऐसा संतुलन में करना ज़रूरी है।—तीतुस २:२, ३.
एक अधर्मी दृष्टिकोण
आज अनेक लोगों के पास मद्य पेयों के बारे में धर्मी दृष्टिकोण नहीं है। यह देखना आसान है कि शैतान इस प्राचीन उत्पादन के दुरुपयोग को बढ़ावा दे रहा है। उदाहरण के लिए, दक्षिण प्रशान्त के कुछ द्वीपों में, पुरुषों के लिए बड़ी मात्रा में घर में बने किण्वित पेय पीने के लिए इकट्ठा होना रिवाज़ी है। ऐसे सत्र शायद घंटों चलें और इन्हें बारंबार आयोजित किया जाता है—अनेक पुरुष इस आदत में रोज़ शामिल होते हैं। कुछ लोग इसे सिर्फ़ संस्कृति का भाग समझते हैं। कई बार बियर और मद्यसार का सेवन घर में बने स्थानीय किण्वितों—के बजाय—या इसके अतिरिक्त किया जाता है। अकसर इसका परिणाम पियक्कड़पन होता है।
एक अन्य प्रशान्तीय क्षेत्र में, पुरुषों द्वारा मद्य का संतुलित सेवन लगभग अनसुना है। एक आम नियम के तौर पर, जब वे पीते हैं तो वे मतवाले होने के लिए पीते हैं। विशिष्ट रूप से, पगार मिलने के दिन पुरुषों का एक समूह एक साथ मिल जाएँगे और बियर के अनेक बक्से ख़रीद लेंगे, जिसमें से प्रत्येक में २४ बोतलें आती हैं। वे केवल तभी पीना बन्द करते हैं जब बियर ख़त्म हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप, सार्वजनिक पियक्कड़पन बहुत आम है।
किण्वित पेय, जैसे ताड़ी और अन्य स्थानीय खींचे हुए मद्य, परम्परागत रूप से अफ्रीकी देशों में इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ समुदायों में परम्परा यह माँग करती है कि मेहमानों की ख़ातिरदारी करते वक़्त मद्य ज़रूर दिया जाना चाहिए। सत्कारशील मेज़बान रस्म के तौर पर उससे ज़्यादा का प्रबन्ध करता है जितना उसका मेहमान पी सकता है। एक क्षेत्र में प्रत्येक भेंटकर्ता के सामने १२ बियर की बोतलें रखने का रिवाज़ है।
अनेक जापानी कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों के लिए बस यात्राओं का आयोजन करती हैं। बड़ी मात्रा में मद्य पेयों को साथ लाया जाता है, और पियक्कड़पन माफ़ है। इनमें से कुछ कम्पनी सैर दो या तीन दिन तक चलती हैं। पत्रिका एशियावीक (अंग्रेज़ी) के अनुसार, जापान में, “चावल के किसानों से लेकर अमीर राजनितिज्ञों तक, परम्परागत रूप से एक पुरुष की मर्दानगी मदिरा की वह मात्रा रही है जो वह पी सकता है।” अन्य एशियाई देशों में समान चलनों को माना जाता है। एशियावीक कहती है कि “दक्षिण कोरियाई लोग अब प्रति व्यक्ति संसार में किसी भी जगह पीनेवाले व्यक्तियों से कहीं ज़्यादा द्राक्षिराएँ पीते हैं।”
जी भरके पीना अमरीका के कॉलेज अहातों में एक व्यापक आदत बन गई है। अमरीकी चिकित्सीय संस्था की पत्रिका (अंग्रेज़ी) के अनुसार, “अधिकांश जी भरके पीनेवाले ख़ुद को समस्या पिलाड़ी नहीं समझते।”a यह आश्चर्यजनक नहीं होना चाहिए क्योंकि अनेक देशों में संचार-माध्यम पीने को एक रोमांचकारी, फैशन-योग्य, और सांसारिक दृष्टि से बुद्धिमत्तापूर्ण गतिविधि के तौर पर बढ़ावा देता है। अकसर यह अधिप्रचार ख़ास तौर पर युवाओं को अपना निशाना बनाता है।
ब्रिटेन में, बियर पीना २०-वर्षों की अवधि में दुगना हो गया है, और तेज़ मद्यसार का सेवन तिगुना हो गया है। पीनेवाले कम उम्र में शुरूआत कर रहे हैं, और ज़्यादा महिलाएँ पी रही हैं। इसी तरह के चलन पूर्वी यूरोप और लातिन-अमरीकी देशों में देखे गए हैं। यह मदात्यय और मद्य-सम्बन्धित यातायात दुर्घटनाओं में समान रूप से बढ़ती दरों द्वारा विशिष्ट किया गया है। स्पष्ट रूप से, संसार-भर में मद्य दुरुपयोग में स्पष्ट वृद्धि है।
कितना ज़्यादा बहुत ज़्यादा है?
मद्य पेयों के बारे में बाइबलीय दृष्टिकोण संतुलित है। एक तरफ़, शास्त्र कहता है कि दाखमधु यहोवा परमेश्वर की ओर से एक ऐसी भेंट है “जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है।” (भजन १०४:१, १५) दूसरी तरफ़, अतिसेवन की निन्दा करते वक़्त बाइबल ऐसी अभिव्यक्तियाँ प्रयोग करती है जैसे ‘मतवालापन,’ ‘पियक्कड़पन, रंगरलियाँ, मद्यपान-गोष्ठियों,’ ‘बहुत ज़्यादा दाखमधु का दास,’ और “पियक्कड़।” (लूका २१:३४; १ पतरस ४:३, NHT; १ तीमुथियुस ३:८, NW; तीतुस २:३) लेकिन कितना ‘बहुत ज़्यादा दाखमधु’ का पीना है? एक मसीही यह कैसे पता लगा सकता है कि मद्य पेयों के ईश्वरीय दृष्टिकोण में क्या-क्या शामिल है?
पियक्कड़पन को पहचानना कठिन नहीं है। इसके परिणामों की बाइबल में इन शब्दों के साथ व्याख्या की गई है: “कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फंसता है? कौन बक बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आंखें लाल हो जाती हैं? उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूंढने को जाते हैं। . . . तू विचित्र वस्तुएं देखेगा, और उल्टी-सीधी बातें बकता रहेगा।”—नीतिवचन २३:२९-३३.
बहुत ज़्यादा मद्यसार गड़बड़ी, मतिभ्रम, अचेतना, और अन्य प्रकार के मानसिक और शारीरिक असंतुलन का कारण बन सकता है। मद्य के प्रभाव में आकर, एक व्यक्ति अपने व्यवहार पर नियंत्रण खो सकता है, जिससे ख़ुद उसको या दूसरों को नुक़सान हो सकता है। पियक्कड़ बेतुके, आपत्तिजनक, या अनैतिक आचरण में अन्तर्ग्रस्त होने के लिए जाने जाते हैं।
उपरोक्त परिणामों के साथ, मतवाले होने की हद तक पीना निश्चित रूप से बहुत ज़्यादा पीना है। लेकिन, एक व्यक्ति पियक्कड़पन के विशिष्ट लक्षणों को दिखाए बिना संतुलन की कमी दिखा सकता है। इसलिए, यह सवाल कि एक व्यक्ति ने बहुत ज़्यादा पी ली है कि नहीं अकसर विवादास्पद होता है। संतुलन और अतिसेवन में मध्य-रेखा कहाँ है?
अपनी विचार क्षमता की रक्षा कीजिए
बाइबल रक्त-मद्य सान्द्रता की प्रतिशतता या कोई और माप प्रदान करने के द्वारा सीमाएँ खड़ी नहीं करती। मद्यसार सहनशक्ति एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है। फिर भी, बाइबल सिद्धान्त सभी मसीहियों पर लागू होते हैं और मद्य पेयों के बारे में ईश्वरीय दृष्टिकोण विकसित करने में हमारी मदद कर सकते हैं।
पहली आज्ञा जो यीशु ने कहा, वह है “तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।” (मत्ती २२:३७, ३८) मद्यसार का मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव होता है, और अतिसेवन सब आज्ञाओं में इस सर्वश्रेष्ठ आज्ञा के प्रति आपकी आज्ञाकारिता में रुकावट लाएगा। यह अच्छी सूझ-बूझ, समस्याओं को सुलझाने की क्षमता, ख़ुद पर क़ाबू रखने, और मस्तिष्क के अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में गंभीर रूप से बाधा डाल सकता है। शास्त्र हमें सलाह देता है: “खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर, तब इन से तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे।”—नीतिवचन ३:२१, २२.
प्रेरित पौलुस मसीहियों से आग्रह करता है: “अपने शरीरों को जीवित, पवित्र, और परमेश्वर को स्वीकार्य बलिदान के रूप में चढ़ाओ, अर्थात् अपनी तर्क-शक्ति सहित पवित्र सेवा।” (रोमियों १२:१, NW) क्या एक मसीही “परमेश्वर को स्वीकार्य” होगा यदि वह अपनी “तर्क-शक्ति” को त्याग देने की हद तक पीता है? आम तौर पर, एक असंतुलित पीनेवाला धीरे-धीरे मद्य के लिए सहनशक्ति निर्मित कर लेता है। वह शायद महसूस करे कि बहुत ज़्यादा पीना—उसके लिए—पियक्कड़पन की दहलीज़ से नीचे है। फिर भी, शायद वह मद्यसार की अस्वास्थ्यकर आदत विकसित कर रहा हो। क्या ऐसा व्यक्ति अपने शरीर को “जीवित, पवित्र . . . बलिदान” के रूप में चढ़ा सकता है?
किसी भी मात्रा में मद्य जो एक मसीही के तौर पर आपकी “खरी बुद्धि और विवेक” को हानि पहुँचाता है, वह आपके लिए बहुत ज़्यादा मद्य है।
मद्य के आपके दृष्टिकोण को कौन-सी बात रूप देती है?
एक मसीही का निर्धारित करना ज़रूरी है कि पीने के प्रति उसकी मनोवृत्ति वर्तमान चलन या परम्पराओं द्वारा प्रभावित तो नहीं। जब मद्य पेयों की बात आती है, तो आप निश्चित ही अपने चुनाव को सांस्कृतिक चलनों या संचार-माध्यम के प्रचार पर आधारित नहीं करना चाहेंगे। स्वयं अपनी मनोवृत्ति को निर्धारित करते वक़्त, ख़ुद से पूछिए, ‘क्या यह उस बात से प्रभावित है जिसकी समाज में मान्यता है? या क्या मेरा पीना बाइबल सिद्धान्तों द्वारा नियंत्रित है?’
हालाँकि यहोवा के साक्षी संस्कृति-विरोधी नहीं हैं, वे समझते हैं कि यहोवा ऐसे अनेक अभ्यासों से घृणा करता है जो आज व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। कुछ समुदाय गर्भपात, रक्ताधान, समलिंगकामुकता, या बहुविवाह को माफ़ कर देते हैं। लेकिन, मसीही इन बातों के ईश्वरीय दृष्टिकोण के अनुरूप काम करते हैं। जी हाँ, इस बात के बावजूद कि ये सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हैं या नहीं, एक ईश्वरीय दृष्टिकोण एक मसीही को ऐसे अभ्यासों से घृणा करने के लिए प्रेरित करेगा।—भजन ९७:१०.
बाइबल ‘अन्य जातियों की इच्छा,’ जिसमें “पियक्कड़पन” और ‘मद्यपान-गोष्ठियाँ’ शामिल हैं, के बारे में बात करती है। पद ‘मद्यपान-गोष्ठी’ ऐसे समूहनों के विचार की ओर संकेत करता है जिनका प्रबन्ध बड़ी मात्रा में मद्य सेवन करने के एक ख़ास उद्देश्य के साथ किया जाता था। ऐसा लगता है कि बाइबल समयों में कुछ लोग जो मदिरा पीने की अपनी तथाकथित क्षमता पर घमण्ड करते थे, पीने में दूसरों को हराने की कोशिश करते थे, या वे यह देखने की कोशिश करते थे कि कौन सबसे ज़्यादा पी सकता था। प्रेरित पतरस इस प्रकार के आचरण का “भारी लुचपन” के तौर पर ज़िक्र करता है जिसमें पश्चातापी मसीही आगे को हिस्सा नहीं लेते।—१ पतरस ४:३, ४.
क्या एक मसीही के लिए ऐसा दृष्टिकोण धारण करना तर्कसंगत होगा कि जब तक वह मतवाला नहीं होता, इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उसने, कहाँ, कब, या कितनी पी? हम पूछ सकते हैं, क्या यह एक ईश्वरीय दृष्टिकोण है? बाइबल कहती है: “सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो।” (१ कुरिन्थियों १०:३१) जनसाधरण में बड़ी मात्रा में मद्य पीने के लिए एकत्रित हो रहे पुरुषों के समूह में से शायद सभी मतवाले न हों, लेकिन क्या उनका आचरण यहोवा को महिमा लाएगा? बाइबल सलाह देती है: “इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।”—रोमियों १२:२.
दूसरों को ठोकर खिलाने से बचिए
दिलचस्पी की बात है कि अकसर वही संस्कृतियाँ जो अतिसेवन को बर्दाश्त करती हैं तब अस्वीकृति दिखाती हैं जब एक बहुत पीनेवाला व्यक्ति परमेश्वर का भक्त होने का दावा करता है। दक्षिण प्रशान्त के एक छोटे-से समुदाय में, एक प्रेक्षक ने कहा: “मैं आप लोगों को सराहता हूँ। आप सच्चाई का प्रचार करते हैं। लेकिन जो समस्या हम देखते हैं वह यह है कि आपके पुरुष बहुत अधिक मद्य पीते हैं।” बताया गया कि वे व्यक्ति मतवाले नहीं हुए थे, फिर भी उस समुदाय में अनेक लोगों के लिए यह तथ्य इतना स्पष्ट नहीं था। प्रेक्षक आसानी से यह निष्कर्ष निकाल सकते थे कि बाक़ी अधिकांश पुरुषों की तरह जो पीने के सत्रों में शामिल थे, साक्षी भी मतवाले हो जाते थे। क्या एक मसीही सेवक जो पीने के लम्बे सत्रों में शामिल होता है अच्छी इज़्ज़त क़ायम रख सकता है और निडर होकर अपनी सार्वजनिक सेवकाई पूरी कर सकता है?—प्रेरितों २८:३१.
एक पश्चिमी देश से एक रिपोर्ट यह सूचित करती है कि कभी-कभी कुछ भाई और बहन राज्यगृह में साँस में मद्य की भारी दुर्गन्ध के साथ आते हैं। इसने दूसरों के अन्तःकरण को परेशान किया है। बाइबल चिताती है: “भला तो यह है, कि तू न मांस खाए और न दाख रस पीए, न और कुछ ऐसा काम करे, जिस से तेरा भाई ठोकर खाए।” (रोमियों १४:२१) मद्य पेयों का एक ईश्वरीय दृष्टिकोण एक परिपक्व मसीही को दूसरों के अन्तःकरण के प्रति संवेदनशील रहने के लिए प्रेरित करेगा, चाहे इसका अर्थ कुछ हालातों में मद्य से पूरी तरह दूर रहना ही क्यों न हो।
मसीही स्पष्ट रूप से भिन्न हैं
दुःखद रूप से, इस संसार ने उन अच्छी वस्तुओं का जिन्हें यहोवा ने मानवजाति को दिया है, जिनमें मद्य पेय शामिल हैं, दुरुपयोग करने के द्वारा उसको अप्रसन्न करने के लिए बहुत कुछ किया है। प्रत्येक समर्पित मसीही को इन प्रचलित अधर्मी दृष्टिकोणों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार लोग “धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात् जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान” सकने में समर्थ होंगे।—मलाकी ३:१८.
जब मद्य पेयों की बात आती है, तब यहोवा के साक्षियों और संसार के बीच “भेद” स्पष्ट होना ज़रूरी है। मद्य पेयों को पीना असली मसीहियों के जीवन का केन्द्र नहीं है। वे ख़तरनाक रूप से मतवालेपन के नज़दीक जाते हुए, अपनी मद्यसार सहन-शक्ति का परीक्षण नहीं करते; न ही वे मद्य पेयों को किसी भी प्रकार से अपने पूरे प्राण और स्पष्ट मन के साथ परमेश्वर की अपनी सेवा को बिगाड़ने देते या बाधा डालने देते हैं।
एक समूह के तौर पर, यहोवा के साक्षी मद्य पेयों का ईश्वरीय दृष्टिकोण रखते हैं। आपके बारे में क्या? जब हम ‘अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताने’ के बाइबल के निर्देशन पर चलते हैं, तो हममें से प्रत्येक व्यक्ति यहोवा की आशिषें प्राप्त करने की आशा कर सकता है।—तीतुस २:१२.
[फुटनोट]
a “जी भरके पीने को पुरुषों के लिए एक-के-बाद-एक पाँच या ज़्यादा पेयों को पीने और महिलाओं के लिए एक-के-बाद-एक चार या ज़्यादा पेयों का सेवन करने के रूप में परिभाषित किया गया था।”—अमरीकी चिकित्सीय संस्था की पत्रिका।
[पेज 28 पर बक्स/तसवीर]
अपने प्रिय जनों की सुनिए
एक असंतुलित व्यक्ति ही अकसर यह एहसास करनेवाला आख़री व्यक्ति होता है कि उसे एक समस्या है। सम्बन्धी, मित्र, और मसीही प्राचीनों को ऐसे प्रिय जनों की मदद करने में झिझकना नहीं चाहिए जिन्हें संतुलन की कमी है। दूसरी ओर, यदि प्रिय जन आपकी मद्य-पीने की आदत के प्रति अप्रसन्नता दिखाते हैं, तो उनके पास ऐसा करने के संभवतः अच्छे कारण हैं। जो वे कहते हैं उस पर ध्यान दीजिए।—नीतिवचन १९:२०; २७:६.