क्या आपको याद है?
क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंकों को पढ़ने का आनन्द उठाया है? यदि ऐसा है तो आप निम्नलिखित बातों को याद करना दिलचस्प पाएँगे:
◻ मत्ती २४:३, २७, ३७, ३९ में प्रयोग किए गए यूनानी शब्द परोसिया का क्या अर्थ है? वाईन की एक्सपोसिट्री डिक्शनरी ऑफ़ न्यू टेस्टामॆन्ट वर्ड्स कहती है: “परोसिया, . . . एक आगमन और उसके साथ परिणित उपस्थिति दोनों का अर्थ रखती है।” अतः, यह आगमन का मात्र एक क्षण नहीं है, बल्कि आगमन से शुरू होनेवाली उपस्थिति है।—८/१५, पृष्ठ ११.
◻ कैसे ‘वे दिन घटाए गए’ थे ताकि प्रथम शताब्दी में “प्राणी” बचाए जा सकें, और यह एक बड़े पैमाने पर कैसे घटित होगा? (मत्ती २४:२२) सा.यु. ६६ में, रोमियों ने अनापेक्षित रूप से यरूशलेम पर से अपना घेराव घटा लिया, जिससे मसीही “प्राणी” को भाग निकलने का मौक़ा मिला। उसी प्रकार, हम अपेक्षा करते हैं कि बड़े बाबुल पर आनेवाला आक्रमण कैसे न कैसे घटाया जाएगा। इस प्रकार अभिषिक्त मसीही और उनके साथी संभव विनाश से बचाए जाएँगे।—८/१५, पृष्ठ १८-२०.
◻ हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए यदि एक व्यक्ति स्मारक प्रतीकों में भाग लेना शुरू करता है या ऐसा करना बन्द कर देता है? किसी अन्य मसीही के लिए चिन्ता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। यीशु ने कहा: “अच्छा चरवाहा मैं हूं; . . . मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं।” उतनी ही निश्चितता से, यहोवा उनको जानता है जिन्हें उसने वाक़ई आत्मिक पुत्रों के रूप में चुना है। (यूहन्ना १०:१४; रोमियों ८:१६, १७)—८/१५, पृष्ठ ३१.
◻ मूसा की व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या था? मुख्यतः, इसने इस्राएलियों को मसीहा की उनकी ज़रूरत के बारे में सिखाया, जो उन्हें उनकी पापपूर्ण अवस्था से छुड़ाता। (गलतियों ३:२४) इस व्यवस्था ने ईश्वरीय भय और आज्ञाकारिता भी सिखायी, और इसने इस्राएल को चारों ओर की जातियों के भ्रष्ट रीति-व्यवहारों से अलग रहने में मदद दी। (लैव्यव्यवस्था १८:२४, २५)—९/१, पृष्ठ ९.
◻ नई वाचा का उद्देश्य क्या है? (यिर्मयाह ३१:३१-३४) इसे पूरी मानवजाति को आशिष देने के लिए राजाओं और याजकों की एक जाति को उत्पन्न करना है। (निर्गमन १९:६; १ पतरस २:९; प्रकाशितवाक्य ५:१०)—९/१, पृष्ठ १४, १५.
◻ हमें क्षमा माँगने की कला का अभ्यास क्यों करना चाहिए? क्षमा माँगना अपरिपूर्णता के द्वारा उत्पन्न हुई पीड़ा को कम करने में मदद दे सकता है, और यह बिगड़े सम्बन्धों को बना सकता है। हमारी हर क्षमा-याचना नम्रता का एक सबक़ है और हमें दूसरों की भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनने के लिए प्रशिक्षित करती है।—९/१५, पृष्ठ २४.
◻ नूह के समय का विश्वव्यापी जलप्रलय क्या एक ऐतिहासिक तथ्य है? जी हाँ, अमरीका से ऑस्ट्रेलिया तक, विश्वव्यापी जलप्रलय के बारे में बतानेवाले प्राचीन वृत्तान्त संसार-भर में पाए जा सकते हैं। इस विषय की व्यापक उपस्थिति इस तथ्य का और भी समर्थन करती है कि एक विश्वव्यापी जलप्रलय अवश्य आया था, जैसा कि बाइबल में बताया गया है। (उत्पत्ति ७:११-२०)—९/१५, पृष्ठ २५.
◻ पहुनाई दिखानेवाला होने में क्या शामिल है? (रोमियों १२:१३) “पहुनाई” एक यूनानी शब्द से अनुवादित है, जो दो मूल शब्दों से बना है जिनका अर्थ है “प्रेम” और “अजनबी”। अतः, मूलतः पहुनाई का अर्थ है “अजनबियों का प्रेम।” लेकिन, पहुनाई सिद्धान्त पर आधारित प्रेम से कहीं अधिक शामिल करती है, जो संभवतः कर्त्तव्य के भाव से दिखाया जाता है। यह सच्ची चाहत, स्नेह, और मित्रता पर आधारित है।—१०/१, पृष्ठ ९.
◻ कुरिन्थियों को अपनी पहली पत्री के अध्याय ७ में पौलुस का विवाहित और अविवाहित अवस्था के बारे में क्या तर्क है? विवाह विधिसंगत है और अमुक परिस्थितियों में कुछ लोगों के लिए अनुकूल है। फिर भी अविवाहित अवस्था निश्चित ही उस मसीही पुरुष या स्त्री के लिए लाभकारी है जो कम से कम विकर्षण के साथ यहोवा की सेवा करना चाहता/ती है।—१०/१५, पृष्ठ १३.
◻ कैसे एक प्राचीन ‘अपनों की देखभाल’ करता है? (१ तीमुथियुस ५:८) एक प्राचीन को ‘अपनों की देखभाल’—अपनी पत्नी, साथ-ही-साथ अपने बच्चों की—भौतिक, आध्यात्मिक, और भावनात्मक रूप से करनी चाहिए।—१०/१५, पृष्ठ २२.
◻ यहोवा अपने सेवकों को सांत्वना कैसे प्रदान करता है? परमेश्वर की पवित्र आत्मा एक ‘सांत्वना देनेवाले’ के तौर पर कार्य करती है। (यूहन्ना १४:१६, NW, फुटनोट) एक और तरीक़ा जिससे परमेश्वर सांत्वना प्रदान करता है, वह बाइबल है। (रोमियों १५:४) परमेश्वर हमारी व्यक्तिगत ज़रूरतों को जानता है और एक दूसरे को सांत्वना देने के लिए हमारा प्रयोग कर सकता है, ठीक जैसे पौलुस ने कुरिन्थियों के बारे में तीतुस की रिपोर्ट से सांत्वना प्राप्त की। (२ कुरिन्थियों ७:११-१३)—११/१, पृष्ठ १०, १२.
◻ दूसरे कुरिन्थियों १:३ में पाए जानेवाले पौलुस के यहोवा को ‘सब प्रकार की शान्ति के पिता’ के तौर पर विवरण द्वारा क्या अन्तर्निहित है? “कोमल करुणाओं” अनुवादित यूनानी संज्ञा ऐसे शब्द से आती है जो दूसरे व्यक्ति के दुःख के प्रति उदासी व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है। इस प्रकार, अपने उन वफ़ादार सेवकों के लिए जो क्लेश भुगत रहे हैं, पौलुस परमेश्वर की कोमल भावनाओं का वर्णन करता है।—११/१, पृष्ठ १३.
◻ प्रायश्चित के वार्षिक दिन इस्राएलियों द्वारा उपवास करने से क्या निष्पन्न किया गया था? (लैव्यव्यवस्था १६:२९-३१; २३:२७) उपवास का मानना इस्राएल के लोगों को उनकी पापपूर्णता और छुटकारे की ज़रूरत के प्रति एक बड़ी जागरुकता की ओर प्रेरित करता था। इसके द्वारा उन्होंने परमेश्वर के सामने अपने पापों के लिए दुःख और पश्चाताप व्यक्त किया।—११/१५, पृष्ठ ५.
◻ युवजनों को इस आज्ञा में क्या अन्तर्निहित है: “अपने सृजनहार को स्मरण रख”? (सभोपदेशक १२:१) एक प्राधिकारी कहता है कि “स्मरण रख” अनुवादित इब्रानी शब्द अकसर “मन के लगाव और उस कार्य को” सूचित करता है, “जिसके साथ स्मृति जुड़ी होती है।” सो इस आज्ञा को सुनने में यहोवा के बारे में मात्र विचार करने से ज़्यादा शामिल है। इसमें कार्य शामिल है, वह करना जो उसे प्रसन्न करता है।—१२/१, पृष्ठ १६.