यहोवा में अपने विश्वास द्वारा संभाला गया
आज़नोर डा पाईशैउँ द्वारा बताया गया
हमारा एकमात्र बेटा पाउलू, जब वह मात्र ११ महीने का था तब श्वसनी-शोथ से मर गया। तीन महीने बाद, अगस्त १५, १९४५ को मेरी अज़ीज़ पत्नी न्युमोनिया से मर गई। मैं २८ का था, और इन आघातों ने मुझे उदास और दुःखी छोड़ दिया। फिर भी यहोवा और उसकी प्रतिज्ञाओं में मेरे विश्वास ने मुझे संभाला। आइए मैं बताता हूँ कि मैंने यह विश्वास कैसे हासिल किया।
जनवरी ५, १९१७ में, सॆल्वाडॉर, बाहिया राज्य, ब्रज़िल में मेरे जन्म के समय से, माँ ने मुझे कैथोलिक चर्च के “सन्तों” की उपासना करना सिखाया था। यहाँ तक कि वह मेरे भाइयों को और मुझे सुबह-सुबह उठाती ताकि हम साथ मिलकर प्रार्थना कर सकें। लेकिन, मेरे माता-पिता अफ्रीकी-ब्रज़िली वूडू अनुष्ठानों, कानडोमब्ले के सत्रों में भी उपस्थित होते थे। मैं इन विश्वासों का आदर करता था, लेकिन मुझे कैथोलिकवाद के इन तथा-कथित सन्तों या कानडोमब्ले में ज़रा भी विश्वास नहीं था। जिस बात ने मुझे ख़ासकर निराश किया वह इन धर्मों के अन्दर प्रकट नृजातीय पूर्वधारणा थी।
कुछ समय बाद मेरे दो बड़े भाइयों ने काम तलाशने के लिए घर छोड़ दिया। बाद में मेरे पिता ने परिवार को त्याग दिया। सो नौ वर्ष की उम्र में मुझे, अपनी माँ और अपनी छोटी बहन की मदद करने के लिए काम ढूँढना पड़ा। लगभग १६ वर्ष बाद, संगी फ़ैक्ट्री कर्मचारी से बातचीत मेरे जीवन में परिवर्तन का एक मोड़ साबित हुई।
यहोवा में विश्वास हासिल करना
मैं १९४२ में फर्नान्डू टॆलॆज़ से मिला। उसने अकसर कहा कि “सन्तों” की उपासना करना ग़लत है। (१ कुरिन्थियों १०:१४; १ यूहन्ना ५:२१) शुरूआत में मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन, लोगों के रंग के बावजूद उनके लिए उसकी निष्कपटता और उनमें दिलचस्पी ने मुझे आकर्षित किया, और मैं बाइबल के उसके ज्ञान को सराहने लगा, ख़ास तौर पर उसे जो उसने परमेश्वर के राज्य और एक परादीस पृथ्वी के बारे में बताया था। (यशायाह ९:६, ७; दानिय्येल २:४४; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) मेरी दिलचस्पी को पहचानते हुए उसने मुझे एक बाइबल और कुछ बाइबल साहित्य दिया।
कुछ सप्ताह बाद, मैंने एक कलीसिया बाइबल अध्ययन के लिए एक निमंत्रण को स्वीकार किया। वह समूह, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक धर्म (अंग्रेज़ी) का अध्ययन कर रहा था। मैंने अध्ययन का आनन्द उठाया और यहोवा के साक्षियों की सभी कलीसिया सभाओं में उपस्थित होना शुरू कर दिया। ख़ास तौर पर जिस बात ने मुझे प्रभावित किया वह थी पूर्वधारणा की अनुपस्थिति और वह तरीक़ा जिससे मुझे शीघ्र ही स्वीकार कर लिया गया था। उस समय के लगभग मैंने लीन्डाउरा से प्रणय-याचना करना शुरू कर दिया था। जब मैंने उसे वे बातें बताईं जिन्हें मैं सीख रहा था, तो उसने मेरे साथ सभाओं में उपस्थित होना शुरू कर दिया।
एक और बात जिसने सभाओं में मुझे प्रभावित किया वह थी प्रचार कार्य पर दिया गया ज़ोर। (मत्ती २४:१४; प्रेरितों २०:२०) पायनियरों से, जैसा कि पूर्ण-समय सेवकों को पुकारा जाता है, प्रोत्साहित होकर, मैंने ट्रेन में काम पर आते-जाते वक़्त लोगों से अनौपचारिक रूप से बात करना शुरू कर दिया। जब कभी मैंने किसी ऐसे व्यक्ति को पाया जो दिलचस्पी रखता था, तो मैं उसका पता लेता और उस दिलचस्पी को विकसित करने की कोशिश करने के लिए उनसे भेंट करता।
इसी दौरान, यहोवा और जो संगठन वह इस्तेमाल कर रहा है उसमें मेरा विश्वास बढ़ता गया। अतः, मसीही समर्पण पर एक बाइबल भाषण सुनने के बाद, अप्रैल १९, १९४३ में, अटलांटिक समुद्र में मेरा बपतिस्मा हुआ। उसी दिन मैंने पहली बार नियमित घर-घर की सेवकाई में हिस्सा लिया।
दो सप्ताह बाद, मई ५ को, लीन्डाउरा और मेरा विवाह हो गया। उसके बाद, अगस्त १९४३ में, सॆल्वाडॉर शहर में यहोवा के साक्षियों द्वारा पहले सम्मेलन में उसका बपतिस्मा हुआ। यहोवा के साक्षियों की वार्षिकी १९७३ ने उस सम्मेलन के बारे में कहा: “सॆल्वाडॉर के पादरीवर्ग की कार्यवाही जन भाषण को रोकने में क़ामयाब तो रही, लेकिन . . . एक बड़े पैमाने पर प्रचार होने से पहले नहीं।” कठोर सताहट का सामना करते समय यहोवा के मार्गदर्शन के प्रमाण ने उसमें मेरे विश्वास को मज़बूत किया।
जैसा मैंने शुरू में बताया, लीन्डाउरा के बपतिस्मे के मात्र दो वर्ष बाद—और हमारे बेटे की मृत्यु के तीन महीने बाद—मेरी प्रिय पत्नी चल बसी। वह केवल २२ की थी। लेकिन यहोवा में मेरा जो विश्वास था उसने उन कठिन महीनों में मुझे सम्भाले रखा।
आध्यात्मिक गतिविधि द्वारा दृढ़ होना
वर्ष १९४६ में, मेरी पत्नी और बेटे को खोने के एक वर्ष बाद, उस समय सॆल्वाडॉर में मौजूद एक कलीसिया में मुझे बाइबल अध्ययन सेवक नियुक्त किया गया। उसी वर्ष ब्रज़िल की कलीसियाओं में ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल शुरू हुआ, और बाहिया राज्य में मैं पहला स्कूल संचालक बना। उसके बाद अक्तूबर १९४६ में साओ पाओलो शहर में “आनन्दित जातियाँ” ईश्वरशासित सम्मेलन आयोजित किया गया। दस वर्ष से मेरे मालिक ने कहा कि उसे मेरी ज़रूरत थी और उसने मुझ पर न जाने के लिए दबाव डाला। लेकिन, मैंने उसे समझाया कि सम्मेलन में मेरे उपस्थित होने का मेरे लिए क्या अर्थ होता, तो उसने मुझे एक बड़ा उपहार दिया और यात्रा के लिए मुझे शुभकामनाएँ दीं।
साओ पाओलो म्युनिसपल थिएटर में सम्मेलन सत्र पुर्तगाली—ब्रज़िल की भाषा—साथ ही साथ अंग्रेज़ी, जर्मन, हंगेरियन, पोलिश, और रूसी में संचालित किया गया था। उस सम्मेलन में सजग होइए! (अंग्रेज़ी) पत्रिका पुर्तगाली में रिलीज़ की गई। मैं उस सम्मेलन से इतना प्रभावित हुआ था—कुछ १,७०० जन भाषण के लिए उपस्थित हुए—कि मैंने नवम्बर १, १९४६ को पायनियर-कार्य शुरू करने के लिए आवेदन भर दिया।
उस समय पर हमने अपने पायनियर कार्य में फ़ोनोग्राफ़ को बहुत ज़्यादा इस्तेमाल किया। भाषण “सुरक्षा” ऐसा था जिसे हम अकसर गृहस्वामी को सुनाते थे। उसके बाद, हमने कहा: “एक अदृश्य शत्रु से ख़ुद को सुरक्षा देने के लिए, हमें ऐसे मित्र से मिले रहना है जो ख़ुद भी अदृश्य है। यहोवा हमारा सर्वश्रेष्ठ मित्र है और हमारे शत्रु, शैतान से कहीं अधिक शक्तिशाली है। सो शैतान से अपनी सुरक्षा के लिए हमें यहोवा के साथ नज़दीकी से मिले रहना है।” तब हमने पुस्तिका सुरक्षा (अंग्रेज़ी) दी, जो अतिरिक्त जानकारी प्रदान करती थी।
मुझे पायनियर-कार्य करते एक वर्ष भी नहीं हुआ था जब मैंने रियो दे जेनेरियो की कारीओका कलीसिया में एक ख़ास पायनियर के तौर पर सेवा करने का निमंत्रण प्राप्त किया। वहाँ हमने कभी-कभी कड़े विरोध का सामना किया। मेरे साथी, ईवान ब्रेनर पर एक बार गृहस्वामी द्वारा सचमुच हमला किया गया। पड़ोसियों ने पुलिस को बुलाया, और हम सभी को पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
पूछ-ताछ के दौरान, क्रोधित गृहस्वामी ने हम पर शान्ति भंग करने का इलज़ाम लगाया। पुलिस प्रमुख ने उसे चुप रहने का आदेश दिया। उसके बाद पुलिस प्रमुख हमारी ओर मुड़ा और एक नम्र आवाज़ में कहा कि हम जाने के लिए आज़ाद थे। उसने हमारे आरोपकर्ता को नहीं छोड़ा और उस पर आक्रमण करने का आरोप लगाया। इस तरह की परिस्थितियों ने यहोवा पर मेरे विश्वास को सम्भाले रखा।
विस्तृत पूर्ण-समय सेवकाई
जुलाई १, १९४९ को, बेथेल में, जैसा एक देश में यहोवा के साक्षियों की मुख्य सुविधाओं को पुकारा जाता है, सेवा करने का निमंत्रण पाकर मैं रोमांचित हो उठा। ब्रज़िल में उस वक़्त बेथेल, रियो दे जेनेरियो में, ३३० लीसीनियो कारडोसू स्ट्रीट पर स्थित था। उस समय, वहाँ पूरे बेथेल परिवार में केवल १७ लोग थे। कुछ समय के लिए मैं स्थानीय कलीसिया एनज़ॆनयो दे दॆनट्रू में उपस्थित हुआ, लेकिन बाद में मुझे, रियो दे जेनेरियो से कुछ ही किलोमीटर दूर बसे नगर, बॆलफोर रोक्शू की एकमात्र कलीसिया में प्रिसाइडिंग ओवरसियर के तौर पर नियुक्त किया गया।
सप्ताहांत काफ़ी व्यस्त होते थे। शनिवार के दिन मैं रेल से बॆलफोर रोक्शू जाता, दोपहर को क्षेत्र सेवकाई में भाग लेता, और उसके बाद शाम को ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल और सेवा सभा के लिए जाता था। मैं भाइयों के पास रात को रुकता और अगली सुबह क्षेत्र सेवा में हिस्सा लेता था। उस दोपहर मैं जन बाइबल भाषण और प्रहरीदुर्ग अध्ययन में उपस्थित होता और रात को लगभग साढ़े नौ बजे बेथेल वापस लौटता था। आज बॆलफोर रोक्शू में १८ कलीसियाएँ हैं।
वर्ष १९५४ में, इस समय-सारणी के साढ़े तीन वर्ष बाद, मुझे वापस रियो दे जेनेरियो की साओ क्रीस्टैवैउँ कलीसिया में प्रिसाइडिंग ओवरसियर नियुक्त कर दिया गया। अगले दस वर्षों तक, मैंने उस कलीसिया के साथ सेवा की।
मेरी बेथेल नियुक्तियाँ
बेथेल में मेरी पहली नियुक्ति संस्था की एकमात्र गाड़ी के लिए, एक १९४९ डॉज वैन जिसे उसके भूरे रंग के कारण चॉकलेट पुकारा जाता था, एक गराज बनाने की थी। जब गराज बन गया, मुझे रसोई-घर में नियुक्ति मिली, जहाँ मैं तीन वर्ष रहा। उसके बाद मुझे जॉब प्रॆस कार्यालय में स्थानांतरित किया गया, जहाँ मैं आज पिछले ४० वर्षों से हूँ।
जो छपाई यंत्र हमारे पास थे उनमें से अधिकांश इस्तेमाल किए हुए थे। उदाहरण के लिए, कई वर्षों तक हमारे पास एक पुरानी प्लॆटन प्रॆस थी जिसे हम प्यार से, इब्राहीम की पत्नी के नाम पर, सारा पुकारते थे। इसे ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में वॉच टावर सोसाइटी के मुख्यालय की फ़ैक्ट्री में कई वर्षों तक इस्तेमाल किया गया था। उसके बाद पचासादि में इसे ब्रज़िल में जलपोत से भेजा गया। यहाँ पर, इब्राहीम की पत्नी की तरह, इसने अपनी वृद्धावस्था में—प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं के रूप में—फल उत्पन्न किया।
ब्रज़िल के प्रिंटिंग प्लान्ट में छापे जानेवाले प्रकाशनों की बढ़ती संख्या से मैं हमेशा चकित होता रहा। १९५३ के पूरे वर्ष में, हमने ३,२४,४०० पत्रिकाएँ छापीं, लेकिन अब उत्पादन ३० लाख से ज़्यादा प्रतियाँ प्रति माह है!
हमारी बेथेल सुविधाएँ
वर्षों के दौरान ब्रज़िल में हमारी बेथेल सुविधाओं के विस्तार को देखना उत्तेजक रहा है। १९५२ में हमने रियो दे जेनेरियो में हमारे बेथेल घर के पीछे एक दो-मंज़िला फ़ैक्ट्री का निर्माण किया। उसके बाद १९६८ में, बेथेल को साओ पाओलो के शहर की नई इमारत में स्थानांतरित किया गया। जब हम वहाँ आए, तब हमारे बेथेल परिवार के ४२ सदस्यों के लिए सब कुछ बड़ा-बड़ा और खुला लगा। हमने सचमुच सोचा था कि यह इमारत हमारी सभी भावी बढ़ोतरियों के लिए काफ़ी होगी। लेकिन, १९७१ में दो पाँच-मंज़िला इमारतें बनाई गईं, और साथ लगी फ़ैक्ट्री ख़रीदी गई, पुनर्निर्मित की गई, और इस सुविधा के साथ जोड़ी गई। लेकिन कुछ ही वर्षों में, राज्य उद्घोषकों की लगातार वृद्धि ने—हमने १९७५ में १,००,००० की संख्या पार की—अधिक जगह की माँग की।
इसलिए, साओ पाओलो से १४० किलोमीटर दूर सॆज़ारीयो लांज़ै के छोटे नगर के पास इमारतों के एक नए कॉम्पलैक्स का निर्माण किया गया। १९८० में १७० सदस्यों का हमारा बेथेल परिवार इन नई सुविधाओं में स्थानांतरित किया गया। तब से राज्य कार्य असाधारण रूप से बढ़ा है। हमारे पास ब्रज़िल में अब नियमित रूप से प्रचार कार्य में भाग ले रहे ४,१०,००० से भी अधिक लोग हैं! इन सभी राज्य उद्घोषकों की आध्यात्मिक ज़रूरतों की देखभाल करने के लिए, हमें बाइबल साहित्य छापने के लिए नई फ़ैक्ट्रियाँ और बेथेल स्वयंसेवियों के रहने के लिए आवास बनाते रहने पड़े हैं। अभी हमारे यहाँ लगभग १,१०० बेथेल परिवार सदस्य हैं!
बहुमूल्य विशेषाधिकार
मैं बेथेल सेवा को एक मूल्यवान विशेषाधिकार समझता हूँ। अतः, हालाँकि मैंने आरम्भिक वर्षों में दोबारा विवाह करने की बात सोची थी, लेकिन मैंने बेथेल में और प्रचार कार्य में अपने विशेषाधिकारों पर पूरी रीति से ध्यान केन्द्रित करने का फ़ैसला किया। यहाँ मुझे अनगिनत युवकों के साथ प्रिंटरी में सेवा करने और उनकी नियुक्तियों में उन्हें प्रशिक्षित करने की ख़ुशी मिली है। मैंने उनसे ऐसा बर्ताव करने की कोशिश की है जैसे मानो वे मेरे ही बेटे हों। उनका उत्साह और निःस्वार्थी भावना मेरे लिए बड़े प्रोत्साहन का स्रोत रहे हैं।
एक और विशेषाधिकार, वर्षों के दौरान अच्छे सहनिवासियों की संगति का आनन्द उठाना रहा है। सच है कि व्यक्तित्वों में मतभेद ने कभी-कभी सामने एक चुनौती रखी है। फिर भी मैंने दूसरों से परिपूर्णता की आशा न करना सीखा। मैंने तिल का ताड़ बनाने से या ख़ुद को कुछ ज़्यादा समझने से दूर रहने का कड़ा प्रयास किया है। अपनी ग़लतियों पर हँसने के द्वारा मैंने दूसरों की ग़लतियों को बर्दाश्त करने में मदद पायी।
एक और मूल्यवान विशेषाधिकार जिसका मैंने आनन्द उठाया वह था अमरीका में बड़े अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशनों में उपस्थित होने में समर्थ होना। इनमें से एक “सनातन सुसमाचार” सम्मेलन था, जो १९६३ में यान्की स्टेडियम, न्यू यॉर्क में आयोजित हुआ था, और दूसरा उसी जगह १९६९ में “पृथ्वी पर शान्ति” अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन था। जिस दौरान मैं वहाँ था, तो मुझे पास ही ब्रुकलिन न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के विश्व मुख्यालय जाने का आनन्द मिला!
दस साल तक—दूसरों के साथ बारी-बारी से—बेथेल परिवार की प्रातःकालीन उपासना में अध्यक्षता करना भी मेरा विशेषाधिकार रहा है। फिर भी, सबसे बड़ा विशेषाधिकार, जिसने मुझे बड़ा आनन्द और प्रोत्साहन दिया है, सत्हृदयी लोगों तक राज्य सन्देश ले जाना रहा है, जैसा हमारे स्वामी, यीशु मसीह ने भी किया।
हाल के वर्षों में मैंने अंगघात की बीमारी की चुनौती के साथ जीने का सामना किया है। बेथेल चिकित्सा-घर के भाइयों और बहनों की प्रेममय परवाह मेरे लिए नियमित मदद और सांत्वना का स्रोत रही है। पूरे विश्वास के साथ, मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा उसकी सच्ची उपासना के पक्ष में मुझे लगातार मेरा उत्तम करते रहने के लिए शक्ति दे।
[पेज 23 पर तसवीर]
अपनी पत्नी के साथ, जिसकी १९४५ में मृत्यु हो गयी
[पेज 23 पर तसवीरें]
ब्रज़िल शाखा जहाँ मैं अब रहता हूँ