मूलतत्त्ववाद का फैलाव
मूलतत्त्ववाद—कुछ दशकों पहले, यह प्रोटेस्टेंटवाद के अन्दर ही एक अल्पसंख्यक आन्दोलन से बढ़कर कुछ नहीं था। बातें कितनी बदल गयी हैं! धर्म पर एक टीकाकार, ब्रूस बी. लॉरेन्स ने लिखा कि ३० साल पहले, बहुत-ही कम लोगों ने अनुमान लगाया होगा कि २०वीं शताब्दी के अन्त में, मूलतत्त्ववादa प्रसार माध्यम और विश्वविद्यालय अनुसंधान के लिए एक इतना महत्त्वपूर्ण, यहाँ तक कि मनोग्रस्ति विषय बन जाएगा।
फिर भी, वही हुआ है। सड़कों पर हिंसक प्रदर्शनों की समाचार रिपोर्टें, कत्लों, गर्भपात-विरोधी आन्दोलन, धार्मिक दबाव डालनेवाले समूहों द्वारा राजनैतिक युक्ति-चाल, और ईश-निन्दात्मक समझी जानेवाली पुस्तकों का जन अलाव मूलतत्त्ववादियों की करतूतों की निरन्तर याद दिलानेवाली बातें हैं। इतालवी वित्तीय साप्ताहिक मॉन्दो एकोनोमिको ने कहा कि लगभग सभी जगह मूलतत्त्ववाद “परमेश्वर के नाम का इस्तेमाल करते हुए आक्रमण” कर रहा है।
मूलतत्त्ववादियों को अकसर आत्यंतिक और धर्मान्ध के रूप में चित्रित किया जाता है जो साज़िश रचते और आतंकवादी हमले करते हैं। लोग रोमन कैथोलिकवाद में कोमूनयोने ए लिबेरात्ज़ियोने, यहूदी धर्म में गूश एमूनिम, और उत्तर अमरीकी प्रोटेस्टेंटवाद में क्रिस्चियन कोलिशन जैसे समूहों के विकास से भयभीत हैं। मूलतत्त्ववाद क्यों फैल रहा है? इसे क्या प्रेरित करता है? क्या यह संभवतः “परमेश्वर का प्रतिशोध” है, जैसा फ्रांसीसी समाजविज्ञानी, ज़ील कॆपॆल सुझाता है?
[फुटनोट]
a मूलतत्त्ववादी एक ऐसा व्यक्ति है जो पारम्परिक, रूढ़ीवादी धार्मिक मान्यताओं पर सख़्ती से लगे रहता है। “मूलतत्त्ववाद” के अर्थ की अधिक विस्तृत चर्चा अगले लेख में की जाएगी।
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Nina Berman/Sipa Press