परमेश्वर में विश्वास—क्या चमत्कार की आवश्यकता है?
ऎलबर्ट २०-२२ साल का था जब उसने परमेश्वर की खोज करनी शुरू की। उसने कई धर्म आज़माए लेकिन असंतुष्ट रहा। बाइबल के कुछ भाग पढ़कर उसने सीखा कि परमेश्वर ने नूह, इब्राहीम, सारा, और मूसा जैसे व्यक्तियों के साथ कैसे व्यवहार किया। ऎलबर्ट ने अपने आपको बाइबल के परमेश्वर की ओर खिंचता हुआ पाया। लेकिन, क्या वह निश्चित हो सकता था कि परमेश्वर वास्तव में अस्तित्व में है?
एक शाम ऎलबर्ट एक एकान्त स्थान पर गया और प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, कृपया मुझे एक चिन्ह दीजिए—कुछ भी जो यह साबित करे कि आप अस्तित्व में हैं।” ऎलबर्ट ने काफ़ी समय तक प्रतीक्षा की। वह याद करता है कि जब कुछ नहीं हुआ तब उसकी आशा “निराशा, खालीपन, और क्रोध में बदल गयी।”
ऎलबर्ट की तरह, अनेक लोगों को लगता है कि उन्होंने व्यर्थ ही परमेश्वर की खोज की है। वे पादरियों के उपदेशों से उलझन में पड़ जाते हैं या टीवी सुसमाचारकों की धन्धेबाज़ी से निराश हो जाते हैं। अपने अनेक पड़ोसियों के बीच प्रत्यक्ष कपट से स्तब्ध होकर, कुछ लोग निश्चित नहीं हैं कि किस बात की प्रतीति करें। लेकिन, प्राचीन इस्राएल के राजा दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को आश्वस्त किया: “यदि तू [परमेश्वर] की खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा।”—१ इतिहास २८:९.
तो फिर, परमेश्वर अपने आपको कैसे प्रकट करता है? क्या आपको एक चिन्ह की अपेक्षा करनी चाहिए—कोई अलौकिक अनुभव जो आपको यह साबित करे कि परमेश्वर अस्तित्व में है? टाइम (अंग्रेज़ी) पत्रिका में रिपोर्ट किए गए हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, दो-तिहाई से अधिक अमरीकी लोग चमत्कारों की प्रतीति करते हैं। लेख ने यह भी कहा कि “अमरीका में सबसे तेज़ी से बढ़नेवाले गिरजे हैं कैरिस्मैटिक और पॆंटीकॉस्टल कलीसियाएँ जिनकी उपासना में ‘चिन्हों और चमत्कारों’ का मुख्य स्थान है।”
क्या परमेश्वर की प्रतीति करने के लिए वास्तव में “चिन्हों और चमत्कारों” की आवश्यकता होनी चाहिए? उसने अतीत में चमत्कारों का प्रयोग किया है। उदाहरण के लिए: तारसी शाऊल को, जो परमेश्वर के पुत्र, यीशु मसीह के अनुयायियों को सता रहा था, यरूशलेम से दमिश्क जानेवाली सड़क पर एक अलौकिक अनुभव हुआ। पुनरुत्थित यीशु के साथ इस चमत्कारी भेंट के कारण शाऊल ने धर्म-परिवर्तन किया। (प्रेरितों ९:१-२२) इस प्रकार वह व्यक्ति जो पहले एक उत्पीड़क था प्रेरित पौलुस बन गया—मसीहियत के अग्रवर्ती समर्थकों में से एक!
लेकिन क्या चमत्कारों से हमेशा ऐसी अनुकूल प्रतिक्रिया मिलती है? क्या परमेश्वर में सच्चा विश्वास व्यक्ति को कोई चमत्कारी अनुभव होने पर निर्भर करता है?
[पेज 3 पर तसवीर]
परमेश्वर के पुत्र ने चमत्कारी रूप से तारसी शाऊल से बात की। क्या आपको चमत्कार की अपेक्षा करनी चाहिए?