एहूद—एक विश्वासी और साहसी व्यक्ति
प्रतिज्ञात देश में इस्राएलियों द्वारा पहला क़दम रखे हुए कई साल बीत चुके थे। मूसा और उसका उत्तराधिकारी, यहोशू, बहुत पहले मर चुके थे। ऐसे विश्वासी व्यक्तियों की ग़ैर मौजूदगी में, सच्ची उपासना की क़दर घट गई। यहाँ तक कि इस्राएलियों ने बाल देवताओं और लाठोंa की सेवा करना शुरू कर दिया था। इसके फलस्वरूप, यहोवा ने अपने लोगों को आठ साल के लिए अरामियों के हाथ में दे दिया। तब इस्राएलियों ने मदद के लिए परमेश्वर को पुकारा। तरस खाकर, उसने सुना। अपने लोगों को छुड़ाने के लिए, यहोवा ने एक न्यायी, ओत्नीएल को खड़ा किया।—न्यायियों ३:७-११.
इन घटनाओं से इस्राएलियों को एक बुनियादी सच्चाई सीखनी चाहिए थी—यहोवा के प्रति आज्ञाकारिता आशीषें लाती है, जबकि अवज्ञाकारिता का नतीजा होता है श्राप। (व्यवस्थाविवरण ११:२६-२८) लेकिन, इस्राएल के लोगों ने यह सबक़ नहीं सीखा। ४०-साल की शांति की अवधि के बाद, उन्होंने सच्ची उपासना फिर छोड़ दी।—न्यायियों ३:१२.
मोआब के हाथों पड़े
इस बार यहोवा ने अपने लोगों को मोआब के राजा एग्लोन के हाथों पड़ने दिया। बाइबल उसे एक “बड़ा मोटा पुरुष” बताती है। अम्मोन और अमालेक की मदद से, एग्लोन ने इस्राएल पर हमला किया और “खजूरवाले नगर”, यरीहो में अपना महल खड़ा किया। कैसी विडंबना कि इस्राएल द्वारा जीते गए पहले कनानी नगर में अब उस व्यक्ति का मुख्यालय था जो झूठे देवता कमोशb की उपासना करता था!—न्यायियों ३:१२, १३, १७.
एग्लोन ने अगले १८ सालों तक इस्राएलियों का दमन किया, और प्रत्यक्षतः एक भारी कर की माँग की। मियादी भेंट की माँग करके, मोआब ने इस्राएल की संपदाओं को चूस कर ख़ुद की आर्थिक स्थिति मज़बूत की। ज़ाहिर है, परमेश्वर के लोगों ने राहत के लिए दुहाई दी, और एक बार फिर यहोवा ने सुना। उसने उनके लिए एक और छुड़ानेवाला—इस बार एहूद नामक एक बिन्यामीनी को खड़ा किया। इस्राएल पर एग्लोन की तानाशाही का अंत करने के लिए, एहूद ने अगली भेंट देने के दिन कार्यवाही करने की योजना बनाई।—न्यायियों ३:१४, १५.
अपने साहसी पैंतरे की तैयारी करने के लिए, एहूद ने एक हाथ लम्बी एक दोधारी तलवार बनाई। यदि यह एक छोटा माप था, तो हथियार लगभग ३८ सेंटीमीटर लम्बा था। कुछ लोग शायद इसे एक ख़ंजर समझेंगे। स्पष्टतः फाल और मूठ के बीच में कोई आड़ा टुकड़ा नहीं था। इसलिए, एहूद अपनी छोटी तलवार को अपने वस्त्र की परतों में छिपा सका। इसके अलावा, चूँकि एहूद खब्बू था, वह अपनी तलवार अपनी दाँयीं ओर—जो कि एक हथियार के लिए सामान्य स्थान नहीं है—बाँध सका।—न्यायियों ३:१५, १६.
एहूद की योजना ख़तरों से ख़ाली नहीं थी। उदाहरण के लिए, यदि राजा के परिचारक हथियारों के लिए एहूद की तलाशी लेते, तो क्या होता? यदि न भी लेते, तो अवश्य ही वे अपने राजा को एक इस्राएली के साथ अकेला नहीं छोड़ते! लेकिन यदि वे ऐसा करते और एग्लोन को मारा भी जाता, तो एहूद कैसे बच निकलता? इससे पहले कि एग्लोन के परिचारक जानते कि क्या हुआ, वह कितनी दूर तक भाग सकता था?
बेशक एहूद ने ऐसी बारीकियों पर मनन किया, और शायद अनेक विनाशपूर्ण परिणामों की कल्पना की। फिर भी, साहस का प्रदर्शन करते हुए और यहोवा में विश्वास व्यक्त करते हुए, वह अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा।
एहूद एग्लोन से मिलता है
अगली भेंट प्रस्तुत करने का दिन आ गया। एहूद और उसके आदमियों ने राजा के महल में प्रवेश किया। कुछ ही देर में, वे स्वयं राजा एग्लोन के सामने खड़े थे। लेकिन एहूद के लिए अभी हमला करने का समय नहीं हुआ था। भेंट प्रस्तुत करने के बाद, एहूद ने भेंट लानेवालों को विदा किया।—न्यायियों. ३:१७, १८.
एग्लोन को मार गिराने में एहूद ने विलम्ब क्यों किया? क्या वह डर गया? बिलकुल नहीं! अपनी योजना पूरी करने के लिए एहूद को राजा के साथ एक साक्षात्कार की आवश्यकता थी—एक ऐसी बात जो इस पहली मुलाक़ात में उसे मिली नहीं थी। इसके अलावा, एहूद को फुर्ती से भाग निकलने की ज़रूरत होती। भेंट लानेवालों के पूरे समूह के बजाय एक आदमी के लिए भाग निकलना कहीं ज़्यादा आसान होता। इसलिए, एहूद ने सही मौक़े का इंतज़ार किया। एग्लोन के साथ संक्षिप्त मुलाक़ात ने उसे महल के ख़ाक़े से परिचित होने और राजा की सुरक्षा-व्यवस्था से अवगत होने में समर्थ किया।
“गिलगाल के निकट की खुदी हुई मूरतों” तक पहुँचने के बाद, एहूद अपने आदमियों को छोड़ फिर से एग्लोन के महल की ओर चल दिया। लगभग दो किलोमीटर पैदल चलने से एहूद को अपने मिशन के बारे में सोचने और यहोवा की आशीष के लिए प्रार्थना करने का कुछ समय मिला।—न्यायियों ३:१९.
एहूद लौटता है
महल में लौटने पर एहूद का स्पष्टतया स्वागत किया गया। शायद जो उदार भेंट उसने पहले प्रस्तुत की थी उससे एग्लोन का मिज़ाज नर्म हो गया था। हो सकता है पहली मुलाक़ात संक्षिप्त थी, लेकिन उसने एहूद को राजा के साथ घनिष्ठता स्थापित करने का पर्याप्त अवसर दिया। जो भी हो, एहूद फिर से एग्लोन के सामने था।
“हे राजा, मुझे तुझ से एक भेद की बात कहनी है,” एहूद बोला। यह तथ्य कि वह यहाँ तक पहुँच चुका था, इस बात का संकेत था कि यहोवा उसे मार्गदर्शित कर रहा था। लेकिन, एक समस्या थी। वह “भेद की बात” जो एहूद के पास थी, वह राजा के परिचारकों की उपस्थिति में नहीं कही जा सकती थी। यदि यहोवा को हस्तक्षेप करना था, तो एहूद को उस मदद की तुरन्त आवश्यकता थी। “बाहर जाओ,” राजा ने आज्ञा दी। चूँकि एग्लोन नहीं चाहता था कि यह “भेद की बात” दूसरे सुने, उसने अपने परिचारकों को बाहर भेज दिया। एहूद के राहत की कल्पना कीजिए!—न्यायियों ३:१९.
एग्लोन अपनी एक हवादार अटारी में बैठा था जब एहूद उसके पास आया और बोला: “मेरे पास परमेश्वर की ओर से तेरे लिए एक सन्देश है।” (NHT) “परमेश्वर” का उल्लेख करके, क्या एहूद कमोश की ओर संकेत कर रहा था? एग्लोन ने शायद ऐसा सोचा हो। जिज्ञासा में, वह अपने सिंहासन से उठ गया और उत्सुकता से खड़ा रहा। एहूद पास आया, संभवतः ध्यानपूर्वक चलते हुए ताकि राजा के मन में आक्रमण का संदेह उत्पन्न न हो। फिर, एक झटके से, “एहूद ने अपना बायां हाथ बढ़ाकर अपनी दाहिनी जांघ पर से तलवार खींच ली और उसे उसके पेट में भोंक दिया। और फाल के साथ मूठ भी अंदर घुस गई और फाल में चरबी लिपट गई, क्योंकि उसने तलवार को उसके पेट में से नहीं निकाला था। फिर मल भी बाहर निकल पड़ा।”—न्यायियों ३:२०-२२ NHT.
पास ही प्रतीक्षा करते, राजा के परिचारकों ने कोई हलचल नहीं की। लेकिन एहूद अब भी ख़तरे में था। किसी भी समय एग्लोन के सेवक घुस पड़ते और उनके मरे पड़े राजा की लाश देखते। एहूद को जल्दी से निकलने की ज़रूरत थी! किवाड़ पर ताला लगा कर, वह अटारी के रोशनदान से बाहर निकल गया।—न्यायियों ३:२३, २४क.
भेद खुलना और पराजय
शीघ्र ही एग्लोन के सेवक जिज्ञासु हो उठे। लेकिन, उन्होंने राजा की निजी बैठक में बाधा डालकर उसके कोप का भाजन बनने की जुर्रत नहीं की। फिर उन्होंने देखा कि अटारी के किवाड़ों में ताला लगा था। “निश्चय वह हवादार कोठरी में लघुशंका करता होगा,” उन्होंने तर्क किया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मात्र जिज्ञासा का स्थान चिन्ता की एक लहर ने ले लिया। एग्लोन के परिचारक अब और इंतज़ार नहीं कर सके। “तब . . . उन्हों ने कुंजी लेकर किवाड़ खोले तो क्या देखा, कि उनका स्वामी भूमि पर मरा पड़ा है।”—न्यायियों ३:२४ख, २५.
इस बीच, एहूद भाग चुका था। वह गिलगाल में खुदी हुई मूरतों से गुज़रा और आख़िर में सेइरे पहुँचा, जो कि एप्रैम के पहाड़ी इलाक़े में एक स्थान है। एहूद ने इस्राएलियों को इकट्ठा किया और उन्हें लेकर मोआबियों पर एक संगठित आक्रमण किया। विवरण बताता है कि “उस समय उन्हों ने कोई दस हज़ार मोआबियों को मार डाला; वे सब के सब हृष्ट पुष्ट और शूरवीर थे, परन्तु उन में से एक भी न बचा।” मोआब की पराजय के पश्चात्, इस्राएल के देश में ८० सालों तक शांति बनी रही।—न्यायियों ३:२६-३०.
एहूद के उदाहरण से सीखना
परमेश्वर में विश्वास ने एहूद को प्रेरित किया। इब्रानियों का ११वाँ अध्याय विशेष रूप से उसका उल्लेख ऐसे लोगों के तौर पर नहीं करता जिन्होंने “विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते . . . लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।” (इब्रानियों ११:३३, ३४) फिर भी, जब उसने विश्वास से कार्य किया तब यहोवा ने एहूद की सहायता की और इस्राएल को राजा एग्लोन के निरंकुश शासन से छुड़ाया।
एहूद के गुणों में से एक था साहस। एक सचमुच की तलवार को प्रभावकारी रूप से इस्तेमाल करने के लिए उसे साहसी होने की ज़रूरत थी। परमेश्वर के वर्तमान-दिन के सेवकों के तौर पर, हम वैसी तलवार नहीं उठाते हैं। (यशायाह २:४; मत्ती २६:५२) लेकिन, हम “आत्मा की तलवार,” परमेश्वर के वचन का इस्तेमाल ज़रूर करते हैं। (इफिसियों ६:१७) एहूद अपने हथियार के इस्तेमाल में निपुण था। हमें भी परमेश्वर के वचन का इस्तेमाल करने में निपुण होने की ज़रूरत है जब हम राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते हैं। (मत्ती २४:१४) बाइबल का व्यक्तिगत अध्ययन, मसीही सभाओं में नियमित उपस्थिति, सेवकाई में उत्साहपूर्वक भाग लेना, और हमारे स्वर्गीय पिता पर प्रार्थनापूर्वक भरोसा रखना हमें एहूद द्वारा प्रदर्शित गुणों का अनुकरण करने में सहायता करेगा। वह सचमुच एक विश्वासी और साहसी व्यक्ति था।
[फुटनोट]
a लाठें संभवतः लैंगिक चिन्ह थीं। उनका सम्बन्ध घोर अनैतिक लैंगिक विलास-उत्सवों से था।—१ राजा १४:२२-२४.
b कमोश मोआबियों का प्रधान देवता था। (गिनती २१:२९; यिर्मयाह ४८:४६) कम से कम कुछ मौक़ों पर, इस घृणास्पद झूठे ईश्वर के लिए संभवतः बच्चों की बलि चढ़ाई जाती थी।—२ राजा ३:२६, २७.
[पेज 31 पर तसवीर]
एहूद और उसके आदमियों ने राजा एग्लोन को भेंट प्रस्तुत की
[चित्र का श्रेय]
Illustrirte Pracht - Bibel/Heilige Schrift des Alten und Neuen Testaments, nach der deutschen Uebersetzung D. Martin Luther’s से लिया गया।