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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
w97 4/15 पेज 27

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल में छपे प्रहरीदुर्ग के अंकों पर ध्यानपूर्वक विचार किया है? यदि हाँ, तो निम्नलिखित विषयों को याद करना आप रुचिकर पाएँगे:

◻ कैसे आज कई विवाहित जोड़ों ने अक्विला और प्रिस्किल्ला द्वारा रखे गए बेहतरीन उदाहरण का अनुकरण किया है?

अक्विला और प्रिस्किल्ला ने अनेकों अलग-अलग कलीसियाओं में सेवा की। उनकी तरह, अनेक उत्साही आधुनिक-दिन मसीहियों ने ऐसी जगह स्थानांतरित होने के लिए खुद को उपलब्ध किया है जहाँ ज़रूरत ज़्यादा है। वे राज्य हितों को बढ़ता हुआ देखने से और मूल्यवान मसीही मित्रताएँ विकसित करने में समर्थ होने से मिलनेवाली ख़ुशी और संतुष्टि का अनुभव भी करते हैं।—१२/१५, पृष्ठ २४.

◻ मद्य पेयों के बारे में बाइबलीय दृष्टिकोण क्या है?

मद्य पेयों के बारे में बाइबलीय दृष्टिकोण संतुलित है। एक तरफ़, बाइबल कहती है कि दाखमधु परमेश्‍वर की ओर से एक भेंट है। (भजन १०४:१, १५) दूसरी तरफ़, अतिसेवन की निन्दा करती है। (लूका २१:३४; १ तीमुथियुस ३:८; तीतुस २:३; १ पतरस ४:३)—१२/१५, पृष्ठ २७.

◻ बाइबल की हाग्गै नामक पुस्तक की महत्त्वपूर्ण विशेषता क्या है?

हाग्गै की पुस्तक में, जो केवल ३८ आयतों से बनी है, परमेश्‍वर का नाम ३५ बार इस्तेमाल किया गया है। लगता है कि ऐसी भविष्यवाणी में कोई जान ही नहीं है जब नाम यहोवा की जगह उपाधि “प्रभु” को रखा जाता है।—१/१, पृष्ठ ६.

◻ दाऊद और मनश्‍शे के पापों से हम क्या सबक़ सीख सकते हैं?

यहोवा द्वारा दाऊद और मनश्‍शे को क्षमा करने के बावजूद भी, इन पुरुषों को—और उनके साथ इस्राएल को—उनके पापमय कार्यों के परिणामों के साथ जीना था। (२ शमूएल १२:११, १२; यिर्मयाह १५:३-५) इसी प्रकार, जबकि आज यहोवा पश्‍चातापी पापियों को क्षमा कर देता है, फिर भी उनके कार्यों के ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता।—१/१ पृष्ठ २७.

◻ किस प्रकार परमेश्‍वर के राज्य का ‘सुसमाचार सुनानेवालों के पाँव’ “सुहावने” हैं? (यशायाह ५२:७)

ये पाँव हैं जो व्यक्‍ति को सामान्य रूप से चलाते हैं जब वह दूसरों को प्रचार करने के लिए जाता है। ऐसे पाँव सचमुच व्यक्‍ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए उन अनेक लोगों के लिए जिन्होंने सुसमाचार सुना और अनुकूल प्रतिक्रिया दिखायी, ये संदेशवाहकों के पाँव वाक़ई एक सुंदर नज़ारा हैं।—१/१५, पृष्ठ १३.

◻ “सुसमाचार की घोषणा” करने में कौन-सा दोहरा कार्य सम्मिलित है? (१ कुरिन्थियों ९:१६)

पहले, हमें परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना है। इस कार्य के दूसरे पहलू में सम्मिलित है उनको सिखाना जो राज्य उद्‌घोषणा के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाते हैं।—१/१५, पृष्ठ २३.

◻ कलीसिया सभाओं में राज्य गीत गाने से कौन-से व्यक्‍तिगत लाभ मिलते हैं?

गायन हमें अपने सृष्टिकर्ता को अपनी भावनाएँ बताने का अवसर देता है। (भजन १४९:१, ३) जब हम कलीसिया गायन में हृदय से भाग लेते हैं, यह हमें होनेवाले कार्यक्रम के लिए सही मानसिक और हार्दिक स्थिति में ला सकता है। यह हमें यहोवा की उपासना में और अधिक भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।—२/१, पृष्ठ २८.

◻ जन्म के दिन से मृत्यु का दिन कब उत्तम होता है? (सभोपदेशक ७:१)

मृत्यु का दिन एक व्यक्‍ति के जन्म के दिन से उत्तम हो सकता है, यदि उस समय तक एक व्यक्‍ति ने यहोवा के सामने अच्छा नाम क़ायम कर लिया हो, जो उन वफ़ादार जनों को पुनरुत्थित कर सकता है जो मर चुके हैं। (यूहन्‍ना ११:२५)—२/१५, पृष्ठ १२.

◻ सभोपदेशक की पुस्तक को व्यक्‍तिगत रूप से हमारी मदद क्यों करनी चाहिए?

यह जीवन के बारे में हमारे दृष्टिकोण और हमारे केन्द्रबिन्दु को सुधारने में हममें से हरेक की मदद कर सकती है। (सभोपदेशक ७:२; २ तीमुथियुस ३:१६, १७)—२/१५, पृष्ठ १६.

◻ क्या यहोवा के साक्षी मूलतत्त्ववादी हैं?

जी नहीं। जबकि उनके धार्मिक विश्‍वास मज़बूत होते हैं, लेकिन जिस अर्थ से यह पद इस्तेमाल होने लगा है उस अर्थ में वे मूलतत्त्ववादी नहीं हैं। जिनसे वे सहमत नहीं होते हैं उनके विरुद्ध प्रदर्शनों तथा हिंसा का सहारा नहीं लेते। वे अपने अगुवे, यीशु मसीह का अनुकरण करते हैं।—३/१, पृष्ठ ६.

◻ परमेश्‍वर का पलटा लेने के लिए यीशु के आने का ठीक समय न जानने से मसीहियों पर कौन-सा प्रभाव पड़ता है?

यह मसीहियों को सचेत रहने में मदद देता है और रोज़ उन्हें यह साबित करने के लिए अवसर देता है कि वे निःस्वार्थ अभिप्रायों से यहोवा की सेवा करते हैं।—३/१, पृष्ठ १३.

◻ हमें धोखा देनेवाले किसी भाई के खिलाफ़ कानूनी कार्यवाही करने से पहले हमें क्या सोचना चाहिए?

व्यक्‍तिगत रूप से हम पर, इसमें शामिल दूसरे व्यक्‍तियों पर, कलीसिया पर, और बाहरवालों पर उसके संभावित प्रभावों के बारे में हमें सोचना चाहिए। (१ कुरिन्थियों ६:७)—३/१५, पृष्ठ २२.

◻ सच्ची ख़ुशी कैसे पायी जा सकती है?

सच्ची ख़ुशी हृदय की एक स्थिति है, जो कि यहोवा में सच्चे विश्‍वास और उसके साथ एक अच्छे सम्बन्ध पर आधारित है। (मत्ती ५:३)—३/१५, पृष्ठ २३.

◻ जूरी कार्य के लिए बुलाए जाने पर एक मसीही को क्या करना चाहिए?

हरेक मसीही को जो जूरी कार्य का सामना करता है, बाइबल की अपनी समझ और अपने अंतःकरण पर आधारित निर्णय लेना है कि वह कौन-सा मार्ग अपनाएगा। (गलतियों ६:५)—४/१, पृष्ठ २९.

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