एक भेद जिसे मसीही छिपाकर रखने की हिम्मत न करें!
“मैं ने जगत से खोलकर बातें कीं; . . . गुप्त में कुछ भी नहीं कहा।”—यूहन्ना १८:२०.
१, २. जैसे शास्त्र में इस्तेमाल किया गया है, यूनानी शब्द मिस्टिरिऑन का अर्थ क्या है?
यूनानी शब्द मिस्टिरिऑन को पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) में २५ बार “पवित्र भेद” और ३ बार “रहस्य” अनुवादित किया गया है। एक ऐसे भेद को जिसे पवित्र कहा गया, वाक़ई महत्त्वपूर्ण होना चाहिए! ऐसे भेद का ज्ञान प्राप्त करनेवाले किसी भी विशेषाधिकृत व्यक्ति को बहुत ही सम्मानित महसूस करना चाहिए, क्योंकि उसे विश्व के सर्वोच्च परमेश्वर के साथ एक भेद का भागी होने के लायक़ समझा गया है।
२ वाईन की एक्सपॉज़िटोरी डिक्शनरी ऑफ़ ओल्ड एण्ड न्यू टॆस्टमॆंट वड्र्स पुष्टि करती है कि अधिकांश मामलों में “रहस्य” के बजाय “पवित्र भेद” अधिक उपयुक्त अनुवाद है। यह मिस्टिरिऑन के बारे में इस प्रकार कहती है: “[मसीही यूनानी शास्त्र] में, यह (अं[ग्रेज़ी] शब्द के) रहस्यपूर्ण को सूचित नहीं करता, बल्कि उसे सूचित करता है जो बे-मदद स्वाभाविक समझ के दायरे के परे है, जिसे केवल ईश्वरीय प्रकटन से ज़ाहिर किया जा सकता है, और परमेश्वर द्वारा नियुक्त तरीक़े से और समय पर ही ज़ाहिर किया जाता है, केवल उन लोगों को [ज़ाहिर] किया जाता है जो उसकी पवित्र आत्मा द्वारा प्रबुद्ध हैं। सामान्य अर्थ में रहस्य रोककर रखी गयी जानकारी को सूचित करता है; बाइबल में इस्तेमाल किए जाने पर यह प्रकट किए गए सत्य को सूचित करता है। अतः इस विषय से ख़ासकर जुड़े हुए शब्द हैं ‘ज़ाहिर किया हुआ,’ ‘प्रदर्शित,’ ‘प्रकट किया हुआ,’ ‘प्रचार किया हुआ,’ ‘समझना,’ ‘दे देना।’”
३. पहली शताब्दी की मसीही कलीसिया कुछ रहस्यपूर्ण धार्मिक समूहों से कैसे भिन्न थी?
३ यह व्याख्या रहस्यपूर्ण धार्मिक समूहों के बीच जो पहली शताब्दी में फले-फूले और नव-स्थापित मसीही कलीसिया के बीच एक प्रमुख भिन्नता को विशिष्ट करती है। जबकि गुप्त पंथों में दीक्षा दिए गए लोग धार्मिक शिक्षाओं की सुरक्षा करने के लिए अकसर अपनी ज़ुबान बंद रखने के लिए बाध्य थे, मसीहियों को कभी भी इस प्रकार की बंदिश में नहीं डाला गया। यह सच है कि प्रेरित पौलुस ने ‘परमेश्वर की बुद्धि के पवित्र भेद’ की बात की जिसे उसने एक “गुप्त बुद्धि” कहा, जो “इस रीति-व्यवस्था के शासकों” से छिपी हुई है। परंतु मसीहियों से यह छिपी हुई नहीं है जिन्हें इसे परमेश्वर की आत्मा द्वारा प्रकट किया गया था ताकि वे इसे जग-ज़ाहिर करें।—१ कुरिन्थियों २:७-१२, NW. नीतिवचन १:२० से तुलना कीजिए।
“पवित्र भेद” की पहचान कराई गयी
४. “पवित्र भेद” किस पर केंद्रित है, और कैसे?
४ यहोवा का “पवित्र भेद” यीशु मसीह पर केंद्रित है। पौलुस ने लिखा: “[यहोवा] ने अपनी इच्छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उस ने अपने आप में ठान लिया था। कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।” (इफिसियों १:९, १०) पौलुस उस “पवित्र भेद” के रूप के बारे में और भी सुस्पष्ट था जब उसने ‘परमेश्वर पिता के [“पवित्र,” NW] भेद को अर्थात् मसीह को पहचान’ लेने की ज़रूरत की ओर इशारा किया।—कुलुस्सियों २:२.
५. “पवित्र भेद” में क्या शामिल है?
५ लेकिन, इसमें और भी ज़्यादा शामिल है, क्योंकि यह “पवित्र भेद” कई पहलुओंवाला भेद है। यह यीशु की प्रतिज्ञात वंश या मसीहा के रूप में केवल पहचान कराना नहीं है; इसमें परमेश्वर के उद्देश्य में उसे नियुक्त की गयी वह भूमिका भी शामिल है जिसे उसको अदा करनी है। इसमें स्वर्गीय सरकार, परमेश्वर का मसीहाई राज्य शामिल है, ठीक जैसे यीशु ने समझाया जब उसने अपने शिष्यों से कहा: “तुम को स्वर्ग के राज्य के [“पवित्र,” NW] भेदों की समझ दी गई है, पर उन को नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे।)—मत्ती १३:११.
६. (क) यह कहना क्यों सही है कि ‘पवित्र भेद सनातन से छिपा रहा’? (ख) इसे क्रमिक रूप से कैसे प्रकट किया गया?
६ मसीहाई राज्य के लिए एक आधार देने के परमेश्वर के उद्देश्य के पहले उल्लेख और उस ‘[“पवित्र,” NW] रहस्य को पूरा’ करने के बीच काफ़ी समय गुज़रना था। (प्रकाशितवाक्य १०:७, NHT; उत्पत्ति ३:१५) इसका पूरा किया जाना राज्य की स्थापना के साथ होगा, ठीक जैसे प्रकाशितवाक्य १०:७ और ११:१५ की तुलना साबित करती है। दरअसल, अदन में पहली राज्य प्रतिज्ञा दिए जाने के बाद से सा.यु. २९ में मनोनीत-राजा के प्रकट होने तक कुछ ४,००० साल बीत गए। स्वर्ग में १९१४ में राज्य स्थापित किए जाने से पहले और भी १,८८५ साल बीत गए। अतः उस “पवित्र भेद” को लगभग ६,००० सालों की अवधि के दौरान क्रमिक रूप से प्रकट किया गया। (पृष्ठ १६ देखिए।) पौलुस उस “[“पवित्र,” NW] भेद के प्रकाश के,” बारे में बात करने में वाक़ई सही था ‘जो सनातन से छिपा रहा। परन्तु अब प्रगट हुआ है और जिसे बताया गया है।’—रोमियों १६:२५-२७; इफिसियों ३:४-११.
७. हम विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग पर संपूर्ण भरोसा क्यों रख सकते हैं?
७ मनुष्यों के विपरीत, जिनका जीवन सीमित है, अपने भेदों को समय से पहले ही प्रकट करने के लिए यहोवा कभी भी समय के कारण दबाव महसूस नहीं करता। इस तथ्य के द्वारा हमें अधीर होने से दूर रहना चाहिए जब कुछ बाइबल सवालों को हमारी संतुष्टि के अनुसार अभी समझाया नहीं जा सकता। विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग की तरफ़ से विनीतता, जिसे मसीही घराने को सही समय पर भोजन देने की नियुक्ति मिली है, गुस्ताख़ी से आगे भागने और बिना सोचे-समझे उन बातों के बारे में अटकलें लगाने से दूर रखती है जो अब भी अस्पष्ट हैं। दास वर्ग हठधर्मी होने से बचने का प्रयास करता है। वह नम्रतापूर्वक इस बात को स्वीकार करता है कि अब भी वह हरेक सवाल का जवाब नहीं दे सकता, नीतिवचन ४:१८ को स्पष्ट रूप से मन में रखते हुए। लेकिन यह जानना कितना रोमांचक है कि यहोवा, अपने ही समय में और अपने ही तरीक़े से अपने उद्देश्यों के बारे में अपने भेदों को प्रकट करना जारी रखेगा! हमें कभी भी यहोवा की व्यवस्था को लेकर अधीर नहीं होना चाहिए, और असावधानी से भेदों के प्रकटकर्ता के आगे भागने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह जानना कितना आश्वासन देता है कि यहोवा जिस माध्यम का आज इस्तेमाल कर रहा है वह ऐसा नहीं करता! वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान, दोनों है।—मत्ती २४:४५; १ कुरिन्थियों ४:६.
प्रकट किए गए भेद को बताया जाना चाहिए!
८. हम कैसे जानते हैं कि “पवित्र भेद” को प्रकट किया जाना है?
८ यहोवा ने अपने “पवित्र भेद” को मसीहियों को इसलिए नहीं प्रकट किया है कि वे उसे छिपाकर रखें। इसे बताया जाना चाहिए, जो उस सिद्धांत के सामंजस्य में है जिसे यीशु ने अपने सभी अनुयायियों के लिए दिया—केवल कुछ पादरियों के लिए नहीं: “तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें।”—मत्ती ५:१४-१६; २८:१९, २०.
९. कौन-सी बात साबित करती है कि यीशु कोई क्रांतिकारी नहीं था, जैसे कुछ लोग दावा करते हैं?
९ गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अनुयायियों का एक खुफ़िया संगठन बनाने की यीशु की कोई क्रांतिकारी इच्छा नहीं थी। पुस्तक प्रारंभिक मसीहियत और समाज में रॉबर्ट एम. ग्रैंट ने दूसरी-शताब्दी समर्थक जस्टिन मार्टर द्वारा प्रारंभिक मसीहियों के संबंध में की गयी दलील के सिलसिले में लिखा: “अगर मसीही क्रांतिकारी होते तो वे अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए छिपे रहते।” लेकिन मसीही कैसे “छिपे रहते” और साथ ही ‘पहाड़ पर बसे हुए नगर’ के समान हो सकते थे? उन्होंने अपनी ज्योति को पैमाने के नीचे छिपाने की हिम्मत नहीं की! इसीलिए, उस सरकार को उनकी गतिविधि से कोई डर नहीं था। इस लेखक ने उनका वर्णन किया कि वे “शांति और सुव्यवस्था के उद्देश्य में सम्राट के सर्वोत्तम मित्र हैं।”
१०. मसीहियों को अपनी पहचान गुप्त क्यों नहीं बनाए रखनी चाहिए?
१० यीशु नहीं चाहता था कि उसके शिष्य किसी तथा-कथित धार्मिक पंथ के सदस्यों के रूप में अपनी पहचान को गुप्त रखें। (प्रेरितों २४:१४; २८:२२) आज हमारी ज्योति को चमकने देने से चूकना मसीह और उसके पिता, जो भेदों का प्रकटकर्ता है, दोनों को अप्रसन्न करेगा, और यह हमें भी ख़ुशी नहीं देगा।
११, १२. (क) यहोवा कि इच्छा क्यों है कि मसीहियत को ज़ाहिर किया जाए? (ख) यीशु ने उचित उदाहरण कैसे रखा?
११ यहोवा “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (२ पतरस ३:९; यहेजकेल १८:२३; ३३:११; प्रेरितों १७:३०) पश्चातापी मनुष्यों के लिए पापों की क्षमा का आधार यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्वास है, जिसने—केवल कुछ लोगों के लिए नहीं—बल्कि सभी के लिए अपने-आपको एक छुड़ौती के रूप में दिया ताकि “जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना ३:१६) यह महत्त्वपूर्ण है कि लोगों को आवश्यक क़दम उठाने के लिए मदद दी जाए जो उन्हें आनेवाले न्यायदंड में बकरियों के रूप में नहीं, परंतु भेड़ के रूप में न्याय दिए जाने के योग्य ठहराएँगे।—मत्ती २५:३१-४६.
१२ सच्ची मसीहियत को छिपाकर नहीं रखा जाना है; इसे हर संभव उपयुक्त तरीक़े से ज़ाहिर किया जाना है। ख़ुद यीशु ने उचित उदाहरण रखा। अपने शिष्यों और अपनी शिक्षा के बारे में महायाजक द्वारा सवाल किए जाने पर उसने कहा: “मैं ने जगत से खोलकर बातें कीं; मैं ने सभाओं और आराधनालय में जहां सब यहूदी इकट्ठे हुआ करते हैं सदा उपदेश किया और गुप्त में कुछ भी नहीं कहा।” (यूहन्ना १८:१९, २०) इस पूर्वोदाहरण को ध्यान में रखते हुए, परमेश्वर का भय माननेवाला कौन-सा व्यक्ति उस बात को गुप्त रखने की कल्पना करेगा जिसे परमेश्वर ने घोषणा की है कि उसे जग-ज़ाहिर किया जाना है? कौन उस “ज्ञान की कुंजी” को छिपाने की हिम्मत करेगा जो अनंत जीवन की ओर ले जाती है? ऐसा करना उसे पहली शताब्दी के उन धार्मिक पाखंडियों की तरह बनाएगा।—लूका ११:५२; यूहन्ना १७:३.
१३. हमें हरेक अवसर पर क्यों प्रचार करना चाहिए?
१३ ऐसा हो कि कोई भी कभी यह न बोलने पाए कि यहोवा के साक्षियों के रूप में हमने परमेश्वर के राज्य संदेश को गुप्त रखा है! चाहे संदेश को स्वीकार किया जाता है या ठुकराया जाता है, लोगों को जानना होगा कि उसका प्रचार किया गया है। (यहेजकेल २:५; ३३:३३ से तुलना कीजिए।) सो आइए, हम सभी को सच्चाई के संदेश को बताने के लिए हर अवसर का लाभ उठाएँ, चाहे हम उन्हें कहीं भी मिलें।
शैतान के जबड़ों में आँकड़े डालना
१४. हमें अपनी उपासना में खुले होने के बारे में झिझक क्यों नहीं होनी चाहिए?
१४ अनेक जगहों में यहोवा के साक्षी प्रसार-माध्यमों के अधिकाधिक ध्यान का केंद्र बनते जा रहे हैं। प्रारंभिक मसीहियों के साथ जो हुआ ठीक उसी समान, उन्हें अकसर ग़लत रूप में प्रस्तुत किया जाता है और उसी दर्ज़े पर रखा जाता है जहाँ संदेहास्पद धार्मिक पंथों और खुफ़िया संगठनों को रखा जाता है। (प्रेरितों २८:२२) क्या प्रचार करने में हमारा खुलापन हम पर हमले का ख़तरा बढ़ा सकता है? निश्चय ही, अपने-आपको अनावश्यक ही विवाद के घेरे में ढकेलना बेवकूफ़ी होगी, और यीशु की सलाह के सामंजस्य में नहीं होगा। (नीतिवचन २६:१७; मत्ती १०:१६) लेकिन, राज्य प्रचार के और लोगों को अपने जीवन सुधारने में मदद करने के लाभदायक कार्य को छिपाया नहीं जाना है। यह यहोवा की महिमा करता है, उसे ऊँचा उठाता है, उसकी तथा उसके स्थापित राज्य की ओर ध्यान आकर्षित करता है। पूर्वी यूरोप और अफ्रिका के भागों में बाइबल सच्चाई के प्रति हाल की संतोषप्रद प्रतिक्रिया अंशतः उस बढ़े हुए खुलेपन की वज़ह से हुई है जिससे अब वहाँ सच्चाई का प्रचार किया जा सकता है।
१५, १६. (क) हमारे खुलेपन और आध्यात्मिक समृद्धि से कौन-से उद्देश्य पूरे किए जाते हैं, लेकिन क्या यह चिंता का कारण है? (ख) यहोवा शैतान के जबड़ों में आँकड़े क्यों डालता है?
१५ यह सच है कि जिस खुलेपन से यहोवा के साक्षी प्रचार करते हैं, जिस आध्यात्मिक परादीस का वे आनंद लेते हैं, और उनकी समृद्धि—दोनों, मानवी संसाधनों और भौतिक परिसंपत्ति में—अनदेखी नहीं रहती। जबकि ये बातें सत्हृदयी लोगों को आकर्षित करती हैं, ये शायद विरोधियों को दूर करें। (२ कुरिन्थियों २:१४-१७) दरअसल, यह आख़िरकार शैतान की शक्तियों को परमेश्वर के लोगों पर आक्रमण करने के लिए लुभा भी सकती है।
१६ क्या इसे चिंता का कारण होना चाहिए? यहेजकेल अध्याय ३८ में पायी जानेवाली यहोवा की भविष्यवाणी के अनुसार नहीं। यह पूर्वबताती है कि मागोग का गोग, जो कि १९१४ में राज्य स्थापना के बाद पृथ्वी के परिवेश में शैतान अर्थात् इब्लीस के पतन के बाद से उसकी व्याख्या है, परमेश्वर के लोगों पर एक आक्रमण में अगुवाई करेगा। (प्रकाशितवाक्य १२:७-९) यहोवा गोग से कहता है: “तू कहेगा कि मैं बिन शहरपनाह के गावों के देश पर चढ़ाई करूंगा; मैं उन लोगों के पास जाऊंगा जो चैन से निडर रहते हैं; जो सब के सब बिना शहरपनाह और बिना बेड़ों और पल्लों के बसे हुए हैं; ताकि छीनकर तू उन्हें लूटे और अपना हाथ उन खण्डहरों पर बढ़ाए जो फिर बसाए गए, और उन लोगों के विरुद्ध फेरे जो जातियों में से इकट्ठे हुए थे और पृथ्वी की नाभी पर बसे हुए ढोर और और सम्पत्ति रखते हैं।” (यहेजकेल ३८:११, १२) लेकिन, आयत ४ दिखाती है कि परमेश्वर के लोगों को इस आक्रमण से डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह यहोवा का कार्य है। लेकिन परमेश्वर किसी को अपने लोगों पर टूट पड़ने की अनुमति क्यों देगा—जी हाँ, यहाँ तक कि उसे क्यों उकसाएगा? आयत २३ में हम यहोवा का उत्तर पढ़ते हैं: “मैं अपने को महान और पवित्र ठहराऊंगा और बहुत सी जातियों के साम्हने अपने को प्रगट करूंगा। तब वे जान लेंगी कि मैं यहोवा हूं।”
१७. हमें गोग के सन्निकट आक्रमण को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
१७ इस प्रकार, गोग के आक्रमण के डर में जीने के बजाय, यहोवा के लोग उत्सुकता से बाइबल भविष्यवाणी की इस अतिरिक्त पूर्णता का इंतज़ार करते हैं। यह जानना कितना रोमांचक है कि अपने दृश्य संगठन को समृद्ध करने और उसे आशिष देने के द्वारा, यहोवा शैतान के जबड़ों में आँकड़े घुसाता है और उसे तथा उसकी सैन्य शक्ति को उनकी हार की ओर खींचकर ले जाता है!—यहेजकेल ३८:४.
पहले से कहीं ज़्यादा अभी!
१८. (क) अनेक लोगों को अब क्या एहसास हो रहा है, और क्यों? (ख) राज्य प्रचार के प्रति प्रतिक्रिया एक शक्तिशाली प्रेरणा का काम कैसे करती है?
१८ आधुनिक समयों में यहोवा के साक्षी अपने बाइबल-आधारित दृष्टिकोणों को व्यक्त करने में बहुत ही खुले रहे हैं, हालाँकि यह लोकप्रिय नहीं रहा है। दशकों से उन्होंने धूम्रपान करने और नशीली दवाइयों के दुरुपयोग के ख़तरों, अनुज्ञात्मक बाल प्रशिक्षण की दूर-दृष्टि की कमी, और अनुचित यौन संबंध और हिंसा प्रधान मनोरंजन के दुष्प्रभावों, और रक्ताधान के जोख़िमों के बारे में आगाह किया है। उन्होंने विकासवाद की असंगतियों को भी बताया है। अधिकाधिक लोग अब कह रहे हैं, “आख़िरकार यहोवा के साक्षी ग़लत नहीं हैं।” अगर हम अपने दृष्टिकोण को जग-ज़ाहिर करने में इतने खुले न होते, तो वे इस प्रकार प्रतिक्रिया नहीं दिखाते। और इस तथ्य को नज़रअंदाज़ मत कीजिए कि ऐसा कथन करने के द्वारा, वे यह कहने की ओर एक क़दम ले रहे हैं, “शैतान, तू झूठा है; आख़िरकार यहोवा ही सही है।” हमारे लिए सच्चाई के वचन को सार्वजनिक रूप से बताने के यीशु के उदाहरण का अनुकरण करना जारी रखने के लिए क्या ही शक्तिशाली प्रेरणा!—नीतिवचन २७:११.
१९, २०. (क) यहोवा के लोगों ने १९२२ में कौन-सा दृढ़-संकल्प व्यक्त किया, और क्या ये शब्द अब भी लागू होते हैं? (ख) हमें यहोवा के “पवित्र भेद” को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
१९ यहोवा के लोगों ने इस संबंध में अपनी बाध्यता को बहुत पहले से ही समझ लिया है। वर्ष १९२२ के एक उल्लेखनीय अधिवेशन में, वॉच टावर संस्था के उस समय के अध्यक्ष, जे. एफ़, रदरफ़र्ड ने यह कहने के द्वारा अपने श्रोताओं को रोमांचित कर दिया: “संयमी बनो, चौकस रहो, सक्रिय रहो, निडर रहो। प्रभु के लिए वफ़ादार और सच्चे साक्षी बनो। लड़ाई में आगे बढ़ो, जब तक कि बाबुल के हर अवशेष का नामो-निशान न मिट जाए। इस संदेश की घोषणा दूर-दूर तक करो। संसार को मालूम पड़ना चाहिए कि यहोवा ही परमेश्वर है और यीशु मसीह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। यह सबसे महान दिन है। देखो, राजा राज्य करता है! तुम उसके प्रचार अभिकर्ता हो। इसलिए, राजा और उसके राज्य की घोषणा करो, घोषणा करो, घोषणा करो।”
२० ये शब्द १९२२ में जितने महत्त्वपूर्ण थे, वही आज ७५ साल बाद कितने और भी महत्त्वपूर्ण हैं, जब मसीह का न्यायी और बदला लेनेवाले के रूप में प्रकट किया जाना और भी नज़दीक है! यहोवा के स्थापित राज्य और परमेश्वर के लोगों द्वारा अनुभव किए जा रहे आध्यात्मिक परादीस का संदेश इतना महान “पवित्र भेद” है कि हम उसे अपने पास नहीं रख सकते। जैसे ख़ुद यीशु ने इतने स्पष्ट रूप से कहा, यहोवा के सनातन उद्देश्य में यीशु के मुख्य स्थान के संबंध में पवित्र आत्मा की मदद से उसके अनुयायियों को “पृथ्वी की छोर तक” साक्षी होना चाहिए। (प्रेरितों १:८; इफिसियों ३:८-१२) दरअसल, यहोवा, अर्थात् भेदों के प्रकट करनेवाले परमेश्वर के सेवकों के रूप में, हम कभी भी इस भेद को अपने आप तक रखने की हिम्मत न करें!
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ “पवित्र भेद” क्या है?
◻ हम कैसे जानते हैं कि इसका प्रचार किया जाना चाहिए?
◻ किस कारण गोग यहोवा के लोगों पर आक्रमण करता है, और हमें इस बात को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
◻ हम में से प्रत्येक व्यक्ति को क्या करने के लिए दृढ़-संकल्प होना चाहिए?
[पेज 16 पर बक्स]
एक “पवित्र भेद” क्रमिक रूप से प्रकट किया गया
◻ सा.यु.पू. ४०२६ के बाद: परमेश्वर शैतान का नाश करने के लिए एक वंश को खड़ा करने की प्रतिज्ञा करता है।—उत्पत्ति ३:१५
◻ सा.यु.पू. १९४३: इब्राहीम की वाचा को वैध करार दिया है, और प्रतिज्ञा की जाती है कि वंश इब्राहीम के द्वारा आएगा।—उत्पत्ति १२:१-७
◻ सा.यु.पू. १९१८: वाचा के वारिस के रूप में इसहाक का जन्म।—उत्पत्ति १७:१९; २१:१-५
◻ क़रीब सा.यु.पू. १७६१: यहोवा पुष्टि करता है कि वंश इसहाक के पुत्र, याकूब से आएगा।—उत्पत्ति २८:१०-१५
◻ सा.यु.पू. १७११: याकूब सूचित करता है कि वंश उसके पुत्र यहूदा से आएगा।—उत्पत्ति ४९:१०
◻ सा.यु.पू. १०७०-१०३८: राजा दाऊद को पता चलता है कि वंश उसका वंशज होगा और राजा के रूप में सदा के लिए राज्य करेगा।—२ शमूएल ७:१३-१६; भजन ८९:३५, ३६
◻ सा.यु. २९-३३: वंश, मसीहा, भावी न्यायी, और मनोनीत-राजा के रूप में यीशु की पहचान की जाती है।—यूहन्ना १:१७; ४:२५, २६; प्रेरितों १०:४२, ४३; २ कुरिन्थियों १:२०; १ तीमुथियुस ३:१६
◻ यीशु प्रकट करता है कि उसके पास संगी शासक और न्यायी होंगे, स्वर्गीय राज्य के लिए पार्थिव प्रजा होगी, और उसके सभी अनुयायियों को राज्य प्रचारक होना है।—मत्ती ५:३-५; ६:१०; २८:१९, २०; लूका १०:१-९; १२:३२; २२:२९, ३०; यूहन्ना १०:१६; १४:२, ३
◻ यीशु प्रकट करता है कि राज्य एक निश्चित समय में स्थापित किया जाएगा, जिसकी पुष्टि सांसारिक घटनाओं द्वारा होगी।—मत्ती २४:३-२२; लूका २१:२४
◻ सा.यु. ३६: पतरस को पता चलता है कि ग़ैर-यहूदी भी राज्य के सह वारिस होंगे।—प्रेरितों १०:३०-४८
◻ सा.यु. ५५: पौलुस समझाता है कि राज्य के सह वारिसों को मसीहा की उपस्थिति के दौरान अमरत्व और अविनाशिता के लिए पुनरुत्थित किया जाएगा।—१ कुरिन्थियों १५:५१-५४
◻ सा.यु. ९६: यीशु, जो पहले से ही अपने अभिषिक्त अनुयायियों पर शासन कर रहा है, प्रकट करता है कि उनकी आख़िरी संख्या १,४४,००० होगी।—इफिसियों ५:३२; कुलुस्सियों १:१३-२०; प्रकाशितवाक्य १:१; १४:१-३
◻ सा.यु. १८७९: ज़ायन्स वॉच टावर परमेश्वर के “पवित्र भेद” के पूरा किए जाने में एक बड़े महत्त्वपूर्ण वर्ष के रूप में १९१४ की ओर इशारा करता है
◻ सा.यु. १९२५: द वॉच टावर समझाता है कि राज्य का जन्म १९१४ में हुआ था; राज्य के बारे में “पवित्र भेद” का प्रचार किया जाना चाहिए।—प्रकाशितवाक्य १२:१-५, १०, १७
[पेज 15 पर तसवीर]
अपने अगुवे, यीशु की तरह, यहोवा के साक्षी सार्वजनिक रूप से यहोवा के राज्य की घोषणा करते हैं