क्या आप एलिय्याह की तरह वफ़ादार होंगे?
“यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।”—मलाकी ४:५.
१. प्रतिज्ञात देश में कुछ ५०० साल रहने के बाद इस्राएल पर कौन-सा संकट आता है?
‘एक देश जिस में दूध और मधु की धारा बहती है।’ (निर्गमन ३:७, ८) यही देश यहोवा परमेश्वर ने सा.यु.पू. १६वीं शताब्दी में इस्राएलियों को मिस्र की दासता से छुड़ाने के बाद दिया। लेकिन देखिए! पाँच सदियाँ बीत चुकी हैं और अब इस्राएल का दस-गोत्रीय राज्य प्रचंड अकाल की चपेट में है। ज़रा-भी हरी घास ढूँढ़ना दूभर है। जानवर मर रहे हैं और साढ़े तीन साल से कोई बारिश नहीं हुई है। (१ राजा १८:५; लूका ४:२५) इस विपत्ति का कारण क्या है?
२. इस्राएल के राष्ट्रीय संकट का क्या कारण है?
२ धर्मत्याग के कारण यह संकट आया है। परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए, राजा अहाब ने कनानी राजकुमारी ईज़ेबेल से विवाह किया है और उसे इस्राएल में बाल उपासना लाने की अनुमति दी है। उससे भी बदतर, उसने राजधानी सामरिया में इस झूठे देवता के लिए एक मंदिर बनाया है। इस्राएली यह विश्वास करने के लिए भरमाये गये हैं कि बाल उपासना करने से उनकी फ़सल भरपूर होगी! लेकिन, जैसा यहोवा ने चिताया है, अब उन्हें ‘अपने उत्तम देश में से नष्ट होने’ का ख़तरा है।—व्यवस्थाविवरण ७:३, ४; ११:१६, १७; १ राजा १६:३०-३३, NHT.
परमेश्वरत्व की प्रभावशाली परीक्षा
३. एलिय्याह नबी इस्राएल की असल समस्या पर कैसे ध्यान आकर्षित करवाता है?
३ जब अकाल शुरू होता है, परमेश्वर का वफ़ादार नबी एलिय्याह राजा अहाब से कहता है: “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहता हूं, उसके जीवन की शपथ इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी।” (१ राजा १७:१) इस घोषणा की भयावह सत्यता का अनुभव करने के बाद, राजा इस्राएल पर प्रकोप लाने के लिए एलिय्याह को दोष देता है। परंतु एलिय्याह उत्तर देता है कि दोष अहाब और उसके घराने का है क्योंकि उन्होंने बाल उपासना करके धर्मत्याग किया है। इस वाद-विषय को निपटाने के लिए, यहोवा का नबी राजा अहाब से आग्रह करता है कि कर्म्मेल पर्वत पर सारे इस्राएल को, साथ ही बाल के ४५० नबियों को और अशेरा के ४०० नबियों को इकट्ठा कर ले। अहाब और उसकी प्रजा वहाँ इकट्ठे होते हैं और शायद यह आशा करते हैं कि अब सूखे का अंत हो जाएगा। लेकिन एलिय्याह और भी गंभीर विषय पर ध्यान आकर्षित करवाता है। वह पूछता है: “तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लेओ; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लेओ।” इस्राएलियों को नहीं सूझता कि क्या कहें।—१ राजा १८:१८-२१.
४. परमेश्वरत्व के वाद-विषय को निपटाने के लिए एलिय्याह क्या प्रस्ताव रखता है?
४ सालों से इस्राएलियों ने यहोवा की उपासना को बालवाद के साथ मिलाने की कोशिश की है। परमेश्वरत्व के वाद-विषय को निपटाने के लिए, एलिय्याह अब एक मुक़ाबले का प्रस्ताव रखता है। बलि के लिए वह एक बछड़ा तैयार करेगा और दूसरा बछड़ा बाल के नबी तैयार करेंगे। फिर एलिय्याह कहता है: “तुम तो अपने देवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूंगा; और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे।” (१ राजा १८:२३, २४) कल्पना कीजिए कि एक प्रार्थना के उत्तर में आकाश से आग प्रकट हो!
५. बाल उपासना की व्यर्थता का खुलासा कैसे होता है?
५ एलिय्याह बाल नबियों को शुरू करने का न्यौता देता है। वे बलि के लिए एक बछड़ा तैयार करते हैं और उसे वेदी पर रखते हैं। फिर वे वेदी के चारों ओर कूदते हुए प्रार्थना करते हैं: “हे बाल हमारी सुन!” यह “भोर से लेकर दोपहर तक” होता रहता है। “ऊंचे शब्द से पुकारो,” एलिय्याह ताना कसता है। बाल किसी ज़रूरी काम में व्यस्त होगा, या “हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।” जल्द ही बाल के नबी पागल-से हो उठते हैं। देखिए! वे बर्छियों से अपने आपको घायल कर रहे हैं और उनके घावों से लहू बह रहा है। और सभी ४५० नबी ऊँची आवाज़ में पुकारकर कितना शोर मचा रहे हैं! लेकिन कोई उत्तर नहीं मिल रहा।—१ राजा १८:२६-२९.
६. परमेश्वरत्व की परीक्षा के लिए एलिय्याह क्या तैयारी करता है?
६ अब एलिय्याह की बारी आती है। वह यहोवा की वेदी फिर से बनाता है, उसके चारों ओर एक गड्ढा खोदता है और बलि की तैयारी करता है। फिर वह लकड़ी और बलि पर पानी उँडेलवाता है। वेदी पर बड़े-बड़े घड़ों से बारह घड़े पानी उँडेला जाता है जब तक कि गड्ढा भर नहीं जाता। उस ऊहापोह की कल्पना कीजिए जब एलिय्याह प्रार्थना करता है: “हे इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूं, और मैं ने ये सब काम तुझ से वचन पाकर किए हैं। हे यहोवा! मेरी सुन, मेरी सुन, कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तू ही उनका मन लौटा लेता है।”—१ राजा १८:३०-३७.
७, ८. (क) यहोवा एलिय्याह की प्रार्थना का उत्तर कैसे देता है? (ख) कर्म्मेल पर्वत की घटनाओं से क्या सिद्ध होता है?
७ एलिय्याह की प्रार्थना के उत्तर में, ‘यहोवा की आग आकाश से प्रगट होती है और होमबलि को लकड़ी और पत्थरों और धूलि समेत भस्म कर देती है, और गड़हे में का जल भी सुखा देती है।’ लोग मुँह के बल गिरकर बोल उठते हैं: “यहोवा ही परमेश्वर है, यहोवा ही परमेश्वर है।” (१ राजा १८:३८, ३९) अब एलिय्याह निर्णायक कार्यवाही करता है। वह आदेश देता है: “बाल के नबियों को पकड़ लो, उन में से एक भी छूटने न पाए।” किशोन की घाटी में उनके मार डाले जाने के बाद, आकाश पर काले बादल छा जाते हैं। अब जाकर कहीं बारिश होती है और सूखा दूर होता है!—१ राजा १८:४०-४५. व्यवस्थाविवरण १३:१-५ से तुलना कीजिए।
८ कितना महान दिन! परमेश्वरत्व की इस उल्लेखनीय परीक्षा में यहोवा विजयी हुआ। इसके अलावा, ये घटनाएँ अनेक इस्राएलियों का हृदय परमेश्वर की ओर लौटा लाती हैं। इस तरह और अन्य तरीक़ों से, एलिय्याह एक नबी के तौर पर वफ़ादार साबित होता है और व्यक्तिगत रूप से वह एक भविष्यसूचक भूमिका निभाता है।
“एलिय्याह नबी” आनेवाला है?
९. मलाकी ४:५, ६ में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?
९ बाद में, मलाकी के द्वारा परमेश्वर ने पूर्वबताया: “देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा। और वह माता-पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं।” (मलाकी ४:५, ६) एलिय्याह इन शब्दों के कहे जाने से क़रीब ५०० साल पहले जीया था। चूँकि यह एक भविष्यवाणी थी, सा.यु. पहली शताब्दी के यहूदी इस प्रत्याशा में थे कि एलिय्याह आकर इसे पूरा करेगा।—मत्ती १७:१०.
१०. पूर्वकथित एलिय्याह कौन था, और हम यह कैसे जानते हैं?
१० तो फिर, यह आनेवाला एलिय्याह कौन था? उसकी पहचान तब हुई जब यीशु मसीह ने कहा: “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य पर जोर होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं। यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्ता और व्यवस्था भविष्यद्वाणी करते रहे। और चाहो तो मानो, एलिय्याह जो आनेवाला था, वह यही है।” जी हाँ, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला एलिय्याह का पूर्वकथित समतुल्य था। (मत्ती ११:१२-१४; मरकुस ९:११-१३) एक स्वर्गदूत ने यूहन्ना के पिता, जकरयाह से कहा था कि यूहन्ना के पास “एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ” होगी और वह “प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार” करेगा। (लूका १:१७) यूहन्ना द्वारा दिया गया बपतिस्मा इस बात का सार्वजनिक प्रतीक था कि एक व्यक्ति ने व्यवस्था के विरुद्ध अपने पापों से पश्चाताप किया है। व्यवस्था यहूदियों को मसीह तक पहुँचाने के लिए थी। (लूका ३:३-६; गलतियों ३:२४) इस प्रकार यूहन्ना के कार्य ने “प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार” की।
११. पिन्तेकुस्त पर, पतरस ने ‘यहोवा के दिन’ के बारे में क्या कहा, और यह कब पूरा हुआ?
११ “एलिय्याह” के रूप में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के कार्य ने दिखाया कि ‘यहोवा का दिन’ निकट था। प्रेरित पतरस ने भी उस दिन की निकटता का संकेत दिया जब परमेश्वर अपने शत्रुओं के विरुद्ध कार्यवाही करेगा और अपने लोगों को बचाएगा। उसने बताया कि जो चमत्कारी घटनाएँ सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त पर घटीं, वे परमेश्वर की आत्मा के उँडेले जाने के बारे में योएल की भविष्यवाणी की एक पूर्ति थीं। पतरस ने दिखाया कि यह ‘यहोवा के महान और प्रसिद्ध दिन’ के आने से पहले होना था। (प्रेरितों २:१६-२१; योएल २:२८-३२) सा.यु. ७० में यहोवा ने रोमी सेना से उस जाति पर, जिसने उसके पुत्र को ठुकराया था, ईश्वरीय न्याय कार्यान्वित करवाने के द्वारा अपना वचन पूरा किया।—दानिय्येल ९:२४-२७; यूहन्ना १९:१५.
१२. (क) आनेवाले ‘यहोवा के दिन’ के बारे में पौलुस और पतरस ने क्या कहा? (ख) क्यों निश्चित ही कुछ होना था जिसका चित्रण एलिय्याह के काम से हुआ?
१२ लेकिन, सा.यु. ७० के बाद भी कुछ होना था। प्रेरित पौलुस ने आनेवाले ‘यहोवा के दिन’ को यीशु मसीह की उपस्थिति के साथ जोड़ा। इसके अलावा, प्रेरित पतरस ने उस दिन के बारे में तब भावी “नए आकाश और नई पृथ्वी” से संबंध जोड़ते हुए कहा। (२ थिस्सलुनीकियों २:१, २; २ पतरस ३:१०-१३) याद रखिए कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने सा.यु. ७० में ‘यहोवा के दिन’ के आने से पहले एलिय्याह-जैसा काम किया। इस सब ने कुल मिलाकर यह संकेत दिया कि आगे भी कुछ होता जिसका चित्रण उस काम से हुआ जो एलिय्याह ने किया था। वह क्या है?
उनके पास एलिय्याह की आत्मा है
१३, १४. (क) एलिय्याह के कामों और वर्तमान-दिन अभिषिक्त मसीहियों के कामों में क्या समांतर है? (ख) मसीहीजगत के धर्मत्यागियों ने क्या किया है?
१३ एलिय्याह के काम का समांतर न केवल यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के काम में था, परंतु इस कठिन समय में जो आनेवाले ‘यहोवा के दिन’ की ओर ले जा रहा है, अभिषिक्त मसीहियों के कामों में भी है। (२ तीमुथियुस ३:१-५) एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ के साथ, वे सच्ची उपासना के पक्के समर्थक हैं। और यह कितना ज़रूरी रहा है! मसीह के प्रेरितों की मृत्यु के बाद, सच्ची मसीहियत से एक धर्मत्याग हुआ, जैसे एलिय्याह के समय में इस्राएल में बाल उपासना पनप रही थी। (२ पतरस २:१) कथित मसीहियों ने मसीहियत को झूठे धार्मिक सिद्धांतों और प्रथाओं के साथ मिलाना शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, उन्होंने विधर्मी और अशास्त्रीय शिक्षा अपना ली कि मनुष्य में एक अमर प्राण होता है। (सभोपदेशक ९:५, १०; यहेजकेल १८:४) मसीहीजगत के धर्मत्यागियों ने एकमात्र सच्चे परमेश्वर, यहोवा का नाम इस्तेमाल करना छोड़ दिया है। इसके बजाय, वे एक त्रियेक की उपासना कर रहे हैं। उन्होंने यीशु और उसकी माता, मरियम की प्रतिमाओं के सामने दंडवत् करने की बाल-समान प्रथा को भी अपना लिया है। (रोमियों १:२३; १ यूहन्ना ५:२१) लेकिन उन्होंने इतना ही नहीं किया है।
१४ उन्नीसवीं शताब्दी से मसीहीजगत के गिरजों के अगुवों ने बाइबल के अनेक भागों के बारे में संदेह प्रकट करना शुरू किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने उत्पत्ति में दिया गया सृष्टि का वृत्तांत अस्वीकार कर दिया और विकासवाद के आगे सिर झुकाया, उसे “वैज्ञानिक” क़रार दिया। यह यीशु मसीह और उसके प्रेरितों की शिक्षाओं के स्पष्ट विरोध में था। (मत्ती १९:४, ५; १ कुरिन्थियों १५:४७) लेकिन यीशु और उसके आरंभिक अनुयायियों की तरह, आज आत्मा-अभिषिक्त मसीही सृष्टि के बारे में बाइबल वृत्तांत का समर्थन करते हैं।—उत्पत्ति १:२७.
१५, १६. मसीहीजगत की विषमता में, किन्होंने नियमित रूप से आध्यात्मिक भोजन प्राप्त किया है, और किस साधन से?
१५ जब संसार ने “अन्त समय” में प्रवेश किया, एक आध्यात्मिक अकाल ने मसीहीजगत को ग्रस लिया। (दानिय्येल १२:४; आमोस ८:११, १२) लेकिन अभिषिक्त मसीहियों के छोटे-से समूह ने नियमित रूप से “समय पर” परमेश्वर-प्रदत्त आध्यात्मिक भोजन प्राप्त किया, जैसे यहोवा ने निश्चित किया था कि अपने समय के अकाल के दौरान एलिय्याह को भोजन मिले। (मत्ती २४:४५; १ राजा १७:६, १३-१६) कभी अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थी के नाम से ज्ञात, परमेश्वर के इन वफ़ादार सेवकों ने बाद में शास्त्रीय नाम, यहोवा के साक्षी प्राप्त किया।—यशायाह ४३:१०.
१६ एलिय्याह अपने नाम के अनुरूप जीया, जिसका अर्थ है “यहोवा मेरा परमेश्वर है।” यहोवा के पार्थिव सेवकों की औपचारिक पत्रिका के रूप में, प्रहरीदुर्ग ने हमेशा परमेश्वर का नाम इस्तेमाल किया है। वास्तव में, इसके दूसरे अंग्रेज़ी अंक (अगस्त १८७९) ने यह विश्वास व्यक्त किया कि इस पत्रिका का समर्थक यहोवा है। यह पत्रिका और वॉच टावर सोसाइटी के अन्य प्रकाशन मसीहीजगत और बाक़ी के बड़े बाबुल, झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य की अशास्त्रीय शिक्षाओं का परदाफ़ाश करते हैं, और परमेश्वर के वचन, बाइबल की सत्यता का समर्थन करते हैं।—२ तीमुथियुस ३:१६, १७; प्रकाशितवाक्य १८:१-५.
परीक्षा में वफ़ादार
१७, १८. बाल के नबियों की हत्या पर ईज़ेबेल ने क्या प्रतिक्रिया दिखायी, लेकिन एलिय्याह को कैसे मदद मिली?
१७ परदाफ़ाश होते देखकर पादरीवर्ग ने वैसी ही प्रतिक्रिया दिखायी जैसी ईज़ेबेल ने दिखायी थी जब उसे पता चला था कि एलिय्याह ने बाल के नबियों को मार डाला है। उसने यहोवा के वफ़ादार नबी को एक संदेश भेजा और उसे मरवा डालने की शपथ खायी। यह कोई बंदर-भबकी नहीं थी, क्योंकि ईज़ेबेल पहले ही परमेश्वर के कई नबियों को मरवा चुकी थी। डर के मारे, एलिय्याह दक्षिण-पश्चिम की ओर बेर्शेबा को भागा। अपने सेवक को वहाँ छोड़, वह और भी दूर वीराने में चला गया और अपनी मृत्यु की भीख माँगी। लेकिन यहोवा ने अपने नबी को त्यागा नहीं था। एक स्वर्गदूत एलिय्याह के सामने प्रकट हुआ कि उसे होरेब पर्वत तक लंबी यात्रा के लिए तैयार करे। इस प्रकार उसे ४० दिन की ३०० किलोमीटर से भी भारी यात्रा के लिए बल मिला। होरेब पर परमेश्वर ने प्रचंड आँधी, भूकंप, और आग में शक्ति का एक विस्मयकारी प्रदर्शन करने के बाद उससे बात की। यहोवा इन प्रकटनों में नहीं था। वे उसकी पवित्र आत्मा, या सक्रिय शक्ति की अभिव्यक्तियाँ थे। फिर यहोवा ने अपने नबी से बात की। कल्पना कीजिए कि इस अनुभव ने एलिय्याह को कितनी शक्ति दी। (१ राजा १९:१-१२) तब क्या यदि सच्ची उपासना के शत्रुओं द्वारा धमकाये जाने पर हम भी एलिय्याह की तरह थोड़े-बहुत भयभीत हो जाते हैं? उसके अनुभव से हमें यह समझने में मदद मिलनी चाहिए कि यहोवा अपने लोगों को नहीं त्यागता।—१ शमूएल १२:२२.
१८ परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि एलिय्याह को एक नबी के तौर पर अभी और काम करना था। इसके अलावा, जबकि एलिय्याह ने सोचा कि इस्राएल में केवल वही सच्चे परमेश्वर का उपासक है, यहोवा ने उसे दिखाया कि ७,००० लोगों ने बाल को दंडवत् नहीं किया था। फिर परमेश्वर ने एलिय्याह को अपनी नियुक्ति में वापस भेज दिया। (१ राजा १९:१३-१८) एलिय्याह की तरह, शायद हमारे पीछे भी सच्ची उपासना के शत्रु पड़े हों। शायद हम बड़ी सताहट का निशाना बन जाएँ, जैसे यीशु ने पूर्वबताया। (यूहन्ना १५:१७-२०) कभी-कभी, शायद हम आशंकित हो जाएँ। लेकिन, हम एलिय्याह की तरह हो सकते हैं, जिसे ईश्वरीय आश्वासन मिले और फिर वह वफ़ादारी से यहोवा की सेवा में लगा रहा।
१९. पहले विश्व युद्ध के समय में अभिषिक्त मसीहियों ने क्या अनुभव किया?
१९ पहले विश्व युद्ध के दौरान बड़ी सताहट के कारण, कुछ अभिषिक्त मसीही डर गये और प्रचार करना छोड़ दिया। उन्होंने यह सोचकर भूल की कि पृथ्वी पर उनका काम समाप्त हो गया था। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें अस्वीकार नहीं किया। इसके बजाय, उसने दयापूर्वक उन्हें सँभाला, जैसे उसने एलिय्याह के लिए भोजन प्रदान किया था। एलिय्याह की तरह, वफ़ादार अभिषिक्त जनों ने ईश्वरीय सुधार स्वीकार किया और निष्क्रियता से बाहर आये। राज्य संदेश का प्रचार करने के बड़े विशेषाधिकार की ओर उनकी आँखें खोली गयीं।
२०. आज, उन्हें क्या विशेषाधिकार दिया जाता है जो एलिय्याह की तरह वफ़ादार हैं?
२० अपनी उपस्थिति के बारे में अपनी भविष्यवाणी में, यीशु ने उस विश्वव्यापी कार्य के बारे में बताया जो इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अंत से पहले पूरा किया जाता। (मत्ती २४:१४) आज, यह कार्य अभिषिक्त मसीहियों और उनके लाखों साथियों द्वारा किया जा रहा है जो परादीस पृथ्वी पर जीवन की उत्सुकता से प्रत्याशा करते हैं। जब तक राज्य-प्रचार कार्य समाप्त न हो जाए उसे करते रहना एक विशेषाधिकार है। यह मात्र उन्हें दिया गया है जो एलिय्याह की तरह वफ़ादार हैं।
एलिय्याह की तरह वफ़ादार होइए
२१, २२. (क) आज अभिषिक्त मसीही कौन-से कार्य का नेतृत्व कर रहे हैं? (ख) प्रचार कार्य किस मदद से संपन्न हो रहा है, और इसकी ज़रूरत क्यों है?
२१ एलिय्याह के समान जोश के साथ, सच्चे अभिषिक्त मसीहियों के थोड़े-से शेषजनों ने सिंहासनारूढ़ राजा, यीशु मसीह की पार्थिव संपत्ति की देखरेख करने की अपनी ज़िम्मेदारी निभायी है। (मत्ती २४:४७) और अब ६० से अधिक सालों से, परमेश्वर इन अभिषिक्त जनों को इस्तेमाल करता आया है कि उन लोगों को चेला बनाने के काम का नेतृत्व करें जिन्हें उसने एक परादीस पृथ्वी पर अनंत जीवन की अद्भुत आशा दी है। (मत्ती २८:१९, २०) ये लाखों लोग कितने आभारी हो सकते हैं कि अपेक्षाकृत थोड़े-से बचे अभिषिक्त जन जोश और वफ़ादारी के साथ अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा रहे हैं!
२२ यह राज्य-प्रचार कार्य अपरिपूर्ण मनुष्यों द्वारा और केवल उस शक्ति से संपन्न हुआ है जो यहोवा उस पर प्रार्थनापूर्वक भरोसा करनेवालों को देता है। “एलिय्याह भी हमारे ही जैसे स्वभाव का मनुष्य था,” शिष्य याकूब ने कहा। यह दिखाने के लिए कि एक धर्मी की प्रार्थना में कितना दम होता है उसने इस नबी की प्रार्थना का उदाहरण दिया। (याकूब ५:१६-१८, NHT) एलिय्याह हर समय भविष्यवाणी या चमत्कार नहीं करता था। उसकी भी हमारे ही जैसी भावनाएँ और कमज़ोरियाँ थीं, लेकिन उसने वफ़ादारी से परमेश्वर की सेवा की। चूँकि हमारे पास भी परमेश्वर की मदद है और वह हमें शक्ति देता है, हम एलिय्याह की तरह वफ़ादार हो सकते हैं।
२३. हमारे पास वफ़ादारी और आशावाद का ठोस कारण क्यों है?
२३ हमारे पास वफ़ादारी और आशावाद का ठोस कारण है। याद रखिए कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने सा.यु. ७० में ‘यहोवा के दिन’ के आने से पहले एलिय्याह-समान कार्य किया। एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ के साथ, अभिषिक्त मसीहियों ने पृथ्वी-भर में वैसा ही परमेश्वर-प्रदत्त कार्य किया है। यह स्पष्ट रूप से साबित करता है कि ‘यहोवा का बड़ा दिन’ निकट है।
आप क्या उत्तर देंगे?
◻ कर्म्मेल पर्वत पर यहोवा का परमेश्वरत्व कैसे साबित हुआ?
◻ ‘आनेवाला एलिय्याह’ कौन था, और उसने क्या किया?
◻ वर्तमान-दिन अभिषिक्त मसीहियों ने कैसे दिखाया है कि उनके पास एलिय्याह की आत्मा है?
◻ हमारे लिए एलिय्याह की तरह वफ़ादार होना क्यों संभव है?
[पेज 15 पर बक्स]
एलिय्याह किस स्वर्ग पर चढ़ा?
“[एलिय्याह और एलीशा] चलते चलते बातें कर रहे थे, कि अचानक एक अग्निमय रथ और अग्निमय घोड़ों ने उनको अलग अलग किया, और एलिय्याह बवंडर में होकर स्वर्ग पर चढ़ गया।”—२ राजा २:११.
यहाँ शब्द “स्वर्ग” का क्या अर्थ है? इब्रानी में, एक ही शब्द परमेश्वर और उसके स्वर्गदूतीय पुत्रों के आत्मिक निवास स्थान को सूचित करता है, और आकाश, अर्थात् भौतिक विश्वमंडल को भी सूचित करता है। (मत्ती ६:९; १८:१० और व्यवस्थाविवरण ४:१९) साथ ही पृथ्वी के समीपवर्ती वातावरण को, जिसमें पक्षी उड़ते हैं और वायु बहती है, सूचित करने के लिए भी बाइबल इसी शब्द का प्रयोग करती है।—भजन ७८:२६; मत्ती ६:२६.
एलिय्याह नबी इनमें से किस पर चढ़ा, आकाश पर या स्वर्ग पर? प्रत्यक्षतः, उसे पृथ्वी के वातावरण से उठाकर पृथ्वी के किसी दूसरे भाग में स्थानांतरित कर दिया गया था। सालों बाद भी एलिय्याह पृथ्वी पर था, क्योंकि उसने यहूदा के राजा यहोराम को एक पत्र लिखा। (२ इतिहास २१:१, १२-१५) बाद में यीशु मसीह ने इस बात की पुष्टि की कि एलिय्याह यहोवा परमेश्वर के आत्मिक निवास पर नहीं चढ़ा। उसने कहा: “और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र,” स्वयं यीशु। (यूहन्ना ३:१३) यीशु मसीह की मृत्यु, पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद ही पहली बार अपरिपूर्ण मनुष्यों के लिए स्वर्गीय जीवन का मार्ग खोला गया।—यूहन्ना १४:२, ३; इब्रानियों ९:२४; १०:१९, २०.