बाइबल हम तक कैसे पहुँची—भाग तीन
बर्मा १८२४—राजा के सिपाहियों ने अभी-अभी एडोनाइरम और ऐन जडसन के मिशनरी घर की तलाशी ली है। वहाँ उन्होंने जो कुछ क़ीमती समझा उसे ले गये। मगर सबसे बेशक़ीमती खज़ाना—एक अनुवादित बाइबल हस्तलिपि जिसे ऐन ने चुपके से घर के नीचे गाड़ दिया था—उनके हाथ नहीं लगा। अनुवादक एडोनाइरम जासूसी के इलज़ाम में एक मच्छरों से भरे क़ैदख़ाने में ज़ंजीरों से जकड़ा पड़ा है। अब हस्तलिपि को नमी का ख़तरा है। इसे कैसे बचाया जा सकता है? ऐन इसे एक सख़्त तकिये के अंदर ठूँसकर क़ैदख़ाने में अपने पति को पहुँचा देती है। तकिया सही सलामत है और उसके अंदर बर्मी भाषा में पहली बाइबल का हिस्सा है।
सदियों से बाइबल के साथ ऐसे बहुत से क़िस्से हुए हैं। पिछले अंकों में हमने इसके पूरे होने के समय से १७वीं सदी के शुरू तक के इसके अनुवाद और वितरण पर ग़ौर किया। तब से आज तक बाइबल के साथ क्या हुआ है? क्या सब लोग आसानी से कभी इसे हासिल कर पाएँगे? वॉच टावर सोसाइटी ने कैसी भूमिका अदा की है?
मिशनरी और बाइबल सोसाइटियाँ
बहुत से देशों में १६वीं और १७वीं सदियों के दौरान बाइबल को पढ़ने में एकदम बढ़ौतरी हुई। इस दौरान ख़ासकर इंगलॆंड में बाइबल का गहरा असर रहा। यहाँ तक कि राजा से किसान तक देश में तक़रीबन हर आदमी बाइबल कहानियों और तालीमों से वाकिफ़ हो गया था। मगर बाइबल का असर इससे भी दूर-दूर तक था। इंगलॆंड एक समुंदरगामी व्यापारिक और उपनिवेशी ताकत था और कुछ अंग्रेज़ अपने साथ सफ़र में बाइबल ले जाया करते थे। बड़े पैमाने पर बाइबल को फैलाने में यही बात एक बुनियाद बनी।
सतरहवीं सदी के आख़िर में बाइबल ने इंगलॆंड के कुछ लोगों को ब्रिटिश राज के दूर-दूर देशों के निवासियों की आध्यात्मिक ज़रूरतों के बारे में सोचने के लिए जगाया। बहरहाल, ऐसी चिंता हरेक आदमी को नहीं थी। बहुत से चर्च अधिकारी क़िस्मत में विश्वास करते थे और इसलिए सोचते थे कि कुछ लोगों का उद्धार न होना परमेश्वर का इरादा है। मिशनरी बनने जा रहे विलियम कैरी ने जब हिंदुस्तान में एक मिशन शुरू करने के इरादे से समर्थन जुटाने के लिए एक जज़्बाती भाषण दिया तो किसी ने फटकारते हुए कहा: “बैठ जा बेटे; जब परमेश्वर की मरज़ी होगी तब वह तुम्हारी मदद के बिना मूर्तिपूजकों को बदल देगा।” फिर भी कैरी १७९३ में हिंदुस्तान के लिए रवाना हुआ। ताज्जुब की बात है कि उसने आख़िरकार पूरी बाइबल या इसके कुछ हिस्सों का ३५ हिंदुस्तानी भाषाओं में अनुवाद किया।
मिशनरियों को यह अहसास हुआ कि स्थानीय भाषा में बाइबल उनका सबसे ज़रूरी औज़ार है। मगर बाइबल का इंतज़ाम कौन करेगा? दिलचस्पी की बात है कि जो कार्रवाई दुनिया भर में बाइबल फैलाने के लिए ज़िम्मेदार थी उसकी शुरुआत मॆरी जोन्स नामक १६ साल की वेल्स की एक लड़की ने अनजाने में की। १८०० में मॆरी एक पादरी से एक वॆल्श-भाषा बाइबल खरीदने के लिए ४० किलोमीटर नंगेपाँव पैदल चली। उसने छः साल तक पैसे जुटाए और जब उसे पता चला कि सारी बाइबलें बिक चुकी थीं तो दुखी होकर वह रोने लगी। उस पर तरस खाकर पादरी ने उसे अपनी एक बाइबल दे दी।
इसके बाद पादरी ने ऐसे और बहुत से लोगों के बारे में सोचा जिनको बाइबल की ज़रूरत थी। इस समस्या के बारे में उसने लंदन में अपने दोस्तों के साथ बात की। इसका नतीजा यह निकला कि १८०४ में ब्रिटिश एंड फॉरन बाइबल सोसाइटी का गठन किया गया। इसका बुनियादी मक़सद बहुत साफ़ था: लोगों को उनकी अपनी भाषा में “बिना टीका-टिप्पणी वाली” सस्ती बाइबलें मुहैया कराना। हाशिये में टिप्पणियाँ लिखे बग़ैर छापने से सोसाइटी के संस्थापकों ने उम्मीद की कि मत वाद-विवाद से वे दूर रहेंगे। फिर भी कई बार एपोक्रिफा, निमज्जन से बपतिस्मा और त्रिएक के विषय में बाइबल सोसाइटी ख़ुद विभाजित थी।
शुरुआती जोश जल्दी फैला और १८१३ तक सहकारी सोसाइटियाँ जर्मनी, नॆदरलॆंड्स, डेनमार्क और रूस में स्थापित की गईं। कुछ समय बाद दूसरे देशों में भी बाइबल सोसाइटियाँ स्थापित की गईं। जब शुरुआती सोसाइटियाँ अपना मक़सद बना रही थीं तो उन्होंने सोचा कि दुनिया में कुछ ही मुख्य भाषाएँ हैं। उन्होंने सोचा भी न था कि हज़ारों भाषाएँ होंगी! बहुत कम अनुवादक इब्रानी और यूनानी जानते थे ताकि सीधे अपनी देशी भाषा में अनुवाद कर सकें। इसलिए जब ब्रिटिश एंड फॉरन बाइबल सोसाइटी ने अनुवाद करने के लिए इंतज़ाम किया तो अनुवादकों का काम अकसर अंग्रेज़ी-भाषा के किंग जेम्स वर्शन पर आधारित था।
एक अनुवादक की तकलीफ़ें
बाइबल के ज़्यादातर हिस्से घटनाएँ और दृष्टांत हैं जो रोज़ाना ज़िंदगी पर आधारित हैं। इसलिए इसे अनुवाद करना आसान है। ऐसा नहीं होता अगर यह फ़िलासफ़ी के अंदाज़ में लिखी होती। यह समझना आसान है कि शुरू में मिशनरियों के अनुवाद कभी-कभी पेचीदा या मज़ाकिया बन जाते थे। मिसाल के तौर पर, हिंदुस्तान के एक इलाके में लोगों को एक अनुवाद से लगा कि परमेश्वर नीले रंग की हस्ती है। पद “स्वर्गीय पिता” में “स्वर्गीय” शब्द का जो अनुवाद किया गया था उसका मतलब था “आसमान का रंग रखनेवाला”।
एक अनुवादक की बाधाओं के बारे में लिखते वक़्त एडोनाइरम जडसन ने १८१९ में लिखा: ‘जब हम पृथ्वी की दूसरी ओर रहनेवाले लोगों द्वारा बोली गयी भाषा सीखते हैं, जिनका सोच-विचार करने का तरीक़ा हमसे भिन्न होता है, और इसलिए जिनके बोलचाल के तरीक़े पूरी तरह नए होते हैं, और जिनके अक्षर और शब्द, अब तक हमारे सामने आयी किसी भी भाषा से मिलते-जुलते नहीं होते; जब हमारे पास कोई शब्दकोश या दुभाषिया नहीं होता और उस भाषा के शिक्षक की मदद हासिल कर सकने से पहले हमें उस भाषा को थोड़ा-बहुत समझना ज़रूरी होता है—तब इसके लिए कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है!’ जडसन जैसे अनुवादकों के काम की बदौलत बाइबल आज बहुतायत में मुहैया है।—पृष्ठ १२ पर चार्ट देखिए।
अनुवाद के इस मुश्किल काम में ऐन जडसन ने अपने पति की मदद की। मगर जडसन जोड़े को सिर्फ़ अनुवाद समस्या का ही सामना नहीं करना पड़ा। जब राजा के सिपाही ऐडोनाइरम को क़ैदख़ाने ले गए तब ऐन गर्भवती थी। दिलेरी से उसने २१ महीने अपने पति की ख़ातिर बैरी अफ़्सरों से अर्ज़ की। इसका और साथ ही उसकी बीमारी का उसकी सेहत पर बहुत बुरा असर हुआ। ऐडोनाइरम की रिहाई के कुछ ही समय बाद बीमारी की वज़ह से उसकी बहादुर पत्नी और उनकी छोटी बच्ची की मौत हो गई। ऐडोनाइरम का दिल टूट गया। इसके बावजूद वह ताकत के लिए परमेश्वर के ऊपर भरोसा करते हुए अनुवाद करता रहा। उसने १८३५ में बर्मी भाषा में बाइबल को पूरा किया। इसके दौरान, बाइबल के ख़िलाफ कुछ और चुनौतियाँ उठ खड़ी हो रहीं थीं।
बाइबल के विषय में वाद-विवाद
१८०० में बड़े-बड़े सामाजिक और सियासी वाद-विवाद हुए और बाइबल की इनमें कभी-कभी प्रमुख भूमिका थी। मसलन, रूसी बाइबल सोसाइटी हालाँकि ज़ार और रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च की हिमायत से शुरू हुई, फिर भी कुछ समय बाद उन्होंने सोसाइटी को विघटित करके उस पर पाबंदी लगा दी। (तक़रीबन एक साल पहले उस सोसाइटी के विरोधियों ने हज़ारों बाइबलों को जला दिया था।) जिस काम को शुरुआती मसीहियों ने सरगर्मी से शुरू किया था—दुनियाभर में बाइबल को फैलाने का काम—उसे पूरे जोश से अब ऑर्थोडॉक्स पादरियों ने ख़त्म करना चाहा। १९वीं सदी के ओर्थोडॉक्स नेताओं ने दावा किया कि चर्च और सरकार के अधिकार के ख़िलाफ़ बाइबल एक ख़तरा थी। ताज्जुब की बात यह है कि सरकार के ख़िलाफ़ होनेवाले इंकलाबी आंदोलन ने बाइबल को अधिकारियों के लिए एक ख़तरा नहीं जाना बल्कि इसे, लोगों को अधीन रखने के लिए चर्च और सरकार का एक औज़ार समझा। इस तरह बाइबल पर दोनों तरफ से हमला हुआ!
इसके बाद बाइबल पर “दिमाग़ी” हमला भी हुआ। १८३१ में चार्ल्स डार्विन उस सफ़र पर निकला जिसका नतीजा था विकासवाद का सिद्धांत। १८४८ में मार्क्स और ऎंगल्स ने कॉम्यूनिस्ट मेनिफॆस्टो जारी किया जिसने मसीहियत को ज़ुल्म के एक औज़ार के रूप में चित्रित किया। इसी दौरान बाइबल आलोचकों ने शास्त्र की प्रामाणिकता और बाइबल किरदारों की ऐतहासिक हक़ीक़त पर—यहाँ तक कि यीशु की भी—सवाल किया। मगर कुछ विचारशील लोगों ने ऐसे सिद्धांतों की गलती को पहचाना, जो परमेश्वर और बाइबल को क़बूल नहीं करते हैं और उन्होंने बाइबल की भरोसेमंदी को साबित करने के लिए विद्वत्तापूर्ण तरीक़े अपनाए। इनमें से एक था हुनरमंद जर्मन भाषाविद्वान, कॉन्सटानटीन वॉन टिशॆंडॉर्फ़।
खोजें बाइबल मूल पाठ निर्धारित करने में मदद करती हैं
पुरानी बाइबल हस्तलिपियों की तलाश में टिशॆंडॉर्फ़ ने इस उम्मीद से पूरे मध्य पूर्व का सफ़र किया कि बाइबल का मूल पाठ निर्धारित कर सके। १८५९ में, उसी साल जब डारविन ने अपना दी ऑरिजिन ऑफ़ स्पीशीस प्रकाशित किया, टिशॆनडॉर्फ़ को सीनै पहाड़ के दामन में एक मठ में सबसे पुराने मसीही युनानी शास्त्र की पूरी कॉपी मिली। ये कोडॆक्स साइनाइटिकस के नाम से जाना जाता है। इसे शायद जॆरोम के वल्गेट से तक़रीबन ५० साल पहले बनाया गया था। मठ से इसे निकालने की उचितता पर जबकि आज तक बहस जारी है, टिशॆंडॉर्फ़ ने इसे प्रकाशित किया और इस तरह सारे विद्वानों के लिए मुहैया किया।a
क्योंकि साइनाइटिकस सबसे पुरानी मूल-भाषा हस्तलिपियों में से एक थी, उसने सिर्फ़ इतना ही नहीं ज़ाहिर किया कि यूनानी शास्त्र में कुछ फेरबदल नहीं हैं बल्कि बाद की हस्तलिपियों में हुई गलतियों को भी पहचानने के लिए विद्वानों की मदद की। मसलन, १ तीमुथियुस ३:१६ में यीशु का ज़िक्र साइनाइटिकस में ऐसा किया गया है: “वह जो शरीर में ज़ाहिर हुआ।” उस समय की ज़्यादातर हस्तलिपियों में “वह” की जगह “परमेश्वर” शब्द का एक संकेताक्षर था जिसे “वह” के लिए यूनानी शब्द में छोटी सी तबदीली करके लिखा गया था। मगर, साइनाइटिकस को ऐसी किसी भी यूनानी हस्तलिपि से पहले बनाया गया जिसमें “परमेश्वर” शब्द इस्तेमाल किया गया। इससे यह ज़ाहिर होता है कि पाठ में बाद में फेरबदल हुआ। ज़ाहिर है त्रिएक के धर्मसिद्धांत की हिमायत करने के लिए इसे शामिल किया गया।
टिशॆंडॉरफ़ के दिनों से और ज़्यादा हस्तलिपियाँ पाई गई हैं। आज इब्रानी शास्त्र की कुछ ६,००० और यूनानी शास्त्र की १३,००० से ज़्यादा हस्तलिपियाँ हैं। आपस में इनकी तुलना करने से मूल पाठ मिल सका है जो पूरे भरोसे के लायक़ है। विद्वान फ्रेडरिक एफ़. ब्रूस के शब्दों में: “भिन्नताएँ . . किसी ऐतिहासिक सच्चाई या मसीही विश्वास और रिवाज़ की अहम तालीमों को नहीं बदलतीं।” जबकि दूसरी बहुत सी ज़बानों में बाइबल का अनुवाद जारी रहा, यह जानकारी लोगों के लिए कैसे फ़ायदेमंद होगी?
वॉच टावर सोसाइटी और बाइबल
१८८१ में बाइबल शिक्षकों और विद्यार्थियों का एक छोटा मगर जोशीला समूह गठित हुआ जो बाद में वॉच टावर बाइबल एंड ट्रैक्ट सोसाइटी बना। शुरू में इन्होंने दूसरी बाइबल सोसाइटियों द्वारा छापी गई बाइबलें वितरित की जिसमें टिशॆंडॉर्फ़ का यूनानी शास्त्र भी शामिल था। बहरहाल, १८९० तक बाइबल संस्करणों में से पहली बाइबल स्पॉनसर करते हुए वे बाइबल प्रकाशन काम में जुट गए। १९२६ में सोसाइटी ने अपनी ही छपाई मशीनों से बाइबल छापनी शुरू कर दी। मगर बाइबल के एक आधुनिक अनुवाद की ज़रूरत ज़ाहिर होती जा रही थी। पिछली सदी की खोजों और अध्ययन के ज़रिए हासिल की गई जानकारी को क्या एक आसान, सस्ती बाइबल बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है? इस मक़सद से सोसाइटी के सदस्यों ने १९४६ में शास्त्र का एक नया अनुवाद निकालने का बीड़ा उठाया।
एक अनुवाद, अनेक भाषाएँ
अंग्रेज़ी में पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद निकालने के लिए तजुर्बेकार अभिषिक्त मसीहियों की एक अनुवाद कमेटी बनाई गई। इस अनुवाद को छः खण्डों में प्रकाशित किया गया और इन खण्ड़ों को १९५० से १९६० के दौरान जारी किया गया। मसीही यूनानी शास्त्र सबसे पहला था। १९६३ से लेकर इसे २७ और भाषाओं में अनुवाद किया गया है और अन्य भाषाओं में अनुवाद जारी है। इन अन्य भाषाओं के लिए भी मक़सद वही रहे हैं जो अंग्रेज़ी के लिए थे। पहला, अनुवाद सही होना चाहिए, जितना हो सके उतना मूल विचार से मेल खाए। किसी ख़ास धर्मसिद्धांत के साथ मेल बिठाने के लिए मतलब को मरोड़ना नहीं चाहिए। दूसरा, सुसंगति क़ायम रखनी चाहिए। हरेक मुख्य मूल शब्द के लिए जहाँ तक हो सके एक शब्द तय होना चाहिए। ऐसा करना पाठकों को यह देखने में मदद करेगा कि लेखकों ने कैसे ख़ास शब्दों को इस्तेमाल किया। तीसरा, मतलब को धुंधला किए बग़ैर अनुवाद को जितना हो सके उतना शाब्दिक होना चाहिए। ऐसी शाब्दिक शैली पाठकों को इनसे जुड़ी हुई विचारशैली और मूल भाषा की ख़ासियत को देखने का मौक़ा देती है। और चौथा, आम लोगों को पढ़ने और समझने में इसे आसान होना चाहिए।
अंग्रेज़ी नया संसार अनुवाद की शाब्दिक शैली इसे दूसरी भाषाओं में अनुवाद करने में आसान बना देती है। इस मकसद के लिए सोसाइटी की अनुवादक टीमें अपने काम को जल्दी करने और ज़्यादा सही बनाने में फ़िलहाल आधुनिक कम्प्यूटर तकनीकें इस्तेमाल करती हैं। ये तकनीकें अनुवादक को हरेक मुख्य शब्द के लिए देशी भाषा में समांतर शब्द तय करने के लिए मदद करती हैं। ये उन्हें इब्रानी और यूनानी शब्दों के अंग्रेज़ी अनुवाद का अध्ययन करने में भी मदद देती हैं।
इब्रानी और यूनानी से सीधा अनुवाद करने के बजाय अंग्रेज़ी से अनुवाद करने के ख़ास फ़ायदे हैं। अनुवाद करने के समय को कम करने के अलावा सभी भाषाओं में एकसमान अभिव्यक्ति मुमकिन है। क्यों? क्योंकि एक आधुनिक भाषा से दूसरी आधुनिक भाषा में अनुवाद करना एक पुरानी भाषा से आधुनिक भाषाओं में अनुवाद करने से ज़्यादा आसान है। आख़िर, अनुवादक आधुनिक भाषा बोलनेवालों से मशविरा कर सकते हैं मगर हज़ारों साल पहले बोली गई भाषाओं के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता।
सारी जातियों के लिए ख़ुशख़बरी
उन हिम्मतवाले आदमियों और औरतों के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है जिन्होंने बाइबल को पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा और आसानी से मिलने वाली किताब बनाने में मदद की है। सदियों से, कम-से-कम चार अरब बाइबलें और बाइबल के हिस्से दुनिया के ९० प्रतिशत से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जानेवाली दो हज़ार से ज़्यादा भाषाओं में छापे गए हैं!
बाइबल ने हमारे दिनों में दुनिया भर में परमेश्वर के राज्य का ऐलान करने के बारे में पहले ही बताया है। इस काम के लिए यहोवा परमेश्वर ने ख़ुद बाइबल को दुनियाभर में मुहैया कराने के लिए ज़ाहिर तौर से अपना हाथ दिखाया है। (मत्ती १३:४७, ४८; २४:१४) अतीत के बेधड़क अनुवादकों और प्रकाशकों ने परमेंश्वर के वचन को—जो एक नैतिक तौर से अँधियारी दुनिया के लिए आध्यात्मिक रोशनी का एकमात्र स्रोत है—हमें देने के लिए अपना सब कुछ ख़तरे में डाला। ऐसा हो कि उनकी मिसाल आपको उसी इतमीनानी के साथ उस वचन को पढ़ने, अमल में लाने और दूसरों के साथ बांटने के लिए प्रेरित करे जैसे उन्होंने किया। जी हाँ, हर रोज़ अपनी भरोसेमंद बाइबल का पूरा फ़ायदा उठाइए!—यशायाह ४०:६-८.
[फुटनोट]
a अप्रैल १, १९९० के प्रहरीदुर्ग के “कोडॆक्स साइनाइटिकस बचाना” देखिए।
[पेज 12 पर चार्ट]
बाइबल अनुवाद में वृद्धि
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
भाषाओं की
सँख्या
१ यहूदी इब्रानी शास्त्र को यूनानी में अनुवाद करना शुरू करते हैं
लगभग सा.यु.पू. २८०
१२ जॆरोम ने लातिन वल्गेट को ख़त्म किया लगभग सा.यु. ४००
३५ गुटनबर्ग पहली बाइबल छापता है लगभग सा.यु. १४५५
८१ ब्रिटिश एंड फॉरन बाइबल सोसाइटी का स्थापन १८०४
सालों के हिसाब से भाषाओं की अंदाज़न संख्या
५२२
१९००
६००
७००
८००
९००
१,०४९
१९५०
१,१००
१,२००
१,३००
१,४७१
१९७०
२,१२३
१९९६
२,२००
२,३००
२,४००
[चित्र का श्रेय]
स्रोत: Christianity Today, United Bible Society
[पेज 9 पर चित्र का श्रेय]
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[पेज 8 पर तसवीर]
जडसन को बाँधकर, घसीटकर ले गए
[चित्र]
Jesse Page द्वारा किताब Judson the Hero of Burma से
[पेज 10 पर तसवीर]
सिनै पहाड़ के दामन के इस मठ में से टिशॆंडॉर्फ़ ने एक बहुमूल्य हस्तलिपि छुड़ाई
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.