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w98 3/15 पेज 24-25

उन्होंने अपना नाम नहीं किया

बाबेल के बदनाम गुम्मट को बनानेवालों के बाइबल नाम नहीं बताती। वृत्तांत कहता है: “फिर उन्हों ने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।” (तिरछे टाइप हमारे।)—उत्पत्ति ११:४.

ये “उन्हों ने” कौन थे? यह घटना जलप्रलय के कुछ २०० साल बाद घटी। तब तक नूह, जो करीब ८०० साल का था, अपने हज़ारों वंशजों के बीच जी रहा था। वे सभी एक ही भाषा बोलते थे और उस आम क्षेत्र में इकट्ठे रहते थे जहाँ जलप्रलय के बाद नूह और उसके बेटे बस गए थे। (उत्पत्ति ११:१) एक समय पर, इस बड़े जनसमूह का एक भाग पूर्व की ओर चला गया और उन्होंने ‘शिनार देश में एक मैदान पाया।’—उत्पत्ति ११:२.

पूरी तरह से विफल

यही मैदान था जिसमें इस समूह ने परमेश्‍वर के विरुद्ध विद्रोह करने का निर्णय किया। कैसे? पहले मानव जोड़े को आज्ञा देते वक्‍त कि “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ,” यहोवा परमेश्‍वर ने अपना उद्देश्‍य ज़ाहिर किया था। (उत्पत्ति १:२८) जलप्रलय के बाद नूह और उसके बेटों से भी यही कहा गया। परमेश्‍वर ने उन्हें आदेश दिया: “तुम तो फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी में बहुत बच्चे जन्मा के उस में भर जाओ।” (उत्पत्ति ९:७) यहोवा के निर्देशन के विरुद्ध, लोगों ने एक नगर बनाया ताकि उनको “सारी पृथ्वी पर फैलना [न] पड़े।”

‘अपना नाम करने’ के उद्देश्‍य से इन लोगों ने गुम्मट भी बनाया। लेकिन उनकी आशाओं के विपरीत, वे उस गुम्मट को पूरा नहीं कर पाए। बाइबल का अभिलेख दिखाता है कि यहोवा ने उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दी जिससे कि वे एक दूसरे की बात समझ नहीं पाते थे। “इस प्रकार,” प्रेरित वृत्तांत कहता है, “यहोवा ने उनको, वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया; और उन्हों ने उस नगर का बनाना छोड़ दिया।”—उत्पत्ति ११:७, ८.

इस काम का पूरी तरह विफल होना, इस बात से साफ ज़ाहिर होता है कि उन निर्माण करनेवालों का कभी-भी “नाम” नहीं हुआ, या वे कभी-भी मशहूर नहीं हुए। असल में उनके नामों की कोई जानकारी नहीं है और वे मानव इतिहास से मिट चुके हैं। लेकिन नूह के पर-पोते निम्रोद के बारे में क्या? क्या वह परमेश्‍वर के विरुद्ध इस विद्रोह का अगुआ नहीं था? क्या उसका नाम मशहूर नहीं है?

निम्रोद—एक अक्खड़ विद्रोही

बेशक, निम्रोद उनका मुखिया था। उत्पत्ति अध्याय १० में उसका परिचय “यहोवा की दृष्टि [विरोध] में पराक्रमी शिकारी” के तौर पर दिया गया है। (उत्पत्ति १०:९, NHT) शास्त्र यह भी कहता है कि “पृथ्वी पर पहिला वीर वही हुआ है।” (उत्पत्ति १०:८) निम्रोद एक योद्धा और हिंसक मनुष्य था। खुद को राजा बनाकर वह जलप्रलय के बाद पहला मानवीय शासक बना। निम्रोद निर्माता भी था। बाइबल उसे आठ नगरों को बसाने का श्रेय देती है, जिसमें बाबेल भी शामिल है।—उत्पत्ति १०:१०-१२.

इसलिए, परमेश्‍वर के विरोधी, बाबेल के राजा और नगरों के बनानेवाले निम्रोद ने निश्‍चय ही बाबेल के गुम्मट के निर्माण में भाग लिया होगा। क्या उसका नाम नहीं हुआ? निम्रोद नाम के बारे में, पूर्वी भाषावेत्ता ई. एफ. सी. रोज़नमूलर ने लिखा: “यह नाम निम्रोद को [मरद] से दिया गया था, यानी इब्री अर्थ के अनुसार ‘उसने विद्रोह किया,’ ‘उसने बलवा किया।’” उसके बाद रोज़नमूलर स्पष्ट करता है कि “पूर्वी लोग अकसर अपने प्रतिष्ठित लोगों को मृत्यु के बाद दिए गए नामों से पुकारते हैं, जिससे कभी-कभी नामों और उन लोगों द्वारा किए गए कामों में अनोखी समानता होती है।”

अनेक विद्वानों का यह विचार है कि निम्रोद नाम जन्म के समय दिया गया नाम नहीं है। इसके बजाय, वे यह समझते हैं कि उसके विद्रोही चरित्र के उजागर होने के बाद, उस चरित्र से मेल खाता हुआ यह नाम उसे दिया गया था। उदाहरण के लिए, सी. एफ. काइल कहता है: “[मरद] से निकला निम्रोद, यानी ‘हम बगावत करेंगे,’ यह नाम ही परमेश्‍वर के प्रति किसी हिंसक विरोध का संकेत देता है। यह इस कदर चरित्र-चित्रण करता है कि केवल उसके समय में जीनेवाले लोग ही यह नाम रख सकते थे, और इस तरह यह एक व्यक्‍तिगत नाम बन गया है।” फुटनोट में, काइल एक इतिहासकार, जेकब पॆरीज़ोनियस का हवाला देता है, जिसने लिखा: “मैं यह मानता हूँ कि यह व्यक्‍ति [निम्रोद], एक खूँख्वार शिकारी के नाते और दूसरों को विद्रोह करने के लिए उकसाने के वास्ते, साथियों के दल से घिरा हुआ, हमेशा ‘निम्रोद, निम्रोद,’ यानी ‘आओ हम विद्रोह करें! आओ हम विद्रोह करें!’ कहता और दोहराता होगा। इसीलिए, बाद में उसे दूसरों ने और खुद मूसा ने भी, एक व्यक्‍तिगत नाम के रूप में उस शब्द से पुकारा।”

साफ है, निम्रोद ने अपना नाम नहीं किया। ज़ाहिर है कि जन्म के समय उसे दिए गए नाम को कोई नहीं जानता। वह इतिहास के पन्‍नों से मिट चुका है, ठीक वैसे ही जैसे उसके पीछे-पीछे चलनेवाले लोगों के नाम मिट चुके हैं। वह कोई संतान भी नहीं छोड़ गया जो उसका नाम आगे बढ़ाती। महिमा और प्रसिद्धि पाने के बजाय, उसे बदनामी ही हासिल हुई है। निम्रोद नाम ने हमेशा के लिए उस पर एक अक्खड़ विद्रोही की छाप लगा दी है जिसने मूर्खतापूर्वक यहोवा परमेश्‍वर को चुनौती दी।

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