‘जो हमें करना चाहिए था हमने वही किया है’
जॉर्ज काउच की ज़बानी
घर-घर की सेवकाई में पूरी सुबह बिताने के बाद मेरे साथी ने दो सैंडविच निकाले। जब हम दोनों खा चुके, तो मैंने सिगरेट बाहर निकाली। उसने पूछा, “तुम सच्चाई में कब से हो?” मैंने उससे कहा, “कल शाम की मीटिंग मेरी पहली मीटिंग थी।”
मेरा जन्म मार्च ३, १९१७ को अमरीका के पॆन्सिलवेनिया में पिटस्बर्ग शहर से ५० किलोमीटर पूरब की ओर एवनमोर नामक एक छोटे से कसबे के पास एक फार्म में हुआ था। वहाँ मेरे माता-पिता ने मेरे चार भाइयों, एक बहन और मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया।
हमें धर्म के बारे में बहुत ज़्यादा शिक्षा नहीं दी जाती थी। एक समय था जब मेरे माता-पिता चर्च जाते थे, लेकिन हम छोटे ही थे तब उन्होंने जाना छोड़ दिया। फिर भी, हमें विश्वास था कि एक सृजनहार है और हमारा परिवार बाइबल के बुनियादी उसूलों को मानता था।
अपने माता-पिता से मुझे जो सबसे बढ़िया तालीम मिली वह थी ज़िम्मेदारी उठाना और उसे पूरा करना। और फार्म के जीवन में ज़िम्मेदारी बहुत थी। फिर भी हम सारा समय सिर्फ काम ही नहीं करते थे। बास्केट बॉल और बेसबॉल खेलने, घुड़सवारी करने और तैरने जैसे अच्छे मनोरंजन में हमें मज़ा आता था। उन दिनों पैसा कम था, फिर भी फार्म की ज़िंदगी में सुख था। जब हम निचले दर्जे में थे तो एक कमरेवाले छोटे स्कूल में जाते थे और हाई स्कूल के लिए हम नगर के एक स्कूल में जाते थे।
एक रात मैं अपने दोस्त के साथ नगर की सैर कर रहा था। एक मकान से एक खूबसूरत लड़की निकलकर मेरे दोस्त से मिलने आयी। मेरे दोस्त ने मेरा परिचय फर्न प्रू से करवाया। यह अच्छी बात थी कि उसका घर उसी सड़क पर था जिस पर मेरा स्कूल था। अकसर जब मैं उसके घर के पास से गुज़रता तो फर्न बाहर किसी काम-काज में लगी होती। ज़ाहिर था कि वह मेहनती थी और यह बात मुझे अच्छी लगी। हम धीरे-धीरे अच्छे दोस्त बने और एक दूसरे के लिए हमारा प्यार बढ़ा। हमने अप्रैल १९३६ में शादी कर ली।
बाइबल की सच्चाई से वाकिफ होना
मेरे पैदा होने से पहले, एक वृद्ध महिला थीं जिसे नगर के लोग उसके धर्म के कारण सताते थे। खरीदारी करने के लिए नगर जाते वक्त माँ उससे हर शनिवार मिलने जाती थीं। माँ उसके घर की साफ-सफाई करती थीं और काम-काज में हाथ बँटाती थीं। ऐसा वे उस स्त्री के मरने तक करती रहीं। मुझे यकीन है कि उस स्त्री की ओर माँ की अच्छाई के कारण यहोवा ने माँ को आशीष दी। वह स्त्री एक बाइबल विद्यार्थी थी, जो उस वक्त यहोवा के साक्षियों का नाम था।
कुछ समय बाद, मेरी बूआ की बेटी छुटपन में ही अचानक चल बसी। चर्च ने मेरी बूआ को दिलासा नहीं दिया, लेकिन एक पड़ोसन ने दिया जो एक बाइबल विद्यार्थी थी। उस बाइबल विद्यार्थी ने उसे समझाया कि जब एक व्यक्ति मरता है तो क्या होता है। (अय्यूब १४:१३-१५; सभोपदेशक ९:५, १०) इससे उन्हें बहुत शांति मिली। बूआ ने पुनरुत्थान की आशा के बारे में माँ से बात की। इससे माँ की दिलचस्पी जगी, क्योंकि जब वो बहुत छोटी ही थीं तब उनके माता-पिता चल बसे थे और वो यह जानने के लिए उत्सुक थीं कि मरने पर एक व्यक्ति के साथ क्या होता है। उस अनुभव ने मुझे अनौपचारिक गवाही देने के अवसरों को कभी न चूकने की अहमियत का एहसास कराया।
१९३० के दशक में, माँ हर रविवार की सुबह को रेडियो पर वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के उस समय के अध्यक्ष, जोसफ एफ. रदरफर्ड के कार्यक्रम को सुनती थीं। उन्हीं सालों में साक्षियों ने हमारे इलाके में भी घर-घर का गवाही काम शुरू किया। वे हमारे आँगन में एक पेड़ की छाया में साथ लाया हुआ ग्रामोफोन लगा देते और भाई रदरफर्ड के रिकार्ड किए हुए भाषण सुनाते। उन रिकार्डों और वॉचटावर और गोल्डन एज (अब अवेक! या हिंदी में सजग होइए!) पत्रिकाओं ने माँ की दिलचस्पी को जगाए रखा।
कुछ साल बाद, १९३८ में वॉचटावर के नियमित पाठकों को एक पोस्टकार्ड भेजा गया जिसमें लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर किसी के घर में एक खास मीटिंग में आने का न्यौता दिया गया था। माँ जाना चाहती थीं, इसलिए फर्न, मैं और मेरे दो भाई उनके साथ हो लिए। जॉन बूथ और चार्ल्स् हॆसलर ने, जो यहोवा के साक्षियों के सफरी ओवरसियर थे, हम दर्जन भर लोगों के सामने भाषण दिए। उसके बाद, वे अगली सुबह सेवकाई में जाने के लिए एक दल का गठन करने लगे। उनके साथ जाने के लिए कोई आगे नहीं आया, सो भाई हॆसलर ने मेरी ओर देखकर पूछा, “तुम हमारे साथ क्यों नहीं चलते?” मैं यह नहीं जानता था कि असल में वे क्या करने जा रहे हैं, लेकिन मेरे पास उनकी मदद न करने का कोई कारण भी नहीं था।
हम दोपहर तक घर-घर जाते रहे, और उसके बाद भाई हॆसलर ने दो सैंडविच निकाले। हम चर्च की सीढ़ियों पर बैठकर खाने लगे। जब मैंने सिगरेट निकाली तब भाई हॆसलर को पता चला कि अब तक मैं सिर्फ एक ही मीटिंग में उपस्थित हुआ हूँ। उन्होंने खुद कहा कि वे उसी दिन शाम को खाने के लिए हमारे यहाँ आएँगे और हमसे कहा कि अपने पड़ोसियों को बाइबल की चर्चा के लिए बुलावा दे देना। जब खाना हो गया तब उन्होंने हमारे साथ बाइबल अध्ययन किया और आए हुए लगभग दस पड़ोसियों के दल के सामने एक भाषण दिया। उन्होंने हमें बताया कि हमें हर हफ्ते बाइबल अध्ययन करना चाहिए। हमारे पड़ोसी तो इसके लिए राज़ी नहीं हुए, हाँ फर्न और मैंने हफ्ते में एक बार बाइबल अध्ययन करने का इंतज़ाम कर लिया।
सच्चाई में आगे बढ़ना
कुछ ही समय बाद, मैं और फर्न क्षेत्र सेवकाई के लिए निकल रहे थे। हम कार की पिछली सीट पर बैठे थे और हमने अपनी सिगरेट सुलगाई ही थी कि मेरे भाई ने मुड़कर हमसे कहा: “मुझे पता चला है कि साक्षी धूम्रपान नहीं करते।” फर्न ने तुरंत अपनी सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक दी, मैंने अपनी खत्म की। हमें सिगरेट पीने में बहुत मज़ा आता था, फिर भी हमने इसके बाद से सिगरेट को छुआ तक नहीं।
सन् १९४० में हमारे बपतिस्मे के बाद, मैं और फर्न एक मीटिंग में मौजूद थे जहाँ पायनियर कार्य करने का प्रोत्साहन देनेवाले लेख का अध्ययन किया जा रहा था। पूरे समय प्रचार करने के काम को पायनियर कार्य कहा जाता है। घर लौटते वक्त, एक भाई ने पूछा: “आप और फर्न पायनियर कार्य क्यों नहीं करते? आपके सामने कोई अड़चन भी नहीं है।” हम भी उससे राज़ी थे, इसलिए हमने हामी भर दी। मैंने अपने मालिक को ३० दिन की नोटिस दी और हमने पायनियर कार्य करने का कार्यक्रम बना लिया।
हमने वॉच टावर सोसाइटी से सलाह माँगी कि कहाँ सेवा करें और फिर हम मेरीलैंड के बाल्टीमोर शहर को गए। वहाँ पायनियरों के लिए एक घर रखा गया था और रहने और खाने का किराया हर महीने १० डॉलर था। हमारी बचत के कुछ पैसे थे और हमें लगा कि उससे अरमगिदोन तक हमारा खर्च बड़े आराम से चल जाएगा। (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) क्योंकि हमने सदा यही सोचा था कि अरमगिदोन किसी भी घड़ी आ जाएगा। सो जब हम पायनियर कार्य करने लगे, तब हमने अपना घर बेच डाला और बाकी सारे काम-धंधे बंद कर दिए।
हमने १९४२ से १९४७ तक बाल्टीमोर में पायनियर कार्य किया। उन सालों में यहोवा के साक्षियों के काम का बहुत ज़्यादा विरोध किया जाता था। जिन विद्यार्थियों के साथ हम बाइबल अध्ययन करते थे उनके घरों तक अपनी कार में जाने के बजाय हम कभी-कभी किसी और की गाड़ी में उनके घर तक जाते थे। इस तरह हमारी कार के टायर पंचर किए जाने से बच जाते थे। कोई भी ऐसे विरोध को पसंद नहीं करता, लेकिन मैं कह सकता हूँ कि हमें क्षेत्र सेवकाई करने में सदा मज़ा आता था। असल में, प्रभु के काम में थोड़ा-बहुत रोमांच हमें अच्छा लगता था।
जल्द ही, हमारी बचत का सारा पैसा खर्च हो गया। हमारी कार के टायर घिस गए और हमारे कपड़े और जूते भी पुराने पड़ गए। हम दो या तीन बार काफी दिनों तक बीमार रहे। काम करते रहना आसान नहीं था लेकिन सबकुछ छोड़-छाड़कर जाने का विचार भी हमारे मन में नहीं आया। हमने कभी इस बारे में बात भी नहीं की। पायनियर कार्य करते रहने के लिए हमने जीवन में सादगी अपनायी।
नियुक्ति में परिवर्तन
सन् १९४७ में हम कैलिफोर्निया के लॉस एन्जिलिस शहर में एक अधिवेशन के लिए गए। जब हम वहाँ थे तब मुझे और मेरे भाई विलियम को एक-एक चिट्ठी मिली, जिसमें हमें कलीसियाओं से मिलने और उनकी मदद करने के सफरी काम के लिए नियुक्त किया गया था। उस समय पर इस काम के लिए हमें कोई खास ट्रेनिंग नहीं मिली। हम ऐसे ही निकल पड़े। इसके बाद के सात साल मैंने फर्न के साथ ओहायो, मिशीगन, इन्डियाना, इलिनोइज़ और न्यू यॉर्क में सेवा की। सन् १९५४ में मिशनरियों को ट्रेनिंग देनेवाले स्कूल, गिलियड की २४वीं कक्षा में हमें आने का न्यौता मिला। जब हम वहाँ थे तो फर्न को पोलियो हो गया। खुशी की बात है कि वह अच्छी हो गयी और हमें न्यू यॉर्क और कनेटीकट में सफरी काम के लिए नियुक्त किया गया।
जब हम कनेटीकट के स्टैमफर्ड शहर में सेवा कर रहे थे, तब वॉच टावर सोसाइटी के उस समय के अध्यक्ष नेथन एच. नॉर ने हमें उस सप्ताहांत अपने घर बुलाया। उन्होंने शाम के वक्त हमारे लिए स्वादिष्ट बीफस्टेक बनाया जिसे अच्छी तरह सजाया गया था। हमारा परिचय उनके साथ पहले से था, और मैं भाई नॉर को जितना जानता था उससे मुझे महसूस हुआ कि हमारे मेल-जोल और खाने के अलावा उनका हमें बुलाने का कुछ और भी मकसद था। उसी शाम को बाद में भाई ने मुझसे पूछा, “क्या आप बेथेल आना चाहेंगे?”
मैंने जवाब दिया, “मैं अभी कुछ कह नहीं सकता; बेथेल की ज़िंदगी के बारे में मैं बहुत कम जानता हूँ।”
कई हफ्तों तक इस बारे में सोच-विचार करके, हमने भाई नॉर से कहा कि अगर वे चाहते हैं तो हम आने के लिए तैयार हैं। अगले हफ्ते, हमें चिट्ठी मिली कि अप्रैल २७, १९५७ के दिन हमें बेथेल में रिपोर्ट करना है। उसी दिन हमारी शादी की २१वीं सालगिरह थी।
बेथेल में उस पहले दिन, भाई नॉर ने मुझे साफ-साफ बताया कि हमसे किस बात की आशा की जाती है। उन्होंने हमसे कहा: “अब आप सर्किट सेवक नहीं रहे; आप यहाँ बेथेल में काम करने के लिए आए हैं। यही अब आपके लिए सबसे ज़रूरी काम है और हम चाहते हैं कि यहाँ बेथेल में आपको मिलनेवाली ट्रेनिंग को इस्तेमाल करने में आप अपना समय और शक्ति लगाएँ। हम चाहते हैं कि आप बेथेल को अपना घर बना लें।”
बेथेल का सार्थक जीवन
मेरी पहली नियुक्ति मैगज़ीन और मेलिंग विभाग में हुई। करीब तीन साल बाद, भाई नॉर ने अपने दफ्तर में आने के लिए मुझे संदेश भेजा। उन्होंने मुझे बताया कि मैं असल में बेथेल में इसलिए लाया गया था कि ‘होम’ विभाग में काम करूँ। उनके निर्देश दो टूक थे, “आपको यहाँ बेथेल होम (घर) चलाना है।”
बेथेल घर की देखरेख करते वक्त मुझे अपने माता-पिता के सिखाए सबक याद आ गए जो उन्होंने फॉर्म पर मेरी परवरिश के दौरान बताए थे। बेथेल घर किसी आम पारिवारिक घराने से काफी मिलता-जुलता है। कपड़े धोने होते हैं, खाना पकाना होता है, बर्तन धोने होते हैं, बिस्तर लगाने होते हैं और ऐसे ही दूसरे काम होते हैं। होम विभाग बेथेल को आरामदेह जगह बनाने की कोशिश करता है, जिससे इसमें रहनेवाला व्यक्ति इसे अपना घर कह सके।
मुझे लगता है कि बेथेल जिस तरह काम करता है उससे सभी परिवार बहुत से सबक सीख सकते हैं। हम सुबह जल्दी उठते हैं और बाइबल के दैनिक पाठ पर चर्चा करके आध्यात्मिक विचारों के साथ दिन की शुरूआत करते हैं। हमसे उम्मीद की जाती है कि हम कड़ी मेहनत करें और संतुलित मगर व्यस्त जीवन जीएँ। जैसा कुछ लोग सोचते हैं बेथेल कोई मठ नहीं है। हमारे सब कामों का समय निश्चित होने के कारण हम बहुत से काम कर पाते हैं। कई लोगों ने कहा है कि जो ट्रेनिंग उन्होंने यहाँ हासिल की उससे उन्हें बाद में अपने-अपने परिवारों में और मसीही कलीसिया में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने में मदद मिली।
बेथेल में आनेवाले युवक और युवतियों को साफ-सफाई, कपड़ों की धुलाई या फैक्टरी में काम के लिए नियुक्त किया जा सकता है। संसार शायद हमें यह यकीन दिलाना चाहे कि ऐसा मेहनत का काम अपमानजनक है और हमारे स्तर से नीचा है। फिर भी बेथेल के युवाओं को यह समझते देर नहीं लगती कि ऐसे काम हमारे परिवार के सुचारु रूप से काम करने और खुश रहने के लिए ज़रूरी हैं।
संसार शायद इस विचार को बढ़ावा दे कि सही मायनों में खुशी पाने के लिए आपको अच्छे पद और प्रतिष्ठा की ज़रूरत है। यह गलत है। जब हम अपना नियुक्त काम पूरा करते हैं, तो ‘जो हमें करना चाहिए था हम वही करते हैं’ और यहोवा की आशीष पाते हैं। (लूका १७:१०) हमें सच्चा संतोष और खुशी केवल तभी मिल सकती है जब हम अपने काम का मकसद याद रखें, यानी यहोवा की इच्छा पूरी करना और राज्य हितों को बढ़ावा देना। अगर हमारे मन में यह बात साफ है तो कोई भी नियुक्त काम करने में हमें खुशी मिलेगी और संतोष होगा।
बढ़ोतरी में हिस्सा लेने का खास अधिकार
हमारे बेथेल आने के दस साल से भी ज़्यादा समय पहले, १९४२ में क्लीवलैंड, ओहायो के अधिवेशन में भाई नॉर ने भाषण दिया था, “शांति—क्या यह कायम रहेगी?” उन्होंने साफ-साफ कहा था कि उस समय चल रहे दूसरे विश्व युद्ध का अंत होगा और उसके बाद शांति का समय आएगा जिसमें प्रचार अभियान को बढ़ाने का मौका मिलेगा। मिशनरियों को ट्रेनिंग देने के लिए गिलियड स्कूल और भाइयों की भाषण देने की योग्यता को बेहतर करने के लिए ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल १९४३ में खोले गए। बड़े-बड़े अधिवेशन भी आयोजित किए गए। खासकर न्यू यॉर्क के यैन्की स्टेडियम में १९५० के दशक में हुए अधिवेशन महत्त्वपूर्ण थे। १९५० और १९५३ में वहाँ हुए अधिवेशनों के सिलसिले में मुझे एक बड़े ट्रेलर सिटी की व्यवस्था करने में हाथ बँटाने का अवसर मिला। इस ट्रेलर सिटी में हर अधिवेशन के आठ-आठ दिनों के लिए हज़ारों लोगों के रहने का प्रबंध था।
उन अधिवेशनों के बाद, जिनमें १९५८ का सबसे बड़ा अधिवेशन भी शामिल है, राज्य प्रकाशकों की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ गयी। इस बढ़ोतरी का बेथेल में हमारे काम पर सीधा असर पड़ा। १९६० दशक के आखिर में और १९७० दशक की शुरूआत में, हम बेथेल के कर्मचारियों के लिए कमरे बनाने और दूसरे कामों के लिए जगह की कमी के कारण परेशान थे। हमारे बढ़ते परिवार की देखभाल करने के लिए हमें ज़्यादा कमरों, रसोईघरों और डाइनिंग हॉलों की ज़रूरत पड़ी।
भाई नॉर ने मुझे और फैक्टरी ओवरसियर भाई मैक्स लारसन को विस्तार के लिए सही जगह ढूँढ़ने के लिए कहा। सन् १९५७ में जब मैं बेथेल आया, हमारा परिवार लगभग ५०० लोगों का था जो एक बड़ी इमारत में रहते थे। लेकिन कई सालों के दरमियान, सोसाइटी ने पास के तीन बड़े होटल और कई छोटी इमारतें खरीदीं और उनकी मरम्मत करवायी। ये तीन होटल थे टावर्स्, स्टैन्डिश और बॉसर्ट। सन् १९८६ में सोसाइटी ने वह जगह खरीदी जहाँ होटल मारग्रेट था और उस सुंदर नयी इमारत को उन्होंने बदलकर २५० लोगों का घर बना दिया। फिर १९९० दशक की शुरूआत में, १,००० काम करनेवालों के रहने के लिए ३०-मंज़िला इमारत बनायी गयी। ब्रुकलिन बेथेल अब हमारे परिवार के ३,३०० से ज़्यादा सदस्यों के रहने का प्रबंध और उनके खाने-पीने की देखभाल कर सकता है।
ब्रुकलिन बेथेल से करीब १६० किलोमीटर की दूरी पर भी वॉलकिल, न्यू यॉर्क में एक ज़मीन खरीदी गयी। १९६० के दशक के आखिर में निर्माण शुरू हुआ और सालों बाद अब वहाँ रहने के लिए और छपाईखाने के लिए इमारतें हैं। अब हमारे बेथेल परिवार के करीब १,२०० सदस्य वहाँ रहते और काम करते हैं। सन् १९८० में न्यू यॉर्क सिटी के पास लगभग ६०० एकड़ ज़मीन की खोज शुरू हुई, जो हाइवे के पास ही हो। ज़मीन-जायदाद के दलाल ने हँसकर कहा: “आपको ऐसी ज़मीन कहाँ मिलेगी? यह तो अनहोनी बात है।” लेकिन अगली सुबह ही उसने फोन पर बताया: “आपकी ज़मीन मिल गयी।” आज वह न्यू यॉर्क के पैटरसन में वॉचटावर एड्यूकेशनल सेंटर के नाम से जाना जाता है। वहाँ स्कूल चलाए जाते हैं और वहाँ १,३०० से ज़्यादा सेवकों का परिवार है।
मैंने जो सबक सीखे हैं
मैंने सीखा है कि अच्छा ओवरसियर वह है जो दूसरों से मूल्यवान जानकारी हासिल कर सके। बेथेल ओवरसियर के नाते मुझे जिन नए-नए तरीकों पर अमल करने का सुअवसर मिला है वे ज़्यादातर मुझे दूसरों ने बताए थे।
जब मैं बेथेल में आया था तब बहुत से भाई-बहन बुज़ुर्गवार थे जैसा आज मैं हूँ। उनमें से ज़्यादातर अब नहीं रहे। जो बूढ़े होकर मर जाते हैं उनकी जगह कौन लेता है? ज़्यादातर ऐसे लोग नहीं लेते जो बहुत काबिल होते हैं। बल्कि ऐसे जो यहाँ मौजूद होते हैं, अपना काम वफादारी से करते हैं और हमेशा काम करने के लिए तैयार रहते हैं।
एक और बात जो याद रखने की है वह है अच्छी पत्नी का मोल। अपनी ईश्वरीय नियुक्तियों को पूरा करने में मेरी प्यारी पत्नी फर्न के सहारे से मुझे बहुत मदद मिली है। इस बात का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी पतियों की है कि उनकी पत्नियाँ अपनी नियुक्तियों से खुशी पाएँ। मैं कोशिश करता हूँ कुछ ऐसा कार्यक्रम रखूँ जो फर्न और मुझे पसंद हो। ज़रूरी नहीं कि इस पर बहुत पैसा खर्च किया जाए, बस रोज़ की बात से कुछ हटकर करना। यह पति का ज़िम्मा है कि ऐसे काम करे जिससे उसकी पत्नी को खुशी मिलती हो। पत्नी के साथ बिताया गया समय बहुत ही कीमती होता है और जल्दी गुज़र जाता है, इसलिए उसे इस समय का पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहिए।
मुझे खुशी है कि मैं इन अंतिम दिनों में जी रहा हूँ जिसके बारे में यीशु ने बात की थी। यह मनुष्य के इतिहास में बहुत ही विस्मयकारी समय है। हम अपनी विश्वास की आँखों से यह देखने और समझने के काबिल हैं कि कैसे हमारा प्रभु प्रतिज्ञा की गयी नयी दुनिया के आगमन के लिए अपने संगठन को तैयार करने में लगा हुआ है। जब मैं यहोवा की सेवा में बिताए अपने जीवन पर नज़र डालता हूँ, तो मैं देख सकता हूँ कि यहोवा ही है जो इस संगठन को चला रहा है—कोई इंसान नहीं। हम तो बस उसके सेवक हैं। और इसलिए हमें निर्देशन के लिए हर घड़ी उसकी ओर ताकना है। जब एक बार वह बता देता है कि हमें क्या करना है तो बस हमें मैदान में कूद पड़ना है और मिलकर उसे पूरा करना है।
संगठन को पूरा-पूरा सहयोग दीजिए और यह बात पक्की है कि आपका जीवन अर्थपूर्ण और खुशियों भरा होगा। चाहे आप जो भी कर रहे हों—चाहे पायनियर कार्य, सर्किट काम, कलीसिया में एक प्रकाशक के नाते सेवा, बेथेल सेवा या मिशनरी काम कर रहे हों—दिए गए निर्देशन को मानिए और अपनी नियुक्ति की कदर कीजिए। अपनी पूरी कोशिश कीजिए कि यहोवा की सेवा में हर किस्म के काम और काम के हर दिन का पूरा-पूरा आनंद उठाएँ। आप थक जाएँगे और हो सकता है कि आपको बहुत काम करना पड़े या आप कभी-कभी निराश महसूस करें। उस वक्त आपको यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने का उद्देश्य याद रखना है। जो उसकी इच्छा पूरी करना है, न कि अपनी।
ऐसा कोई दिन नहीं बीता जब मैं काम पर आया हूँ और मैंने जो किया उसका मज़ा न उठाया हो। क्यों? क्योंकि जब हम अपना सबकुछ यहोवा को दे देते हैं तब हमें यह जानकर संतोष होता है कि ‘जो हमें करना चाहिए था हमने वही किया है।’
[पेज 19 पर तसवीर]
बाल्टीमोर में पायनियर कार्य, १९४६
[पेज 19 पर तसवीर]
फर्न के साथ ट्रेलर सिटी में, १९५०
[पेज 19 पर तसवीर]
पत्रिका विभाग
[पेज 19 पर तसवीर]
ट्रेलर सिटी, १९५०
[पेज 22 पर तसवीर]
ऑड्री और नेथन नॉर के साथ
[पेज 23 पर तसवीर]
न्यू यॉर्क के पैटरसन में वॉच टावर एड्यूकेशनल सेंटर
[पेज 24 पर तसवीर]
आज मैं और फर्न