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  • पौलुस के सहकर्मी—वे कौन थे?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1999
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1999
w99 6/1 पेज 28-31

पौलुस के सहकर्मी—वे कौन थे?

बाइबल की प्रेरितों नामक पुस्तक में और पौलुस की पत्रियों में करीब सौ लोगों के नाम हैं, जो पहली सदी में मसीही कलीसिया के सदस्य थे और जिन्होंने “अन्यजातियों के लिये प्रेरित” कहलानेवाले पौलुस के साथ संगति की। (रोमियों ११:१३) उनमें से कई लोगों के बारे में काफी कुछ मालूम है। शायद आपको अपुल्लोस, बरनबास और सीलास के कामों के बारे में काफी जानकारी हो। दूसरी ओर, शायद आप अर्खिप्पुस, क्लौदिया, दमरिस, लीनुस, पिरसिस, पूदेंस और सोपत्रुस के बारे में ज़्यादा कुछ न जानते हों।

अलग-अलग समय और अलग-अलग परिस्थितियों में कई लोगों ने सेवकाई में पौलुस को सक्रिय रूप से मदद दी। अरिस्तर्खुस, लूका और तीमुथियुस जैसे कुछ लोगों ने कई सालों तक पौलुस के साथ काम किया। और कुछ भाई उसके साथ कैद में रहे या जब वह यात्रा कर रहा होता तो उसके साथ जाते या उसकी पहुनाई करते। लेकिन दुःख की बात है कि सिकन्दर, देमास, हिरमुगिनेस और फूगिलुस जैसे कुछ लोगों ने मसीही विश्‍वास त्याग दिया।

पौलुस के कई दोस्तों के बारे में हम उनके नाम को छोड़ ज़्यादा कुछ नहीं जानते, जैसे असुक्रितुस, हिमांस, यूलिया और फिलुलुगुस और दूसरे कई लोग। नेर्युस की बहन या रूफुस की माँ या खलोए के घराने के लोगों के बारे में तो हम उतना भी नहीं जानते। (रोमियों १६:१३-१५; १ कुरिन्थियों १:११) इसके बावजूद, इन करीब एक सौ लोगों के बारे में हमारे पास जो थोड़ी-बहुत जानकारी है उसकी जाँच करने से पता चलता है कि प्रेरित पौलुस किस तरह काम करता था। इससे हम यह भी सीखते हैं कि ढेर सारे संगी विश्‍वासियों के बीच रहने और उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करने के कितने फायदे हैं।

यात्रा में साथ चलनेवाले, पहुनाई करनेवाले पुरुष-स्त्रियाँ

प्रेरित पौलुस ने सेवकाई के लिए बहुत यात्रा की। एक लेखक कहता है कि पौलुस की जितनी यात्राओं का ज़िक्र प्रेरितों की पुस्तक में है सिर्फ उन्हीं को जोड़ें तो उसने सड़क और समुद्र से करीब १६,००० किलोमीटर यात्रा की। उन दिनों यात्रा करना न सिर्फ थकाऊ होता था बल्कि खतरनाक भी था। पौलुस ने तरह-तरह की मुसीबतें सहीं, जैसे वह जहाज़ी दुर्घटनाओं में फँसा, नदियों और डाकुओं के जोखिम में, जंगल के जोखिम में और समुद्र के जोखिम में रहा। (२ कुरिन्थियों ११:२५, २६) यह अच्छा था कि पौलुस अपनी यात्राओं पर शायद ही कभी अकेला गया।

इन यात्राओं पर जो लोग पौलुस के साथ जाते उनसे उसे संगति और प्रोत्साहन मिलता और उसकी सेवकाई में वे बड़े काम आते। कई बार, पौलुस उन्हें पीछे छोड़ जाता ताकि वे नये विश्‍वासियों की आध्यात्मिक ज़रूरतों का ध्यान रख सकें। (प्रेरितों १७:१४; तीतुस १:५) लेकिन सुरक्षा के लिए और यात्रा की कठिनाइयों का सामना करते समय सहारे के लिए शायद साथियों का होना ज़रूरी था। इसलिए पौलुस के साथ यात्राओं पर जानेवालों ने उसकी सेवकाई को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी होगी। हम जानते हैं कि सोपत्रुस, सिकुन्दुस, गयुस और त्रुफिमुस भी उनमें से थे जो पौलुस के साथ उन यात्राओं पर गये।—प्रेरितों २०:४.

पौलुस पहुनाई दिखानेवाले पुरुषों और स्त्रियों की मदद की भी कदर करता था। जब पौलुस उस नगर में पहुँचता जहाँ वह कुछ समय प्रचार करने की सोच रहा होता या सिर्फ एक रात बिताने की बात होती तो सबसे पहले उसे ठहरने के लिए एक जगह की सख्त ज़रूरत होती। जो व्यक्‍ति पौलुस के जितनी दूर-दूर तक यात्रा करता उसे सचमुच न जाने कितने बिस्तरों पर सोना पड़ता। वह किसी भी सराय में ठहर सकता था, लेकिन इतिहासकार कहते हैं कि ये “खतरनाक और घिनौनी जगहें” थीं। सो जब भी हो सका, पौलुस शायद संगी विश्‍वासियों के साथ रहा।

हम उनमें से कुछ लोगों के नाम जानते हैं जिन्होंने पौलुस की पहुनाई की—अक्विला और प्रिसका, गयुस, फिलिप्पुस, फिलेमोन, मनासोन, यासोन और लुदिया। (प्रेरितों १६:१४, १५; १७:७; १८:२, ३; २१:८, १६; रोमियों १६:२३; फिलेमोन १, २२) फिलिप्पी, थिस्सलुनीकिया और कुरिन्थ में इन घरों को पौलुस अपना अड्डा बना सका और वहाँ से उसने अपना मिशनरी काम चलाया। कुरिन्थ में, तितुस युस्तुस ने अपना घर खोल दिया और पौलुस को जगह दी जहाँ रहकर वह अपना प्रचार कर सकता था।—प्रेरितों १८:७.

ढेरों दोस्त

इसमें हैरानी की बात नहीं कि पौलुस ने अपने जान-पहचानवालों को उनकी अलग-अलग बातों के लिए याद किया क्योंकि वह उनसे अलग-अलग परिस्थितियों में मिला था। उदाहरण के लिए, पिरसिस, फीबे, त्रूफैना, त्रूफोसा और मरियम संगी विश्‍वासी स्त्रियाँ थीं और उनके परिश्रम के लिए उसने उनकी सराहना की। (रोमियों १६:१, २, ६, १२) पौलुस ने क्रिस्पुस, गयुस और स्तिफनास के घराने को बपतिस्मा दिया। दियुनुसियुस और दमरिस ने एथेने में उससे सत्य का संदेश सुना। (प्रेरितों १७:३४; १ कुरिन्थियों १:१४, १६) अन्द्रुनीकुस और यूनियास “प्रेरितों में नामी” थे और पौलुस से पहले विश्‍वासी बने थे। कहा गया है कि वे पौलुस के “साथ कैद हुए थे।” तो शायद वे उसके साथ कभी कैद में रहे हों। पौलुस इन दोनों को भी यासोन, लूकियुस, सोसिपत्रुस और हेरोदियोन की तरह अपने “कुटुम्बी” कहता है। (रोमियों १६:७, ११, २१) यहाँ जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है उसका अर्थ “एक ही देश के रहनेवाले” भी हो सकता है, लेकिन उसका मूल अर्थ है “एक ही पीढ़ी के लोग जिनका आपस में खून का रिश्‍ता हो।”

पौलुस के बहुत से दोस्त सुसमाचार फैलाने के लिए दूर-दूर तक गये। उसके कुछ जाने-माने साथियों के अलावा, अखइकुस, फूरतूनातुस और स्तिफनास भी कुरिन्थ से इफिसुस तक गये ताकि अपनी कलीसिया की आध्यात्मिक स्थिति के बारे में पौलुस से सलाह-मशविरा कर सकें। अरतिमास और तुखिकुस यात्रा करके तीतुस के पास जाने को तैयार थे जो क्रेते द्वीप पर सेवा कर रहा था। जेनास अपुल्लोस के साथ यात्रा पर जानेवाला था।—१ कुरिन्थियों १६:१७; तीतुस ३:१२, १३.

ऐसे भी लोग हैं जिनके बारे में पौलुस छोटी-छोटी और दिलचस्प बातें बताता है। उदाहरण के लिए, हमें बताया गया है कि इपैनितुस “आसिया का पहिला फल” था, इरास्तुस कुरिन्थ “नगर का भण्डारी” था, तिरतियुस से पौलुस ने रोमियों के नाम अपनी पत्री लिखवायी थी, लुदिया बैंजनी कपड़े बेचनेवाली थी और लूका वैद्य था। (रोमियों १६:५, २२, २३; प्रेरितों १६:१४; कुलुस्सियों ४:१४) जो कोई इन लोगों के बारे में ज़्यादा जानना चाहता है उनके लिए ये छोटी-छोटी बातें दिलचस्प और जिज्ञासा जगानेवाली हैं।

पौलुस ने अपने कुछ साथियों को निजी संदेश भेजे, जो बाइबल में दर्ज़ हैं। उदाहरण के लिए, कुलुस्सियों के नाम अपनी पत्री में पौलुस ने अर्खिप्पुस को सलाह दी: “जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साथ पूरी करना।” (कुलुस्सियों ४:१७) लगता है कि यूओदिया और सुन्तुखे का आपसी मतभेद था जो उन्हें दूर करना था। सो फिलिप्पी में एक अनाम “सहकर्मी” के द्वारा पौलुस ने उन्हें कहला भेजा कि “प्रभु में एक मन रहें।” (फिलिप्पियों ४:२, ३) पक्की बात है कि यह हम सब के लिए भी अच्छी सलाह है।

कैद होने पर भी वफादारी से साथ निभाया

पौलुस को कई बार कैद किया गया। (२ कुरिन्थियों ११:२३) ऐसे समय में जब भी आस-पास मसीही होते थे तो वे उसकी पीड़ा कम करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते थे। जब पहली बार पौलुस को रोम में कैद किया गया तो उसे दो साल तक किराये पर घर लेकर रहने की मोहलत दी गयी और वहाँ उसके दोस्त आकर उससे मिल सकते थे। (प्रेरितों २८:३०) उस दौरान, उसने फिलेमोन को और इफिसुस, फिलिप्पी और कुलुस्से की कलीसियाओं को पत्रियाँ लिखीं। इनसे हम उन लोगों के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं जो पौलुस के कैद के समय उसके करीब थे।

उदाहरण के लिए, हमें पता चलता है कि फिलेमोन का भगोड़ा दास उनेसिमुस रोम में पौलुस से मिला और तुखिकुस भी उससे मिला। तुखिकुस उनेसिमुस को उसके मालिक के पास वापस ले गया। (कुलुस्सियों ४:७-९) इपफ्रुदीतुस फिलिप्पी में अपनी कलीसिया की तरफ से भेंट लेकर लंबी यात्रा करके आया और बाद में बीमार पड़ गया। (फिलिप्पी २:२५; ४:१८) अरिस्तर्खुस, मरकुस और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, ने रोम में पौलुस के साथ मिलकर काम किया। उनके बारे में पौलुस ने कहा: “केवल ये ही परमेश्‍वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरी शान्ति का कारण रहे हैं।” (कुलुस्सियों ४:१०, ११) इन सभी वफादार लोगों के साथ-साथ ज़्यादा जाने-माने लोग तीमुथियुस और लूका भी थे और देमास भी था जिसने बाद में संसार को प्रिय जानकर पौलुस को छोड़ दिया।—कुलुस्सियों १:१; ४:१४; २ तीमुथियुस ४:१०; फिलेमोन २४.

लगता है कि उनमें से कोई भी रोम का नहीं था, फिर भी वे पौलुस को सहारा देने के लिए उसके पास थे। शायद कुछ लोग उसकी कैद के दौरान उसकी मदद करने के लिए ही रोम आये थे। इसमें संदेह नहीं कि कुछ लोगों ने उसके छोटे-मोटे काम निपटाये, दूसरों को दूर-दूर खास काम के लिए भेजा गया और कई लोगों से पौलुस ने पत्रियाँ लिखवायीं। यह इसका कितना बढ़िया सबूत है कि इन सभी लोगों का पौलुस के प्रति और परमेश्‍वर के काम के प्रति कितना गहरा लगाव और कितनी वफादारी थी!

पौलुस की कुछ पत्रियों के अंत में जो कहा गया है उससे हम देख पाते हैं कि वह शायद ढेरों मसीही भाई-बहनों से घिरा रहता था, सिर्फ उन्हीं गिने-चुने लोगों से नहीं जिनके नाम हम जानते हैं। अलग-अलग मौकों पर उसने लिखा: “सब पवित्र लोग तुम्हें नमस्कार करते हैं,” और “मेरे सब साथियों का तुझे नमस्कार।”—२ कुरिन्थियों १३:१३; तीतुस ३:१५; फिलिप्पियों ४:२२.

रोम में जब पौलुस दूसरी बार कैद हुआ और उसके सिर पर मौत मँडरा रही थी तो उस कठिन समय में भी उसे अपने सहकर्मियों की चिंता थी। इस स्थिति में भी वह कम-से-कम कुछ लोगों के काम पर तो निगरानी रख ही रहा था और उनके बीच तालमेल बिठा रहा था। तीतुस और तुखिकुस को खास काम पर भेजा गया था, क्रेसकेंस गलतिया को गया था, इरास्तुस कुरिन्थुस में रह गया था, त्रुफिमुस मीलेतुस में बीमार पड़ गया था, लेकिन मरकुस और तीमुथियुस उसके पास आनेवाले थे। लूका उसके साथ ही था और जब पौलुस ने तीमुथियुस को अपनी दूसरी पत्री लिखी तो यूबूलुस, पूदेंस, लीनुस और क्लौदिया और दूसरे कई विश्‍वासी उसके पास थे और उन्होंने अपना नमस्कार भेजा। इसमें कोई शक नहीं कि पौलुस की मदद करने के लिए वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे। साथ ही, पौलुस ने खुद भी प्रिसका और अक्विला को और उनेसिफुरुस के घराने को नमस्कार भेजा। लेकिन दुःख की बात है कि मुसीबत की उस घड़ी में देमास ने उसे छोड़ दिया और सिकन्दर ने उसके साथ बहुत बुराइयाँ कीं।—२ तीमुथियुस ४:९-२१.

“हम परमेश्‍वर के सहकर्मी हैं”

अपने प्रचार के काम में पौलुस शायद ही कभी अकेला था। उसके बारे में टीकाकार ई. अर्ल ऎलिस कहता है, “एक ऐसे मिशनरी की तसवीर उभरती है जिसके पास बहुत से साथी थे। सचमुच, पौलुस को शायद ही कभी साथियों के बिना देखा जाता है।” परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से पौलुस बहुत लोगों में जोश भर सका और प्रभावकारी तरीके से मिशनरी अभियान चला सका। उसके साथ कुछ नज़दीकी दोस्त थे, कुछ लोगों ने थोड़े समय तक सहायता की, कुछ लोगों का व्यक्‍तित्व ज़बरदस्त था और ढेरों नम्र सेवक थे। लेकिन, ये सिर्फ सहकर्मी नहीं थे। उन्होंने पौलुस के साथ चाहे जिस भी हद तक काम किया या संगति की, उनके बीच मसीही प्रेम और आपसी दोस्ती का जो बँधन था वह साफ नज़र आता है।

प्रेरित पौलुस में वह बात थी जिसे ‘दोस्ती का गुण’ कहा गया है। उसने अन्यजातियों को सुसमाचार सुनाने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन उसने यह काम अकेले ही करने की कोशिश नहीं की। उसने संगठित मसीही कलीसिया को सहयोग दिया और उसका पूरा फायदा उठाया। काम का जो भी नतीजा निकला पौलुस ने खुद उसका श्रेय नहीं लिया बल्कि नम्रता से यह स्वीकार किया कि वह तो सिर्फ एक दास है, सारी महिमा परमेश्‍वर को मिलनी चाहिए क्योंकि बढ़ोतरी देनेवाला वही है।—१ कुरिन्थियों ३:५-७; ९:१६; फिलिप्पियों १:१.

पौलुस का समय हमारे समय से फर्क था, तो भी आज मसीही कलीसिया में किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह सब कुछ अकेले ही कर सकता है या करना चाहता है। इसके बजाय, हमें हमेशा परमेश्‍वर के संगठन के साथ, अपनी स्थानीय कलीसिया के साथ और अपने संगी विश्‍वासियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमें अच्छे समय में और बुरे समय में उनकी मदद, सहारे और दिलासे की ज़रूरत है। हमारे पास यह अनमोल विशेषाधिकार है कि हम ‘संसार में भाइयों के समस्त संघ’ का हिस्सा हैं। (१ पतरस ५:९, NW) यदि हम उन सब के साथ वफादारी और प्रेम से कंधे-से-कंधा मिलाकर और सहयोग देते हुए काम करते हैं तो पौलुस की तरह ही हम भी कह सकते हैं कि “हम परमेश्‍वर के सहकर्मी हैं।”—१ कुरिन्थियों ३:९.

[पेज 31 पर तसवीर]

अपुल्लोस

अरिस्तर्खुस

बरनबास

लुदिया

उनेसिफुरुस

तिरतियुस

तुखिकुस

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