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  • गलील सागर में
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
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गलील सागर में

मरकुस 4:35-41 में दर्ज़ एक किस्सा बताता है कि एक बार जब यीशु अपने चेलों के साथ गलील सागर पार करने के लिए नाव पर सवार हुआ तब क्या हुआ। हम पढ़ते हैं: “तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। और वह [यीशु] आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था।”

बाइबल में सिर्फ इसी जगह पर, यूनानी भाषा में “गद्दी” के लिए जो शब्द है वह इस्तेमाल किया गया है। इसलिए विद्वान सही-सही नहीं जानते कि यहाँ जिस शब्द का इस्तेमाल किया गया है उसका असल में क्या मतलब है। ज़्यादातर बाइबलों में इस शब्द का अनुवाद “तकिया” या “गद्दी” किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि असल में यह क्या चीज़ थी? मूल भाषा में मरकुस ने जिस तरह शब्द “गद्दी” का इस्तेमाल किया है उससे समझ में आता है कि यह चीज़, नाव में इस्तेमाल होनेवाले सामान में से एक थी। सन्‌ 1986 में गलील सागर के तट पर मिली एक प्राचीन नाव की खोज ने इस बात पर रोशनी डाली है कि यूनानी भाषा के इस शब्द का क्या मतलब हो सकता है।

इस 26 फुट [8 m] लंबी नाव की जाँच करने के बाद यह पता चला कि इसको खेने के लिए पाल और चप्पुओं की मदद ली जाती थी। इस नाव को मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसके पिछले भाग में एक मज़बूत डेक भी था जो मछली पकड़ने के बड़े और भारी कोना जाल का बोझ सह सकता था। इस नाव को सा.यु.पू. 100 से सा.यु. 70 के बीच की बताया जाता है। और शायद यह वैसे ही किस्म की नाव है जिस पर यीशु और उसके चेले सवार थे। इस नाव की खोज करनेवालों में शामिल शैली वाक्समान ने एक (अँग्रेज़ी) किताब लिखी जिसका शीर्षक था, गलील सागर की नाव—2000 साल पुरानी एक हैरतअंगेज़ खोज। उनका कहना है कि जिस “गद्दी” पर सिर रखकर यीशु सो रहा था, वह रेत से भरी एक बोरी थी जो नाव को स्थिर रखने के लिए वज़न के तौर पर इस्तेमाल की जाती थी। जाफा शहर के एक पुराने मछुआरे ने, जिसे कोना जाल से मछली पकड़ने का अनुभव है, यह कहा: “बचपन में, मैंने भूमध्य सागर में जिन नावों पर काम किया था उनमें हमेशा रेत से भरी एक या दो बोरियाँ होती थीं। . . . नाव को स्थिर रखने के लिए इन बोरियों को वज़न के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन जब इन्हें इस्तेमाल नहीं किया जाता था तब हम इन्हें डेक के नीचेवाले खाने में रख देते थे। और जब कोई थक जाता था तब वह डेक के नीचे घुसकर इन बोरियों को सिरहाना बनाकर, सो जाता था।”

कई विद्वान मानते हैं कि मरकुस के मुताबिक यीशु भी रेत की ऐसी एक बोरी पर सिर रखकर डेक के नीचे सो रहा था। डेक के नीचे की जगह को तूफान के दौरान सबसे महफूज़ जगह माना जाता था। तकिया चाहे जैसा भी था, जो बात सबसे ज़्यादा मायने रखती है वह इसके बाद घटी थी। यीशु ने परमेश्‍वर से मिली शक्‍ति से उन तूफानी समुद्री लहरों को शांत कर दिया। यह देखकर, उसके हैरान चेले आपस में कहने लगे: “यह कौन है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?”

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