तेरी हानि के लिए बनाया कोई भी हथियार सफल न होगा
“तेरी हानि के लिए बनाया कोई भी हथियार सफल न होगा।”—यशायाह 54:17, NHT.
1, 2. अल्बेनिया में यहोवा के साक्षियों के अनुभव कैसे दिखाते हैं कि यशायाह 54:17 के शब्द सोलह आने सच हैं?
दक्षिण-पूर्वी यूरोप में एक छोटा-सा पहाड़ी देश है, अल्बेनिया। दशकों पहले, उस देश में साहसी मसीहियों के एक समूह को कुचलने के लिए, कम्यूनिस्ट सरकार ने क्या-क्या नहीं किया। उन मसीहियों को यातनाएँ दी गयीं, ऐसे शिविरों में डाला गया, जहाँ उनसे दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह काम करवाया जाता था और उनके बारे में झूठी अफवाहें भी फैलायी गयीं। इन सबके बावजूद कम्यूनिस्ट सरकार उनकी हस्ती नहीं मिटा पायी। आखिर ये लोग थे कौन? यहोवा के साक्षी। हालाँकि उन दशकों के दौरान, साक्षियों के लिए सभाएँ चलाना और प्रचार करना बहुत मुश्किल था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। नतीजा, इससे यहोवा का नाम रोशन हुआ और मसीहियत को बुलंद किया गया। पिछले साल, अल्बेनिया के नए शाखा दफ्तर का समर्पण हुआ। उस मौके पर लंबे समय से सेवा कर रहे एक वफादार साक्षी ने कहा: “शैतान चाहे लाख कोशिश कर ले, उसे हर बार मुँह की खानी पड़ती है। मगर यहोवा हर बार अपनी जीत की खुशी मनाता है!”
2 यह सब परमेश्वर के उस वादे के सच होने का जीता-जागता सबूत है, जो उसने अपने लोगों से किया था। वह वादा, हम यशायाह 54:17 (NHT) में पढ़ते हैं: “तेरी हानि के लिए बनाया कोई भी हथियार सफल न होगा, और जितनी भी जीभें तुझ पर दोष लगाएं तू उन्हें दोषी ठहराएगी।” इतिहास गवाह है कि यहोवा परमेश्वर के समर्पित सेवक उसकी उपासना करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। और शैतान की दुनिया उन्हें ऐसा करने से कभी नहीं रोक सकेगी।
शैतान की नाकाम कोशिशें
3, 4. (क) शैतान के हथियार क्या हैं? (ख) शैतान के हथियार किस तरह नाकाम साबित हुए हैं?
3 शैतान ने सच्चे उपासकों के खिलाफ जो-जो हथियार इस्तेमाल किए हैं, वे हैं उन पर पाबंदी लगाना, उन्हें मारने के लिए भीड़ को भड़काना, उन्हें जेल में डालना और ‘कानून की आड़ में उत्पात मचाना।’ (भजन 94:20) सच पूछो तो इस वक्त भी जब यहोवा के साक्षी इस लेख का अध्ययन कर रहे हैं, तो कुछ देशों में इनकी खराई ‘परखी जा’ रही है।—प्रकाशितवाक्य 2:10.
4 उदाहरण के लिए, यहोवा के साक्षियों के एक शाखा दफ्तर का कहना है कि सिर्फ एक ही साल के दरमियान ऐसी 32 वारदातें हुई हैं, जिनमें परमेश्वर के सेवकों पर प्रचार के दौरान हमले किए गए थे। इसके अलावा, 59 वाकयों में पुलिस ने उन साक्षी बच्चों, बूढ़ों और स्त्री-पुरुषों को हिरासत में लिया जो प्रचार कर रहे थे। कुछेक के साथ ऐसा सलूक किया गया मानो वे मुजरिम हों। जैसे, उनकी उँगलियों के निशान लिए गए, उनकी फोटो खींची गयीं और उन्हें सलाखों के पीछे बंद किया गया। कुछ और मामलों में साक्षियों को मारने-पीटने की धमकी दी गयी। एक और देश में, ऐसे 1,100 से भी ज़्यादा वारदातें रिपोर्ट की गयीं, जिनमें यहोवा के साक्षियों को गिरफ्तार किया गया, उन पर जुर्माना लगाया गया या उन्हें मारा-पीटा गया था। इनमें 200 से भी ज़्यादा वारदातें उस दिन हुईं जिस दिन साक्षी, यीशु की मौत की यादगार मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे! पहाड़ जैसी मुसीबतों के बावजूद इन देशों और दूसरे देशों में यहोवा की आत्मा ने उसके लोगों को बचाए रखा। (जकर्याह 4:6) दुश्मनों का धधकता क्रोध यहोवा की महिमा करनेवालों का मुँह नहीं बंद कर सकेगा। जी हाँ, हमें पूरा यकीन है कि कोई भी हथियार परमेश्वर के मकसद को पूरा होने से नहीं रोक सकता।
झूठ बोलनेवाली जीभें दोषी ठहरती हैं
5. पहली सदी में, यहोवा के सेवकों के खिलाफ किस तरह झूठ बोलनेवाली जीभें उठीं?
5 यशायाह ने भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर के लोग, उनके खिलाफ उठनेवाली हर जीभ को दोषी ठहराएँगे या गलत साबित करेंगे। पहली सदी में, मसीहियों के बारे में अकसर गलत तसवीर पेश की जाती थी कि वे बुरे लोग हैं। प्रेरितों 16:20, 21 के मुताबिक उन पर ऐसा ही एक इलज़ाम लगाया गया था: “ये लोग . . . हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं। और ऐसे व्यवहार बता [“ऐसी रीतियों का प्रचार कर,” NHT] रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिये ठीक नहीं।” एक और मौके पर विरोधियों ने मसीह के चेलों के खिलाफ नगर के हाकिमों को भड़काने की कोशिश की। उनका दावा था कि “ये लोग जिन्हों ने जगत को उलटा पुलटा कर दिया है, यहां भी आए हैं। . . . और कैसर की आज्ञाओं का विरोध करते हैं।” (प्रेरितों 17:6, 7) उसी तरह, प्रेरित पौलुस को “उपद्रवी” और एक ऐसे पंथ का सरदार कहा गया था, जो उनके मुताबिक ‘सारे जगत में’ बलवा मचा रहा था।—प्रेरितों 24:2-5.
6, 7. एक तरीका क्या है जिसके ज़रिए सच्चे मसीही, उन पर लगाए गए इलज़ामों को झूठा साबित करते हैं?
6 इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि आज, सच्चे मसीहियों के बारे में भी जानबूझकर गलत तसवीर पेश की जाती है, उनके बारे में घिनौना झूठ बोला जाता है और उन्हें बदनाम करने के लिए झूठी अफवाहें फैलायी जाती हैं। हम इस तरह के इलज़ामों को कैसे गलत साबित करते हैं?—यशायाह 54:17.
7 यहोवा के साक्षी अपने बढ़िया चालचलन के ज़रिए इन सारे इलज़ामों और अफवाहों को गलत साबित करते हैं। (1 पतरस 2:12) जब मसीही अपने कामों से दिखाते हैं कि वे देश के कानून माननेवाले नागरिक हैं और लोगों की खैरियत की सच्ची परवाह करनेवाले हैं, तो उनके खिलाफ लगाए गए इलज़ाम झूठे साबित होते हैं। जी हाँ, हम अपने अच्छे चालचलन से अपने बारे में गवाही देते हैं। जब लोग गौर करते हैं कि हम भले कामों में लगे रहते हैं, तो वे अकसर स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता की महिमा करने और यह कबूल करने को उकसाए जाते हैं कि उसके सेवकों के जीने का तरीका सबसे उम्दा है।—यशायाह 60:14; मत्ती 5:14-16.
8. (क) अपने मसीही विश्वास की रक्षा करने के लिए कभी-कभी क्या करना ज़रूरी हो सकता है? (ख) यीशु की तरह हम अपने खिलाफ उठनेवाली जीभ को कैसे रोक सकते हैं?
8 हमारे मसीही चालचलन के अलावा, कभी-कभी यह ज़रूरी हो सकता है कि हम निडरता से अपने मसीही विश्वास की रक्षा करें। ऐसा करने का एक तरीका है, सरकार या अदालत से मदद की अपील करना। (एस्तेर 8:3; प्रेरितों 22:25-29; 25:10-12) जब यीशु धरती पर था, तो कुछ मौकों पर उसने अपने निंदा करनेवालों के साथ खुलकर वाद-विवाद किया और उनके झूठे इलज़ामों को गलत साबित किया। (मत्ती 12:34-37; 15:1-11) यीशु की तरह, जब हमें भी मौका मिलता है, तो हम अपने पक्के विश्वास के बारे में दूसरों को साफ-साफ समझाने से नहीं चूकते। (1 पतरस 3:15) चाहे हमारे स्कूल के साथी, साथ काम करनेवाले या अविश्वासी रिश्तेदार हमारी खिल्ली क्यों न उड़ाएँ, आइए हम ठान लें कि हम परमेश्वर के वचन की सच्चाई सुनाने से पीछे नहीं हटेंगे।—2 पतरस 3:3, 4.
यरूशलेम—“एक भारी पत्थर”
9. जकर्याह 12:3 में बताया गया “भारी पत्थर” किस यरूशलेम की तरफ इशारा करता है और धरती पर यह किन्हें दर्शाता है?
9 जकर्याह की भविष्यवाणी बताती है कि क्यों राष्ट्र-राष्ट्र के लोग सच्चे मसीहियों का विरोध करते हैं। गौर कीजिए कि जकर्याह 12:3 (NHT) क्या कहता है: “उस दिन ऐसा होगा कि मैं यरूशलेम को सब जातियों के लिए एक भारी पत्थर बना दूंगा।” यह भविष्यवाणी किस यरूशलेम की तरफ इशारा करती है? “स्वर्गीय यरूशलेम” यानी स्वर्गीय राज्य की तरफ, जिसमें राज करने के लिए अभिषिक्त मसीहियों को बुलाया गया है। (इब्रानियों 12:22) मसीहाई राज्य के इन वारिसों में से कुछ अब भी धरती पर मौजूद हैं। वे और उनके ‘अन्य भेड़’ के साथी, लोगों से गुज़ारिश कर रहे हैं कि अभी भी वक्त है, परमेश्वर की हुकूमत के अधीन हो जाइए। (यूहन्ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 11:15) यह न्यौता पाकर राष्ट्रों ने कैसा रवैया दिखाया है? और आज यहोवा अपने सच्चे उपासकों की किस तरह से मदद करता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए, आइए जकर्याह के अध्याय 12 की जाँच करें। ऐसा करने से, हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर के अभिषिक्त जनों और उनके समर्पित साथियों के खिलाफ उठनेवाला “कोई भी हथियार सफल न होगा।”
10. (क) परमेश्वर के लोगों पर ज़ुल्म क्यों ढाए जाते हैं? (ख) जिन लोगों ने रास्ते से “भारी पत्थर” को हटाने की कोशिश की है, उनका क्या हश्र हुआ है?
10 जकर्याह 12:3 बताता है कि राष्ट्र “गम्भीर रूप से घायल” (NHT) होते हैं। वह कैसे? परमेश्वर ने यह आज्ञा दी है कि राज्य के सुसमाचार का हर हाल में प्रचार किया जाए। यहोवा के साक्षी इस आज्ञा को बड़ी गंभीरता से लेते हैं। वे ऐलान करते हैं कि सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही इंसान की सारी दुःख-तकलीफों को दूर करेगा। लेकिन यह पैगाम राष्ट्रों के लिए “एक भारी पत्थर” बन गया है। वे राज्य प्रचारकों के काम में खलल पैदा करने के ज़रिए इस पत्थर को रास्ते से हटाने की कोशिश करते हैं। लेकिन ऐसा करने से वे “गम्भीर रूप से घायल” हुए हैं। यहाँ तक कि उन्हें अपमान के साथ-साथ हार का मुँह देखना पड़ा है। वे उन सच्चे उपासकों को खामोश नहीं कर सकते, जो इस संसार के अंत से पहले, परमेश्वर के मसीहाई राज्य का “सनातन सुसमाचार” सुनाने को एक सम्मान समझते हैं। (प्रकाशितवाक्य 14:6) एक अफ्रीकी देश में, जब एक जेल के पहरेदार ने साक्षियों पर हुए अत्याचार को देखा, तो उसने उनके विरोधियों से कुछ इस तरह कहा: ‘इन लोगों पर ज़ुल्म ढाकर आप खाहमखाह अपना वक्त बरबाद कर रहे हैं। ये लोग समझौता करनेवाले नहीं। इनकी गिनती बढ़ती ही चली जाएगी।’
11. परमेश्वर ने जकर्याह 12:4 में दर्ज़ अपने वादे को कैसे पूरा किया है?
11 जकर्याह 12:4 पढ़िए। यहोवा वादा करता है कि जो लोग उसके साहसी राज्य प्रचारकों से लड़ते हैं, उनको वह लाक्षणिक मायने में अंधा कर डालेगा और उन्हें “घबरा” देगा। वह अपने वादे का पक्का निकला। मिसाल के लिए, एक देश में सच्ची उपासना पर पाबंदी लगी हुई थी। इसके बावजूद परमेश्वर के लोगों को लगातार आध्यात्मिक भोजन मिलता रहा और विरोधी उन्हें रोकने में नाकाम रहे। एक अखबार ने तो यहाँ तक दावा किया कि यहोवा के साक्षी छोटे-छोटे गुब्बारों का इस्तेमाल करके उस देश में बाइबल साहित्य मँगवा रहे थे! परमेश्वर ने अपने वफादार सेवकों से जो वादा किया, वह सच साबित हुआ। उसने कहा था: “मैं [उन] पर कृपादृष्टि रखूंगा, [और] अन्यजातियों के सब घोड़ों को अन्धा कर डालूंगा।” परमेश्वर के राज्य के दुश्मन गुस्से में इस कदर अंधे हो गए हैं कि वे नहीं जानते कि उन्हें क्या करना है। लेकिन हमें पूरा यकीन है कि यहोवा अपने लोगों को एक समूह के तौर पर बचाएगा और उनकी सलामती की फिक्र करेगा।—2 राजा 6:15-19.
12. (क) जब यीशु धरती पर था, तो उसने किस मायने में आग लगायी थी? (ख) बचे हुए अभिषिक्त जनों ने कैसे आध्यात्मिक मायने में आग लगायी है और इसके क्या नतीजे मिले हैं?
12 जकर्याह 12:5,6 पढ़िए। “यहूदा के अधिपति” उन अध्यक्षों को दर्शाते हैं, जो परमेश्वर के सेवकों की निगरानी करते हैं। धरती पर राज्य से जुड़े कामों की देखरेख करने के लिए यहोवा इन अधिपतियों में गज़ब का जोश भरता है। एक मौके पर, यीशु ने अपने चेलों से कहा: “मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूं।” (लूका 12:49) वह कैसे? जब यीशु ने पूरे जोश के साथ प्रचार किया, तब उसने सबसे ज़्यादा परमेश्वर के राज्य के बारे में प्रचार किया। इससे पूरी यहूदी जाति में तहलका मच गया। वाकई, यीशु ने आध्यात्मिक मायने में आग लगायी थी। (मत्ती 4:17, 25; 10:5-7, 17-20) उसी तरह आज हमारे दिनों में, मसीह के चेले “लकड़ी के ढेर में आग भरी अंगेठी वा पूले में जलती हुई मशाल” की तरह आग लगाते हैं। सन् 1917 में उन्होंने द फिनिश्ड मिस्ट्रीa किताब के ज़रिए ईसाईजगत के कपट का बड़े ज़बरदस्त तरीके से भंडाफोड़ किया। इससे पादरियों का क्रोध भड़क उठा। अभी हाल ही में, राज्य समाचार नं. 37 बाँटा गया था, जिसका शीर्षक था “क्या धर्म के नाम पर किए जानेवाले बुरे कामों का कभी अंत होगा?” इसकी वजह से बहुत-से लोग या तो परमेश्वर के राज्य के पक्ष में खड़े हुए हैं या उसके खिलाफ।
“यहूदा के तम्बुओं” का उद्धार
13. शब्द “यहूदा के तम्बुओं” से क्या ज़ाहिर होता है और यहोवा उन्हें क्यों बचाता है?
13 जकर्याह 12:7, 8 पढ़िए। प्राचीन इस्राएल में, तंबुओं का होना एक आम नज़ारा था। इनमें कभी-कभी चरवाहे या खेतों में काम करनेवाले मज़दूर रहा करते थे। इसलिए यरूशलेम नगर पर अगर कोई दुश्मन देश हमला करता, तो सबसे पहले यही लोग उनके हमलों के शिकार होते। और इनको ही सबसे पहले हिफाज़त की ज़रूरत पड़ती। शब्द “यहूदा के तम्बुओं” से ज़ाहिर होता है कि आज हमारे समय में, बचे हुए अभिषिक्त जन लाक्षणिक तौर पर खुले मैदान में हैं, न कि गढ़वाले नगरों में। वहाँ वे निडरता से मसीहाई राज्य की पैरवी करते हैं। सेनाओं का यहोवा सबसे “पहिले यहूदा के तम्बुओं” को बचाएगा, क्योंकि ये सीधे-सीधे शैतान के निशाने पर हैं।
14. यहोवा कैसे “यहूदा के तम्बुओं” में रहनेवालों की हिफाज़त करता और उन्हें ठोकर खाने से बचाता है?
14 इतिहास गवाह है कि यहोवा अपने राज्य के अभिषिक्त राजदूतों की हिफाज़त कर रहा है, जो खुले मैदान में अपने “तम्बुओं” में रहते हैं।b वह उन्हें योद्धा राजा, दाऊद की तरह ताकतवर और साहसी बनाता है और इस तरह उन्हें ‘ठोकर खाने’ से बचाता है।
15. यहोवा “सब जातियों को नाश करने का यत्न” क्यों करता है और वह ऐसा कब करेगा?
15 जकर्याह 12:9 पढ़िए। यहोवा “सब जातियों को नाश करने का यत्न” क्यों करता है? क्योंकि वे ढिठाई से मसीहाई राज्य का विरोध करते हैं। वे परमेश्वर के लोगों को सताने और उन पर ज़ुल्म ढाने से बाज़ नहीं आते, इसलिए वे दंड पाने के लायक ठहरते हैं। बहुत जल्द, धरती पर शैतान की जी-हुज़ूरी करनेवाले परमेश्वर के सच्चे उपासकों पर आखिरी वार करेंगे। इससे पूरी दुनिया में ऐसे हालात पैदा होंगे जिन्हें बाइबल में हरमगिदोन कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 16:13-16) उस हमले के जवाब में महान न्यायी यहोवा अपने सेवकों को बचाएगा और जाति-जाति में अपना नाम पवित्र करेगा।—यहेजकेल 38:14-18, 22, 23.
16, 17. (क) ‘यहोवा के दासों का भाग’ क्या है? (ख) शैतान के हमलों का धीरज से सामना करना किस बात का सबूत देता है?
16 शैतान के पास ऐसा कोई हथियार नहीं, जिससे वह दुनिया-भर में फैले परमेश्वर के लोगों का विश्वास कमज़ोर कर सके या उनका जोश ठंडा कर सके। परमेश्वर हमारे साथ है और हमें बचाने की ताकत रखता है, यह जानने से हमें जो शांति मिलती है, वह ‘यहोवा के दासों का भाग’ या विरासत है। (यशायाह 54:17) कोई भी इंसान ज़बरदस्ती हमसे हमारी शांति और आध्यात्मिक खुशहाली नहीं छीन सकता। (भजन 118:6) शैतान लगातार विरोध की आग भड़काता रहेगा और कदम-कदम पर हमारे लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। निंदा का सामना करने पर भी जब हम धीरज धरते हैं, तो इस बात का सबूत देते हैं कि परमेश्वर की आत्मा हम पर छाया करती है। (1 पतरस 4:14) स्वर्ग में स्थापित परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार आज दुनिया-भर में सुनाया जा रहा है। परमेश्वर के लोगों को रोकने के लिए उन पर ‘गोफन के पत्थर’ बरसाए जाते हैं, यानी उनका तरह-तरह से विरोध किया जाता है। फिर भी, यहोवा की ताकत से उसके सेवक इन पत्थरों की मार का डटकर सामना करते हैं और इसके असर को रद्द कर देते हैं। (जकर्याह 9:15) जी हाँ, बचे हुए अभिषिक्त जनों और उनके वफादार साथियों को हरगिज़ नहीं रोका जा सकता!
17 हमें उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है, जब इब्लीस के हमलों से हमें पूरी तरह छुटकारा मिलेगा। सच, हमें इस गारंटी से कितनी तसल्ली मिलती है कि ‘हमारी हानि के लिए बनाया कोई भी हथियार सफल न होगा, और जितनी भी जीभें हम पर दोष लगाएं हम उन्हें दोषी ठहराएँगे’!
[फुटनोट]
a इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है, मगर अब इसकी छपाई बंद हो चुकी है।
b ज़्यादा जानकारी के लिए, किताब यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी) के पेज 675-6, देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
आप क्या जवाब देंगे?
• क्या बात दिखाती है कि शैतान के हथियार नाकाम साबित हुए हैं?
• स्वर्गीय यरूशलेम “एक भारी पत्थर” कैसे बनता है?
• यहोवा “यहूदा के तम्बुओं” को कैसे बचाता है?
• जैसे-जैसे हम हरमगिदोन के करीब आते हैं, आपको किस बात का यकीन होता है?
[पेज 23 पर तसवीरें]
अल्बेनिया में यहोवा के लोग शैतान के हमलों का सामना करते हुए भी वफादार रहे
[पेज 25 पर तसवीर]
यीशु ने झूठे इलज़ामों को गलत साबित किया
[पेज 26 पर तसवीरें]
सुसमाचार सुनानेवालों के खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार सफल नहीं होगा