‘दृढ़ खड़े रहो और यहोवा के उद्धार को देखो’
“यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?”—भजन 118:6.
1. इंसानों पर कैसी आफत आनेवाली है?
आज इंसानों पर ऐसी आफत आनेवाली है, जैसी दुनिया ने अब तक नहीं देखी है। हमारे समय के बारे में भविष्यवाणी करते वक्त, यीशु ने अपने चेलों को यह चेतावनी दी: “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।”—मत्ती 24:21, 22.
2. क्या बात भारी क्लेश को शुरू होने से रोके हुए है?
2 हालाँकि हम स्वर्गदूतों को नहीं देख सकते, मगर फिलहाल वे भारी क्लेश को शुरू होने से रोके हुए हैं। वह क्यों? यीशु ने एक दर्शन के ज़रिए प्रेरित यूहन्ना को इसकी वजह बतायी। बुज़ुर्ग यूहन्ना ने उस दर्शन का ब्यौरा इस तरह दिया: “मैं ने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे, वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे . . . फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को जीवते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उस ने उन चारों स्वर्गदूतों से . . . ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा। जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुंचाना।”—प्रकाशितवाक्य 7:1-3.
3. जब भारी क्लेश शुरू होगा, तो सबसे पहले कौन-सी घटना घटेगी?
3 “परमेश्वर के [अभिषिक्त] दासों” पर अंतिम मुहर लगाने का काम अब बस पूरा होनेवाला है। चार स्वर्गदूत, विनाशकारी हवाओं को छोड़ने के लिए तैयार हैं। जब वे ऐसा करेंगे, तो सबसे पहले कौन-सी घटना घटेगी? एक स्वर्गदूत इसका जवाब देता है: “बड़ा नगर बाबुल ऐसे ही बड़े बल से गिराया जाएगा, और फिर कभी उसका पता न मिलेगा।” (प्रकाशितवाक्य 18:21) जब दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्मों का नाश होगा, तब स्वर्ग में क्या ही खुशी की लहर दौड़ उठेगी!—प्रकाशितवाक्य 19:1, 2.
4. आगे क्या घटनाएँ घटनेवाली हैं?
4 इसके बाद, दुनिया के सभी देश एकजुट होकर यहोवा के लोगों के खिलाफ मोरचा बाँधेंगे। क्या वे वफादार मसीहियों का नामो-निशान मिटाने में कामयाब होंगे? उन्हें ऐसा लग सकता है। मगर तभी मसीह यीशु और स्वर्ग की सेना आएँगे और उन्हें खाक में मिला देंगे। (प्रकाशितवाक्य 19:19-21) आखिर में, इब्लीस और उसके दूतों को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा, यानी वे ऐसी हालत में होंगे कि वे इंसानों का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएँगे। उन्हें हज़ार साल के लिए बंद किया जाएगा, इसलिए वे इंसानों को गुमराह नहीं कर पाएँगे। यह बात उन बेशुमार लोगों को क्या ही राहत पहुँचाएगी, जो भारी क्लेश से बच निकलेंगे!—प्रकाशितवाक्य 7:9, 10, 14; 20:1-3.
5. यहोवा के वफादार रहनेवालों को क्या खुशी मिलेगी?
5 बहुत जल्द, ये शानदार और हैरतअँगेज़ घटनाएँ हमारे सामने घटनेवाली हैं। इनका गहरा ताल्लुक यहोवा की हुकूमत को बुलंद करने से है। ज़रा सोचिए: अगर हम यहोवा के वफादार बने रहें और अटल इरादे के साथ उसकी हुकूमत का पक्ष लें, तो हमें यहोवा के नाम को पवित्र करने और उसके मकसद के पूरा होने में हिस्सा लेने का बढ़िया मौका मिलेगा। इससे बड़ी खुशी की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है!
6. तेज़ी से आनेवाली घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, हम क्या जाँच करेंगे?
6 क्या हम उन अहम घटनाओं के लिए तैयार हैं? क्या हमें यहोवा पर पूरा भरोसा है कि वह हमें बचा सकता है? क्या हमें पक्का यकीन है कि वह सही वक्त पर और बेहतरीन तरीके से हमारी मदद करेगा? इन सवालों का जवाब देते वक्त, हम प्रेरित पौलुस की इस बात को अपने मन में रख सकते हैं, जो उसने रोम के मसीहियों से कही थी: “जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।” (रोमियों 15:4) हमारी शिक्षा के लिए, साथ ही हमें शांति और आशा देने के लिए जो बातें लिखी गयी थीं, उनमें यह वाकया शामिल भी है कि कैसे यहोवा ने इस्राएलियों को ज़ालिम मिस्रियों के चंगुल से छुड़ाया था। जब यहोवा ने इस्राएलियों का उद्धार करने के लिए हालात का रुख मोड़ा, तब कई सनसनीखेज़ घटनाएँ घटीं। उन घटनाओं की करीबी से जाँच करने पर हमें बहुत हौसला मिलेगा, क्योंकि आज हम तेज़ी से आनेवाले भारी क्लेश की आस लगाए हुए हैं।
यहोवा अपने लोगों को बचाता है
7. सामान्य युग पूर्व 1513 में, मिस्र में क्या तनाव-भरा माहौल पैदा होता है?
7 सामान्य युग पूर्व 1513 का समय है। यहोवा पहले से मिस्रियों पर नौ विपत्तियाँ ला चुका है। नौवीं विपत्ति के बाद फिरौन, मूसा को अपनी नज़र के सामने से दफा करते हुए कहता है: “मुझ से दूर हो जा! सावधान! तू मेरा मुंह फिर मत देखना, क्योंकि जिस दिन तू मेरा मुंह देखे[गा] तू मर जाएगा।” इस पर मूसा जवाब देता है: “तू ठीक कहता है: मैं तेरा मुंह फिर कभी न देखूंगा।”—निर्गमन 10:28, 29, NHT, फुटनोट।
8. विपत्ति से बचने के लिए इस्राएलियों को क्या हिदायतें दी जाती हैं, और इसका क्या नतीजा निकलता है?
8 अब यहोवा, मूसा को बताता है कि वह फिरौन और तमाम मिस्रियों पर एक आखिरी वार करनेवाला है। वह यह कि अबीब (निसान) महीने की 14 तारीख को, मिस्रियों के सभी पहिलौठे पुत्र और जानवरों के सभी पहिलौठे मारे जाएँगे। लेकिन अगर इस्राएली परिवार इस विपत्ति से बचना चाहते हैं, तो उन्हें परमेश्वर की एक-एक हिदायत माननी होगी जो उसने मूसा को दी थी। ये हिदायतें क्या हैं? उन्हें अपने घर के दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं और ऊपर की चौखट पर नर मेम्ने का लहू लगाना है। और उन्हें घर के बाहर बिलकुल भी कदम नहीं रखना है। निसान 14 की रात को क्या होता है? आइए खुद मूसा की ज़बानी सुनें: “ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश . . . के सब पहिलौठों को मार डाला।” फिरौन तुरंत मूसा और हारून को बुलवा भेजता है और उनसे कहता है: “मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ; और अपने कहने के अनुसार जाकर यहोवा की उपासना करो।” इस पर 30 लाख से ज़्यादा इस्राएली फौरन मिस्र से रवाना होते हैं। उनके साथ अनगिनत गैर-इस्राएलियों की ‘एक मिली जुली भीड़’ भी जाती है।—निर्गमन 12:1-7, 29, 31, 37, 38.
9. परमेश्वर, इस्राएलियों को किस रास्ते से ले जाता है, और क्यों?
9 मिस्र से कनान देश तक पहुँचने का सबसे छोटा रास्ता है, भूमध्य सागर के किनारे से और पलिश्तियों के देश से गुज़रना। मगर वह देश, दुश्मनों का इलाका है। इसलिए यहोवा उन्हें उस रास्ते से नहीं ले जाता, क्योंकि शायद वह नहीं चाहता कि इस्राएली दुश्मनों से लड़ें। इसके बजाय, वह उन्हें लाल सागर के पास के वीराने से ले जाता है। हालाँकि लाखों की तादाद में लोग चल रहे होते हैं, मगर उनमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होती। इस बारे में बाइबल कहती है: “इस्राएली पांति बान्धे हुए मिस्र से निकल गए।”—निर्गमन 13:17, 18.
‘यहोवा के उद्धार को देखो’
10. परमेश्वर, इस्राएलियों को पीहाहीरोत के सामने डेरा डालने को क्यों कहता है?
10 इसके बाद, यहोवा एक हैरान कर देनेवाली हिदायत देता है। वह मूसा से कहता है: “इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिगदोल और समुद्र के बीच, पीहाहीरोत के सम्मुख, बालसपोन के साम्हने अपने डेरे खड़े करें।” जब इस्राएली इस हिदायत को मानते हैं, तो वे खुद को ऊँची पहाड़ियों और लाल सागर के बीच फँसे हुए पाते हैं। उन्हें यहाँ से निकलने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता है। लेकिन यहोवा जानता है कि वह क्या कर रहा है। वह मूसा से कहता है: “मैं फ़िरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फ़िरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।”—निर्गमन 14:1-4.
11. (क) फिरौन क्या कदम उठाता है, और मिस्रियों को आते देख इस्राएलियों की क्या हालत होती है? (ख) मूसा, इस्राएलियों की शिकायत का क्या जवाब देता है?
11 इस बीच फिरौन को लगता है कि उसने इस्राएलियों को जाने की इजाज़त देकर बड़ी भूल की है। इसलिए वह अपने 600 बेहतरीन रथों को लेकर बेतहाशा इस्राएलियों का पीछा करता है। मिस्रियों को आते देखकर इस्राएलियों का खून सूख जाता है। वे घबराकर मूसा से कहते हैं: “क्या मिस्र में क़बरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है?” लेकिन मूसा को पक्का यकीन है कि यहोवा उन्हें मिस्रियों के हाथों से बचाएगा। इसलिए वह कहता है: “डरो मत, दृढ़ खड़े रहो और यहोवा के उस उद्धार को देखो, जो वह आज तुम्हारे लिये करेगा। . . . यहोवा तुम्हारी ओर से लड़ेगा और तुम चुप रह जाओगे।” (NW)—निर्गमन 14:5-14.
12. यहोवा अपने लोगों को कैसे बचाता है?
12 जैसे मूसा ने कहा था ठीक वैसा ही हुआ, यहोवा इस्राएलियों के लिए लड़ता है। परमेश्वर से हुक्म मिलने पर उसके स्वर्गदूत कार्रवाई करने लगते हैं। एक स्वर्गदूत चमत्कार के ज़रिए बादल के उस खंभे को उठाकर उनके पीछे रख देता है, जो अब तक इस्राएलियों को रास्ता दिखाता आया है। इससे मिस्रियों की तरफ अंधेरा छा जाता है, जबकि इसी बादल से इस्राएलियों की तरफ उजियाला बना रहता है। (निर्गमन 13:21, 22; 14:19, 20) फिर परमेश्वर का हुक्म मानते हुए मूसा समुद्र की तरफ अपना हाथ बढ़ाता है। इसके बाद क्या होता है, इस बारे में बाइबल कहती है: “यहोवा ने रात भर प्रचण्ड पुरवाई चलाई और समुद्र को हटाकर उसे सूखी भूमि कर दिया। . . . तब इस्राएली समुद्र के मध्य सूखी भूमि से होकर गए और जल उनकी दहिनी और बाईं ओर दीवार के समान था।” (NHT) इसके बाद, मिस्री इस्राएलियों का पीछा करते हुए समुद्र के बीचों-बीच घुस आते हैं। मगर यहोवा अपने लोगों के साथ है। वह मिस्रियों की सेना में हाहाकार मचा देता है। फिर वह मूसा से कहता है: “अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, कि जल मिस्रियों, और उनके रथों, और सवारों पर फिर बहने लगे।” इससे फिरौन की पूरी-की-पूरी सेना डूबकर मर जाती है। एक भी सैनिक ज़िंदा नहीं बच पाता!—निर्गमन 14:21-28; भजन 136:15.
इस्राएल जाति के छुटकारे से सबक लीजिए
13. छुटकारा पाने के बाद इस्राएली क्या करते हैं?
13 इस हैरतअँगेज़ छुटकारे का इस्राएलियों पर क्या असर होता है? मूसा और दूसरे इस्राएली, खुशी के मारे यहोवा की महिमा में एक गीत गाते हैं! गीत के बोल कुछ इस तरह हैं: “मैं यहोवा का गीत गाऊंगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; . . . यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।” (निर्गमन 15:1, 18) जी हाँ, उनके मन में सबसे पहले यहोवा का गुणगान करने का खयाल आता है। सचमुच, लाल सागर में यहोवा ने दिखा दिया कि वही सारे जहान का मालिक और महाराजाधिराज है।
14. (क) इस्राएलियों के अनुभव से हम यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं? (ख) सन् 2008 का सालाना वचन क्या है?
14 इन सनसनीखेज़ घटनाओं से हमें क्या शिक्षा, शांति और आशा मिलती है? एक बात हम साफ देख सकते हैं कि यहोवा के लोगों पर चाहे कोई भी आज़माइश क्यों न आए, यहोवा उससे निपट सकता है। जी हाँ, उसके पास उनकी हर समस्या का हल है। लाल सागर में यहोवा ने एक ऐसी ज़बरदस्त पुरवाई चलायी कि वह सागर भी उसके लोगों को आगे बढ़ने से रोक न सका। और उसने उसी लाल सागर में फिरौन और उसकी सेना को डुबो दिया। इस घटना पर मनन करने से हम भी भजनहार के इन शब्दों को दोहरा सकते हैं: “यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” (भजन 118:6) इसके अलावा, हम रोमियों 8:31 में दर्ज़ पौलुस के इन शब्दों से भी दिलासा पा सकते हैं: “यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?” वाकई, ईश्वर-प्रेरणा से लिखी गयी इन आयतों से हमारा क्या ही हौसला बढ़ता है! इससे हमारे अंदर सारा डर और शक उड़न-छू हो जाता है और हमारे दिल में उम्मीद की किरण जाग उठती है। तो फिर, सन् 2008 के लिए हमारा यह सालाना वचन एकदम सही है: ‘दृढ़ खड़े रहो और यहोवा के उद्धार को देखो’!—निर्गमन 14:13, NW.
15. अगर इस्राएली मिस्र से छुटकारा पाना चाहते थे, तो उनके लिए परमेश्वर की आज्ञा मानना कितना ज़रूरी था, और आज हमारे लिए परमेश्वर की आज्ञा मानना कितना ज़रूरी है?
15 इस्राएलियों के छुटकारे से हम और क्या सबक सीख सकते हैं? यही कि हमें यहोवा की हर आज्ञा मानने की ज़रूरत है। इस्राएलियों को फसह की तैयारी करने के लिए जो-जो हिदायतें दी गयी थीं, उन्होंने उन सबको माना। परमेश्वर की आज्ञा मानते हुए वे निसान 14 की रात घर के अंदर ही रहे। और आखिर में जब वे मिस्र से रवाना हुए, तो वे “पांति बान्धे हुए” निकले। (निर्गमन 13:18) उसी तरह, आज हमारे लिए यह निहायत ज़रूरी है कि हम “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए मिलनेवाले हर निर्देशन का पालन करें! (मत्ती 24:45) ‘जब कभी हम दहिनी वा बाई ओर मुड़ने लगें’ और हमें पीछे से परमेश्वर के वचन की यह बात सुनायी पड़े कि “मार्ग यही है, इसी पर चलो,” तो हमें उस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। (यशायाह 30:21) जैसे-जैसे भारी क्लेश के शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, हो सकता है हमें बारीकी से कुछ हिदायतें दी जाएँ। अगर हम उस संकट-भरे दौर से ज़िंदा बच निकलना चाहते हैं, तो हमें यहोवा के दूसरे वफादार सेवकों के साथ कंधे-से-कंधे मिलाकर काम करने की ज़रूरत है।
16. यहोवा ने इस्राएलियों को छुड़ाने के लिए जिस तरह हालात का रुख बदला, उससे हम क्या सीख सकते हैं?
16 और-तो-और, याद कीजिए कि यहोवा, इस्राएलियों को ऐसी जगह पर लाया जहाँ वे पहाड़ियों और लाल सागर के बीच फँसे नज़र आ रहे थे। ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर ने सही कदम नहीं उठाया था। लेकिन असल में यहोवा ने हालात को काबू में रखा था और आगे जो हुआ, उससे यहोवा की महिमा हुई और उसके लोगों का उद्धार हुआ। आज हम शायद यह ठीक-ठीक समझ न पाएँ कि क्यों संगठन के कुछ मामलों को फलाँ तरीके से निपटाया जाता है। लेकिन यहोवा अपने वफादार अभिषिक्त वर्ग के ज़रिए जो मार्गदर्शन देता है, उस पर हम पूरा भरोसा रख सकते हैं। कभी-कभी हमें लग सकता है जैसे हमारे दुश्मनों की जीत हो रही हो। हमारी सोच सीमित होने की वजह से, हमें शायद मामले के सभी पहलुओं की अच्छी समझ न हो। मगर फिर भी, हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ऐन वक्त पर हालात का रुख बदल सकता है, ठीक जैसे उसने इस्राएलियों के लिए किया था।—नीतिवचन 3:5.
यहोवा पर भरोसा रखिए
17. हम क्यों पूरा भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर हमें सही राह दिखाएगा?
17 क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब इस्राएलियों ने दिन में बादल के खंभे और रात को आग के खंभे के बारे में गहराई से मनन किया, तो उनका विश्वास कितना मज़बूत हुआ होगा? वह खंभा इस बात का सबूत था कि ‘परमेश्वर का दूत’ उनके आगे-आगे चलकर उन्हें सही राह दिखा रहा है। (निर्गमन 13:21, 22; 14:19) उसी तरह, आज हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने लोगों को सही राह दिखाने, उनकी हिफाज़त करने और उन्हें छुड़ाने के लिए उनके साथ है। हम इस वादे को गाँठ बाँध सकते हैं: “[यहोवा] अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है।” (भजन 37:28) आइए हम यह कभी न भूलें कि शक्तिशाली स्वर्गदूतों की सेना आज परमेश्वर के सेवकों का साथ दे रही है। उनकी मदद से हम ‘दृढ़ खड़े रह सकेंगे और यहोवा के उद्धार को देख सकेंगे।’—निर्गमन 14:13, NW.
18. हमें क्यों “परमेश्वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण” करने की ज़रूरत है?
18 सच्चाई की राह पर ‘दृढ़ खड़े रहने’ के लिए क्या बात हमारी मदद कर सकती है? आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्र धारण करना, जिसका ब्यौरा पौलुस ने इफिसियों को लिखी अपनी पत्री में दिया था। गौर कीजिए कि पौलुस हमें उकसाता है: “परमेश्वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करो।” (NHT) क्या हम आध्यात्मिक अस्त्र-शस्त्र की एक-एक चीज़ से पूरी तरह लैस हैं? आनेवाले साल में हममें से हरेक को खुद की जाँच करनी चाहिए कि हमने सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र ठीक से पहना है या नहीं। हमारा दुश्मन, शैतान इब्लीस हमारी कमज़ोरियों को जानता है और वह उन्हीं पर वार करता है। या फिर, वह उस वक्त हमला करता है, जब हम चौकन्ना नहीं रहते। हमारा “मल्लयुद्ध” दुष्टात्माओं की सेनाओं से है। लेकिन यहोवा से मिलनेवाली ताकत से हम इस लड़ाई में जीत हासिल कर सकते हैं!—इफिसियों 6:11-18; नीतिवचन 27:11.
19. अगर हम धीरज धरें, तो हमें क्या सम्मान मिल सकता है?
19 यीशु ने अपने चेलों से कहा: “अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।” (लूका 21:19) आइए हम भी उन लोगों में से एक बनें, जो हर मुश्किल से गुज़रते वक्त वफादारी के साथ धीरज धरते हैं। अगर हम ऐसा करते हैं, तो परमेश्वर की अपार कृपा से हमें ‘दृढ़ खड़े रहने और यहोवा का उद्धार देखने’ का सम्मान मिलेगा।
आप क्या जवाब देंगे?
• बहुत जल्द क्या सनसनीखेज़ घटनाएँ घटनेवाली हैं?
• सामान्य युग पूर्व 1513 में, यहोवा ने कैसे दिखाया कि उसके पास उद्धार करने की शक्ति है?
• आपने क्या करने की ठान ली है?
[पेज 22 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
सन् 2008 का सालाना वचन होगा: ‘दृढ़ खड़े रहो और यहोवा के उद्धार को देखो।’—निर्गमन 14:13, NW.
[पेज 19 पर तसवीर]
“जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं”
[पेज 20 पर तसवीर]
फिरौन की ढिठाई ही मिस्र की बरबादी का सबब बन गया
[पेज 21 पर तसवीर]
यहोवा की हर आज्ञा मानने से ही इस्राएली ज़िंदा बच गए