क्या आप यहोवा के दिन के लिए तैयार हैं?
“यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।”—सपन्याह 1:14.
1-3. (क) बाइबल, यहोवा के दिन के बारे में क्या कहती है? (ख) हम ‘यहोवा के किस दिन’ का इंतज़ार कर रहे हैं?
यहोवा का दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि एक ऐसा लंबा समय होगा, जिस दौरान परमेश्वर बुरे लोगों पर अपना न्यायदंड लाएगा। जो लोग परमेश्वर की सेवा नहीं करते, उन्हें उस अन्धियारे के दिन, रोष और क्रोध के दिन, और संकट और उजाड़ के दिन से खौफ खाने की ज़रूरत है। (यशायाह 13:9; आमोस 5:18-20; सपन्याह 1:15) योएल की भविष्यवाणी कहती है: “उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।” (योएल 1:15) मगर उस भयानक दिन में, परमेश्वर उन लोगों का उद्धार भी करेगा जो ‘सीधे मनवाले’ हैं।—भजन 7:10.
2 ‘यहोवा के दिन’ का मतलब है, अलग-अलग समय पर लाया गया परमेश्वर का न्यायदंड। मिसाल के लिए, यरूशलेम के निवासियों पर “यहोवा का दिन” तब आया था, जब सा.यु.पू. 607 में परमेश्वर बाबुलियों के ज़रिए उन पर अपना न्यायदंड लाया था। (सपन्याह 1:4-7) उसी तरह, सा.यु. 70 में एक बार फिर यहोवा का दिन आया। उस वक्त, परमेश्वर रोमी सेना के ज़रिए उस यहूदी राष्ट्र पर अपना न्यायदंड लाया, जिसने उसके बेटे को ठुकरा दिया था। (दानिय्येल 9:24-27; यूहन्ना 19:15) इसके अलावा, बाइबल ‘यहोवा के उस दिन’ की भी भविष्यवाणी करती है, जब यहोवा ‘सब जातियों से लड़ेगा।’ (जकर्याह 14:1-3) प्रेरित पौलुस ने ईश्वर-प्रेरणा से बताया कि उस दिन का ताल्लुक मसीह की उपस्थिति से है, जो सन् 1914 में शुरू हुई, जब यीशु स्वर्ग में राजा बना। (2 थिस्सलुनीकियों 2:1, 2) यहोवा का वह दिन बड़ी तेज़ी से करीब आ रहा है, इसलिए सन् 2007 के लिए यहोवा के साक्षियों का सालाना वचन बिलकुल सही रहा। यह वचन सपन्याह 1:14 से लिया गया था, जो कहता है: “यहोवा का भयानक दिन निकट है।”
3 अब क्योंकि यहोवा का भयानक दिन निकट है, इसलिए यही वक्त है कि आप खुद को उस दिन के लिए तैयार करें। यह आप कैसे कर सकते हैं? साथ ही, आपको और क्या-क्या कदम उठाने की ज़रूरत है?
तैयार रहिए
4. यीशु ने खुद को किस बड़ी परीक्षा के लिए तैयार किया?
4 यीशु ने जगत के अंत के बारे में भविष्यवाणी करते वक्त, अपने चेलों से कहा: ‘तुम तैयार रहो।’ (मत्ती 24:44) गौरतलब बात है कि जब यीशु ने यह बात कही, तब वह खुद एक बड़ी परीक्षा का सामना करने के लिए तैयार था। वह परीक्षा थी, छुड़ौती बलिदान के तौर पर अपनी जान देना। (मत्ती 20:28) तो फिर, यीशु ने जिस तरह से खुद को तैयार किया, उससे हम क्या सीख सकते हैं?
5, 6. (क) परमेश्वर और पड़ोसियों के लिए प्यार किस तरह हमें यहोवा के भयानक दिन के लिए तैयार रहने में मदद देता है? (ख) पड़ोसियों के लिए प्यार दिखाने में यीशु ने क्या मिसाल रखी?
5 यीशु दिलो-जान से यहोवा और उसके धर्मी सिद्धांतों से प्यार करता था। यीशु के बारे में इब्रानियों 1:9 (NHT) कहता है: “तू ने धार्मिकता से प्रेम और अधर्म से बैर किया है। इस कारण परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने, तेरे साथियों की अपेक्षा हर्ष के तेल से तेरा अधिक अभिषेक किया है।” क्योंकि यीशु स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता से बेहद प्यार करता था, इसलिए उसने उसकी तरफ अपनी खराई बनाए रखी। उसी तरह, अगर हम भी परमेश्वर से दिलो-जान से प्यार करें और उसकी माँगों को पूरा करें, तो वह हमारी रक्षा ज़रूर करेगा। (भजन 31:23) यही प्यार और आज्ञा मानने का हमारा रवैया, हमें यहोवा के भयानक दिन के लिए तैयार रहने में मदद देगा।
6 यीशु के स्वभाव की एक खासियत थी, लोगों के लिए प्यार। “उस को लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, ब्याकुल और भटके हुए से थे।” (मत्ती 9:36) नतीजा, वह उन्हें सुसमाचार सुनाने लगा। वैसे ही आज, दूसरों के लिए प्यार हमें राज्य का संदेश सुनाने को उभारता है। परमेश्वर और पड़ोसियों के लिए प्यार हमें अपनी मसीही सेवा में लगे रहने को उकसाता है और इस तरह, हम यहोवा के भयानक दिन के लिए तैयार रह पाते हैं।—मत्ती 22:37-39.
7. यहोवा के दिन का इंतज़ार करते वक्त, हमें किस बात से खुशी मिल सकती है?
7 यीशु को यहोवा की इच्छा पूरी करने में बड़ी खुशी मिलती थी। (भजन 40:8) अगर हममें भी यही रवैया होगा, तो हमें परमेश्वर की पवित्र सेवा करने में खुशी मिलेगी। यीशु की तरह, हम दूसरों की खातिर खुद को दे देंगे और इससे हमें सच्ची खुशी मिलेगी। (प्रेरितों 20:35) जी हाँ, “यहोवा का आनन्द [हमारा] दृढ़ गढ़ है।” इसी आनंद की बदौलत हम परमेश्वर के भयानक दिन के लिए और भी अच्छी तरह तैयार रह पाएँगे।—नहेमायाह 8:10.
8. हमें क्यों यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए और उसके करीब आना चाहिए?
8 यीशु को विश्वास की परीक्षा के लिए तैयार रहने में एक और बात ने मदद दी। वह थी, सच्चे दिल से परमेश्वर से प्रार्थना करना। दरअसल, यीशु प्रार्थना में लीन रहनेवाला शख्स था। इसलिए जब यूहन्ना ने उसे बपतिस्मा दिया, तब वह प्रार्थना कर रहा था। यही नहीं, अपने प्रेरितों का चुनाव करने से पहले उसने एक पूरी रात प्रार्थना करने में गुज़ार दी थी। (लूका 6:12-16) और धरती पर अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात को यीशु ने दिल की गहराई से जो प्रार्थना की, उसे पढ़कर तो किसी का भी दिल भर आएगा। (मरकुस 14:32-42; यूहन्ना 17:1-26) यीशु की तरह, क्या आप भी प्रार्थना में लीन रहनेवाले इंसान हैं? आपको एक बार नहीं, बल्कि बार-बार यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना में हड़बड़ाइए मत, बल्कि वक्त बिताइए। पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन की गुज़ारिश कीजिए और जैसे ही यह मार्गदर्शन ज़ाहिर होता है, तो फौरन उस पर चलिए। परमेश्वर का भयानक दिन जल्द आनेवाला है, इसलिए यह ज़रूरी है कि हम इस नाज़ुक दौर में स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के साथ एक मज़बूत रिश्ता कायम करें। इसलिए बेझिझक यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उसके करीब आइए।—याकूब 4:8.
9. यहोवा के नाम के पवित्र किए जाने में गहरी दिलचस्पी लेना कितना ज़रूरी है?
9 यीशु को यहोवा के नाम को पवित्र करने में गहरी दिलचस्पी थी और इस बात ने भी उसे परीक्षा का सामना करने के लिए तैयार किया। यहाँ तक कि उसने अपने चेलों को सिखाया कि वे अपनी प्रार्थनाओं में यह गुज़ारिश भी शामिल करें: “तेरा नाम पवित्र माना जाए।” (मत्ती 6:9) अगर हम सच्चे दिल से चाहते हैं कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाए, तो हम ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे उसके नाम पर कलंक लग सकता है। इसका नतीजा यह होगा कि हम यहोवा के भयानक दिन के लिए बेहतर तरीके से तैयार रह पाएँगे।
क्या आपको अपनी ज़िंदगी में कुछ तबदीलियाँ करने की ज़रूरत है?
10. हमें अपनी ज़िंदगी की जाँच क्यों करनी चाहिए?
10 मान लीजिए यहोवा का दिन कल आनेवाला है। तो क्या आप उसके लिए तैयार हैं? हममें से हरेक को अपनी ज़िंदगी की जाँच करनी चाहिए कि कहीं हमें अपने कामों या रवैए में कोई फेरबदल करने की ज़रूरत तो नहीं। हमारी ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं, हम आज हैं तो कल नहीं। इसलिए हम सभी को हर दिन आध्यात्मिक तौर पर चौकन्ना रहना चाहिए। (सभोपदेशक 9:11, 12; याकूब 4:13-15) तो फिर आइए हम ज़िंदगी के कुछ ऐसे पहलुओं के बारे में चर्चा करें, जिन पर हमें शायद ध्यान देने की ज़रूरत पड़े।
11. बाइबल पढ़ने के सिलसिले में आपने क्या लक्ष्य रखा है?
11 एक अहम पहलू है, हर दिन बाइबल पढ़ने के बारे में दी जानेवाली ‘विश्वासयोग्य दास’ की सलाह। (मत्ती 24:45) आप हर साल उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक बाइबल पढ़ने और उसमें लिखी बातों पर मनन करने का लक्ष्य रख सकते हैं। अगर आप एक दिन में करीब चार अध्याय पढ़ें, तो आप एक साल में बाइबल के पूरे 1,189 अध्याय पढ़ सकते हैं। प्राचीन इस्राएल के हरेक राजा को “जीवन भर” यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक पढ़ने की आज्ञा दी गयी थी। सबूत दिखाते हैं कि इस्राएल के अगुवे, यहोशू ने भी ऐसा ही किया था। (व्यवस्थाविवरण 17:14-20; यहोशू 1:7, 8) उसी तरह आज, आध्यात्मिक चरवाहों के लिए हर दिन परमेश्वर का वचन पढ़ना ज़रूरी है, क्योंकि तभी वे बाइबल की “खरी शिक्षा” बाँट पाएँगे।—तीतुस 2:1, NHT.
12. यहोवा का दिन नज़दीक है, यह बात आपको क्या करने के लिए उकसानी चाहिए?
12 यहोवा का दिन नज़दीक है, यह बात आपको बिना नागा मसीही सभाओं में हाज़िर होने और उनमें ज़्यादा-से-ज़्यादा हिस्सा लेने के लिए उकसानी चाहिए। (इब्रानियों 10:24, 25) ऐसा करने से आप राज्य प्रचारक के तौर पर अपने हुनर को निखार पाएँगे। आखिर राज्य प्रचारकों का यही तो मकसद है कि वे अनंत जीवन के लिए सही मन रखनेवालों को ढूँढ़ें और उनकी मदद करें। (प्रेरितों 13:48, NW) आप कलीसिया के दूसरे कामों में भी ज़ोर-शोर से हिस्सा ले सकते हैं। जैसे, बुज़ुर्गों की मदद करना और जवानों की हौसला-अफज़ाई करना। इस तरह भाई-बहनों की मदद करने से आपको क्या ही सुकून मिल सकता है!
दूसरों के साथ आपका रिश्ता
13. नए मनुष्यत्व को पहनने के सिलसिले में हम अपने आपसे क्या सवाल पूछ सकते हैं?
13 यहोवा का दिन कभी-भी आ सकता है। इसलिए क्या आपको उस “नये मनुष्यत्व को पहिन[ने]” के लिए और भी ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत है, “जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है”? (इफिसियों 4:20-24) अगर आप अपने अंदर परमेश्वर के जैसे गुण बढ़ाते जाएँगे, तो दूसरे देख पाएँगे कि आप परमेश्वर की ‘आत्मा के अनुसार चल’ रहे हैं और उसके फल भी ज़ाहिर कर रहे हैं। (गलतियों 5:16, 22-25) क्या आप बता सकते हैं कि आप और आपके परिवार ने नए मनुष्यत्व को पहनने के लिए कौन-से ठोस कदम उठाए हैं? (कुलुस्सियों 3:9, 10) उदाहरण के लिए, क्या आप अपने भाई-बहनों और दूसरों को कृपा दिखाने के लिए जाने जाते हैं? (गलतियों 6:10) बाइबल का लगातार अध्ययन करने से आप अपने अंदर परमेश्वर के जैसे गुण बढ़ा पाएँगे और ये गुण आपको यहोवा के दिन के लिए तैयार करेंगे।
14. एक इंसान को अपने अंदर संयम बढ़ाते वक्त पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?
14 लेकिन तब क्या, अगर आप गरम-मिज़ाज के हैं और आपको लगता है कि आपको खुद पर संयम रखने की ज़्यादा ज़रूरत है? दरअसल संयम का गुण, परमेश्वर की पवित्र आत्मा के फलों में से एक है। तो इसका मतलब है कि पवित्र आत्मा आपके अंदर यह गुण बढ़ा सकती है। इसलिए यीशु की इस सलाह को मानते हुए पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना कीजिए: “मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। . . . सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़केबालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा।”—लूका 11:9-13.
15. अगर किसी भाई या बहन के साथ आपकी अनबन हो गयी है, तो आपको क्या करना चाहिए?
15 मान लीजिए आपकी किसी भाई या बहन के साथ अनबन हो गयी है। ऐसे में, आपको रिश्ते में आयी दरार को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी चाहिए। इस तरह, आप कलीसिया में शांति और एकता को बढ़ावा दे पाएँगे। (भजन 133:1-3) साथ ही, मत्ती 5:23, 24 या मत्ती 18:15-17 में दर्ज़ यीशु की सलाह पर अमल कीजिए। अगर सूर्य अस्त होने तक क्रोध को रहने देने की आपकी आदत बन चुकी है, तो अब से मामलों को फौरन सुलझाना सीखिए। अकसर झगड़े मिटाने के लिए बस एक-दूसरे को माफ करने के लिए तैयार रहना काफी होता है। पौलुस ने लिखा: “एक दूसरे पर कृपाल, और करुणामय हो [“कोमल करुणा दिखाएँ,” NW], और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।”—इफिसियों 4:25, 26, 32.
16. पति-पत्नी को किन तरीकों से एक-दूसरे के लिए करुणा दिखाने की ज़रूरत है?
16 शादी के बंधन को मज़बूत बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को कोमल करुणा दिखाएँ और एक-दूसरे को माफ भी करें। अगर आपको अपने साथी को और ज़्यादा प्यार और करुणा दिखाने की ज़रूरत है, तो परमेश्वर और उसके वचन की मदद लीजिए और उस मकसद को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। क्या आपको 1 कुरिन्थियों 7:1-5 पर अमल करने के लिए कुछ कदम उठाने की ज़रूरत है, ताकि आपके साथी के साथ आपका रिश्ता मधुर हो और आप उससे बेवफाई करने से दूर रह सकें? बेशक, लैंगिक संबंध रखने के मामले में पति या पत्नी को एक-दूसरे के लिए “कोमल करुणा” दिखाने की ज़रूरत है।
17. अगर किसी ने गंभीर पाप किया है, तो फिर उसे क्या-क्या कदम उठाने चाहिए?
17 अगर आपने कोई गंभीर पाप किया है, तब आप क्या कर सकते हैं? हालात को सुधारने के लिए फौरन कदम उठाइए। बेझिझक मसीही प्राचीनों की मदद लीजिए। उनकी प्रार्थनाएँ और सलाहें आपको आध्यात्मिक रूप से दोबारा दुरुस्त होने में मदद देंगी। (याकूब 5:13-16) पश्चाताप दिखाते हुए यहोवा से प्रार्थना कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो दोष की भावना आप पर हावी हो जाएगी और आपका ज़मीर आपको कचोटने लगेगा। दाऊद के साथ ऐसा ही हुआ था। मगर जब उसने यहोवा के सामने अपना पाप कबूल किया, तो उसे ऐसा लगा मानो उसके सिर से एक भारी बोझ उतर गया हो! उसने लिखा: “क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया हो। क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।” (भजन 32:1-5) यहोवा पाप करनेवाले उन लोगों को माफ करता है, जो दिल से पश्चाताप करते हैं।—भजन 103:8-14; नीतिवचन 28:13.
इस संसार से दूरी बनाए रखिए
18. आपको इस संसार को किस नज़र से देखना चाहिए?
18 बेशक, आप उस खूबसूरत नयी दुनिया के आने की आस लगाए हुए हैं, जिसका वादा स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता ने किया है। तो फिर आप इस जगत, यानी अधर्मी इंसानों से बने इस समाज को किस नज़र से देखते हैं, जो परमेश्वर से दूर जा चुका है? ‘इस जगत के सरदार,’ शैतान का यीशु मसीह पर कोई अधिकार नहीं था। (यूहन्ना 12:31; यूहन्ना 14:30, NHT) बेशक, आप भी नहीं चाहेंगे कि इब्लीस और उसकी दुनिया का आप पर कोई अधिकार हो। इसलिए यूहन्ना के लिखे इन शब्दों पर अमल कीजिए: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो।” ऐसा करना बुद्धिमानी है, क्योंकि “संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—1 यूहन्ना 2:15-17.
19. मसीही जवानों को किस तरह के लक्ष्य रखने का बढ़ावा दिया जाता है?
19 क्या आप अपने बच्चों की मदद कर रहे हैं, ताकि वे “अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें”? (याकूब 1:27) शैतान आपके बच्चों को ठीक उसी तरह अपने जाल में फँसाना चाहता है, जिस तरह एक मछुआरा मछलियों को जाल में फँसाता है। आज ऐसी कई संस्थाएँ और क्लब हैं, जो जवानों को शैतान की दुनिया का हिस्सा बनने के लिए लुभाते हैं। मगर यहोवा के सेवक पहले से ही एक संगठन का हिस्सा हैं और सिर्फ यही एक ऐसा संगठन है, जो इस दुष्ट संसार के विनाश से बच निकलेगा। इसलिए मसीही जवानों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए कि वे “प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते” जाएँ। (1 कुरिन्थियों 15:58) परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिताओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे लक्ष्य रखने में मदद दें, जिनसे आगे चलकर वे एक खुशहाल और मकसद-भरी ज़िंदगी जी सकें। ऐसी ज़िंदगी से परमेश्वर की महिमा होगी और आपके बच्चे यहोवा के दिन के लिए तैयार होंगे।
यहोवा के भयानक दिन से भी आगे देखिए
20. हमें अनंत जीवन की बाट क्यों जोहते रहना चाहिए?
20 अगर आप अनंत जीवन की बाट जोहते रहें, तो आप शांत मन के साथ यहोवा के दिन का इंतज़ार कर पाएँगे। (यहूदा 20, 21, NHT) आपको फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी जीने की उम्मीद है, इसलिए आपको उस ज़िंदगी के साथ-साथ मिलनेवाली कई दूसरी आशीषें पाने की भी आशा है। जैसे, आपकी जवानी लौट आएगी, आप एकदम चुस्त-दुरुस्त होंगे, साथ ही खुशी देनेवाले काम करने और यहोवा के बारे में बहुत कुछ सीखने के लिए आपके पास वक्त-ही-वक्त होगा। दरअसल, परमेश्वर के बारे में सीखने का कोई अंत न होगा, क्योंकि इंसान आज उसके “आश्चर्यकर्मों की थोड़ी सी बातें” ही जान पाए हैं। (अय्यूब 26:14, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) है ना यह एक शानदार आशा!
21, 22. आप और पुनरुत्थान पाए लोग एक-दूसरे के साथ क्या जानकारी बाँट पाएँगे?
21 फिरदौस में जब लोगों का पुनरुत्थान होगा, तो उनसे हम बीते ज़माने की ऐसी बातें जान पाएँगे जो आज हमें नहीं मालूम। जैसे कि हनोक हमें बता पाएगा कि आखिर उसे भक्तिहीन लोगों को यहोवा का पैगाम सुनाने की हिम्मत कहाँ से मिली। (यहूदा 14, 15) नूह बेशक यह बताएगा कि जहाज़ बनाते वक्त वह कैसा महसूस कर रहा था। इब्राहीम और सारा से हम यह जान पाएँगे कि ऊर के ऐशो-आराम की ज़िंदगी छोड़कर तंबुओं में रहने का उनका अनुभव कैसा रहा। ज़रा एस्तेर के बारे में सोचिए, जो हमें यह बताएगी कि कैसे उसने बड़ी हिम्मत के साथ अपने लोगों के पक्ष में बात की और उनके खिलाफ रची हामान की साज़िश को नाकाम कर दिया। (एस्तेर 7:1-6) खुद योना की ज़बान से यह सुनने की कल्पना कीजिए कि एक बड़ी मछली के पेट में उसने तीन दिन कैसे बिताए। इसके अलावा, कल्पना कीजिए कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला हमें यह बताएगा कि यीशु को बपतिस्मा देते वक्त उसे कैसा महसूस हुआ था। (लूका 3:21, 22; 7:28) वाकई, कितनी सारी दिलचस्प बातें हैं हमारे सीखने के लिए!
22 यही नहीं, मसीह के हज़ार साल की हुकूमत के दौरान, आपको यह सुअवसर भी दिया जा सकता है कि आप पुनरुत्थान पाए लोगों को “परमेश्वर का ज्ञान” हासिल करने में मदद दें। (नीतिवचन 2:1-6) अगर आज लोगों को यहोवा परमेश्वर का ज्ञान लेने और उसके मुताबिक काम करने के लिए मदद देने में, आपको इतनी खुशी मिल रही है, तो ज़रा सोचिए भविष्य में बीते ज़माने के लोगों को सिखाने में आपको और कितनी खुशी मिलेगी! उस वक्त जब आप यहोवा को आपकी मेहनत पर आशीष देते और उन लोगों को एहसान-भरे दिल से सच्चाई कबूल करते देखेंगे, तो आपकी खुशी का कोई ठिकाना न रहेगा!
23. हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
23 यहोवा के लोगों के नाते आज हमें जो आशीषें मिल रही हैं, वे इतनी हैं कि हम असिद्ध इंसान उन्हें गिन नहीं सकते। (भजन 40:5) हम खासकर परमेश्वर के किए आध्यात्मिक इंतज़ामों के लिए एहसानमंद हैं। (यशायाह 48:17, 18) तो आइए, हम यहोवा के भयानक दिन का इंतज़ार करते हुए पूरे तन-मन से पवित्र सेवा करते रहें, फिर चाहे हमारे हालात जैसे भी हों।
आप क्या जवाब देंगे?
• ‘यहोवा का दिन’ क्या है?
• आप खुद को यहोवा के दिन के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं?
• परमेश्वर के दिन को नज़दीक आते देख हमें क्या-क्या तबदीलियाँ करने की ज़रूरत पड़ सकती है?
• यहोवा का दिन पार हो जाने के बाद आप क्या देखने की आस रखते हैं?
[पेज 14 पर तसवीर]
यीशु खुद एक बड़ी परीक्षा के लिए तैयार था
[पेज 17 पर तसवीर]
पुनरुत्थान पाए लोगों को यहोवा का ज्ञान लेने में मदद देना हमारे लिए क्या ही सुअवसर होगा!