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परमेश्‍वर के करीब आइए

वह हमारा दर्द समझता है

यूहन्‍ना 11:33-35

हमदर्दी का मतलब है, दूसरों का दर्द अपने दिल में महसूस करना। यह अनमोल गुण दिखाने में परमेश्‍वर यहोवा सबसे बढ़िया मिसाल है। जब भी वह अपने लोगों को तकलीफों से गुज़रते देखता है, तो वह तड़प उठता है। यह बात हम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं? क्योंकि यहोवा में इंसानों के लिए प्यार और हमदर्दी की जो भावनाएँ हैं, वे हम यीशु की उन बातों और कामों में साफ देख सकते हैं, जो उसने धरती पर रहते वक्‍त कही थीं और किए थे। (यूहन्‍ना 5:19) इस बात को और भी अच्छी तरह समझने के लिए, आइए हम यूहन्‍ना 11:33-35 में दर्ज़ वाकये पर गौर करें।

यीशु अपने दोस्त लाजर और उसकी बहनों, मार्था और मरियम से बेहद प्यार करता था। (यूहन्‍ना 11:5) इसलिए जब लाजर की बेवक्‍त मौत हो गयी, तो वह उसके गाँव गया। वहाँ पहुँचने पर उसने देखा कि मरियम और मार्था अपने भाई की मौत का मातम मना रही थीं। इसका यीशु पर क्या असर हुआ? बाइबल बताती है: “जब यीशु ने [मरियम को] और उसके साथ आए यहूदियों को भी रोते देखा, तो वह आत्मा में अत्यन्त व्याकुल और दुःखी हुआ, और कहा, ‘तुमने उसे कहाँ रखा है?’ उन्होंने उस से कहा, ‘प्रभु, चलकर देख ले।’ यीशु रो पड़ा।” (यूहन्‍ना 11:33-35, NHT) यीशु क्यों रोने लगा? यह सच है कि यीशु का जिगरी दोस्त लाजर मर गया था, मगर वह उसे फिर से ज़िंदा करनेवाला था। (यूहन्‍ना 11:41-44) तो क्या इसके अलावा और भी कोई बात थी, जिससे यीशु तड़प उठा?

अभी आपने बाइबल की जिन आयतों को पढ़ा, उन पर दोबारा एक नज़र डालिए। ध्यान दीजिए कि जब यीशु ने मरियम और उसके साथ आए लोगों को रोते हुए देखा, तब वह “अत्यन्त व्याकुल” और “दुःखी हुआ।” यहाँ जिन मूल शब्दों का अनुवाद “अत्यन्त व्याकुल” और “दुःखी” किया गया है, वे गहरी भावनाओं को ज़ाहिर करते हैं।a और यीशु का रोना इस बात का सबूत था कि उसमें गहरी भावनाएँ उमड़ आयी थीं। इससे साफ ज़ाहिर है कि दूसरों का दर्द देखकर यीशु का दिल भर आया था। आप जिसको बेहद प्यार करते हैं, उसे रोते देख क्या आपको कभी रोना आया है?—रोमियों 12:15.

यीशु ने जो हमदर्दी दिखायी, उससे हमें उसके पिता यहोवा के गुणों के बारे में सीखने में मदद मिलती है। और यह भी कि अलग-अलग हालात में वह कैसे पेश आता है। याद कीजिए कि यीशु ने अपने पिता के गुणों को इतने उम्दा तरीके से ज़ाहिर किया कि वह कह सका: “जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है।” (यूहन्‍ना 14:9) इसलिए जब हम पढ़ते हैं कि “यीशु रो पड़ा,” तो हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा को अपने उपासकों को तकलीफ में देखकर दर्द होता है। बाइबल के दूसरे लेखकों ने भी इस बात को पुख्ता किया है। (यशायाह 63:9; जकर्याह 2:8) वाकई, यहोवा क्या ही कोमल भावनाएँ रखनेवाला परमेश्‍वर है!

हमदर्द इंसान को कौन नहीं पसंद करता? हर कोई पसंद करता है। इसलिए जब हम उदास या निराश होते हैं, तो हम उस इंसान के पास जाते हैं, जो हमारे हालात और दर्द समझता हो। तो क्या इससे भी बढ़कर हमें यहोवा के पास नहीं जाना चाहिए, जो एक करुणामय परमेश्‍वर है और जो हमारे दर्द और आँसुओं की वजह जानता है? बेशक जाना चाहिए।—भजन 56:8. (w08 5/1)

[फुटनोट]

a जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “रो पड़ा” किया गया है, उसका अकसर मतलब होता है, “मन-ही-मन रोना।” जबकि मरियम और दूसरों के रोने के लिए मूल भाषा में जो शब्द इस्तेमाल किया गया है, उसका मतलब, “ज़ोर-ज़ोर से रोना या विलाप करना” हो सकता है।

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