अपने सम्पूर्ण आचरण में पवित्र बनो
अतीत के समान, आज भी परमेश्वर के सेवकों के लिए पवित्रता एक ईश्वरीय आवश्यकता है। इसलिए हम सभों के लिए स्पष्ट रूप से न केवल यह समझना कि पवित्रता क्या है बल्कि यह भी कि यह कैसे और क्यों यहोवा की हमारी उपासना की एक विशेषता होनी चाहिए, एक अत्यावश्यक ज़रूरत बन गयी है। इस उद्देश्य से, १९९१ सेवकाई वर्ष के विशेष सम्मेलन दिन कार्यक्रम का विषय-वाक्य है “अपने सम्पूर्ण आचरण में पवित्र बनो।”—१ पतरस १:१५.
२ इसलिए कि यहोवा के धार्मिक सिद्धान्त और नियम उसका एक पवित्र परमेश्वर होने के नाते उत्पन्न होता है, हम जो धार्मिक स्थिति का अनुभव कर रहे हैं, यह उसके साथ हमारे निकट, वैयक्तिक सम्बन्ध का सीधा परिणाम है। फलस्परूप, यह कार्यक्रम कई तरीक़ों पर विचार-विमर्श करेगा, जो कि यह दिखाएँगे कि कैसे परमेश्वर के साथ के हमारे सम्बन्ध में सुधार लाया जा सकता है। इस में उसके पवित्र स्तरों की ओर आज्ञाकारिता सम्बद्ध है, चाहे वे छोटी बातें ही क्यों न समझे गए हों। (लूका १६:१०) हमें यहोवा की पवित्र आवश्यकताओं के लिए एक अधिक गहरी क़दर उत्पन्न करने की सहायता दी जाएगी, और इन्हें हमारी विचारणा, मनोवृत्ति और तौर-तरीक़ों पर क्यों प्रभाव डालना चाहिए, इसके बारे में हमें स्मरण दिलाया जाएगा।
३ प्रस्तुत किए जानेवाले दो मुख्य भाषण के शीर्षक हैं, “क्रमानुसार स्वच्छ होना स्वीकार करना” और “यहोवा के पवित्र लोगों की बढ़ती गतिविधियाँ।” जैसे उत्तेजक विश्व घटनाएँ हर दिन हमारे समयों की अत्यावश्यकता हमारे मन में बैठाती हैं, इस नए सेवकाई वर्ष का यह विशेष सम्मेलन दिन कार्यक्रम हमें यहोवा की ओर निर्देशन के लिए देखते रहने के लिए और अपने आप को पवित्रता से चलाने के द्वारा उसे प्रसन्न करने के लिए प्रेरित करेगा।—१ पतरस १:१४, १६.