धैर्यपूर्वक “आओ!” यह आमंत्रण प्रस्तुत करो
विश्वभर में तीव्र गति से घटित होनेवाली घटनाएँ इन दिनों की पहचान “अन्तिम दिनों” के रूप में देती है। (२ तीमु. ३:१-५) अपराध में वृद्धि, आर्थिक अस्थिरता और खतरापूर्ण बिमारियों ने उनका दबाव बढ़ाया है। लेकिन खुशी की बात यह है कि इन विपत्तियों के सामने भी लोगों को एक ऐसा आमंत्रण दिया जाता है जो उन पर हमेशा के लिए प्रभाव करेगा। आत्मा और दुल्हन दोनों कहती हैं: “आ!” और अब सभी जगहों के लोगों को आने और जीवन का जल मुफ़्त लेने के लिए एक खुला आमंत्रण देने में एक बड़ी भीड़ भी उनके साथ मिल गए हैं।—प्रका. ७:९; २२:१७.
२ आज, धार्मिकता के प्यासे, इस आमंत्रण की ओर बड़ी संख्या में प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं। विश्व भर में गए वर्ष संचालित ज़िला सम्मेलनों में लाखों की उपस्थिति थी, और स्मारक दिन पर करीब १०० लाख लोग उपस्थित हुए। और दूसरे लाखों लोग उसके राज्य संदेश की ओर ध्यान देने के द्वारा, यहोवा के प्रबन्ध के लिए क़दर दिखा रहे हैं। तब यह कितना महत्तवपूर्ण है कि हम हमारा समय विवेकपूर्ण रीति से यह आमंत्रण सार्वजनिक रूप से और घर घर देने के लिए उपयोग करें!—प्रेरितों ५:४२; इफि. ५:१५, १६.
धैर्यपूर्वक भाग लें
३ प्राचीन मसीहियों के उत्साही प्रचार कार्य के कारण उन्हें उत्पीड़ित किया गया था। (प्रेरितों १६:१९-२१; १७:२-८) किन्तु, उन्होंने सुसमाचार की घोषणा करने के उनके साहसी प्रयासों को रोका नहीं। उसी तरह हमें भी सुसमाचार का प्रचार करने के हमारे प्रयासों में साहसी और दृढ़ निश्चयी बनना है।
४ उन देशों में भी जहाँ इस कार्य पर प्रतिबंध है, हमारे भाई कठोर उत्पीड़न के बावजूद जिसमें नौकरी, घर, और उनकी स्वतंत्रता का भी संभाव्य नुक़सान है, इस प्रचार कार्य में सम्पूर्ण दिल से भाग ले रहे हैं। दूसरों को “आ!” का आमंत्रण देते रहने के लिए उनका उत्कृष्ट उदाहरण हमें प्रोत्साहित करता है—२ थिस्स. ३:९.
५ सत्य सीखने के ३५ से अधिक वर्ष बीतने पर भी एक बहन ने पायनियर सेवा करने की अपने दिल की इच्छा को बनाए रखी। जब उसकी उमर ७० वर्ष हुई उसकी वैयक्तिक परिस्थितियाँ बदल गयी और वह एक नियमित पायनियर बन गयी। यद्यपि उस उमर में बहुत कम लोग एक नयी जीवनवृत्ति आरम्भ करते हैं, उसने ऐसा किया। कई वर्षों से अब पूर्ण-समय की सेवकाई का आनन्द उठाने के बाद, वह कहती है, “यह हर दिन बेहतर होती रहती है।” साहसपूर्वक आगे बढ़ने और राज्य सेवा में अधिक पूर्णता से भाग लेने के यहोवा के आमंत्रण को स्वीकार करने से उसने दूसरों को आध्यात्मिक ताज़गी पहुँचायी है।
६ पहली सदी की तरह आज लोग उनकी विचारणा और उनके मन बदलते हुए, परमेश्वर का अनादर करनेवाली आदतों का त्याग करते हुए इस आमंत्रण की ओर प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं। वे गवाहों के एक समर्पित अन्तर्राष्ट्रीय भ्रातृत्व का भाग बनते हैं और अन्य निष्कपट दिलवालों से “आ!” कहने में आत्मा और दुल्हन के साथ मिले हुए हैं।
७ राज्य प्रचार कार्य की महान वृद्धि और कई देशों के शाखा कार्यालयों का विकास यहोवा की आशिष का प्रमाण है। लेकिन इस पुरानी व्यवस्था के लिए समय बहुत कम रह गया है। दूसरों को “आ!” का आमंत्रण देने के लिए साहस और उत्साह प्रदर्शित करने का सही समय अब है, ताकि वे जल्द ही प्रतिक्रिया दिखा सकें और सुनी हुई बातों के अनुसार कार्य कर सकें।—प्रेरितों २०:२६, २७; रोमियों १२:११.